एमसीडी में होगा त्रिकोणीय संघर्ष
होली को लेकर खोया बिक्री जोरो पर
होली का पर्व हर्षोल्लास व रंगों का त्यौहार है। इस पर्व में लोग खुशी के साथ एक दूसरे को रंग लगाते है और मिठाइयाँ खिलाते है। ऐसे में मिठाइयों का सेवन करें तो सावधानी के साथ करें। क्योंकि दिल्ली में त्योहारों पर मिठाइयों की खपत होने से बाजारों में सिंथेटिक दूध और मिलावटी खोया की बिक्री जोरों पर है।
खोया से बनी मिठाइयों के सेवन से सेहत पर विपरीत असर पड़ सकता है। खोया बाजार केशव पुरम के व्यापारी रतन लाल का कहना है कि एक दौर था जब मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री न हो, इसके लिये खाद्य आपूर्ति विभाग छापेमारी कर मिलावटी सामानों को सील कर और गिरफ्तारी करते थे। लेकिन अब कोई कार्रवाई न होने से बाजारों में जमकर मिलावटी सामानों की बिक्री जोरों पर है।
रतन लाल का कहना है कि यहां से मिलावटी खोया पूरी दिल्ली में सप्लाई होता है। जिससे वहां पर मिठाईयां बनती है। चांदनी चौक के व्यापारी रामदेव गौतम ने बताया कि ज्यादातर मिठाइयां खोया से बनता है। मिठाई विक्रेता अपनी दुकानों में मिलावटी मिठाई को ऐसे सजा कर रख लेते है कि ग्राहक साफ सुथरी मिठाई समझकर महंगी मिठाई खरीदना है।
उन्होंने आगे बताया कि, इन दिनों बढ़ी मात्रा में सबसे ज्यादा मिलावटी दूध और खोया मेरठ, हापुड़ और दादरी से आ रहा है। जो शासन प्रशासन की जानकारी में है। लेकिन कार्रवाई न होने से नकली खोया का असली कारोबार जमकर फल-फूल रहा है। जो लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है। इस मामले में दिल्ली सरकार को समय रहते कार्रवाई करनी चाहिए ताकि लोगों के स्वास्थ्य के खिलवाड़ न हो सकें।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंत्री नवाब मलिक की रिहाई याचिका की खारिज
महाराष्ट्र के केबिनेट मंत्री नवाब मलिक को मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली और न्यायालय ने उनकी रिहाई की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। मंत्री और एनसीपी नेता मलिक ने हैबियस कॉर्पस अर्जी (बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका) दायर कर अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताया था और अपने खिलाफ दाखिल एफआईआर भी रद्द करने की मांग की थी। नवाब मलिक फिलहाल न्यायिक हिरासत में जेल में हैं।
इस मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा – ‘अर्जी में कई मुद्दे हैं, जिनपर चर्चा होनी बाकी है। अर्जी पर सुनवाई की तारीख बाद में तय की जायेगी लेकिन अभी कोई अंतरिम राहत नहीं दी जा सकती है।
इससे पहले न्यायमूर्ति पीबी वराले और न्यायमूर्ति एसए मोदक की पीठ ने दोनों पक्षों की तीन दिनों तक चली लंबी जिरह के बाद 3 मार्च को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। पीठ ने कहा था कि 15 मार्च को आदेश सुनाया जाएगा। मलिक को ईडी ने भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों की गतिविधियों से जुड़े धनशोधन मामले की जांच के सिलसिले में 23 फरवरी को गिरफ्तार किया था।
मलिक के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने पहले उच्च न्यायालय को बताया था कि मंत्री की गिरफ्तारी और उसके बाद की हिरासत अवैध है। उन्होंने अपील की थी कि गिरफ्तारी रद्द की जाए और उन्हें तुरंत हिरासत से रिहा कर अंतरिम राहत प्रदान की जाए। उधर ईडी के वकील, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह और अधिवक्ता हितेन वेनेगाओकर ने अदालत को सूचित किया था कि मलिक को उचित प्रक्रिया अपनाने के बाद गिरफ्तार किया गया है।
पाकिस्तान जा गिरी मिसाइल पर सरकार बोली: सिस्टम भरोसेमंद, घटना की जांच की जाएगी
कुछ दिन पहले भारत की एक मिसाइल के गलती से पाकिस्तान में गिरने के मामले में सरकार ने मंगलवार को संसद में एक विशेष बयान दिया। सरकार ने इस बयान में देश के मिसाइल सिस्टम को भरोसेमंद बताया। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस घटना की ‘उच्च स्तरीय’ जांच के आदेश सरकार ने दिए हैं।
याद रहे पाकिस्तान ने इस मिसाइल के उसके क्षेत्र में गिरने को लेकर भारत पर उसके एयरस्पेस का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। भारत की गयी यह मिसाइल पाकिस्तान में करीब 124 किलोमीटर भीतर खानेवाल जिले में जा गिरी थी।
संसद में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में दिए अपने बयान में कहा कि देश का मिसाइल सिस्टम भरोसेमंद है। सिंह ने कहा ‘इस घटना की ‘उच्च स्तरीय’ जांच के आदेश सरकार ने दिए हैं’।
राजनाथ सिंह ने आज राज्यसभा में कहा कि घटना को सरकार ने बहुत ही गंभीरता से लिया है और औपचारिक रूप से उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं।’ रक्षा मंत्री ने कहा कि कथित दुर्घटना का सटीक कारण जांचने के बाद ही पता चल पाएगा।
मंत्री ने कहा – ‘मैं यह भी कहना चाहूंगा कि इस घटना के संदर्भ में ऑपरेशंस, मैंटेनेंस और इंट्रक्स के लिए स्टैंडर्ड प्रोसिडिंग की भी समीक्षा की जाएगी। इस संबंध में किसी तरह की कमी पाई जाती है तो इसे तत्काल दूर किया जाएगा।’
होली को लेकर बाजारों में सियासी चेहरे व रंगों की धूम
हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं: कर्नाटक हाईकोर्ट
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक बड़े फैसले में कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है। कोर्ट ने हिजाब पर पाबंदी को भी बरकरार रखा है। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने इस मामले में 25 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस बीच खबर है कि याचिकाकर्ता छात्राओं ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है।
मामले की सुनवाई के दौरान कर्नाटक सरकार की ओर से अदालत में दलील दी गई थी कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है और धार्मिक निर्देशों को शैक्षणिक संस्थानों के बाहर रखा जाना चाहिए। इस बीच खबर है कि याचिकाकर्ता छात्राओं ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है।
आज हिसाब मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की तीन-सदस्यीय खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा – ‘गणवेश (यूनिफॉर्म) पहनने से विद्यार्थी इनकार नहीं कर सकते।’
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने मुस्लिम छात्राओं की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कॉलेजों में हिजाब पहनने की अनुमति की मांग की थी। हालांकि, न्यायालय ने कहा कि हिजाब पहनना अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है।
सुनवाई के दौरान करीब एक दर्जन मुस्लिम छात्राओं और अन्य याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया था कि हिजाब पहनना भारत के संविधान और इस्लाम की आवश्यक प्रथा के तहत एक मौलिक अधिकार की गारंटी है। सुनवाई के ग्यारह दिन बाद हाईकोर्ट ने 25 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
इस मामले में मंगलवार को उच्च न्यायालय ने कहा – ‘सरकार के आदेश के उल्लंघन के मामले में कोई केस नहीं दर्ज किया जाए।’ मामले में हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने पिछले महीने अपनी सुनवाई पूरी कर ली थी। पूर्ण पीठ में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ऋतुराज अवस्थी, जस्टिस जेएम खाजी और जस्टिस कृष्ण एम दीक्षित शामिल हैं।
एमसीडी का चुनाव टालना किसी दल के लिये जीत तो किसी के लिये हार का कारण बन सकता है
दिल्ली की राजनीति में एमसीडी के चुनाव महत्वपूर्ण होते है। लेकिन इस बार न जाने ऐसा क्या हो गया कि निर्धारित समय अप्रैल माह पर चुनाव ही नहीं हो पा रहे है। जिससे आप पार्टी केन्द्र सरकार पर चुनाव टालने का आरोप लगा रही है। सूत्रों के माने तो चुनाव टालने की वजह सही मायने भाजपा की चुनावी तैयारी का न होना है। जबकि भाजपा का मानना है कि अभी एमसीडी में तमाम सुधार की जरूरत है। इसलिये चुनाव को टाला गया है। लेकिन भाजपा चुनाव को पूरी तरह से तैयार है। और भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ एमसीडी में चुनाव जीत कर आ रही है। दिल्ली एमसीडी की राजनीति के जानकार हेमंत प्रजापति का कहना है कि जब से आप पार्टी ने दिल्ली सहित अन्य राज्यों में लोगों को फ्री में कुछ सुविधाये देने शुरू की है। तब से आप पार्टी का जनाधार बढ़ा है। जो दूसरे दलों के चुनाव जीतने में मुश्किलें पैदा कर रहे है। हेमंत का कहना है कि अगर ये चुनाव लंबे समय के लिये टलते है। तो दिल्ली की एमसीडी के चुनाव परिणाम चौंकाने वाले होगे। उनका कहना है कि दिल्ली में पंजाबी और पूर्वाचल के लोग रहते है। पंजाब में आप पार्टी की सरकार बनी है। जबकि उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी है। ऐसे में भाजपा और आप पार्टी के लिये चुनाव में बड़ा संघर्ष हो सकता है।लोगों का कहना है कि अगर चुनाव टलते है। तो हाशिये में पड़ी कांग्रेस के प्रति लोगों का रूझान बढ. सकता है।इसलिये चुनाव का टाला जाना किसी दल के लिये जीत का कारण बन सकता है तो किसी के लिये हार का कारण बन सकता है।
मंत्री पद पाने की जुगत में दिल्ली में लाँबिंग करने में लगे विधायक
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली जीत से एक ओर तो भाजपा आलाकमान से लेकर पहली बार चुने गये विधायक गदगद है। चुनाव में जीत का शोर अब उत्तर प्रदेश से ज्यादा दिल्ली में सुनाई दे रहा है। बताते चलें भाजपा के कुछ दिग्गज नेता व मंत्री उत्तर प्रदेश में चुनाव हार गये है। सो प्रदेश सरकार में इस बार उनको मौका मिलने की उम्मीद कम ही है। उनको संगठन का काम मिल सकता है। ऐसे में पहली बार चुने हुए विधायक ये चाहते है अगर उनको कोई मंत्री पद मिल जाये तो ठीक होगा।ऐसे में अब कुछ विधायक दिल्ली में डेरा डाले हुए है। सूत्रों से पता चला है कि आलाकमान के आस-पास अपनी लॉबिंग कर रहे है। उत्तर प्रदेश की राजनीति के जानकार प्रमोद गुप्ता ने बताया कि कुछ भाजपा विधायकों का टिकट दिल्ली से तय हुआ था। सो वे दिल्ली से ही उत्तर प्रदेश सरकार में डायरेक्ट मंत्री का पद चाहते है। जबकि ये भी बात सत्य है कि दिल्ली की मुहर लगे किसी को कोई बड़ा पद सरकार में नहीं मिल सकता है। मौजूदा समय में संगठन का महत्व उत्तर प्रदेश की राजनीति में ज्यादा बढ़ गया है। क्योंकि जब प्रदेश की राजनीति में भाजपा के विरोध में माहौल बन रहा था। भाजपा के प्रत्याशियों के सामने विरोधी दल ये बताने से नहीं थक रहे थें। कि प्रदेश में भाजपा की हालत पतली है। चुनाव के दौरान कुछ भाजपा नेता और उनके परिजन भाजपा को छोड़कर दूसरे दल में जा रहे थे। तब संगठन ने ही जमीनी स्तर पर काम किया जिससे भाजपा को जीत मिली है।इसलिये संगठन की भूमिका मंत्री पद दिलाने में अहम् हो सकती है। पहली बार चुने गये विधायक के साथ जो दूसरी और तीसरी बार विधायक चुने गये है। वे भी अपने लिये मंत्री पद पाने के लिये लाँबिंग करने में लगें है।
गांधी परिवार और कांग्रेस
यह 2004 की बात है जब सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री पद के लिए चुनकर खुद के ‘त्याग’ से कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच ख़ास जगह बना ली थी। अब 18 साल बाद जब पांच राज्यों में पार्टी की हार के कारण बने दबाव के बाद कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक रविवार को हुई तो सोनिया गांधी के खुद, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के कांग्रेस छोड़ देने की ‘पेशकश’ ने वहां उपस्थित नेताओं को सन्न कर दिया। और सोनिया गांधी की इस पेशकश का विरोध करने के लिए अपनी सीट से जो नेता सबसे पहले उठा वो और कोई नहीं गुलाम नबी आज़ाद थे, जिन्होंने एक रात पहले ही अपने घर में असंतुष्ट नेताओं की बैठक कर ‘गांधी परिवार’ पर हमला बोला था।
‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक सोनिया गांधी ने जब यह पेशकश की तो आज़ाद अपनी सीट से उठ खड़े हुए और बहुत बेचैनी भरे शब्दों में ‘नो-नो’ कहते हुए कुछ आगे चले गए और हाथ ऊपर उठाते हुए सोनिया गांधी की पेशकश का विरोध किया। इसके बाद बैठक में कुछ पल शांति छा गयी। नेता सन्न से बैठे थे और उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या कहा जाए। सोनिया गांधी खुद इस पेशकश के बाद ‘इमोशनल’ दिख रही थीं।
सीडब्ल्यूसी सदस्य के नाते बैठक में जी-23 के कुछ नेता भी थे। एक रात पहले नतीजों पर अपना गुस्सा जाहिर करने वाले इन नेताओं की बोलती सोनिया गांधी की पेशकश के बाद बंद थी। कोई कुछ नहीं बोल पाया। बैठक में उपस्थित एक सदस्य ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर ‘तहलका’ को बताया कि बैठक में इसके बाद ‘बागी’ नेता कुछ नहीं बोल पाए और दूसरे विषयों पर बात हुई।
दरअसल सोनिया गांधी ने बैठक में कहा कि यदि हमारे सदस्यों को लगता है कि ‘गांधी परिवार’ के कारण कांग्रेस का नुकसान हो रहा है और परिवार के कारण कांग्रेस की हार हो रही है तो ‘मैं, राहुल और प्रियंका कांग्रेस छोड़ने के लिए तैयार हैं’। सोनिया गांधी के इतना कहते ही सीडब्ल्यूसी की बैठक में सन्नाटा छा गया। सबसे पहले आज़ाद उठे और उन्होंने इसका विरोध किया। सोनिया की पेशकश से खामोश हो कुछ समझ नहीं आया कि क्या कहें।
जी-23 के जो नेता बैठक में नेतृत्व का मुद्दा उठाने का प्रण करके गए थे, उनकी जुबां को ताला लग चुका था और वे कुछ कहने की स्थिति में नहीं रहे। इसके बाद चुनाव पर चर्चा हुई और यह माना गया कि भाजपा की नाकामियों को पार्टी लोगों के सामने मजबूती से नहीं ला पाई।
सीडब्ल्यूसी की इस बैठक के बाद गांधी परिवार पर उठ रहे सवालों पर लगाम लग गयी है क्योंकि जो लोग खुद (जी-23) नेतृत्व के मसले पर सबसे ज्यादा मुखर थे, उन्होंने ही एक तरह से गांधी परिवार के नेतृत्व पर मुहर लगा दी। एक दिन पहले ही इन नेताओं ने गुलाम नबी आज़ाद के घर पर राजस्थान के युवा कांग्रेस नेता सचिन पायलट या इस तरह के किसी युवा और सक्रिय नेता को नेतृत्व सौंपने की जोरदार वकालत की थी।
जाहिर है कांग्रेस के भीतर अब नेतृत्व का मसला इसके संगठन चुनाव तक नहीं उठा पायेगा। हो सकता है उस समय यह नेता अपनी तरफ से किसी चुनाव में खड़ा करें। रविवार की बैठक में राहुल गांधी को अध्यक्ष का जिम्मा सौंपने की भी जोरदार वकालत हो गयी। फिलहाल तय है कि संगठन चुनाव तक कांग्रेस गांधी परिवार छत्रछाया में ही रहेगी और शायद संगठन चुनाव के बाद भी !
आप पार्टी से कांग्रेस और भाजपा सकते में










