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अरुणाचल में चीनी सेना ने लड़का अगवा किया, छुड़ाने की कोशिश

चीन सीमा पर अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। अरुणाचल के एक सांसद ने आरोप लगाया है कि चीन ने प्रदेश के अप्पर सियांग जिले में भारतीय सीमा में घुसकर  17 वर्षीय एक लड़के का अपहरण कर लिया है। उनके मुताबिक इस लड़के को चीन की सेना ने उसे मंगलवार को अगवा किया है और अभी तक नहीं छोड़ा है।

भाजपा के अरुणाचल-पूर्व से सांसद तापिर गाओ ने इस घटना को लेकर एक ट्वीट किया है। सियांग जिला प्रशासन ने स्वीकार किया है कि इस लड़के मिराम तारोन को
चीन की सेना ने अगवा किया है। मिराम उस ग्रुप का हिस्सा था, जो दोनों देशों की सीमा के पास शिकार पर गया था। मिरान जिडो गांव का रहने वाला है और सेना उसे छुड़ाने की कोशिश कर रही है।

आरोप लगाया गया है कि चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी भारतीय सीमा में घुस गयी थी। उसने इस लड़के को अगवा कर लिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक जिला कलेक्टर शास्वत सौरभ ने बताया है कि यह युवा स्थानीय शिकारियों के एक दल में शामिल था। प्रशासन को ग्रुप के अन्य सदस्यों से यह जानकारी मिली कि उसे भारतीय सीमा के अंदर से पीएलए ने किडनैप कर लिया है।

जिला कलेक्टर के मुताबिक यह जानकारी मिलते ही उन्होंने क्षेत्र में मौजूद भारतीय सेना को इसकी जानकारी दी। लड़के को छुड़ाने की कोशिशें जारी हैं। इस बीच भाजपा के अरुणाचल-पूर्व के सांसद तापिर गाओ ने इस घटना पर एक ट्वीट किया है। इसमें उन्होंने भारतीय एजेंसियों से लड़के को छुड़ाने के लिए मदद मांगी है।

पार्टी के साथ स्वयं जीत दिलाने पर बल दे रहे है प्रत्याशी

उत्तर प्रदेश के 75 जिलों की 403 विधानसभा चुनाव को लेकर इस बार प्रत्याशियों के बीच एक अजब सी कहानी देखने को मिल रही है। भाजपा, सपा,बसपा और कांग्रेस सहित जो भी अन्य छोटे दल है। उनके प्रत्याशी पार्टी को जिताने के साथ-साथ हर हाल में स्वयं को जिताने पर बल दें रहे है। जानकारों का कहना है कि इस बार चुनाव किसी भी पार्टी के लिये इकतरफा नजर नहीं आ रहा है। इसलिये जो भी प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। वो चुनाव इस आधार पर लड़ रहे है। कि मतदाता पार्टी के साथ –साथ उनको चुने।

बतातें चलें, उत्तर प्रदेश की सियासत का अपना ही मिजाज है।यहां के लोग सत्ता परिवर्तन में विश्वास करते है। किसी भी पार्टी को दोबारा सत्ता नहीं सौंपना चाहते है। अगर विरोधी दल सही हो और सही तरीके से जनता के अधिकारों के साथ विकास की बात रख सकें तो, जनता उसे ही मौका देती है। लेकिन इस बार का मिजाज कुछ और है। क्योंकि भाजपा के साथ-साथ सपा, बसपा और कांग्रेस सहित अन्य पार्टी के नेता में कोई खास दावे दारी नहीं ठोक पा रहे है।इसका मतलब साफ है कि चुनाव में प्रत्याशी भी असमंजस में है। कि उनकी ही पार्टी चुनाव जीतेगी या हारेगी।

इसलिये प्रत्याशी पार्टी के साथ स्वयं चुनाव जीतने के लिये ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है। उत्तर प्रेदश की सियासत के जानकार प्रमोद गर्ग का कहना है कि ये बात सही है कि 2007 में पूर्ण बहुमत के साथ प्रदेश में बसपा को जिताकर मायावती को मुख्यमंत्री बनाया था। फिर 2012 में सपा को बहुमत देकर अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाया था। इसी तरह 2017 में भाजपा को बहुमत देकर योगी आदित्य नाथ को मुख्यमंत्री बनाया था। अगर इस बार सत्ता परिवर्तन के साथ अन्य दल को मौका देती है। तो ये आने वाला समय ही बतायेगा कि जनता परिवर्तन लाती है। या फिर पुनः भाजपा पर विश्वास करती है।

डीजीसीए ने अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर रोक 28 फरवरी तक बढ़ाई

देश और दुनिया के कई हिस्सों में कोविड-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) ने अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर रोक 28 फरवरी तक बढ़ा दी है। यह प्रतिबंध डीजीसीए की तरफ से  स्वीकृत इंटरनेशनल आल कार्गो ऑपरेशंस और फ्लाइट्स और एयर बबल अरेंजमेंट के तहत आने वाली फ्लाइट्स पर लागू नहीं होगा।

भारत सरकार ने पहले 31 जनवरी तक देश से आपरेट होने वाली (आने-जाने वाली) अंतर्राष्ट्रीय कमर्शियल उड़ानों को स्थगित करने के आदेश जारी किये थे। नवंबर, 2021 में, सरकार ने 15 दिसंबर से इंटरनेशनल फ्लाइट ऑपरेशंस शुरू करने की भी योजना बनाई थी। हालांकि, कोविड के ओमीक्रोन वायरस के संकट के चलते सरकार ने शिड्यूल्ड इंटरनेशनल फ्लाइट्स शुरू करने के फैसले को वापस ले लिया था।

अब बुधवार को डीजीसीए ने देश में आने और देश से जाने वाली शिड्यूल्ड इंटरनेशनल कमर्शियल फ्लाइट्स पर रोक को 28 फरवरी तक बढ़ा दिया है। डीजीसीए ने साफ किया है कि फ्लाइट्स के निलंबन का असर कार्गो और डीजीसीए की मंजूरीशुदा फ्लाइट्स पर नहीं पड़ेगा।

एक अधिसूचना में डीजीसीए ने कहा – ‘अथॉरिटी ने 28 फरवरी, 2022 को 23.59 बजे तक के लिए भारत को/से शिड्यूल्ड इंटरनेशनल कमर्शियल पैसेंजर सर्विसेज के सस्पेंशन को बढ़ाने का फैसला किया है। यह प्रतिबंध विशेष रूप से डीजीसीए की स्वीकृत इंटरनेशनल आल कार्गो ऑपरेशंस और फ्लाइट्स पर लागू नहीं होगा। साथ ही एयर बबल अरेंजमेंट के तहत आने वाली फ्लाइट्स इससे प्रभावित नहीं होंगी।’

याद रहे देश में सभी अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें कोविड-19 महामारी के चलते 23 मार्च, 2020 लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद से ही बंद हैं। हालांकि जुलाई 2020 से करीब 28 देशों के साथ हुए एयर बबल समझौते के तहत विशेष अंतरराष्ट्रीय यात्री उड़ानें संचालित हो रही हैं। बता दें भारत का अफगानिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, बांग्लादेश, भूटान, कनाडा, इथियोपिया, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, इराक, जापान, कजाखस्तान, केन्या, कुवैत, मालदीव, मॉरिशस, नेपाल, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, कतर, रूस, रवांडा, सऊदी अरब, सेशेल्स, सिंगापुर, श्रीलंका, स्विट्जरलैंड, तंजानिया, उक्रेन, यूनाइटेड अरब अमीरात, यूनाइटेड किंगडम, यूएस और उजबेकिस्तान के साथ एयर ट्रांसपोर्ट बबल्स समझौता है।

अखिलेश के घर सेंध, अपर्णा यादव भाजपा में शामिल

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के परिवार में सेंध लगाते हुए भाजपा ने उनकी छोटी बहु अपर्णा यादव को पार्टी में शामिल कर लिया है। अपर्णा ने बुधवार को खुद को ‘पीएम मोदी की प्रशंसक’ बताते हुए दिल्ली में  भाजपा कार्यालय में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में विधिवत भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।अपर्णा के भाजपा में जाने की सम्भावना मंगलवार को पुख्ता हो गयी थी जब उन्होंने  दिल्ली में पार्टी के बड़े नेताओं से मुलाकात की थी।

आपको बता दें, अपर्णा यादव मुलायम सिंह के छोटे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं। प्रतीक की मां साधना गुप्ता मुलायम की दूसरी पत्नी हैं। अपर्णा यादव ने 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर लखनऊ कैंट सीट से भाजपा की प्रत्याशी रीता बहुगुणा जोशी, जो बाद में सांसद चुनी गयी थीं, के खिलाफ चुनाव लड़ा था। बता दें बहुगुणा आजकल भाजपे के खिलाफ तेवर अपनाए हुए हैं।

भाजपा में शामिल होने के बाद अपर्णा ने कहा – ‘भाजपा का धन्यवाद। मेरे लिए राष्ट्र हमेशा प्राथमिकता रहा है। मैं पीएम मोदी के कामों की प्रशंसक हूं।’ इस अवसर पर  उत्तर प्रदेश भाजपा नेता और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और यूपी भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने अपर्णा को पार्टी की सदस्यता दिलाई।

अभी यह साफ़ नहीं है कि क्या भाजपा अपर्णा को पार्टी उम्मीदवार बनाएगी। चर्चा रही है कि भाजपा उन्हें लखनऊ कैंट सीट से टिकट दे सकती है। पिछला चुनाव अपर्णा यहीं से सपा के टिकट पर लड़ी थीं, हालांकि, हार गयी थीं। उस चुनाव में हार के लिए अपर्णा ने अपने परिवार को जिम्मेदार ठहरा दिया था, जिससे काफी बवाल मचा था। बता दें मुलायम सिंह यादव के साढ़ू प्रमोद गुप्ता के भी भाजपा में शामिल होने की बड़ी चर्चा है।

दलितों के सम्मान में चन्द्रशेखर मैदान में

तहलका ब्यूरो

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सपा, कांग्रेस, बसपा और भाजपा के बीच इस बार भीम आर्मी पार्टी पूरे दम- खम के साथ चुनाव मैदान में है। बताते चलें पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भीम आर्मी पार्टी के प्रमुख चन्द्रशेखर की दलित वोटों पर अच्छी –खासी पकड़ है। उत्तर प्रदेश की राजनीति के जानकार व दलित नेता सुभाष सुमन का कहना है कि बसपा और कांग्रेस ने दलितों को वोट बैंक के तौर पर ही इस्तेमाल किया है। कभी भी उनकी गरीबी और समस्या का समाधान नहीं किया है। लेकिन भीम आर्मी पार्टी का मुख्य उद्देश्य तो दलितों को उनका अधिकार दिलाना है। उनका कहना है कि सपा से बड़ी उम्मीदें थी कि सपा और भीम आर्मी पार्टी के बीच चुनावी तालमेल हो जायेगा। लेकिन तालमेल नही हो सका ।जबकि सच्चाई तो ये है कि सपा हो या अन्य पार्टी का भविष्य दलितों के बिना नहीं हो सकता है।चन्द्रशेखर ने साफ कहा कि इस बार मौजूदा सत्ता को उखाड़ने के लिये दलितों को एक होकर भाजपा का विरोध करना होगा।उन्होंने कहा कि भीम आर्मी पार्टी भाजपा छोड़कर गये स्वामी प्रसाद मोर्या  और ओम प्रकाश राजभर के खिलाफ अपने प्रत्याशी नहीं उतारेगी। दलित नेता सुभाष सुमान ने तहलका को बताया कि बसपा से दलितों के साथ जनता का मोह भंग हो चुका है।मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश की सियासत का अपना अलग ही मिजाज है। जनता परिवर्तन तो चाह रही है। लेकिन जातीय समीकरणों में उलझों में पड़ी है। इस लिहाज से अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है कि जातीय समीकरण चुनाव आते –आते किस ओर अपना रूख करेगे। वैसे तो भाजपा सहित अन्य राजनीतिक दल दलित वोट बैंक में सेंध लगाने के लिये हर संभव प्रयास कर रही है।फिलहाल भीम आर्मी पार्टी का कहना है कि चन्द्रशेखर दलितों के सम्मान में चुनाव मैदान में है। ताकि दलितों को उनका अधिकार दिलाया जा सकें। जो अभी तक किसी भी राजनीतिक पार्टी ने नहीं दिलाया है।

फुटपाथ के बच्चों की जानकारी अपडेट नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार  

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राज्यों से सड़कों और फुटपाथों पर रहने वाले बच्चों की जानकारी सरकारी पोर्टल पर अपडेट न करने पर फटकार लगाई है। सर्वोच्च अदालत ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को उन्हें तीन हफ्ते के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि देश दो साल से कोविड-19 से लड़ रहा है, लेकिन इसके यह मायने नहीं कि अदालत के आदेश का पालन ही नहीं हों। अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सभी राज्यों को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर अब चार हफ्ते बाद सुनवाई करेगा।

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि कोरोना और जिन दूसरी समस्यायों का हम मुकाबला कर रहे हैं, वह ऐसे बच्चों के लिए कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है, जिनकी देखभाल करने वाला कोई भी नहीं है। सर्वोच्च अदालत ने राज्यों के जिला मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया कि वह बिना देरी सड़कों पर रह रहे बच्चों की पहचान करने के जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण और स्वयंसेवी सगठनों की सहायता ले और बाल स्वराज पोर्टल पर सभी चरणों की जानकारी अपलोड करे।

सर्वोच्च अदालत ने राज्य सरकारों से सड़क पर रह रहे बच्चों के पुनर्वास के लिए जल्द ही नीतिगत फैसला करने को भी कहा। अदालत ने यह भी कहा कि एनसीपीसीआर की बैठक में बच्चों के पुनर्वास के मुद्दे पर चर्चा की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने तीन हफ्ते के अंदर राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से मामले स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहते हुए कहा कि अदालत चार हफ्ते बाद मामले की सुनवाई करेगी।

याद रहे सर्वोच्च अदालत कोरोना महामारी के दौरान सड़कों और फुटपाथ पर रह रहे बच्चों की स्थिति और पुनर्विस्थापन के मामले में स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही  है। मामले के दौरान कुछ राज्यों ने अपने यहाँ मामलों की संख्या को लेकर जानकारी दी।

आप ने पंजाब में मान को बनाया अपना मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी

पार्टी सांसद भगवंत सिंह मान को आम आदमी पार्टी (आप) ने पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए अपना मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाया है। इसका ऐलान आप नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने अब से कुछ देर पहले किया।

केजरीवाल ने इस मौके पर कहा कि पार्टी ने अपना मुख्यमंत्री चेहरा चुनने के लिए नया तरीका अपनाया। केजरीवाल ने कहा – ‘जहाँ दूसरी पार्टियों ने बेटे या रिश्तेदार को मुख्यमंत्री पद के लिए उम्मीदवार बनाया वहीं आप ने जनता के  बीच जाकर उसकी राय जानकार अपना मुख्यमंत्री चेहरा मान को बनाया है।

केजरीवाल ने कहा कि पंजाब की 92 फीसदी से ज्यादा जनता ने भगवंत मान का नाम चुना है। उन्होंने कहा कि जनता ने खुद उनके नाम (केजरीवाल) पर भी मुहर लगाई लेकिन उन्होंने अपना नाम वाले वोट कुल मतों से हटा दिए।

उनके मुताबिक बाकी जो वोट बचे उनमें मान को 92 फीसदी ने भगवंत मान के नाम मुहर लगाए। दिलचस्प बात है यह है कि केजरीवाल ने कहा कि मान के बाद करीब 3 फीसदी जनता ने नवजोत सिंह सिद्धू का नाम चुना। बता दें सिद्धू आप नहीं, कांग्रेस के नेता हैं और इस समय पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। उन्हें कांग्रेस में भी मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जाता है।

पंजाब के सीएम चन्नी के भतीजे समेत कई पर ईडी के छापे

विधानसभा चुनाव के बीच पंजाब में केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भतीजे और अन्य के ठिकानों पर छापेमारी की है। ईडी के अधिकारियों में मंगलवार सुबह सीएम के भतीजे भूपिंदर सिंह हनी के आवास समेत प्रदेश भर में दस अलग-अलग ठिकानों पर छापे मारकर उनकी तलाशी ली है। ईडी ने इन लोगों के खिलाफ धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) का मामला दर्ज किया है।

पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले ईडी की इस कार्रवाई पर राजनीति भी तेज हो गयी है। ईडी अधिकारियों के मुताबिक इन सभी लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और इस मामले में राजनीतिक कनेक्शन भी देखा जा रहा है।

ईडी ने जिन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की है उनमें मुख्यमंत्री चन्नी के भतीजे भी शामिल हैं। इन सभी के ठिकानों पर जांच जारी है। मंगलवार सुबह ये छापेमारी की गयी। जहाँ कांग्रेस के कई नेताओं ने इस छापेमारी को राजनीति से प्रेरित बताया है वहीं विपक्षी नेताओं ने इसे लेकर कांग्रेस और मुख्यमंत्री पर हमला बोला है।

आप नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि वो तो पहले से कह रहे हैं कि सीएम के हलके चमकौर साहिब में बालू का अवैध खनन हो रहा है। उधर पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह, जो अब भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं, ने भी चन्नी पर हमला बोला है।

गैर कोरोना रोगी को भी मिले इलाज

दिल्ली में भले ही कोरोना वायरस के मामलों में गत दो दिनों से गिरावट दर्ज की जा रही है। लेकिन कोरोना का हाहाकार दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में साफ देखा जा रहा है। अस्पताल की पंगु स्वास्थ्य सेवायें मरीजों के लिये मुसीबत बनी हुई है।

बताते चलें, कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुये दिल्ली सरकार और केन्द्र सरकार के अस्पतालों में एहतियातन कोरोना बार्डों का विस्तार किया गया था, ताकि किसी भी कोरोना पीड़ित मरीज को इलाज के दौरान कोई दिक्कत ना हो। वहीं गैर कोरोना पीड़ित मरीजों को अस्पताल की पंगु व्यवस्था का सामना करना पड़ रहा है।

आलम ये है कि अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड से लेकर एक्सरे, एमआरआई सहित अन्य जांचों के लिये भटकना पड़ रहा है।लोकनायक अस्पताल, जीटीबी अस्पताल और एम्स में गैर कोरोना रोगी को इलाज कराने में मुशीबत का सामना करना पड़ रहा है।

एम्स इलाज कराने आये उत्तर प्रदेश के बांदा जिला के अमित कुमार ने बताया कि उनका इलाज नेफ्रो में चल रहा है। कोरोना आने के बाद कुछ समय के लिये तो डाँक्टरों ने कहा कि अस्पताल में आने से बचना । लेकिन जो जांचे डाँक्टरों ने लिखी है उनका अब क्या होगा। जांच की डेट लेने के लिये चक्कर लगा रहे है।

इसी तरह अन्य मरीजों ने बताया कि कोरोना के चलते तामाम जांचों में बिलम्व के कारण उनका रोग बढ़ता जा रहा है।इसी तरह लोक नायक अस्पताल और जीटीबी अस्पताल में यही हाल है। यहां के स्वास्थ्य कर्मचारियों ने बताया कि एक तो स्वास्थ्य सेवायें लचर है। उस पर प्रशासन की अनदेखी की चलते मरीजों को सही समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है।

लोकनायक अस्पताल के एक वरिष्ठ डाँक्टर ने बताया कि कोरोना के साथ अन्य रोगों का इलाज जारी रहना चाहिये ताकि, कोई भी मरीज इलाज के अभाव ने परेशान न हो। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। जो मरीजों के लिये ठीक नहीं है।

आयोग ने दलों का आग्रह माना, पंजाब विधानसभा चुनाव अब 20 फरवरी को

चुनाव आयोग ने सोमवार को एक बैठक कर पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और अन्य राजनीतिक दलों का यह आग्रह स्वीकार कर लिया कि गुरु रविदास जयंती  चलते मतदान की तारीख कुछ आगे खिसका दी जाए। अब पंजाब में 14 फरवरी की जगह 20 फरवरी को वोट पड़ेंगे।

याद रहे पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के राज्य विधानसभा चुनाव कुछ आगे खिसकाने के आग्रह पर चुनाव आयोग से किया था। इसे लेकर सोमवार को आयोग ने एक बैठक करके इसपर विचार किया। आयोग ने अब पंजाब में मतदान के लिए नई तारीख का ऐलान किया है। यह चुनाव अब 20 फरवरी को होगा।

चुनाव आयोग ने पंजाब की 117 विधानसभा सीटों के लिए एक ही चरण में 14 फरवरी को मतदान होना तय किया  था। मुख्यमंत्री चन्नी ने चुनाव आयोग को चिट्टी लिखकर सुझाव दिया था कि 14 फरवरी को होने वाले मतदान को गुरु रविदास जयंती को ध्यान में रखते हुए कम से कम छह दिन के लिए टाल दिया जाए। मतदान की तारीख़ के दो दिन बाद 16 फ़रवरी को रविदास जयंती है।

चन्नी ने अपने पत्र में आयोग को लिखा था कि अनुसूचित जाति समुदाय के प्रतिनिधियों, जिसमें पंजाब की आबादी का 32 प्रतिशत शामिल है, ने उन्हें बताया कि रविदास जयंती की वजह से बड़ी संख्या में समुदाय के लोग 10 से 16 फरवरी को वाराणसी जाते हैं। ऐसी स्थिति में कई लोग वोट नहीं डाल पाएंगे, और इस तरह वे अपने  संवैधानिक अधिकार से वंचित हो जाएंगे।

अब आज चुनाव आयोग एक बैठक की जिसमें चन्नी के आग्रह पर विचार किया गया।  पूर्व मुख्यमंत्री  अमरिंदर सिंह की पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस, पंजाब भाजपा और आम आदमी पार्टी ने भी इसी कारण से चुनाव कुछ आगे खिसकाने का आग्रह आयोग से किया था।