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महंगाई भत्ता कटौती के मोदी सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

मोदी सरकार के कोरोना और लॉक डाउन के चलते केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता एक साल तक रोके जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी है। केंद्र के इस फैसले से लाखों कर्मचारियों और पेंशनरों के प्रभावित होने से उनमें नाराजगी है। शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी सरकार के इस फैसले की कड़ी आलोचना की थी। सरकार के इस फैसले से करीब ५० लाख केंद्रीय कर्मचारी  और ६१ लाख पेंशनभोगी प्रभावित हुए हैं।

अब यह मामला शनिवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। एक रिटायर्ड सेना अधिकारी ने ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर मोदी सरकार को चुनौती दी है। अपनी  याचिका में उन्होंने महंगाई भत्ता कटौती के फैसले को वापस लेने के लिए कोर्ट की ओर से केंद्र सरकार को निर्देश देने की गुहार लगाई है।

यह याचिका रिटायर्ड मेजर ओंकार सिंह गुलेरिया ने दायर की है। गुलेरिया कैंसर से पीड़ित हैं और और उनहोंने याचिका में कहा कि वे बीमार पत्नी के साथ किराये के घर में रहते हैं। उनकी आय का एक मात्र जरिया मासिक सैन्य पेंशन ही है। याचिका में कहा गया है कि ऐसे लाखों सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं, जो पेंशन पर निर्भर हैं, लेकिन महंगाई भत्ता रोके जाने के केंद्र सरकार के फैसले से परेशान हैं।

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह केंद्र सरकार को पीए मोदी की उस बात  का पालन करने का निर्देश दे, जिसमें उन्होंने कहा था कि  ”वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल करें और वेतन में कटौती न करें, दूसरों की तुलना में वरिष्ठ नागरिकों के लिए कोविड-१९ अधिक खतरनाक है।”

यहाँ गौरतलब है कि मोदी सरकार के इस फैसले की कांग्रेस नेता राहुल गांधी ही नहीं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी आलोचना की है। सिंह ने कहा कि मौजूदा वक्त में सरकारी कर्मचारियों को आर्थिक रूप से मुश्किल में डालना गैरजरूरी है। उधर  राहुल गांधी ने मोदी सरकार के इस फैसले को ”अमानवीय और असंवेदनशील  बताया है।

कश्मीर में अपहृत कॉन्स्टेबल को आतंकियों से छुड़ाया, २ आतंकी और एक समर्थक ढेर

कश्मीर घाटी में आतंकी घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में सुरक्षा बलों ने शनिवार को एक मुठभेड़ में दो आतंकियों और उनके एक समर्थक को मार गिराया। साथ ही सुरक्षा बालों ने उस कॉन्स्टेबल को भी आतंकियों के कब्जे से छुड़ा लिया है जिसे उन्होंने शुक्रवार शाम अपहृत कर लिया था।

मुठभेड़ की घटना पुलवामा जिले में अवंतीपोरा के गोरीपोरा गांव की है, जहां शनिवार सुबह सुरक्षाबलों ने लंबी चली एक मुठभेड़ में दो आतंकवादियों और उनके एक सहयोगी को मार गिराया। इन आतंकवादियों की पहचान की जा रही है।

पुलिस ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि दो अज्ञात आतंकवादी और आतंकवादियों का एक कट्टर सहयोगी ढेर कर दिए गए हैं। तलाशी अभी जारी है। इस बीच सुरक्षा बलों ने अपहृत आरपीएफ कॉन्स्टेबल को सुरक्षित छुड़ा लिया है। आतंकी  शुक्रवार को उसे यारीपोरा से साथ ले गए थे।

शनिवार को सुबह आतंकियों की ओर से फायरिंग शुरु की गई जिसके जवाब में सुरक्षा बलों ने भी फाइरिंग की। खरपोरा अरवानी क्षेत्र में सुरक्षाबलों की इस साझी कार्रवाई में तीन लोग मारे गए।

संजय कोठारी ने नए केंद्रीय सतर्कता आयुक्त की शपथ ली

संजय कोठारी देश के नए केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) हो गए हैं। उन्हें शनिवार को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में पद की शपथ दिलाई।

कोठारी इससे पहले राष्ट्रपति के सचिव थे। काेठारी हरियाणा कैडर के १९७८ बैच के  सेवानिवृत आईएएस अधिकारी हैं। उनके शपथ ग्रहण समारोह में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू के अलावा अन्य लोग भी उपस्थित थे। उनके शपथ ग्रहण समारोह के दौरान लॉक डाउन के नियमों के मुताबिक आपसी दूरी का पालन किया गया।

संजय कोठारी ने को जिस केंद्रीय सतर्कता आयोग का जिम्मा दिया गया है वह भ्रष्टाचारियों पर नजर रखने वाली देश की सर्वोच्च संस्था है और आयुक्त का पद एक स्वायत्त पद है। केंद्रीय सूचना आयोग का गठन सूचना के अधिकार के तहत किया गया है और इसके अधिकार क्षेत्र में सभी केंद्रीय सार्वजनिक प्राधिकरण आते हैं।

आज उनके शपथ ग्रहण समारोह में राष्ट्रपति भवन में लॉकडाउन नियमों का पालन करते हुए समारोह में शामिल हुए लोगों ने एक दूसरे से शारिरिक दूरी बनाई रखी।

 सभी गणमान्य लोग एक दूसरे से कम से कम एक मीटर की दूरी पर बैठे जिसकी व्यवस्था की हुई थी।

विवादित वीडियो को लेकर कंगना रनौत के खिलाफ पुलिस में शिकायत

बॉलीवुड की चर्चित अभिनेत्री कंगना रनौत अक्सर अपने बयानों को लेकर विवादों में रही हैं। इससे पहले रितिक रोशन के साथ रिश्तों को लेकर भी उनकी काफी फजीहत हो चुकी है। तब भी मामला स्पष्ट नहीं हुआ था। अब ताजा मामला ट्विटर पर विवादित वीडियो पोस्ट करने को लेकर है।

कंगना ने अपनी बहन रंगोली चंदेल के समर्थन में ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट किया था। इसी वीडियो को लेकर मुंबई में कंगना के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई है। वकील अली काशिफ खान देशमुख ने कंगना पर दो समुदायों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को अंबोली पुलिस स्टेशन में लिखित शिकायत दर्ज कराई।

पुलिस में दी गई शिकायत के अनुसार, रंगोली चंदेल के समर्थन में पोस्ट वीडियो में कंगना ने समुदाय विशेष के खिलाफ टिप्पणी की और धार्मिक भावनाओं को आहत किया। इसके अलावा शिकायतकर्ता ने कंगना की बहन रंगोली के खिलाफ भी शिकायत दर्ज कराई है। बता दें कि इससे पहले भी हाल ही में रंगोली के विवादित बयान को लेकर ट्विटर ने उनका अकाउंट सस्पेंड कर दिया गया था। इसके बाद अभिनेत्री कंगना ने बहल के समर्थन में एक वीडियो जारी किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने अर्णब के खिलाफ कार्रवाई पर तीन हफ्ते की रोक लगाई, कांग्रेस नेता कर चुके हैं उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय से पत्रकार अर्णब गोस्वामी को कुछ राहत मिली है और उनकी गिरफ्तारी पर रोक लग गयी है। अपने टीवी चैनल पर एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी ने एक कार्यक्रम के दौरान सोनिया गांधी पर टिप्पणी की थी, जिसे लेकर हंगामा मच गया था। अब सर्वोच्च अदालत ने एक अंतरिम आदेश में गोस्वामी के खिलाफ तीन हफ्ते तक किसी तरह की कार्रवाई पर रोक लगा दी है।

इस टिप्पणी को लेकर कांग्रेस नेताओं ने कई राज्यों के थानों में उनके खिलाफ मामला  दर्ज कराया है। कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि कुछ दिन पहले रिपब्लिक टीवी पर एक चर्चा के दौरान अर्णब ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। यह चर्चा महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं की लिंचिंग के मुद्दे पर थी।  चर्चा के दौरान अर्णब ने कांग्रेस पर निशाना साधा था और कुछ आरोप लगाए थे।

चर्चा में अर्णब के आरोपों से खफा कांग्रेस नेताओं ने महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब और छत्तीसगढ़ आदि में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई हैं। अब शुक्रवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से अर्णब को कुछ राहत मिली है। सर्वोच्च अदालत ने सभी एफआईआर पर ”स्टे” देते हुए नागपुर में दर्ज केस को मुंबई तब्दील करने का आदेश दिया है। साथ ही अदालत ने मुंबई के पुलिस कमिश्नर से अर्णब और उनके चैनल को सुरक्षा देने के भी निर्देश दिए हैं।

अब सर्वोच्च अदालत ने अंतरिम आदेश में गोस्वामी के खिलाफ तीन हफ्ते तक किसी तरह की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। अर्णब इस दौरान अग्रिम जमानत के लिए अर्जी  डाल सकते हैं। गौरतलब है कि अर्णब ने यह भी आरोप लगाया है कि उनकी कार पर परथराव किया गया था और उसके पीछे कथित तौर पर कांग्रेस के लोग थे।

सोशल मीडिया पर छाया मामला
अर्णब गोस्वामी से जुड़ा मामला सोशल मीडिया पर भी खूब छाया हुआ है। उनके प्रशंसक जहाँ उन्हें समर्थन कर रहे हैं वहीं आलोचक पुराने वीडियो डाल रहे हैं और कह रहे हैं कि वे समय के मुताबिक बदल जाते हैं। इनमें एक वीडियो बहुत वायरल हुआ है जिसमें वे २००२ में कथित तौर पर मोदी पर आरोप लगा रहे हैं कि ‘उनके गुंडों ने उनकी पिटाई की’। एक अन्य वीडियो में वे योगी आदित्यनाथ को लेकर आलोचनात्मक टिप्पणी कर रहे हैं।

पिता थे भाजपा में
यहाँ यह भी दिलचस्प है कि अर्णब के पिता सेना से कर्नल रिटायर होने के बाद भाजपा में शामिल हुए थे और उन्होंने १९९८ में असम के गुवाहाटी से लोक सभा चुनाव लड़ा था, लेकिन कांग्रेस के भुवनेश्वर कलिता से हार गए थे।

पिछले छह साल में  १.२५ लाख से ज्यादा पंचायतों तक पहुँच गया ब्रॉडबैंड, राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर कहा प्रधानमंत्री मोदी ने

राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा पिछले ६-७ साल में पंचायतों का स्वरुप बदला है और पहले जो ब्रॉडबैंड कनेक्शन कुछ हजार ही पंचायतों तक था, वह आज १.२५ लाख से ज्यादा पंचायतों तक पहुँच गया है। मोदी ने कहा कि वह चाहते हैं कि पंचायत, जिले और राज्य आत्मनिर्भर बनें, ताकि अपनी जरूरतों के लिए उन्हें बाहर का मुंह न देखना पड़े। इस बीच खबर है की पीएम २७  अप्रैल को एक बार फिर राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग कर सकते हैं।

इधर पंचायती राज दिवस पर पीएम मोदी ने कहा कि मजबूत पंचायतें आत्मनिर्भर बनने की नीव हैं। कहा कि सरकार ने पंचायती राज की व्यवस्थाओं को आधुनिक बनाने के लिए लगातार काम किया है। आज सवा लाख से ज्यादा पंचायतों तक ब्रॉडबैंड कनेक्शन पहुंच गया है और तीन लाख कॉमन सर्विस सेंटर काम कर रहे हैं।

पीएम ने इस मौके पर पंचायत प्रतिनिधियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग भी की।

उन्होंने कहा कि शहर और गांव की दूरी कम करने के लिए सरकार ने ई-ग्राम स्वराज और हर ग्रामवासी के लिए स्वामित्व योजना नाम से दो प्रोजेक्ट शुरू किए हैं।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने ई-स्वराज पोर्टल और ई-ग्राम स्वराज ऐप भी लॉन्च किया। इसमें पंचायत से जुड़ी सभी जानकारियां मौजूद होंगी। मोदी ने कहा – ”कोरोनावायरस ने हमारे सामने कई मुसीबतें खड़ी की हैं। महामारी ने यह सबक भी दिया है कि देश को अब आत्मनिर्भर बनना ही पड़ेगा। इसके बिना ऐसे संकट को झेलना मुश्किल हो जाएगा।”

पीएम ने कहा कि ई-ग्राम स्वराज ऐप पंचायतों का लेखाजोखा रखने वाला सिंगल डिजिटल प्लेटफार्म होगा। पंचायत के विकास कार्यों, उसके फंड और कामकाज की जानकारियां हर व्यक्ति को मिलेगी। इससे ट्रांसपरेंसी बढ़ेगी। उनहोंने कहा – ”स्वामित्व योजना के तहत गांवों में ड्रोन से एक-एक संपत्ति की मैपिंग की जाएगी। इससे लोगों के बीच झगड़े खत्म हो जाएंगे, विकास कार्यों को गति मिलेगी और शहरों की तरह इन संपत्तियों पर बैंक से लोन लिया जा सकेगा। अभी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत छह राज्यों में इस योजना को ट्रायल के तौर पर शुरू कर रहे हैं। फिर इसे देश के हर गांव में लागू किया जाएगा।”

इस बीच खबर है कि पीएम मोदी २७ अप्रैल को राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर सकते हैं। लॉक डाउन -२ की अवधि ३ मई को ख़त्म हो रही है लिहाजा पीएम मुख्यमंत्रियों से फ्रीडबैक ले सकते हैं।

अब पालतू बिल्लियां भी पाई गईं कोरोना संक्रमित

अमेरिका के न्यूयॉर्क के एक चिड़ियाघर में बाघिन के कोरोना वायरस संक्रमण के बाद दो पालतू बिल्लियां भी संक्रमित पाई गई हैं। इससे पशुप्रेमी हैरान हैं। अमेरिका में संक्रमित होने वाली ये पहली पालतू पशु हैं।

सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक, इन बिल्लियों को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, जिसके बाद इनकी कोरोना की जांच कराई गई। पशुओं में भी संक्रमण का फैलना चिंताजनक है। 22 अप्रैल को यहां संक्रमण का दायरा बढ़ा और 4 बाघ और 3 शेर कोरोना संक्रमित पाए गए।

सीडीसी के अनुसार, ये दोनों बिल्लियां अलग-अलग घरों की हैं। न्यूयॉर्क की इन बिल्लियों में से एक कई बार बाहर गई थी इसलिए हो सकता है कि किसी बाहरी संक्रमित शख्स के सम्पर्क में आई हो। दूसरी का मालिक संक्रमित पाया गया था, जिससे वह संक्रमित हुई।

विशेषज्ञों का कहना है कि अभी तक पशुओं से लोगों में इस संक्रमण के फैलाने का कोई सबूत नहीं मिला है। व्हाइट हाउस के प्रमुख सलाहकार डॉ. एंथनी के मुताबिक, पालतू और दूसरे जानवर कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं, लेकिन इनसे इंसानों में संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है।

ऐसे में अपने पालतू जानवरों को बाहर न ले जाने की सलाह दी गई है। दुनियाभर के वैज्ञानिक, जानवरों और इंसानों के बीच वायरस कनेक्शन पर शोध कर रहे हैं।

न्यूयॉर्क के चिड़ियाघर की चार साल की बाघिन 5 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव पाई गई थी। इसके बाद दुनियाभर के चिड़ियाघरों में जानवरों के जरूरी गाइडलाइन का पालन करने को कहा गया था। भारत में भी इस बारे में एहतियात बरतने के लिए जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए गए थे। इतना ही नहीं, संबंधित अथॉरिटी ने जानवरों के लिए जरूरी और उचित भोजन की भी व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे।

केंद्र सरकार के कर्मचारियों का डीए फ्रीज़ किया मोदी सरकार ने, राज्य सरकारें भी कर सकती हैं ऐसा ही फैसला

मोदी सरकार ने लॉक डाउन के चलते केंद्रीय कर्मचारियों को झटका दिया है। देश की नाजुक वित्तीय हालत के चलते केंद्र सरकार ने इस साल पहली जनवरी से पहली जुलाई, २०२१ तक की अवधि के लिए केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता (डीए)  फ्रीज कर दिया है। केंद्र सरकार के करीब ४८ लाख कर्मचारी और ६५ लाख पेंशनर इस फैसले से प्रभावित होंगे। चूँकि केंद्र के डीए को ही राज्य सरकारें भी लागू करती हैं, लिहाजा साफ़ है कि राज्य सरकारें भी केंद्र जैसा ही फैसला कर सकती हैं।
इसके लिए जारी अधिसूचना में कहा गया है कि कोरोना वायरस के कारण पैदा हुई स्थिति के कारण यह फैसला किया गया जिसका असर केंद्रीय कर्मचारियों के साथ-साथ पेंशनरों पर भी पड़ेगा। सरकार ने पहली जनवरी, २०२० से पहली जुलाई, २०२१ तक की अवधि का महंगाई भत्ता फ्रीज किया है।

केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों के इन भत्तों को फ्रीज करने से वित्तीय वर्ष २०२०-२१ और २०२१-२२ में केंद्र सरकार को करीब ३७,५३० करोड़ रुपये की बचत होगी। जाहिर है मोदी सरकार के इस फैसले से केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों को डीए की चार किस्तों से हाथ धोना पड़ेगा जिसके कारण अब उन्हें डीए की अगली किस्त  जनवरी, २०२२ के बाद ही मिल पाएगी।

मोदी सरकार का लॉक डाउन के बाद कर्मचारियों से जुड़ा यह सबसे बड़ा फैसला है। इससे संकेत मिलता है कि देश की आर्थिक स्थिति संकट में है। इस फैसले से केंद्र सरकार के करीब ४८ लाख कर्मचारी और ६५ लाख पेंशनर प्रभावित होंगे। इस डीए को ही राज्य सरकारें भी लागू करती हैं, लिहाजा साफ़ है कि राज्य सरकारें भी केंद्र जैसा ही फैसला कर सकती हैं।

सरकार में गरीबों, जरूरतमंदों के लिए करुणा, बड़े   दिल का अभाव, भाजपा फैला रही नफरत : सोनिया

कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की गुरूवार को बैठक हुई जिसकी अध्यक्षता सोनिया गांधी ने की। बैठक में सोनिया गांधी ने कहा कि लॉकडाउन के कारण १२ करोड़ लोगों की नौकरी खतरे में है लिहाजा सरकार को जरूरी कदम उठाने चाहियें ताकि गरीबों और मजदूरों के सामने रोजी-रोटी की दिक्कत न पैदा हो क्योंकि यह वर्ग पहले से ही बहुत बड़े संकर का सामना कर रहा है। बैठक में गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा देश में नफरत का वायरस फैला रही है।

सीडब्ल्यूसी इस इस बैठक में सदसयों के अलावा स्थायी और विशेष आमंत्रित सदस्य और कांग्रेस मुख्यमंत्री शामिल हुए। अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर कोरोना वायरस संकट से निपटने के लिए आंशिक कदम उठाने का दावा किया और मांग की  कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग और किसानों की मदद के लिए तत्काल राहत की घोषणा की जाए।

उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले दिनों में उन्होंने कई रचनात्मक सुझाव सरकार को दिए लेकिन सरकार ने उनपर कम ही अमल किया है। उन्होंने कहा कि यह सभी सुझाव जनहित और आम लोगों के लिए थे। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई बैठक में  सोनिया ने कहा कि लॉकडाउन के पहले चरण में ही १२ करोड़ लोग बेरोजगार हो गए हैं लिहाजा लोगों की मदद के लिए उनके खातों में ७५०० रुपये भेजे जाने चाहिएं।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि तीन हफ्ते पहले हुई सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद से अब तक कोरोना महामारी ज्यादा फैल गई है जो परेशान करने वाली बात है। सोनिया गांधी ने कहा – ”समाज के हमारे कुछ वर्गों खासकर किसानों, मजदूरों, प्रवासी कामगारों, निर्माण क्षेत्र के श्रमिकों और असंगठित क्षेत्र के लोगों को बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ा है। वाणिज्य, उद्योग और व्यापार पूरी तरह से रुक गया है और करोड़ों लोगों की जीविका का साधन छिन गया है”।

सोनिया गांधी ने कहा कि केंद्र सरकार को जो करुणा, बड़ा दिल और सजगता दिखानी चाहिए थी उसका नितांत अभाव दिखा है। उन्होंने कहा कि हमने प्रधानमंत्री से बार-बार आग्रह किया है कि कोरोना वायरस की जांच करने, मरीज के संपर्क में आए लोगों का पता लगाने और उन्हें पृथकवास में रखने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। ”दुर्भाग्यपूर्ण है कि जांच अभी भी बहुत कम हो रही हैं और जांच किट की आपूर्ति भी कम है और जो उपलब्ध हैं वो भी अच्छी गुणवत्ता वाली नहीं है।”

उन्होंने कहा कि पीपीई किट की संख्या कम और गुणवत्ता खराब होने की ख़बरें लगातार आ रही हैं। सोनिया ने कहा – ”किसान गंभीर कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। उपज की खरीद की कमजोर और अस्पष्ट नीतियों और बाधित आपूर्ति के मुद्दों का बिना विलंब किए समाधान करने की जरूरत है। खरीफ की फसल के लिए किसानों को सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए।”

डाक्टरों की रक्षा के लिये महामारी में ही नहीं बल्कि सदैव के लिये कानून बनें

कोरोना वायरस जैसी बीमारी के दौर में कोरोना रोगियों के ईलाज कर रहे डाक्टरों के साथ, देश में हो रही डाक्टरों की पिटाई ओर उनके साथ हो रहे अत्याचार के  विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के तत्वावधान में  देश भर में 22 अप्रैल को कैण्डल मार्च ओर 23 अप्रैल को काला दिवस मनाया जाना था। ऐसे में डाक्टरों की नाराजगी ओर दुनिया में देश की किरकिरी को देखते हुये डाक्टरों की नाराजगी को दूर करने के लिये केऩ्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आईएमए के डाक्टरों के साथ बात कर उन्हें भरोसा दिलाया है। कि डाक्टरों के साथ किसी भी प्रकार की हिंसा को बर्दास्त नहीं किया जायेगा।ओर  कोरोना वायरस जैसी आपदा ,महामारी के दौरान जो भी हिंसा में शामिल पाया गया, तो कानूनी कारवाई की जायेगी। ओर दोषी पाये जाने पर जेल भी हो सकती है।आईएमए के डाक्टरों में आज इस बात की खुशी देखने को मिली कि सरकार ने डाक्टरों की समस्या को जाना ओर हिंसा करने वालों पर कारवाई करने ओर अध्यादेश कानून लाने की बात कहीं है । आईएमए के अध्यक्ष डाँ राजन के नेतृव्व में देश व्यापी आंदोलन ओर प्रदर्शन का आयोजन किया जाना था ।

इस बारे में आईएमए के पूर्व सचिव डाँ अनिल बंसल का कहना है कि वे अमित शाह के फैसले का स्वागत करते है। पर डाक्टरों की मांगें तो सालों साल से यही रही है कि ईलाज कर रहे डाक्टरों के साथ मरीजों ओर तमीरदारों के साथ जो भी लोग आते है, वे डाक्टरों के साथ मारपीट कर चले जाते है। कोरोना वायरस के ईलाज के दौरान जो भी हिंसा डाक्टरों के साथ हो रही है। वो पूरी तरह से आपराधिक है। ऐसे हालात में दोषियों को सीधे जेल में डाला जाना चाहियें।पर ऐसा कम ही हो रहा है।

डाँ बंसल ने कहा कि सरकार ने जो बात आज कानून बनाने की है, कि आपदा या महामारी के दौरान जो भी डाक्टरों पर हमला या मारपीट करेगा उसके खिलाफ कानूनी कारवाई की जायेगी।उनकी मांग है कि कभी भी किसी समय डाक्टरों के साथ कोई भी मारधाड या हिंसा करते पाया गया तो उसके खिलाफ दण्य या सजा निचिश्त होनी चाहिये ।ताकि डाक्टरों को सम्मान के साथ रोगियों का ईलाज करने का अवसर मिल सकें।  उन्होंने कहा कि सरकार को डाक्टरों की मांगों पर गौर करना चाहिये। क्योंकि कोरोना वायरस ईलाज के दौरान डाक्टर अपनी जान पर खेल कर रोगियों का ईलाज कर रहे है ओर लहुलुहान भी हो रहे है।इसलिये एक ऐसे सख्त कानून की जरूरत है जो डाक्टरों को रक्षा प्रदान कर सकें।