शिवपाल और अखिलेश के बीच सियासी जंग में मुलायम सिंह ने कहा कि अखिलेश के साथ रहे कार्यकर्ता
ख़तरनाक दिमाग़ी ज़हर
इन दिनों हर तरफ़ नफ़रत भरी बातें करते हुए लोगों की भीड़ आसानी से दिखायी दे जाती है। नफ़रत का यह ज़हर लोगों के दिमाग़ में ठीक उसी तरह बढ़ता जा रहा है, जिस तरह रक्त में कैंसर। यह दिमाग़ी ज़हर दो तरफ़ा घातक सिद्ध होगा- एक तरफ़ उनके लिए, जिनके प्रति लोगों के दिमाग़ में यह ज़हर भरा है। और दूसरी तरफ़ उनके लिए, जिनके दिमाग़ में यह ज़हर भरा है। लेकिन जिनके दिमाग़ में यह नफ़रत का ज़हर भरा है, उन्हें इसका अहसास नहीं है कि यह ज़हर उनके शरीर में कई तरह के विकार पैदा कर रहा है। वे मज़हब (धर्म) को समझकर उस पर सच्चाई से अमल करने के बजाय उसे उसी तरह अपने कट्टरता रूपी दाँतों से झिंझोड़ रहे हैं, जिस तरह एक कुत्ता किसी हड्डी को झिंझोड़ता है और अपने ही रक्त के स्वाद के आनन्द में डूबा रहता है। उसे न तो हड्डी का कोई फ़ायदा मिलता है और न ही वह हड्डी को कभी चबा पाता है।
मैंने ऐसे कई लोगों को देखा है, जो अपने मज़हब से ऐसे लिपटे रहते हैं, जैसे चंदन से कोई साँप। इससे वे और ज़हरीले होते जाते हैं। ऐसे लोग अपने मज़हब का किसी भी तरह से कोई फ़ायदा स्वयं भी नहीं ले पाते और दूसरों को भी नहीं लेने देते। उनकी नज़र में मज़हब उनके पाखण्ड और शारीरिक सजधज की वस्तु हैं। वे उसे सीने से लगाये रहने; उनके अनुसार उपासना का दिखावटी प्रयास करने; उनके अनुसार निर्धारित वेशभूषा में रहने और उन्हीं के अनुसार शारीरिक बनावट में ख़ुद को ढालकर रखने को ही सर्वोपरि समझते हैं। ये वे लोग हैं, जिन्होंने अपने-अपने मज़हबों के चारों तरफ़ इतनी ऊँची-ऊँची दीवारें उठा रखी हैं कि न तो वे दूसरे मज़हबों की अच्छाइयों को देखना चाहते हैं और न अपने मज़हब की अच्छाइयों तक दूसरे किसी मज़हब के लोगों को पहुँचने देना चाहते हैं। कुछ लोग तो इससे भी आगे बढ़कर अपने ही मज़हब के लोगों तक को अपने बनाये हुए उस दायरे तक नहीं पहुँचने देना चाहते, जो उन्होंने अपने को श्रेष्ठ साबित करने के लिए बना रखा है। ऐसे लोग अपने को दुनिया के सभी लोगों से श्रेष्ठ समझते हैं।
मज़े की बात तो यह है कि दुनिया में ऐसे लोगों की हर मज़हब में बहुतायत है, जो ख़ुद को ही सर्वश्रेष्ठ समझते हैं। हँसी इस बात पर आती है कि ये लोग उसी तरह खाते-पीते और गन्दगी करते हैं, जैसे बाक़ी सब करते हैं। उसी तरह पैदा हुए हैं, जैसे बाक़ी लोग और दूसरे प्राणी। ये लोग शारीरिक बनावट में भी किसी भी प्रकार से दूसरे लोगों से भिन्न नहीं हैं। सबकी तरह ही सम्भोग से ही पैदा हुए हैं और सम्भोग के बग़ैर अपना वंश बढ़ाने में असमर्थ हैं। फिर कोई श्रेष्ठ और कोई निकृष्ट कैसे हो सकता है? कोई ऊँच और कोई नीच कैसे हो सकता है? हाँ, ऊँच-नीच का एक पैमाना हो सकता है, और वो है- कर्मों का पैमाना। अगर कोई अपराधी है। निकृष्ट और घिनौने कर्म करता है। दूसरों पर अत्याचार करता है; तो वह नीच है। अगर कोई अच्छा है, तो वह श्रेष्ठ है।
आख़िर कोई नफ़रत फैलाकर ईश्वर का प्रिय कैसे हो सकता है? इसीलिए हर मज़हब में कहा गया है कि सबसे प्यार करो। सब पर दया करो। भूखों को भोजन कराओ। प्यासों को पानी पिलाओ। किसी का भी तन, मन और धन से बुरा मत करो। किसी को दु:ख मत पहुँचाओ। किसी का अनिष्ट मत करो और किसी पर अत्याचार मत करो। किसी की हत्या मत करो। घमण्ड मत करो। किसी से घृणा अथवा ईश्र्या मत करो। पाप से बचो। पुण्य के अवसर तलाशो। जब भी किसी का भला करो, तो यह समझकर करो कि यह ईश्वर का आदेश है। ईश्वर को सिवाय किसी से मत डरो।
एक कहावत है- ‘नेकी कर दरिया में डाल।‘ इसका अर्थ है कि नेकी करके भूल जाओ, उसे जताओ मत। लेकिन लोग यह अर्थ निकालते हैं कि किसी के साथ भला करो और उसके बुरे बनो। इसी के चलते लोगों ने इस तरह के मुहावरे भी बना रखे हैं कि ‘भलाई का ज़माना नहीं है।’ ‘अब तो भलाई के बदले बुराई मिलती है।’ ‘किसी का भला करोगे, तो बुरा फल ही मिलेगा।’ हो सकता है कि बहुत-से लोगों का यह अनुभव रहा हो। लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा है कि अपेक्षाएँ जहाँ होती हैं, वहाँ दु:ख स्वत: ही पैदा हो जाता है। क्या हम किसी को दान करते समय यह सोचते हैं कि वह भी हमें दान करेगा? कभी नहीं। तो फिर किसी का भला करते समय यह क्यों सोचते हैं कि उसे भी हमारा भला करना चाहिए? अगर सामथ्र्य नहीं है, तो भला मत करो। अथवा उतना ही भला करो, जितनी सामथ्र्य है। लेकिन यह सोचकर भलाई मत करो कि सामने वाला आपको इसके बदले में कुछ देगा। लेकिन कर्म एक ऐसी चीज़ है, जिसका फल आदमी को बिना माँगे भी ज़रूर मिलता है। लेकिन लोग प्यार के बदले प्यार की अपेक्षा तो करते हैं; जबकि नफ़रत, बुराई, गाली और ईष्र्या देकर इनकी वापसी नहीं चाहते। परन्तु इन सबकी वापसी तय है और हर हाल में मिलेगी।
सोनिया गांधी ने सदस्यता के आखिरी दिन किया खुद को डिजिटल रूप में नामांकित
कांग्रेस के विशेष सदस्यता अभियान के तहत शुक्रवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने डिजिटल रूप में नामांकन किया। आज सदस्यता अभियान का आखिरी दिन था। कांग्रेस के आंतरिक चुनाव की प्रक्रिया अगले महीने से शुरू हो जाएगी।
कांग्रेस के मुताबिक अब तक 2.6 करोड़ से अधिक कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने डिजिटल रूप में सदस्य के तौर पर खुद को नामांकित किया है। इसके अलावा तीन करोड़ अन्य कार्यकर्ताओं ने पार्टी के 137 साल पुराने इतिहास में पहली बार की जा रही इस कवायद में पेपर नामांकन सिस्टम के जरिये खुद को पंजीकृत किया है।
हाल के विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद कांग्रेस खुद को सक्रिय करने में जुटी हुई है। संगठन और नेतृत्व में बदलाव की तैयारी हो रही है। हाल में पार्टी के असंतुष्ट नेता सोनिया गांधी से मिले हैं और उन्हें कुछ सुझाव भी दिए हैं। इन नेताओं का कहना है कि वे कांग्रेस से बाहर नहीं जा रहे हैं।
पार्टी में ‘बोगस’ सदस्यता को लेकर भी खूब सवाल उठे हैं। लिहाजा पार्टी ने एक मेंबरशिप ऐप तैयार किया है जिसमें पार्टी नेता और कार्यकर्ता चार स्तरीय सत्यापन प्रक्रिया के जरिये नामांकन कर सकते हैं। यह ऐप केवल पार्टी के अधिकृत नेताओं के लिए है और कार्यकर्ताओं को ही इसका उपयोग करने की इजाजत है। पार्टी मंत्री है इससे बोगस सदस्यता पर रोक लग जाएगी।
महंगाई का असर नीबू-मिर्च की माला पर
अरुणाचल प्रदेश में भूकंप के झटके, रिक्टर स्केल पर 4.9 थी तीव्रता
अरुणाचल प्रदेश में शुक्रवार सुबह भूकंप के झटके महसूस किये गए हैं। यह भूकंप पैन्गीन के पास केंद्रित रहा। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 4.9 मापी गयी है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी ने बताया कि शुक्रवार सुबह अरुणाचल प्रदेश में पैन्गीन के निकट रिक्टर पैमाने पर 4.9 तीव्रता वाले भूकंप के झटके महसूस किए गए।
जानकारी के मुताबिक भूकंप का केंद्र अरुणाचल का पैन्गीन क्षेत्र था। यह 1176 किलोमीटर उत्तर (एन) में था। भूकंप के झटके भारतीय समयानुसार सुबह 6:56 बजे महसूस किये गए। यह भूकंप सतह से 30 किलोमीटर की गहराई में आया।
प्रतिबंध के बाद भी पोर्न फिल्मों का फल-फूल रहा कारोबार
मेघालय में चक्रवाती तूफान का कहर, 1000 से अधिक लोग हो गए बेघर
मेघालय में चक्रवाती तूफ़ान ने जमकर तबाही मचाई है। राज्य के री-भोई जिले में आए इस तूफान में 47 गाँव प्रभावित हुए हैं जबकि 1000 से अधिक लोग बेघर हो गए हैं। हालांकि, तूफ़ान में किसी जानी नुकसान की कोई खबर नहीं है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक री-भोई जिले के 47 गांव तूफान से जबरदस्त प्रभावित हुए हैं। वहां सैकड़ों घरों को नुकसान पहुंचा है और उनके क्षतिग्रस्त होने से लोग बेघर हो गए हैं। बताया गया है कि तूफान में निजी के अलावा सरकारी संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा है। अधिकारियों के मुताबिक तूफान में बीडीओ कार्यालय, एक स्कूल, लोक निर्माण विभाग का कार्यालय और पशु चिकित्सालय शामिल हैं।
सभी संबंधित विभागों को प्रभावित गांवों में निकासी और बहाली कार्यों के काम पर लगा दिया गया है। अधिकारियों के मुताबिक डीसी ने हालात का जायजा लेने के लिए सभी संबंधित बीडीओ के साथ इमरजेंसी बैठक की है।
उधर पुलिस, वन और पीडब्ल्यूडी (आर) को तुरंत मंजूरी और बहाली के लिए जरूरी कार्रवाई करने का जिम्मा सौंपा गया है। मेघालय एनर्जी कारपोरेशन लि. ने प्रभावित जिले में बिजली आपूर्ति बहाल करने के लिए टीम भेजी है। उमसिंग प्रखंड पर भी तत्काल यातायात बहाल कर दिया गया और जरूरी कार्रवाई के लिए सभी बीडीओ के साथ ऑनलाइन आपात बैठक की गयी है।
नया विवाद: यूनिवर्सिटी की दीवारों पर लगाए पोस्टर – ‘भगवा जेएनयू’
लगातार विवादों के चलते जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) इन दिनों सुर्ख़ियों में है। अब नया विवाद जेएनयू की बाहरी दीवारों पर भगवा झंडे और विवादित पोस्टर लगाने से पैदा हो गया है। इन पोस्टरों में लिखा है – ‘भगवा जेएनयू’ और इन्हें हिन्दू सेना ने लगाया है।
जानकारी के मुताबिक हिंदूवादी संगठन ‘हिन्दू सेना’ की तरफ से ये झंडे और पोस्टर यूनिवर्सिटी के बाहरी सड़क और मुख्य गेट के करीब लगाए गए हैं। कुछ रोज पहले जेएनयू में रामनवमी के दिन वामपंथी छात्र संगठन (एसएफआई) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के बीच खाने के हिंसा हो गयी थी। इस घटना में कई छात्र घायल हो गए थे।
अब हिंसा के बाद यह ये पोस्टर और झंडे लगने से फिर तनाव पैदा हो गया है। यह विवादित झंडे और पोस्टर लगाने के बाद साफ़ हो गया है कि देश की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में साम्प्रदायिक ज़हर घोलने की घिनौनी कोशिश हो रही है।
याद रहे रामनवमी के दिन कावेरी हॉस्टल में नॉनवेज खाना परोसे जाने के बाद वहां हिंसा हो गयी थी। लेफ्ट विंग के छात्रों ने आरोप लगाया था कि एबीवीपी से जुड़े छात्रों ने हॉस्टल में आकर मेस स्टाफ को नॉनवेज परोसने से रोक दिया। यही नहीं उन्होंने वहां उपस्थित छात्रों पर हमला भी किया। उधर एबीवीपी का कहना था कि लेफ्ट विंग के छात्रों ने रामनवमी की पूजा रोकने की कोशिश की थी। बता दें पुलिस इस घटना की जांच कर रही है
प्रधानमंत्री मोदी ने डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर की जयंती पर दी श्रद्धांजलि कहा, “भारत की प्रगति में बाबासाहेब ने दिया अमिट योगदान”
भारतीय संविधान के निर्माता और दलित अधिकारों के चैंपियन डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर की जयंती प्रत्येक वर्ष देशभर में 14 अप्रैल को मनायी जाती है। इस दिन ब्रिटिश कोलंबिया, कनाडा में ‘अंबेडकर समानता दिवस’ भी मनाया जाता है। इस दिन देश के अलग-अलग हिस्सों में उनके समर्थक लोगों को मिठाइयां व खाना खिला कर उनकी जयंती को त्योहार के रूप में मना रहे है।
अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था। वे महार जाति के थे जिसे हिंदू धर्म में अछूत माना जाता था। उन्हें बचपन से ही भेदभाव और उत्पीड़न जैसी सामाजिक बुराइयों से जूझना पड़ा था। और इन बुराइयों के खिलाफ उन्होंने समाज में जाति व्यवस्था का कड़ा विरोध और अनगिनत योगदान भी किये। उन्होंने 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में 500,000 समर्थकों के साथ वर्षों तक धर्म का अध्ययन करने के बाद बौद्ध धर्म ग्रहण किया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी है और ट्वीट कर कहा कि, “डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि। उन्होंने भारत की प्रगति में अमित योगदान दिया है। यह हमारे देश के लिए उनके सपनों को पूरा करने की हमारी प्रतिबद्धता को दोहराने का दिन है।“
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी डॉ भीमराव अम्बेडकर की जयंती पर श्रद्धांजलि दी है और कहा कि, “बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर जी के विचारों के अनुगमन से आदरणीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में ‘सामाजिक न्याय’ का संकल्प फलीभूत हो रहा है। आइए, सामाजिक न्याय पखवाड़ा व बाबा साहेब की जयंती के अवसर पर ‘स्वतंत्रता, समता व बंधत्व’ के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने हेतु संकल्पित हों।“
वहीं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी ट्वीट कर लिखा कि, संविधान शिल्पी परम पूज्य बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती पर उनके अनुयायियों की ओर से उन्हें शत्-शत् नमन व हार्दिक श्रद्धा-सुमन। करोड़ों कमजोर व उपेक्षित वर्गों तथा मेहनतकश समाज आदि के हित व कल्याण के प्रति उनके महान व ऐतिहासिक योगदान के लिए देश हमेशा ऋणी व कृतज्ञ।“
आंध्र प्रदेश में दवा इकाई में गैस रिसाव के बाद आग लगने से 6 की मौत
आंध्र प्रदेश में एक दवा इकाई में गैस रिसाव से बुधवार-गुरूवार की मध्य रात्रि 6 लोगों जबकि 12 अन्य बीमार बीमार हो गए हैं। सरकार ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक यह हादसा आंध्र प्रदेश के एलुरु जिले के अक्कीरेड्डीगुडेम में हुआ जहाँ इकाई में गैस रिसाव के कारण एक रिएक्टर में विस्फोट के बाद आग लग गयी। जानकारी के नुसार आग लगने के समय 18 लोग फार्मास्युटिकल प्लांट की यूनिट 4 में काम कर रहे थे।
जानकारी के मुताबिक जान गंवाने वाले छह में से चार बिहार के प्रवासी श्रमिक थे। आग पर दो घंटे बाद काबू पाया जा सका। हादसे के कारण छह लोगों की मौत हो गई और 12 अन्य घायल हो गए।
मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने घटना पर दुख जताते हुए मृतकों के परिजनों को 25 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है, साथ ही घटना के जांच आदेश दिए हैं। उन्होंने गंभीर रूप से घायलों को पांच-पांच लाख रुपये और मामूली रूप से घायल हुए लोगों को दो-दो लाख रुपये मुआवजा देने की भी घोषणा की। सीएम ने अधिकारियों को घायलों की स्थिति पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं।