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सीएम योगी ने 52 मंत्रियों के साथ ली शपथ

योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस अवसर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष  जेपी नड्डा भी उपस्थित थे।

योगी सरकार में दो लोगों को उप मुख्यमंत्री बनाया गया है। इनमें पिछली सरकार में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या शामिल हैं। जबकि दूसरे नेता बृजेश पाठक हैं। पिछली बार दिनेश शर्मा भी उपमुख्यमंत्री थे लेकिन उन्हें इस बार जगह नहीं दी गयी है।

शपथ ग्रह समारोह उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अटल बिहारी वाजपेयी इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम (एकना स्टेडियम) में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही योगी ने नया इतिहास रच दिया है। योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह समेत देशभर के कई बड़े नेता और उद्योगपति मौजूद रहे। उनके अलावा भाजपा शासित 12 राज्यों के मुख्यमंत्री भी उपस्थित थे।

सीएम योगी के साथ 52 और नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली। इनमें 16 कैबिनेट मंत्री, 14 स्वतंत्र प्रभार और 20 राज्य मंत्री हैं।
कैबिनेट मंत्री : सूर्य प्रताप शाही, सुरेश कुमार खन्ना, स्वतंत्र देव सिंह, बेबी रानी मौर्य, लक्ष्मी नारायण चौधरी, जयवीर सिंह, धर्मपाल सिंह, नंद गोपाल गुप्ता नंदी, भूपेंद्र सिंह चौधरी, अनिल राजभर, जितिन प्रसाद, राकेश सचान, अरविंद कुमार शर्मा,  योगेंद्र उपाध्याय, आशीष पटेल, संजय निषाद।

 
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) :  नितिन अग्रवाल, कपिलदेव अग्रवाल, रवीन्द्र जायसवाल, संदीप सिंह, गुलाब देवी, गिरीश चंद्र यादव, धर्मवीर प्रजापति, असीम अरुण, जेपीएस राठौर, दयाशंकर सिंह, नरेंद्र कश्यप, दिनेश प्रताप सिंह, अरुण कुमार सक्सेना, दयाशंकर मिश्र दयालु।
 

राज्य मंत्री :  मयंकेश्वर सिंह, दिनेश खटिक, संजीव गौड़, बलदेव सिंह ओलख, अजीत पाल, जसवंत सैनी, रामकेश निषाद, मनोहर लाल मन्नू कोरी, संजय गंगवार, बृजेश सिंह, केपी मलिक, सुरेश राही, सोमेंद्र तोमर, अनूप प्रधान, प्रतिभा शुक्ला, राकेश राठौर, रजनी तिवारी, सतीश शर्मा, दानिश आजाद अंसारी, विजय लक्ष्मी गौतम।

कलकत्ता हाईकोर्ट का आदेश, बीरभूम हत्याकांड की जांच सीबीआई करेगी

राजनीति में हलचल मचाने वाले पश्चिम बंगाल के बीरभूम हत्याकांड मामले को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को घटना के सीबीआई से जाँच के आदेश दिए हैं। इस घटना में घरों के भीतर आठ लोगों को ज़िंदा जला दिया गया था।

जानकारी के मुताबिक कलकत्ता हाईकोर्ट में शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई हुई  जिसमें हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार की केंद्रीय एजेंसी को जांच नहीं सौंपने के अनुरोध को खारिज करने के बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मामले को सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया है।

याद रहे बीरभूम में मंगलवार को भीड़ ने आठ लोगों को जिंदा जला दिया था। यह घटना टीएमसी के एक कार्यकर्ता की हत्या के बाद हुई थी। इसके अलाव इस  कोर्ट में भी ले जाने की कवायद भी हुई है।

एमसीडी चुनाव में कम हो सकती है वॉर्डों की संख्या

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में 272 वॉर्ड है। अब एमसीडी के एकीकरण के बाद यह संख्या 250 हो जाएगी। किंतु दिल्ली के तीनों निकायों के लिए केंद्र सरकार विधेयक पेश करने को तैयार है साथ ही वॉर्डों को सीमित करने की संभावना पर विचार भी चल रहा है। एमसीडी चुनाव को लेकर जो भी अटकलों का दौर चल रहा हो, लेकिन इसके पीछे सियासी दांव-पेंच साफ देखें जा सकते है।
जानकारों का कहना है कि जब से आप पार्टी का उदय हुआ है। तब से आप पार्टी को लेकर कांग्रेस और भाजपा में इस बात की होड़ लगी है। कि आप पार्टी को कैसे चुनाव में कमजोर किया जाये। आप पार्टी के बढ़ते जनाधार और एमसीडी में आप पार्टी की जीत की संभावना को देखते हुए सीटों के कम करने पर सियासत की जा रही है।
एमसीडी की राजनीति को लेकर के. डी. सुरेश का कहना है कि एमसीडी का दिल्ली की सियासत में अहम भूमिका है। क्योंकि जो निगम का पार्षद होता है वो कई मामलों में विधायक से कहीं ज्यादा लोकल स्तर पर ज्यादा काम कराने में हस्तक्षेप कर सकता है। सो पार्षद का दिल्ली में बड़ा ही महत्व है। बताते है कि एमसीडी में जो भी सीटों को कम करने के बीच जातीय समीकरणों को साधने का प्रयास किया जायेगा। कुछ इस तरह से सियासी ताना-बाना चुना जायेगा जिससे एक पार्टी को विशेष रूप से सियासी लाभ मिल सकें।
फिलहाल सीटों के कम होने या ज्यादा होने से राजनीतिक दलों पर क्या असर पड़ता है। लेकिन इतना तो जरूर है कि आप पार्टी से ही कांग्रेस और भाजपा का मुकाबला होगा। फिलहाल राजनीतिक दलों की नजरें अब एमसीडी चुनाव की तारीख पर है कि कब चुनाव की तारीख का ऐलान होता है।

इमरान खान सरकार के खिलाफ आज आएगा अविश्वास प्रस्ताव

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के राजनीतिक भाग्य का आज फैसला होगा जब वहां की नेशनल असेंबली में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश होगा। इस घटनाक्रम से पाकिस्तान में जबरदस्त राजनीतिक हलचल है। सेना, जो पाकिस्तान की राजनीति में बराबर का दखल रखती है, भी इस घटनाक्रम पर नज़र रखे हुए है।

पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में सदन की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू होगी जिसके बाद सदन के अध्यक्ष असद कैसर आज के एजेंडे पर कार्यवाही शुरू करेंगे। गुरुवार रात नेशनल असेंबली का सत्र का 15 सूत्री एजेंडे जारी किया गया है उसमें इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी शामिल है।

कुल 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में, इमरान खान को सरकार बचाने के लिए 172 सदस्यों के समर्थन की ज़रुरत रहेगी। एक दिन पहले ही इमरान खान ने एक बयान में कहा था कि वो किसी भी परिस्थिति में इस्तीफा नहीं देंगे। लेकिन यदि अविश्वास प्रस्ताव में वे हार जाते हैं तो उन्हें कायदे से इस्तीफा देना पड़ेगा।

इमरान खान की कुर्सी के लिए इसलिए ख़तरा महसूस किया जा रहा है क्योंकि हाल में उनकी पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) में कुछ असंतुष्ट सांसदों ने खुलकर उनके खिलाफ आवाज़ उठाई है। यह भी रिपोर्ट्स हाल में सामने आई हैं कि सेना भी उनसे बहुत ज्यादा ‘खुश नहीं’ है।

सरकार के गठबंधन में सहयोगी यदि अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष का साथ देते हैं तो इमरान खान को दिक्कत पैदा हो सकती है। कुछ सहयोगी विपक्ष का साथ देने की बात कह चुके हैं। और भी दिलचस्प यह है कि पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश ने कल ही कहा है कि इमरान खान के खिलाफ अविश्वास की कार्यवाही के दौरान सदस्यों के  डाले वोटों की गिनती नहीं करना ‘अवमानना’ होगा। उनका यह ब्यान संसद सदस्यों के दलबदल के संदर्भ में है।

इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और भुट्टो/ज़रदारी की पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की तरफ से आया है। इन विपक्षी दलों के करीब  100 सांसदों ने आठ मार्च को नेशनल असेंबली सचिवालय में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था।

इस नोटिस में इन दलों के सांसदों का आरोप है कि पाकिस्तान की सत्तारूढ़ पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेता इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार देश में आर्थिक संकट और बढ़ती महंगाई के लिए जिम्मेदार है। उनका आरोप है कि इमरान खान सरकार देश के मुद्दों पर काबू करने में नाकाम साबित हुई है और जनता में नाराजगी है।

महंगाई की मार: प्राइवेट स्कूलों की मनमानी से अभिभावक परेशान

गैस सिलेंडरों और डीजल-पेट्रोल के बढ़ते दामों को देखते हुए अब तो नहीं लगता है कि महंगाई से राहत मिलने वाली है। वहीं हाल ही में कोरोना को हराते हुए दिल्ली में स्कूल खोल दिये गये है। स्कूल खुलने के साथ ही स्कूल में बच्चों ने ऑफ-लाइन परीक्षायें दी है। मतलब इस बार पूरी तरह से स्कूल ऑफ-लाइन चलेंगे।
स्कूल सूत्रों की माने तो दो साल से बंद पड़े प्राइवेट स्कूल वालों की कमाई भी कई स्तर पर कम हुई है। जैसे स्कूल ड्रेस, कॉपी-किताबों सहित अन्य बस आदि के मार्फत कमाई बंद रही है। सो इस बार रेट बढ़ाये जाने की संभावना है। अगर स्कूल वाले अपने नियमों के आधार पर कुछ भी रेट बढ़ाते है। तो निश्चित तौर पर विरोध प्रदर्शन हो सकता है।
दिल्ली अभिभावक संघ के सचिव राजकुमार का कहना है कि दो साल में अगर स्कूल वालों की कमाई कम हुयी है। तो अभिभावकों की माली हालत भी पतली हुई है। ऐसे में अगर स्कूल वालों को कोई अधिकार नहीं है कि वे कोरोना काल में कम हुई कमाई को स्कूल खोलते ही एक साथ कमाना शुरू कर दें।
खैर ये तो सब 4 अप्रैल से स्कूल खुलने के साथ ही अभिभावकों के सामने आयेगा। फिलहाल संभावनाएं तो यही जतायी जा रही है। अगर प्राइवेट स्कूल वालों ने अपनी मनमानी की तो निश्चित तौर पर मध्यम वर्गीय एक बड़ा तबका सरकारी स्कूल में अपने बच्चो को दाखिला कराने से हिचकेगा नहीं।

योगी चुने गए यूपी भाजपा विधायक दल के नेता

उत्तर प्रदेश में भाजपा को दोबारा सत्ता में लाने वाले योगी आदित्यनाथ को आज शाम लखनऊ में भाजपा विधायक दल का फिर से नेता चुन लिया गया। वे कल शाम 4 बजे राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। इस चयन के लिए हुई बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी उपस्थित थे। नेता चुने जाने के बाद योगी ने पीएम मोदी, अमित शाह और नड्डा का आभार जताया।

प्रदेश में पिछले तीन दसाहक में यह पहली बार है कि कोई नेता लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बना है। बैठक में उपमुख्यमंत्री बनाने को लेकर भी फैसला होगा।

उत्तर प्रदेश में अब लगातार दूसरी बार भाजपा की सरकार बनने जा रही है। योगी आदित्यनाथ कल (25 मार्च) को लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। उन्हें आज शाम भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया। नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक हुई जिसमें उन्हें सर्वसम्मति से नेता चुना गया। नेता चुने जाने के बाद योगी ने पीएम मोदी, अमित शाह और नड्डा का आभार जताया।

योगी आदित्यनाथ का शपथ ग्रहण शुक्रवार को लखनऊ के अटल बिहारी वाजपेयी इकाना स्टेडियम में होना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा के तमाम बड़े नेता इस मौके पर उपस्थित रहेंगे। विधानसभा चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगियों ने मिलकर 403 सदस्यीय विधानसभा में 274 सीटों पर जीत दर्ज की थी। शपथ समारोह कल शाम चार बजे शुरू होगा।

पीएम मोदी से मिले सीएम मान, 1 लाख करोड़ की पैकेज माँगी

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने गुरुवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान मान ने प्रदेश के लिए एक लाख करोड़ रुपए के पैकेज की मांग की है।

पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद मान की प्रधानमंत्री के साथ यह पहली मुलाकात थी। उन्होंने कहा था कि वे पीएम मोदी से मिलेंगे। यह बैठक एक शिष्टाचार भेंट थी। मान ने ट्वीट में भी कहा था कि उन्होंने पंजाब से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के लिए समय मांगा है।

मान ने आज प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के दौरान पंजाब के लिए एक लाख करोड़ रुपए के पैकेज की मांग की। उन्होंने कहा कि हर साल 50,000 करोड़ के हिसाब से अगले 2 साल पंजाब को एक लाख करोड़ रुपए की जरूरत है. जिसके बाद प्रधानमंत्री ने भरोसा दिया है कि वित्त मंत्री के साथ बातचीत के बाद पंजाब की हर संभव मदद की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने साथ ही प्रधानमंत्री से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए पंजाब सरकार को सहयोग देने की गुजारिश भी की है।

धोनी ने छोड़ी सीएसके की कप्तानी, जडेजा को जिम्मा  

महेंद्र सिंह धोनी ने चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) की कप्तानी छोड़ दी है और अब वे टीम के लिए बतौर खिलाड़ी ही खेलेंगे। वे शुरू से सीएसके के कप्तान थे। उनकी जगह सीएसके प्रबंधन ने आल राउंडर रविंद्र जडेजा को आईपीएल के लिए कप्तान बनाया है। बीच में सुरेश रैना ने भी कुछ मैच में कप्तानी की थी लिहाजा जडेजा सीएसके के तीसरे कप्तान होंगे।

इस इंडियन प्रीमियर लीग में गुरुवार को यह बड़ा फेरबदल देखने को मिला है। बता दें चेन्नई सुपर किंग्स ने इस बार जडेजा और धोनी समेत 4 खिलाड़ियों को रिटेन किया था। जडेजा को फ्रेंचाइजी ने 16 करोड़ रुपए जबकि धोनी को इस सीजन के लिए 12 करोड़ रुपए में रिटेन किया है।

तभी यह लग रहा था कि सीएसके जडेजा को बड़ी जिम्मेदारी देने की तैयारी कर रही है। जडेजा 2012 से चेन्नई टीम के साथ हैं। वह सीएसके के तीसरे कप्तान होंगे।  आईपीएल के पहले सीजन यानी 2008 से ही महेंद्र सिंह धोनी ही टीम की कमान संभाल रहे थे जिन्होंने 213 मैच में कप्तानी करते हुए टीम को 130 मैच में जीत दिलाई। सुरेश रैना ने उनके अलावा 6 मैचों में कप्तानी की जिसमें से टीम ने 2 मैच जीते।

धोनी 2008 में लीग की स्थापना के बाद से सीएसके के कप्तान रहे हैं। यह भी कयास हैं कि धोनी का यह आखिरी आईपीएल सीजन हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से धोनी पहले ही संन्यास ले चुके हैं।

यूएनएससी में रूसी प्रस्ताव पर तटस्थ रहा भारत, नहीं लिया मतदान में हिस्सा

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बीच भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में मानवीय स्थिति को लेकर रूसी-मसौदे के प्रस्ताव पर तटस्थ रुख रखते हुए मतदान में हिस्सा नहीं लिया। इस प्रस्ताव में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का उल्लेख नहीं करने के लिए व्यापक रूप से आलोचना की गई है।

यूएनएससी की बैठक में सिर्फ रूस और चीन ने ही प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। हालांकि, बाकी 13 सदस्य अनुपस्थित रहे। इन देशों के वोटिंग में हिस्सा न लेने के कारण बैठक नाकाम रही। पश्चिम देशों की तरह भारत और यूएई भी मतदान से दूर रहे।

प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करके रूस का समर्थन करने वाले चीन ने कहा कि यूएनएससी को यूक्रेन में मानवीय स्थिति में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के स्थायी प्रतिनिधि झांग जून ने बीजिंग की छह-सूत्रीय पहल की ओर इशारा किया और सुरक्षा परिषद के सदस्यों से कहा कि पक्ष में वोट यूक्रेन में मानवीय स्थिति को प्राथमिकता देने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय का आह्वान था।

अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने यूएनएससी को बताया कि ‘रूस हमलावर है, वह आक्रमणकारी है। यूक्रेन में वही एकमात्र पार्टी है, जो यूक्रेन के लोगों के खिलाफ क्रूरता के अभियान में लगी हुई है। वे चाहते हैं कि हमारा प्रस्ताव पास हो जाए। यह एक ऐसा संकल्प है जो उनकी क्रूरता को स्वीकार नहीं करता है।’ ब्रिटेन की प्रतिनिधि ने भी कमोबेश अमेरिका जैसे ही विचार रखे।

टीबी रोगी तम्बाकू उत्पाद का सेवन न करें

हर साल की भाँति इस साल भी विश्व क्षयरोग दिवस के अवसर पर दिल्ली में तमाम स्वास्थ्य  संस्थानों द्वारा जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। डॉक्टरों ने कहा कि कोरोना अभी थमा हुआ है लेकिन गया नहीं है। ऐसे में क्षय रोग(टीबी) रोगियों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिये। उन्होंने बताया कि टीबी बीमारी एक ऐसी बीमारी है जिसका समय रहते उपचार हो तो टीबी जैसी बीमारी को काबू पाया जा सकता है। दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ अनिल बंसल का कहना है कि टीबी रोगियों को बीड़ी, सिगरेट और तम्बाकू का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिये। अगर किसी को 2 सप्ताह तक खांसी आ रही हो और बलगम के साथ खून आ रहा हो तो उसे नजर अंदाज न करें। क्योंकि ये टीबी के रोग के लक्षण हो सकते है।सफदरजंग अस्पताल के डाॅ जुगल कुमार का कहना है कि टीबी उन्मूलन के तहत देशव्यापी कार्यक्रम चल रहे है। जिससे काफी हद तक टीबी रोग पर काबू जा सका है। लोगों में जागरूकता बढ़ी है। लेकिन आज भी कुछ लोग टीबी रोग को छिपाते है जिससे उसका रोग और बढ़ता जाता है। जिससे   टीबी रोग गंभीर बीमारी का रूप धारण कर लेती है।
टीबी उन्मूलन से जुड़े  डॉ दिव्यांग देव गोस्वामी का कहना है कि शहरों की तुलना में आज भी  गांवों में टीबी रोगियों की संख्या अधिक है। वजह इलाज में देरी और तम्बाकू उत्पादों का अत्याधिक सेवन का होना जो टीबी रोग का कारण बनता है। उनका कहना है कि तमाम आंकड़े ये बताते है कि आज भी पुरुषों की तरह महिलाएं भी तम्बाकू सेवन का सेवन करती है। जिससे पुरुषों की तरह महिलाएं भी क्षय रोग की चपेट में  आ रही है। उनका कहना है कि टीबी रोग की एक विशेषता ये है कि अगर टीबी रोग का इलाज शुरू हो जाये तो तब तक चलता है जब तक डॉक्टर कहें।  उन्होंने बताया कि कुछ लोगों को  जरा सा इलाज में आराम मिल जाता है। तो वह लोग इलाज को बीच में ही छोड़ देते है। जिससे उनका पिछला  सारा इलाज बेकार जाता है। और साथ नये सिरे से इलाज होता है। इसलिये टीबी रोग पर काबू पाना  है तो इलाज को  बीच में छोड़े।