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मीडिया कर्मियों की छंटनी पर केंद्र को नोटिस, प्रवासी मज़दूरों को गांव वापस भेजने की मांग पर केंद्र से जवाब मांगा

सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को लॉकडाउन के दौरान मीडिया संस्थानों में कर्मियों की छंटनी, वेतन कटौती आदि को लेकर  केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। इसे लेकर कुछ मीडिया कर्मी यूनियनों ने याचिका दायर की है। उधर एक अन्य याचिका पर सर्वोच्च अदालत ने प्रवासी मज़दूरों को गांव वापस भेजने की मांग पर केंद्र से जवाब मांगा है।

मीडिया से जुड़े मामले वाली याचिका पर आज सुनवाई हुई जिसमें कर्मियों की छंटनी करने, उनके वेतन में कटौती करने और छुट्टी में वेतन काटने जैसे मुद्दे उठाए गए हैं। याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने नोटिस जारी किया है। याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने टिप्पणी की कि ”कई यूनियन इस तरह की बातें उठा रही हैं। व्यापार लगभग बंद है। इस मसले पर सुनवाई ज़रूरी है”।

न्यायमूर्ति एनवी रमना की अध्यक्षता वाली खंडपीठ, जिसमें जस्टिस संजय किशन और जस्टिस बीआर गवई भी हैं, ने पत्रकारों की यूनियनों  दायर   याचिका में केंद्र को नोटिस जारी किया है। याद रहे १६ अप्रैल को, नेशनल एलायंस ऑफ़ जर्नलिस्ट्स (एनएजे) और दो अन्य यूनियनों ने कर्मचारियों की छंटनी, वेतन कटौती और मीडिया हाउस के अन्य संबद्ध आदेशों को निलंबित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

पत्रकार यूनियनों ने साझी याचिका में कहा था कि मीडिया उद्योग के विभिन्न कर्मचारियों के साथ उनके नियोक्ता एकतरफा फैसले कर रहे हैं और उन्हें बहार निकलने और वेतन कटौती जैसे नोटिस दे रहे हैं।

अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए संकेत दिया कि वह केंद्र को नोटिस जारी करेगी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से अनुरोध किया कि वह याचिका की एक प्रति उन्हें भी उपलब्ध करवाए ताकि वह जवाब दे सकें। इस पर जस्टिस एसके  कौल ने कहा कि ”अन्य यूनियनें भी इस तरह की बात कह रही हैं। सवाल यह है कि अगर कारोबार शुरू नहीं होता है, तो वे कब तक ऐसे रहेंगे? इस मुद्दे पर सुनवाई की जरूरत है”। यह याचिका एनएजे, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट और बृहन् मुंबई यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट ने साझे तौर पर दायर की है।

इस बीच एक अन्य याचिका पर सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने प्रवासी मज़दूरों को गांव वापस भेजने की मांग पर केंद्र से जवाब मांगा है। सर्वोच्च अदालत ने पूछा कि  क्या इस बारे में कोई प्रस्ताव है? अदालत ने केंद्र से एक हफ्ते में जवाब देने को कहा।

इस याचिका में कहा गया है कि मज़दूरों को घर से दूर रखना मौलिक अधिकार का हनन है। याचिका में कि कोरोना टेस्ट करके मजदूरों को घर भेजा जा सकता है।

सर्वोच्च न्यायालय ने घर घर जाकर कोरोना टेस्ट की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। अदालत ने साथ ही लॉकडाउन के दौरान अनलिमिटेड कॉलिंग और इंटरनेट, फ्री डीटीएच और फ्री नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम की मांग करने वाली याचिका को भी खारिज कर दिया। जजों ने इस याचिका को लेकर याचिकाकर्ता से कहा कि ”क्या आप कुछ भी दाखिल कर देंगे”?

इसके अलावा कोविड-१९ महामारी के बीच दलित, मुस्लिम, उत्तर पूर्व भारत के लोगों से भेदभाव किये जाने का आरोप लगाने वाली याचिका भी सर्वोच्च अदालत ने खारिज कर दी है।

महाराष्ट्र सरकार प्रवासियों को उनके गांव पहुंचाना चाहती है – सीएम उद्धव ठाकरे

महाराष्ट्र चीफ सेकेट्री अजय मेहता ने अन्य राज्यों के प्रमुखों से अपने राज्य के लोगों को वापस ले जाने की अपील की है। देशव्यापी लॉकडाउन के बीच महाराष्ट्र के नांदेड़ स्थित गुरुद्वारा हुजूर साहिब से सौ सिखों के पहले जत्थे के पंजाब , हरियाणा और नई दिल्ली वापस पहुंचने के बाद मेहता ने यह अपील की है।

मेहता के अनुसार महाराष्ट्र सरकार दूसरे राज्यों के लोगों को उनके राज्यों के बॉर्डर तक छोड़ने के लिए तैयार है। खबरों के मुताबिक अजय मेहता ने इस मसले का जिक्र यूनियन कैबिनेट सेकेट्री की बैठक में भी किया । हालांकि सीएम उद्धव ठाकरे ने इस मसले को केंद्र सरकार और राज्य का दौरा करने पहुंची केंद्रीय टीम के सामने भी उठाया है, लेकिन दोनों ही तरफ से फिलहाल कोई जवाब नहीं मिला है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में फिलहाल यूपी, एमपी, बिहार, राजस्थान, गुजरात और छत्तीसगढ़ के साढे तीन लाख प्रवासी फंसे हुए हैं। और वे किसी भी हालात में अपने गांव पहुंचना चाहते हैं। दरअसल लॉक डाउन शुरू होने के बाद से ही इन प्रवासी मजदूरों के सामने रहने खाने और कमाने की समस्या मुंह बाए खड़ी है। लॉकडाउन की घोषणा के पहले भी झुंड के झुंड लोग मुंबई के बांद्रा कुर्ला टर्मिनस तिलक नगर अन्य रेलवे स्टेशनों पर जमा हो गए थे गाड़ियां रद्द होने के चलते इन्हें यहीं पर रुकना पड़ा, कई लोग पैदल व अन्य बस गाड़ियों के जरिए अपने मलूक रवाना होने के लिए निकल पड़े। कई लोग जैसे-तैसे अपने गंतव्य स्थान पर पहुंच गए लेकिन ऐसे कई मजदूर है जो बीच में ही फंसे हुए हैं वह लोग जो मुंबई से नहीं निकल पाए उन्हें इस बात का बेसब्री से इंतजार है कि उनके लिए कोई एक ऐसा जरिया निकाला जाए जिससे वह अपने गांव पहुंच जाएं।

तकरीबन 2 सप्ताह पहले 15 अप्रैल को करीब 1500 प्रवासी मजदूर मुंबई उपनगर के बांद्रा स्टेशन पर इकट्ठा हो गए थे। उन्हें यह गलत जानकारी मिल गई थी कि इस दिन उनके लिए लंबी दूरी वाली ट्रेन शुरू कर दी जाएंगी। उस दिन हालात बिगड़ते देख पुलिस को लाठियां भांजनी पड़ी जिसके चलते महाराष्ट्र सरकार की बड़ी किरकिरी हुई थी। हांलाकि महाराष्ट्र सरकार के पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे ने ट्वीट करते हुए इसकी जिम्मेदारी पीएम मोदी पर डाल दी थी।चीफ मिनिस्टर उद्धव ठाकरे का भी कहना था कि उन्होंने केंद्र से यहां के प्रवासियों को उनके गांव तक पहुंचाने दरखास्त की थी जिसे केंद्र द्वारा अनदेखा कर दिया गया और उसकी वजह से मुंबई के बांद्रा व ठाणे से सटे मुंब्रा आदि इलाकों में हड़बड़ी मच गई थी।

सामूहिक प्रयासों का असर दिख रहा है, हमारी अर्थवयवस्था अच्छी : मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कोविड-१९ के कारण लॉकडाउन के चलते सभी मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बातचीत की। यह बैठक अब समाप्त हो गयी है। पीएम ने कहा है कि देश में सामूहिक प्रयासों का सकारात्मक असर कुछ हद एक दिख रहा है, साथ ही उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था अच्छी होने का भी दावा किया। बैठक में गृह मंत्री अमित शाह भी थे, जिन्होंने लॉक डाउन को सख्ती से लागू करने पर जोर दिया और कहा कि ”लंबी लड़ाई है और हमें धैर्य दिखाना है”।

जानकारी के मुताबिक वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान मुख्यमंत्रियों की राय लॉक डाउन बढ़ाने को लेकर बंटी हुई थी। नौ में से चार ने ही लॉक डाउन बढ़ाने का समर्थन किया जबकि सभी ने लॉक डाउन की स्थिति में ज्यादा रियायतों की मांग की। पीएम ने सामूहिक प्रयासों के चलते देश में कोविड-१९ की स्थिति में कुछ सुधार की बात कही।

पीएम ने कहा जिन राज्यों में स्थिति में सुधार दिखेगा उनमें जिलावार रियायतें दी जाएंगी। इससे संकेत मिलता है जहाँ स्थिति खराब रहेगी लाक डाउन जारी रहेगा और जहाँ सुधार है वहां लॉक डाउन ख़त्म किया जा सकता है या उसमें बड़ी रियायतें मिल सकती हैं। वैसे पीएम ने आज लॉक डाउन बढ़ाने या हटाने को लेकर कोइ बात नहीं की। साथ ही राज्यों की वित्तीय स्थिति पर भी नजर रखने की बात कही।

बैठक के बाद पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि वो व्यक्तिगत रूप से राज्य में कोरोना से निपटने की तैयारी की मॉनिटरिंग कर रही हैं और जब तक वो मौजूद हैं, तब तक राज्य के एक भी नागरिक को निःसहाय महसूस नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के अन्य हिस्सों में फँसे बंगालियों की भी मदद की जा रही है। कोटा से छात्रों को वापस बुलाया जाएगा। ममता ने अधिकारियों को कई ज़रूरी निर्देश दिए।

पुडुचेरी के सीएम वी नारायणसामी ने केंद्र से पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट्स) और अन्य मेडिकल उपकरणों के अलावा वित्तीय मदद की मांग की। बैठक में गृह मंत्री अमित शाह और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के अलावा प्रधानमंत्री कार्यालय और अन्य संबद्ध मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों ने शिरकत की।

कोविड-१९ से दुनिया में मौतों की संख्या २ लाख के पार

दुनिया भर में कोविड-१९ से मौतों का आंकड़ा दो लाख के पार चला गया है। संक्रमित लोगों की संख्या भी तीस लाख के करीब पहुँचने वाली है, हालांकि अब तक साढ़े आठ लाख कोरोना की जंग से जीत भी गए हैं।

दुनिया भर में अब तक २९,४०,१९० कोविड-१९ मामले हुए हैं जिनमें से २,०३,८०७ लोगों की जान चली।  दुनिया भर में अब तक ८,४१,९५७ लोग स्वस्थ हुए हैं।

अमेरिका अभी भी कोविड-१९ से गंभीर जंग लड़ रहा है जहाँ ७,८८,४६९ एक्टिव कोविड-१९ केस हैं जबकि वहां अब तक ५४,२६५ लोगों की जान गयी है। इटली में २६,३८४ जबकि स्पेन में २२,९०२ लोगों की जान कोविड-१९ के कारण गयी है।

भारत में अब तक ८३५ लोगों की मौत हुई है जबकि ६,१५५ लोग स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं। भारत में कोविड-१९ के कुल १९,७५० केस हैं। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा ३२३ लोगों की जान गयी है जहाँ १,०७६ लोग  हैं जबकि गुजरात में १३३ और  में १०३ लोगों की जान गयी है।

राजधानी दिल्ली में अब तक ५४ लोगों की मौत हुई है और यहाँ १,७०२ कोविड-१९ एक्टिव मामले हैं। यहाँ ८६९ लोग स्वस्थ हुए हैं।

कोरोना से निपटने के लिए आक्रामक जांच जरूरी: मनमोहन

पूर्व प्रधानमंत्री डाॅ. मनमोहन सिंह ने कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने के मोदी सरकार के तौर तरीके और खामियों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि इस महामारी से निपटने का सबसे बढ़िया तरीका आक्रामक जांच करना ही है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो इसकी वजह से आने वाली चुनौतियों का सामना करना और मुश्किल हो सकता है।

मनमोहन सिंह ने रविवार को कांग्रेस की ओर से वीडियो कां­फ्रेंसिंग में कहा कि जांच से ही किसी भी व्यक्ति में इसके संक्रमण का पता लगाया जा सकता है और उसके बाद ही इससे लड़ने व बचाव के कदम उठाए जा सकते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा पर्याप्त मात्रा में जांच सुविधा नहीं होने से कुछ समस्याएं हैं और जांच की अधिक आक्रामक सुविधाओं के बिना हम इस समस्या से उबर नहीं पाएंगे।

वैश्विक महामारी और लॉकडाउन को लेकर कांग्रेस पार्टी पिछले कुछ दिनों से पूरी तरह सक्रिय है। इस दौरान कई नेताओं से संवाद होता है और जरूरी मुद्दों पर चर्चा करके सरकार को भी सलाह और मशविरा दिया जा रहा है। वीडियो कनेक्टिविटी के जरिये विभिन्न नेताओं के विचारों को साझा किया जा रहा है। हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कोरोना महामारी पर पार्टी का एक समूह बनाया है जिसकी अध्यक्षता मनमोहन सिंह कर रहे हैं।

इससे पहले शनिवार को मनमोहन सिंह केंद्र सरकार की ओर से सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्ते और महंगाई राहत रोके जाने पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था कि संकट के समय में कर्मचारियों के साथ ऐसा किया जाना अमानवीयता है। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नोटबंदी से लाॅकडाउन की तुलना की थी। उन्होंने कहा था कि तब की तरह इस बार भी अर्थव्यवस्था और लोगों की नौकरियांे पर गंभीर खतरा पैदा हो गया है। इस बाबत उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर एमएसएमई और लोगों की नौकरियां बचाने के लिए एक-एक लाख करोड़ रुपये के दो फंड बनाए जाने का आग्रह किया है।

कोरोना संकट के बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर देशवासियों को मन की बात कार्यक्रम के जरिए संबोधित किया

पीएम मोदी ने कहा कि जब भी इतिहास में इस संकट को लेकर चर्चा की जाएगी तो भारत के लोगों के एक दूसरे के साथ खड़े होने के बारे में दुनिया में बात जरूर की जाएगी।

लाइफ-लाइन उड़ान: देश के हर हिस्से में दवाईयों को पहुंचाने के लिए ‘लाइफ-लाइन उड़ान’ नाम से एक विशेष अभियान चल रहा है।

पीपल ड्रिवेन है:  मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि हिंदुस्तान की कोरोना के खिलाफ लड़ाई सही मायने में पीपल ड्रिवेन है। भारत में कोरोना के खिलाफ लड़ाई जनता लड़ रही है, आप लड़ रहे हैं, जनता के साथ मिलकर शासन, प्रशासन लड़ रहा है।

एक एक नागरिक सिपाही है: नरेंद्र मोदी का कहना हैं ,’ हम भाग्यशाली हैं कि आज पूरा देश, देश का हर नागरिक, जन-जन इस लड़ाई का सिपाही है और लड़ाई का नेतृत्व कर रहा है। उन्होंने कहा की आज पूरा देश, एक लक्ष्य, एक दिशा के साथ आगे बढ़ रहा है। पूरे देश में,गली-मोहल्लों में,जगह-जगह पर आज लोग एक दूसरे की सहायता के लिए आगे आए हैं। गरीबों के लिए खाने से लेकर,राशन की व्यवस्था हो, लॉकडाउन का पालन हो,अस्पतालों की व्यवस्था हो, मेडिकल उपकरण का देश में ही निर्माण हो-आज पूरा देश,एक लक्ष्य, एक दिशा साथ-साथ चल रहा है।

पीएम मोदी ने आगे कहा,’पुलिस हों, सफाईकर्मी हों, अन्य सेवा करने वाले लोग हों। इतना ही नहीं हमारी पुलिस-व्यवस्था को लेकर भी आम लोगों की सोच में काफ़ी बदलाव हुआ है। हमारे पुलिसकर्मी ग़रीबों, ज़रुरतमंदो को खाना पंहुचा रहे हैं और दवा पंहुचा रहे हैं।’

उमड़ते घुमड़ते भाव से आ रही है ताकत:  पीएम मोदी का कहना हैं कि दूसरों की मदद के लिए, अपने भीतर, ह्रदय के किसी कोने में, जो ये उमड़ता-घुमड़ता भाव है ना! वही कोरोना के खिलाफ, भारत की इस लड़ाई को ताकत दे रहा है।

मुंबई और पुणे में आगे बढ़ाया जा सकता है लॉकडाउन

भले ही देश भर में लॉक डाउन को 4 मई से छूट मिल सकती है लेकिन महाराष्ट्र में इसके आसार कम नजर आ रहे है। महाराष्ट्र के हेल्थ मिनिस्टर राजेश टोपे के अनुसार मुंबई और पुणे में लॉकडाउन 18 मई तक बढ़ाया जा सकता है।

दूसरी ओर मुंबई और पुणे एमएमआर रीजन में हालात देखते हुए सूत्रों का मानना है कि इन इलाकों में लॉक डाउन जून तक बढ़ाया जा सकता है, अकेले महाराष्ट्र में 989 नियंत्रण क्षेत्र है जिनमें से आधे स्लम इलाकों में है जिसकी वजह से स्थिति और गंभीर होती जा रही है।

महाराष्ट्र में कोरोना वायरस बड़ी तेजी से अपने पैर पसार रहा है। रोजाना काफी संख्या में नए मामले आ रहे हैं। स्लम इलाकों में सबसे ज्यादा परेशानी सामने आ रही है। राज्य में कोरोना आए कुल मामलों में 80 फीसदी मामले मुंबई और पुणे शहर में हैं। इसके मद्देनजर राजेश टोपे ने शनिवार को बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा,’ जिस तरह मुंबई और पुणे में मामले बढ़ रहे हैं उसको देखते हुए इन दोनों शहर में लॉकडाउन को 18 मई तक बढ़ाया जा सकता है।’

गौरतलब है कि कोरोना प्रसार को रोकने लिए देशभर में लॉकडाउन लगाया हुआ है, जो तीन मई को खत्म हो रहा है। लेकिन महाराष्ट्र में कोरोना के संक्रमित मामले बड़ी तेजी से बढ़ रहे हैं जिसके चलते लॉक डाउन को और बढ़ाने की संभावना जताई जा रही है। देश में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र है। जहाँ संक्रमितों के 6817 मामले सामने आ चुके हैं।

महाराष्ट्र के बाद गुजरात और मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा कोरोना मौतें, दुनिया का आंकड़ा २ लाख के करीब

भारत में कोविड-१९ के अब तक २४,८५२ मामले आ चुके हैं और ७८५ से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा ३०१ लोगों की मौत हुई जबकि गुजरात दूसरे नंबर पर है जहां १२७ और मध्य प्रदेश में ९२ लोगों की जान गयी है। राजधानी दिल्ली में ५३ लोग कोविड-१९ के शिकार हुए हैं। भारत में अब तक ५,५५९ लोग स्वस्थ हुए हैं। दुनिया की बात करें तो संक्रमित लोगों का आंकड़ा २८,४९,१३३ पहुँच गया है और मरने वालों की संख्या दो लाख पहुँचती दिख रही है।

भारत में महाराष्ट्र में कोविड-१९ से अब तक ५,५५९ लोग संक्रमित हैं जबकि ३०१ की जान गयी है। वहां ९५७ लोग ठीक हो चुके हैं। दूसरे नंबर पर गुजरात है जहाँ इस समय २,४२३ लोग संक्रमित हैं जबकि अब तक १२७ लोगों की जान जा चुकी है। वहां २६५ लोग ठीक हुए हैं। तीसरे नंबर पर मध्य प्रदेश है जहाँ १५३५ संक्रमित लोग हैं जबकि ९२ की मौत हुई है।

राजधानी दिल्ली, जिसके सभी जिलों को फिलहाल हाट स्पॉट घोषित किया गया है, में १६०४ मामले हैं जबकि ५३ लोगों की जान गयी है। राजस्थान में अब तक ३३, आंध्र प्रदेश में ३१, उत्तर प्रदेश में २६, तेलंगाना में २५, तमिलनाड में २२, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में १८-१८, पंजाब में १७ लोगों की मौत कोविड-१९ से हुई है।

उधर दुनिया भर में कोविड-१९ ने अब तक १,९८,०७३ लोगों को लील लिया है। इस समय २८,५०,३८७ लोग कोविड-१९ विष्णु से संक्रमित हैं जबकि अब तक ८,१२,३०३ वस्थ हुए हैं।

सबसे ज्यादा जानें अमेरिका में गयी हैं जहाँ अब तक ५२,२१७ लोगों की जान गयी है। इटली में २५९६९, स्पेन में २२५२४, फ्रांस में २२२४५, ब्रिटेन में १९५०६, बेल्जियम में ६९१७, जर्मनी में ५७६७, ईरान में ५६५०, चीन में ४६३२, नीदरलैंड्स में ४४०९, ब्राज़ील में ३७०४, स्वीडन में २१९२, स्विट्जरलैंड में १५९३, रूस में ६८१ लोगों की जान गयी है। अन्य देशों में भी लोगों की मौतें हुई हैं।

कोरोना के साथ–साथ मौसमी बीमारियों पर सतर्कता से गौर करें सरकार

आज विश्व मलेरिया दिवस है, ओर ये जग जाहिर है। कि ये बीमारी मच्छर के काटने से फैलती है । पर कोरोना वायरस के कहर के कारण मलेरिया जैसी बामारी पर किसी भी सरकारी सिस्टम ओर स्वास्थ्य महकमें का कोई खास ध्यान व जागरूकता अभियान देखने को नहीं मिला है। गौरतलब है कि मलेरिया भी एक घातक बीमारी के साथ – साथ एक संक्रमित बीमारी है। इस बीमारी में भी बचाव के तौर पर मच्छर मार दवा का छिडकाव किया जाता रहा है। लेकिन इस बार तो किसी भी सरकारी ओर निजी अस्पताल में देखने को नहीं मिला है।डाक्टरों का मानना है कि कोरोना वायरस के साथ –साथ अगर मौसमी बीमारियों पर गौर ना किया गया। तो ये बीमारी भी घातक रूप धारण कर सकती है।

बताते चले कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाँ हर्षवर्धन ने गत दिनों पहले स्वास्थ्य महकमें ओर डाक्टरों को मौसमी बीमारियों के प्रति सतर्क रहने की बात भी कहीं थी । पर आज ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला है ।इस बारे में डीएमए के पूर्व अध्यक्ष डाँ अनिल बंसल ने बताया कि कई बार स्वास्थ्य महकमा काफी लापरवाही कर जाता है । जो बाद में काफी घातक होता है। जैसे आजकल सारा सिस्टम सिर्फ कोरोना वायरस पर लगा हुआ है। इसके कारण अन्य बीमारियों पर गौर तक नहीं कर रहा है।उऩ्होंने बताया कि मलेरिया का प्रकोप भी कई बार देश व्यापी रूप धारण करता है।जिसकी चपेट में बच्चें, युवा ओर बुजुर्ग सभी वर्ग के लोग आते है।एम्स के डाँ आलोक कुमार का कहना है कि कई बार ये लापरवाही घातक होती है कि बडी बीमारी के कारण उन बीमारियों को नजरअंदाज कर जाते है जो देश में पहले से भी घातक रही है।उन्होंने सरकार को आगाह के तौर पर सतर्कता बरतनें को कहा है कि आने वाले दिनों मलेरिया, डेंगू ओर स्वाइन फलू भी दस्तक दें सकतें है। क्योंकि मई बाद के देश में वारिस होना शुरू हो जाती है। ऐसे में अब सरकार को विशेष सावधानी के तौर पर देश भर जागरूकता पर बल देने की आवश्यकता है।क्योंकि कोरोना वायरस के साथ – साथ अगर मौसमी बीमारियों का मिश्रण हो गया तो काफी घातक स्थिति बन सकती है। गौर तलब है कि जून महीने के बाद डेंगू ओर स्वाइन फलू से दिल्ली , मुम्बई , चैन्नई सहित तामाम राज्यों में लोगों की मौतों के मामले काफी सामने आये है।

यूएई में बुजुर्गों को घर पर मुफ्त कोरोना टेस्ट की सुविधा 

रमज़ान के पवित्र महीने में बुजुर्गों की सहूलियत के लिए यूएई की सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, ताकि उन्हें असुविधा न हो। दुबई कॉर्पोरेशन फॉर एम्बुलेंस सर्विसेज ने रोज़े के पहले दिन बुजुर्गों और ज़रूरतमंदों के लिए घर पर मुफ्त कोरोना वायरस स्क्रीनिंग सुविधा के लिए मोबाइल टेस्टिंग यूनिट शुरू की।
नई मोबाइल प्रयोगशाला इकाइयां (एमएलयू) नमूनों के लिए ऑटो-स्टरलाइजेशन यूनिट, थर्मल स्कैनर और सेफ स्टोरेज केबिन से सुसज्जित एम्बुलेंस हैं। एम्बुलेंस में लोगों का स्वागत करने, उनकी पहचान सत्यापित करने और स्क्रीनिंग के लिए उपकरण भी लगाए गए हैं।
नई यूनिट से सरकार को उम्मीद है कि इससे अस्पतालों पर दबाव कम करने में मदद मिलेगी साथ ही लोगों को वायरस से ज़्यादा जोखिम से बचाने में भी इसकी अहम भूमिका होगी।
एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, दुबई काउंसिल के सुरक्षा और न्याय विभाग के कमिश्नर तलाल बेलहौल ने कहा, दुबई कॉरपोरेशन फॉर एम्बुलेंस सर्विसेज ने कोविड-19 को समाज के सबसे कमजोर वर्गों के लिए एम्बुलेंस सर्विस शुरू कर दी है।
उन्होंने कहा कि दुबई सरकार के विभिन्न निकाय कोविड-19 के प्रसार का मुकाबला करने के लिए एक टीम के रूप में काम करते हैं। हम वायरस से लड़ने के अपने प्रयासों को मजबूत करने के लिए एक दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं। समाज के फायदे के लिए सेवाओं को और बढ़ाने को नए विचार बेहद महत्वपूर्ण हैं।
दुबई कॉरपोरेशन फॉर एम्बुलेंस सर्विसेज के कार्यकारी निदेशक खलीफा बिन ड्रे ने कहा कि दुबई काउंसिल के साथ सहयोग से परिणामों को एक राष्ट्रीय सांख्यिकी पूल में एकीकृत करने में मदद मिलेगी, जिसका उपयोग अन्य संस्थाओं द्वारा सक्रिय मामलों के संपर्क में रहने वाले लोगों पर नज़र रखने के लिए किया जाता है।