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पुलिस को विशेष अधिकार देने वाला विधेयक आज संसद में पेश करेंगे शाह

लोकसभा में दोषियों और अन्य आरोपियों की पहचान और जांच के मद्देनजर रिकॉर्ड के संरक्षण को लेकर “आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक- 2022” को सोमवार (यानी आज) को लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह पेश करेंगे।  इसके अंतर्गत किसी अपराध के मामले में गिरफ्तार और दोषसिद्ध अपराधियों का रिकॉर्ड रखने के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग की अनुमति का प्रस्ताव है।

यह बिल दोषियों और अन्य आरोपियों की पहचान और जांच के मद्देनजर रिकॉर्ड के संरक्षण को लेकर है.

इस बिल के पास होने के बाद पुलिस को विशेष अधिकार मिल जाएंगे। आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, 2022, के पास होने के बाद वर्तमान ‘कैदियों की पहचान अधिनियम, 1920’ निरस्त हो जाएगा।

विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, किसी भी निवारक निरोध कानून के तहत दोषी ठहराए गए, गिरफ्तार या हिरासत में लिए गए किसी भी व्यक्ति को पुलिस अधिकारी या जेल अधिकारी को माप प्रदान करने की ज़रुरत होगी।

इस विधेयक में किसी अपराध के मामले में गिरफ्तार और दोषसिद्ध अपराधियों का रिकॉर्ड रखने के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग की अनुमति देने का प्रस्ताव भी है।

गोवा: प्रमोद सावंत ने लगातार दूसरी बार सीएम पद की शपथ ली, शपथ ग्रहण समारोह में पीएम मोदी रहे उपस्थित

गोवा के श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्टेडियम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता प्रमोद सावंत ने आज लगातार दूसरी बार सीएम पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई दिग्गज नेता रहे शामिल।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्टेडियम में सभी नेताओं के साथ करीब 10 हजार लोग उपस्थित रहे।  सीएम पद की शपथ लेने से ठीक पहले प्रमोद सावंत ने पूजा-अर्चना की जिसकी तस्वीरें उन्होंने अपने ट्विटर अकांउट पर शेयर की है। और कैप्शन में लिखा की, “गोवा के लोगों की सेवा के लिए भगवान से प्रार्थना की।“

आपको बता दे, गोवा की सभी 40 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुए थे जिसमें से 20 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी जीत दर्ज कराई थी। साथ ही कांग्रेस ने 11 सीटें व निर्दलीयों ने 3 सीटें, आम आदमी पार्टी (आप) ने दो, जीएफपी ने एक सीट, आरजीपी ने एक सीट व महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी ने दो सीटों पर कब्जा किया था। हालांकि एमजीपी के दो विधायकों समेत तीन निर्दलीय विधायकों ने भाजपा को समर्थन दिया है।

आज होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में 48 वर्षीय प्रमोद सावंत सीएम पद की शपथ लेंगे। वे उत्तरी गोवा के सैंकलिम से विधायक हैं। और मनोहर पर्रिकर नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके है। सावंत के साथ भाजपा के अन्य 8 विधायक मंत्री पद की शपथ लेंगे। जिसमें विश्वजीत राणे (भाजपा विधायक), रवि नायक, मौविन गोडिन्हो, सुभाष शिरोडकर, रोहन खुंटे, अतानासियो मोनसेरेट, नीलेश कबराल और गोविंद गौड़े शामिल है।

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के दो दिन के भारत बंद का मिला जुला असर

श्रमिकों, किसानों और आम लोगों को प्रभावित करने वाली केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ सोमवार और मंगलवार के ‘भारत बंद’ का मिला जुला असर देश में दिख रहा है। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने भी बंद को समर्थन दिया है। बंद का आह्वान केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने किया है। इधर राजधानी दिल्ली में बंद का कोई ख़ास असर देखने को नहीं मिला है।

बंद को लेकर केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल को सफल बताते हुए दावा किया है कि विभिन्न ट्रेड यूनियनों और आम जनता से बंद को समर्थन का दावा किया है। मंच ने कहा है कि केंद्र सरकार की नीतियां श्रमिकों, किसानों और आम लोगों की विरोधी हैं और उन्हें मुश्किल ज़िंदगी जीने को मजबूर होना पड़ रहा है।

यह बंद दो दिन के लिए बुलाया गया है और पहले दिन इसका असर देश के ज्यादातर हिस्सों में साफ दिख रहा है। बंद को अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ का भी समर्थन मिल रहा है। हाल में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद केंद्र सरकार के खिलाफ यह देश में यह पहला बंद है। उधर किसान भी अपने आंदोलन को दोबारा शुरू करने की तैयारी में दिख रहे हैं।

बंद में बैंक कर्मचारी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की सरकार की योजना के साथ-साथ बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक 2021 के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए हिस्सा ले रहे हैं। बैंक यूनियन भविष्य निधि संगठन पर कम ब्याज दर, ईंधन की बढ़ती कीमतों का भी विरोध कर रहे रहे हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक केरल में भारत बंद का व्यापक असर है और वहां सड़कें सुनसान हैं। भारत बंद के दौरान आपातकालीन सेवाओं को हड़ताल से बाहर रखा गया है। पश्चिम बंगाल में, भले ही ट्रेड यूनियनों को सड़कों पर विरोध करते देखा जा सकता है, लेकिन राज्य सरकार ने सभी कार्यालयों को खुले रहने और कर्मचारियों को ड्यूटी पर आने के लिए कहा है। राजधानी दिल्ली में बंद का कोई ख़ास असर देखने को नहीं मिला है।

फिर से टूटती नजर आ रही है सपा की परिवारिक सुलह

समाजवादी पार्टी  की पारिवारिक सुलह लगता है, ज्यादा दिनों तक चलने वाली नहीं है। अर्थात् फिर से टूटती नजर आ रही है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के पूर्व ही तत्कालीन मुख्य अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव  के बीच इस कदर तीखें शब्दों के बाण चलें कि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव की महामहर में शिवपाल यादव ने अपनी अलग से पार्टी बनाकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के बैनर तलें चुनाव लड़ा और कई सीटों पर समाजवादी पार्टी का  जमकर विरोध भी किया।

यदि बात की जाए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तो इस पारिवारिक लड़ाई का भाजपा ने जमकर सियासी लाभ उठाया। जैसे-तैसे समाजवादी के संस्थापक व पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच सुलह भी करा दी थी। सुलह का लाभ बस पार्टी को ये मिला कि 2022 के विधानसभा चुनाव में शिवपाल यादव और अखिलेश यादव  ने  एक साथचुनाव लड़ा और एक दूसरे के खिलाफ कोई बयानबाजी नहीं की है। जिसके चलते पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ा और सीटे भी मिली। लेकिन सपा राज्य में सरकार बनाने में नाकाम रही।

चुनाव में हार के कारण पारिवारिक सुलह फिर से विरोध के रास्ते पर चलती दिख रही है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि अगर पार्टी में पारिवारिक लड़ाई और मनमुटाव चलता रहा तो आने वाले 2024 लोकसभा के चुनाव में पार्टी को नुकसान हो सकता है। वर्ष 2017 की तरह सपा की पारिवारिक लड़ाई का सियासी लाभ भाजपा लें सकती है।

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता ने बताया कि, अगर पार्टी परिवार वाद और पारिवारिक लड़ाई में यूं ही फंसी रही तो आने वाले दिनों में लोगों का पार्टी से जुड़ाव कम होगा और  कुछ पार्टी के नेता पार्टी छोड़कर अन्य दल में जाने से परहेज नहीं करेगें।

 

 

 

उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता विपक्ष चुने गए अखिलेश यादव

समाजवादी पार्टी विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को नेता विपक्ष चुना गया है। वे योगी सरकार के समक्ष सवाल करते नज़र आऐंगे।

अखिलेश यादव मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे थे और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद व केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को चुनावी मात दी थी।

बताते चले, हाल ही में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) ने 125 सीटों पर जीत हासिल की थी। इनमें से 111 सीटों पर सपा, 8 सीटों पर राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) व 6 अन्य ने जीती थी।

योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस अवसर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी उपस्थित थे।

भव्य शपथ ग्रहण समारोह पर यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि, समाजवादी पार्टी द्वारा बनाया गया लखनऊ का इकाना स्टेडियम में नई सरकार के शपथ लेने को लेकर बधार्इ।

दिल्ली बजट में सिसोदिया का ऐलान पांच साल में 20 लाख रोजगार करेंगे पैदा

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री व वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया 75,800 करोड़ रुपये का दिल्ली का आठवां बजट (2022-23) पेश किया। रेड टैब में दिल्ली का बजट लेकर संसद पहुंचे मनीष सिसोदिया ने रोजगार से संबंधित कई बड़े ऐलान भी किए।

बजट पेश करते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि, “बीतों सात सालों में आप पार्टी ने जो बजट पेश किए थे उनमें स्कूल में सुधार हुआ, बिजली के बिल ज़ीरो आए, मेट्रो का विस्तार हुआ, स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश, सुविधा फेस-लेस हुई जिसमें लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ते। और आज के बजट में युवाओं के लिए रोजगार दिया गया है इसलिए इसका नाम रोजगार बजट है।“

बजट की खास बात यह है कि अगले पांच साल में 20 लाख रोजगार पैदा करने का लक्ष्य रखा गया है। जिसमें वर्किंग पापुलेशन को 33 फीसदी से बढ़ाकर 45 फीसदी तक किया जाएगा।

आपको बता दे, फिलहाल दिल्ली में 55.87 लाख लोग ऐसे है जिनके पास रोजगार है जबकि आबादी 1.68 करोड़ है। यह दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले बहुत कम है। यदि हम लंदन की बात करे तो 58 फीसदी, न्यूयॉर्क में 52 फीसदी, सिंगापुर में 67 फीसदी, दिल्ली में 33 फीसदी लोगों के पास रोजगार है।

वित्त मंत्री ने आगे कहा कि, कोरोना के दौरान महिलाओं की नौकरियां सबसे ज्यादा गर्इ है और रोजगार बाजार में 2.0 विशेष तौर पर महिलाओं पर ध्यान दिया जा रहा है। आने वाले पांच सालों में बीस लाख रोजगार पैदा करने का लक्ष्य मुश्किल है लेकिन यह नामुमकिन नहीं है, यह लक्ष्य केजरीवाल मॉडल ऑफ गवर्नेंस से संभव है।

तीनों एमसीडी जोन एक हुए, अब चुनाव की तारीख पर नजर 

समय-समय की बात है और सत्ता-सत्ता की बात है। 2011 में कांग्रेस के शासन काल में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को तीन भागों नॉर्थ दिल्ली, साउथ दिल्ली और ईस्ट दिल्ली में बांट दिया गया था।  134 की जगह 272 वार्डों में चुनाव कराये गये थे।
अब भाजपा की सरकार है 2022 में तीनों भागों को एक करके एक एमसीडी कर दी गर्इ है। संसद से बिल पास हो जाने के बाद अब लोगों की नजर इस बात पर टिकी है। कि दिल्ली एमसीडी के चुनाव कब होंगे?
बताते चलें एमसीडी का कार्यकाल 16 मई तक है। इस लिहाज से तो चुनाव अप्रैल माह और मध्य मई तक हो जाने चाहिये। फिलहाल चुनाव की तारीख को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। जानकारों का कहना है कि एमसीडी के चुनाव में योगी के राजतिलक की झलक को एमसीडी के चुनाव में देखी जा सकती है। इस लिहाज से तो साफ कहा जा सकता है कि चुनाव अप्रैल माह में अगर भाजपा चुनाव करवाती है। तो भाजपा को चुनाव में फायदा हो सकता है।
यदि चुनाव देर से होते है। तो आप पार्टी ने चुनाव में देरी को लेकर जो भाजपा पर आरोप लगाये है। उसका सीधा लाभ आप पार्टी को मिल सकता है। ऐसे में भाजपा असमंजस में है। कि चुनाव में देरी करें या न करें। लेकिन चुनाव में देरी को लेकर भाजपा का कहना है कि चुनाव कराना, चुनाव आयोग का काम है।
कांग्रेस के नेता अमरीश गौतम का कहना है कि चुनाव देरी से रहे है। इसमें भाजपा और आप पार्टी की मिली भगत है। उनका कहना है कि आज से 10 साल पहले कांग्रेस ने तीनों मे एमसीडी को इस लिये बांटा था। ताकि काम का बोझ कम हो लोगों को काम को लेकर हो रही दिक्कत को कम किया जा सकें। एक एमसीडी होने की वजह से काम करवाने में लोगों को दिक्कत  होती थी। लेकिन मौजूदा सरकार ने फिर से तीनों जोनों को एक कर दिया है।अब फिर से जनता को एमसीडी के कामों को लेकर परेशानी होगी।   

छत्तीसगढ़: पिता ने 10 किमी बेटी का शव कंधे पर ढोया,  वीडियो वायरल हुआ तो जांच के आदेश  

छत्तीसगढ़ सरकार ने एक पिता के मृत बच्ची के शव को कंधे पर ले जाने वाले वायरल हुए वीडियो की घटना के जांच आदेश दिए हैं। यह घटना सरगुजा जिले की है। अब राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने आदेश जारी कर इस घटना की जाँच करने  को कहा है। इस बच्ची की लखनपुर गांव के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में शुक्रवार की सुबह मौत हो गई थी।

रिपोर्ट्स के मुताबिक बच्ची की मौत के बाद पिता बेटी के शव को 10 किलोमीटर तक कंधे पर उठकर ले गया क्योंकि 2 घंटे तक उन्हें शव वाहन नहीं मिल पाया। जब तक वाहन आया वह शव को ले जा चुके थे। पिता के बेटी के शव को कंधे पर ले जाने वाला वीडियो वायरल हो गया जिसके बाद सरकार ने जाँच के आदेश दिए हैं।

यह परिवार अमदला गांव का रहना वाला है। पिता ईश्वर दास अपनी बीमार बेटी सुरेखा को सुबह तड़के लखनपुर सीएचसी लाए थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक उसका ऑक्सीजन लेवल काफी कम था और वह पिछले कुछ दिन से तेज बुखार से पीड़ित थी। अस्पताल में उसका उपचार शुरू कर दिया गया था, लेकिन हालत बिगड़ने के बाद सुबह साढ़े सात बजे के करीब उसकी मौत हो गई।

वीडियो वायरल होने के बाद शुक्रवार को जिला मुख्यालय अंबिकापुर में मौजूद स्वास्थ्य मंत्री सिंह देव ने जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को मामले की जांच करने के आदेश दिए। मंत्री ने कहा उन्होंने वीडियो देखा है और यह परेशान करने वाला है।  मंत्री ने कहा – ‘वहां तैनात लोग यदि अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में सक्षम नहीं हैं, उन्हें हटा दिया जाना चाहिए।’

योगी मंत्रिमंडल: सरकार के कई फैसलों का विरोध बना कारण, दिनेश शर्मा को मौका न मिलना

उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार हो चुका है। लेकिन इस बार मंत्रिमंडल विस्तार में डॉ दिनेश शर्मा को जगह नहीं मिली है। जबकि 2017 में योगी सरकार में डॉ दिनेश शर्मा को उप मुख्यमंत्री बनाया गया था। जबकि 2022 के विधानसभा के चुनाव में डॉ शर्मा चुनाव भी जीते है। वहीं केशव मोर्या 2022 का विधानसभा चुनाव हार गये है। लेकिन इस बार योगी सरकार में उनको फिर उपमुख्यमंत्री बनाया गया है।
बताते चलें 2017 में उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा और केशव मौर्य को मुख्यमंत्री बनाया गया था। ऐसा क्या हुआ कि जीते हुए विधायक को उपमुख्यमंत्री पद तो छोड़ो किसी अन्य पद से भी नहीं नवाजा गया है। जबकि हारे हुए विधायक केशव मोर्या को उपमुख्यमंत्री पद से ज्यो का त्यों नवाजा गया है।
जातीय समीकरण को दूसरी बार बनी योगी सरकार में साधा गया है। जो सियासत में होता भी है। क्योंकि ब्राह्मण नेता डॉ दिनेश शर्मा की जगह बृजेश पाठक को मौका दिया है। ताकि ब्राह्मण समाज में कोई गलत मैसेज न जाये और साथ ही विरोधियों को कोई मौका न मिल सकें। 
वहीं जानकारों का कहना है कि दिनेश शर्मा बड़े ही मिलनसार नेता है। वो लखनऊ के लम्बे समय तक मेयर भी रहे है। ऐसे में उनको मंत्रिमंडल में जगह न मिलने का करण एक है। वो है प्रदेश सरकार के कई फैसलों पर अपनी राय में विरोध व्यक्त कर देते थे। जिससे मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच तनाव का कारण बन जाता था।इस बार योगी बार सरकार के नाम पर चुनाव लडा गया और योगी को जीत मिली है।
ऐसे में योगी का इस बार काफी दबदबा देखा जा रहा है। उनके मुताबिक मंत्रीमंडल में किसको लेना है और किस को नहीं लेना है। यानि मंत्रीमंडल में योगी की जमकर चली है। सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में भाजपा-विधायक को किसी अन्य विभागों में जगह देकर उनका सम्मानित किया जा सकता है।

फिर बुन्देलखंड से मनोहर लाल कोरी को राज्य मंत्री पद दिया गया

उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड से फिर मनोहर लाल कोरी को राज्य मंत्री बनाया गया है। जबकि इस बार बुंदेलखंड के लोगों को और साथ में विधायकों को बड़ी उम्मीद थी कि एक या दो  नये मंत्री और  बनाये जायेगे। लेकिन इस बार भी निराशा हाथ लगी है।
बताते चलें बुंदेलखंड  में 2017 में भाजपा ने 19 में से 19 विधानसभा सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी। जब कि 2022 में बुंदेलखंड की 19 में 16 सीटों पर भाजपा को जीत ही हासिल हुई है। बुंदेलखंड की राजनीति के जानकार राजेन्द्र कुमार का कहना है कि सियासत में वादा करना अलग होता है। और काम करना अलग होता है। अब चुनाव हो चुके है।
भाजपा सरकार भी पूर्ण बहुमत में है।सो किसको मंत्री बनाना है और किसको नहीं । इसलिये मंत्री मंत्रिमंडल विस्तार में बुंदेलखंड से दूसरा कोई मंत्री नहीं बनाया है।राजेन्द्र कुमार का कहना है कि भाजपा आलाकमान से लेकर संगठन भली भाँति जानता है। कि बुंदेलखंड के लोगों का और यहां की राजनीति का अपना अलग ही मिजाज है। ऐसे में अगर भाजपा 2024 के लोकसभा के चुनाव तक किसी  एक को या तो किसी बोर्ड का चेयरमैन बना सकती है। या पार्टी में  कोई जिम्मेदार पद से सम्मानित किया जायेगा।