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अमेरिका की अपने नागरिकों को सलाह: जेके और भारत-पाक सीमा के पास यात्रा न करें

अमेरिका ने अपने नागरिकों से भारत की यात्रा करते समय ज्यादा सावधानी बरतने का आग्रह करते हुए उन्हें जम्मू-कश्मीर और भारत-पाकिस्तान सीमा के 10 किलोमीटर के भीतर यात्रा नहीं करने की सलाह दी है।

अपने नागरिकों के लिए इस नई ट्रैवल एडवाइजरी में अमेरिका ने कहा है कि ‘इन दिनों अपराध और आतंकवाद के कारण भारत की मुश्किलें थोड़ी बढ़ी हैं’। अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा – ‘छिटपुट हिंसा विशेष रूप से एलओसी पर और कश्मीर घाटी के पर्यटन स्थलों जैसे श्रीनगर, गुलमर्ग और पहलगाम में होती रहती है। भारत सरकार विदेशी पर्यटकों को एलओसी के कुछ क्षेत्रों में जाने से रोकती है।’

अमेरिका ने आगे कहा कि भारत और पाकिस्तान सीमा के दोनों किनारों पर एक मजबूत सैन्य उपस्थिति है। इसे एक वजह बताते हुए अमेरिका ने अपनी नई ट्रैवल एडवाइजरी में अपने नागरिकों के लिए यह निर्देश जारी किए हैं।

याद रहे हाल में अमेरिका ने कोविड-19 को लेकर एक लेवल 1 ट्रैवल हेल्थ नोटिस जारी किया था जिसमें कहा गया है कि जो देश में कोविड-19 के न्यूनतम स्तर का संकेत देते हैं वहां  सकते हैं। अमेरिका को लग रहा है कि भारत में कोविड के मामले में हालात सामान्य हो रहे हैं। हालांकि, उसने जम्मू-कश्मीर और भारत-पाक सीमा पर अपने नागरिकों को यात्रा न करने की सलाह दी है।

चीन को झटका, श्रीलंका और भारत के बीच तीन विंड फ़ार्म बनाने पर समझौता

भारत के विदेशमंत्री एस जयशंकर की कोलंबो यात्रा के बीच श्रीलंका से रिश्तों में और बेहतरी की तरफ एक बड़े कदम के रूप में भारत और श्रीलंका के बीच मंगलवार को तीन विंड फ़ार्म बनाने की 12 मिलियन डालर की एक परियोजना के समझौते पर दस्तखत हुए हैं।

भारत के लिए यह समझौता इस लिहाज से भी ख़ास है क्योंकि चीनी फर्म को इस परियोजना से दरकिनार किया गया है। चीन पिछले कुछ समय से इस क्षेत्र में जिस तरह प्रभाव बढ़ाने में लगा हुआ था, उसे देखते हुए यह भारत की बड़ी सफलता है।

इस समझौते के मुताबिक दक्षिण भारत और श्रीलंका के बीच तीन छोटे द्वीपों पर विंड टरबाइन बनाने के लिए 12 मिलियन डॉलर की परियोजना 2019 में चीनी फर्म को दी गई थी। परियोजना का खर्चा एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की जगह भारत करेगा।

एक साझे बयान में श्रीलंका के अधिकारियों की तरफ से कहा गया है कि भारत एडीबी के स्थान पर धन मुहैया कराने पर सहमत हो गया है। याद रहे कुछ दिन पहले ही श्रीलंका में चीनी राजदूत ने परियोजना बंद होने पर नाराजगी जताई थी और चेतावनी दी कि भविष्य में इसका ‘नकारात्मक सन्देश’ जाएगा।

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की कोलंबो की यात्रा के बीच यह समझौता हुआ है। साझे बयान के मुताबिक प्रतिष्ठानों के निर्माण के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर दस्तखत हुए हैं।

दवाओं के दाम बढ़ाये जाने का विरोध

सत्ता पक्ष के खिलाफ विपक्ष तो कोई मौका ही नहीं छोड़ते है। लेकिन आज देश में महंगाई के चलते हालात कुछ ऐसे होते जा रहे है कि आम जनमानस के साथ बाजार से जुड़े लोगों ने सरकार की नीतियों के विरोध आवाज बुलंद कर दी है।
गैस, डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ने से विरोधी दल तो सड़कों पर ही है। साथ ही अब 1 अप्रैल से दवाओं के दाम बढ़ने से कुछ दवा व्यापारी सरकार की नीतियों के विरोध में हाथों में काली- पट्टी बांध कर विरोध जता सकते है। दवा व्यापारियों ने तहलका संवाददाता को बताया कि दवा की कीमतें तो वैसे ही बहुत बढ़ी हुई है। अगर अपैल से दवाओं के दाम में 10 प्रतिशत तक बढ़ाया गया तो गरीबों को दवाओं को खरीदना बहुत मुश्किल हो सकता है।क्योंकि कोरोना काल से अब तक गरीब और मध्यम वर्ग काम धंधा बहुत हल्का रहा है। ऐसे में सरकार को इस बारे में अपना फैसला बदलना होगा। अन्यथा गरीब को दवा ले पाना मुश्किल होगा।
दवा व्यापारियों का कहना है कि सरकार एक ओर तो अनेक औषधियों में डिस्काउंट दे रही है और जन औषधियों से सहित तमाम अनेकों नाम से दवा स्टोरों का खोल रही है। वहीं मेडिकल स्टोरों में मिल रही दवाओं के दाम बढ़ा रही है। इससे ड्रग-माफिया रातों-रात अरबों का लाभ ले जायेगा ।दवा व्यापारी दिलीप कुमार का कहना है कि देश में अगर कहीं कोई बड़ी कमाई है तो दवाई के कारोबार में है।
उन्होंने बताया कि जब से ये बात मीडिया में सामने आयी है कि दवाई के दामों में 10 प्रतिशत तक दाम बढ़ सकते है। तब से देश के कई बड़े दवा कारोबारियों ने दवाओं की जमाखोरी करना शुरू कर दी है।उन्होंने दवा व्यापारियों की ओर से सरकार को कुछ सुझाव दिये है। अगर दवा बाजार में 1 अप्रैल से बढ़े हुए दामों के साथ मरीजों को बेचते है। तो दवा के रैपर पर 1 अप्रैल 2022 की ही डेट हो अन्यथा पुरानी जमा की हुई दवाओं को नये दामों में बेचेगें। जो मरीजों के साथ अन्याय होगा।

आशीष मिश्रा की जमानत के खिलाफ अपील विचाराधीन, सुप्रीम कोर्ट को बताया यूपी सरकार ने

कुछ महीने पहले देश की राजनीति में तूफ़ान लाने वाले उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में दायर याचिका पर यूपी सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल किये अपने जवाब में बताया है कि मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत के खिलाफ अपील दायर करने का फैसला संबंधित अधिकारियों के समक्ष विचाराधीन है। साथ ही सरकार ने इन आरोपों को गलत बताया है कि यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में आशीष मिश्रा की जमानत का विरोध नहीं किया।

इस मामले पर प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की विशेष पीठ बुधवार को सुनवाई करेगी। आज सर्वोच्च अदालत में दायर अपने जवाब में यूपी सरकार ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में उसने आशीष मिश्रा की जमानत अर्जी का पूरा विरोध किया था।

इसके अलावा सरकार ने लखीमपुर खीरी हिंसा में एक गवाह पर हमला करने के आरोपों से भी इनकार किया है। सरकार ने अदालत को बताया कि होली त्यौहार पर रंग फेंकने को लेकर निजी विवाद को लेकर गवाह पर हमला हुआ था।

सरकार ने इन आरोपों को भी अदालत में दायरा जवाब में गलत बताया है कि हमलावरों ने गवाह को यह कहकर धमकी दी थी कि चुनाव में फिर भाजपा जीत गई है लिहाजा उसका ‘ध्यान’ रखेंगे। जवाब में कहा गया है कि चश्मदीदों (झगड़े के  दौरान) ने ऐसे किसी बयान से इनकार किया था। सरकार ने अदालत कि हिंसा के  पीड़ितों/गवाहों के परिजनों को पूरी सुरक्षा उपलब्ध कराई गयी है।

बता दें केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा पर अपने वाहन से चार किसानों और एक पत्रकार को कुचल कर मारने का आरोप है। उनकी जमानत को अदालत में चुनौती दी गयी है। सर्वोच्च न्यायालय ने 16 मार्च को यूपी सरकार और आशीष मिश्रा को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा था कि क्यों न उनकी (आशीष) जमानत रद्द कर दी जाए।

जम्मू कश्मीर परिसीमन सिफारिशों को सर्वोच्च न्यायालय में दी चुनौती

विवाद के बाद जम्मू-कश्मीर के लिए हाल में सरकार को संतुति के लिए भेजी गयी नई परिसीमन प्रक्रिया का मामला सर्वोच्च न्यायालय में पहुंच गया है। सर्वोच्च अदालत में एक याचिका के जरिये परिसीमन प्रक्रिया को चुनौती देते हुए इसकी अधिसूचना पर रोक लगाने की मांग की गई है।

जानकारी के मुताबिक यह याचिका जम्मू-कश्मीर के कुछ निवासियों की तरफ से दायर की गयी है। इसमें केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में परिसीमन करने के लिए परिसीमन आयोग के गठन की अधिसूचना को असंवैधानिक बताया गया है। याचिका में इसे समानता के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए कहा गया है कि केंद्र सरकार ने  भारत के चुनाव आयोग शक्तियों को कमोवेश पूरी तरह अपने अधीन कर लिया है।

इस याचिका, जिसे जम्मू-कश्मीर के दो निवासियों अब्दुल गनी खान और डा. मोहम्मद अयूब मट्टू ने दायर किया है, में यूटी जम्मू-कश्मीर में विधान सभा में सीटों की संख्या 83 से बढ़ाकर 90 करने का विरोध किया करते हुए कहा गया है कि मार्च 2020 की अधिसूचना जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश और असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड राज्यों में परिसीमन करने के लिए परिसीमन आयोग का गठन करना अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन है।

याचिका में यह भी दलील दी गई है कि परिसीमन की ये कवायद केंद्र सरकार के  जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के अनुच्छेद 81, 82, 170, 330 और 332 और धारा 63 के खिलाफ है। इसमें सवाल उठाया गया है कि भारत के संविधान की धारा 170 में प्रावधान के अनुसार, देश में अगला परिसीमन 2026 के बाद किया जाएगा, फिर जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश को क्यों परिसीमन के लिए चुना गया है?

याद रहे परिसीमन आयोग ने हाल में सरकार को भेजी अपनी रिपोर्ट और सिफारिशों में यूटी जम्मू और कश्मीर में विधानसभा की सीटों की संख्या 83 से बढ़ाकर 90 और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) की 24 सीटों सहित 107 से बढ़ाकर 114 करने को कहा है।

पेट्रोल 100 रूपये लीटर के पार, लगातार सातवें दिन बढ़ी कीमतें

आठ दिन में मंगलवार को लगातार सातवीं बार तेल विपणन कंपनियों की तरफ से  पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने से देश की जनता में बेचैनी फैल रही है। आज फिर पेट्रोल की कीमतों में 80 पैसे और डीजल की कीमतों में 70 पैसे प्रति लीटर की बढ़ौतरी की गयी है। पेट्रोल की कीमतें 100 रूपये लीटर के पार चली गयी हैं।

पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में इस बढ़ोतरी से लोगों पर पड़ रहे बोझ के खिलाफ विपक्ष आज संसद में हंगामा कर सकता है। बढ़ौतरी के बाद दिल्ली में पेट्रोल का मंगलवार का रेट 100.21 रुपये और डीजल की कीमत 91.47 हो गई है।

पिछले सात दिन की बढ़ोतरी से पेट्रोल-डीजल देश में 4.80 रुपये प्रति लीटर महंगा हो चुका है। लोगों में इन कीमतों के बढ़ने से बेचैनी फ़ैल रही है। उनकी जेब पर बोझ बढ़ रहा है और सबसे बड़ी बात यह है कि पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें बढ़ने किए बाद दूसरी चीजों के मूल्यों पर भी इसका गहरा असर पड़ना शुरू हो गया है।

हिमाचल, गुजरात और हरियाणा विधानसभा चुनाव की तैयारी में आप पार्टी

पंजाब में आप पार्टी को मिली ऐतिहासिक जीत से अब आप पार्टी इसी साल 2022 में होने वाले गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव को लेकर कमर कस चुकी है। वहीं 2023 को होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर आप पार्टी अभी से लोगों के बीच जाकर और पार्टी कार्यालय खोलकर पार्टी का प्रचार और प्रचार करने में लगी है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि पार्टी की क्षवि और ईमानदारी को देखते हुए लोग पार्टी से जुड़ रहे है। जिससे पार्टी राष्ट्रीय स्तर की ओर बढ़ रही है। बताते चलें जो कांग्रेस के कद्दावर नेता है और अन्य पार्टी से रूठे नेता है वे भी आप पार्टी में शामिल होकर पार्टी का जनाधार बढ़ाने में अहम रोल निभा सकते है। सूत्रों की मानें तो चुनाव के पहले  अन्य दलों के कई वरिष्ठ नेता आने वाले दिनों में आप पार्टी में शामिल होकर पार्टी का प्रचार -प्रसार कर सकते है।आप पार्टी के नेता अरुण कुमार का कहना है कि कांग्रेस पार्टी का जनाधार धीरे -धीरे कम हो रहा है । और भाजपा की कथनी और करनी में अंतर है साथ ही लोग महंगाई से परेशान है और युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। जबकि आप पार्टी जनता के बीच जाकर काम कर रही है और युवाओं को रोजगार दे रही है। फ्री में तमाम सुविधाये दे रही है। जिससे जनता आप पार्टी की नीतियों से प्रसन्न है। आप पार्टी के मुखिया व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आगामी 6 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश में एक जनसभा और पार्टी के  कार्यकर्ताओं को संबोधित करेगे। वहीं भाजपा के नेताओं  का कहना है कि आप पार्टी को पंजाब में जीत नहीं मिली है। बल्कि कांग्रेस की जनविरोधी नीतियों को  की हार हुई है। उनका कहना है कि भाजपा की नीतियों से जनता प्रसन्न है। तभी तो चार राज्यों में भाजपा को जीत मिली है।

केंद्र की नीतियों के खिलाफ आज लगातार दूसरे दिन भी भारत बंद

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के भारत बंद का आज (मंगलवार) दूसरा दिन है और केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ हजारों श्रमिक राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर हैं। इस बंद का कामकाज पर व्यापक असर पड़ा है और आम लोगों को भी कई जगह दिक्कत झेलनी पड़ी है। कांग्रेस ने भी इस बंद को समर्थन दिया है

पहले दिन की तरह आज भी सार्वजानिक क्षेत्र के कई बैंकों में कामकाज ठप है।      दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के पहले दिन पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में सोमवार को सार्वजानिक क्षेत्र के कई बैंकों में कामकाज प्रभावित रहे।सार्वजनिक परिवहन सेवाएं भी ठप रहीं। बैंक आज भी बंद हैं।

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का संयुक्त मंच श्रमिकों, किसानों और लोगों को प्रभावित करने वाली सरकारी नीतियों के विरोध में यह बंद कर रहा है। इस देशव्यापी हड़ताल का आह्वान 48 घंटे के लिए किया गया है। बंद को अखिल भारतीय असंगठित कामगार और कर्मचारी कांग्रेस ने भी समर्थन दिया है।

इस बीच कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि पार्टी के नेता राहुल गांधी बंद में शामिल वर्गों की मांगों के पक्ष में अपनी बात रखते रहे हैं। कई राज्यों में बंद का व्यापक असर दिखा है। बता दें इमरजेंसी सेवाओं को बंद से बाहर रखा गया है।

पंजाब में भगवंत मान सरकार की घर-घर राशन के लिए ‘डोर स्टेप डिलीवरी’ योजना

पंजाब में बड़े बहुमत से सत्ता में आने वाली मान सरकार ने लोकलुभावन वादों पर काम करना शुरू कर दिया है। अब सोमवार को पंजाब सरकार ने घर-घर राशन पहुंचाने के लिए ‘डोर स्टेप डिलीवरी’ की घोषणा की है। इसके तहत पंजाब सरकार के अधिकारी फोन करके तय समय पर लोगों के घर राशन पहुंचाएंगे।

अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने भी यह योजना दिल्ली में शुरू की थी, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे लागू नहीं होने दिया था। देखना होगा कि पंजाब सरकार के इस फैसले को लेकर केंद्र सरकार का क्या रुख रहता है।

‘डोर स्टेप डिलीवरी’ में अधिकारी को उस घर के सदस्यों पंजीकृत नंबर पर फोन करके उनसे वक्त लेना होगा कि वे कब उनके राशन पहुंचाने आएं। इसके बाद उनकी तरफ से तय समय पर सरकार के अधिकारी वहां राशन पहुंचाएंगे।

याद रहे इसके अलावा आप ने चुनाव में जनता को 300 यूनिट तक बिजली प्रति महीने मुफ्त देने का वादा किया है। भगवंत मान ने पहली अप्रैल से पंजाब की हर महिला को एक हजार रुपये देने का वादा भी कर चुके हैं। सरकार भ्रष्टाचार को रोकने के लिए पहले ही शिकायत करने के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी कर चुकी है, जिसमें लोगों ने शिकायतें करनी शुरू भी कर दी हैं।

तो, मायावती भी चली परिवारवाद की राजनीति करने

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बसपा को मिली करारी हार से बसपा सुप्रीमो मायावती काफी चिंतित है। उन्होंने तमाम सियासी कयासों को विराम देते हुए पार्टी में सक्रियता के साथ पार्टी में बड़े फेरबदल के तहत कुछ पदाधिकारियों को हटाया है तो कुछ को अहम जिम्मेदारी दी है। इस अहम जिम्मेदारी ने उन्होंने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी का राष्ट्रीय समन्यवक बनाया है।

आकाश आनंद को जिम्मेदारी सौंपते हुये मायावती ने ये सियासी अंदाज में बता दिया है। कि वे आगामी लोकसभा चुनाव में सक्रियता के साथ पार्टी को आगे बढ़ाने में काम करेगी। बसपा सूत्रों की माने तो पार्टी भले ही कमजोर हुई है। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में करारी हार और खिसकते जनाधार को लेकर पार्टी पर भाजपा से मिले होने के आरोप लगने लगे थे। क्योंकि चुनावी बेला पर मायावती ने खुद सपा को हराने की लोगों से अपील की है। जिससे अपरोक्ष रूप से बसपा पर ये आरोप लगना लगा था  बसपा अपनी हार को देखते हुये भाजपा को जिताने के लिये प्रयास कर रही है।

वहीं बसपा सुप्रीमो अभी तक कांग्रेस और सपा पर परिवारवाद को राजनीति में लाने के लिये आरोप लगाती रही है। साथ ही परिवार की पार्टी कहती रही है। वहीं अब खुद अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी का राष्ट्रीय समन्वयक बनाकर ये बता दिया है। कि सियासत में सब चलता है। मौका मिलते ही अपने लाभ के लिये सियासी दल सारे सिद्दांतों को तांक पर ऱख देते है।

सपा और कांग्रेस का कहना कि मायावती की सियासत उत्तर प्रदेश में सिमट गयी है। वे आरोप-प्रत्यारोप  की राजनीति कर अपने भतीजे को आगे लाने के लिये ही राजनीति करती है। अब खुद परिवारवाद को बढ़ावा दे रही है। जो कल तक दूसरे दलों पर ये आरोप लगाने से नहीं चूकती थीं। कि परिवारवाद का राजनीति में कोई स्थान नहीं है। और अब खुद परिवार के साथ पार्टी को चलाने लगी है।