बरसात की एक रात !

Aap Beeti-1कर भला तो हो भला! कहने को तो यह महज एक कहावत है, दूसरी कहावतों जैसी लेकिन जीवन में कई वाकये ऐसे होते हैं, जो इन कहावतों पर यकीन पक्का कर देते हैं.

करीब 12 साल पुरानी बात है. स्कूल से घर लौटते वक्त गांव में घुसते ही पता चला कि धनई मास्टर के बेटे कमरू को पड़ोसी गांव के भैंसवार यानी भैंस चरानेवाले लड़कों ने क्रिकेट के खेल के दौरान हुई लड़ाई में बुरी तरह पीट दिया है.

मैं वहां पहुंचा, तो धनई मास्टर और उनका पूरा परिवार रोनेपीटने में लगा हुआ था. वहीं गांववाले इकठृठा होकर दूसरे गांव की धज्जियां उड़ाने को बेताब थे. इन सबको पार करते हुए मैं कमरू के पास पहुंचा, जो अब तक तकरीबन बेहोश हो चुका था. मैंने धनई मास्टर से पूछा, इसे अस्पताल क्यों नहीं ले गए? इतना पूछना था कि गांव के एक नेतानुमा जीव बोल पड़े- अस्पताल क्यों? मारपीट का मामला है, पहले थाने में रपट लिखवाई जाएगी. उस पूरे गांव को एक ही रस्सी में बंधवाकर जेल भेजा जाएगा. मैं समझ गया कि एक के बाद एक प्रधानी का चुनाव हार चुके नेताजी वाहवाही लूटने का यह मौका गंवाना नहीं चाहते. मैंने जरा तेज आवाज में लड़के को अस्पताल ले जाने की बात दुहराई तो धनई मास्टर रोने लगे. बोले मैं तो कब से फरियाद कर रहा हूं, कोई सुन ही नहीं रहा है, आप ही कुछ कीजिए, शायद मेरा बेटा बच जाए.

शाम का धुंधलका गहरा चुका था. जिला अस्पताल हमारे गांव से पैंतीस किलोमीटर दूरी पर है. मैंने गांव के लोगों को सुनाया- लड़के को फिलहाल अस्पताल पहुंचाना ज्यादा जरूरी है. क्या कुछ लोग धनई मास्टर के साथ लड़के को लेकर जिला अस्पताल जा सकते हैं? इतना सुनना था कि लोगों की भीड़ छंटने लगी. धनई मास्टर ने फरियादी निगाहों से मुझे देखा. मैं स्कूल से थका-हारा लौटा था. मेरी पत्नी की तबीयत भी कुछ नासाज़ चल रही थी. लेकिन हालात कुछ ऐसे थे कि मेरे मुंह से झट से निकला- चलो मेरी मोटर साईकिल पर कमरू को लेकर बैठो, नोनहवां से जीप कर लेंगे. नोनहवां में एक जीप वाला मिला, लेकिन वह आगे केवल बर्डपुर तक जाने को तैयार हुआ. उसके आगे हमें खुद इंतजाम करना था. रास्ते में मेरा चचेरा भाई चिनकू मिल गया, तो वह भी साथ हो लिया.

‘प्रधान जी ने कहा- नौकर ने सिर्फ मेरे हिस्से का खाना बनाया होगा, वरना आप लोगों को भी खाना खिलाकर भेजता’

हम लोगों ने घायल लड़के को जिला अस्पताल में भरती कराया और उसकी हालत में सुधार होने लगा. धनई मास्टर उन दिनों बर्डपुर चौराहे पर ही अपनी टेलरिंग की दुकान चलाया करते थे. उनकी दुकान एक संपन्न प्रधान जी के बड़े से कटरे में किराए पर चलती थी. संयोग से लड़के को जिला अस्पताल लाते वक्त प्रधान जी हमें बर्डपुर में मिल गए थे और साथ हो लिए थे.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here