हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं: कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक बड़े फैसले में कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है। कोर्ट ने हिजाब पर पाबंदी को भी बरकरार रखा है। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने इस मामले में 25 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस बीच खबर है कि याचिकाकर्ता छात्राओं ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है।

मामले की सुनवाई के दौरान कर्नाटक सरकार की ओर से अदालत में दलील दी गई थी कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है और धार्मिक निर्देशों को शैक्षणिक संस्थानों के बाहर रखा जाना चाहिए। इस बीच खबर है कि याचिकाकर्ता छात्राओं ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है।

आज हिसाब मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की तीन-सदस्यीय खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा – ‘गणवेश (यूनिफॉर्म) पहनने से विद्यार्थी इनकार नहीं कर सकते।’
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने मुस्लिम छात्राओं की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कॉलेजों में हिजाब पहनने की अनुमति की मांग की थी। हालांकि,  न्यायालय ने कहा कि हिजाब पहनना अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है।

सुनवाई के दौरान करीब एक दर्जन मुस्लिम छात्राओं और अन्य याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया था कि हिजाब पहनना भारत के संविधान और इस्लाम की आवश्यक प्रथा के तहत एक मौलिक अधिकार की गारंटी है। सुनवाई के ग्यारह दिन बाद हाईकोर्ट ने 25 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

इस मामले में मंगलवार को उच्च न्यायालय ने कहा – ‘सरकार के आदेश के उल्लंघन के मामले में कोई केस नहीं दर्ज किया जाए।’ मामले में हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने पिछले महीने अपनी सुनवाई पूरी कर ली थी। पूर्ण पीठ में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ऋतुराज अवस्थी, जस्टिस जेएम खाजी और जस्टिस कृष्ण एम दीक्षित शामिल हैं।