Home Blog Page 768

राज्यसभा में जबरदस्त तनातनी, निलंबित 8 विपक्षी सदस्यों का सदन से बाहर जाने से इनकार

राज्य सभा में सोमवार को जबरदस्त तनातनी बनी हुई है। रविवार बाद आज सभापति वेंकैया नायडू ने विपक्ष के 8 सदस्यों को इस सत्र की शेष अवधि के लिए निलम्बित कर दिया। हालांकि, लिखे जाने तक यह सभी सदस्य सदन में बने हुए हैं और उन्होंने खुद पर हुई कार्रवाई को ज्यादती बताया है। इस बीच 11.20 मिनट पर उपसभापति ने कार्यवाही स्थगित कर दी है। उधर सभापति ने विपक्ष का उपसभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नामंजूर कर दिया है।

कल कांग्रेस सहित विपक्ष ने जबरदस्त हंगामा किया था। एक हफ्ते के लिए निलंबित होने के खिलाफ विपक्ष के 8 सांसद सदन में मौजूद हैं और लगातार हंगामा कर रहे हैं। इसके बाद उपसभापति ने बार-बार उनका नाम लेकर उन्हें सदन से बाहर जाने को कहा है। सदन में इस समय जबरदस्त नारेबाजी चल रही है।

भाजपा सदस्य ने इनकी शिकायत सभापति से की थी जिसके बाद सभापति वैंकेया नायडू ने सदन की कार्यवाही शुरू होते ही इन सांसदों के खिलाफ कार्रवाई की। निलंबित होने वाले सांसदों में डेरेक ओ ब्रायन, संजय सिंह, रिपुन बोरा, नजीर हुसैन, केके रागेश, ए करीम, राजीव साटव, डोला सेन हैं। सभापति ने इन 8 सांसदों को पूरे मॉनसून सत्र के लिए निलंबित कर दिया।

इसके बाद हंगामा शुरू हो गया। हंगामे को देखते हुए राज्यसभा की कार्यवाही 11.07 मिनट तक स्थगित कर दी। दुबारा शुरू के बाद हंगामा जारी रहा और निलंबित सदस्यों ने बाहर जाने से इंकार कर दिया। रविवार को सदन में हुई घटना पर सभापति वैंकेया नायडू ने कहा कि ये राज्यसभा के लिए सबसे खराब दिन था। कुछ सांसदों ने पेपर फेंका और माइक को तोड़ दिया। रूल बुक को फेंका गया। इस घटना से मैं बेहद दुखी हूं। उपसभापति को धमकी दी गई और उनपर आपत्तिजनक टिप्पणी की गई। इस बीच सभापति ने उपसभापति के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को भी नामंजूर कर दिया है।

मुंबई के पास इमारत ढहने से 10 की मौत

मुंबई के साथ लगते भिवंडी के धामनकर नाका इलाके में सोमवार तड़के एक तीन  मंजिला इमारत ढहने से 10 लोगों की मौत हो गयी है, जबकि कुछ लोग अभी भी मलबे में फंसे हैं। यह हादसा तड़के करीब पौने चार बजे हुआ। राहत और बचाव कार्य जारी हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक यह हादसा भिवंडी के धामनकर नाका इलाके में पटेल कंपाउंड का है। कहा गया है कि अभी भी कुछ लोग मलबे के बीच में फंसे हो सकते हैं। एनडीआरएफ, दमकल और पुलिस टीमें घटनास्थल पर अभी भी राहत कार्य में जुटी  हैं। कम से कम 20 लोगों के अभी भी वहां फंसे होने की आशंका जताई गयी है।

करीब 21 परिवार इस इमारत में रहते थे। यह इमारत 40 साल पुरानी बताई जा रही है। हादसे के बाद स्थानीय लोगों ने राहत कार्य में मदद की। दमकल विभाग भी राहत कार्य में डटा है। एनडीआरएफ की टीम ने एक बच्चे को भी मलबे से बाहर निकाला है। अभी तक 10 लोगों की जान गयी है। कई लोगों को बचाया गया है।

ये इमारत साल 1984 में बनी थी और 21 परिवार यहां रहते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस इमारत को म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने नोटिस भी दिया हुआ था और इमारत में क्षमता से ज्यादा लोग रहते थे। रात में जब यह घटना हुई तो इमारत के लोग सो रहे थे।

अयोध्या की भव्य रामलीला

Representational Image

सरयू के तट पर, भगवान राम के भव्य मंदिर निर्माण के भूमिपूजन समारोह के बाद रामनगरी में रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। अयोध्या एक बार फिर मेगा इवेंट से सज्जित होने जा रही हैं। अयोध्या में दशहरे पर भव्य रामलीला मंचन 17 से 25 अक्टूबर तक नौ दिनों के लिए किया जा रहा है। जिसका प्रसारण सोशल मीडिया, सैटेलाइट टेलीविजन, यूट्यूब चैनल और अन्य सोशल मीडिया चैनल्स पर एक फिल्म के रूप में प्रसारित किया जाएगा।

रामलीला के सभी एपिसोड 14 भाषाओं में रिकोर्डिंगं करके दिखाए जाऐंगे जिसमे हिन्दी के साथ-साथ  इंग्लिश, भोजपुरी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मराठी, पंजाबी, उर्दू, राजस्थानी, हरियाणवी, बंगला, मिथैली, व ओड़िया शामिल है। व सभी एपिसोड लक्ष्मण किला पर फिल्माए जाएंगें।

मेरी माँ फाउंडेशन के संस्थापक व रामलीला कमेटी के अध्यक्ष सुभाष मलिक ने कहा कि हमारी यहीं कोशिश है कि भगवान श्री राम की रामलीला इन अलग-अलग भाषाओं के प्रसारण के माध्यम से दुनिया के हर कोने तक पहुंचे। इस रामलीला का आनंद अपने घर बैठ कर अपनी पसंदीदा भाषा में लोग देख सकें।

रामलीला के मुख्य किरदार में कई बॉलिवुड हस्तियां भाग लेंगी। राम मे किरदार में सोनू डागर व सीता के किरदार में हरियाणवी फिल्म इंडस्ट्री का चर्चित चेहरा कविता जोशी नज़र आऐंगीं। ‘’मैं माता सीता की भूमिका निभाना अपना सौभाग्य समझती हूँ। यह मेरे जीवन के सबसे खुशी के क्षणों में से एक है, खासकर जब से हमारी रामलीला का पहली बार उसी मिट्टी पर मंचन किया जाएगा जहां राम मंदिर की आधारशिला रखी गई है,’’ कविता ने बताया। अपनी भूमिका की तैयारी में सोनू डागर ने सादा भोजन करना और फर्श पर सोना शुरू कर दिया है, “क्योंकि राम मर्यादा पुरूषोत्तम थे, जो एक साधारण जीवन जीते थे। मैं उनके जीवन को बेहतर समझने की कोशिश कर रहा हूं।”

गोरखपुर के सांसद व भोजपुरी अभिनेता रवि किशन भरत की भूमिका में नजर आंएगे। फिल्म स्टार विंदु दारा सिंह हनुमान के रूप में, फिल्म स्टार असरानी नारद मुनी के रूप में, फिल्म स्टार रज़ा मुराद अहिरावण के रूप में, उत्तर पूर्वी दिल्ली के भाजपा सांसद मनोज तिवारी अंगद की भूमिका में नज़र आऐंगे, फिल्म स्टार शाहबाज खान रावण के रूप में, फिल्म स्टार अवतार गिल सुबंहु और जनक के किरदार में, फिल्म स्टार राजेश पुरी सुतिकसं और निषादराज के रूप में, अभिनेश्री रितु शिवपुरी कैकयी के किरदार में, अभिनेता राकेश बेदी विभीषण के किरदार में, अभिनेता राकेश बेदी की बेटी सुलोचना के किरदार में नज़र आएंगे।

रामलीला में बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में राम द्वारा रावण के वध्द की कहानी को दशहरा उत्सव में दर्शाया जाता है।

अयोध्या रामलीला के प्रस्तुतकरता बॉबी बताते है कि वे पांच सालों से दिल्ली में रामलीला कर रहे थें। लेकिन उनकी इच्छा थी कि वह अयोध्या में रामलीला करें, जो कि उनकी इच्छा अब पूरी होंने जा रही है।

रामलीला भगवान राम की महाकाव्य गाथा है। नवरात्र में नौ दिनों तक चलने वाली रामलीला में मर्यादापुरूषोतम भगवान राम के जीवन के प्रत्येक घटनाओं को बड़ी खूबसूरती से दर्शाकों के सम्मुख एक ओपन स्टेज पर प्रस्तुत किया जाता है।

विपक्ष का राज्यसभा उपसभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ; छह मंत्रियों ने विपक्ष के आचरण की प्रेस कांफ्रेंस कर निंदा की

विपक्ष ने राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह के खिलाफ रविवार को सदन में कृषि बिलों पर चर्चा के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के जवाब के दौरान हुए हंगामे और इसके बाद की घटनाओं ने साफ कर दिया है कि किसान बिलों के मसले पर केंद्र सरकार और विपक्ष में गहरी रेखा खिंच गयी है। भले दोनों कृषि बिल राज्यसभा में भी पास हो गए, विपक्ष ने राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया है। इस बीच शाम को मोदी सरकार के छह मंत्रियों ने प्रेस कांफ्रेंस करके दिन में राज्यसभा में विपक्ष के इस आचरण को लोकतंत्र के खिलाफ बताया।

अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य अहमद पटेल ने कहा – ‘उन्हें (राज्यसभा के उप सभापति) को लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा करनी चाहिए, लेकिन इसके बजाय, उनके रवैये ने आज लोकतांत्रिक परंपराओं और प्रक्रियाओं को नुकसान पहुंचाया है। हरिवंश सिंह के इस रवैये को देखते हुए हमने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया।’

बता दें सदन की कार्यवाही के दौरान आज टीएमसी सांसद ने रूल बुक फाड़ दी। उनका कहना था कि सदन में सारे नियम तोड़ दिए गए हैं। इसके अलावा सदन में जबरदस्त हंगामा हुआ। अहमद पटेल ने कहा कि ‘जिस तरह से लोकतांत्रिक प्रकियाओं को अनदेखा करके इस बिल को पास किया है, वह लोकतंत्र की हत्या के सामान है। आज का दिन इतिहास के काले दिन के रूप में जाना जाएगा। आज 12 विपक्षी दलों ने राज्यसभा के उप सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया है।’

कृषि बिल के खिलाफ राज्यसभा में आज नारेबाजी भी खूब  हुई थी। टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन उपसभापति की वेल तक आ गए और फिर उपसभापति से बिल छीनने की कोशिश की। इस दौरान मार्शल ने बीच बचाव किया तो उपसभापति के सामने रखा माइक टूट गया। इसके बाद टीएमसी सांसद वहां से नारेबाजी करते हुए पीछे की ओर लौट गए।

बिल पास होने के बाद राज्यसभा की कार्रवाई को कल तक के लिए स्थगित कर दिया गया, लेकिन कांग्रेस और विपक्ष ने राज्यसभा के भीतर ही प्रदर्शन किया और धरने पर बैठ गए। उधर बाद में भाजपा अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य जेपी नड्डा ने कहा – ‘विपक्षी दल किसान विरोधी हैं, इस प्रक्रिया का साथ देने के बजाए इन लोगों ने किसानों की आजादी में रोड़ा डालने की कोशिश की। जिस तरह से विपक्ष ने इन बिल का राज्यसभा में विरोध किया और इसे पास होने से रोकने की कोशिश की, वह बहुत ही गैरजिम्मेदाराना है और यह सीधे तौर पर लोकतंत्र पर हमला है।’

छह मंत्रियों की प्रेस कांफ्रेंस
इस बीच शाम को मोदी सरकार के छह मंत्रियों ने प्रेस कांफ्रेंस करके विपक्ष के दिन में राज्यसभा में आचरण को लोकतंत्र के खिलाफ बताया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जो कृषि विधेयक आज राज्यसभा से पास हुए हैं वो ऐतिहासिक हैं। किसानों को इसके जरिए वो आजादी मिलेगी जिसका वो हकदार है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार ने कभी भी किसानों के अहित की बात नही सोची है और सरकार हमेशा उनके भले के लिए कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है। रक्षा मंत्री ने कहा कि मैं खुद एक कृषक रहा हूं और किसानों की समस्याओं को लेकर जागरुक हूं, सरकार के लिए गए कदमों की मैं सराहना करता हूं और इन कानूनों से किसानों को वो आजादी मिलेगी जिसके लिए वो इतने सालों से इंतजार कर रहे हैं।

सिंह ने कहा कि इन दोनों विधायकों के पारित होने से कृषि क्षेत्र में वृद्धि और विकास का एक नया इतिहास लिखा जाएगा। राजनाथ सिंह ने कहा कि इन दोनों विधेयकों के पारित होने से न केवल भारत की खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी, बल्कि किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में भी यह एक बड़ा प्रभावी कदम सिद्ध होगा। ‘संसद में इन दोनों विधेयकों के पारित हो जाने के बाद कृषि क्षेत्र में वृद्धि और विकास का एक नया इतिहास लिखा जाएगा।’

अनुराग कश्यप ने यौन उत्पीड़न के आरोपों को बताया बेबुनियाद

बॉलीवुड अभिनेत्री के फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप पर लगाए यौन उत्पीड़न के आरोपों पर लगता है पीड़िता ही घिर गई हैं। अनुराग कश्यप ने यौन उत्पीड़न के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। उनके समर्थन में पूर्व पत्नी के साथ ही फिल्म जगत के कई सितारे उतर आए हैं।

दरअसल, एक अभिनेत्री ने शनिवार को अनुराग पर करीब पांच साल पहले यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय से हस्तक्षेप की मांग की थी। इस पर अभिनेत्री कंगना रणौत ने ट्वीट कर कहा कि अनुराग को गिरफ्तार करो।

अनुराग ने रविवार को ट्वीट किया, क्या बात है, इतना समय ले लिया मुझे चुप करवाने की कोशिश में। चलो कोई नहीं मुझे चुप कराने की कोशिश में इतना तो झूठ बोल गए कि औरत होते हुए दूसरी औरत को सभी संग घसीट लिया। थोड़ी तो मर्यादा रखिए मैडम। बस यही कहूंगा कि जो भी आरोप हैं, सभी बेबुनियाद हैं।
अनुराग ने ट्वीट किया, मुझ पर आरोप लगाने की कोशिश में आपने मेरे दोस्तों और बच्चन परिवार को भी घसीट लिया। लेकिन तुम नाकाम रही। मैंने दो शादियां की हैं। अगर यह अपराध है तो मैं इसे स्वीकार करता हूं। मैं यह भी स्वीकार करता हूं कि मैंने बहुत प्रेम किया है। चाहे मेरी पहली पत्नी हो या दूसरी पत्नी, कोई प्रेमिका या अन्य महिला जिसके साथ मैंने काम किया। मैंने कभी भी इस तरह का व्यवहार नहीं किया है और न ही बर्दाश्त करता हूं। बाकी जो होगा देखते हैं।
वहीं, अनुराग की पहली पत्नी आरती बजाज ने कहा, अनुराग आप रॉकस्टार हो। आप पहले की ही तरह महिलाओं का सशक्तीकरण करना जारी रखो। आपने सभी महिला कलाकारों के लिए सुरक्षित माहौल बनाया है। अभिनेत्री के आरोप घटिया हथकंडा है। आप गलत के खिलाफ आवाज उठाना जारी रखो। इसके अलावा अभिनेत्री तापसी पन्नू, निर्देशक अनुभव सिन्हा, टिस्का चोपड़ा और सुरवीन चावला ने भी अनुराग का समर्थन किया है।

300 से ज्यादा कर्मियों वाली कंपनी बिना मंजूरी कर सकेगी छंटनी

कोई भी तीन सौ से ज्यादा कर्मचारियों वाली कंपनी सरकार से मंजूरी लिए बिना कर्मियों की जब चाहे छंटनी कर सकेगी। श्रम मंत्रालय ने इसके लिए नियमों में बदलाव वाला औद्योगिक संबंध संहिता-2020 विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया है।
श्रममंत्री संतोष गंगवार ने कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के विरोध के बीच पिछले साल पेश विधेयकों को वापस लेते हुए व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य परिस्थिति संहिता-2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता-2020 भी लोकसभा में पेश किए। गंगवार के मुताबिक, 29 से ज्यादा श्रम कानूनों को चार संहिता में शामिल किया गया है। उन्होंने दावा किया कि विभिन्न हितधारकों से विधेयकों को लेकर लंबी चर्चा की और करीब छह हजार से ज्यादा सुझाव मिले। इन विधेयकों को स्थायी समिति के पास भेजा था और 233 सिफारिशों में से 174 को स्वीकार किया गया है। औद्योगिक संबंध संहिता-2020 के छंटनी वाले प्रावधान पर श्रम मंत्रालय और कर्मचारी संगठनों के बीच गंभीर मतभेद की बात स्वीकारी। संगठनों के भारी विरोध के चलते 2019 के विधेयक में यह प्रावधान नहीं था।
अबागी क्या है प्रावधान
100 से कम कर्मचारी वाले औद्योगिक प्रतिष्ठान या संस्थान ही पूर्व सरकारी मंजूरी के बिना कर्मचारियों को रख और हटा सकते हैं।
विपक्ष ने कहा-पहले संगठनों से चर्चा होनी चाहिए थी
प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी और शशि थरूर ने विधेयक का विरोध किया। मनीष तिवारी ने कहा, ये विधेयक लाने से पहले श्रमिक संगठनों और संबंधित पक्षों से चर्चा करनी चाहिए थी। श्रमिकों से जुड़े कई कानून अभी भी इसके दायरे में नहीं हैं। लिहाजा आपत्तियों को दूर करने के बाद इन्हें लाया जाए। थरूर ने कहा, विधेयकों को नियमों के तहत पेश करने से दो दिन पहले सदस्यों को देना चाहिए था।

कृषि विधेयकों पर राज्यसभा में जबरदस्त हंगामा ; कार्यवाही स्थगित होने के बाद सभी बिल ध्वनिमत से पास

राज्यसभा में खेती से जुड़े बिल फार्मर्स एंड प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) बिल और फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस बिल रविवार को विपक्ष के जबर्दस्त शोर और नारेबाजी के बीच ध्वनिमत से पास हो गए। यह बिल लोक सभा में पहले ही पास हो चुके हैं। आज नाराज विपक्ष ने सदन में न केवल उपसभापति के माइक तोड़ दिए बल्कि एक सदस्य ने रूल बुक की कॉपी भी फाड़ डाली। यह सभी विपक्षी सदस्य कृषि बिलों का जबरदस्त विरोध और सरकार के इन्हें जल्दबाजी में पास करवाने का विरोध कर रहे थे और ‘तानाशाही बंद करो’ के नारे लगा रहे थे।

उपसभापति ने विपक्ष के शोर के बीच कुछ देर के लिए कार्यवाही को स्थगित कर दिया। कार्यवाही जब दोबारा शुरू हुई तो विपक्ष का शोर जारी रहा, हालांकि इस दौरान उपसभापति ने विधेयकों पर मतदान नहीं करवाया गया और इन्हें ध्वनिमत से पास कर दिया गया। इस तरह राज्य सभा में भी यह बिल पास हो गए।

विपक्ष ने इससे पहले सदन में आज का समय पूरा होने के बाद समय आगे बढ़ाने का विपक्ष ने जबरदस्त विरोध किया और आग्रह किया कि इसे अब कल पर टाल देना चाहिए और बिल पास करने की जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए। हालांकि, उपसभापति ने विपक्ष को शांत रहने और मंत्री को अपना जबाव जारी रखने के लिए कहा, जिसके बाद विपक्ष के सदस्य भड़क गए। टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन को रूल बुक फाड़ते हुए देखा गया।

एक मौके पर टीएमसी और आप के सदस्य पीठासीन उपसभापति के आसान के बिलकुल निकल चले आये और एक सदस्य कोई पुस्तिका उनके सामने लहराने लगे। विपक्ष के तमाम सदस्य अपने स्थान पर खड़े हो गए और लगातार नारे लगाते रहे। कुछ सदस्यों ने आसन के समीप पर आकर उप सभापति के माइक को भी खींचने की भी कोशिश की।
विपक्ष के चार सदस्यों ने जो संशोधन पेश किये थे, वे उनपर डिवीजन चाहते थे। लेकिन उन्हें इसकी अनुमति नहीं मिली। कुछ सदस्य प्वाईंट आफ आर्डर चाहते थे, लेकिन सभापति ने इसकी मंजूरी नहीं दी।

मत विभाजन से पहले सदन का समय आगे बढ़ाने को लेकर खूब हंगामा हुआ। नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि परंपरा रही है कि समय आम सहमति से ही आगे बढ़ाया जाता है। इसके बाद कुछ सदस्यों को वेल में आते भी देखा गया जिसपर उप सभापति ने उन्हें कोरोना के नियमों का ख्याल रखने के ताकीद की। बाद में उन्होंने रूलिंग दी कि मंत्री अपना बात जारी रखेंगे और सिर्फ उनकी बात रेकार्ड में जाएगी। इस दौरान विपक्ष के सदस्य लगातार नारेबाजी करते रहे।
बिलों पर चर्चा के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अपने जवाब में कहा कि दोनों बिल ऐतिहासिक हैं, इनसे किसानों की जिंदगी बदल जाएगी। किसान देशभर में कहीं भी अपना अनाज बेच सकेंगे। मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि बिलों की संबंध न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नहीं है।

तोमर ने कहा कि देश में खेती का योगदान पहले से कम दिखता है लेकिन सच यह है कि कोविड-19 के दौरान भी किसानों ने अपना काम बंद नहीं किया। किसानों ने कृषि की जीडीपी गिरने नहीं दी। कहा कि 2014 में सत्ता संभालने पर पीएम मोदी ने किसानों के आमदन दोगुनी करने का प्रण किया था।   इन छह सालों में सरकार ने इसपर बहुत काम किया है और अब इन बिलों के जरिये किसानों को लाभ देने की बड़ी कोशिश की गयी है।

कहा कि स्वामीनाथन समिति ने लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़कर एमएसपी घोषित करने  थी लेकिन कांग्रेस के पूर्व सरकार ने भी इसे लागू नहीं किया। पीएम मोदी ने इसपर काम किया और अब इन बिलों के जरिये यह लाभ किसानों को मिलेगा। उन्होंने 2014 के बाद मोदी सरकार की कोशिशों से कृषि उत्पाद बढ़ने के आंकड़े भी अपने जबाव में सदन में रखे।

इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने किसान बिलों का जोरदार विरोध करते हुए इसे मोदी सरकार का काला क़ानून बताया है। एक ट्वीट में राहुल ने कहा – ‘मोदी सरकार के कृषि-विरोधी ‘काले क़ानून’ से किसानों को : 1. APMC/किसान मार्केट ख़त्म होने पर MSP कैसे मिलेगा? 2. MSP की गारंटी क्यों नहीं? मोदी जी किसानों को पूँजीपतियों का ‘ग़ुलाम’ बना रहे हैं जिसे देश कभी सफल नहीं होने देगा।

राहुल गांधी का ट्वीट –
Rahul Gandhi
@RahulGandhi
मोदी सरकार के कृषि-विरोधी ‘काले क़ानून’ से किसानों को:
1. APMC/किसान मार्केट ख़त्म होने पर MSP कैसे मिलेगा?
2. MSP की गारंटी क्यों नहीं?
मोदी जी किसानों को पूँजीपतियों का ‘ग़ुलाम’ बना रहे हैं जिसे देश कभी सफल नहीं होने देगा।
#KisanVirodhiNarendraModi

कृषि बिल किसानों के डेथ वारंट जैसे: राज्य सभा में बिल पेश होने के बाद कांग्रेस के बाजवा ने कहा

देशभर में विवाद में फंस चुके कृषि बिल रविवार को राज्यसभा में पेश कर दिए गए।  कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बिल पेश करते हुए कहा कि इस बिल का एमएसपी से कुछ लेना देना नहीं है। हालांकि, कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने इस बिल को किसानों के लिए ‘डेथ वारंट’ जैसा करार दिया और कहा कि उनकी पार्टी इसका पुरजोर विरोध करती है। उधर, मोदी सरकार में मंत्री हरसिमरत कौर, जिन्होंने दो दिन पहले कृषि बिल के खिलाफ इस्तीफा दे दिया था, के पंजाब में गांव बदल में एक किसान ने बिल के विरोध में आत्महत्या कर ली। वहां किसान लगातार धरना भी दे रहे हैं।

उधर राज्य सभा में इस बिल को पास करवाने के लिए अल्पमत के बावजूद भाजपा और सरकार कुछ दलों से समर्थन की कोशिश कर रही है। बिल पेश करते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि इस बिल का विरोध करने के कोई मायने नहीं है। उन्होंने कहा कि एमएसपी के बिल का कुछ लेने देना नहीं क्योंकि यह दोनों अलग-अलग चीजें हैं। उन्होंने कहा कि एमएसपी आगे भी जारी रहेगी। राज्य सभा में भाजपा के पास बहुमत नहीं है, लिहाजा वह दूसरे कुछ दलों से समर्थन की कोशिश कर रही है।

इस बीच आज राज्य सभा में कांग्रेस ने यह बिल लाने के लिए सरकार को जमकर घेरा। कांग्रेस सदस्य प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि सरकार इस बिल से जिन्हें फायदा पहुंचाने की बात कह रही है, वे सड़कों पर हैं। सरकार की सहयोगी अकाली दल, जो कभी किसानों की पार्टी थी, इस बिल का जबरदस्त विरोध करते हुए अपनी मंत्री हरसिमरत कौर से इस्तीफा दिला चुकी है। ‘ऐसे में यह बिल सरकार किसके लिए ला रही है ? बताइए इसका फायदा किसे मिल रहा है?’

बाजवा ने राज्यसभा में कहा कि कांग्रेस इस बिल का विरोध करती है। उन्होंने कहा – ‘ये बिल किसानों की आत्मा पर हमला करने जैसा है। इस बिल पर सहमति किसानों के डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करने जैसा है। बाजवा ने कहा, ये बिल हिंदुस्तान और विशेष तौर से पंजाब, हरियाणा और वेस्टर्न यूपी के जमींदारों के खिलाफ है। पंजाब और हरियाणा के किसानों का मानना है कि ये बिल उनकी आत्मा पर हमला है। किसान एपीएमसी और एमएसपी में बदलाव के खिलाफ हैं।’

बता दें मोदी सरकार के संसद में लाए गए कृषि विधेयकों के ख़िलाफ़ भारत के दो कृषि प्रधान राज्यों पंजाब और हरियाणा के किसानों में जबरदस्त आक्रोश है। वे इन विधेयकों के विरोध में लगातार धरना दे रहे हैं। उधर पंजाब में बठिंडा के बादल गांव, जो पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का गांव है, में शनिवार को एक किसान ने आत्महत्या कर ली। किसान का नाम प्रीतम सिंह (60) था। प्रदर्शनकारी किसानों ने उन्हें शहीद करार दिया है। याद रहे मोदी सरकार में मंत्री हरसिमरत कौर, जिन्होंने दो दिन पहले कृषि बिल के खिलाफ इस्तीफा दे दिया था, के गांव बदल में एक किसान ने बिल के विरोध में किसान लगातार धरना भी दे रहे हैं।

आज राज्य सभा में भाजपा नेता भूपेंद्र यादव ने कहा कि कांग्रेस की सोच अब भी पुरानी है। सपा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि डिजिटल कृषि की बात कही जा रही है, लेकिन सरकार ये बताएं कि डिजिटल के फ्रॉड को कैसे रोक सकती है? कांग्रेस सदस्य केसी वेणुगोपाल ने बिल के विरोध में कहा है कि यह बहुत स्पष्ट है कि इस सरकार का मकसद हमारे किसानों को नष्ट करना और कॉर्पोरेट क्षेत्र की मदद करना है। हमारी पार्टी ने कृषि विधेयक का विरोध करने का निर्णय किया है। सरकार को विधेयकों पर पुनर्विचार करना होगा, कम से कम उन्हें इसे चुनिंदा समिति को भेजना चाहिए।

बिल पेश करते हुए राज्यसभा में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि दोनों बिल  ऐतिहासिक हैं और किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले हैं। बिल के माध्यम से किसान अपनी फसल किसी भी जगह पर मनचाही कीमत पर बेचने के लिए आजाद होंगे। इन विधेयकों से किसानों को महंगी फसलें उगाने का अवसर भी मिलेगा। याद रहे यह बिल लोकसभा में पहले ही पास हो चुका है।

व्यापारियों को त्यौहारी सीजन में रौनक लौटने की उम्मीद

कहते है कि त्यौहारी सीजन में व्यापारी और आम लोग भी प्रसन्न होते है और बाजारों में रौनक-चमक दिखने लगती है। पर इस बार कोरोना काल के कारण त्यौहारों में ना तो रौनक दिखी और ना ही बाजारों में चमक। लोगों और व्यापारियों का कहना है कि मार्च में लाँकडाउन लगने कारण अप्रैल महीनें में नवरात्रि के दिनों में बाजारों और मंदिरों में सन्नाटा रहा है। जिसके कारण धंधा पूरी तरह से चौपट रहा है।

अब आने वाली नवरात्रि में सभी को उम्मीद है, कि सब कुछ ठीक होगा। तहलका संवाददाता को व्यापारियों ने बताया कि कोरोना का संकट तो विकट है । पर काम –काज भी तो करना है । ऐसे में व्यापारी कैसे अपने काम को विराम दे सकता है। गांधी नगर मार्केट के वायापारी जगत सिंघल ने बताया कि अब बाजारों में रौनक लौट रही है। लेकिन पैसा का अभाव देखा जा रहा है। वजह साफ है, कि कोरोना काल से अब तक और  लाँकडाउन के दौरान जो लोगों की नौकरी छूटी और व्यापारियों का काम प्रभावित हुआ ।  पैसा का आदान –प्रदान कम हुआ है। इसके कारण पैसा बाजारों में कम ही देखा जा रहा है।

व्यापारी पंकज और आम लोग तरूण , भरत और आलोक का कहना है कि सरकार को कोरोना से बचाव के साथ –साथ व्यापारियों को खासकर लाल फीता शाही से आजादी मिलनी चाहिये ताकि वे अपना काम -काज और व्यापार कर सकें।क्योंकि जैसे –तैसे बाजार में ग्राहकों का आना शुरू हुआ है तो पुलिस का ठंडा तंग करता है कि सोशलडिस्टेंसिंग का पालन करों । दुकानदार पंकज का कहना है कि जब जगजाहिर की दिल्ली में व्यापारियों की दुकानें छोटी है और तंग गलियों में है ,तो ग्राहकों को कैसे आने-जाने से रोका जा सकता है। दिल्ली के व्यापारियों का कहना है नवरात्रि से लेकर दीपावली तक सरकार व्यापारियों को धंधा करने के लिये विशेष सुविधा दें। ताकि वे आत्म निर्भर की तरह अपना कोरोबार कर सकें। अन्यथा देश की अर्थव्यवस्था की तरह व्यापारियों की अर्थ व्यव्स्थाचौपट हो जायेगी।

शोपियां मुठभेड़ की जांच से जाहिर, सेना जवानों ने शक्तियों का किया दुरूपयोग, उमर बोले जांच से साफ़, सेना परिवारों के आरोपों से सहमत

कश्मीर के शोपियां में जुलाई में सेना के हाथों तीन लोगों की मौत के मामले की अभी तक की जांच में सामने आया है कि सेना ने उन्हें आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (एएफएसपीए) के तहत मिली शक्तियों का दुरुपयोग किया था। अब इसे एनकाउंटर बताकर इन तीन लोगों की मौत के मामले में इससे जुड़े जवानों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

सेना ने इस कथित एनकाउंटर पर सवाल उठने के बाद एक कोर्ट ऑफ इनक्वॉयरी बैठाई थी। कोर्ट ऑफ इनक्वॉयरी ने अपनी जांच में पाया है कि सेना के जवानों ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया। ये कथित एनकाउंटर 18 जुलाई को हुआ था जिसमें जवानों के हाथों तीन लोगों की मौत हुई थी। हालांकि, इन लोगों के परिजनों और गाँववासियों ने इस पर गंभीर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया था कि इन लोगों की हत्या की गयी है और वे आतंकी नहीं थे।

परिजनों के मुताबिक यह सभी चचेरे भाई थे और शोपियां में मजदूरी करते थे।

जांच में प्रथम दृष्टतया पाया गया कि जवानों ने इस मुठभेड़ में आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट में मिली शक्तियों का बेजा इस्तेमाल किया। जांच के बाद अब सेना ने इस ऑपरेशन में शामिल सभी जवानों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है। सेना ने कहा कि जो भी इस मामले में आरोपी हैं, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा रही है। जांच के दौरान जान गंवाने वाले युवकों के डीएनए मिलान के लिए नमूने लिए हैं, जिसकी रिपोर्ट अभी आनी है।

सेना की आंतरिक जांच, जिसके नतीजे अब सार्वजनिक किए गए हैं, में कहा गया है कि कुछ निश्चित साक्ष्य सामने आए हैं। इनसे जाहिर होता है कि जवानों ने निर्धारित नियमों का उल्लंघन किया। पुलिस फिलहाल इन तीन लोगों के किसी भी तरह के  आतंकवादी गतिविधि से जुड़ाव की जांच कर रही है।

सेना की जांच में पता चला कि जवानों ने सुप्रीम कोर्ट के स्वीकृत और सेना प्रमुख की ओर से बनाए नियमों का भी उल्लंघन किया है। रक्षा विभाग के प्रवक्ता ने कहा – ‘सेना के अधिकारियों ने ऑपरेशन अमशीपोरा को लेकर जांच पूरी कर ली है। जांच में प्रथम दृष्टया कुछ सबूत मिले हैं जिनसे पता चलता है कि इस ऑपरेशन के दौरान अफ़स्पा 1990 के तहत मिली ताक़तों का दुरुपयोग किया गया। इसके साथ ही पहली नज़र में जो लोग इसके लिए दोषी पाए गए हैं, उनके ख़िलाफ़ सेना के एक्ट के मुताबिक़ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं।’

इन तीन लोगों की पहचान इबरार (17), इम्तियाज़ (25) और अबरार अहमद (20) के रूप में की गयी थी। परिजनों ने कहा था कि तीनों मज़दूरी करते थे और वे राजौरी क्षेत्र के धार सकरी गांव से शोपियां गए थे।

इस बीच जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस मसले पर ट्वीट किया है – ‘मार डाले गए तीनों लोगों के परिवार अपनी बेगुनाही का दावा करते रहे थे। सेना की शुरू की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई से लगता है कि सेना परिवारों से सहमत है। प्रक्रिया पारदर्शी बनी रहनी चाहिए और दोषी को क़ानून का पूरी तरह सामना करना चाहिए।’

पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला का ट्वीट –
Omar Abdullah
@OmarAbdullah
The families of the three murdered men had continued to proclaim their innocence. Disciplinary action initiated by the army would suggest the army agrees with the families. The process must remain transparent & the guilty must face the full weight of the law.