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मातोश्री क्या पहुंचे सचिन, सिक्योरिटी कैटेगरी ही बदल गई ! फैंस आहत! आदित्य ठाकरे को ‘ज़ेड़’ कैटिगिरी।

एक दिन पहले शिवसेना के हेडक्वार्टर ‘मातोश्री’ जाकर शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे से मिलकर खुश हुए क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर को यह जानकर कैसा लगा होगा कि उनकी ‘एक्स’ कैटेगरी की सुरक्षा वापस ले ली गई है, यह तो वही जाने लेकिन इस बदलाव से सचिन के कई फैंस आहत जरूर हुए हैं।वहीं पर शिवसेना की तीसरी पीढ़ी के प्रतिनिधि, शिवसेना एमएलए, व महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे की सुरक्षा बढ़ा कर ‘ज़ेड़’ कैटिगिरी कर दी गई है। इससे पहले आदित्य को ‘वाय प्लस ‘ कैटेगरी की सुरक्षा मिली हुई थी।

सचिन तेंदुलकर के अलावा कई अन्य महत्वपूर्ण लोगों की सुरक्षा कैटेगरी में बदलाव किए गए हैं। दरअसल महाराष्ट्र सरकार की एक समिति ने सुरक्षा समीक्षा के बाद वीआइपीज पर खतरे का आकलन करते हुए उनकी सुरक्षा में बदलाव की सिफारिश की गई थी। कुछ सम्माननीय लोगों की सुरक्षा कैटेगरी में कोई बदलाव नहीं किया गया। समिति ने हाल की एक मीटिंग में तेंदुलकर और आदित्य ठाकरे के अलावा 90 से अधिक वीआईपीज को दी गई सुरक्षा का आंकलन किया था।

एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार को ‘जे़ड प्लस’ कैटिगिरी और उनके भतीजे अजीत पवार को ‘जे़ड’ कैटेगरी की मिली सुरक्षा जारी रहेगी। जहाँ जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता अण्णा हजारे की सुरक्षा ‘वाई’ प्लस से बढ़ाकर ‘जे़ड ‘ की कर दी गई वहीं जानेमाने सरकारी अधिवक्ता उज्जवल निकम की सुरक्षा ‘जे़ड प्लस’ घटाकर वाई’कैटगरी कर दी गई है।

किसी जमाने में कट्टर शिवसैनिक रहे और वाया कांग्रेस बीजेपी में अपनी जमीन तलाश रहे नारायण राणे की सुरक्षा कैटिगिरी भी बदल दी गई है। सीनियर बीजेपी लीडर व यूपी के पूर्व गवरनर राम नाईक की सुरक्षा जे़ड प्लस से घटाकर एक्स कैटिगिरी कर दी गई है । बीजेपी के ही अन्य के लीडरान व पूर्व मिनिस्टर एकनाथ खड़से और राम शिंदे की सुरक्षा कैटिगिरी घटाई गई है।

महाराष्ट्र में 10 रुपये का शिवभोजन और एक रुपये वाला ‘झुणका भाकर’

महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के माह भीतर ही शिवसेना की दस रुपये में पौष्टिक भोजन मुहैया कराने की महत्वाकांक्षी योजना मूर्त रूप लेने लगी है।

गौरतलब है कि शिवसेना अपने शासनकाल में एक बार पहले भी जरूरतमंदों को पौष्टिक आहार के तौर पर एक रुपए में ‘झुणका भाकर’ योजना शुरु करवा चुकी है।

आबकी शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन सरकार राज्य में गरीब जरूरतमंद लोगों को ₹10 उपलब्ध कराने की योजना को मंत्रिमंडल की हरी झंडी मिल गई है। इस योजना के पहले चरण के तहत प्रायोगिक तौर पर प्रतीक जिला मुख्यालय कम से कम एक भोजनालय एवं प्रत्येक भोजनालय में कम से कम 500 थाली मंजूरी सरकार को दे दी है। इस योजना के लिए 6 करोड़ 48 लाख रुपए खर्च अपेक्षित है। सरकार की ओर से शुरू किए गए भोजनालय में 30 ग्राम की दो रोटी, 100 ग्राम एक कटोरी सब्जी, 150 ग्राम भात और 100 ग्राम की एक कटोरी दाल से भरी शिवभोजन की थाली सिर्फ 10 रूपए में दी जाएगी। यह भोजनालय दोपहर 12 से2 बजे तक शुरू रहेगा।

सब्सिडी देगी सरकार

‘शिवभोजन’ थाली की कीमत शहरी क्षेत्र में प्रतिथाली 50 रुपए और ग्रामीण क्षेत्र में 35 रुपए होगी। प्रत्येक ग्राहक से सिर्फ 10 रुपए लिए जाएंगे। शेष रकम अनुदान के रूप में सीधे जिलाधिकारियों के जरिए संबंधितों वितरित की जाएगी। शहरी क्षेत्र के लिए प्रतिथाली 40 रुपए और ग्रामीण क्षेत्र के लिए प्रतिथाली 25 रुपए अनुदान मिलेगा।

कौन शुरू कर सकता है भोजनालय

शिव भोजनालय शुरू करने के लिए इच्छुक व्यक्ति की खुद की पर्याप्त जगह होना जरूरी है। योजना चलाने के लिए वर्तमान में शुरू होटल, महिला बचतगट, भोजनालय, रेस्टॉरंट, गैरसरकारी संस्था इनमें से सक्षम ऐसे भोजनालय का चयन किया जाएगा। इसके लिए महापालिका स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में और तहसील स्तर पर तहसिलदार की अध्यक्षता में समिति स्थापित की जाएगी। गरीब तथा मजदूरों की अधिक जनसंख्या वाले इलाकों के अलावा जिला अस्पताल, बस स्टेशन , रेलवे स्टेशन परिसर, मार्केट (हाट बाजार), सरकारी कार्यालय जैसे जगहों पर यह भोजन सुविधा मुहैया करवाने की योजना है ।

स्वयंसेवी संस्थाएं भी होगी शामिल

योजना पर नियंत्रण, पर्यवेक्षण रखने के लिए राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्चाधिकार समिति रहेगी। यह समिति सभी पर्यायों पर विचार कर इस योजना का अगला चरण तय करने के लिए कार्यवाही करेगी। साथ ही सेंट्रल किचन, स्वयंसेवी संस्था, सार्वजनिक न्यास एवं सीएसआर और वीएसटीएफ आदि को शामिल करने को लेकर निर्णय लिया जाएगा और सरकार की सहभागिता के बारे में तय करेगा। इसके अलावा यह योजना शाश्वत और अधिक दिनों तक चल सकने के लिए यह समिति क्रॉस सबसिडी एवं सार्वजनिक- निजी भागीदारी के तत्वों का भी उपयोग करने पर ज़ोर देगी।

नयी नहीं है भोजन योजना

गौरतलब है कि इसके पहले शिवसेना ने अपने शासनकाल में एक रुपए में झुणका भाकर देने की योजना शुरू की थी। ₹1 में झुणका भाखर स्कीम को अच्छा प्रतिसाद मिला था लेकिन शिवसेना सरकार के चले जाने के बाद इस योजना ने दम तोड़ दिया। हालांकि मुंबई में काफी सालों तक 2-3 झुंणका भाकर केंद्र चलते रहे लेकिन बाद में वे भी बंद हो गये।

झुणकाभाकर

_यह महाराष्ट्र का एक पारंपरिक मुख्य डिश है। दरअसल यह भोजन महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में खाया जाता है। किसानों , गरीब व मजदूरों के लिए एक सस्ता और पौष्टिक भोजन के तौर पर देखा जाता है। ऐसा नहीं ऐसा नहीं है कि इसे सिर्फ मजदूर और किसान वर्ग ही खाता है। झुणका भाकर अब शहरों में भी महाराष्ट्रीयन स्पेशल डिश के तौर पर महंगे होटलों के मेन्यू में शामिल है।_

झुणका बेसन के घोल से तैयार किया जाता है। साथ ही इसमें राई, अदरक, लहसुन और प्‍याज का तड़का भी लगाया जाता है। इसे बाजरे या ज्‍वार की रोटी जिसे भाकरी कहते हैं, के साथ खाते हैं।

ठाकरे पर टिप्पणी से खफा शिव सैनिकों ने कर दिया मुंडन, एफआईआर की तैयारी

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के ब्यान के बाद, मुम्बई पुलिस ने उस व्यक्ति,  जिसने उद्धव को लेकर एक आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, को सार्वजनिक रूप से पीटने और उसके बाल काटने वाले लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की तैयारी कर ली है। पुलिस ने कहा कि इस व्यक्ति को ब्यान के लिए बुलाया गया है।

इस व्यक्ति की टिप्पणी के बाद  शिवसैनिकों का गुस्सा भड़का गया और उन्होंने सकी पिटाई की और उसके बाल काट डाले। रिपोर्ट्स के मुताबिक फेसबुक पर मुंबई के वडाला में रहने वाले सुनील तिवारी ने १९ दिसंबर को उद्धव ठाकरे की ओर से डाली गई एक पोस्‍ट पर आपत्तिजनक कमेंट किया जिसके बाद रविवार को शिवसेना के नेता समधन जुकदेव और प्रकाश हसबे के नेतृत्व में कुछ लोगों ने शांतिनगर में उसके घर के बाहर उससे मारपीट की और उसका मुंडन करा दिया।

घटना की जानकारी पर सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा विरोध का हमारा तरीका सही होना चाहिए। इसके बाद बडाला टीटी पुलिस ने सीआरपीसी की धारा १४९ के तहत दोनों पक्षों को नोटिस जारी किया है। तिवारी ने दावा किया कि वह पहले विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़ा था और उसे पीटने वाले लोगों को कानून अपने हाथ में लेने के बजाय उसके पोस्ट पर कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए थी।

पहले एक पुलिस अधिकारी ने कहा था कि तिवारी और उसके साथ मारपीट करने के आरोपियों के बीच समझौता हो गया है और यदि पुलिस को कोई शिकायत मिलती है तो मामला दर्ज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि तिवारी को बयान के लिए बुलाया गया है लेकिन अभी वो आया नहीं है। पुलिस ने कहा कि वो नहीं आता है तो भी सयुमोटो मामला दर्ज किया जाएगा।

उधर उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे ने ट्वीट कर ट्रोल करने वाली हरकतों को खराब बताया। आदित्य ने कहा कि ट्रोलर ने मुख्यमंत्री उद्धव के लिए असभ्य भाषा का प्रयोग किया, जबकि वो सीएए से उपजे असंतोष के बीच राज्य में शांति-व्यवस्था कायम करने में लगे हुए हैं। उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं की रिएक्शन को गुस्से में दी गई त्वरित प्रतिक्रिया बताया, साथ ही बिना नाम लिए कहा कि तिवारी जैसे धमकीबाज और गालीबाज लोगों को जवाब देना हमारा काम नहीं होना चाहिए। दिलचस्प है कि सीएम उद्धव ठाकरे ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया में १५  दिसंबर की पुलिस कार्रवाई की तुलना जालियांवाला बाग से की थी।

राहुल-प्रियंका को लेकर हरियाणा के मंत्री के बेतुके बोल

विवादास्पद बयानों से अक्सर चर्चा में रहने वाले हरियाणा के मंत्री ने एकबार फिर से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को लेकर विवादित व आपत्तिजनक बयान दिया है। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी को ‘लाइव पेट्रोल बम’ कह डाला। उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों जहां भी जाते हैं, आग लगाते हैं और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं।

विज की टिप्पणी तब आई है, जब सोमवार को ही योगी सरकार वाले उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के दोनों दिज्गज नेताओं को मेरठ के अंदर घुसने नहीं दिया था। उनको सीमा से ही बैरंग दिल्ली लौटा दिया था। इसके पीछे धारा-144 लागू होने का हवाला दिया था। प्रियंका-राहुल नागरिकता कानून को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसक प्रदर्शन में मारे गए युवकों के परिजनों से मिलने जा रहे

बता दें कि पिछले सप्ताह मेरठ में सीएए के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शनों में तीन लोगों की मौत हो गई थी। यहां पर कुछ उपद्रवियों ने इस्लामाबाद  पुलिस चौकी को आग के हवाले कर दिया था। अकेले यूपी में ही अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा हिंसा लखनऊ, कानपुर, मेरठ, रामपुर, बिजनौर, वाराणसी, गोरखपुर व अन्य शहरों में हुई। इससे पहले कांग्रेस नेता इमरान मसून ने योगी सरकार की तुलना जनरल डायर से की थी, जिसमें कहा था कि वे प्रदर्शनकारियों पर जो दमन का तरीका अपना रहे हैं, वो ब्रिटिश हुकूमत यानी गुलामी की याद दिलाता है।

बुर्किना फासो में आतंकी हमले में ३६ नागरिक, ७ जवान मारे गए, जवाबी कार्रवाई में ८० आतंकी भी ढेर  

नाइजर और माली के बगल में बेस देश बुर्किना फासो में मंगलवार देर रात एक आतंकी हमले में ३५ लोगों की मौत हो गयी है। रिपोर्ट्स में बताया गया है कि इनमें ज्यादातर महिलाएं हैं। सात सैनिक भी मारे गए जबकि जवाबी कारर्वाई में सुरक्षा बलों ने ८० आतंकी भी मार डाले।

हमले के बाद बुर्किना फासो के राष्‍ट्रपति ने एक ब्रॉडकास्ट में कहा – ”आतंकवादी हमले के बाद सुरक्षाबलों ने मुस्‍तैदी से आतंकियों से लोहा लिया और ८० आतंकियों को मार गिराया।” बुर्किना फासो की सेना के ब्यान के मुताबिक मुठभेड़ में सात  जवान भी शहीद हो गए। पश्चिम अफ्रीकी देश में पिछले पांच वर्ष में यह सबसे घातक हमला है। हमले में कई सैनिक अभी घायल हैं।

राष्‍ट्रपति ने रक्षा और सुरक्षा बलों की वीरता और प्रतिबद्धता की सराहना की है।  राष्‍ट्रपति ने टि्वटर पर जानकारी देते हुए बताया – ”अरबिंदा शहर में हुए इस हमले में ८० आतंकवादी मारे गए, लेकिन इस हमले में ३५ नागरिकों की भी जान गई है। सबसे अधिक संख्‍या महिलाओं की है। साथ ही ७ जवान भी शहीद हो गए हैं।”
बताया जा रहा है कि पिछले पांच साल में बुर्किना फासो में की गई यह सबसे बड़ी आतंकी घटना है। बताया जा रहा है कि अरबिंदा शहर में एक सैन्‍य ठिकाने पर आतंकियों ने हमला किया। बुर्किना फासो के पड़ोसी देश माली और नाइजर में २०१५  में कई आतंकी वारदातें हुई थीं। राष्‍ट्रपति रोच मार्क काबेर ने देश में ४८ घंटे का राष्‍ट्रीय शोक का ऐलान किया है।

जयंती पर वाजपेयी को याद किया, पीएम ने शुरू की अटल जन योजना

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को ९५वीं जयंती पर देश याद कर रहा है। उन्हें तमाम बड़े नेताओं ने बुधवार को ”सदैव अटल स्मारक” पर जाकर श्रद्धांजलि दी। इन नेताओं में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हैं। उधर पीएम मोदी ने आज ही एक अलग कार्यक्रम में अटल जल योजना की भी शुरुआत की।

अटल के जन्मदिन के मौके पर देश के कई हिस्सों में कार्यक्रम हो रहे हैं। सुबह दिल्ली स्थित ”सदैव अटल स्मारक” पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि दी। प्रार्थना सभा का आयोजन  भी किया गया।

इस मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत अन्य नेताओं ने सदैव अटल पहुंच दिग्गज नेता को श्रद्धांजलि दी।

उधर पीएम मोदी ने दिल्ली के विज्ञान भवन में एक कार्यक्रम में ”अटल जल योजना” की शुरुआत की। पीएम ने कहा कि जल संकट विकास को भी प्रभावित भी करता है।

अटल के श्रदांजलि कार्यक्रम में वाजपेयी के परिवार के सदस्य भी मौजूद रहे। भजन गायक अनूप जलोटा की ओर से इस श्रद्धांजलि सभा में भजन गाकर श्रद्धांजलि दी गयी।

इससे पहले पीएम मोदी ने ट्वीट कर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने अटल बिहारी से जुड़े भाषण, वीडियो और कुछ तस्वीरों को ट्वीट किया। गृह मंत्री अमित शाह ने भी अपने ट्वीट में लिखा, ”पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयीजी ने अपनी राष्ट्रवादी सोच, बेदाग छवि और राष्ट्र समर्पित जीवन से भारतीय राजनीति में एक अमिट छाप छोड़ी। विचारधारा और सिद्धांतों पर आधारित अटलजी के जीवन में सत्ता का तनिक मात्र मोह नहीं रहा। उनके नेतृत्व में देश ने सुशासन को चरितार्थ होते देखा।”

एनआरसी का एनपीआर से कुछ लेनादेना नहीं : शाह  

देश में एनआरसी और नागरिकता क़ानून के आलावा एनपीआर पर मचे घमासान के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को साफ़ किया कि एनआरसी का एनपीआर से कुछ लेना देना नहीं है।

एक समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में शाह ने कहा – ”एनआरसी और एनपीआर में कोई संबंध नहीं है। मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि दोनों अलग-अलग चीजें हैं। फिलहाल एनआरसी बहस का मुद्दा नहीं है, क्योंकि अभी इसे देशभर में लागू करने पर कोई विचार नहीं किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सही कहा कि इस पर अभी केबिनेट या संसद में कोई बात नहीं हुई है।”

शाह ने कहा कि जनगणना और एनपीआर दोनों साथ चलने वाली प्रक्रियाएं हैं। उन्होंने कहा कि यह दस साल में होती है और २०११ में हुई थी लिहाजा २०२१ में होना जरूरी है। ”एनपीआर हमारे घोषणा पत्र का एजेंडा नहीं है। यह यूपीए सरकार का कानून है और यह अच्छी प्रक्रिया है। इसके लिए लाखों लोगों को ट्रेनिंग दी जानी है। हर राज्य में दफ्तर बनाए जाने हैं। हम अभी नहीं करेंगे तो यह समय से पूरा नहीं होगा। डेढ़ साल की प्रक्रिया है। अभी भी हम थोड़ा लेट हो गए हैं।”

गृह मंत्री ने कहा कि ”एनपीआर जनसंख्या के आधार पर योजनाओं का आकार और आधार बनता है। एनआरसी में लोगों से नागरिकता का सबूत मांगा जाता है। एनपीआर के लिए जो प्रक्रिया चलेगी, वह एनआरसी से संबंधित नहीं है। एनपीआर भाजपा ने नहीं शुरू किया है।”

उन्होंने कहा कि २००४ में यूपीए सरकार ने कानून बनाया था, जिसके तहत यह प्रक्रिया शुरू की गई। साल २०१० में जनगणना के वक्त इस प्रक्रिया को शुरू किया गया। सरकार कुछ नया नहीं लाई है। एनपीआर का कोई डाटा एनआरसी के उपयोग में आ ही नहीं सकता है। एनपीआर में कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। अगर कोई जानकारी मौजूद नहीं है तो कोई बात नहीं।

शाह ने कहा कि ”कुछ चीजें एनपीआर में नई हैं। इनके आधार पर योजनाओं का खाका बनता है। अगर कोई इसका विरोध करता है तो वह गरीबों का विरोध कर रहा है। गुजरात में ओडिशा, यूपी, बिहार से लोग बस गए हैं। अब इन लोगों के लिए कोई योजना बनानी है तो इसका आधार क्या होगा कि ऐसे कितने लोग हैं।”

गृह मंत्री ने कहा कि २०१५ में इसका अपडेशन किया गया था, लेकिन दस साल में देश में उथल-पुथल मच जाती है। वो करें तो समस्या नहीं, हम करें तो समस्या है।
नागरिकता संशोधन कानून में किसी की नागरिकता लेने का प्रावधान नहीं है, नागरिकता देने का प्रावधान है। देश के मुस्लिमों को डरने की जरूरत नहीं है। एनपीआर का नोटिफिकेशन ३१ जुलाई को भेज दिया था। बहुत सारे राज्यों ने नोटिफाई किया था। सीएए के लिए जनता के मन में भय दूर हो गया है इसलिए कुछ लोग एनपीआर का भय खड़ा करना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि बंगाल और केरल के मुख्यमंत्रियों से निवेदन करना चाहता हूं कि एनपीआर का विरोध न करें, ऐसा कदम न उठाएं। गरीब जनता को विकासशील कार्यक्रमों से दूर न रखें, उन्हें जोड़ें। इसका एनआरसी से कोई लेनादेना नहीं है।

शाह ने कहा- राजनीति और कम्युनिकेशन में अंतर है। हमने नोटिफिकेशन निकाला, सभी राज्यों ने उसे नोटिफाई किया। राजनीति यह है कि नया कुछ आ रहा है और इस पर भ्रम फैला दो। लोग नहीं समझते हैं, उन्हें समझाया जाता है।

सीएए पर हो रहे देशव्यापी प्रदर्शनों पर शाह ने कहा कि ”कम्युनिकेशन में कुछ खामी रही होगी। लेकिन, मेरा संसद का भाषण देख लीजिए कि किसी की नागरिकता जाने का प्रावधान ही नहीं है। भाषणों में ही स्पष्ट किया था कि नागरिकता देने का बिल है, लेने का नहीं। लेकिन, लोगों को भड़काया गया। एक के बाद एक जगहों पर हिंसा हुई, लेकिन मानता हूं कि यह अच्छा है कि जनता समझ गई।”

कोलकाता में ममता बनर्जी की रैली

नागरिकता क़ानून और एनआरसी के देश भर में जबरदस्त विरोध के बीच मंगलवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपना विरोध तेज करते हुए शपथ ली कि राज्य में किसी भी सूरत में एनआरसी और नागरिकता क़ानून लागू नहीं किया जाएगा और बंगाल से किसी को बाहर नहीं भेजा जाएगा। उन्होंने कहा – ”जाना पड़ेगा तो हम सब जायेंगे।”

बड़ी संख्या में जुटे लोगों के साथ ममता ने मंगलवार को कोलकाता में नागरिकता कानून के खिलाफ पैदल मार्च निकाला। ममता ने तृणमूल समर्थकों के साथ रैली निकाली जो स्वामी विवेकानंद के घर से गांधी भवन तक गई। इस मौके पर अपने भाषण में ममता बनर्जी ने शपथ लेते हुए कहा – ”हम एनआरसी, सीएए को लागू नहीं करेंगे।  नो एनआरसी, नो सीएए। कोइ बंगाल नहीं छोड़ेगा। एनआरसी नहीं चलेगा, सीएए  नहीं चलेगा। कैब, एनआरसी वापस लो। काईन एनआरसी शर्म करो, शर्म करो।  बीजेपी शर्म करो। हम कौन हैं? नागरिक।”

उधर चेन्नई में सोमवार को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ रैली करने के लिए डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन सहित आठ हजार लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। इन लोगों पर आरोप है कि पुलिस की अनुमति के बिना रैली निकाली।

इस बीच कर्नाटक के हुबली में नागरिकता कानून और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ है।

गौरतलब है कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को भी कहा था कि केन्द्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार से भारत में लोकतंत्र खतरे में है। बनर्जी ने विपक्षी पार्टियों के मुख्यमंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं को पत्र लिखकर उनसे एकजुट रहने और ‘‘देश बचाने” के लिए योजना बनाने का अनुरोध किया था। उन्होंने संशोधित नागरिकता कानून और प्रस्तावित एनआरसी के खिलाफ देश में प्रदर्शनों के बाद उपजी मौजूदा स्थिति को ‘‘गंभीर” बताया और सभी गैर-भाजपा दलों से एक साथ आने और केन्द्र सरकार के ‘‘दमनकारी शासन’ के खिलाफ खड़े होने का आग्रह किया था।

पता चला है कि बनर्जी की तरफ से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला समेत कई विपक्षी नेताओं को भेजे गये हैं। पत्र में कहा गया है – ”आज, मैं अपने मन में गंभीर चिंताओं के साथ आपको यह पत्र लिख रही हूं। देश के नागरिक जाति और पंथ की परवाह किए बिना, विशेषकर महिला और बच्चे, किसान, श्रमिक और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्य संशोधित नागरिकता कानून और प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी एनआरसी  को लेकर भय और दहशत की चपेट में हैं।  स्थिति बहुत गंभीर है। आज, पहले से कहीं ज्यादा, हमें एकजुट तरीके से इस दमनकारी शासन के खिलाफ खड़े होने की जरूरत है।”

मोदी मंत्रिमंडल की एनपीआर को मंजूरी

नागरिकता क़ानून और एनआरसी के जबरदस्त विरोध के बीच मंगलवार को मोदी मंत्रिमंडल ने बैठक में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को मंजूरी दे दी है। इसके अपडेट के लिए ८५०० करोड़ रूपये के बजट को भी मंजूरी दी गयी है। बैठक की अध्यक्षता पीएम मोदी ने की।

मोदी सरकार अब राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर लाने जा रही है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने  मंगलवार को करीब दो घंटे चली बैठक में अब एनपीआर को भी मंजूरी दे दी है।

कैबिनेट ने एनपीआर अपडेट करने के लिए ८५०० करोड़ रुपये के बजट को भी मंजूरी दे दी है।एनपीआर पर अगले साल पहली अप्रैल से काम शुरू हो जाएगा।

मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में २०१० में एनपीआर बनाने की पहल शुरू हुई थी।  साल २०२० तक असम को छोड़कर इसे हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में लागू किया जाना है।

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में देश के ”सामान्य नागरिकों” की गणना की जाएगी। इसमें  सामान्य नागरिक की श्रेणी में वो लोग माने जाते हैं, जो किसी स्थानीय क्षेत्र में पिछले छह महीने या उससे अधिक समय से रह रहे हैं या अगले छह महीने या उससे अधिक समय तक उस क्षेत्र में रहने की उसकी योजना हो। हर नागरिक के लिए रजिस्टर में नाम दर्ज कराना अनिवार्य होगा।

रिपोर्ट्स के मुताबिक राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के तहत पहली अप्रैल, २०२० से ३० सितंबर तक नागरिकों का डाटाबेस तैयार करने के लिए देशभर में घर-घर जाकर जनगणना किया जाना प्रस्तावित है। देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान का डेटाबेस बनाना एनपीआर का मुख्य उद्देश्य है। इस डाटा में जनसांख्यिकी के साथ बायोमीट्रिक जानकारी भी होगी।

एनपीआर में भारत के निवासियों से १५ जानकारियां मांगी जाएंगी और जनगणना के डाटाबेस को अपडेट किया जाएगा। सरकार का कहना रहा है कि एनपीआर में मांगी जानकारी में किसी दस्तावेज़ की ज़रूरत नहीं होगी लेकिन कुछ राजनैतिक दलों ने इसका विरोध किया है और आरोप लगाया है कि एनआरसी के लिए ही यह सब किया जा रहा है।

राहुल-प्रियंका गांधी को पुलिस ने मेरठ बार्डर पर रोका, मृतक छात्रों के परिजनों से मिलने जा रहे थे

कांग्रेस नेता राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी को पुलिस ने मेरठ में उन परिजनों से मिलने से रोक दिया है जिनके बच्चे हाल में नागरिकता क़ानून विरोधी आंदोलन में जान गंवा बैठे हैं। पुलिस का कहना रहा है कि कोई भी छात्र उसकी गोली से नहीं मरा है, जबकि आरोप लगाया जा रहा है कि यह मौतें पुलिस गोली से हुई हैं।

अब मंगलवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी मेरठ में आंदोलन के दौरान मारे गए छात्रों के परिजनों से मिलने जा रहे थे। लेकिन यूपी पुलिस ने उन्हें मेरठ के बार्डर पर ही रोककर आगे जाने की इजाजत देने से इंकार दिया। पुलिस ने उनसे कहा कि वे दो-तीन दिन बाद आएं तब तक क़ानून व्यवस्था की स्थिति व्यवस्थित करके की कोशिश की जाएगी।

इसपर राहुल ने उनसे कागज़ दिखाने का आग्रह किया लेकिन पुलिस उन्हें रोके जाने के लिए कोइ कागज़ नहीं दिखा पाई हालांकि कहा कि वहां धारा १४४ लगी हुई है और उनकी आगे जाने से क़ानून व्यवस्था की समस्या खड़ी हो सकती है। राहुल और प्रियंका अब दिल्ली के लिए वापस लौट रहे हैं।

काफी देर बहस चलने के बाद दोनों कांग्रेस नेताओं ने वापस लौटने का फैसला किया ताकि कोइ समस्या खड़ी न हो। याद रहे रविवार को ऐसे ही परिजनों से मिलने प्रियंका गांधी बिजनौर गईं थीं और वे उनसे मिलीं भी थीं।