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विपक्षी गठबंधन की तुलना इंडियन मुजाहिद्दीन से करने पर कांग्रेस का पीएम मोदी पर जबरदस्त हमला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से विपक्ष के नए बने गठबंधन ‘इंडिया’ की तुलना आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन और अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी से करने पर कांग्रेस ने कड़ा ऐतराज जताया है। पीएम ने विपक्षी गठबंधन की यह तुलना आज सुबह भाजपा संसदीय दल की बैठक में अपने संबोधन में की थी।

संसद में मणिपुर हिंसा को लेकर मंगलवार को राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित होने के बाद 12 बजे जब दोबारा शुरू हुई तो सदन में विपक्ष और कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्र सरकार और खासकर पीएम मोदी पर हमला बोला। उन्होंने कहा – ‘हम यहां मणिपुर हिंसा की बात कर रहे हैं और पीएम मोदी ईस्ट इंडिया कंपनी की’।  

इस बीच एक ट्वीट में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी को उनके बयान पर जवाब दिया। गांधी ने लिखा – ‘आप हमें जो चाहें बुला लें मोदी जी। हम भारत हैं। हम मणिपुर को ठीक करने और हर महिला और बच्चे के आंसू पोंछने में मदद करेंगे। हम मणिपुर में भारत के विचार का पुनर्निर्माण करेंगे।’

याद रहे पीएम मोदी ने संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले भाजपा संसदीय दल की बैठक में विपक्षी दलों पर हमला बोला था। उन्होंने उस दौरान विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ को लेकर कहा – ‘सिर्फ गठबंधन का नाम इंडिया लिख लेने से कुछ नहीं होता जाता है।  ऐसे तो ईस्ट इंडिया कंपनी ने भी अपने नाम के साथ इंडिया जोड़ लिया था। इसी तरह इंडियन मुजाहिद्दीन के नाम में भी इंडिया है’।

कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष का विरोध करते-करते इंडिया से ही नफरत करने लगे हैं. राहुल गांधी ने कहा कि आप हमें जो चाहे बुला लें मोदी जी. हम भारत हैं. हम मणिपुर को ठीक करने और हर महिला और बच्चे के आंसू पोंछने में मदद करेंगे.  हम उसके सभी लोगों के लिए प्यार और शांति वापस लायेंगे. हम मणिपुर में भारत के विचार का पुनर्निर्माण करेंगे.

पीएम के बयान पर कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने ट्वीट में कहा – ‘मोदी जी, आप कांग्रेस विरोध में इतने अंधे हो गये कि इंडिया से ही नफरत करने लग गये।  सुना है आज कुंठा में आ कर आपने इंडिया पर ही हमला बोल दिया।’

कांग्रेस सोशल मीडिया विभाग की प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत ने ट्वीट में कहा – ‘विपक्ष को कोसते कोसते प्रधानमंत्री मोदी इंडिया को ही भला बुरा कहने लग गये ? एक बात साफ है–अपनी घटिया ट्रोल आर्मी को निर्देश आप ही देते हैं। विपक्ष दिशा भ्रमित नहीं है।  आप नैतिक दिवालियेपन का शिकार हैं। जुबानी जमा खर्च बंद कीजिए। हिम्मत जुटाइये और मणिपुर पर बोलिए’।

मणिपुर मामले पर गतिरोध जारी, हंगामे के बाद लोकसभा की कार्यवाही स्थगित

मणिपुर को लेकर संसद में गतिरोध के चलते मंगलवार को स्पीकर ने लोकसभा की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी है। मणिपुर को लेकर संसद के भीतर सरकार और विपक्षी इंडिया गठबंधन के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। उधर संजय सिंह के निलंबन के विरोध में आप और विपक्षी सांसद समर्थकों के साथ रात को संसद के बाहर धरने पर बैठे। इस बीच अपनी-अपनी रणनीति बनाने के लिए सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन इंडिया ने बैठकें की हैं।

इससे पहले संसद के मॉनसून सत्र के तीन दिन हंगामे की भेंट चढ़ चुके हैं। सरकार और विपक्ष दोनों ही अपने-अपने रुख पर अड़े हुए हैं। कल राज्यसभा में सभापति के साथ बहस करने और आदेश का पालन नहीं करने पर आप सांसद संजय सिंह को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया था जिसके बाद विपक्ष सरकार के खिलाफ खड़ा हो गया।

विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) के घटक दलों के नेता सोमवार को संसद परिसर में धरने पर बैठे और सारी रात यह धरना चला। विपक्ष लगातार मणिपुर विषय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग कर रहा है।

अब संसद में चौथे दिन मंगलवार को भी मणिपुर मामले पर हंगामे के आसार हैं। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने मणिपुर पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव दिया है। इस मामले पर भाजपा ने संसदीय दल की बैठक बुलाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें मौजूद रहे।

विपक्षी पार्टियों के गठबंधन इंडिया ने भी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के चेम्बर में भी बैठक की है। लोकसभा में कांग्रेस सदस्य मनीष तिवारी और गौरव गोगोई ने मणिपुर के हालात पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है। राज्यसभा में राजीव शुक्ल, राघव चड्ढा, रंजीत रंजन, इमरान प्रतापगढ़ी समेत कई सांसदों ने मणिपुर पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है।

उधर निलंबन के बाद मंगलवार को संजय सिंह ने कहा – ‘प्रधानमंत्री मणिपुर मुद्दे पर चुप क्यों हैं? हम केवल संसद में आकर इस पर बोलने की मांग कर रहे हैं। निलंबन पर मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा, क्योंकि जगदीप धनखड़ राजनीति से जुड़े व्यक्ति नहीं हैं, उपराष्ट्रपति हैं। संसद में मणिपुर का मुद्दा उठाना हमारी जिम्मेदारी है।’

विपक्ष नियम 267 में लंबी चर्चा चाहता है जबकि सत्ता पक्ष रूल 176 में छोटी चर्चा चाहता है। पिछले 26 साल में 11 बार नियम 267 के तहत चर्चा हो चुकी है। इसमें नोटबंदी, कोयला घोटाला, और धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे शामिल हैं। मानसून सत्र 11 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान केंद्र सरकार मानसून सत्र में 31 बिल ला रही है। इनमें 21 नए बिल हैं वहीं 10 बिल पहले संसद में किसी एक सदन में पेश हो चुके हैं।

मेघालय के सीएम संगमा के कार्यालय पर भीड़ का हमला: सुरक्षाकर्मी घायल

अभी मणिपुर में हिंसा की आग ठंडी नहीं हुई है कि मेघालय के तुरा में शरदकालीन राजधानी की मांग को लेकर सोमवार को मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा के कार्यालय पर भीड़ ने हमला कर दिया। घटना में पांच सुरक्षाकर्मी घायल हो गए।

सैकड़ों लोगों ने मुख्यमंत्री ऑफिस के परिसर को घेर लिया। गारो हिल्स स्थित नागरिक समाज समूह तुरा में विंटर कैपिटल की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर हैं। सोमवार  शाम सैकड़ों लोग मुख्यमंत्री कार्यालय के बाहर जमा हो गए और पथराव करने लगे।  हमले में पांच सुरक्षाकर्मी घायल हो गए। उन्हें सीएम संगमा के कार्यालय के अंदर लाया गया।

कुछ वीडियो में दिख रहा है कि घायल सुरक्षाकर्मी फर्श पर पड़े हुए हैं। सीएम संगमा सुरक्षित रहे लेकिन कार्यालय से बाहर नहीं निकल पाए क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने रास्ता बंद कर दिया था। संगमा ने प्रदर्शनकारियों से बात भी की।

याद रहे एसीएचाईके और जीएचएसएमसी जैसे संगठन विंटर कैपिटल और नौकरी में आरक्षण पर चर्चा की मांग कर रहे हैं। सीएम संगमा तीन घंटे से अधिक समय तक जब नागरिक समाज संगठनों के साथ इस मामले पर चर्चा कर रहे थे, तभी भीड़ में से कुछ लोग, जो कथित तौर पर समूहों का हिस्सा नहीं थे, वो मुख्यमंत्री कार्यालय के बाहर एकत्र हुए और पथराव करना शुरू कर दिया।

एयर होस्टेस गीतिका शर्मा आत्महत्या मामले में गोपाल कांडा और चड्ढा बरी

एयर होस्टेस गीतिका शर्मा आत्महत्या मामले में रॉउज एवन्यू कोर्ट ने मंगलवार को अपने फैसले में मुख्य आरोपी सिरसा (हरियाणा) के पूर्व विधायक गोपाल कांडा और  मैनेजर अरुणा चड्ढा को बरी कर दिया। रॉउज एवन्यू कोर्ट ने करीब 11 साल बाद इस मामले से जुड़ा फैसला सुनाया है। गीतिका ने 5 अगस्त, 2012 को उत्तरी पश्चिमी दिल्ली के अपने घर में पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली थी।  उस समय वह 23 साल की थी और यह मामला बहुत चर्चित हुआ था।

गीतिका के पास पुलिस ने दो पेज का एक सुसाइड नोट बरामद किया था, जिसमें लिखा था कि गोपाल कांडा और उसका एक कर्मचारी उसका उत्पीड़न कर रहा है, इसलिए वो आत्महत्या कर रही है। सुसाइड नोट में गीतिका ने लिखा था कि ‘मैंने अपनी जिंदगी में गोपाल कांडा से बेशर्म इंसान नहीं देखा। वो हमेशा झूठ बोलता है।’

रिपोर्ट्स के मुताबिक गीतिका शर्मा ने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि ‘गोपाल कांडा एक फ्रॉड है और हमेशा लड़कियों के प्रति गलत नजर रखता है। उसकी आदत लड़कियों को प्रताड़ित करने की है। वो हमेशा लड़कियों की ताक में रहता है। गोपाल कांड के अलावा अपने सुसाइड नोट में गीतिका ने कंपनी की मैनेजर अरुणा चड्ढा को भी जिम्मेदार ठहराया था।’

जांच में ये पता चला था कि जब गीतिका कांडा के यहां नौकरी छोड़ने के बाद दुबई में एमिरेट्स एयरलाइंस में नौकरी लगने की कोशिश कर रही थी, तब गोपाल कांडा ने उस एयरलाइंस को मेल कर लिखा कि ‘इस लड़की का चरित्र संदिग्ध है और इस पर धोखाधड़ी का एक मामला चल रहा है’। मेल मे कांडा ने एक फर्जी लुक आउट नोटिस भी लगाया था।

पुलिस ने कर्मचारी अरुण चड्डा को 8 अगस्त को गिरफ्तार कर लिया था जबकि गोपाल कांडा ने भी 18 अगस्त, 2012 को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था।  गीतिका एमडीएलआर एयरलाइंस में एयर होस्टेस थी। बाद में उसे एयरलाइंस के गुरुग्राम के कॉरपोरेट ऑफिस में डायरेक्टर बना दिया गया।

छह महीने बाद गीतिका की मां ने भी आत्महत्या कर ली थी। उस मामले में भी गोपाल कांडा पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज हुआ था। करीब 18 महीने जेल में रहने के बाद 2014 में कांडा को जमानत मिल गई थी। रोहिणी कोर्ट में 2014 में आरोप तय किए थे, जज एसके सरवरिया ने आईपीसी की धारा 376, 377, 306, 120B, 201, 466, 468 और 471 के तहत आरोप तय किया था, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप के आरोप से गोपाल कांडा को बरी करते हुए 376 और 377 आईपीसी धाराएं हटा दी थीं। 

सुप्रीम कोर्ट की ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में एएसआई सर्वे पर 26 जुलाई तक रोक

सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के सर्वे पर 26 जुलाई शाम 5 बजे तक रोक लगा दी है। साथ ही सर्वोच्च अदालत ने मुस्लिम पक्ष (मस्जिद कमेटी) को उससे पहले उच्च न्यायालय में जाने का अवसर दिया है।

बता दें एएसआई ने आज सुबह सर्वे का काम शुरू कर दिया था। ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन देखने वाली अंजुमन कमेटी ने काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण के लिए वाराणसी जिला अदालत के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आज उपरोक्त आदेश दिया।

अंजुमन कमेटी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील हुजैफा अहमदी ने पीठ से कहा कि  शुक्रवार को सर्वे का आदेश दिया गया। हमें अपील का मौका नहीं मिला और सर्वे शुरू हो गया। उन्होंने कहा कि आदेश में खुदाई लिखा है तो हमें अपील का मौका मिलना चाहिए।

आज की सुनवाई में प्रधान न्यायाधीश ने सवाल किया कि सर्वे के दौरान खुदाई होगी तो यूपी सरकार के वकील तुषार मेहता ने बताया कि सर्वे आधुनिक तकनीक से होगा।  इसमें कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। हिंदू पक्ष की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने भी बताया कि सर्वे में खुदाई नहीं होगी।  

उधर अहमदी ने पीठ से कहा, हमने सर्वे के लिए दो-तीन दिन रुकने का अनुरोध किया था लेकिन वे नहीं रुके। हमारा मानना यह है कि अभी वैज्ञानिक सर्वे का समय नहीं आया है। पहले मामले को मेरिट पर देखना चाहिए। अहमदी ने कहा, पश्चिमी दीवार पर खुदाई हो रही है।

उधर यूपी सरकार के वकील तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि मैंने निर्देश लिया है।  वहां कोई ईंट भी नहीं सरकाई गई है। मेहता ने कहा, एक सप्ताह तक किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। तब तक ये हाई कोर्ट जा सकते हैं, लेकिन अहमदी ने जोर देकर सर्वे रोकने की मांग की।

नियम 267 पर घंटों चल सकती है बहस; पीएम संसद में जवाब दें, खरगे की मांग  

संसद के मॉनसून सत्र का आज (सोमवार) तीसरा दिन हैं। विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने आज भी अपनी रणनीति मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विस्तृत बयान और इस विषय पर संसद में चर्चा की मांग पर सीमित रखी साथ ही संसद के बाहर गांधी प्रतिमा के सामने विरोध प्रदर्शन भी किया।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि, ‘हम तैयार हैं। यदि 140 करोड़ लोगों का नेता संसद के बाहर बयान देता है, तो उसे संसद में भी बयान देना चाहिए जहां पूरे देश की जनता के प्रतिनिधि बैठते हैं’।

खरगे ने कहा कि, ‘हम नियम 267 के तहत सदन में बहस चाहते हैं। पर मोदी सरकार के एक मंत्री कहते हैं कि थोड़े समय की ही चर्चा होगी। वहीं दूसरा मंत्री कहता है कि केवल आधा घंटा ही चर्चा होगी। हम मानते हैं कि नियम 267 पर घंटों बहस चल सकती है, इसमें वोटिंग भी हो सकती है। और हम यही चाहते हैं’।

खरगे, जो कांग्रेस अध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि, ‘पहले पीएम मोदी जी का विस्तृत बयान हो और उसके बाद 267 के अंतर्गत संसद में बहस हो। मोदी सरकार और भाजपा मणिपुर पर अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी और जवाबदेही से भाग नहीं सकती’।

उधर राज्यसभा में कांग्रेस के विप नसीर हुसैन ने कामकाज निलंबित करने और मणिपुर हिंसा पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत नोटिस दिया है। बता दें, आज सुबह 10 बजे ‘इंडिया’ गठबंधन की संसद के सत्र के मद्देनजर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के कमरे में बड़ी बैठक हुई। इसमें फ्लोर मैनेजमेंट को लेकर रणनीति बनाई गयी।

कांग्रेस के नेतृत्व में संसद में इंडिया गठबंधन की रणनीति यह है कि वह मणिपुर के मुद्दे पर सरकार को घेरेगा। जहां एक तरफ इंडिया गठबंधन मणिपुर हिंसा को लेकर आज सरकार को घेरते नजर आए वहीं दूसरी तरफ संसद के बाहर गांधी प्रतिमा के सामने राजस्थान भाजपा सांसद गैर भाजपा शासित राज्यों में होने वाले अत्याचार पर विरोध प्रदर्शन करते नजर आए हैं।

यूक्रेन ने दो गैर आवासीय इलाकों में ड्रोन से हमला किया, रूस ने कहा

रूस-यूक्रेन तनातनी तेज होती दिख रही है। नवीनतम घटना में मास्को में यूक्रेन ने दो गैर आवासीय इलाकों में ड्रोन से हमला किया है। मास्को के मेयर सर्गेई सोबयानिन ने यह दावा किया है।

रूस की सरकारी समाचार एजेंसी के मुताबिक मेयर सर्गेई ने बताया कि दो गैर-आवासीय इमारतों को यूक्रेन ने ड्रोन से निशाना बनाया। उनके मुताबिक सोमवार तड़के करीब 4 बजे दो गैर-आवासीय इमारतों पर ड्रोन हमले की सूचना मिली। हालांकि, इस हमले में कोई घायल नहीं हुआ। एक ड्रोन रूस के रक्षा मंत्रालय के करीब कोम्सोमोल्स्की प्रॉस्पेक्ट में गिरा, जबकि दूसरा मुख्य रिंग रोड के पास लिकचेवा स्ट्रीट पर एक बिजनेस सेंटर पर गिरा।

इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी किया और कहा कि उसने दो यूक्रेनी ड्रोनों के हमले को नाकाम कर दिया। रूस सरकार ने इस हमले को एक आतंकवादी कृत्य ठहराया। ये ड्रोन हमला यूक्रेन ने ओडेसा के काला सागर बंदरगाह पर रूसी मिसाइल हमले के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करते हुए किया है। आईआरए के नेता नोवोस्ती ने बिजनेस सेंटर का एक वीडियो पोस्ट किया गया था, जिसमें बहुमंजिला इमारत के सबसे ऊपर पर साफ तौर पर धमाका होते दिखाई दे रहा है।

ड्रोन हमले के बाद अधिकारियों ने एहतियात के तौर पर इमारत के आसपास की सड़क को सील कर दिया है। इससे पहले भी रूस यूक्रेन पर ड्रोन के जरिए मास्को को निशाना बनाने का आरोप लगाता रहा है।

इस बीच रूस की सरकारी समाचार एजेंसी स्पुतनिक न्यूज ने बताया है कि 23 जुलाई को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उनके बेलारूसी समकक्ष अलेक्जेंडर लुकाशेंको के बीच सेंट पीटर्सबर्ग में बातचीत हुई। एजेंसी के मुताबिक पिछले 24 घंटे  के दौरान विशेष सैन्य अभियान के क्षेत्र में रिकॉर्ड संख्या में पश्चिम के आपूर्ति किए गए सैन्य उपकरण नष्ट कर दिए गए। यह बात रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बेलारूसी राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको के साथ बैठक के दौरान कही।

स्पुतनिक न्यूज के मुताबिक बेलारूसी राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने कहा कि कोई (यूक्रेनी) जवाबी हमला नहीं है। रूसी राष्ट्रपति ने स्पष्ट किया कि ‘एक है, लेकिन वह विफल हो गया है’। उधर पुतिन ने कहा कि पिछले दिनों विशेष सैन्य अभियान के दौरान रिकॉर्ड संख्या में विदेशी उपकरण नष्ट किए गए। पुतिन ने कहा – ‘हमने कभी एक दिन में इतने सारे विदेशी वाहनों को नष्ट नहीं किया’।

पुतिन ने कहा कि ‘शत्रु सेना की तरफ से जो इकाइयाँ काम कर रही थीं, वे पूर्ण रूप से विदेशी उपकरणों से सुसज्जित थीं। विशेष सैन्य अभियान की शुरुआत के बाद से यूक्रेनी सशस्त्र बलों के 26,000 सैनिक मारे गए हैं’।

स्पुतनिक न्यूज ने कहा कि पुतिन ने विशेष सैन्य अभियान के क्षेत्र में विदेशी भाड़े के सैनिकों की गतिविधियों पर भी टिप्पणी की। रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि यूक्रेन में विदेशी भाड़े के सैनिक अपनी मूर्खता के कारण बड़ा नुकसान उठाते रहते हैं। पुतिन ने कहा – ‘जहाँ तक विदेशी भाड़े के सैनिकों की बात है, उन्हें भी काफी नुकसान हुआ है’। यह बात पुतिन ने बेलारूसी राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको से कही।

अपनी रिपोर्ट में स्पुतनिक ने कहा कि जब बेलारूसी नेता ने पुतिन से पूछा कि क्या यह उनकी (यूक्रेनी) रणनीति के कारण हुआ ? जवाब में पुतिन ने कहा – ‘अपनी मूर्खता के कारण’। स्पुतनिक न्यूज के मुताबिक पुतिन ने यह भी कहा – ‘जिन देशों की सरकारें आज लोगों को संकट के क्षेत्र में भेज रही हैं, वहां की जनता को भी पता होना चाहिए कि वहां क्या हो रहा है, और हम लोगों को यह समझाएंगे जिससे कि वे अपने शासकों के कार्यों को देख सकें’।

मणिपुर में हिंसा का दौर जारी, भीड़ ने मकान और स्कूल भवन जलाए

मणिपुर में स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। चुराचांदपुर के तोरबुंग बाजार इलाके में हथियारबंद लोगों ने एक दर्ज़न मकानों और एक एक स्कूल भवन को आग के हवाले कर दिया।

पुलिस के मुताबिक लोगों की भीड़ में सबसे आगे बड़ी संख्या में महिलाएं थीं। वे मानव ढाल का काम कर रही थीं। भीड़ ने शनिवार शाम किए हमले के दौरान कई गोलियां चलाईं और देसी बम फेंके। तोर बुंग बाजार में स्थित जिस स्कूल में आग लगाई गई, उसका नाम ‘चिल्ड्रन ट्रेजर हाई स्कूल’ है।

स्थानीय लोगों के मुताबिक जब स्थानीय लोगों ने महिलाओं को भीड़ के आगे देखा तो उन्होंने गोलीबारी का जबाव देने में हिचकिचाहट महसूस की। इसके बाद जब भीड़ ने बीएसएफ के वाहन को छीनने की कोशिश की तो स्थानीय लोगों ने भई भीड़ को जवाब देने का फैसला किया।

भीड़ ने बीएसएफ का एक वाहन भी ले जाने की कोशिश की, लेकिन बीएसएफ और इलाके में तैनात स्थानीय स्वयंसेवकों की जवाबी कार्रवाई के कारण उनका प्रयास असफल रहा। राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में अभी भी तनाव व्याप्त है।

राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। उधर विपक्ष के दलों की एक टीम भी मणिपुर का दौरा कर सकती है। अभी तक इसे लेकर तारीख तय नहीं की गयी है। 

आरएसएस नेता और वरिष्ठ प्रचारक मदन दास देवी का बेंगलुरु में निधन

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ प्रचारक मदन दास देवी का निधन हो गया है। वे 81 वर्ष के थे और एबीवीपी से लेकर संघ के बड़े पदों पर रहे। पीएम मोदी ने उनके निधन पर शोक जताया है।

उनका निधन सोमवार सुबह बेंगलुरु में हुआ जहां वे अस्पताल में भर्ती थे। उनके निधन की जानकारी आरएसएस ने एक ट्वीट में दी। आरएसएस ने कहा – ‘संघ के वरिष्ठ प्रचारक मदन दास देवी का सोमवार सुबह 5 बजे राष्ट्रीय स्वास्थ्य अस्पताल, राजराजेश्वरी नगर, बेंगलुरु में निधन हो गया।’

याद रहे देवी आरएसएस के सह सर-कार्यवाह रहे हैं। वह आरएसएस की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के राष्ट्रीय संगठन मंत्री भी रहे। देवी ने जीवन भर आरएसएस के लिए कार्य किया।

इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मदन दास देवी के निधन पर शोक जताया है। एक ट्वीट में मोदी ने कहा – ‘मदन दास देवी के देहावसान से अत्यंत दुख हुआ है। उन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्रसेवा में समर्पित कर दिया। उनसे मेरा न सिर्फ घनिष्ठ जुड़ाव रहा, बल्कि हमेशा बहुत कुछ सीखने को मिला। शोक की इस घड़ी में ईश्वर सभी कार्यकर्ताओं और उनके परिवारजनों को संबल प्रदान करें।’

हिंसाग्रस्त क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय सीमा वाला इलाका, इसपर सरकार को सदन में जवाब देना होगा- रंजीत रंजन 

सरकार की तरफ़ से महिला बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा मणिपुर पर दिए गए बयान के बाद शनिवार को कांग्रेस की राज्य सभा सांसद रंजीत रंजन ने पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी से संसद में चर्चा की मांग की है। 

हिंसाग्रस्त पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में 4 मई की इस घटना ने देश भर में गुस्सा भर दिया है। इससे पहले कांग्रेस ने इस शर्मनाक घटना पर इसकी जिम्मेवारी लेते हुए पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और मंत्री स्मृति ईरानी को इस्तीफा दे की भी मांग की है।  

रंजीत रंजन ने कहा कि, “जब भी सरकार डरती हैं व इन्हे लगता है इनका फेल्योर है तो अपने मंत्रियों को बिलों से निकाल है। ये सरकार भगौड़ा सरकार है जो विपक्ष से, सदन में आने से, सदन में विपक्ष के प्रश्नों से डरती है और भगोड़ों की तरह भागती है। हमारा सिंपल था और सिंपल सी मांग है की प्रधानमन्त्री सदन में आए और फर्स्ट आइटम 267 राज्यसभा और एडजाउन्ड मोशन लोकसभा में चर्चा करना चाहते हैं। हम चाहते है मणिपुर में पिछले 83 दिनो से चल रही हिंसा पर सदन में पीएम और गृह मंत्री जवाब दे।”

रंजन ने आगे कहा कि, “हम जानना चाहते है कि क्या आपकी खुफिया एजेंसियों, राज्य के मुख्यमंत्री, पीएम, और गृह मंत्री को मणिपुर में चल रही हिंसा की जानकारी नहीं थी? हिंसा की जानकारी क्यों छिपाई गई? मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह का कहना है कि जो दुर्व्यवहार उन दो महिलाओं के साथ हुआ है मास के नोचने जैसे रक्षसो सा सलूक उनके साथ हुआ है और खुद राज्य के मुख्यमंत्री कह रहे है कि राज्य में ऐसे 100 और केस होंगे। क्या इसकी जानकारी प्रधानमन्त्री को नहीं थी ? हमारी सिंपल सी डिमांड है की ये लगातार-लगातार सिर्फ राजनीतिक है। 

जब पीएम से सदन के बाहर बयान दिया तो उसमे पहले राजस्थान की बात फिर छत्तीसगढ की बात, क्या वे आसानी से नही कह सकते थे कि हम महिलाओं के साथ हैं और को मणिपुर में हुआ उसका जवाब देने के लिए मैं सदन के भीतर तैयार हूं।”

राज्यसभा सांसद रंजन ने महिला एवं बाल विकास मंत्री को घेरते हुए कहा कि, “हम कहना चाहते है कि हम भी यही कह रहे है कि ये वियतनाम का बॉर्डर इलाका है और यहां से ड्रग्स की स्मगलिंग होती है ये अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा का मामला हैं। बॉर्डर एरिया में पिछले 90 दिनों से हिंसा हो रही है तो क्या सदन में पीएम को इसका जवाब नही देना चाहिए? आपकी सरकार भगोड़ों की तरह क्यों भाग रही है? और यदि मंत्रियों को बोलना है तो सदन के भीतर बोले बाहर नहीं। जिस पार्टी में महिलाओं का सम्मान नहीं है तो ऐसी पार्टी से महिला बाल विकास मंत्री को भी इस्तीफा दे देना चाहिए।” 

बता दें, कुकी महिलाओं से जुड़ी यह घटना 4 मई की कांगपोकपी जिले में बी फीनोम गांव की है। एक पीड़ित महिला के मुताबिक उन्होंने सुना कि मैतेई भीड़ पास के गांव में घरों को जला रही है, तो उनका परिवार और अन्य लोग गंदगी वाली गली से भाग निकले। लेकिन भीड़ ने उन्हें ढूंढ़ लिया।