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ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल

आखिर कांग्रेस छोड़ने के एक दिन बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल हो गए। साल २०१९ के  चुनाव में बड़ी हार से पहले सिंधिया २००२ से लेकर २०१४ तक कांग्रेस की टिकट पर लगातार तीन बार वो जीते थे और इस दौरान दो बार कांग्रेस की सरकारों में केंद्रीय मंत्री रहे। दिल्ली में भाजपा मुख्यालय में सिंधिया भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हुए। भाजपा सिंधिया को राज्य सभा टिकट देगी, इसके कयास पहले से लग रहे हैं।

करीब २.२५ बजे वे अपने आवास से भाजपा नेता ज़फर इस्लाम के साथ भाजपा मुख्यालय के लिए निकले। इसके बाद करीब पौने तीन बजे वे भाजपा मुख्यालय पहुंचे जहाँ बाद में परम्परागत रूप से भाजपा की पट्टी उन्हें पहनाई गयी। साथ ही भाजपा में शामिल होने का पत्र प्रदान किया गया। विनय सहस्त्रबुद्धे, अनिल जैन, अरुण सिंह, धर्मेंद्र प्रधान, बीडी शर्मा और अन्य नेता वहां मौजूद थे।

मंगलवार को ही सिंधिया भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह के साथ पीएम मोदी से मिले थे जिसके बाद उन्होंने ९ मार्च को लिखा कांग्रेस से इस्तीफा देने वाला पत्र ट्वीट किया था। हालांकि कांग्रेस से उनके इस्तीफे की आधिकारिक घोषणा मंगलवार हो ही हुई जिसके बाद कांग्रेस ने उन्हें ”जयचंद” नाम से संबोधित किया था। यह दिलचस्प है कि जहां सोनिया गांधी सिंधिया को बता कहती थीं वहीं सिंधिया को प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के बहुत करीब माना जाता था।

इस मौके पर  एमपी भाजपा अध्यक्ष और कई अन्य वरिष्ठ नेता उपस्थित थे। सिंधिया २००२, २००९, २०१४ में गुना से कांग्रेस की टिकट पर लोक सभा का चुनाव जीते। हालांकि २०१९ में गुना की पुश्तैनी सीट पर उन्हें भाजपा के केपी सिंह यादव से हार का सामना करना पड़ा वह भी १.२५ लाख वोटों के बड़े अंतर से। इस हार ने ज्योतिरादित्य के राजनीतिक करिअर पर भी सवाल उठाये। उनके प्रभारी महासचिव रहती ही उत्तर प्रदेश के पश्चिम यूपी क्षेत्र में कांग्रेस को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था।

पिछले कुछ समय से सिंधिया अपनी नाराजगी जाता रहे थे। फरवरी में किसानों की कर्जमाफी के मुद्दे पर ज्योतिरादित्य के सड़क पर उतरने वाले बयान पर कमलनाथ ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी और कहा था कि ”तो उतर जाएं”। इसके बाद साफ़ हो गया था कि सिंधिया कोइ फैसला कर सकते हैं। वैसे यह माना जाता है कि भाजपा के प्रवक्ता ज़फर इस्लाम, जो उनके मित्र हैं, ने सिंधिया को भाजपा में लाने में अहम भूमिका निभाई।

पाक का एफ-१६ इस्लामाबाद में हादसे का शिकार, पॉयलट की मौत

पाकिस्तान की वायुसेना का अमेरिका से मिला हाईटैक लड़ाकू विमान एफ-१६ हादसे का शिकार हो गया जिसमें उनके एक पायलट की मौत हो गयी है। पिछले करीब १५ महीने में पाकिस्तान का यह दूसरा एफ-१६ नष्ट हुआ है। पिछले साल तनाव के दौरान भारत की सीमा में घुसने के बाद ऐसा एक विमान मार गिराया गया था।

हादसा बुधवार को दोपहर हादसे का शिकार हुआ। यह हादसा इस्लामाबाद के पास शकरपेरियन में तब हुआ जब वो पाकिस्तान दिवस के परेड समारोह की रिहर्सल में हिस्सा ले रहा था। पाकिस्तान दिवस २३ मार्च को होता है।

जानकारी के मुताबिक परेड की रिहर्सल के दौरान यह एफ-१६ क्रैश कर गया। इस हादसे में पायलट की मौत हो गई है। पाकिस्तान वायुसेना के प्रवक्ता ने इस घटना की पुष्टि की है। बचाव दल घटनास्थल पर पहुंच गया है।

पाकिस्तान वायु सेना (पीएएफ) के इस एफ-१६ हादसे में विंग कमांडर नौमान अकरम की मौत हुई है। हादसे की जांच के लिए बोर्ड ऑफ इंक्वायरी का गठन किया गया है। पाकिस्तान सेना और पीएएफ के अधिकारियों ने घटनास्थल के आसपास के क्षेत्र को बंद कर दिया है।

पाकिस्तान को एफ-१६ लड़ाकू विमान अमेरिका से मिला है। गौरतलब है कि पिछले साल फरवरी में यह विमान तब चर्चा में आया था जब भारत के एक पायलट ने मिग-२१ के जरिए पाक के इस एक हाईटैक विमान को तब मार गिराया था जब बालाकोट स्ट्राइक के बाद वो भारत के क्षेत्र में पाक की तरफ से अन्य विमानों के साथ हमले के लिए भेजा गया था।

कांग्रेस के ७ सांसदों का निलंबन रद्द होगा

दिल्ली में हिंसा को लेकर संसद में हुए हंगामे के बाद कांग्रेस के जिन सात सांसदों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया था, उनका निलंबन वापस हो सकता है। दोपहर बाद लोकसभा में इन सांसदों को वापस सदन में लेने के लिए एक प्रस्ताव लाया जा सकता है। इन सांसदों को निलंबित करने के बाद बड़ा गतिरोध पैदा हो गया था।

दिल्ली में संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष के साथ सर्वदलीय बैठक में इसे लेकर चर्चा हुई है। कांग्रेस ने अपने सांसदों को निलंबित करने का विरोध किया था। अब दोपहर बाद लोक सभा की कार्यवाही शुरू के बाद यह प्रस्ताव लाया जा रहा है जिसमें इन सभी सात सांसदों का निलंबन रद्द कर दिया जाएगा।

दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर आज लोकसभा में चर्चा होगी और संभावना है कि निलंबन रद्द होने के बाद यह सभी सात कांग्रेस सदस्य भी इसमें हिस्सा ले सकेंगे।

राजस्थान में हुक्का बार चलाना अब अपराध

राजस्थान में अब हुक्का बार चलाना दंडनीय अपराध हो गया है। इसके चलाने पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना और तीन साल तक की कैद हो सकती है। इस बाबत विधानसभा में पारित किया गया संशोधित कोटपा अधिनियम (सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद विज्ञापन पर रोक व व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण का विनियमन) लागू हो गया है।

वैसे कोटपा अधिनियम तो राज्य में 2003 से लागू है, लेकिन हुक्का बार पर रोक लगाने के लिए राजस्थान विधानसभा ने पिछले वर्ष इस अधिनियम में संशोधन किया गया था। अब इस संशोधित अधिनियम को राष्ट्रपति की ओर से मंजूरी मिल गई है। यानी यह कानून अब राज्य में लागू कर दिया गया साथ ही इसका गजट भी प्रकाशित कर दिया गया है।

संशोधित कोटपा अधिनियम में कई अहम बदलाव किए गए हैं। इसमें पहली बार हुक्का बार शब्द का इस्तेमाल कर उसे परिभाषित भी किया गया है। इसमें बताया गया है किय यह ऐसी जगह होती है जहां पर लोग इकट्ठे होकर हुक्के या नारगिल से तंबाकू का धूम्रपान करते हैं। कोई भी शख्स किसी भी स्थान या भोजनालय पर अब हुक्का बार नहीं खोल सकता। साथ ही किसी भी रेस्तरां में तंबाकू उत्पाद का सेवन करना भी अपराध की श्रेणी में आएगा।

पुराने नियम के मुताबिक, अगर किसी ने पहली बार इस कानून को तोड़ा तो उससे 200 रुपये का जुर्माना वसूला जाता था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 50 हजार रुपये लेकर एक लाख रुपये तक कर दिया गया है। यानी इसमें 250 गुना तक क इजाफा किया गया है। इतना ही नहीं, कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया गया जाएगा। प्रावधान के तहत दोषी पाए जाने पर एक साल से लेकर 3 साल तक की कैद की सजा भी होगी। इस बाबत सभी थानों को जानकारी भेजी जा चुकी है।

मेरे पास अभी भी बहुमत, सदन में साबित कर दूंगा : कमलनाथ  

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंगलवार देर शाम दावा किया कि उनके पास बहुमत है, विधायक (कथित बागी) उनके संपर्क में हैं और वे विधानसभा के पटल पर इसे साबित कर देंगे। इतने बड़े राजनीतिक संकट के बावजूद वे देर शाम एक विवाह समारोह में पहुंचे, और वहीं मुस्कुराकर थम्स अप करते हुए उन्होंने यह दावा कुछ पत्रकारों के सामने किया। इस बीच भाजपा अपने सभी १०६ विधायकों को भोपाल से बाहर (किसी दुसरे राज्य) भेज रही है। उधर कांग्रेस छोड़ने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया का भाजपा में आना कल तक के लिए टल गया है।

कांग्रेस ने देर रात कहा कि जिन विधायकों के इस्तीफे का दावा किया गया है उन्हें दिल्ली राजसभा चुनाव के बहाने (सिंधिया की तरफ से) ले जाया गया था और उनसे इस्तीफे वाले हस्ताक्षर ”धोखे” से करवाए गए हैं। कमलनाथ ने भी आरोप लगाया है कि उनके विधायकों को ”कैद” किया। उन्होंने चुनौती दी कि अगर विधायक (कथित बागी २१ विधायक) सच में उनसे नाराज हैं तो उन्हें बेंगलुरु में क्यों कैद  ,भोपाल क्यों नहीं लाते।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुकुल वासनिक बुधवार को भोपाल पहुँच रहे हैं और जानकारी के मुताबिक कांग्रेस अभी भी ”नाराज” विधायकों को मनाने की कोशिश कर रही है।

कमलनाथ के नजदीकी एक मंत्री को विधायकों को मनाने का जिम्मा दिया गया है। वे बेंगलुरु रवाना हो गए हैं। उधर भाजपा के तमाम विधायक एक बस में देर रात एयरपोर्ट ले जाये जा रहे हैं लेकिन उनमें से ज्यादातर को पता नहीं है कि उन्हें जाना कहा हैं। एक चार्टेड प्लेन से उन्हें ले जाने की बात पता चली है।

कमलनाथ के अभी भी बहुमत होने के दावे से राजनीतिक हलकों में हलचल है। सभी जानते हैं कि कमलनाथ जोड़तोड़ के माहिर राजनेता हैं और कांग्रेस हलकों में कहा जा रहा है कि वे आसानी से अपनी सरकार नहीं गिरने देंगे। भोपाल में जो बैठक हुई है , उसमें ज्यादातर विधायकों के आ जाने से कांग्रेस खेमे में ”उत्साह” दिख रहा है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया कुछ विधायकों को यह कहकर दिल्ली ले जाये गए थे, राज्य सभा टिकट के लिए दबाव बनाना है इसलिए दिल्ली जाना है। कांग्रेस का आरोप है कि उनसे इस्तीफे पर दस्तखत भी धोखे से करवाए गए हैं। चर्चा है कि भाजपा विधायकों को दिल्ली होते हुए बेंगलुरु ले जा सकती है।

मध्य प्रदेश में अब शाह-मात का खेल शुरू हो गया है। कमलनाथ पूरी तरह से अपनी सरकार बनाने में जुट गए हैं। वे अपने तमाम संपर्कों का  इस्तेमाल कर रहे हैं। यदि वे अब भी अपनी सरकार बचाने में सफल होते हैं तो यह भाजपा के लिए बहुत बड़ा झटका होगा। इसका सबसे बड़ा कारण कि मध्य प्रदेश की राजनीति में उथल-पुथल भाजपा के ताकतवर नेता अमित शाह की जानकारी में हुई है जो सुबह सिंधिया को अपने साथ पीएम मोदी से मिलवाने ले गए थे। वैसे भाजपा के नेता अब मध्य प्रदेश में अपनी सरकार ”पक्की” मान कर चल रहे हैं।

दिन में सीएम कमलनाथ ने राज्यपाल को पत्र लिखकर छह मंत्रियों को मंत्री पद से हटाने की सिफारिश की थी। इनमें गोविन्द सिंह राजपूत, इमरती देवी, तुलसी सिलावट, प्रधुमन सिंह, महेंद्र सिंह सिसोदिया और प्रभु राम चौधरी शामिल हैं।

माधवराव की जयंती पर सिंधिया का खेल

कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को पीएम मोदी और अमित शाह से मुलाकात के बाद कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। दूसरी ओर, माधवराव सिंधिया की जयंती के मौके पर कांग्रेसी नेताओं ने सिंधिया के पिता को याद किया। ज्योतिरादित्य घटनाक्रम को जानकार सिंधिया परिवार की परंपरा तक करार दे रहे हैं। फिलहाल यह ‘डील’ वाला सियासी ड्रामा जल्द खत्म होने वाला नहीं है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ भी मंझे हुए नेता हैं। यूँ ही ‘एमपी गजब है…’ नहीं कहा जाता। करीब तीन दशक से एमपी कांग्रेस में तीन गुट रहे हैं। एक कमलनाथ, दूसरा सिंधिया तो तीसरा दिग्विजय। समय-समय पर इनका असर भी दिखता रहा है। अब बाजी कमलनाथ के हाथ में है। तो वे भी सारे विकल्प अपनाने से नहीं चूकने वाले। संभवता इसीलिए उन्होने 6 मंत्रियों को तत्काल कैबिनेट से हटाने को राज्यपाल ने लिख दिया है। वहीं सिंधिया ने अपना इस्तीफा सिनिया गांधी को भेज दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद सिंधिया ने ट्विटर हैंडल के जरिये अपने इस्तीफे की प्रति शेयर करके घोषणा की। उन्होंने जो इस्तीफा शेयर किया है, उस पर 9 मार्च की तिथि अंकित है। लेकिन फिलहाल उन्होंने भाजपा जॉइन नहीं की है। मतलब अभी खेल जारी रहने वाला है।
राज्यसभा के लिए नामांकन भी किये जाने हैं, उसका भी एक खेल हो सकता है। कांग्रेस की ओर से कहा गया था कि राज्यसभा चुनाव के दौरान भाजपा को तेज बुखार आता है। अब कांग्रेस ने कहा है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते सिंधिया को निष्कासित किया गया है। इसके साथ ही छह मंत्रियों सहित 21 कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया है। ऐसी स्थिति में कमलनाथ सरकार के अल्पमत में आ गई है।
फिलहाल कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं और उसे चार निर्दलीय, बसपा के दो और समाजवादी पार्टी के एक विधायक का समर्थन है। भाजपा के पास  107 विधायक हैं।
समर्थकों के साथ भाजपा कर सकते हैं ज्वाइन
कांग्रेस से इस्‍तीफा दे चुके ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया 12 मार्च को अपने समर्थक विधायकों के साथ भाजपा का दामन थाम सकते हैं।  कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे इस्तीफे में सिंधिया ने लिखा, अपने राज्य और देश के लोगों की सेवा करना मेरा हमेशा से मकसद रहा है। मैं इस पार्टी में रहकर अब यह करने में अक्षम हूं।
सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों के फोन सोमवार को स्विच ऑफ हो गए थे। उनका बंगलोर में होना बताया गया था। इससे पहले इसी तरह का असफल प्रयास गुड़गांव के होटल में विधायकों को ठहराकर किया जा चुका था। लेकिन इस बार बात बहुत आगे बढ़ गई है। नैतिकता तो गई भाड़ में। विचारधारा भी किताबी लगने लगती है। सत्ता सुख का भोग, अभोग वाले क्या जानें। फिलहाल एमपी की सियासत के लिए अगले दो दिन बेहद उठक-पटक वाले साबित होने  वाले हैं। इस दरम्यान स्टिंग, वॉइस मेसेज भी वायरल हो सकते हैं। डील का भी खुलासा मुमकिन है।
मध्य प्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं, जिनमें से वर्तमान में दो खाली हैं। इस प्रकार कुल 228 विधायक हैं, जिनमें से 114 कांग्रेस, 107 भाजपा, चार निर्दलीय, दो बहुजन समाज पार्टी एवं एक समाजवादी पार्टी का विधायक शामिल हैं।  कमलनाथ के नेतृत्व की कांग्रेस सरकार को इन चारों निर्दलीय विधायकों के साथ-साथ बसपा और सपा का भी समर्थन है।

ईरान से ५८ जायरीन लाये, अन्य भी लाए जायेंगे

ईरान में कोरोना वायरस के बाद बने हालात के कारण वहां फंसे भारतीयों को स्वदेश वापस लाने का काम शुरू हो गया है गया है। ईरान में फंसे भारतीयों में से ५८ लोगों का पहला जत्था मंगलवार को गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पहुंच गया। इन्हें एयरफोर्स के जहाज में वहां से लाया गया। सोमवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर जब कश्मीर गए थे तो वहां ईरान में फंसे कश्मीरी छात्रों और कोम शहर में फंसे जायरीनों के परिजनों ने भी उनसे जल्द वापस लाने की मांग की थी।
भारतीय वायु सेना का सी-१७ ग्लोबमास्टर परिवहन विमान मंगलवार को हिंडन एयरबेस पहुंचा। विमान में विशेषज्ञ चिकित्सा दल भी गया था। इस विमान में ५८ जायरीन थे, जो ईरान के शहर तेहरान से लाए गए हैं। ईरान में करीब दो हजार भारतीय रह रहे हैं।
इससे पहले फरवरी में वुहान से  ६०० से ज्यादा भारतीयों को वापस स्वदेश लाया गया था। मंगलवार को जिन भारतीयों को वापस लाया गया है, उनमें से काफी जम्मू कश्मीर के रहने वाले हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को श्रीनगर का दौरा करने के दौरान कोरोनावायरस से जूझ रहे ईरान में फंसे कश्मीरी छात्रों के माता-पिता को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया था।
विदेश मंत्री ने बताया था कि सरकार पहले तीर्थयात्रियों को निकालने की प्रक्रिया में है, जो आमतौर पर उम्र में बड़े होते हैं और उम्रदराज होने की वजह से वह कोरोनावायरस संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं। उन्होंने कहा था कि जायरीन को वापस लाने के बाद जल्द ही छात्रों को निकाल लिया जाएगा जिससे लगता है कि जल्द ही ईरान से और लोगों को भारत लाने के लिए विमान वहां भेजा जाएगा। तीन दिन पहले ईरान की महान एयरलाइन का विमान वहां से ३०० भारतीयों के स्वैब सैंपल लेकर भारत आया था।

होली पर मध्य प्रदेश में राजनीति के रंग, सिंधिया का कांग्रेस से इस्तीफा

मध्य प्रदेश में सोमवार को होली के दिन मध्य प्रदेश में कांग्रेस के गुलदस्ते से एक रंग निकल गया। पिता माधवराव सिंधिया की जन्मजयंती पर ज्योतरादितीय सिंधिया उस कांग्रेस से अलग हो गए, जिसे उनके पिता पार्टी की भीतरी द्वंदों के बावजूद बहुत प्यार करते थे। सिंधिया के इस्तीफे और उनके चिर प्रतिद्वंदी भाजपा के साथ हाथ मिलाने की घोषणा के साथ ही उनकी अब तक अपनी पार्टी रही कांग्रेस ने उन्हें ”जयचंद” घोषित कर दिया। निश्चित ही ज्योतरादितिया ने उस समय भाजपा का दामन थामा है जब वो राज्यों में सिकुड़ रही है और उसके केंद्र में सरकार के बहुत से फैसलों पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं।

अब मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार का जो हो सो हो, कांग्रेस को यह सोचना होगा कि राज्यों में बड़े नेताओं के बीच वह क्यों तालमेल बनाने और उन्हें अलग-थलग होने से रोकने में क्यों नाकाम हो रही है।

कांग्रेस राज्यों में संतुलन की इस जंग में राजस्थान में दिक्कत महसूस कर सकती है, जहां युवा तुर्क और लोकप्रिय गुज्जर नेता सचिन पायलट बहुत ज्यादा खुश नहीं हैं। हालांकि, उनके भाजपा में जाने की संभावना बहुत कम इसलिए लगती है कि मोदी सरकार में उनके ससुर फारूक अब्दुल्ला और साले उमर अब्दुल्ला को जेल में नजरबंद कर रखा है।

कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के बाद सिंधिया को बहुत ज्यादा तबज्जो नहीं दी जबकि वो सोनिया गांधी के नेतृत्व में एक बेटे की तरह पार्टी की हर नीति-रणनीति का हमेशा बड़ा हिस्सा रहे। हो सकता है सिंधिया की पद को लेकर कुछ महत्वकांक्षाए रही हों, इसमें भी कोइ दो राय नहीं कि कांग्रेस में उनके लिए संभावनाएं बहुत थीं।

हो सकता है भाजपा उन्हें केंद्र में मंत्री बना दे, राज्य सभा में भी भेज दे लेकिन मध्य प्रदेश राज्य की राजनीति में भाजपा के दूसरे नेता उन्हें आगे जाने के लिए तश्तरी में रखकर सबकुछ परोस देंगे, इसकी संभावना बहुत काम दिखती है। राज्य में कमलनाथ की सरकार गिरने पर  शिवराज सिंह चौहान के ही मुख्यमंत्री बनने की संभावना ज्यादा है।

कुलमिलाकर भाजपा का मध्य प्रदेश में कमलनाथ (कांग्रेस) सरकार गिराने का सपना सिंधिया के जरिये पूरा हो गया है। राजस्थान की भाजपा नेता और ज्योतरादितिया की रिश्तेदार पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया का भी उन्हें भाजपा में लाने में बड़ा रोल रहा  है। यह राजघराना अब लगभग पूरी तरह भाजपा में चला गया है।

दिल्ली और उससे पहले महाराष्ट्र और झारखंड में लोगों की तरफ से चुनावों में अस्वीकार कर देने दिए जाने और अपनी सरकार खो देने के बाद भाजपा में बहुत गहरी निराशा भर रही थी। उसके पास जनमत लेकर फिलहाल कोइ और सरकार बना लेने की निकटवर्ती संभावना नहीं थी ताकि वो इस निराशा से बाहर आ सके।

दिसंबर के विधानसभा चुनाव में बिहार में भी भाजपा के लिए बहुत कठिन चुनौती  रहने वाली है, लिहाजा उसने सिंधिया की कांग्रेस के प्रति ”नाराजगी” को भुनाया और अपनी हारों के सिलसिले से मिली निराशा को कम करने के लिए पिछले दरवाजे से सरकार बनाने का फैसला किया। सिंधिया को भाजपा में शामिल करवाकर उसने जनता को यह सन्देश देने की कोशिश की कि उसने कांग्रेस की सरकार नहीं गिराई, बल्कि यह कांग्रेस लड़ाई का नतीजा है।

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधिरंजन चौधरी ने यह स्वीकार कर लिया है कि सिंधिया का जाना कांग्रेस का बड़ा नुक्सान है। जो १९ विधायक सोमवार को बागी हुए थे, वे स्पीकर को इस्तीफा दे चुके हैं। यह सभी सिंधिया समर्थक हैं। कमलनाथ सरकार अब लगभग जा  चुकी है और इसका राज्य सभा के चुनाव पर भी असर पड़ेगा। हो सकता है अब कुछ और विधायक पलटी मारें। राजनीति चलती का नाम गाड़ी है।

मध्य प्रदेश के इस आपरेशन की स्क्रिप्ट काफी दिन से भाजपा लिख रही थी। कांग्रेस मुगालते में रही कि सिंधिया जैसा उनका चर्चित और पक्का कार्यकर्ता पार्टी छोड़ देगा। लेकिन कांग्रेस के साथ-साथ यह कमलनाथ की बड़ी नाकामी है। भाजपा जब जनमत के कारण राज्यों में हार रही है, पिछले दरवाजे से सत्ता हासिल करने का भी  उसका यह कोइ नया उदहारण नहीं है। बिना जनमत के उसने एक राज्य अपने खाते में जोड़ लिया है, इसलिए वो बधाई की पात्र तो है ही। सबका साथ, सबका विकास की राजनीति शायद इसी को कहते हैं !

सिंधिया को लेकर कांग्रेस में कयास, कमलनाथ सरकार पर फिर ख़तरा

मध्य प्रदेश में जब लग रहा था कि कमलनाथ की कांग्रेस सरकार पर ख़तरा टल गया है, सोमवार को अचानक सरकार के भविष्य को लेकर ख़तरा सामने दिखने लगा है। इस बार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर कयास शुरू हो गए हैं कि क्या वे भाजपा में जाने की तैयारी कर रहे हैं। दिल्ली में राज्य सभा के उम्मीदवारों के सिलसिले में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने गए मुख्यमंत्री कमलनाथ बदलते घटनाक्रम के कारण भोपाल लौट गए हैं और अपने आवास पर आपात बैठक बुलाई है जिसमें दिग्विजय सिंह भी उपस्थित हैं। कांग्रेस के १६ विधायकों के बेंगलुरु पहुँच जाने की भी खबर है। उधर मध्य प्रदेश भाजपा ने मंगलवार (कल) अपने सभी विधायकों की बैठक बुलाई है।

हो सकता है मध्य प्रदेश का सियासी संकट राज्य सभा चुनाव में उम्मीदवारों को लेकर दबाव बनाने की कोशिश भर हो। वैसे अभी तक की रिपोर्ट्स यह हैं कि कांग्रेस सिंधिया को एमपी की एक सीट से राज्य सभा में  कर चुकी है जबकि  दूसरी सीट से दिग्विजय सिंह के नाम पर सहमति की खबर है।

लेकिन सिंधिया के पिछली रात कथित रूप से भाजपा के बड़े नेताओं से मिलने की रिपोर्ट्स के बाद कई कयास शुरू हो गए हैं। जो चर्चा छनकर बाहर आ रही है उसके मुताबिक सिंधिया को राज्य सभा में भेजने और  मोदी सरकार में मंत्री पद देने के लिए भाजपा ”तैयार” है।

सिंधिया ने अभी तक किसी तरह की प्रतिक्रिया इन रिपोर्ट्स पर नहीं जताई है। भाजपा मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार ”गिराने” की कोशिश कर रही है, इसका आरोप कांग्रेस कुछ दिन से लगा रही है। इस बीच खबर है कि एक मंत्री सहित कांग्रेस के १६  विधायक बेंगलुरु पहुंच गए हैं। उनके साथ भाजपा के छह विधायकों के होने की भी खबर है।

पिछले हफ्ते  सियासी ड्रामा चला था, लेकिन ज्यादातर विधायक वापस लौट आये थे।

कमलनाथ ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि भाजपा से अब रहा नहीं जा रहा है। कमलनाथ ने कहा – ”भाजपा के १५ साल  के कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार का मामला उजागर होने वाला है, इसलिए वे परेशान  हैं”।

सिंधिया कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बहुत करीबी माने जाते हैं। ऐसे में यदि उनके भाजपा में जाने की अफवाह सच साबित होती है तो यह कांग्रेस के लिए बहुत फजीहत वाली बात बन जाएगी। पिछले कुछ समय से सीएम कमलनाथ को लेकर सिंधिया मुखर होकर विरोध जताने लगे हैं।

यदि मध्य प्रदेश विधानसभा का गणित देखा जाये तो वहां कुल २३० सीटें हैं। कांग्रेस के ११४ विधायक हैं जबकि उसे ४ निर्दलीय विधायकों और १-१ बसपा-सपा विधायक का भी समर्थन है जिससे उसकी संख्या १२० हो जाती है। भाजपा के पास १०७ विधायक हैं। दो सीटें चूंकि खाली हैं, कुल २२८ की संख्या में बहुमत के लिए ११५ विधायकों की जरूरत रहती है।

ऐसे में बहुमत को बचाये रखना कमलनाथ के लिए हमेशा बड़ी चुनौती रहा है। हालांकि, अभी तक वे इसमें सफल रहे हैं। इस समय सीएम कमलनाथ कांग्रेस विधायकों के साथ अपने आवास पर बैठक कर रहे हैं, जिसमें वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह भी मौजूद हैं। कांग्रेस की सरकार जाने का खतरा बना तो दिग्विजय का राज्य  सभा में जाना भी मुश्किल हो जाएगा।

टीआईजीपी देगा महिलाओं के पंखों को नई उड़ान

‘दि इंटरनैशनल ग्लैमर प्रोजेक्ट’ (टीआईजीपी) के तत्वावधान में भारत के पहले अंतरराष्ट्रीय पेजेंट की शुरुआत देश की राजधानी दिल्ली से हो चुकी है। इस प्रतियोगिता में 3 तहत विविध उम्र के गुटों की महिलाएं (14-18, 18-35 तथा 18 से अधिक of विवाहित महिलाएं) हिस्सा ले सकती है। महिला सशक्तिकरण को बल देने वाले इस इवेंट के माध्यम से प्रतियोगिता में भाग लेने वाली महिलाएं इस प्रतियोगिता में शामिल होकर मिस टीन इंडिया, मिस इंडिया और मिसेस इंडिया जैसे पुरस्कारों को अपने नाम कर सकती हैं।

द्वारका स्थित ताज विवांता में आयोजित ऑडिशन्स में दिल्ली विभाग के प्रतियोगी महिलाओं ने हिस्सा लिया। इसके लिए सिर्फ राजधानी दिल्ली ही नहीं बल्कि एनसीआर सहित अन्य राज्यों की महिलाओं ने भी हिस्सा लिया। इसमें जूरी मंडल को 500 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए।

परिक्षक मंडल के सदस्यों में सुपरमॉडल और रैम्प वॉक एक्सपर्ट अलेसिया राऊत, टेलिविजन सेलिब्रिटी सिध्दार्थ सुर्यवंशी और मिसेस इंटरनैशनल वर्ल्ड इंडिया डॉ. अक्षता प्रभू का समावेश है। इन के साथ बाद में मशहूर अध्यात्मिक प्रशिक्षक डॉ.शुची कालिया भी शामिल हुई थी. पैनल के अन्य प्रशिक्षकों में फ़िल्म सेलिब्रिटी, मॉडल, डॉ. अदिती गोवित्रीकर और न्युयॉर्क मॉडेल -ज्युलिआन स्पानो भी शामिल हुए।

दि इंटरनैशनल ग्लैमर प्रोजेक्ट मिस टीन इंडिया,मिस इंडिया एवं मिसेस इंडिया 2020 में अपनीं तरह का एक अनोखा मंच है, जहां महिलाओं को परखनें के लिए उनका आत्मविश्वास और व्यक्तीमत्व इन निकषों के साथ काम किया जाता है।

कई मौकों के चलतें अब इस पेंजेंट मंच के माध्यम से महिलाओं के लिए एक अनोखे वातावरण का निर्माण किया जा रहा है। इस मंच के माध्यम से पेंजेंट की ओर से कल की महिलाओं का चुनाव करनें की योजना है। इनके तहत महिलाओं को तीन मशहूर इंटरनैशनल पेंजेंट्स मंचों पर भारत का प्रतिनिधीत्व करनें के साथ ही हिम्मत, गरीमा और वैभव की यात्रा करनें का मौका मिलेगा।