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उद्घाटन में दिखा उत्तर कोरिया का शासक किम जोंग, स्वास्थ्य को लेकर लग रही थीं अटकलें

किम के स्वास्थ्य को लेकर पिछले दिनों से चल रही अटकलों के बीच उत्तर कोरिया ने अपने शासक किम जोंग उन की एक उद्घाटन समारोह की तस्वीरें जारी कर इनपर विराम लगाने की कोशिश की है। जो तस्वीरें जारी की गयी हैं, उनमें किम स्वस्थ दिख रहे हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन इन तस्वीरों और वीडियो में एक खाद बनाने वाली फैक्ट्री के उद्घाटन समारोह में फीता काटते और अन्य गतिविधि करते दिख रहे हैं। उनके साथ उत्तर कोरिया के कुछ अधिकारी भी दिख रहे हैं।

पिछले करीब १५-२० दिन से उन के स्वास्थ्य को लेकर अटकलें चल रही थीं, हालांकि,  अमेरिकी प्रशासन ने अपनी सूचनाओं के आधार पर इन अटकलों को गलत बताया था , हालांकि अमेरिका की एक न्यूज एजेंसी सीएनएन ने व्हाइट हाउस के एक अधिकारी के हवाले से ही एक रिपोर्ट में दावा किया था कि किम जोंग उन की हालत ख़राब है खराब है। उन्होंने एक सर्जरी करवाई है जिसके बाद उनकी हालत बिगड़ गई है।

हालंकि, खुद उत्तर कोरिया की तरफ से एक भी स्पष्टीकरण नहीं आया था। अब कोरिया सरकार ने यह वीडियो और तस्वीरें जारी की हैं। उत्तर कोरिया की सरकारी न्यूज एजेंसी केसीएनए के मुताबिक किम ने खाद बनाने वाली एक फैक्ट्री के उद्घाटन   समारोह में हिस्सा लिया।

उनके स्वास्थ्य को लेकर तब अफवाहों को हवा मिली जब किम जोंग १५ अप्रैल को अपने दादा किम सुंग द्वितीय की सालगिरह के मौके पर नहीं दिखे थे। याद रहे १५  अप्रैल को नॉर्थ कोरिया में बहुत अहम दिन माना जाता है और उस दिन वहां राष्ट्रीय अवकाश होता है। वैसे उन इससे पहले १२ अप्रैल को एक कार्यक्रम में जरूर दिखे थे।

राखी कारोबार पर कोरोना का असर

कोरोना वायरस के कहर को देखते हुये सरकार ने देशव्यापी  लाँकडाउन को 17 मई तक फिलहाल जारी रखने का फैसला किया है। ऐसे में उन व्यापारियों ने सरकार से अपील की है। जो राखी का कारोबार करते आ रहे थे। व्यापारियों का कहना है, कि   देश में रक्षाबंधन का त्यौहार आ रहा है। जो बडे ही हर्ष ओर उत्साह के साथ मनाया जाता है। जिसमें छोटे ओर बडे व्यापारी रक्षाबंधन में राखियों का काम देशव्यापी स्तर पर करते है। कम से कम उन व्यापारियों के हित को लेकर सरकार को कोई ऐसी योजना तो बनाती थी । जिससे वे राखी के कारोबार को आसानी से कर सकें।

बताते चले रक्षाबंधन का पर्व आगामी 3 अगस्त को है।इस पर्व को लेकर ऱाखी का धंधा करने वाले व्यापारी 4 – 5 महीने पहले से ही काम करने लगते थे। लेकिन इस बार व्यापारियों को आने –जाने में दिक्कत होने को कारण उऩ्हें काफी परेशानी का सामना करना पड रहा है।राखी का व्यापार करने वाले रामकिशोर ने बताया कि सालों से राखी  बनाने का कच्चा –पक्का माल चीन से आता रहा है। पर इस बार कोरोना वायरस के कारण जो वैश्विक महामारी ने पूरी दुनिया में जो तांडव मचाया है उससे कारोबार ओर आथिर्क व्यवस्था पर जो चोट लगी है। वो व्यापारियों के लिये सबसे ज्यादा दुखदायी रही है।

भारत देश में चीन से राखियां का व्यापार काफी बडा होता रहा है। पर अब तो पूरी तरह बंद होने के कारण यहां के व्यापारियों को सरकार को विशेष बढावा देने का प्रयास करना चाहिये ।उऩ्होंने बताया कि शहर –शहर ओर गांव-गांव में राखी- डोरा का काम करने वाले ओर स्वारोजगार के तहत काम करने वालों को राखी के काम में लगे , महिलाओं ओर पुरूषों को विशेष छूट आने-जाने की मिलनी चाहिये । ताकि लोगों का रोजगार आसानी चलता रहे।

सदर बाजार के व्यापारी हेमन्त कुमार ने बताया कि पूरे देश में दिल्ली से राखी ओर राखी बनाने का सामान राखी के पर्व के 4 -5 महीने पहले ही जाता रहा है क्योंकि होली के त्यौहार के बाद राखी का पर्व ही देश में आता है। पर इस बार लाँक डाउन ओर कोरोना महामारी के कारण अभी तक इस काम को शुरू तक नहीं किया है। ऐसे में व्यापारियों के सामने संकट है। कि काम शुरू करें या ना करें । करें तो, किस स्तर पर करें। क्योंकि कोरोना का कहर कब तक थमता है ऐसे तमाम सवाल उनके मन में है । ऐसे में राखी का कारोबार करने वाले काफी असमंजस में है। कि इस बार राकी का कारोबार करें या नहीं।क्योंकि चीनी सामान ओर चीनी व्यापार अब तो पूरी तरह से ठप्प है।

गौरतलब है कि राखी का कारोबार भारत देश में एक तरह से बडे कारोबार में शामिल रहा है। जो त्योहार के एक महीने पहले से ही बाजारों में धूम मचाने लगता था । जिसमें सभी वर्ग के लोगों को आसानी से काम मिल जाता रहा है। पर इस बार उम्मीद कम ही दिख रही है।

यूपी में रैंडम सैंपल में कोरोना पॉजिटिव से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप

उत्तर प्रदेश मे कोरोना संक्रमित मरीज रैंडम सैंपल परीक्षण में सामने आ रहे हैं। इससे स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। पहले से सील और चिह्नित क्षेत्रों के बाहर रैंडम केस मिलना परेशानी का कारण बन सकता है। अब तक मथुरा में दो केस रैंडम सैंपल के दौरान पाए गए हैं। दोनों का यात्रा इतिहास नहीं होने से संक्रमण कैसे फैला यह पहेली बन गया है।
स्वास्थ्य विभाग ने दोनों परिवारों के सदस्यों समेत कई के सैंपल लिए हैं। फिलहाल दोनों के परिजन क्वारंटाइन कर दिए हैं। दोनों संक्रमित अपने परिवार के साथ रह रहे थे। पहला केस 22 अप्रैल को बलदेव के गांव सेहत में निकला था। यहां रहने वाला ग्रामीण आगरा में सब्जी विक्रेता है। आए दिन आगरा आवाजाही होती थी।
बता दें कि यूपी में आगरा हॉट स्पॉट है। सबसे ज़्यादा केस यहीं से आये हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सब्जी विक्रेता का रैंडम सैंपल लिया। दो दिन बाद आई रिपोर्ट में सब्जी विक्रेता कोरोना पॉजिटिव पाया गया। इसके बाद सब्जी विक्रेता के परिवार के साथ आसपास के लोगों के सैंपल लेकर क्वारंटाइन कर दिया गया है।
अब पूरे गांव में सर्वे कर लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया। वहीं गांव छटीकरा क्षेत्र निवासी 24 वर्षीय महिला का रैंडम सैंपल भी कोरोना पॉजिटिव निकला, इससे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी परेशान हैं। बताया जाता है कि महिला का यात्रा इतिहास नहीं होने से संक्रमण कैसे फैला यह पहेली बन गया है।

लॉक डाउन १७ मई तक बढ़ा, गाईड लाइन जारी

देश में लॉक डाउन दो हफ्ते के लिए बढ़ा दिया गया है। अब यह १७ मई तक जारी रहेगा। गृह मंत्रालय ने इसके दृष्टिगत गाइड लाइन जारी की हैं। इसमें छूट ग्रीन जोन, यलो जोन और रेड जोन के आधार पर मिलेगी।

गृह मंत्रालय ने एक प्रेस रिलीज में बताया कि सेना  कोविड -१९ के योद्धाओं का सम्मान करेगी। लॉक डाउन बढ़ने के लिए पूरे दिशा निर्देश गृह मंत्रालय से जल्दी ही आएंगे। इस तरह लॉक डाउन २ हफ्ते के लिए बढ़ाया गया है।

देश भर के कुछ जोन में कुछ छूट देने का फैसला किया गया है। सरकार ने नई गाइड लाइन जारी कर दी है।  इसके मुताबिक देश में लॉकडाउन दो सप्ताह के लिए बढ़ा दिया गया है। ग्रीन और ऑरेंज जोन में थोड़ी राहत दी जाएगी लेकिन रेड जोन में फिलहाल किसी तरह की राहत नहीं दी जाएगी। आगे चलकर सरकार की योजना है कि चरणबद्ध तरीके से इस लॉकडाउन में जनता को धीरे-धीरे राहत दी जाएगी।

इसके मुताबिक रेड जोन में कई तरह के प्रतिबंध होंगे। यहां साइकल रिक्शा, ऑटो रिक्शा, टैक्सी और कैब सेवा नहीं उपलब्ध होगी। यहां एक जिले से दूसरे जिले के बीच बस सेवा भी बंद रहेगी। स्पा, सलून और नाई की दिखाने नहीं खुलेंगी।

गाइड लाइन में कहा गया है कि पूरे देश में रेल, एयर, मेट्रो सेवा और एक राज्य से दूसरे में आवागमन बंद रहेगा। स्कूल, कॉलेज और एजुकेशनल संस्थान भी नहीं चलेंगे।

कहा गया है कि ऑरेंज जोन में टैक्सी और कैब सेवा को अनुमति दी जाएगी लेकिन ड्राइवर के साथ एक यात्री ही सफर कर सकेगा। लेकिन किसी भी जोन में जिम, स्कूल, कॉलेज और सिनेमा हॉल नहीं खुलेंगे।

इसके मुताबिक छूट के मद्देनजर ग्रीन और ऑरेंज जोन में ई-कॉमर्स को मंजूरी दी गई है। इन जोन में गैर-जरूरी सामानों की ऑनलाइन डिलीवरी पर छूट दी गई है। इसके साथ ही ग्रीन जोन में ५० फीसदी सवारी लेकर बसें चलाने की अनुमति दी गई है।  ग्रीन जोन में बस डिपो में ५० फीसदी कर्मचारी ही काम करेंगे।

कोरेंटांइन से घर पहुंची तो घर लुटा पाया

14 दिन के कोरेंटांइन के बाद घर लौटी रुखसाना शेख को उस वक्त बड़ा सदमा पहुंचा जब उन्होंने अपने घर का ताला बदला पाया। जैसे तैसे ताला खोलकर भीतर गई अपने परिवार के साथ तो पाया कि उनके घर में चोरी हुई है।

रुखसाना बताती हैं कि इस बाबत उन्होंने स्थानीय पुलिस को जानकारी दी है लेकिन फिलहाल उन्हें कोई मदद नहीं मिल पाई है, रुखसाना बताती हैं कि उनके घर से गैस सिलेंडर, टीवी , नये कपड़े और तकरीबन 4 तोले की सोने चांदी वस्तु आदि गायब हैं। टीवी उन्होंने दिवाली में खरीदी थी उसके महीने का ईएमआई भर रही हैं।

इस बाबत उन्होंने अपने पड़ोसी और दूसरों से भी जानकारी लेने की कोशिश की लेकिन उनके हाथ कोई सुराग नहीं लगा। रुखसाना अपने परिवार के साथ पाटिल स्टेट गली नंबर 5 में रहती हैं।

रुखसाना के भाई के पॉजिटिव पाए जाने के बाद उनके और उनके परिवार को कोरेंटांइन के लिए अस्पताल भेज दिया गया। वह बताती हैं कि अस्पताल जाना जल्दबाजी में हुआ।

सारे देश में लाकडाउन का दौर चल रहा है उन्हें विश्वास था इस दौरान उनका घर सुरक्षित ही रहेगा लेकिन जब आज वह पहुंची है तो वह पूरी तरह से सदमे में हैं । उनके पिता का दूसरे अस्पताल में इलाज चल रहा है।

वह कहती हैं मेरे पास खाने के लिए कुछ नहीं है । घर में जो कुछ जमा पूंजी थी बची हुई वह चोरी हो गई है। मेरे बच्चे हैं, हम कैसे गुजारा करेंगे। रुखसाना बताती हैं कि फिलहाल उनके पास पैसे नहीं है।

कोरोना वायरस से लड़ने आरोग्य सेतु हथियार बनाएगी सरकार

कोरोना वायरस से लड़ने एवं संक्रमितों का पता लगाने के लिए आरोग्य सेतु एप को सरकार एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने का मन बना चुकी है।खबरों के अनुसार सरकार ने बड़ा निर्णय लेते हुए आरोग्य सेतु एप को सभी सेेलफ़ोन में अनिवार्य रूप से इनस्टॉल कराए जाने का फैसला किया है।

अब यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि भविष्य में जितने भी मोबाइल फ़ोन आएंगे उसमे यह एप पहले से ही इनस्टॉल किया हुआ मिलेगा। इसी के साथ फोन को इस्तमाल करने से पहले इसमें सारी जानकरी देनी होगी उसके बाद ही फोन एक्टिव होगा। सरकार ने इस आदेश को पालन करने और कंपनियों से बात करने के लिए नोडल अफसर अपांइंट कर दिए हैं। सबंधित अफसर मोबाइल कंपनियों से बात कर सुनुश्चित करेंगे की यह हििंदुस्तान में बनने वाले सभी सेलफ़ोन में आरोग्य सेतु एप इनबिल्ड फ़ीचर के तौर पर रहें। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि आरोग्य सेतु एप स्किप ऑप्शन के तौर पर न रहे । सरकार के दिए आदेश के अनुसार अब मार्केट में आने वाले सभी नए मोबाइल फ़ोन के इस्तमाल से पहले यूजर को आरोग्य सेतु एप में जानकारी भरना पड़ेगा। ऐसा न करने पर यूजर मोबाइल इस्तमाल नहीं कर पाएगा।

कोरोना वायरस और लोगों को संक्रमितों से बचने के लिए बनाए गए इस एप को अभी तक साढे सात करोड़ लोगों ने डाउनलोड किया है सरकार के इस निर्णय बाद इसमें और अधिक तेजी आएगी।

आरोग्य सेतु ऐप’ के जरिए आप कोरोना वायरस के जोखिम, प्रसार, उपचार सहित कई बातों को जान सकते हैं। ब्लूटूथ और जीपीएस के द्वारा इस एप का इस्तेमाल किया जा सकता है।

ऐसे करें ऐप डाउनलोड : इस ऐप को आप आईओएस और एंड्रॉयड दोनों पर ही डाउनलोड किया जा सकता है। एंड्रायड के प्ले स्टोर और आईओएस के एप स्टोर में जाकर आरोग्य सेतु (Aarogya Setu) टाइप करें। जिसके बाद आप इसे आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।

ऐसे पता करे ​कोरोना संक्रमण : *इस* ऐप में आप रंग के कोड्स के आधार में जान पाएंगे कि आप खतरे में है या नहीं।

हरा रंग : यदि आपको हरा रंग दिखाई देता है तो समझ लें कि आप सुरक्षित हैं। लेकिन इससे आगे बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा खयाल रखें।

पीला रंग: यदि आपको पीला रंग दिखाई देता है तो इसका मतलब है कि आप बहुत जोखिम में हैं। और तुरंत एप में दिए हुए हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें।

ऐसे करें जांच खुद : आरोग्य सेतु ऐप में जाकर ‘ सेल्फ एसेसमेंट टेस्ट’ के फीचर का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके ऑप्शन में जाकर क्लिक करें। जहां पर एक चैट विंडो खुलेगी। जिसपर आपसे कुछ हैल्थ संबंधी सवाल पूछे जाएंगे। जिनका जवाब देकर आप आसानी से जान सकते हैं कि आप कोरोना से संक्रमित हैं या नहीं। इस ऐप के जरिए आप खुद कोरोना के प्रति सावधान रख सकते हैं

मजदूर दिवस पर मजदूरों को काम की तलाश

आज 1 मई है , मजदूर दिवस है । कहने को तो संविधान ने मजदूरों वो अधिकार दिये है। जो देश के हर एक नागरिक को मिले है। सही मायने में सुविधायें ओर वे अधिकार दिये है, जिनके वो सही मायने में हकदार है? तहलका संवाददाता ने मजदूरों ओर उनके परिजनों से उनके अधिकारों को जानना चाहा, तो उन्होंने साफ कहा कि हर साल मजदूर दिवस पर कार्यक्रम कर मजदूरों के अधिकारों की बडी – बडी बातें की जाती रही है। पर इस बार कोरोना वायरस के कहर के कारण सोशल डिस्टेंसिंग को मैनटेन करने के लिये वो भी बातें नहीं की गई है।मजदूरों से जब जानना चाहा तो कि वो किस प्रदेश के है ।तो उऩ्होंने साफ कहा कि वो भारत देश के है। जहां पर काम मिल जाये ओर भूखा ना रहना पडे, वहीं के है। मजदूर गोपाल दास ओर उनके साथी धांसू राम ने बताया कि आज भले ही देश में लाँक डाउन है ओर सरकार भोजन की व्यवस्था भी करवा रही है, पर मजदूरों को क्या मानवीय दिक्कत है । उस पर ना तो सरकार का कोई प्रतिनिधि हाल जानने आया ओर ना कोई सरकारी कर्मचारी, ऐसे में खासकर मजदूरों को काफी दिक्कत का सामना करना पड रहा है।मजदूर घनश्याम अपने परिवार के साथ गत 3 साल से दिल्ली में मजदूरी कर अपने परिवार का भरणपोषण करते आ रहे थे। ओर जब भी कोई परिजन बीमार हो जाता था। तो सरकारी अस्पताल में आसानी से ईलाज करवा लेते रहे है।पर अब एक महीने से कोरोना वायरस का कहर ओर लाँक डाउन के कारण ना तो काम मिला ओर ना ही बीमार पडे परिजनों का ईलाज हो सका है।ऐसे हालात में आशा ओर निराशा के बीच में एक बात का इंतजार कर रहे कि कब लाँक डाउन खुले ओर काम मिलें।

मजदूर यूनियन के पदाधिकारी सोहन सिंह ने बताया कि मजदूरों के अधिकारों ओर असंगठित मजदूरों के लिये तामाम यूनियनें काम कर रही है। पर दुर्भाग्य से कुछ यूनियन वाले ही मजदूरों के साथ अन्याय कर जाते है । इसके कारण मजदूर कई बार अपने आप को ठगा सा रह जाता है।सोहन सिंह का कहना है कि पूंजीवांदी सिस्टम में कई बार यूनियन के लोग मजदूरों के विरोध में दलीलें देते है ओर पूंजीपतियों के साथ खडें दिखते है।ऐसे में मजदूरों के साथ में अगर कोई खडा होता है तो उसका पसीना ओर उसकी कमरतोड मेहनत ।

मजदूरों को इस आर्थिक युग में अपनी बात रखने के लिये कई बार सोचना पडता है कि उनके साथ हो रहे अन्याय पर कोई न्याय मिलेगा । ऐसे हालात में मजदूर सिर्फ ठगा सा ओर लाचार सा मजबूरी बस मजदूरी करने को तैयार रहता है।मजदूरों का कहना है कि सरकार ओर अफसर सही मायने में ठान लें कि मजदूरों के साथ किसी प्रकार का कोई अन्याय नहीं हो सकता है। पर सरकार ओर अफसर खुद पूंजीपतियों के साथ मिले होते है। तो ऐसे में मजदूरों को कैसे न्याय मिल सकता है।

ऐसे में मजदूर सिर्फ काम ओर काम के साथ रोजी- रोटी की तलाश में ही रहता है।

मजदूरों का कहना है कि इस बार ये दुखद भी है ओर सुखद भी है। कि कोरोना के कारण हुये लाँक डाउन के कारण कोई दिलासा ओर झूठा आश्वासन नेताओं ने कार्य़क्रम कर नहीं दिये गये है ।जो सालों -साल से देते आ रहे थे।

राष्ट्रपति चुनाव में मतदान नहीं कर पाएगा केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर, आरटीआई में खुलासा

जम्मू और कश्मीर, जिसका अब केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा है, राष्ट्रपति चुनाव में मतदान नहीं कर पाएगा। इसका खुलासा सूचना के अधिकार (आरटीआई) से हुआ है। कारण है संविधान के अनुच्छेद 54 में इस बाबत संशोधन नहीं किया जाना। जम्मू कश्मीर में धारा 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म कर राज्य का विघटन करके 5 अगस्त, 2019 को जम्मू कश्मीर (विधानसभा सहित) और लद्दाख ( विधानसभा नहीं ) के रूप में दो केंद्रशासित प्रदेश बनाए गए थे।

हमारे पास भारत के चुनाव आयोग के एक आरटीआई कार्यकर्ता, अशोका  विश्वविद्यालय में राजनीतिक विज्ञान के छात्र, शुभम खत्री, के पूछे गए सवाल के जवाब की प्रति है। इसमें आवेदक ने (1) उन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की सूची मांगी थी जो भारत के राष्ट्रपति के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल (इलेक्टोरल कॉलेज) का हिस्सा हैं और (2) क्या जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की विधान सभा भारत के राष्ट्रपति के चुनाव के लिए हिस्सा है या नहीं।

भारत के निर्वाचन आयोग ने 19 मार्च, 2020 को अवर सचिव और सीपीआईओ, प्रफुल्ल अवस्थी के हस्ताक्षर के तहत संदर्भ संख्या 4/ ईसीआई/एलडब्यूईटी/एफयूएनसी/आरटीआई/बीआईईएन/2020 में आवेदक को सूचित करते हुए भारत के संविधान के अनुच्छेद 54 का संदर्भ दिया। खत्री का कहना है कि चुनाव आयोग का जवाब हमेशा की तरह अस्पष्ट है, लेकिन यह भी मुख्य बिंदु को स्पष्ट रूप से साबित करता है।

भारत के संविधान के अनुच्छेद 54 का अध्ययन करें तो यह मुद्दा स्पष्ट हो जाता है। अनुच्छेद 54 राष्ट्रपति के चुनाव से संबंधित है। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल के सदस्य करेंगे: जिसमें (क) संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और (ख) राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य हैं।

स्पष्टीकरण: इस अनुच्छेद में और अनुच्छेद 55 में, “राज्य” में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी शामिल हैं।

वास्तव में विधि और न्याय मंत्रालय के विधायी विभाग ने संविधान संशोधन विधेयक में संलग्न विषयों और कारणों के विवरण में स्पष्ट किया था कि “वर्तमान में राष्ट्रपति के चुनाव से संबंधित अनुच्छेद 54 एक निर्वाचक मंडल उपलब्ध कराता है, जिसमें केवल  संसद (लोकसभा और राज्यसभा) और राज्यों की विधानसभाओं (केंद्र शासित प्रदेशों नहीं) के चुने हुए सदस्य हैं। इसी तरह अनुच्छेद 55 इस तरह के चुनाव के लिए राज्यों की विधानसभाओं की बात करता है।

तदनुसार अनुच्छेद 54 में स्पष्टीकरण देने के लिए अनुच्छेद 54 और 55 में राज्यों को संदर्भित करने के लिए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए इलेक्टोरल कॉलेज के गठन के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और केंद्रशासित प्रदेश पांडिचेरी को शामिल करने की मांग की गई है। यह अनुच्छेद 239ए के प्रावधानों के तहत पुडुचेरी और अनुच्छेद 239एए के तहत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की यूटी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों को निर्वाचक मंडल में जोड़ेगा।

भारत के राष्ट्रपति के चुनाव के लिए केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की विधान सभा इलेक्टोरल कॉलेज का हिस्सा क्यों नहीं है, यह बात सवाल उठाती है? क्या यह केवल इसलिए है क्योंकि सरकार के पास ऐसा करने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं है,  क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 368 में स्पष्ट उल्लेख है कि अनुच्छेद 54 में संशोधन के लिए संसद में दो तिहाई बहुमत के साथ 50 प्रतिशत से अधिक राज्यों के समर्थन की आवश्यकता है जैसा कि दिल्ली और पुडुचेरी के इलेक्टोरल कॉलेज के गठन को चुनावी कॉलेज का हिस्सा बनाने के लिए 1992 में संवैधानिक संशोधन अधिनियम के मामले में किया गया था।

महाराष्ट्र दिवस पर चीफ मिनिस्टर उद्धव ठाकरे को मिली राहत! 21 मई को मुंबई में होंगे चुनाव

महाराष्ट्र दिवस के मौके पर राज्य के चीफ मिनिस्टर उद्धव ठाकरे के लिए राहत भरी खबर है कि इलेक्शन कमिशन ने सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए राज्य में विधान परिषद की खाली सीटों पर चुनाव कराने की इजाजत दी है।

अब राज्य में विधान परिषद के चुनाव 21 मई को मुंबई में होंगे।

महामारी के मद्देनजर इलेक्शन कमिशन ने पहले ही राज्यसभा चुनाव, उपचुनाव और निकाय चुनाव को स्थगित कर दिया है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र के मंत्रिमंडल ने नौ अप्रैल को सिफारिश की कि विधान परिषद में गवर्नर की ओर से मनोनीत सदस्यों में ठाकरे को शामिल किया जाए।

आज एक मई महाराष्ट्र दिवस के मौके पर सीएम उद्धव ठाकरे ने गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी से तकरीबन 20 मिनट की मीटिंग की। दो दिन पहले सीएम उद्धव ठाकरे ने खुद को मनोनीत करने को लेकर गवर्नर के फैसले पर असमंजस के बीच पीएम नरेंद्र मोदी से इस मसलेे पर हस्तक्षेप करने की गुजारिश की थी। ठाकरे ने मोदी को फोन पर बताया था कि राज्य में राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने की कोशिशें की जा रहीं हैं। सीएम का कहना था कि कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में राजनीतिक अस्थिरता ठीक नहीं है।

महाराष्ट्र विधान परिषद में कुल 78 सीटें हैं जिसमें गवर्नर 12 लोगों को मनोनीत करते हैं। संविधान के _अनुच्छेद 171 के तहत गवर्नर विशेष ज्ञान या साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारी आंदोलन या समाज सेवा में व्यवहारिक अनुभव रखने वाले को सदन के सदस्य के तौर पर नामित कर सकते हैं।_ महाराष्ट्र में गवर्नर के कोटे से अभी दो सीटें रिक्त हैं।

इलेक्शन कमिशन ने सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए महाराष्ट्र में विधान परिषद की खाली सीटों पर चुनाव कराने की इजाजत दी है। कोरोना वायरस से जूझ रहे महाराष्ट्र चीफ मिनिस्टर उद्धव ठाकरे के लिए महाराष्ट्र दिवस के मौके पर यह खबर राहत भरी है है

कोरोना-लॉकडाउन पर प्रधानमंत्री ने बुलाई बैठक

कोरोना वायरस के संकट और सवा महीने से चल रहे लॉकडाउन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 01 मई को भी एक बैठक बुलायी है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली यह बैठक काफ़ी अहम बतायी जा रही है। दरअसल, यह लॉकडाउन के दूसरे चरण के ख़त्म होने से पूर्व लॉकडाउन की समीक्षा बैठक है।
विदित हो कि लॉकडाउन का यह दूसरा चरण रविवार यानी 3 मई को ख़त्म होने जा रहा है। वहीं देश में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ता जा रहा है, जिसके मरीज़ों का आँकड़ा 35 हज़ार से ऊपर जा चुका है। केंद्र सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती बनकर खड़ा कोरोना वायरस का बढ़ता संक्रमण है, जिसे रोकना अति आवश्यक है। ऐसे ही कुछ पहलुओं पर प्रधानमंत्री ने बैठक से पहले सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात भी बातचीत की।
बैठक में कोरोना वायरस से निपटने की रणनीति में कुछ बदलाव के संकेत दिये गये हैं। बता दें कि लॉकडाउन खोलने के लिए देश को तीन जोन में बाँटा जा चुका है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे ग्रीन जोन और रेड जोन के हिसाब से बाँटा है और इन जोनों की लिस्ट नये पैमाने के आधार पर जारी की है। 3 मई के बाद की लिस्ट के लिए 130 ज़िले रेड जोन में, 284 ज़िले ऑरेंज जोन में, जबकि 319 ज़िले ग्रीन जोन में रखे गये हैं। ख़ास बात यह है कि देशभर के सभी मेट्रो शहर रेड जोन में ही रहेंगे। वहीं, ग्रीन जोन में उन ज़िलों को रखा गया है, जहाँ 21 दिन से कोरोना वायरस के संक्रमण का कोई नया मामला नहीं आया है। इससे पहले उन ज़िलों को ग्रीन जोन में रखा गया था, जहाँ 28 दिन से कोरोना वायरस के संक्रमण का कोई नया मामला सामने नहीं आया था। बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रेल मंत्री पीयूष गोयल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, सीडीएस जनरल बिपिन रावत समेत ख़ास अधिकारी मौजूद रहे।