मोदी मंत्रिमंडल की एनपीआर को मंजूरी

करीब ८५०० करोड़ रूपये का बजट रखा अपडेट कार्य के लिए

नागरिकता क़ानून और एनआरसी के जबरदस्त विरोध के बीच मंगलवार को मोदी मंत्रिमंडल ने बैठक में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को मंजूरी दे दी है। इसके अपडेट के लिए ८५०० करोड़ रूपये के बजट को भी मंजूरी दी गयी है। बैठक की अध्यक्षता पीएम मोदी ने की।

मोदी सरकार अब राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर लाने जा रही है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने  मंगलवार को करीब दो घंटे चली बैठक में अब एनपीआर को भी मंजूरी दे दी है।

कैबिनेट ने एनपीआर अपडेट करने के लिए ८५०० करोड़ रुपये के बजट को भी मंजूरी दे दी है।एनपीआर पर अगले साल पहली अप्रैल से काम शुरू हो जाएगा।

मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में २०१० में एनपीआर बनाने की पहल शुरू हुई थी।  साल २०२० तक असम को छोड़कर इसे हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में लागू किया जाना है।

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में देश के ”सामान्य नागरिकों” की गणना की जाएगी। इसमें  सामान्य नागरिक की श्रेणी में वो लोग माने जाते हैं, जो किसी स्थानीय क्षेत्र में पिछले छह महीने या उससे अधिक समय से रह रहे हैं या अगले छह महीने या उससे अधिक समय तक उस क्षेत्र में रहने की उसकी योजना हो। हर नागरिक के लिए रजिस्टर में नाम दर्ज कराना अनिवार्य होगा।

रिपोर्ट्स के मुताबिक राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के तहत पहली अप्रैल, २०२० से ३० सितंबर तक नागरिकों का डाटाबेस तैयार करने के लिए देशभर में घर-घर जाकर जनगणना किया जाना प्रस्तावित है। देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान का डेटाबेस बनाना एनपीआर का मुख्य उद्देश्य है। इस डाटा में जनसांख्यिकी के साथ बायोमीट्रिक जानकारी भी होगी।

एनपीआर में भारत के निवासियों से १५ जानकारियां मांगी जाएंगी और जनगणना के डाटाबेस को अपडेट किया जाएगा। सरकार का कहना रहा है कि एनपीआर में मांगी जानकारी में किसी दस्तावेज़ की ज़रूरत नहीं होगी लेकिन कुछ राजनैतिक दलों ने इसका विरोध किया है और आरोप लगाया है कि एनआरसी के लिए ही यह सब किया जा रहा है।