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स्वयं समझें धर्म का मर्म

धर्म स्वतंत्र रूप से पढऩे और स्वीकार करने के लिए हैं, और होने भी चाहिए। फिर इन्हें पढ़ाने और सिखाने वाले अलग से क्यों हों? धर्मों को तो हर किसी को स्वत: पढऩे, समझने और स्वीकार करने का अधिकार है। ठीक वैसे ही, जैसे ईश्वर को पूजने, समझने और मानने का अधिकार सभी को स्वयं ही होता है। उसके लिए किसी की स्वीकृति अथवा आज्ञा की आवश्यकता नहीं होती। न ही उसे पूजने, मानने अथवा स्वीकार करने के लिए किसी अन्य की सहायता की आवश्यकता होती है। बस अपने मन से मनन करने और मानने की आवश्यकता होती है। लेकिन धर्म, यहाँ तक कि ईश्वर पर भी चंद लोगों ने सदियों से अपना एकाधिकार जताकर इन्हें अपनी बपौती की तरह अपने लाभ के लिए उपयोग किया है। इन लोगों ने दुनिया के शेष लोगों का धर्म और ईश्वर से सीधे-सीधे साक्षात्कार नहीं होने दिया। न ही होने देना चाहते हैं। ये लोग धर्मों के वाहक बनकर बाक़ी लोगों को मूर्ख बनाते ही नहीं रहे हैं, बल्कि मूर्ख समझते भी रहे हैं, और लूटते भी रहे हैं।

ऐसा सदियों से हुआ है, और हर धर्म में ख़ूब हुआ है। आज भी हो रहा है। समझदार और तार्किक लोग इसे स्वीकार करने को राज़ी नहीं होते। इसीलिए पाखण्डियों की आँखों में चुभते रहते हैं। लेकिन किताबों को रटने वाले चंद लोगों के सहारे हमेशा बहुत बड़ी संख्या में लोग धर्म का, यहाँ तक कि ईश्वर का भी मर्म समझने का प्रयास करते रहे हैं। मज़े की बात यह है कि धर्म और ईश्वर के बारे में ज्ञान बाँटने वाले अधिकतर मूर्ख, ढोंगी और पाखण्डी हैं।

लोगों को समझना इस बात को चाहिए कि भले ही कोई सही मायने में ज्ञानी हो, उसे ईश्वर और धर्म का मर्म भी मालूम हो; वह दूसरे को उस ज्ञान और मर्म से तृप्ति कैसे दे सकता है? दूसरे को ईश्वर की प्राप्ति कैसे करा सकता है? दूसरों को मोक्ष कैसे प्राप्त करवा सकता है? वह केवल रास्ता तो बता सकता है। अपने अल्प ज्ञान से सामने वाले को दण्डवत् करा सकता है। हो सकता है कि कुछ हद तक सन्तुष्ट भी कर दे; लेकिन सफ़र तो हर किसी को ख़ुद तय करना है। अन्यथा यह ठीक वैसे ही होगा, जैसे दो भूखों में से एक व्यक्ति खाना खाकर दूसरे को समझाये कि खाने का स्वाद कैसा है? और उस खाने से पेट कितना भर गया? तृप्ति कैसे हुई है? खाने का आनन्द कितना आया? लेकिन दूसरे को असल स्वाद, असल तृप्ति नहीं दे सकता। उसका स्वाद तो हर व्यक्ति को स्वयं ही चखना होगा; स्वयं ही चखना भी चाहिए।

ईश्वर का एहसास भी हर व्यक्ति को स्वयं ही अंत:करण में करना चाहिए। लेकिन अधिकतर अभागे उसका मर्म दूसरों से समझना चाहते हैं। वह भी उनसे, जिनके पास सिवाय रटी हुई चंद किताबों की पंक्तियों के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है। यही वजह है कि आज भी संसार में अधिकतर लोग धर्म और ईश्वर के मामले में प्यासे-के-प्यासे ही रह जाते हैं; और सदियों से ऐसे ही प्यासे हैं।

यही कारण है कि जो सीधे धर्म और ईश्वर से नहीं जुड़े, जिन्होंने इन्हें समझने और पाने में दूसरों का सहारा लिया, ऐसे लोगों को न धर्म का कोई लाभ मिला और न ईश्वर का मर्म ही उन्हें कभी समझ आया। ऐसे लोगों को जीवन का रहस्य भी कभी समझ में नहीं आया, और न ही मृत्यु का। ऐसे लोग न ठीक से जीवन ही जी सके हैं और न ही मृत्यु को ही जी सके। ऐसे लोगों का लोक भी बिगड़ा और परलोक भी नहीं सँवर सका। क्योंकि ऐसे लोग रट्टू तोतों, ढोंगियों, पाखण्डियों के भ्रमजाल में फँसकर अज्ञान के भँवर में जीवन भर चक्कर काटते रहे।

इस सत्य से कोई इनकार नहीं कर सकता कि भँवर में फँसा व्यक्ति कभी पार नहीं हो सकता, उसे डूबना-ही-डूबना है। आज भी असंख्यों लोग मूर्खों की तरह ढोंगियों और पाखण्डियों के चंगुल में फँसे हैं; और उनकी कही अर्ध सत्य बातों को न केवल अन्तिम सत्य मान लेते हैं, वरन् उसी अर्ध सत्य को इधर-उधर सुनाकर स्वयं को भी ज्ञानी सिद्ध करने की कोशिश में लगे रहते हैं। वे भी अपने स्तर के अथवा अपने से कम स्तर के अज्ञानियों के बीच ज्ञानी होने का दम्भ भरते रहते हैं।

यह सच है कि संसार में ज्ञानी भी हैं। लेकिन ऐसे लोग बिरले ही होते हैं। वास्तव में जो ढोंगी और पाखण्डी हैं, वो ज्ञानी होते ही नहीं हैं। धर्म ग्रन्थों के नाम पर चंद किताबों को रटने वाले तो बिलकुल भी नहीं। क्योंकि असल ज्ञान तो वही है, जो स्वयं के अन्तर से उपजा हो, जिसे अनुभव से खोजा गया हो। ठीक उसी तरह जिस तरह अपने जीने का अनुभव हर किसी को स्वयं ही होता है। दूसरे तो केवल इनता ही जानते हैं कि सामने वाला ज़िन्दा है; लेकिन उसके जीने का, उसके सुख-दु:ख का अनुभव दूसरे लोग उसी तरह नहीं कर सकते, जिस तरह से वह स्वयं कर सकता है। वैसे ही धर्म और ईश्वर का मर्म वही ठीक से समझ सकता है, जो इन्हें स्वयं जी रहा हो। जो सुनकर इनका आनन्द लेने की इच्छा रखता है, वह कुछ भी हासिल नहीं कर पाता। हाँ, उसे यह भ्रम ज़रूर रहता है कि वह सब कुछ जानता है।

सीआईए प्रमुख बर्न्स ने जून में की थी यूक्रेन की गुप्त यात्रा, रिपोर्ट में दावा

क्या अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए के प्रमुख विलियम बर्न्स ने रूस के साथ युद्ध में उलझे यूक्रेन की गुप्त यात्रा कर कथित तौर रूस से क्षेत्र वापस लेने के लिए यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की और यूक्रेन के शीर्ष खुफिया अधिकारियों से मुलाकात की थी ? एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बर्न्स की इस यात्रा के दौरान साल के आखिर तक मॉस्को के साथ युद्ध विराम वार्ता शुरू करने की महत्वाकांक्षी रणनीति पर भी उनकी बात हुई थी।

यूक्रेन और रूस के बीच पिछले एक साल से ज्यादा से चल रहे युद्ध में अब तक दोनों ही पक्षों ने अपने-अपने दावे किये हैं। हालांकि, ज्यादातर रिपोर्ट्स में यह बताया गया है कि पश्चिम की मदद के बावजूद यूक्रेन को इस युद्ध में काफी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है। अब रूस की सरकारी समाचार एजेंसी स्पुतनिक न्यूज़ की वाशिंगटन से एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि सीआईए प्रमुख बर्न्स ने यूक्रेन की गुप्त यात्रा की थी।

बर्न्स की यात्रा से परिचित अधिकारियों का हवाला देते हुए, स्पुतनिक की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘अमेरिकी मीडिया ने बताया कि जून में यात्रा के दौरान सीआईए निदेशक विलियम बर्न्स ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की और यूक्रेन के शीर्ष खुफिया अधिकारियों से मुलाकात की। यात्रा का उद्देश्य संघर्ष में यूक्रेन की मदद के लिए डिज़ाइन की गई खुफिया जानकारी साझा करने के लिए बिडेन प्रशासन की प्रतिबद्धता की पुष्टि करना था’।

इस रिपोर्ट के मुताबिक ‘यूक्रेन के अधिकारियों ने बर्न्स को बताया कि उनका लक्ष्य तोपखाने और मिसाइल प्रणालियों को क्रीमिया की सीमा रेखा के पास ले जाना और अंत तक पूर्वी यूक्रेन में पहुंचाना है’। स्पुतनिक न्यूज़ की रिपोर्ट में योजना से जुड़े लोगों का हवाला देते हुए कहा गया है कि ‘पिछले साल मार्च में बातचीत टूटने के बाद कीव पहली बार मॉस्को के साथ बातचीत शुरू करने का इरादा रखता है’।

रिपोर्ट के मुताबिक ‘अधिकारियों ने कथित तौर पर बाद में कहा कि उन्हें उम्मीद है कि क्रीमिया को न लेने पर सहमत होकर, रूस पश्चिम से कीव को जो भी सुरक्षा गारंटी दे सकता है, उसे स्वीकार कर लेगा। स्पुतनिक न्यूज़ के मुताबिक ‘एक यूक्रेनी अधिकारी ने आउटलेट को बताया कि अमेरिका इस बात से सहमत है कि यूक्रेन को मजबूत स्थिति का आधार बनाकर वार्ता में शामिल होना चाहिए’।

स्पुतनिक न्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक ‘कीव की योजनाओं के बारे में बर्न्स के आकलन के बारे में पूछे जाने पर सीआईए ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया’। रिपोर्ट में बताया गया है कि बर्न्स की यह यात्रा वागनर ग्रुप प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन के नाकाम विद्रोह से ठीक पहले हुई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘अमेरिकी खुफिया समुदाय ने जून के मध्य में पता लगाया था कि प्रिगोझिन कुछ साजिश रच रहा था, लेकिन उन निष्कर्षों को यूक्रेनी अधिकारियों तक नहीं पहुंचाया गया था’।

इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ‘कीव उन पश्चिमी सहयोगियों के असाधारण दबाव में है, जिन्होंने जवाबी हमले से पहले यूक्रेन को अरबों डॉलर के हथियार उपलब्ध कराए थे’। स्पुतनिक न्यूज़ के मुताबिक ‘इससे पहले शुक्रवार को, अमेरिकी मीडिया ने बताया कि बर्न्स ने हाल ही में अपने रूसी समकक्ष सर्गेई नारीश्किन को फोन करके उन्हें सूचित किया था कि प्रिगोझिन के नाकाम विद्रोह में संयुक्त राज्य अमेरिका की कोई भागीदारी नहीं थी’।

याद रहे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस हफ्ते के शुरू में कहा था कि ‘यूक्रेन ने अपने जवाबी हमले की शुरुआत के बाद से 259 टैंक और 780 बख्तरबंद वाहन खो दिए हैं’। कई पश्चिमी मीडिया ने भी कीव के जवाबी हमले के ‘कमजोर नतीजों’ पर ध्यान दिया, जबकि ज़ेलेंस्की ने खुद स्वीकार किया कि प्रगति इच्छा से धीमी थी।

राहुल गांधी का मणिपुर दौरे के बाद राहत कैंपों में सुविधाओं का आग्रह

कांग्रेस नेता राहुल गांधी जिनके मणिपुर दौरे के दौरान शुक्रवार को मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के इस्तीफे ने सुर्खियां बटोरने की कोशिश की, ने कहा है कि उन्होंने मणिपुर सरकार से राहत शिविरों में मूलभूत सुविधाओं में सुधार का आग्रह किया है। राहुल ने कहा कि मणिपुर की घटनाएं पीड़ाजनक है और वे जो भी भूमिका वहां शांति के लिए निभा सकेंगे, निभाएंगे।

राहुल गांधी, अपने दौरे के दौरान के आखिरी दिन राज्यपाल अनुसुइया उइके, नागरिक समाज संस्थाओं के सदस्यों और राहत शिविरों में रह रहे हिंसा प्रभावित विभिन्न वर्गों के लोगों से मिले। गांधी ने कहा सरकार से कहा कि राहत शिविरों में बुनियादी सुविधाओं में सुधार की जरूरत है। भोजन में सुधार की जरूरत है। दवाओं की आपूर्ति की जानी चाहिए। शिविरों से इस संबंध में शिकायतें आई हैं।

कांग्रेस नेता ने लोगों से मिलकर उनका दर्द जाना और कहा कि वे उनकी आवाज सरकार तक पहुंचाएंगे। कांग्रेस नेता ने मणिपुर की घटनाओं को त्रासदी बताया और कहा कि यह राज्य और देश के लिए दर्दनाक हैं। गांधी ने मणिपुर में शांति की अपील करते हुए कहा कि हिंसा कोई समाधान नहीं है। राहुल मोइरांग में दो राहत शिविरों के लोगों से मिलने के बाद नेताजी स्मारक भी गए और राष्ट्र नेता को पुष्पांजलि अर्पित की।’

राजभवन के बाहर उन्होंने पत्रकारों से भी बातचीत की और कहा – ‘शांति के लिए जो भी जरूरी होगा, मैं उसके लिए तैयार हूं। मैं सभी लोगों से शांति कायम करने की अपील करता हूं क्योंकि हिंसा से कभी कोई हल नहीं निकल सकता। शांति ही आगे बढ़ने का रास्ता है और हर किसी को अब शांति के बारे में बात करनी चाहिए और उसकी ओर बढ़ना शुरू करना चाहिए।’

राहुल ने कहा कि इस राज्य में शांति का माहौल कायम करने के लिए मैं हर संभव मदद करूंगा। मैं मणिपुर के लोगों का दर्द साझा करता हूं। यह एक भयानक त्रासदी है और राज्य और देश के लिए दुखद स्थिति है।

गांधी ने इंफाल, चुराचांदपुर और मोइरांग में विभिन्न राहत शिविरों के अपने दौरों और सभी समुदायों के लोगों के साथ अपनी बैठकों के बारे में भी पत्रकारों को बताया। गांधी ने कहा – ‘एक बात जो मैं सरकार से कहना चाहूंगा, वह यह है कि शिविरों में बुनियादी सुविधाओं में सुधार की जरूरत है। भोजन में सुधार की जरूरत है। दवाओं की आपूर्ति की जानी चाहिए। शिविरों से इस संबंध में शिकायतें आई हैं।’

उधर कांग्रेस  कहा कि राज्यपाल ने गांधी को भरोसा दिया है कि जातीय हिंसा से प्रभावित राज्य में शांति बहाल करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। राहुल ने कल  नागरिक समाज संस्थाओं के सदस्यों से मुलाकात की और उनकी परेशानियां सुनीं।

गांधी ने नागरिक समाज संस्था ‘कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी’ (सीओसीओएमआई), मणिपुर में नागा समुदाय की शीर्ष संस्था ‘यूनाइटेड नागा काउंसिल’, ‘शेड्यूल्ड ट्राइब डिमांड कमेटी’ के प्रतिनिधियों और जेएनयू के प्रोफेसर बिमोल ए सहित प्रमुख हस्तियों से मुलाकात की। सुबह मोइरांग शहर में दो राहत शिविरों में जाकर प्रभावित लोगों से मुलाकात की और उनकी व्यथा सुनी थी।

राहुल के साथ मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह, पार्टी महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल, कांग्रेस की मणिपुर इकाई के अध्यक्ष कीशम मेघचंद्र सिंह और पूर्व सांसद अजय कुमार थे। अजय ने कहा – ‘राहुल मोइरांग में दो राहत शिविरों के लोगों से मिलने के बाद नेताजी स्मारक गए और पुष्पांजलि अर्पित की।’

ओडिशा रेल हादसा : दक्षिण पूर्व रेलवे की जीएम अर्चना की जगह मिश्रा की नियुक्ति

पिछले महीने ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण रेल हादसे में भले सीबीआई ने अभी अपनी जांच को लेकर कोई रिपोर्ट नहीं दी है, दक्षिण पूर्व रेलवे की महाप्रबंधक अर्चना जोशी को उनके पद से हटा दिया गया है। केबिनेट की नियुक्ति समिति ने उनकी जगह अनिल कुमार मिश्रा को यह जिम्मा सौंपा है। इस ट्रिप्पल ट्रेन हादसे में 290 से ज्यादा लोगों की मौत हो गयी थी जबकि सैकड़ों घायल हुए थे।

भारतीय रेलवे के एक बयान में कहा गया है – ‘बालासोर ट्रेन दुर्घटना के बाद दक्षिण पूर्व रेलवे की महाप्रबंधक अर्चना जोशी को उनके पद से हटा दिया गया है। केबिनेट की नियुक्ति समिति ने अनिल कुमार मिश्रा को दक्षिण पूर्व रेलवे का नया महाप्रबंधक बनने की मंजूरी दे दी है।’

नए महाप्रबंधक अनिल मिश्रा भारतीय रेलवे इलेक्ट्रिकल इंजीनियर्स सेवा के अधिकारी हैं। भारतीय रेलवे यातायात सेवा (आईआरटीएस) की 1985 बैच की अधिकारी जोशी ने 30 जुलाई, 2021 को दक्षिण पूर्व रेलवे महाप्रबंधक का पद संभाला था।

महाराष्ट्र में बस में पलटने के बाद आग लगी; 26 लोगों की मौत, कई घायल

महाराष्ट्र के बुलढाणा में एक निजी बस के खंभे से टकराने के बाद उसमें आग लग जाने से 26 लोगों की मौत हो गयी है। कुछ लोग घायल हुए हैं जिनमें से एक की हालत गंभीर बताई गयी है। महाराष्ट्र सरकार ने मृतकों के निकट परिजनों और घायलों के लिए सहायता राशि की घोषणा की है।

यह हादसा आधी रात रात डेढ़ बजे हुआ जब समृद्धि महामार्ग एक्सप्रेसवे पर 33 यात्रियों को ले जा रही निजी बस टायर फटने के बाद अनियंत्रित हो गयी। जैसी ही वह सड़क पर पलटी उसमें आग लग गई। ज्यादातर लोगों को बस से बाहर निकलने का अवसर ही नहीं मिला क्योंकि वे सो रहे थे और वे भीतर ही जलकर जान गंवा बैठे।

अभी तक की रिपोर्ट्स के मुताबिक 26 लोगों की मौत हो चुकी है। कई घायल हैं। सरकारी अधिकारियों ने बताया कि घायलों को बुलढाणा सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

उधर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मृतकों के परिवार को 5 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है। बस का चालक सुरक्षित है। उसने बताया कि टायर फटने के कारण बस अनियंत्रित होकर पलट गई जिसके बाद उसमें आग लग गई। यह बस विदर्भ ट्रेवल्स की थी।

चूंकि बस दरवाजे की तरफ पलटी, इसलिए सवारियों को बाहर निकलने का अवसर नहीं मिला। जो लोग बचे वो ड्राइवर की तरफ केबिन में थे और शीशा तोड़कर बाहर निकले। हालांकि, वे भी घायल हैं। यह बस नागपुर से पुणे जा रही थी।

एससीओ-सीएचएस की भारत की मेजबानी वाली जुलाई की बैठक में हिस्सा लेंगे शरीफ

जुलाई में भारत की मेजबानी में होने वाली एससीओ-सीएचएस की 23वीं बैठक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल होंगे। पीएम मोदी ने उन्हें इस बैठक में शिरकत करने का न्योता दिया था। भारत सितंबर में जी20 शिखर सम्मेलन की भी मेजबानी करने वाला है।  

यह बैठक 4 जुलाई को होगी। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने आज कहा कि एससीओ के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में भारत के प्रधानमंत्री ने एससीओ-सीएचएस मीटिंग में भाग लेने के लिए पाकिस्तान के पीएम को निमंत्रण दिया था।

एक बयान में उसने कहा कि एससीओ राष्ट्राध्यक्षों की परिषद (सीएचएस) की बैठक में नेता महत्वपूर्ण वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श करेंगे और एससीओ सदस्य देशों के बीच सहयोग की भविष्य की दिशा तय करेंगे। इस साल एससीओ सीएचएस संगठन के नए सदस्य के रूप में ईरान का भी स्वागत करेगा।

उन्होंने कहा कि सीएचएस में प्रधानमंत्री की भागीदारी दर्शाती है कि पाकिस्तान क्षेत्रीय सुरक्षा और समृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में एससीओ को कितना महत्व देता है। पीएम मोदी के निमंत्रण पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी इस बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हिस्सा लेंगे। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने इस बात की पुष्टि की है।  

एससीओ शिखर सम्मेलन का आयोजन पिछले साल उज्बेकिस्तान के समरकंद में किया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सहित संगठन के सभी शीर्ष नेताओं ने हिस्सा लिया था।

मणिपुर सीएम बीरेन सिंह के इस्तीफा देने को लेकर स्थिति अभी साफ़ नहीं

क्या लगातार जारी हिंसा के बाद मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की कुर्सी खतरे में हैं ? विपक्ष लगातार उनके इस्तीफे की मांग कर रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी पहले ही दो दिन के दौरे पर मणिपुर में हैं और आज शाम राज्यपाल से भी मिले हैं। मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के राज्यपाल से मिलने और इस्तीफा देने को लेकर स्थिति साफ़ नहीं है। उनके साथी विधायक लगातार उनपर दबाव बना रहे हैं कि वे इस्तीफा न दें। इन विधायकों ने ‘मुख्यमंत्री का फटा हुआ इस्तीफा’ पत्र की मीडिया के लोगों को दिखाया है। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि उन्होंने इस्तीफा नहीं देने का फैसला किया है। 

मणिपुर पिछले दो महीने से हिंसा की आग में जल रहा है। बीरेन सरकार राज्य में जारी जातीय हिंसा को रोक पाने में नाकाम रही है। कांग्रेस सहित विपक्ष लगातार उनके इस्तीफे और हिंसा पर रोक की मांग कर रहा है। सुबह से मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के  राज्यपाल से मिलने की खबर के बाद कयास लग रहे थे कि क्या वे इस्तीफा देने जा रहे हैं?

उधर खबर है कि इम्फाल में बीरेन सिंह के आवास के पास बड़ी संख्या में महिलाएं जुटी हैं जो मुख्यमंत्री का इस्तीफ़ा नहीं चाहतीं। उनके साथी विधायक भी उनपर इस्तीफा न देने के लिए जबरदस्त दबाव बनाये हुए हैं।

यह घटनाक्रम तब हो रहा है जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी मणिपुर में दो-दिवसीय दौरे पर हैं और प्रभावित लोगों से मिले हैं। बड़ी संख्या में महिलाओं ने उनके आने के स्वागत में प्लेकार्ड पकड़कर मार्च निकाला था। वे आज सो राहत शिविरों में जा चुके हैं। शाम को और लोगों से मिलेंगे। शाम को वे राज्यपाल अनुसुइया उइके से मिले हैं।

आज जब मणिपुर में हिंसा को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी के बारे में पत्रकारों ने सवाल पूछा तो राहुल गांधी ने कहा कि वह यहां आकर राजनीतिक मुद्दों पर टिप्पणी नहीं करेंगे। उन्होंने कहा – ‘मैं यहां कोई राजनीतिक टिप्पणी करने नहीं आया हूं। मैं यहां इन मुद्दों पर टिप्पणी नहीं करूंगा। मैं केवल यही चाहता हूं कि यहां जल्द से जल्द शांति लौटे।’

राहुल गांधी ने कहा कि जब वह मणिपुर में हिंसा से प्रभावित लोगों से मिले, तो उनका दिल टूट गया। एक इंस्टाग्राम पोस्ट में गांधी ने कहा – ‘मणिपुर में हिंसा के कारण जिन लोगों ने अपने प्रियजनों और घरों को खो दिया है, उनकी दुर्दशा को देखना और सुनना दिल दहला देने वाला है। मैं यहां जिस किसी भाई, बहन या बच्चे से मिलता हूं, उसके चेहरे पर मदद की गुहार है।’

हिंसाग्रस्त राज्य में शांति की अपील करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि ‘मणिपुर को जिस सबसे अहम चीज़ की ज़रूरत है, वह अमन है, ताकि हमारे लोगों के जीवन और आजीविका सुरक्षित रह सकें। हमारी सभी कोशिशों को उसी लक्ष्य के लिए एकजुट होना चाहिए।’

दिल्ली मेट्रो में अब ले जा सकेंगे शराब की दो बोतल, लेकिन पी तो खैर नहीं

ऐसे लोगों जो मेट्रो में सफर करते हुए शराब अपने साथ नहीं जा सकते थे, उनके लिए दिल्ली मेट्रो ने राहत भरा फैसला किया था। अब वे अपने साथ सिर्फ सीलबंद शराब की बोतल ले जा सकेंगे। अभी तक यह सुविधा सिर्फ मेट्रो की एयरपोर्ट लाइन पर ही थी। हालांकि, इसका यह मतलब नहीं होगा कोई मेट्रो के भीतर शराब पीने की कोशिश करे क्योंकि ऐसा होने पर सख्त सजा मिलेगी।

अब यात्री शराब की सील बंद बोतल सभी मेट्रो लाइन पर ले जा सकेंगे। इसका फैसला  सीआईएसएफ और मेट्रो अधिकारियों की एक समिति ने किया है। हालांकि, यात्री सिर्फ सीलबंद शराब की बोतल ही ले जा सकेंगे।

अधिकारियों के मुताबिक दिल्‍ली मेट्रो में दो शराब की बोतल ले जाने की इजाजत इस शर्त पर मिली है मेट्रो में शराब पीने या शराब के नशे में अप्रिय बर्ताव करने पर उचित कार्रवाई होगी। डीएमआरसी ने कहा – ‘मेट्रो यात्रियों से अनुरोध है कि वे यात्रा करते समय उचित व्यवहार बनाए रखें। यदि कोई यात्री शराब के नशे में अभद्र व्यवहार करते हुए पाया जाता है, तो कानून के प्रावधानों के तहत उचित कार्रवाई की जाएगी।’

बता दें दिल्ली मेट्रो में सामान ले जाने के अलग नियम हैं और वे सिर्फ 25 किलो का वजन ही साथ ले जा सकते हैं। सिर्फ एक बैग ही इतने वजन का होना चाहिए। दिल्‍ली मेट्रो में सभी रूपों में प्रतिबंधित स्पिरिट और ज्वलनशील तरल पदार्थ, विस्फोटक,  नुकीली वस्तु जैसे चाकू, खंजर, तलवार, क्लीवर, कटलरी, स्क्रूड्राइवर, रिंच, प्लायर या कोई भी अन्य उपकरण जिसकी लंबाई 7 इंच या 17.5 सेमी से अधिक है, ले जाने की इजाजत नहीं है।

राहुल गांधी मणिपुर यात्रा के दूसरे दिन मेइती समुदाय से मिले, दुःख दर्द जाना

कांग्रेस नेता राहुल गांधी हिंसा से प्रभावित मणिपुर राज्य के दौरे के दूसरे दिन आज (शुक्रवार) को मेइती समुदाय के लोगों से मिलने पहुंच गए हैं। उन्होंने प्रभावित लोगों से बातचीत की और उनका दुःख दर्द जाना।

जानकारी के मुताबिक राहुल गांधी कल इंफाल से 63 किलोमीटर दूर चुराचांदपुर में राहत शिविरों में शरण लिए हुए लोगों से मिले थे। इससे पहले तब विवाद पैदा हो गया जब उन्हें एक जगह पुलिस ने रोक दिया।

मणिपुर से आयी तस्वीरों और वीडियो में साफ़ दिख रहा है कि वहां महिलाओं ने राहुल के आने का खूब स्वागत किया। उन्होंने अपने हाथों में प्लेकार्ड ले रखे थे जिनमें राहील जेंदाबाद के नारे लिखे थे।

आज सुबह राहुल अपने दौरे के दूसरे दिन हेलीकॉप्टर से विष्णुपुर जिले के मोइरांग पहुंचे। जहाँ उन्होंने मेइती समुदाय के हिंसा प्रभावित लोगों से मुलाकात की है और पीड़ित लोगों का हाल चाल जाना है। गांधी मेइती समुदाय के लोगों से मिलने के बाद इंफाल लौटेंगे जहां वो सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत करेंगे।

रिपोर्ट्स के मुताबिक राहुल हिंसा को रोकने के लिए और लोगों तक राहत पहुंचाने के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं से बात करेंगे। इसके बाद गांधी मणिपुर से ही प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे जिसमें वो लोगों से हुई बातचीत की जानकारी देंगे।

इस बीच मणिपुर के कांगपोकपी जिले के हराओठेल गांव में गुरुवार सुबह सुरक्षा कर्मियों के साथ मुठभेड़ में दो लोगों की मौत हो गई। गोलीबारी की घटना में पांच लोग घायल हुए हैं। 

अमरनाथ यात्रा के लिए जम्मू शिविर से श्रद्धालुओं का पहला जत्था रवाना हुआ

तमाम तैयारियों के बीच अमरनाथ यात्रा के लिए श्रद्धालुओं का पहला जत्था ‘बर्फानी बाबा’ के नारों के बीच आज रवाना हो गया। जम्मू आधार शिविर से पहले जत्थे को जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस जत्थे में 3488 यात्री अमरनाथ के दर्शनों के लिए निकले।

यह यात्री शुक्रवार सुबह करीब चार बजे ‘बम-बम भोले’, ‘बर्फानी बाबा की जय’ और ‘भारत माता की जय’ के नारों के साथ दर्शन के लिए निकले। अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गए हैं। करीब 62 दिन तक चलने वाली यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं पर खाने-पीने की कुछ सामान पर प्रतिबंध लगाए गए हैं।

अमरनाथ यात्रा में रिकॉर्ड तोड़ तीर्थ यात्रियों के शामिल होने की उम्मीद है। यात्रा के लिए चप्पे-चप्पे पर फोर्स और पुलिस की तैनाती की गई है। केंद्र सरकार ने सुरक्षा बलों की अतिरिक्त कंपनियां जम्मू-कश्मीर भेजी हैं।

सीआररपीएफ के 160 बटालियन के कमांडेंट हरिओम खरे ने कहा कि अमरनाथ यात्रा के लिए सीआरपीएफ सीआररपीएफ पूरी तरह से तैयार है। हमारे साथ डॉग स्क्वॉड भी है। यात्रियों के साथ हमारी बड़ी टुकड़ी जाएगी। ड्रोन का इस्तेमाल भी हम कर रहे हैं।’