सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सुनने के बाद कैसा महसूस कर रहे हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने भारत की आधुनिक-समकालीन कला की आजादी और सम्मान का समर्थन करते हुए इसे पुनर्स्थापित किया है. दुर्भाग्य से इस मामले में राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्थाएं नाकाफी साबित हुई हैं. लेकिन मैं भारत को लेकर हमेशा आशान्वित रहा हूं. हमारा काम पिछले 5000 सालों से चल रहा है और ये सब मामूली अड़चने हैं. मेरे लिए ये फैसला इसलिए भी खास है क्योंकि इसका असर मुझसे कहीं आगे जाता है.
एक चित्र में अगर आपसे भारत से आपके संबधों को बताने के लिए कहा जाय, तो वो कैसा होगा?
पिछले एक साल से, हर शुक्रवार, मैं अपने परिवार को दुबई में इकठ्ठा करता हूं. जहां मैं उनके सामने अपने विचारों और दूसरी बातों को रखता हूं. इसमें एक दिन मैंने कहा कि ‘मैं ग्रेट इंडियन सर्कस का रंगीला जोकर हूं’. पिछले कुछ सालों से इस सर्कस के टेंट में दर्शकों की भीड़ बढ़ती ही जा रही है. अब यहां काफी धक्का-मुक्की होने लगी है. इसी धक्का मुक्की के बीच एक दिन मुझे भीड़ ने बाहर फेंक दिया. लेकिन मेरी जड़ें बहुत गहरी हैं. वो लोग मुझे तो बाहर फेंक सकते हैं, पर वे मेरी जड़ों को नहीं उखाड़ सकते.
अगर मौका मिले तो आप उन लोगों से क्या कहना चाहेंगे जो आपका विरोध करते रहे हैं?
मेरे दिल में कोई कड़वाहट नहीं है. उन सभी से मैं बस इतना कहना चाहूंगा कि वे आधुनिक-समकालीन कला को नहीं समझते. मगर वे आज नहीं तो कल इसे समझेंगे. हम एक लोकतांत्रिक देश हैं औऱ इसमें हर तरह की विचारधाराओं के लिए स्थान है. ये हिंदुस्तान की अनूठी ताकत है कि इस पर कई तरह के हमले हुए, इस पर कई तरह के प्रभाव पड़े, मगर यहां सभी एक होकर, एक साथ आगे बढ़े.
क्या आप अब खुद को व्यक्त करते समय थोड़ा सावधान रहते हैं?
नहीं, कतई नहीं. मैं अपनी कला को सिर्फ सौंदर्य की कसौटी पर कसता हूं. बाकी किसी चीज़ का मुझ पर कोई असर नहीं होता.
भारत के बारे में ऐसा विशेष क्या है जिसे आपने अपने चित्रों में उकेरने की कोशिश की है?
मेरे लिए भारत की सबसे खास चीज़ रोज जश्न मनाने की इसकी सोच है. आनंद और उत्सव भारत में जीवन के हर अंग से जुड़ा हुआ है. मैंने हमेशा चाहा है कि मेरा काम कुछ कहने वाला और लोक संस्कृति से जुड़ा हुआ हो.
हिंदू धर्म की किस खासियत को आपने अपनी कला का हिस्सा बनाया?
बहुत से हिंदू ग्रंथों में अनावृत्तता को शुद्धता का प्रतीक माना गया है. ये हिंदू धर्म का अनूठापन है और इसमें गहरा दर्शन छिपा है. इसके साथ यहां आनंद और खेल की भावना के साथ-साथ प्रकृति और ब्रह्मांड के जटिल गणित की समझ भी मिलती है. इन चीज़ों का मेरी कला में एक प्रमुख स्थान है. रामायण के दृश्यों की पेंटिंग बनाने में मैंने आठ साल लगाए. प्यार के अलावा और कौन सी चीज़ मुझसे ऐसा करवा सकती थी.
भारत के हिंदू और मुसलमान दोनों में संकीर्ण पवित्रता की भावना बढ़ गई है. आपके मुताबिक इसकी क्या वजह है?
इसका जबाब तो समाजशास्त्री ही दे सकते हैं, कलाकार तो महज़ स्वप्नदृष्टा होते हैं. जहां तक मैं समझता हूं दुनिया में कट्टरवादिता के उफान का एक आर्थिक आयाम भी है. आर्थिक उथल-पुथल के दौर में लोग अपनी-अपनी आस्थाओं को मज़बूती से जकड़ लेते हैं…सही से उनको समझे बिना.
क्या आप कला और जीवन में किसी चीज को अश्लील मानते हैं?
सिर्फ ढ़ोंग को, और किसी को नहीं.
क्या आप अब भारत वापस आएंगे?
मैं ऐसा ज़रूर करना चाहूंगा, लेकिन मुझे थोड़ा इंतज़ार और करना पड़ सकता है क्योंकि ये सिर्फ अदालती लड़ाई नहीं है, अभी भी सड़कों पर हिंसा होने का खतरा मौजूद हैं.