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सूरत के ओएनजीसी गैस प्लांट में आग पर काबू, जानी नुक्सान नहीं

गुजरात के सूरत में ओएनजीसी के गैस प्लांट में गुरुवार तड़के भीषण आग लग गयी। इसके बाद वहां कुछ धामके हुए हैं। घटनास्थल के आसपास के क्षेत्र के लोगों के मुताबिक धमाके इतने तेज थे कि उनके घरों की खिड़कियों के शीशे टूट गए। अभी तक इस हादसे में किसी जान-माल के नुक्सान की जानकारी बाहर नहीं आई है।

अभी तक की जानकारी के मुताबिक आग पर अब काबू पा लिया गया है। फायर ब्रिगेड की गाड़ियों ने मौके पर पहुंच कर आग पर काबू पाया। घटना की खबर मिलते ही प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी मौके पर पहुँच गए। सूरत स्थित तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के हजीरा गैस प्रोसेसिंग प्लांट में यह आग बुधवार देर रात लगी।

अभी तक की जानकारी के मुताबिक ओएनजीसी के अधिकारीयों ने बताया है कि  आग पर काबू पा लिया गया है और घटना में किसी की जान नहीं गई है और न कोई घायल हुआ है। सूरत के अधिकारियों के मुताबिक आधी रात करीब तीन बजे ओएनजीसी हजीरा प्लांट में एक के बाद एक तीन धमाके हुए। वहां आग की ऊंची लपटें उठने लगीं। सूचना मिलते ही दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंचीं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक ओएनजीसी के अधिकारी गैस सिस्टम को डिप्रेशराइजिंग (अंदर बने गैस के दवाब को बाहर निकालने) का कार्य कर रहे हैं। हटना के वक्त कुछ लोगों ने वीडियो बना लिए जिन्हें सोशल मीडिया पर भी पोस्ट कर दिया। ऐसे ही एक वीडियो में दिख रहा है कि दो जगह आग की भीषण लपटें उठ रही हैं। बताया गया है कि ओएनजीसी के इस संयंत्र में 2015 में भी आग की घटना हुई थी जिसमें किछ लोग घायल हो गए थे।

किसान बिलों के खिलाफ आज़ाद के नेतृत्व में विपक्ष का मार्च, 5 बजे राष्ट्रपति कोविंद से मिलेंगे

किसान बिलों के खिलाफ माहौल गर्माता जा रहा है। पंजाब और हरियाणा के किसान बड़े पैमाने पर सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं तो उधर दिल्ली में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने मार्च निकाला। यह सभी विपक्षी दल शाम 5 बजे कृषि बिलों को एकतरफा तरीके से राज्य सभा में पास करवाने के खिलाफ मिलने भी जा रहे हैं।

संसद परिसर में बुधवार को प्रदर्शन के दौरान विपक्षी पार्टियों ने किसान बचाओ, मजदूर बचाओ के साथ-साथ लोकतंत्र बचाओ के नारे लगाए। नेताओं ने अपने हाथ में पोस्टर भी लिए हुए थे। प्रदर्शन की अगुवाई कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने की। इस प्रदर्शन में ममता बनर्जी की टीएमसी से डेरेक ओब्रायन और एनसीपी पार्टी से प्रफुल्ल पटेल और अन्य नेता मौजूद थे।

किसान बिल को लेकर विपक्षी दलों के नेता आज शाम पांच बजे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करेंगे। राष्ट्रपति भवन ने विपक्षी दलों के पांच नेताओं को  मुलाकात के लिए मंजूरी दी है। इस दौरान कोविड-19 से जुड़े प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा। विपक्ष नेताओं ने राष्ट्रपति से मिलने की अनुमति माँगी थी।

इस बीच राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने अपना चौबीस घंटे का उपवास आज खत्म कर दिया। राज्य सभा से निलंबित एक सांसद ने बुधवार को आरोप लगाया कि उपसभापति हरिवंश का निलंबित सदस्यों को चाय लेकर जाना पूरी तरह प्रायोजित था क्योंकि वे मीडिया को साथ लेकर गए थे। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि उपसभापति ने कृषि बिलों को लेकर सदन में निष्पक्षता नहीं दिखाई और बिना विपक्ष की मंजूरी के पहले सदन का समय बढ़ाया और फिर बिलों के लिए विपक्ष की मांग के बावजूद मतविभाजन नहीं करवाया जो बिलकुल नियमों के खिलाफ है।

इस बीच आज कांग्रेस सहित 18 विपक्षी दलों के वहिष्कार के बीच सरकार ने कई बिल पास करवा लिए। राज्य सभा को अब अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया है। संसद का यह सत्र समय से बहुत पहले ही समाप्त किया जा रहा है।
उधर विपक्षी पार्टियां अब आगे की रणनीति को लेकर एक साझा बैठक करने की तैयारी में हैं। विपक्षी पार्टियों ने राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर अपील की थी कि वे  विपक्ष के गैर मौजूदगी में श्रम संबंधित तीन विधेयकों को सदन में पास न होने दें। ये तीनों विधेयक ध्वनिमत से पास हो गए जिसके बाद विपक्ष का आक्रोश चरम पर है। कांग्रेस 25 सितंबर को इंसानों के हक़ में पूरे भारत में आंदोलन करने जा रही है।

कृषि बिलों का इतना विरोध होगा इसकी कल्पना शायद सरकार और भाजपा ने नहीं की थी। शायद यही कारण है कि किसान बिल के विरोध में जन आक्रोश बढ़ता देख पीएम मोदी ने एक दिन पहले मामला संभालने की कोशिश करते हुए कहा कि किसानों को भ्रमित करने में बहुत सारी शक्तियां लगी हुई हैं। उन्होंने किसानों को  आश्वस्त करने की कोशिश की कि एमएसपी और सरकारी खरीद की व्यवस्था बनी रहेगी। हालांकि, इसका असर होता नहीं दिखा है क्योंकि किसान आंदोलन लगातार तेज होता जा रहा है।

‘टाइम मैगज़ीन’ की प्रभावशाली लोगों की सूची में सीएए विरोधी आंदोलन की दादी बिल्किस बानो को मिली जगह, मोदी, खुराना, गुप्ता के भी नाम

दुनिया की मशहूर ‘टाइम मैगज़ीन’ की इस बार की 100 प्रभावशाली व्यक्तियों की सूची में नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ दिल्ली के शाहीनबाग में हुए आंदोलन में लोकप्रिय हुईं 82 साल की दादी बिल्किस बानो को भी जगह मिली है। उनके अलावा भारत से पीएम मोदी, अभिनेता आयुष्मान खुराना, प्रोफेसर रविंद्र गुप्ता के भी नाम हैं। दिलचस्प यह है कि सूची में चीन के राष्ट्रपति शी जिन पिंग का नाम अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से पहले है।

‘टाइम मैगज़ीन’ ने आज जो सूची जारी की है उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम एक बार शामिल किया है। उनका नाम पिछले सात साल में चौथी बार आया है। मोदी देश के अकेले राजनीतिक हैं जिनका नाम इसमें है। मैगजीन के लेख में टाइम ने लिखा है कि लोकतंत्र में वही सबसे बड़ा है, जिसे जितने ज्यादा वोट मिले हैं। लोकतंत्र के कई पहलू हैं जिसमें जिन्होंने जीते हुए नेताओं को वोट नहीं दिया है, उनके हक की भी बात होती है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और यहां हर धर्म के लोग रहते हैं। मैगजीन में लिखा गया कि रोजगार के वादे को लेकर भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आई और इसके बाद कई विवाद सामने आए।

हालांकि, टाइम की सूची में सबसे ज्यादा हैरानी वाला नाम बिल्किस बानो का है जिन्हें ‘शाहीनबाग की दादी’ के नाम से भी जाना जाता है। नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ दिल्ली के शाहीनबाग के आंदोलन में 82 साल की बिल्किस बानो बहुत ज्यादा चर्चा में रही थीं। याद रहे शाहीनबाग में नागरिकता कानून को वापस लेने की मांग पर 101 दिन तक धरना-प्रदर्शन चला था। बाद में कोरोना संकट उभरने से  प्रदर्शन बंद कर दिया गया था।

पिछले साल लंदन में एक मरीज को एचआईवी से मुक्ति दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले भारत के प्रोफेसर रविंद्र गुप्ता को भी सूची में जगह मिली है।  बॉलीवुड अभिनेता आयुष्मान खुराना भी सूची में जगह बनाने में सफल रहे हैं।

मैगजीन की सूची में भारतीय मूल की अमेरिकी नेता कमला हैरिस, जो जो बिडेन के साथ अमेरिका के उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रत्याशी हैं, को भी शामिल किया गया है।   सूची में चीन के राष्ट्रपति शी जिन पिंग, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो बिडेन,  एंजेला मर्केल, नैन्सी पॉलोसी जैसे बड़े नेताओं के नाम सूची में हैं। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इस बार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का नाम लिखा गया है।

किसानों के बहाने साल बाद सिद्धू फिर मैदान में, मोदी सरकार के कृषि बिलों के खिलाफ धरना

वरिष्ठ कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू एक साल के बाद फिर मैदान में उतरे हैं। सिद्धू ने बुधवार को अमृतसर में मोदी सरकार के कृषि बिलों का जबरदस्त विरोध करते हुए धरना दिया और प्रदर्शन में हिस्सा लिया। हाल में चर्चा दोबारा उठी है कि प्रदेश कांग्रेस की प्रभारी आशा कुमारी को बदलने के बाद अब सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का जिम्मा दिया जा सकता है।

किसानों के मुद्दे पर सिद्धू आज अमृतसर के हाल गेट धरने पर बैठे और मोदी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उन्होंने कृषि बिलों के खिलाफ अमृतसर के भंडारी पुल से हाल गेट तक मार्च में हिस्सा भी लिया। उनके साथ बड़ी संख्या में कांग्रेस नेताओं के अलावा किसान भी प्रदर्शन में शामिल हुए।

इससे पहले सिद्धू ने ट्वीट कर मोदी सरकार के कृषि बिल्लों पर जमकर हमला किया था। सिद्दू ने पहले ट्वीट में लिखा – ‘सरकारें तमाम उम्र यही भूल करती रही, धूल उनके चेहरे पर थी, आईना साफ करती रही।’ जबकि दूसरे ट्वीट में सिद्धू ने कहा – किसान पंजाब की आत्मा हैं। शरीर के घाव ठीक हो जाते हैं, लेकिन आत्मा के नहीं।  हमारे अस्तित्व पर हमला बर्दाश्त नहीं है। युद्ध का बिगुल बजाते हुए क्रांति को जीते रहो। पंजाब, पंजाबी और हर पंजाबी किसान के साथ है।’एक और ट्वीट में सिद्धू ने कहा – ‘आवाज-ए-किसान: जिन्हें हम हार समझे थे गला अपना सजाने को, वही अब नाग बन बैठे हैं हमें काट खाने को।’

याद रहे इससे पहले पंजाब से अकाली दल की मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने किसान बिलों के खिलाफ अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, इसके बावजूद उनके गृह गाँव बादल में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और हाल में एक किसान ने वहां आत्महत्या भी कर ली थी। वैसे भी पंजाब में कृषि से जुड़े बिलों, जो अब संसद से पास हो चुके हैं, का जबरदस्त विरोध है। किसान और व्यापारियों को इससे एपीएमसी मंडियां समाप्त होने की आशंका है। पंजाब कांग्रेस और सीएम अमरिंदर सिंह पहले से ही इन बिलों के सख्त खिलाफ बोल रहे थे।

वैसे पंजाब में किसान जो आंदोलन कर रहे हैं, उसमें राजनीति के लोगों को नहीं आने दे रहे। उनका कहना है कि किसान नहीं चाहते कि उनके आंदोलन को राजनीतिक हाईजैक कर लें।

सिद्दू के किसानों के मसले के बहाने एक साल बाद मैदान में उतरने से पंजाब की राजनीति में गर्मी आ गयी है। मुख्यमंत्री ने उनके महकमे बदल दिए थे, जिसके बाद सिद्धू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद वे लगातार चुप बैठे हुए थे। अब जबकि राहुल गांधी के दुबारा कांग्रेस अध्यक्ष बनने की संभावना बलवती हुई है, सिद्धू फिर सक्रिय हो गए हैं। सिद्धू को राहुल ही नहीं प्रियंका गांधी के भी बहुत करीब माने जाते हैं।

सिद्धू के दो ट्वीट –
Navjot Singh Sidhu
@sherryontopp
आवाज़-ए-किसान :-
जिन्हें हम हार समझे थे गला अपना सजाने को, वही अब नाग बन बैठे हमारे काट खाने को।

@sherryontopp
काले बिल पास, पूंजीपतियों की कमाई का रास्ता साफ।
किसान की राह में कांटे, पूंजीपतियों की राह में फ़ूल।
भारी पड़ेगी भूल…

भिवंडी हादसे में अब तक 39 शव निकाले, और शव होने की आशंका

महाराष्ट्र के भिवंडी इलाके में तीन मंजिला इमारत ढहने के कारण हुए हादसे में अब तक 39 लोगों के शव मिले हैं। आशंका है कि मलबे से और शव अभी मिल सकते हैं। यह हादसा सोमवार सुबह हुआ था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक अभी तक जो शव मिले हैं, उसमें मरने वाले 15 बच्चे भी शामिल हैं और यह सभी 15 साल से कम उम्र के हैं। अभी तक 25 लोगों को मलबे से जिंदा  निकाला गया है। इनमें कुछ काफी घायल हैं और उन्हें भिवंडी और ठाणे के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।

मंगलवार की रात भारी बारिश के कारण राहत अभियान में कुछ दिक्कत आई, हालांकि इसके बावजूद अभियान जारी रहा। रिपोर्ट्स में बताया गया है कि मलबे से जो शव निकले हैं, उनकी हालत बहुत खराब है। इसका एक कारण तो वक्त काफी हो  दूसरा उनपर मलबा गिरने से उनके शरीर के कई हिस्से टूट-फूट गए हैं। याद रहे हादसा  हुए अब लगभग 58 घंटे हो चुके हैं।

इस बीच इमारत गिरने के मामले में नगर निकाय के दो अफसरों को निलंबित कर दिया गया है। इमारत ‘गिलानी भवन’ के मालिक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। एनडीआरएफ और टीडीआरएफ के जवान रहत और बचाव कार्य कर रहे हैं।

भारत-चीन सेना का बैठक के बाद साझा ब्यान : ‘दोनों पक्ष शीर्ष नेताओं की महत्वपूर्ण सहमति लागू करने, संवाद मजबूत करने के लिए राजी’

लद्दाख क्षेत्र में भारत और चीन के बीच जबरदस्त तनाव के बीच सैन्य अधिकारियों की बैठक में ‘एकतरफा परिस्थिति न बदलने पर’ दोनों देश सहमत हो गए हैं। बैठक को लेकर दोनों देशों के अधिकारियों का जो साझा ब्यान आया है उसमें कहा गया है कि दोनों पक्ष अग्रिम क्षेत्र (फ्रंटलाइन) पर और अधिक सैनिक न भेजने पर सहमत हुए हैं और एलएसी पर एकतरफा परिस्थिति बदलने से परहेज करेंगे।

साझी विज्ञप्ति में कहा गया है – ‘दोनों पक्ष दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच महत्वपूर्ण सहमति को लागू करने और सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच संवाद को और अधिक मजबूत करने के लिए राजी हो गए हैं।’  जिक्र करते हुए, हालांकि, शीर्ष नेताओं पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिन पिंग के नाम का नहीं लिखा गया है।

याद रहे, दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य कमांडर्स के बीच छठे दौर की 14 घंटे चली बैठक के बाद यह फैसले हुए हैं। अब आज भारत और चीन ने साझा प्रेस रिलीज जारी कर इस बात की घोषणा की कि दोनों पक्ष फ्रंटलाइन पर और अधिक सैनिक न भेजने और एलएसी पर ‘एकतरफा परिस्थिति बदलने’ से परहेज करने पर सहमत हो गए हैं। हालांकि, इस ‘एकतरफा परिस्थिति’ को परिभाषित नहीं किया गया है। सवाल यह है कि क्या यह ‘यथास्थिति बनाये रखने’ की सहमति है ? यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि चीन के फिंगर आठ से फिंगर 5 पर आकर जमने की कई रिपोर्ट्स आई हैं।

भारत और चीन के वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के बीच बैठक चीन के मोल्डो गैरिसन में हुई। इसमें भारत की तरफ से दो लेफ्टिनेंट जनरल रैंक अधिकारियों ने हिस्सा लिया क्योंकि लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह का कार्यकाल अगले माह पूर्ण हो रहा है, और उनकी जगह लेने वाले संभावित कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन भी बैठक में गए।

हाल में भारत ने लद्दाख क्षेत्र में कुछ चोटियों पर कब्ज़ा करके चीन को परेशानी में डाल  दिया था। यही नहीं दोनों पक्षों के बीच 40 साल के बाद गोलीबारी की भी घटनाएं हुई हैं। चीन की एक कोशिश भी भारत की सेना ने हाल में नाकाम की है।

बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने चुनाव लड़ने को लिया वीआरएस!

कोरोना काल में 2020 में पहली बार विधानसभा चुनाव बिहार में होने जा रहे हैं। हालांकि चुनाव आयोग की तरफ से अभी तारीखों का ऐलान नहीं किया है, पर सियासी गतिविधियां इशारा कर रही हैं कि जल्द ऐलान हो जाएगा। राजनीतिक गतिविधियों और परियोजनाओं की घोषणा और उद्घाटन अपने चरम पर पहुंच चुके हैं। इस बीच, बिहार के वर्तमान डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने अचानक वीआरएस ले लिया है। गुप्तेश्वर पांडेय के बाद एसके सिंघल को बिहार के डीजीपी का प्रभार दिया गया है।
गृह विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। ध्यान देने वाली बात ये है कि महज 24 घंटे के अंदर ही वीआरएस को मंजूरी मिल गई। जानकर बताते हैं कि वीआरएस के लिए कम से कम 3 महीने पहले आवेदन करना होता है। चुनावी काल में नामुमकिन को भी मुमकिन होते देखा जा सकता है।
1987 बैच के आईपीएस अधिकारी गुप्तेश्वर पांडेय का कार्यकाल अभी पांच महीने बाकी था। उन्हें  31 जनवरी 2019 को उन्हें बिहार का डीजीपी बनाया गया था। राज्य के पुलिस महानिदेशक के रूप में गुप्तेश्वर पांडेय का कार्यकाल 28 फरवरी 2021 तक का था।
गुप्तेश्वर के सत्तादल की ओर से  बकसर जिले के शाहपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही है। मालूम हो कि शाहपुर विधानसभा क्षेत्र से अभी लालू प्रसाद के करीबी शिवानंद तिवारी के पुत्र राहुल तिवारी विधायक हैं।

कांग्रेस ने कहा कृषि बिल वापस लो, निलंबित सदस्यों का धरना जारी, सरकार-विपक्ष में तनाव

राज्य सभा में कृषि बिलों को लेकर जबरदस्त तनाव बन गया है। कांग्रेस ने मंगलवार को ऐलान किया कि जब तक बिल में किसानों के हक़ और गारंटी वाले संशोधन नहीं किये जाते उनका विरोध जारी रहेगा। उधर निलंबित किये गए 8 सांसद विरोध स्वरुप गांधी की प्रतिमा के सामने धरने पर बैठ गए हैं। इस बीच कांग्रेस ने गुरूवार से किसानों के हक़ में देशव्यापी हस्ताक्षर अभियान शुरू करने की तैयारी कर ली है। आज सुबह राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश चाय लेकर धरना दे रहे निलंबित सदस्यों के पास पहुंचे, लेकिन धरना जारी है।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्य सभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने साफ़ कर दिया है कि उनकी पार्टी और विपक्ष इसी भी सूरत में किसान विरोधी बिलों पर समझौता नहीं करेगा। सरकार को यह बिल वापस लेने होंगे या इनमें किसान समर्थक संशोधन करने होंगे। आज़ाद कल देर शाम धरने पर बैठे निलंबित विपक्षी सांसदों को समर्थन देने धरना स्थल पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का कृषि बिल किसानों को बर्बाद करने वाला है।

आज़ाद ने कहा कि राज्यसभा में जबरदस्ती यह बिल पास करवाया गया गया। कांग्रेस नेता ने कहा कि बिल पर डिवीजन मांगा गया था, लेकिन डिवीजन नहीं कराया गया,   जबकि नियम है कि अगर एक सदस्य भी डिवीजन मांगता है, तो डिवीजन करवाया जाता है। लेकिन इसे ऐसे ही पास कर दिया गया, जबकि राज्यसभा में बहुमत इस बिल के खिलाफ था।
उपसभापति के साथ कथित दुर्व्यवहार पर आजाद ने सफाई दी और कहा कि हंगामे के दौरान सांसदों ने किसी को हाथ नहीं लगाया था। आजाद ने कहा कि हंगामे के दौरान न तो उपसभापति हरिवंश नारायण को और न ही किसी मार्शल को हाथ लगाया गया। इस तरह के सारे आरोप गलत हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि हाउस को अगर एक बजे के बाद बढ़ाना था तो सदन से राय ली  जाती है लेकिन उस दिन हाउस सदन नहीं बढ़ाना चाहता था लेकिन फिर भी हाउस बढ़ा दिया गया। आजाद ने कहा कि जो सांसद नियम बता रहे थे, प्रक्रिया और परंपरा बता रहे थे, उन्हीं को सदन से निकाल दिया गया।

इस बीच कांग्रेस ने गुरुवार से किसान बिल के विरोध और किसानों के हक़ में लड़ाई लड़ने के लिए हस्ताक्षर अभियान शुरू करने की तैयारी कर ली है। किसान यूनियंस  भी देशव्यापी आंदोलन की तैयारी में हैं।

रविवार को किसानों से जुड़े बिलों पर हुए घमासान के बाद सोमवार को आठ राज्यसभा सासंदों को निलंबित कर दिया गया। इसके बाद सभी निलंबित सासंद रात भर संसद परिसर में ही धरने पर बैठे रहे। सुबह होते ही राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश चाय लेकर उनके पास पहुंचे, लेकिन धरना अब भी खत्म नहीं हुआ है। माना जा रहा है कि आज की कार्यवाही भी हंगामेदार होगी। राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि मैं राज्यसभा के सदस्यों के निलंबन से खुश नहीं हूं। सदन में उनेक आचरण पर कार्रवाई की गई है। हम किसी भी सदस्य के खिलाफ नहीं हैं।

निलंबित सदस्यों में तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन और डोला सेन, कांग्रेस के राजीव सातव, सैयद नजीर हुसैन और रिपुन बोरा, आप के संजय सिंह, माकपा के केके रागेश और इलामारम करीम शामिल हैं। आठों विपक्षी सांसद संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने धरने पर बैठे हुए हैं। निलंबित सांसदों का कहना है कि वे पूरी रात धरना देंगे और तब तक धरने पर बैठे रहेंगे, जब तक उनका निलंबन वापस नहीं ले लिया जाता।

राहुल गांधी का  किसानों को लेकर ट्वीट –

@Rahul Gandhi
2014- मोदी जी का चुनावी वादा किसानों को स्वामीनाथन कमिशन वाला MSP
2015- मोदी सरकार ने कोर्ट में कहा कि उनसे ये न हो पाएगा
2020- काले किसान क़ानून
मोदी जी की नीयत ‘साफ़’
कृषि-विरोधी नया प्रयास
किसानों को करके जड़ से साफ़
पूँजीपति ‘मित्रों’ का ख़ूब विकास।

सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई से कहा 31 अक्तूबर तक बैंक दें पैसा

कोरोना काल में यू तो हर क्षेत्र में तबाही जैसा आलम है, लेकिन सबसे ज्यादा असर प्राॅपर्टी सेे जुड़ी परियोजनाओं पर पड़ा है। बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियां जाने के बाद पहले से ही मंदी की मार झेल रहा प्राॅपर्टी का कारोबार और अधिक अंधकारमय हो गया है। पहले से ही कई बड़ी कंपनियों के प्रोजेक्ट अटके पड़े हैं, जिनमें से कुछ मामले देश की सर्वोच्च अदालत में भी जा चुके हैं। इन्हीं में से एक आम्रपाली से जुड़ा है, जिसमें अटकी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक आफ इंडिया को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि इसेक लिए जरूरी पैसे बैंक दें।
शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही आम्रपाली के सभी घर खरीदारों को 31 अक्तूबर तक बकाया रकम जमा करने के लिए कहा है। ऐसा न करने वालों का फ्लैट रद्द कर दिया जाएगा। बता दें कि ऐसे डिफॉल्टर घर खरीदारों की संख्या बहुत ही कम है। सर्वोच्च अदालत में अब इस मामले की अगली सुनवाई पांच अक्टूबर को होगी।
जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने सोमवार को आम्रपाली के उन तमाम डिफॉल्टर घर खरीदारों को बकाया रकम का भुगतान करने के लिए कहा है जिन्होंने बिल्डर-बायर्स करार के हिसाब से भुगतान नहीं किया है। सभी को 31 अक्टूबर तक का समय दिया गया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई से यह स्पष्ट करने के लिए कहा है कि आम्रपाली की रुकी पड़ी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए बैंकों द्वारा की जाने वाली फंडिंग को लेकर कोई नियम है या नहीं। इसके लिए बैंकों को पैसे मुहैया कराने को कहा है।

ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में स्थापित की दलित साहित्य अकादमी, विपक्ष बेचैन

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार देश की ऐसी पहली सरकार बन गयी है जिसने अपने राज्य में दलित साहित्य अकादमी का गठन किया है। ममता बनर्जी ने सड़क से साहित्य के शिखर तक पहुंचने वाले मशहूर दलित लेखक मनोरंजन ब्यापारी को इस 14 सदस्यीय अकादमी का अध्यक्ष बनाया है। अगले विधानसभा चुनाव से पहले ममता के इस फैसले को राजनीतिक रूप से एक बड़ा फैसला माना जा रहा है।

मनोरंजन ब्यापारी ने अध्यक्ष नियुक्त होने के बाद कहा कि आदिवासियों, पिछड़ों और समाज के हाशिए पर रहने वाले लोगों की भाषा को बढ़ावा देना ही इस अकादमी के गठन का मकसद है। बांग्ला भाषा पर दलित भाषाओं का काफी असर है। बहुत लोगों ने सरकार की इस पहल का स्वागत किया है।

खुद ममता बनर्जी का कहना है कि दलित साहित्य भी बांग्ला साहित्य का हिस्सा है। पहले राज्य में एक आदिवासी अकादमी थी लेकिन दलित साहित्य को समुचित स्वरूप में बढ़ावा देने के लिए ही सरकार ने इस अकादमी के गठन का फैसला किया।

उनके मुताबिक नई अकादमी के तहत दलित के अलावा आदिवासी, नमोशुद्र, डोम, बागदी, बाउरी और मांझी समेत अनुसूचित जनजाति में शामिल तमाम जातियों के साहित्य को बढ़ावा दिया जाएगा। साथ ही एक लाइब्रेरी भी स्थापित की जाएगी।

इससे पहले ममता हिंदी अकादेमी का भी गठन कर चुकी हैं। अब देश की पहली दलित अकादमी की घोषणा ममता ने की है। बहुत से राजनीतिक जानकार इस फैसले को सूबे में चुनाव से पहले दलितों में अपनी पैठ और मजबूत करने की ममता की कोशिश मान रहे हैं। देश में अभी तक किसी भी राज्य ने दलित अकादमी का गठन नहीं किया है।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ममता ने दलित अकादमी गठित कर जंगलमहल इलाके में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के करीब 40 प्रतिशत मतदाताओं को साधने की दूरगामी रणनीति बुनी है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में वहां भाजपा को अच्छे वोट मिले थे। निश्चित ही ममता ने इनमें अब इसमें सेंध लगा दी है।

अकेले बांकुड़ा जिले में ही विधानसभा की 12 सीटें हैं और जिले में एससी और एसटी आबादी 38.5 फीसदी है। जानकारों के मुताबिक यदि ममता ने बांकुड़ा जिले में आदिवासियो का भरोसा जीत लिया तो उसका असर पुरुलिया, पश्चिम मेदिनीपुर और झाड़ग्राम जिलों पर पड़ना तय है जहाँ विधानसभा की 32 सीटें आती हैं। उधर ममता के इस फैसले से विपक्ष, खासकर भाजपा, में जबरदस्त खलबली है। भाजपा पश्चिम बंगाल में अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रही है लेकिन ममता के फैसले उसे बेचैन कर रहे हैं।