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याद आएँगे शेन वार्न

वार्न निश्चित ही सर्वकालिक महान् लेग स्पिनर थे

शेन वार्न क्रिकेट इतिहास की सबसे घातक गेंद फेंके जाने के लिए ही नहीं जाने जाते थे। वार्न की एक और ख़ूबी थी कि वह शीशे के ऊपर भी गेंद को स्पिन करा सकते थे। वार्न को इसीलिए दुनिया के सबसे बेहतर स्पिन्नर होने का ख़िताब दिया जाता है। उनके नाम क्रिकेट के असंख्य रिकॉर्ड बने तो विवाद भी कम नहीं जुड़े। क्रिकेट और ज़िन्दगी को पूरी तरह जीने वाले यही शेन वार्न दुनिया से अचानक चले गये। रिकॉर्ड बोर्ड पर 145 टेस्ट में दर्ज उनके 708 विकेट इस बात के गवाह हैं कि वार्न कितने आला दर्जे के स्पिनर थे। एक ऐसा जादूगर, जिसने लेग स्पिन जैसे मरती हुई कला को अचानक ही संजीवनी दी, उसे दूसरा जन्म दे दिया।

वार्न निश्चित ही सर्वकालिक महान् लेग स्पिनर थे। वॉर्न को साल 2000 में जब 20वीं शताब्दी के पाँच महानतम क्रिकेटर में शामिल किया गया, सबने इसका स्वागत किया था, क्योंकि वे इस सामान के हक़दार थे। सन् 1993 में ‘बॉल ऑफ द सेंचुरी’ फेंकने वाले वॉर्न ने सन् 1992 में भारत के ख़िलाफ़ सिडनी टेस्ट में अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर की शुरुआत की। हालाँकि यह शुरुआत बेहद फीकी रही, क्योंकि 150 रन देकर सिर्फ़ एक विकेट उनके हिस्से आयी। कुछ विशेषज्ञों ने उन्हें ख़ारिज करने की की कोशिश की। हालाँकि कुछ का कहना था कि वार्न में एक बड़ा स्पिनर बनने की क़ाबिलियत है और उन्हें इसके लिए वक्त की ज़रूरत है।

वार्न ने उनकी इस उम्मीद को मरने नहीं दिया और करियर आगे बढऩे के साथ अपनी घूमती गेंदों के साथ बल्लेबाज़ों में ख़ौफ़ भरना शुरू कर दिया। वॉर्न 2006 में टेस्ट क्रिकेट में सबसे पहले 700 विकेट लेने वाले गेंदबाज़ बने थे। इसके अलावा उनके नाम बिना शतक के सर्वाधिक रनों का रिकॉर्ड भी दर्ज है। वॉर्न ने अपने टेस्ट करियर में 145 मैच खेले थे। इस दौरान 3154 रन बनाये थे। उनका उच्चतम स्कोर रहा 99 रन।

इस महान् स्पिनर का करियर कोई 16 साल चला, जिसमें वार्न ने कुल 339 अंतरराष्ट्रीय मैचों में 1,001 विकेट लिए। वह कितने महान् स्पिनर थे, यह इस बात से ज़ाहिर हो जाता है कि इनमें 38 बार पारी में पाँच या उससे ज़्यादा विकेट और 10 बार मैच में 10 या उससे ज़्यादा विकेट उन्होंने लिए। वार्न के नाम 708 टेस्ट विकेट हैं जो सबसे ज़्यादा विकटों के मामले में श्रीलंका के ऑफ स्पिनर

मुथैया मुरलीधरन के बाद दूसरे सबसे ज़्यादा हैं। मुरलीधरन ने पूरे 800 विकेट लिये थे।

जीवन के विवादों को लेकर एक बार वार्न ने कहा था- ‘मैंने ज़िन्दगी के हर पल को जीया है और नतीजों की परवाह नहीं की। इस लिहाज़ से मुझे बहुत फ़ायदा भी हुआ और साथ ही काफ़ी पीड़ा भी  मिली। यह उस पर निर्भर करता है कि वो पल कैसे थे। मैं उस लीजेंड की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करता रहा, जो लोगों ने मुझे समझा। हालाँकि मुझे निजी तौर पर लगता है कि मुझे लेकर वह एक काल्पनिक छवि थी। और शायद यही ग़लती रही, क्योंकि मैंने मैदान के बाहर की अपनी ज़िन्दगी को सार्वजनिक बनने दिया। अपने बचाव में मैं सिर्फ़ यह कहना चाहता हूँ कि मैं कभी दूसरों की तरह होने का ढोंग नहीं कर सकता था, क्योंकि मैं वैसा था ही नहीं।’ बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि मेरे जीवन पर एक दर्ज़न से ज़्यादा किताबें लिखी जा चुकी हैं। हरेक में उनके जीवन के अलग-अलग पहलुओं को दर्शाया गया है। एक पुस्तक की प्रस्तावना में तो वार्न ने स्वीकार किया था कि जीवन में उनसे कुछ बेवक़ूफ़ियाँ ज़रूर हुईं; लेकिन क्रिकेट में उन्होंने अपनी प्रतिभा के साथ कभी अन्याय नहीं होने दिया। ऐसे में अफ़सोस किस बात का?

शेन वॉर्न की मौत के बाद महान् लेग स्पिनर के सम्मान में क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने बड़ा क़दम उठाया। मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड की गिनती दुनिया के सबसे बेहतरीन मैदानों में होती है। अब इस स्टेडियम का ‘द ग्रेट साउथ स्टैंड’ शेन वॉर्न के नाम से पहचाना जाएगा। विक्टोरिया के खेल मंत्री विक्टर पकोला ने इसकी घोषणा की। उन्होंने सन् 1993 में 24 वर्ष की उम्र में ओल्ड ट्रैफर्ड में जिस गेंद पर इंग्लैंड के माइक गैटिंग को आउट किया था, उसे ‘बॉल ऑफ द सेंचुरी’ माना जाता है। गैटिंग उस लेग ब्रेक पर हैरान रह गये। यह गेंद 90 डिग्री की दिशा में घूम गयी थी। वॉर्न को सन् 1992 से 2007 के बीच उनकी अतुल्य उपलब्धियों के लिए विजडन ने शताब्दी के पाँच क्रिकेटरों में चुना गया था। क्रिकेट या दुनिया जब शेन वॉर्न का ज़िक्र करेगी, तो उनका आकलन एक करिश्माई खिलाड़ी के तौर पर ही होगा।

कैसे हुई मौत?

वार्न की मौत लेकर अभी रहस्य बना हुआ है। जब 4 मार्च को थाईलैंड में उनकी मौत हुई, सभी हैरान रह गये। सिर्फ़ 52 साल में उनका जाना सबको दु:ख से भर गया। थाईलैंड पुलिस ने शेन वॉर्न की मौत के मामले में जो बड़ा ख़ुलासा किया है, उसके मुताबिक उसके थाईलैंड पुलिस को विला की तलाशी के समय शेन वॉर्न के कमरे के फ़र्श और तौलियों पर कथित तौर पर ख़ून के धब्बे मिले थे। बता दें कि वार्न कोह समुई द्वीप पर छुट्टियाँ मनाने गये थे। थाई इंटरनेशनल अस्पताल में 4 मार्च की रात डॉक्टरों ने वॉर्न को मृत घोषित किया था। उनके दोस्तों ने लग्जरी विला में उन्हें सीपीआर दिया था। एक मीडिया रिपोर्ट में स्थानीय प्रांतीय पुलिस के कमांडर सतीत पोलपिनित को यह कहते हुए दिखाया गया कि कमरे में काफ़ी ख़ून फैला था। जब सीपीआर (कार्डियो पल्मनरी रिससिटेशन) शुरू हुआ था, तो वॉर्न की खाँसी से कुछ तरल पदार्थ निकाला था और ख़ून निकल रहा था। रिपोट्र्स में यह भी दावा किया गया है कि वॉर्न कुछ समय पहले एक हृदय रोग विशेषज्ञ से मिले थे। वैसे अभी तक वार्न की मौत को संदिग्ध नज़र से नहीं देखा गया है।

पुलिस को वार्न के एक दोस्त ने बताया था कि पूर्व क्रिकेटर शाम 5:00 बजे कोई जवाब नहीं दे रहा था। एम्बुलेंस का इंतज़ार करते हुए दोस्तों के ग्रुप ने वॉर्न का सीपीआर किया। वॉर्न के प्रबन्धन ने बाद में एक संक्षिप्त बयान जारी कर उनके निधन की पुष्टि की। अब इंतज़ार है कि जाँच का नतीजा सामने आये, ताकि उनकी मौत के सही कारण का पता चल सके।

शेन वॉर्न का करियर

टेस्ट 145, 708 विकेट, श्रेष्ठ 8/71

वनडे 194, 293 विकेट, श्रेष्ठ 5/33

 

विवादों में भी आगे

शेन वॉर्न जितने महान् गेंदबाज़ रहे, उतने ही विवादों ने उन्हें सुर्ख़ियों में रखा। सन् 1994 में शेन वॉर्न सट्टेबाज़ी को लेकर विवाद में फँस गये थे। श्रीलंका दौरे के दौरान वॉर्न और मार्क वॉ पर एक भारतीय सट्टेबाज़ के साथ साँठगाँठ करने और पिच और मौसम के बारे में जानकारी देने का आरोप लगा। इसके बाद सन् 2003 में शेन वॉर्न तब एक और बड़े विवाद में घिरे, जब उन पर क्रिकेट खेलने का एक साल का प्रतिबंध लग गया। उन पर प्रतिबंधित पदार्थ का सेवन करने का आरोप था। विश्व कप के दौरान पाकिस्तान के ख़िलाफ़ मैच से पूर्व वार्न का डोप टेस्ट हुआ, जिसमें पॉजिटिव आने के बाद उन्हें वल्र्ड कप से बाहर कर दिया गया। उन पर एक साल तक क्रिकेट खेलने का प्रतिबंध लगा। सन् 2000 में वे एक और विवाद में फँस गये, जब एक ब्रिटिश नर्स ने शेन वॉर्न पर अश्लील हरकत करने का आरोप लगाया। नर्स का दावा था कि वॉर्न ने उनके साथ फोन पर अश्लील बातें कीं और उन्हें गंदे सन्देश भेजे। इसकी वार्न को यह सज़ा मिली कि उन्हें ऑस्ट्रेलिया टीम की उप कप्तानी से हाथ धोना पड़ा। वार्न मोहब्बत के मामले में भी ख़ूब सुर्ख़ियों में रहे। उन्होंने सन् 1995 में सिमोन कैलाहन से विवाह किया। कुछ साल के बाद दोनों अलग हो गये। इन दोनों के तीन बच्चे हैं। वॉर्न का मशहूर हॉलीवुड एक्ट्रेस लिज़ हर्ले के साथ सम्बन्ध काफ़ी सुर्ख़ियों में रहा। दोनों की सगाई तक हुई; लेकिन वार्न के अन्य महिलाओं से  सम्बन्ध की बात सामने आने के बाद उन्होंने वार्न से किनारा कर लिया। सन् 2017 में शेन वॉर्न पोर्न स्टार वैलेरी फॉक्स के साथ हाथापाई करने के आरोप के बाद फिर चर्चा में आये। क्लेरी फॉक्स ने एक फोटो अपने सोशल मीडिया पर शेयर की थी, जिसमें उनकी आँखों पर चोट दिख रही थी। कैप्शन में फॉक्स ने लिखा था- ‘आप मशहूर हस्ती हैं, इसका मतलब यह क़तई नहीं कि किसी औरत पर हाथ उठाया जा सकता है।’

प्रमाण पत्र नहीं मज़हब

मज़हबों (धर्मों) को लोगों ने ईश्वर तक पहुँचने का प्रमाण-पत्र मान लिया है। यह बात लोगों की अपने-अपने मज़हबों में गहन आस्था से साबित होती है। मज़हबों में फँसे लोग इतने डरे हुए होते हैं कि उन्हें इस दायरे से बाहर झाँकने की हिम्मत तक नहीं होती, उन्हें पतन का डर सताता है। उन्हें लगता है कि अगर वे अपने मज़हब के दायरे से बाहर गये, तो उन्हें ईश्वर तो मिलेगा ही नहीं, उल्टा नरक (जहन्नुम) में ज़रूर जाना पड़ेगा। यह बात अधिकतर लोगों को उनके धर्मगुरु बताते हैं, अथवा इस तरह की कहानियाँ-कथाएँ सुनाकर डरा देते हैं। धर्म का रास्ता दिखाने वालों की बात मानें, तो ऐसा लगता है मानो धर्म से बाहर जाते ही आप इतने नीचे गिर जाएँगे कि फिर कोई आपको उठाने वाला मानो होगा ही नहीं। यहाँ तक कि ईश्वर भी नहीं; क्योंकि वह आपसे नाराज़ हो जाएगा। यही वे लोग हैं, जो आपको दूसरे मज़हब के लोगों के विचारों को आसपास भी नहीं भटकने देना चाहते। जो लोग इनके इशारों पर चलने लगते हैं, उन पर धीरे-धीरे कट्टरता हावी होने लगती है। उन्हें लगता है कि अगर उन्होंने अपने मज़हब को छोड़ा या उसकी बग़ावत की, तो वे कहीं के नहीं रहेंगे।

दरअसल यह डर बचपन से ही हर व्यक्ति के अन्दर उसके परिवार और समाज की तरफ़ से पैदा कर दिया जाता है। यही वजह है कि कोई इंसान बुद्धिमान होकर अपने मज़हब की ख़ामियाँ जानते हुए भी उसका प्रतिकार नहीं कर पाता और दूसरे किसी मज़हब की अच्छाई को स्वीकार नहीं कर पाता। लेकिन जो समझदार हैं, वे अपनी मर्ज़ी से या सोच-विचार करके ही किसी चीज़ को स्वीकार अथवा अस्वीकार करते हैं। भले ही ऐसे लोगों को उनके मज़हब के लोग, परिजन, पड़ोसी या फिर समाज के लोग कुछ भी मानें। या उनका विरोध करें।

सवाल यह है कि जो लोग यह कहते या बताते हैं कि मज़हब के बिना किसी का उद्धार नहीं है। क्या ऐसे लोग बताएँगे कि जो लोग संसार की मोहमाया छोडक़र, मज़हबों का भेदभाव भुलाकर, अच्छे-बुरे और ऊँच-नीच का भेदभाव त्यागकर कहीं दूर पहाड़ों या कंदराओं में ईश्वर की खोज में चले जाते हैं; क्या उन्हें ईश्वर नहीं मिलता होगा? और ऐसे लोग जो मज़हबी दायरों में बँटे हुए हैं। दिन-रात मज़हबों में बताये नियमों का पालन करते हैं; क्या वे आश्वस्त कर सकते हैं कि उन्हें ईश्वर मिलेगा-ही-मिलेगा? ऐसे लोग क्या यह बताएँगे कि अगर कोई पहुँचा हुआ सन्त-महात्मा-पीर-फ़क़ीर उनके सामने आ जाए, तो क्या वे उसका आशीर्वाद पाने के लिए लालायित नहीं होंगे? भले ही वह उनके मज़हब का न हो, तो भी!

कई लोगों के मन में इस समय यह सवाल उठ रहा होगा कि अगर वे अपने मज़हब को छोड़ दें, तो फिर ईश्वर को पाने का क्या उपाय है? इसका सीधा-सा उत्तर यह है- ऐसे लोगों के लिए कर्मयोग का मार्ग है। कर्मयोग अर्थात् मन और नीयत साफ़ रखो। किसी को सताओ मत। किसी का नुक़सान मत करो। ईमानदारी और मेहनत की रोटी खाओ। हो सके, तो दूसरों की मदद करो। किसी का बुरा मत करो। मन में किसी के लिए भी भेदभाव, घृणा, बैर, विद्वेष और ईष्र्या मत रखो। जब भी मन हो या समय हो निर्मल मन से सब कुछ भूलकर ईश्वर का ध्यान करो। भले ही एक सेकेंड उसे याद करो; लेकिन जब उस अनन्त का ध्यान करो, तो बाक़ी सब भुला दो। यहाँ तक कि अपने आप को भी भुला दो। वह निश्चित ही आपकी वृत्ति, ध्यान, मन, चित्त और स्मृति में प्रकाशित होता महसूस होगा और आपका मार्गदर्शन करता नज़र आएगा।

रावण ने मरते समय लक्ष्मण से कहा था कि ईश्वर को अगर पाना है, तो या तो उससे इतना प्रेम करो कि उसके अलावा कोई दूसरा आपको न दिखे। या फिर उससे इतनी नफ़रत करो कि उसे आपका वध करने के लिए स्यवं पृथ्वी पर आना पड़े। इन दोनों ही स्थितियों में तुम्हें निश्चित ही ईश्वर मिलेगा। लेकिन लोग न तो पूरी तरह संसार से मोह त्याग पाते हैं। न स्वजनों से आशक्ति, जिसे वे प्रेम समझते हैं; का त्याग कर पाते हैं। न ही ईश्वर से इतना प्रेम कर पाते हैं कि संसार के बन्धनों से मुक्त हो जाएँ। और न ही कोई इतनी नफ़रत कर पाता है कि ईश्वर स्वयं उसे मारने अवतरित हो जाए। लेकिन जो लोग मज़हबों को नहीं छोडऩा चाहें, वे क्या करें? वे मज़हबों में रहें; लेकिन किसी से घृणा, भेदभाव, ईष्र्या और द्वेष न करें। लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि मज़हब ही उद्धार का द्वार हैं। जीव का उद्धार अथवा अनुद्धार तो उसके अंत:करण की शुद्धि-अशुद्धि और कर्मों पर निर्भर है। अगर किसी के कर्म ग़लत हैं और तन, मन व बुद्धि पापों से कलुषित हैं, तो उसे कोई भी मज़हब ईश्वर तक नहीं पहुँचा सकता। अन्त में मेरा एक दोहा है :-

मन के अन्दर ईश्वर, बाहर खोजें लोग।

ढोंग किये वो कब मिले, मिले जगाये जोग।।’ 

भगवंत मान ने पंजाब के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, 17वें सीएम बने

आम आदमी पार्टी (आप) को मिली बड़ी जीत के बाद पंजाब में बुधवार को भगवंत सिंह मान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने उन्हें  ओहदे की शपथ दिलाई। उन्हें नतीजे आने के बाद आप विधायक दल का नेता चुना गया था। आज अकेले मान ने ही शपथ ली।

शपथ ग्रहण समारोह में पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भी उपस्थित थे।

शपथ ग्रहण के बाद मान ने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे जनता की आवाज बनें और किसी तरह का अहंकार न करें। उन्होंने कहा वैसे तो मुर्गे के सिर पर भी ताज होता है लेकिन एक नेता के रूप में उनके सिर पर जनता तो जो ताज रखा है उसकी जिम्मेदारी वे समझते हैं और इसे पूरी मेहनत से निभाएंगे।

शपथ ग्रहण समारोह में हर तरफ पीली पगड़ियाँ दिख रही थीं। इस मौके पर हज़ारों लोग उपस्थित थे। शपथ ग्रहण समारोह खटकड़ कलां में हुआ जो शहीद भगत सिंह की धरती है। मान ने इसे शपथ ग्रहण के लिए खास तौर पर चुना था। अपने भाषण में भी उन्होंने इसका जिक्र किया।

यूपी में पार्टी की हार के बाद प्रियंका के भविष्य के रोल पर सबकी निगाह

कार्यकारी अध्यक्ष के सहारे चल रही कांग्रेस में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हारने के बाद इन राज्यों के अध्यक्षों के इस्तीफे हो गए हैं। सोनिया गांधी ने ही मंगलवार को  को उन्हें इस्तीफे देने के लिए कहा था। जाहिर है इसके बाद वहां तदर्थ आधार पर अध्यक्ष मनोनीत किये जाएंगे क्योंकि सितंबर में संगठन चुनाव में राष्ट्रीय से लेकर राज्यों तक में अध्यक्ष चुने जाने हैं। उत्तर प्रदेश में राज्य अध्यक्ष अजय लल्लू ने भी हार की जिम्मेवारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया है, लिहाजा देखना है कि राज्य की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी अब किस रोल में दिखती हैं।

संगठन में इन इस्तीफों से शायद ही कोई सक्रियता आये क्योंकि ज्यादातर राज्यों में पार्टी नेताओं में इस कदर लड़ाई है कि वे एक दूसरे से नतीजे आने के बाद भी लड़ रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चुनाव से पहले राज्यों के नेताओं को आपसी कलह से बचने की सलाह दी थी जिसे कमोवेश किसी ने नहीं माना और नतीजों से जाहिर हो गया कि चुनाव में नेताओं ने एकजुटता से काम नहीं किया।

उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, उत्तराखंड के अध्यक्ष गणेश गोंडियाल, मणिपुर के अध्यक्ष नामेराकपन लोकेन सिंह, पंजाब के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और गोवा के अध्यक्ष गिरीश चोडणकर से सोनिया गांधी ने इस्तीफा माँगा था।  इन सभी के इस्तीफों के बाद पार्टी में अब नए अध्यक्ष मनोनीत किये जाएंगे।

उत्तर प्रदेश पर सबकी निगाह है क्योंकि बतौर प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी ने हार के बाद अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया है। ‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक  प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में डटे रहने की तैयारी कर ली है और उनके भविष्य के लिए कार्यक्रमों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

प्रियंका यूपी में इसी महीने से सक्रिय हो जाएंगी। यूपी के कुछ नेता चाहते हैं कि राज्य कांग्रेस के कमान प्रियंका गांधी को सौंप दी जाये क्योंकि इससे पार्टी संगठन में गति आएगी। हालांकि, जिस तरह प्रियंका गांधी का बतौर महासचिव राष्ट्रीय मुद्दों और संगठन में हस्तक्षेप रहता है, उसे देखते हुए शायद वे अध्यक्ष की जिम्मेदारी न संभालें।  अहमद पटेल और मोती लाल बोरा जैसे नेताओं के मृत्यु के बाद प्रियंका गांधी को कांग्रेस के बीच ‘संकटमोचक’ की भूमिका में देखा जाता है। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष बन जाने की स्थिति में वो एक ही राज्य में बंध जाएंगी।

इस बारे में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को अभी पार्टी के फैसले का इन्तजार है। प्रियंका गांधी का लक्ष्य 2024 के लोकसभा चुनाव हैं। विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार से  मायूस हैं लेकिन कहा जाता है वे विचलित नहीं हैं। लिहाजा पार्टी उनका क्या रोल तय करती है, इसपर सभी की निगाह है। वैसे बतौर अध्यक्ष अजय लल्लू का कार्यकाल बुरा नहीं था क्योंकि वे योगी सरकार के खिलाफ लगातार धरने-प्रदर्शन करते रहे थे। यही नहीं किसी भी विपक्षी नेता के मुकाबले वे सबसे ज्यादा जेल गए। दो बार विधायक बनने वाले लल्लू इस बार चुनाव हार गए।

उत्तराखंड में हरीश रावत जैसे नेताओं का राजनीतिक करियर अब समाप्ति की तरफ है और पार्टी किसी युवा को कमान दे सकती है। पंजाब में दोनों सीटों से चुनाव हारने वाले चरणजीत सिंह चन्नी के लिए भी दिक्कतें हैं, राहुल गांधी का करीबी माना जाता है।   पार्टी  किसी वरिष्ठ नेता को जिम्मा सौंप सकती है। मणिपुर और गोवा में भी युवाओं को आगे लाये जाने की कवायद है।

एमसीडी में होगा त्रिकोणीय संघर्ष 

भले ही दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनाव की तारीख का ऐलान नहीं हुआ है। लेकिन दिल्ली की सियासत में आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति तेज हो गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अमरीश गौतम का कहना है कि आप पार्टी ने जब से दिल्ली में सरकार बनाई है, तब से विकास कार्य ठप पड़े है। जो काम कांग्रेस के शासन में हुये थे। उसकी रियेरिंग तक आप पार्टी नहीं करवा पा रही है।
स्कूलों में टीचरों की कमी है। लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल तो करोड़ो रूपयों को खर्च कर अपने विज्ञापनों को छपवाने में लगें है। उन्होंने बताया कि आप पार्टी और भाजपा दोनों एक  मिले है। सिर्फ व सिर्फ नूरा कुश्ती कर जनता को गुमराह करने में लगें है। उनका कहना है कि आप पार्टी को पंजाब में जिताने के लिये भाजपा ने काम किया है। तो अन्य 4 राज्यों मणिपुर, गोवा,उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा को जिताने के लिये आप पार्टी ने काम किया है।
उनका कहना है कि रहा सवाल एमसीडी के चुनाव का तो यहां पर भाजपा और आप पार्टी चुनाव तो लड़ेगी। भाजपा के नेता व पूर्व निगम के नेता मनोज कुमार का कहना है कि कांग्रेस की राजनीति को जनता ने नकार दिया है। सो जो चाहे आरोप लगा रही है।
आप पार्टी के नेता हंसराज सिंह का कहना है कि जब कोई राजनीति दल चुनाव में हार जाता है तो दूसरे जीतने वाले दलों पर आपसी मिली भगत होने का दावा करने लगती है। जबकि सच्चाई ये है कि एमसीडी के चुनाव में आप पार्टी की जीत निश्चित है। उनका कहना है कि जो नेता आरोप लगा रहे है। उन्हें इस बात पर भी गौर करना चाहिये अगर भाजपा और आप पार्टी आपस में मिली होती तो आज भाजपा की केन्द्र सरकार एमसीडी के चुनाव को न टालती।दिल्ली का राजनीति के जानकारी आलोक कुमार का कहना है कि मौजूदा समय में जो सियासत चल रही है। उससे तो लगता है कि चुनाव में त्रिकोणीय संघर्ष हो सकता है। 

 होली को लेकर खोया बिक्री जोरो पर

होली का पर्व हर्षोल्लास व रंगों का त्यौहार है। इस पर्व में लोग खुशी के साथ एक दूसरे को रंग लगाते है और मिठाइयाँ खिलाते है। ऐसे में मिठाइयों का सेवन करें तो सावधानी के साथ करें। क्योंकि दिल्ली में त्योहारों पर मिठाइयों की खपत होने से बाजारों में सिंथेटिक दूध और मिलावटी खोया की बिक्री जोरों पर है।

खोया से बनी मिठाइयों के सेवन से सेहत पर विपरीत असर पड़ सकता है। खोया बाजार केशव पुरम के व्यापारी रतन लाल का कहना है कि एक दौर था जब मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री न हो, इसके लिये खाद्य आपूर्ति विभाग छापेमारी कर मिलावटी सामानों को सील कर और गिरफ्तारी करते थे। लेकिन अब कोई कार्रवाई न होने से बाजारों में जमकर मिलावटी सामानों की बिक्री जोरों पर है।

रतन लाल का कहना है कि यहां से मिलावटी खोया पूरी दिल्ली में सप्लाई होता है। जिससे वहां पर मिठाईयां बनती है। चांदनी चौक के व्यापारी रामदेव गौतम ने बताया कि ज्यादातर मिठाइयां खोया से बनता है। मिठाई विक्रेता अपनी दुकानों में मिलावटी मिठाई को ऐसे सजा कर रख लेते है कि ग्राहक साफ सुथरी मिठाई समझकर महंगी मिठाई खरीदना है।

उन्होंने आगे बताया कि, इन दिनों बढ़ी मात्रा में सबसे ज्यादा मिलावटी दूध और खोया मेरठ, हापुड़ और दादरी से आ रहा है। जो शासन प्रशासन की जानकारी में है। लेकिन कार्रवाई न होने से नकली खोया का असली कारोबार जमकर फल-फूल रहा है। जो लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है। इस मामले में दिल्ली सरकार को समय रहते कार्रवाई करनी चाहिए ताकि लोगों के स्वास्थ्य के  खिलवाड़ न हो सकें।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंत्री नवाब मलिक की रिहाई याचिका की खारिज

महाराष्ट्र के केबिनेट मंत्री नवाब मलिक को मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली और न्यायालय ने उनकी रिहाई की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।   मंत्री और एनसीपी नेता मलिक ने हैबियस कॉर्पस अर्जी (बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका) दायर कर अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताया था और अपने खिलाफ दाखिल एफआईआर भी रद्द करने की मांग की थी। नवाब मलिक फिलहाल न्यायिक हिरासत में जेल में हैं।

इस मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा – ‘अर्जी में कई मुद्दे हैं, जिनपर चर्चा होनी बाकी है। अर्जी पर सुनवाई की तारीख बाद में तय की जायेगी लेकिन अभी कोई अंतरिम राहत नहीं दी जा सकती है।

इससे पहले न्यायमूर्ति पीबी वराले और न्यायमूर्ति एसए मोदक की पीठ ने दोनों पक्षों की तीन दिनों तक चली लंबी जिरह के बाद 3 मार्च को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। पीठ ने कहा था कि 15 मार्च को आदेश सुनाया जाएगा। मलिक को ईडी ने भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों की गतिविधियों से जुड़े धनशोधन मामले की जांच के सिलसिले में 23 फरवरी को गिरफ्तार किया था।

मलिक के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने पहले उच्च न्यायालय को बताया था कि मंत्री की गिरफ्तारी और उसके बाद की हिरासत अवैध है। उन्होंने अपील की थी कि गिरफ्तारी रद्द की जाए और उन्हें तुरंत हिरासत से रिहा कर अंतरिम राहत प्रदान की जाए। उधर ईडी के वकील, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह और अधिवक्ता हितेन वेनेगाओकर ने अदालत को सूचित किया था कि मलिक को उचित प्रक्रिया अपनाने के बाद गिरफ्तार किया गया है।

पाकिस्तान जा गिरी मिसाइल पर सरकार बोली: सिस्टम भरोसेमंद, घटना की जांच की जाएगी

कुछ दिन पहले भारत की एक मिसाइल के गलती से पाकिस्तान में गिरने के मामले में सरकार ने मंगलवार को संसद में एक विशेष बयान दिया। सरकार ने इस बयान में देश के मिसाइल सिस्टम को भरोसेमंद बताया। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस घटना की ‘उच्च स्तरीय’ जांच के आदेश सरकार ने दिए हैं।

याद रहे पाकिस्तान ने इस मिसाइल के उसके क्षेत्र में गिरने को लेकर भारत पर उसके एयरस्पेस का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। भारत की  गयी यह मिसाइल पाकिस्तान में करीब 124 किलोमीटर भीतर खानेवाल जिले में जा गिरी थी।

संसद में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में दिए अपने बयान में कहा कि देश का मिसाइल सिस्टम भरोसेमंद है। सिंह ने कहा ‘इस घटना की ‘उच्च स्तरीय’ जांच के आदेश सरकार ने दिए हैं’।

राजनाथ सिंह ने आज राज्यसभा में कहा कि घटना को सरकार ने बहुत ही गंभीरता से लिया है और औपचारिक रूप से उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं।’ रक्षा मंत्री ने कहा कि कथित दुर्घटना का सटीक कारण जांचने के बाद ही पता चल पाएगा।

मंत्री ने कहा – ‘मैं यह भी कहना चाहूंगा कि इस घटना के संदर्भ में ऑपरेशंस, मैंटेनेंस और इंट्रक्स के लिए स्टैंडर्ड प्रोसिडिंग की भी समीक्षा की जाएगी। इस संबंध में किसी तरह की कमी पाई जाती है तो इसे तत्काल दूर किया जाएगा।’

होली को लेकर बाजारों में सियासी चेहरे व रंगों की धूम

कोरोना के चलते दो सालों से होली का पर्व व बाजार बदरंग रहा है। वहीं  इस साल कोरोना के फींके पड़ने से  होली के सामानों से बाजार गुलजार है। देशी और चीनी होली के सामानों से बाजार अटे पड़े है। जहां -तहां बाजारों में लोग कोरोना के न होने से खरीददारी करने में लगे है।दिल्ली के बाजार वालों का कहना है कि  कोरोना के कारण गत सालों से होली के सामान बेंचने वाले नारायण दास का कहना है कि भले ही हम  सब व्यापारी चीनी समान का विरोध कर लें । लेकिन आज भी चीनी सामान की मांग जोरों पर । लोग सस्ते होने के कारण चीनी समान की खरीददारी कर रहे है। लेकिन इस बार इतना जरूर है कि देशी प्रोडक्ट भी जमकर बिक रहे है।जिसमें देशी गुलाल और रंग भी शामिल है। सदर बाजार के होली के समान के बिक्रेता राकेश यादव का कहना है कि कोरोना के न होने के कारण दिल्ली के ही नहीं  बल्कि अन्य राज्यों से छोटे -बड़े व्यापारी सामान खरीदकर ले जा रहे है। लोगों में उत्साह है। उनका कहना है कि होली के जश्न में इस बार सिसायी रंग कुछ ज्यादा ही दिख रह रहा है। उनका कहना है कि होली के एक सप्ताह पहले पांच राज्यों के चुनाव परिणाम घोषित हुये है। सो पांच राज्यों में एक सप्ताह पहले ही होली जैसा जश्न दिखने लगा है। जहां -तहां लोगों ने गुलाल लगाकर और गुलाल उड़ाकर होली का जश्न मनाया है और मना  रहे है।इसलिये इस साल होली का पर्व की रौनक बजारों में दिख रही है।बाजारों में साफ देखा जा सकता है। कि इस बार की होली को लेकर लोगों मेंं बड़ा ही उत्ताह है। सबसे बड़ी बात ये है। कि बाजारों में सियासी चेहरे वालों की सामानों की  बिक्री भी हो रही है।

हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं: कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक बड़े फैसले में कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है। कोर्ट ने हिजाब पर पाबंदी को भी बरकरार रखा है। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने इस मामले में 25 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस बीच खबर है कि याचिकाकर्ता छात्राओं ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है।

मामले की सुनवाई के दौरान कर्नाटक सरकार की ओर से अदालत में दलील दी गई थी कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है और धार्मिक निर्देशों को शैक्षणिक संस्थानों के बाहर रखा जाना चाहिए। इस बीच खबर है कि याचिकाकर्ता छात्राओं ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है।

आज हिसाब मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की तीन-सदस्यीय खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा – ‘गणवेश (यूनिफॉर्म) पहनने से विद्यार्थी इनकार नहीं कर सकते।’
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने मुस्लिम छात्राओं की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कॉलेजों में हिजाब पहनने की अनुमति की मांग की थी। हालांकि,  न्यायालय ने कहा कि हिजाब पहनना अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है।

सुनवाई के दौरान करीब एक दर्जन मुस्लिम छात्राओं और अन्य याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया था कि हिजाब पहनना भारत के संविधान और इस्लाम की आवश्यक प्रथा के तहत एक मौलिक अधिकार की गारंटी है। सुनवाई के ग्यारह दिन बाद हाईकोर्ट ने 25 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

इस मामले में मंगलवार को उच्च न्यायालय ने कहा – ‘सरकार के आदेश के उल्लंघन के मामले में कोई केस नहीं दर्ज किया जाए।’ मामले में हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने पिछले महीने अपनी सुनवाई पूरी कर ली थी। पूर्ण पीठ में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ऋतुराज अवस्थी, जस्टिस जेएम खाजी और जस्टिस कृष्ण एम दीक्षित शामिल हैं।