महंगाई भत्ता कटौती के मोदी सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

मोदी सरकार के कोरोना और लॉक डाउन के चलते केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता एक साल तक रोके जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी है। केंद्र के इस फैसले से लाखों कर्मचारियों और पेंशनरों के प्रभावित होने से उनमें नाराजगी है। शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी सरकार के इस फैसले की कड़ी आलोचना की थी। सरकार के इस फैसले से करीब ५० लाख केंद्रीय कर्मचारी  और ६१ लाख पेंशनभोगी प्रभावित हुए हैं।

अब यह मामला शनिवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। एक रिटायर्ड सेना अधिकारी ने ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर मोदी सरकार को चुनौती दी है। अपनी  याचिका में उन्होंने महंगाई भत्ता कटौती के फैसले को वापस लेने के लिए कोर्ट की ओर से केंद्र सरकार को निर्देश देने की गुहार लगाई है।

यह याचिका रिटायर्ड मेजर ओंकार सिंह गुलेरिया ने दायर की है। गुलेरिया कैंसर से पीड़ित हैं और और उनहोंने याचिका में कहा कि वे बीमार पत्नी के साथ किराये के घर में रहते हैं। उनकी आय का एक मात्र जरिया मासिक सैन्य पेंशन ही है। याचिका में कहा गया है कि ऐसे लाखों सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं, जो पेंशन पर निर्भर हैं, लेकिन महंगाई भत्ता रोके जाने के केंद्र सरकार के फैसले से परेशान हैं।

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह केंद्र सरकार को पीए मोदी की उस बात  का पालन करने का निर्देश दे, जिसमें उन्होंने कहा था कि  ”वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल करें और वेतन में कटौती न करें, दूसरों की तुलना में वरिष्ठ नागरिकों के लिए कोविड-१९ अधिक खतरनाक है।”

यहाँ गौरतलब है कि मोदी सरकार के इस फैसले की कांग्रेस नेता राहुल गांधी ही नहीं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी आलोचना की है। सिंह ने कहा कि मौजूदा वक्त में सरकारी कर्मचारियों को आर्थिक रूप से मुश्किल में डालना गैरजरूरी है। उधर  राहुल गांधी ने मोदी सरकार के इस फैसले को ”अमानवीय और असंवेदनशील  बताया है।