'विमर्श अच्छा भी हो सकता है लेकिन साहित्यिक दृष्टि से इसका महत्व गौण है'

फिलहाल क्या लिख-पढ़ रहे हैं?

फिलहाल एक कहानी लिख रहा हूं जिसका नाम है रिवॉल्वर. इसके पूर्व मेरा कहानी संग्रह भूलना  प्रकाशित हो चुका है. इन दिनों उम्बर्तो इको  का उपन्यास द आइलैंड ऑफ द डे बिफोर पढ़ने में लगा हुआ हूं साथ ही हिंदी पत्रिका तद्भव  भी बड़ी रुचि से पढ़ रहा हूं.

किस विधा में लिखना पसंद है?

एक शब्द में कहूं तो कहानी. सिर्फ कहानी ही लिखता हूं.

किसके जैसा लिखने की इच्छा होती है?

उदय प्रकाश की कहानी तिरिछ मुझे बेहद पसंद है. ज्ञानरंजन  की बहुत सी कहानियां हैं जो मुझे बेहद करीब महसूस होती हैं. इसके अलावा जैसा गालिब ने लिखा है उसी तरह का कुछ गद्य में लिखने की इच्छा है मेरी. 

कोई रचना जो अलक्षित रह गई.

किसी एक रचना का नाम तो नहीं ले सकता लेकिन कुछ कहानियां हैं जो इसका शिकार हो गईं. प्रियंवद की कहानी थी अधेड़ औरत का प्रेम. इसी तरह से नवीन कुमार नैथाणी  की एक कहानी थी पुल जो बिल्कुल अनजान रह गई. 

रचना जिसे बेमतलब की शोहरत मिली.

इस तरह की रचनाओं की लंबी लिस्ट है. मसलन विमर्श पर आधारित उपन्यासों की बात करें तो ये एक बढ़िया विमर्श तो हो सकता है लेकिन साहित्यिक दृष्टि से इनका कोई महत्व नहीं होता. मैत्रेयी पुष्पा  का उपन्यास अल्मा कबूतरी और कही ईसुरी फाग इसी तरह की रचनाएं हैं.

विमर्शों के प्रति क्या विचार हैं?

विमर्श होने चाहिए पर इन दिनों देखने में आ रहा है कि जो लोग साहित्यिक विधाओं को संभालने में नाकाम हो जाते हैं वो विमर्शों की आड़ में खुद को स्थापित करने की कोशिश करते हैं. विमर्श अच्छा भी हो सकता है लेकिन साहित्यिक दृष्टि से इसका महत्व गौण है.

हाल में खरीदी गई पुस्तक?

रेणुजी और मंटो  का समग्र संकलन खरीदा है. इसके अलावा उदय प्रकाश  का कविता संग्रह एक भाषा हुआ करती थी भी खरीदा है. 

अतुल चौरसिया