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सरकार विरोध की आवाज दबा रही, कांग्रेस छात्रों और नागरिकों के संघर्ष में उनके साथ: सोनिया गांधी

नागरिकता संशोधन कानून को लेकर जारी हिंसा के बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार शाम एक वीडियो संदेश के जरिये सरकार की नागरिकता क़ानून के खिलाफ विरोध की आवाज को दबाने का आरोप लगाते हुए कहा कांग्रेस भाजपा सरकार की कार्रवाई की निंदा करती है और छात्रों और नागरिकों के संघर्ष में उनके साथ है।

सोनिया गांधी की तरफ से शुक्रवार शाम जारी किए गए इस वीडियो सन्देश में कहा गया है कि कांग्रेस सरकार की कार्रवाई की निंदा करती है। उन्होंने कहा – ”लोकतंत्र में लोगों को सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने और अपनी चिंताओं को दर्ज करने का अधिकार है। सरकार लोगों की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है।”

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा सरकार ने जनता की आवाज की घोर अनदेखी की है और असहमति की आवाज को दबाने के लिए निर्दयता से बल प्रयोग किया है। उनहोंने कहा – ”यह लोकतंत्र में स्वीकार्य नहीं है”।

वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस भाजपा सरकार की कार्रवाई की निंदा करती है और छात्रों और नागरिकों के संघर्ष में उनके साथ है। वीडियो संदेश में गांधी ने कहा कि ”नागरिकता संशोधन कानून भेदभावपूर्ण है। नोटबंदी की तरह एक बार फिर एक-एक व्यक्ति को अपनी और अपने पूर्वजों की नागरिकता साबित करने के लिए लाइन में खड़ा होना पड़ेगा।”

काहे का एनआरसी, शाह के ब्यान पर नीतीश बोले

नागरिकता संशोधन एक्ट को संसद में समर्थन देने और इससे अपने ही लोगों की नाराजगी झेलने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बही तेवर बदल लिए हैं और सहयोगी भाजपा को झटका देते हुए शुक्रवार को साफ़ कह दिया कि एनआरसी बिहार में किसी भी सूरत में लागू नहीं किया जाएगा।

माना जाता है कि सुशासन बाबू के बोल देश भर में नागरिकता क़ानून और एनआरसी के  खिलाफ उमड़े विरोध प्रदर्शनों के बाद बदले हैं। अब नीतीश कुमार की जनता दल (युनाइटेड) ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को बिहार में लागू नहीं करने की बात कही है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को कहा कि बिहार में एनआरसी लागू नहीं होगा।

पिछले दिनों बिहार में सत्तारुढ़ जेडीयू के नागरिकता संशोधन एक्ट (सीएए) को समर्थन देने के बाद राजनीतिक हल्के में काफी बवाल मचा था और उनकी ही पार्टी के कई नेताओं ने पार्टी के फैसले पर असहमति जताई थी

शुक्रवार को नीतीश कुमार ने बिहार समेत पूरे देश में एनआरसी लागू कराए जाने के गृह मंत्री अमित शाह के बयान के बाद कहा – ”काहे का एनआरसी”, बिल्कुल लागू नहीं होगा एनआरसी।” नीतीश का यह बयान तब आया है जब पूरे देश में नागरिकता संशोधन एक्ट को लेकर लोगों की नाराजगी दिख रही है और लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

याद रहे नीतीश कुमार की नागरिकता संशोधन बिल को समर्थन की घोषणा के बाद उनकी पार्टी जेडीयू में बबाल मच गया था। जेडीयू नेता प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर इसका विरोध किया था। हालांकि बाद में प्रशांत ने नीतीश से मिलकर कहा था कि उन्हें सीएम ने भरोसा दिया है कि बिहार में एनआरसी लागू नहीं होगा।

उत्तर प्रदेश में ६ प्रदर्शनकारियों की मौत

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशभर में हो रहे प्रदर्शनों के बीच खबर है कि उत्तर प्रदेश में उग्र प्रदर्शनों के दौरान शुक्रवार को ६ लोगों की मौत हो गयी है। यूपी के पुलिस प्रमुख (डीजीपी) ने इसकी पुष्टि की है।

डीजीपी के मुताबिक यूपी में शुक्रवार को ६ लोगों की मौत हो गयी। उन्होंने दावा किया कि यह लोग पुलिस की गोली से नहीं मारे गए हैं। हालाँकि, रिपोर्ट्स में बताया गया है कि ज्यादातर लोगों की मौत गोली लगने से हुई है। बिजनौर में २ लोगों की मौत हुई है। इसके आलावा फिरोजाबाद, मेरठ और कानपुर में भी लोगों की जान गयी है। कई लोग घायल हुए हैं और उनमें कुछ की हालत गंभीर है।

कानपुर और बिजनौर में गोली लगने से ११ लोग घायल हो गए हैं जिनमें ८ अकेले कानपुर में हैं। इसकी हालत गंभीर बताई गयी है।

कई जगह हिंसा हुई है और दिल्ली गेट के पास देर शाम वाहन में आग लगाने की भी खबर है। कई प्रदर्शनकारी हिरासत में लिए गए हैं। यूपी के फिरोजाबाद में फायरिंग से एक व्यक्ति की मौत की खबर है जबकि कानपुर और बिजनौर में गोली लगने से ११ लोग घायल हुए हैं जिनमें ८ की हालत गंभीर है। मुरादाबाद, सीतापुर, बहराइच, बिजनौर और गोरखपुर में भी लोग सड़कों पर उतरे हैं जबकि फिरोजाबाद में पुलिस चौकी फूंक डाली गयी। दिल्ली में दोपहर तक प्रदर्शन शांत रहने के बाद शाम को प्रदर्शन उग्र हो गए। शाम के वक्त पुलिस पर पथराव और गाड़ियों में आगजनी हुई है।

दिल्ली में ६ मेट्रो स्टेशन बंद करने पड़े हैं।

उधर यूपी के २० जिलों में इंटरनेट बंद है और अभी तक हिंसा के बाद गुजरात में करीब ८ हजार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी है। उत्तर प्रदेश में उग्र प्रदर्शन हुए हैं। उत्तर प्रदेश के २० जिलों में प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई है। फिरोजाबाद में फायरिंग के दौरान गोली लगने से युवक की मौत हो गई जबकि कानपुर में ८ और बिजनौर में तीन लोग गोली लगने से घायल हुए हैं।

दिल्ली में जामा मस्जिद इलाके में दिनभर प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा। लेकिन, शाम के वक्त प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया और आगजनी की। दिल्ली, गुजरात, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में धारा १४४ लागू कर दी गई है। केरल के ४ जिलों में हाईअलर्ट जारी किया गया है। मध्य प्रदेश में भी मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया गया है। उधर मुंबई, हैदराबाद और तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में भी लोग प्रदर्शन कर रहे हैं।

असम और पूर्वोत्तर से शुरू हुए प्रदर्शन अब देश भर में फैल गए हैं। उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्व से लेकर पश्चिम तक के राज्यों में लोग नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ सड़कों पर हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के कई बड़े शहरों में धारा १४४ लगा दी गई है। याद रहे गुरुवार को तीन लोगों की मौत हो गई थी और दर्जनों लोग घायल हुए थे।

शुक्रवार को क़ानून के खिलाफ राजधानी दिल्ली में लोग लगातार प्रदर्शन करते रहे। लोगों ने जामा मस्जिद के पास प्रदर्शन किया। अब देर शाम वहां आगजनी की घटनाएँ हुई हैं। वहां सुबह भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद को भी स्पॉट किया गया था। वे हाथों में संविधान की कॉपी लेकर प्रदर्शन कर रहे थे।

उधर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। राज्य के कई जिले में प्रशासन ने धारा १४४ लगा दिया है। कानपुर में गोली से ८ लोगों के घायल होने की खबर है। रिपोर्ट्स में बताया गया है कि इनकी हालत गंभीर है। संभल में पुलिस ने १७ लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

वाराणसी और गोरखपुर में पुलिस ने फ्लैग मार्च निकाला। गुरुवार को वहां प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया था। प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी भी की थी। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में आज भी लोग इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद कोलकाता में इस कानून के खिलाफ एक बड़ी रैली निकाली थी। अब उन्होंने कहा है कि उनके बयानों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि उन्होंने सिर्फ इतना कहा था कि एक निष्पक्ष बॉडी से जांच की जानी चाहिए कि कितने लोग नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में हैं और कितने खिलाफ हैं।

पाक अदालत ने कहा, मुशर्रफ की मौत हो जाती है तो उनका शव तीन दिन चौक पर लटकाया जाए  

पाकिस्तानी की एक अदालत ने आदेश दिया है कि फांसी पर चढ़ाए जाने से पहले ही यदि पूर्व राष्ट्रपति और तानाशाह परवेज़ मुशर्रफ की मौत हो जाती है तो उनका शव घसीटकर संसद के पास स्थित डी-चौक तक लाया जाए और तीन दिन तक वहीं लटकाया जाए। कुछ ही दिन पहले अदालत ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई थी।
यह आदेश मंगलवार को मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाने वाली तीन सदस्यीय बेंच के अध्यक्ष पेशावर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश वकार अहमद सेठ ने दिया है। अपने आदेश में मुख्य न्यायाधीश ने लिखा कि ”फांसी दिए जाने से पहले मुशर्रफ की मौत होने पर भी पूर्व राष्ट्रपति को फांसी पर लटकाया जाना चाहिए।”
उन्होंने परवेज़ मुशर्रफ से जुड़े अपने फैसले को १६७ पन्नों पर लिखा है। इसी आदेश में उपरोक्त आदेश भी है। गौरतलब है कि बीमार चल रहे पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ इस समय दुबई में इलाज करवा रहे हैं। किडनी की बीमारी के कारण उनका इलाज चल रहा है।
पाकिस्तान के एक अदालत के उन्हें मौत की सजा दिए जाने पर मुशर्रफ ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि उन्होंने टीवी न्यूज़ में अपने खिलाफ विशेष अदालत का फैसला सुना। ”इससे पहले पाकिस्तान में ऐसा कभी नहीं हुआ, जब वादी या उसके वकील को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया हो। मैं इस फैसले को संदिग्ध मानता हूं। सुनवाई में शुरू से अंत तक कानून को नजरअंदाज किया गया।”
पूर्व सैन्य तानाशाह ने कहा कि विशेष कमीशन दुबई आकर बयान लेता है तो वे इसके लिए तैयार हैं। उन्होंने बयान दर्ज करने के लिए अनुरोध भी किया था लेकिन, इसे नहीं माना गया। याद रहे उनके खिलाफ २००७ में पाकिस्तान में आपातकाल लगाने के लिए उनके खिलाफ देशद्रोही का मुक़दमा दर्ज किया गया था।

उतर भारत में भूकंप के झटके

राजधानी दिल्ली सहित उत्तर भारत के कई हिस्सों में शुक्रवार शाम करीब ५.०९ बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। अभी तक किसी जान माल के नुक्सान की जानकारी नहीं है। भूकंप की तीव्रता ६.८ बताई गयी है।

दिल्ली में लोगों ने घरों के पंखे हिलते देखे तो घबरा कर घरों से बाहर निकल आये। उत्तर भारत के कुछ और जगहों से भूकंप के झटके अहसूस किए जाने की खबर मिली है। दिल्ली एमसीआर में भूकंप के झटकों की जानकारी कन्फर्म हुई है।

अभी यह पता चला है कि भूकंप का केंद्र हिंदुकुश, अफगानिस्तान था। इसकी तीव्रता ६.८ बताई गयी है।

विधायक सेंगर को उम्र कैद

उन्नाव में नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली कोर्ट ने शुक्रवार को उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने कहा कि उसे (सेंगर) मृत्यु तक जेल में रखा जाए। उनपर २५ लाख रूपये का जुर्माना भी किया गया है।

सेंगर के मामले में दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने कुछ दिन पहले ही उन्हें दोषी करार दिया था और सजा का फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने इस मामले में सह अभियुक्त शशि सिंह को बरी कर दिया था। अब अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है। अदालत ने विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को उम्र कैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने कहा कि सेंगर एक जनप्रतिनिधि था लेकिन उसने लोगों का विश्वास तोड़ा।

उन पर अपहरण और बलात्कार का आरोपित साबित हुआ था। तीस हजारी अदालत ने उन्हें एक महीने के भीतर २५ लाख रूपये जुर्माना भरने का भी आदेश दिया है। सेंगर से मिलने वाली रकम पीड़िता को मुआवजे के तौर पर दी जाएगी।

इसके साथ ही कोर्ट ने सीबीआई को पीड़ित और उसके परिवार की सुरक्षा से संबंधित जानकारी हर तीन महीने में लेने के निर्देश दिए हैं। पीड़ित और उसका परिवार अगले एक साल तक दिल्ली महिला आयोग की तरफ से मुहैया करवाए गए घर में ही रहेगा। कोर्ट ने कहा कि इस घर के लिए यूपी सरकार हर महीने पीड़ित और उसके परिवार को १५ हजार रुपए दे।

कुछ महीने पहले सेंगर को लेकर देशव्यापी विरोध के बाद भाजपा ने उसे पार्टी से निष्कासित कर दिया था। उसपर आरोप था कि २०१७ में कुलदीप और उसके साथियों ने उन्नाव में लड़की को अगवा कर सामूहिक दुष्कर्म किया था। जुलाई २०१९  में पीड़ित की कार का एक्सीडेंट हो गया था, जिसका आरोप विधायक पर लगा हालाँकि जांच में उसे क्लीनचिट दे दी गई थी।

सजा पर हुई बहस के दौरान सीबीआई ने दोषी विधायक के लिए अधिकतम सजा की मांग और पीड़ित के लिए उचित मुआवजा मांगा था। वहीं, सेंगर के वकीलों ने अदालत से उसे न्यूनतम सजा देने की प्रार्थना की थी। वकीलों ने कहा था- सेंगर की दो नाबालिग बेटियां हैं और पहले कोई आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं रहा है। इसलिए सजा सुनाते समय इन बातों पर भी विचार किया जाए।

यूपी के 14 जिलों में इंटरनेट बंद 3500 से ज़्यादा लोग हिरासत में

नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन के बाद अब उत्तर प्रदेश के कई शहरों में इसने हिंसक रूप ले लिया। लखनऊ के अलावा संभल में भी प्रदर्शनकारियों ने रोडवेज बसों, मीडिया वाहनों, निजी वाहनों में तोड़फोड़ और आगजनी की। भारी बवाल के बाद लाठीचार्ज और आनौ गैस के गोले दागे। शुक्रवार को लखनऊ, ग़ाज़ियाबाद समेत प्रदेश के 14 जिलों में इंटरनेट की सेवाएं बंद कर दी गई हैं। पूरे प्रदेश में 102 जगहों पर प्रदर्शन किये गए जिनमे से 3500 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है।
सपा सांसद पर भी केस
संभल में समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। योगी सरकार ने हिंसक प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है। योगी ने कहा, हिंसा में शामिल लोगों की संपत्ति को जब्त और नीलाम करके नुकसान की भरपाई करेगी। बता दें कि वीरवार को हिंसाज प्रदर्शन के दौरान गोली लगने से लखनऊ में मोहम्मद वकील नामक युवक की भी मौत हो गई, जबकि दो घायल हो गए।
जिन शहरों में पूरी तरह से इंटरनेट बंद किया गया है, उनमें लखनऊ, बरेली, अलीगढ़, गाजियाबाद, प्रयागराज, संभल, मेरठ, मऊ और कानपुर शामिल हैं। ऐसा कई शहरों में शुक्रवार की नमाज के बाद विरोध प्रदर्शनों की संभावनाओं को देखते हुए किया गया है। अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने बताया कि 21 दिसंबर की आधी रात तक इंटरनेट बंद जारी रहेगा। सभी निजी दूरसंचार ऑपरेटरों ने भी सरकारी आदेश के बाद अपनी सेवा बंद कर दी है। इंटरनेट के अलावा, एसएमएस और मैसेंजर सेवाएं भी बंद हैं। बवाल के दौरान एडीजी सावत, आईजी लखनऊ और सीओ हजरतगंज को भी चोटें लगीं। 61 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
संभल में सांसद सहित सैंकड़ों के खिलाफ मुकदमा
संभल में प्रदर्शनकारियों ने गुरुवार को रोडवेज की दो बसों को आग के हवाले कर दिया था। इसके अलावा पुलिस की गाड़ियों को भी निशाना बनाया गया था। पुलिस ने एसपी सांसद शफीकुर्रहमान बर्क, एसपी जिलाध्यक्ष फिरोज खान, पार्षद पति हाजी मोहम्मद शकील और मुशील खान समेत 17 को नामजद करते हुए सैकड़ों लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। यहां
हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश
नागरिकता कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शनों पर मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को उपद्रवियों पर सख्त कार्रवाई करने के लिए कहा है और इस बात के भी निर्देश दिए हैं कि आम लोगों को कोई असुविधा ना हो। मुख्यमंत्री ने कहा है कि किसी उपद्रवी को बख्शा नहीं जाएगा और सरकार उपद्रव करने वाले लोगों की पहचान कर उनकी संपत्ति नीलाम करेगी और इस पैसे से नुकसान की भरपाई होगी।

ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में आग से ६ की मौत, ६०० से ज्यादा घर जले

ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग अब भयंकर रूप धारण कर गयी है और यह सिडनी शहर के चारों और फ़ैल गयी है। अब तक्क की रिपोर्ट्स के मुताबिक इस आग में कमसे कम ६९३ घर जल कर ख़ाक हो चुके हैं और छह लोगों की जान चली गयी है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक सिडनी शहर के चारों ओर १०० से ज्यादा जगह जंगल आग में धधक रहे हैं। सिडनी के ४५ लाख लोगों से ज्यादा लोगों की जिंदगी पर इसका असर पड़ा है। आग के कारण कनंगरा बॉयड नेशनल पार्क से जानवर सड़कों की तरफ जान बचाने के लिए भाग रहे हैं। आग लगने से इलाके का तापमान भी बढ़ गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि आग के कारण न्यू साउथ वेल्स में दुकानें, सरकारी दफ्तर, स्कूल, बाजार आदि बंद करवा दिए गए हैं। बड़े संख्या में लोगों को सुरक्षित जगहों पर जाने के लिए कहा गया है।

आग से सिडनी और आसपास के इलाकों का तापमान ४५ डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो गया है। धुंए के असर के कारण सिडनी से १९० किलोमीटर दूर सोहलहैवन तटीय शहर भी खाली करा लिया गया है। बताया जा रहा है कि करीब ३० लाख एकड़ जंगल जलकर कोयले में बदल चुका है। सिडनी को आग से बचाने के लिए १७०० से ज्यादा अग्निशमन कर्मी तैनात किए गए हैं। आगपर काबू पाने की हरसंभव कोशिश की जा रही है ताकि और जन हानि न हो।

निर्भया के दोषी पवन की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की

निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में दोषी पवन कुमार गुप्ता की याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय में गुरूवार को खारिज हो गई है। यही नहीं अदालत ने पवन के  वकील पर २५ हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। उधर निर्भया की मां आशा देवी ने कोर्ट के इस फैसले पर खुशी जताई है।

पवन के वकील की कोर्ट में दायर याचिका में पवन को घटना के समय नाबालिग बताया गया था। याचिका में पवन ने कहा कि २०१२ में वह नाबालिग था और उसके साथ किशोर न्याय कानून के तहत बर्ताव किया जाए।

यह मामला पहले दिल्ली हाईकोर्ट में २४ जनवरी को सुना जाना था लेकिन निर्भया के वकील के दखल के बाद इसपर आज ही सुनवाई करने का फैसला किया गया। पवन के वकील एपी सिंह ने नए दस्तावेज पेश करने का समय मांगा था, जिस पर कोर्ट ने सुनवाई टाल दी थी। अब अदालत ने पवन की याचिका ख़ारिज कर दी है।

पवन गुप्ता ने याचिका में यह दावा करते हुए कि दिसंबर २०१२ में वारदात के समय वह नाबालिग था, कहा था कि ट्रायल कोर्ट ने गलत तरीके से उसके खिलाफ काम किया। याचिका में यह भी कहा गया कि ट्रायल कोर्ट ने एक नाबालिग के तौर पर उसके अधिकारों का हनन किया।

उधर अदालत का फैसला आने के बाद निर्भया की माता आशा देवी ने खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि ”मैं आज के निर्णय का स्वागत करती हूं। यह ऐसे लोगों को शिक्षा देने के लिए बहुत जरूरी था।”

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ मुंबई में जबरदस्त प्रदर्शन

देश के अलग-अलग हिस्सों में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ भारी विरोध देखने मिल रहा है। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में इससे बची नहीं है।

इस कानून के खिलाफ मुंबई के ऐतिहासिक अगस्त क्रांति मैदान पर आज भारी विरोध प्रदर्शन हो रहा है। ग्वालिया टैंंक इलाके में जहां तक देखें वहां तक मुंड ही मुंड और लोगों के झुंड नजर आ रहे हैं। लोगों में आक्रोश है। हालांकि यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण ढंग से किया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों के हाथ में बैनर हैं तख्तियां हैं। ‘मोदी शाह गो बैक’, ‘संविधान बचाओ देश बचाओ’ आदि गूूंज रहे हैं।

इस प्रदर्शन में देश की सेक्युलर, लेफ्ट जैसी एक विचारों वाली पार्टियां एकजुट होकर नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ उठ खड़ी हुई हैं।

कांग्रेस, एनसीपी, सीपीआई, जेडीयू ,सीपीएम, एसपी आदि राजनीतिक दलों के साथ कई गैर राजनीतिक संस्थाएं कॉलेज के स्टूडेंट और सिने जगत सेे भी जुड़े लोग इस प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे हैं।

इस विरोध प्रदर्शन में ऐक्टर डायरेक्ट फरहान अख्तर और शिबानी दांडेकर भी शामिल हैं।

इस कानून के खिलाफ दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, और अहमदाबाद जैसे कई शहरों में भारी विरोध प्रदर्शन हो रहा है

गुजरात से खबर है कि अहमदाबाद के शाह आलम इलाके में हिंसा की गतिविधियां देखी गई हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक उपद्रवियों ने पुलिस की गाड़ियों पर पथराव भी किया है।

वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र के पुणे में नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में बीजेपी से जुड़ी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने मोर्चा निकाला खबरों के मुताबिक इसमें काफी स्टूडेंट्स ने भाग लिया।

हालांकि पुणे में ही इसके पूर्व भीम आर्मी बहुजन  एकता मिशन व मूलनिवासीमुस्लिम मंच ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया था।