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तेलंगाना लौट रहे श्रमिक, स्पेशल ट्रेन रवाना

कोरोना वायरस के चलते अचानक हुए लॉकडाउन से दूसरे राज्यों में फँसे श्रमिकों को अब वहीं छटपटाहट होने लगी है, जहाँ वे कमा खा रहे थे। कारण, काम-धन्धा बन्द होने के साथ-साथ मकान का किराया भरने का बोझ और खाने के लिए दाने-दाने को तरसना है। हालाँकि कुछ राज्यों ने प्रवासी श्रमिकों, जिनमें अधिकतर मज़दूर हैं; के खाने की व्यवस्थाएँ की हैं। इसी बीच तेलंगाना सरकार ने प्रवासी श्रमिकों की घरवापसी की व्यवस्था करने में सफलता पायी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय से अनुमित मिलने के बाद तेलंगाना सरकार ने अपने यहाँ फँसे श्रमिकों को ट्रेन के द्वारा भेजना शुरू कर दिया है। इस पहल में तेलंगाना से एक 24 कोच वाली ट्रेन झारखंड के लिए रवाना कर दी गयी है। यह श्रमिक तेलंगाना के लिंगमपेल्ली में फँसे थे, जिन्हें उनके घर पहुँचाने के लिए यह स्पेशल ट्रेन चलायी गयी है। बताया जा रहा है कि यह ट्रेन आज रात यानी 01 मई को झारखण्ड पहुँच जाएगी।
इस ट्रेन को आज ही यानी 01 मई की सुबह 5 बजे तेलंगाना के लिंगमपेल्ली से रवाना किया गया था और यह आज ही रात क़रीब 11 बजे झारखण्ड के हतिया स्टेशन पहुँचेगी। इस स्पेशल ट्रेन को राज्य सरकार की केंद्र से विशेष अपील पर चलाया गया है। राज्य के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि ट्रेन में प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा से लेकर कोरोना वायरस की महामारी को ध्यान में रखते हुए सभी तरह के नियमों का पालन किया गया है। अगर अन्य किसी ट्रेन को चलाने की ज़रूरत पड़ी तो राज्य सरकार और रेल मंत्रालय के निर्देश के बाद ही सेवा शुरू की जाएगी। वहीं झारखण्ड सरकार का कहना है कि राज्य के लगभग 9 लाख लोग दूसरे राज्यों में फँसे हैं। इनमें क़रीब 6 लाख 43 हज़ार मज़दूर हैं और शेष लोग नौकरीपेशा तथा व्यवसायी आदि हैं।
बता दें कि यह ट्रेन केवल तेलंगाना सरकार के प्रयास से ही नहीं चली है, बल्कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने राज्य के श्रमिकों की वापसी के लिए स्पेशल ट्रेन चलाने की माँग रेलमंत्री पीयूष गोयल से की थी।

राहुल गांधी ने अर्थव्यवस्था पर पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन से चर्चा की

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरूवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन से विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की, जिनमें कोविड-१९ के चलते लगे  लॉकडाउन से उपजी देश की अर्थव्यवस्था और गरीबों, मजदूरों, माध्यम वर्ग की हालत मुख्य है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक गांधी ने रघुराम राजन से बातचीत के दौरान देश की अर्थव्यवस्था की भविष्य की चुनौतियों और उपाय के बारे में चर्चा की और जानकारी ली। इस अवसर पर राजन ने कहा कि लॉकडाउन हमेशा के लिए जारी नहीं रखा जा सकता और अब आर्थिक गतिविधियों को खोलने की जरूरत है ताकि लोग अपना काम-धंधा फिर शुरू कर सकें। हालांकि उन्होंने कहा कि यह कदम उठाते हुए बहुत सावधानी की जरूरत रहेगी।

अर्थव्यवस्था के गहरे जानकार राजन ने कहा कि कोविड-१९ से निपटने के लिए भारत जो कदम उठाएगा, उसके लिए पैसे (बजट) की एक सीमा है। राजन का मानना है कि वर्तमान में गरीबों की मदद सबसे जरूरी है, जिसके लिए सरकार के करीब ६५  हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। राजन ने कहा – ”हम इसका प्रबंध कर सकते हैं क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था २०० लाख करोड़ रुपये की है।”

राजन ने कहा कि वैश्विक मंच पर भारत एक बड़ी भूमिका निभा सकता है। शक्तिहीन लोगों को शक्तिशाली नेता अच्छा लगता है, हम एक विभाजित समाज के साथ कहीं नहीं पहुंच सकते हैं।

रघुराम ने कहा – ”आज स्वास्थ्य, नौकरी के लिए अच्छी व्यवस्था करने की जरूरत है।

मुझे लगता है ग्लोबल आर्थिक सिस्टम में कुछ गलत तो है। लोगों के पास नौकरी नहीं और जिनके पास है उनको आगे की चिंता है। आय का असमान वितरण हो रहा है लिहाजा अवसरों का सही वितरण करना होगा। इस समय भारत के लिए अपने इंडस्ट्री को आगे बढ़ाना मौका है।”’

आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा – ”हमारे पास लोगों के जीवन को बेहतर करने का तरीका है। फूड, हेल्थ एजुकेशन पर कई राज्यों ने अच्छा काम किया है, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती निम्न माध्यम वर्ग और माध्यम वर्ग के लिए है जिसके पास अच्छे रोजगार  नहीं होंगे।”

उन्होंने लॉकडाउन के बाद भारत के संदर्भ में अब तक आई आंकड़ों को चिंताजनक बताया और कहा कि अगर सीएमआईई (सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी) के आंकड़े देखें तो कोविड-९ के कारण १० करोड़ और लोगों से रोजगार छिन गया है।  हमें अर्थव्यवस्था को ऐसे खोलना होगा कि लोग फिर काम पर लौट सकें।”

उन्होंने यह भी चिंता जाहिर की कि यदि लॉक डाउन लंबा खींचता है तो इससे गरीबों के लिए भुखमरी जैसी स्थिति बन सकती है। लिहाजा इसके लिए समय रहते कदम उठाने जरूरी हैं।

घर – गांव जाने की स्वीकृति मिलने से खुश है मजदूर और छात्र

विषम परिस्थितियों में आम जन- मानस इस कदर टूटने लगता है। कि उसे उन दिनों में अपने ही याद आते है । ऐसा ही आज- कल कोरोना वायरस के कहर के कारण, लाँक डाउन के दौरान लोगों में जो झटपटाहट घर-गांव अपनों के बीच जाने की देखी गई है । लेकिन वो लाँकडाउन के कारण अपने घरों में ना जा सकें।  लाचार व बेबस होने के कारण अपने आप को ओर सरकार तंत्र को कोसते रहे है।समय – समय पर वे आवाजें भी उठातें रहे है, कि उन्हें घर –गांव जाने की इजाजत मिलनी चाहिये ओर सरकार इस के लिये वाहनों का पुख्ता इंतजाम करें।अन्यथा वो लाँक डाउन का उल्लघंन कर अपने रास्ते जाने को मजबूर होगें।

सरकार ने ऐसे में उन मजदूरों ओर छात्रों की आवाजों के दर्द को जाना ओर इस के लिये स्वीकृति ही प्रदान कर दी ।गृह मंत्रालय से जाने की स्वीकृति मिलने के बाद तहलका संवाददाता ने मजदूरों ओर छात्रों से संपर्क किया तो उनकी खुशी का ठिकाना ही नहीं था।

उन छात्रों ने आप बीती बताते हुये कहा कि लाँक डाउन के दौरान उन्हें सही मायने में वो शिक्षा मिल गयी है। जो उन्हें यूं ही ना मिलती। जैसे विषम परिस्थिति में घरों में रहना ओर खाना -पीना की व्यवस्था करना आदि । राजस्थान के धौलपुर के पवन यादव जो दिल्ली में रह कर सी.ए की पढाई कर रहे है। उन्होंने  धौलपुर जाने के काफी सिफारिश भी लगाई थी । पर कोई सिफारिश काम ना आ सकीं , पर आज वो काफी खुश है। कि सरकार ने आखिरकार घर जाने वालों के लिये रास्ता खोल ही दिया है।यही हाल उत्तर – प्रदेश के वनारस के जुगल ओर विवेक का है। वे दिल्ली में पढाई के साथ –साथ बच्चों को घर –घर में टयूशन पढाते थे। लेकिन कोरोना के कहर ओर टयूशन बंद होने के कारण उनको काफी दिक्कत आने लगी थी । ऐसे हालात में उन्होनें अपने घर जाने के लिये तामाम प्रयास भी किये थे । लेकिन वो पुलिस के पहरे ओर डर के कारण ना जा सकें थे। पर अब वो घर जाने की खुशी में गदगद है।छात्रों ने बताया कि सरकार ने जो भी गाइड लाइन निर्धारित की है। उसका वो पूरी तरह से पालन करेंगें। बिहार के रवि रंजन ने बताया कि उन्होंने आज ही दिल्ली स्थित  बिहार राज्य के आँफिस में संपर्क कर घर जाने के  लिये अपनी बात रखी है। ताकि किसी प्रकार की कोई दिक्कत आगे ना  हो।रहा सवाल मेडिकल जांच को तो वो करवाने को तैयार है।

यही हाल मध्य- प्रदेश और बिहार के मजदूरों का है उनका कहना है कि सरकार ने देर से ही सही पर मजदूरों की आवाज को सुना है।मध्य- प्रदेश के मजदूर रतन जो सागर जिले के रेहली के रहने वाले है उनका कहना है कि सरकार ने मजदूरों के साथ धोखा दिया है क्योंकि जब मजदूरों के पास कुछ पैसा था तब वो घर नहीं जाने दिया , अब पैसा भूख के कारण खर्च हो गया तो जाने की अनुमति दें रहे है। बिहार के उमदा कुमार का कहना है कि सरकार ने बीमारी के नाम पर मजदूरों को आर्थिक रूप से बीमार कर दिया है । ना काम अब शहरों में बचा है ना गांवों में ऐसे हालात में गरीब –मजदूर भूख के कारण तडपेंगा।मजदूरों ने सरकार से अपील की है कि जब 4 मई के बाद गरीब – मजदूर अपने – अपने घरों को जाने को मजबूर होगा तब उसे कुछ पैसा दिया जाये अन्यथा सब अनर्थ हो जायेगा क्योंकि मजदूरों के पास अब पैसा नहीं बचा है।

मौजूदा हालात में हर कोई जो देश के अन्य राज्यों में फंसा है चाहे वो कोई भी काम करता हो वो अब हर हालत में अपने घर –गांव आने को तैयार है ओर सरकार की जो भी शर्ते है उन्हें मानने को भी तैयार है।

सड़क के रास्ते पंजीकरण के बाद भेजे जाएंगे प्रवासी मजदूर

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को प्रवासी मजदूर व अन्य को अपने गृह राज्य में भेजे जाने को लेकर दिशा-निर्देश को लेकर स्पष्ट किया है। लॉकडाउन के कारण विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों व छात्रों और अन्य को सड़क के रास्ते से ही राज्य सरकारें अपने-अपने सूबों में ले जाने के लिए बसों की व्यवस्था करेंगे। इसके लिए पहले पंजीकरण करना होगा साथ ही नोडल अधिकारी भी तैनात करने होंगे।
गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने बताया कि सभी राज्यों को इससे जुड़े आदेश दिए जा चुके हैं। सड़क मार्ग द्वारा ही प्रवासियों को उनके गृह स्थान भेजा जाएगा। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं होनी चाहिए साथ ही जरूरी एहतियात बरतने होंगे।
मंत्रालय की ओर से जारी दिशा-निर्देशों के मुताबिक, इसमें तमाम सावधानी बरतनी होंगी। मसलन, जिन बसों से प्रवासियों को ले जाया जाएगा उन्हें पूरी तरह से सैनिटाइज किया जाएगा। जितने भी राज्यों से होकर बसें गुजरेंगी, वहां की सरकारें विशेष तौर पर पास करने की अनुमति देंगी। स्थानीय अधिकारियों को पहले प्रवासियों की जांच करनी होगी।
पहुंचने के बाद अगर अधिकारियों को लगता है कि संबंधित व्यक्ति को संस्थागत क्वारंटीन केंद्र में रखने की आवश्यकता नहीं है तो उसे होम क्वारंटीन पर भेज दिया जाएगा। 14 दिन तक हर दिन निगरानी की जाएगी साथ ही जांच की भी व्यवस्था करनी होगी।

ऋषि कपूर पंचतत्व में विलीन

मशहूर अभिनेता ऋषि कपूर, जिन्हें प्यार से चिंटू कहा जाता था, का आज शाम मुंबई के मरीन लाइंस के चंदनवाड़ी इलाके के इलेक्ट्रिक शवदाह गृह पर अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस तरह हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का यह ”लवर बॉय” पंचतत्व में विलीन हो गया।

उनके अंतिम संस्कार के वक्त १५ लोगों को शामिल होने की इजाजत मिली थी, हालांकि इससे ज्यादा लोग वहां पहुंचे और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन किया गया। सभी ने मास्क लगा रखे थे और शमशान घाट परिसर को पूरी तरह सेनेटाइज किया गया था। इनमें उनकी पत्नी नीतू कपूर, पुत्र रणवीर कपूर, भाई रणधीर कपूर, राजीव कपूर, रीमा जैन, फिल्म कलाकार और रणवीर की निकट मित्र आलिया भट्ट, करीना कपूर और सैफ अली खान, अभिषेक बच्चन, ऐश्वर्य बच्चन, अरमान जैन, राहुल रवैल, अयान मुखर्जी के अलावा उद्योगपति अनिल अंबानी भी उपस्थित थे।

ऋषि का शव अस्पताल से सीधे शमशान घाट लाया गया। उनकी पार्थिव देह करीब ३.३५ बजे अस्पताल से निकली। शमशान घाट पर अंतिम संस्कार की पूरी तैयारी कर ली गयी थी।

ऋषि का शव अस्पताल से सीधे शमशान घाट लाया गया। उनकी पार्थिव देह करीब ३.३५ बजे अस्पताल से निकली। शमशान घाट पर अंतिम संस्कार की पूरी तैयारी कर ली गयी थी। करीब ४ बजे उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

खबर के मुताबिक ऋषि कपूर की बेटी रिद्धिमा कपूर साहनी अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए प्राइवेट जेट से मुंबई जा सकती हैं, लेकिन निर्धारित ३ बजे तक वे मुंबई प्रशासन को कन्फर्म नहीं कर पाई थीं। उन्हें और चार अन्य परिजनों को दिल्ली पुलिस ने मुंबई जाने के लिए पास जारी किया है। खबर थी कि उन्हें सड़क से मुंबई जाना पड़ेगा।
सुबह उनके निधन की खबर सुनते ही अस्पताल के बाहर बड़ी संख्या में लोग जुट गए थे, लेकिन मुंबई पुलिस ने सभी को वापस भेज दिया। चिंटू के अंतिम वक्त में उनके साथ पत्नी नीतू, बेटे रणवीर समेत पूरा परिवार मौजूद था।

जाने माने अभिनेता ऋषि कपूर (६७) का गुरूवार सुबह निधन हो गया। तबीयत खराब होने के बाद उन्हें बुधवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनका इलाज़ मुंबई के एचएन रिलायंस अस्पताल में चल रहा था। उनका जन्म ४ सितम्बर, १९५२ को हुआ था। उनकी पहली फिल्म ”बॉबी” थी। वैसे उससे पहले उन्होंने ”मेरा नाम जोकर” में अपने पिता राज कपूर के बचपन का किरदार निभाया था। इससे पहले वे  ”श्री ४२०” में छोटे बच्चे के रूप में नजर आ चुके थे।

कोविड-19 : भारत में अब तक 33 हज़ार 50 मामलों की पुष्टि

भारत में कोरोना वायरस (कोविड-19) लगातार बढ़ता जा रहा है। देश में अब तक 33 हज़ार, 50 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। इसके अलावा 1074 लोगों की अब तक मौत हो गयी है। वहीं 8325 लोग ठीक हो गये हैं। वहीं 23 हज़ार 651 लोगों का इलाज चल रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी आँकड़ों के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में 1,718 नये मामले सामने आये हैं, जबकि 67 लोगों की मौत हो चुकी है।
दिल्ली में अब तक कोरोना वायरस के 3,439 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से 1,092 लोग स्वस्थ हो चुके हैं, जबकि 56 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, हरियाणा के झज्जर में कोरोना वायरस के 10 नये मामले सामने आये हैं। चिकित्सालय की एक रिपोर्ट के मूताबिक, हरियाणा में 330 कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में 255 लोग ठीक हो गये हैं। हरियाणा के झज्जर में 10 कोरोना पॉजिटिव केस सामने आए हैं। बताया जा रहा है कि इनमें नौ मामले सब्जी विक्रेताओं में मिले हैं। उत्तर प्रदेश में अब तक कुल 2,134 मामले कोरोना वायरस के सामने आये हैं, जिनमें 510 मरीज़ों के स्वस्थ होने की ख़बर है। वहीं 39 लोग मौत के मुँह में समा चुके हैं। वहीं, महाराष्ट्र में कोरोना वायरस संक्रमण के अब तक 9,318 मामले सामने आ चुके हैं। राज्य में कुल 400 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है। राज्य के पुणे ज़िले में केवल 12 घंटे में कोरोना वायरस के 127 नये मरीज़ मिले हैं। इससे पुणे में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 1,722 हो गयी है। वहीं, गुजरात में भी कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। वहाँ 29 अप्रैल को 308 नये मामले पॉजिटव मिले थे। इसके साथ ही गुजरात में कोरोना संक्रमितों की संख्या चार हज़ार से अधिक हो चुकी है। वहीं, 197 लोगों की मौत चुकी है। यहाँ अभी तक कुल 527 मरीज़ स्वोस्थस हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक, अकेले अहमदाबाद शहर में अब तक 2,777 कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की पुष्टि हो चुकी है, जो गुजरात के हर शहर से अधिक हैं।

ऋषि कपूर का निधन

बॉलीवुड को लगातार दूसरे दिन बड़ा धक्का लगा जब जाने माने अभिनेता ऋषि कपूर का गुरूवार को निधन हो गया। तबीयत खराब होने के बाद उन्हें बुधवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन आज उनका निधन हो गया।

इरफान खान की मौत से अभी बॉलीवुड उभरा भी नहीं था कि बॉलीवुड के मशहूर  एक्टर ऋषि कपूर ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया। अमिताभ बच्चन ने अपने ऑफिशियल  ट्विटर हैंडल पर ट्वीट कर के इस बारे में जानकारी दी है। बिग बी ने ट्वीट करते हुए लिखा – ”वो चले गए। ऋषि कपूर चले गए। मैं खत्म हो गया हूं !”

ऋषि की बुधवार को तबीयत अचानक ज्यादा खराब हो गई जिसके बाद उन्हें अस्पताल में दाखिल करवाया गया था। उनका इलाज़ मुंबई के एचएन रिलायंस अस्पताल में चल रहा था। इसी हॉस्पिटल में उन्होंने आखिरी सांस ली।
उनका जन्म ४ सितम्बर, १९५२ को हुआ। उनकी पहली फिल्म ”बॉबी” थी जबकि उससे पहले उन्होंने ”मेरा नाम जोकर” में अपने पिता राज कपूर के बचपन का किरदार निभाया था। मेरा नाम जोकर भी ऋषि की पहली फिल्म नहीं थी। इससे पहले वह ”श्री ४२०” में छोटे बच्चे के रूप में नजर आ चुके थे, जिसकी शूटिंग के लिए नरगिस को ऋषि को बहुत सी चॉकलेट देकर मनाना पड़ा था। बालक ऋषि फिल्म के गाने ‘प्यार हुआ इकरार हुआ’ में भाई रणधीर कपूर और रीमा के साथ पैदल चलते नजर आते हैं।

 राज कपूर ने ऋषि कपूर को लांच करने के लिए ”बॉबी” बनाई थी।

”बॉबी” की जबरदस्त सफलता के बाद ऋषि ९० से ज्यादा फिल्मों में रोमांटिक रोल करते नजर आए। नीतू कपूर के साथ ऋषि की जोड़ी को बेहद पसंद किया गया। खासतौर पर युवा इस जोड़ी के दीवाने थे। दोनों ने कई फिल्में की और अधिकांश सफल रही। साल २०१२ में आई फिल्म ”अग्निपथ” में ऋषि ने विलेन की भूमिका निभाई। वे खोज में भी नकारात्मक किरदार निभा चुके थे।

 ऋषि और उनके बेटे रणबीर ने अपनी पहली फिल्मों में तौलिया गिराने का दृश्य किया है। अमर अकबर एंथोनी भी उनकी एक बड़ी फिल्म थी। उनके निधन पर बॉलीवुड ने गहरा अफ़सोस जताया है।

सीबीएसई के १०वीं और १२वीं के बाकी बचे पेपर होंगे, दस दिन पहले दी जाएगी सूचना

कोरोना के चलते लॉकडाउन ने ज़िंदगी को तो घरों में समेट ही दिया है, छात्रों की भी अग्नि परीक्षा चल रही है। अब सीबीएसई ने छात्रों की १०वीं और १२वीं की परीक्षाओं को लेकर कहा है कि दसवीं और १२वीं के पेपर लॉकडाउन और स्थिति के हिसाब से तय होंगे और पेपर कब होंगे इसकी जानकारी दस दिन पहले दे दी जाएगी।

सीबीएसई सचिव अनुराग त्रिपाठी ने बुधवार को कहा कि पहली अप्रैल के सर्कुलर के मुताबिक १०वीं और १२वीं के पेपर लॉकडाउन और स्थिति के हिसाब से तय होंगे। उनके मुताबिक १०वीं बोर्ड और १२वीं की परीक्षा की बाकी बचे परीक्षा ली जाएंगी।  पहले यह खबर आई थी कि १०वीं के बाकी बचे पेपर नहीं होंगे।

हालांकि, सीबीएसई  वेबसाइट के मुताबिक दोनों की कक्षाओं के बाकी बचे पेपर होंगे और परीक्षा से १० दिन पहले इसकी सूचना जारी कर दी जाएगी। हालात सामान्य होते ही कॉपियों के जांचने का काम शुरू हो जाएगा। सीबीएसई के मुताबिक, कॉपियां जांचने और रिजल्ट के आने में अभी कम से कम ढाई महीने लगेंगे। सबकुछ लॉकडाउन की स्थिति पर निर्भर करेगा।

त्रिपाठी के मुताबिक जो छात्र एनईईटी, जेईई या ऐसे किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं उन्हें परेशान नहीं होना चाहिए। ये सभी एग्जाम भी कैंसिल हैं। १२वीं की परीक्षा और नतीजों से पहले इनके होने की संभावना नहीं है। सीबीएसई अध्यापकों को ऑनलाइन शिक्षा के दौरान रचनात्मकता को बढ़ाने की सलाह दे रहा है ताकि बच्चे तनावग्रस्त न हों। पैरेंट्स भी घर पर इसे दूर करने में मदद करें।

मुझे यकीन है कि मैं हार चुका हूं

‘मुझे यकीन है कि मैं हार चुका हूं’, ये दिल को छू लेने वाले शब्द दुनिया के महान कलाकार इरफान खान ने 2018 में न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर कैंसर से इलाज के दौरान कहे थे। उनकी रग-रग में एक्टिंग का खून दौड़ रहा था। आंखों से अदायगी करने वाले शायद वे इकलौते कलाकार थे। उनका यूं असमय महज 54 की उम्र में चले जाना हर एक्टिंग प्रेमी को अखर रहा है।
अभी चार दिन पहले ही इरफान साहब की मां सईदा बेगम का इंतकाल जयपुर में हो गया था। लाॅकडाउन के चलते बेटा इरफान मुंबई में रहते हुए पवित्र रमजान में मां के जनाजे को कांधा नहीं दे सका था। शायद मां से जन्नत में उनको मिलने की जल्दी थी, इसलिए वीडियो काॅल के जरिये ही नेकदिल इंसान ने उनको सुपुर्द-ए-खाक किया था। इससे अलग फिल्म हिंदी मीडियम की सफलता के बाद इरफान साहब ने कहा था-अभी तो कई आसमान छूने हैं।
बाॅलीवुड में वैसे तो कई दिग्गज खान हैं, पर इरफान का जवाब नहीं। इनकी अपनी अलग पहचान थी। फिल्मी इतिहास में उनका मुकाम ताकयामत कायम रहने वाला है। हासिल, पान सिंह तोमर, मकबूल, हिंदी मीडियम, पीकू, लंच बाॅक्स जैसी लंबी सूची है फिल्मों की, जिसमें उन्होंने अपने किरदार को जिंदा करते हुए एक्टिंग का लोहा मनवाया। 2011 में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया था।
‘पान सिंह तोमर’ के इंतकाल की खबर मिलते ही सोशल मीडिया में आरआईपी इरफान की खबरों की मानो सुनामी आ गई। हर कलाकार प्रेमी गमगीन होकर उनको अपने अंदाज में याद कर रहा है, साथ ही उनके बोले डायलाॅग भी शेयर किये जा रहे हैं। मसलन- कौन कहता है कि मौत आई तो मर जाऊंगा, मैं तो दरिया हूं समंदर में उतर जाऊंगा।
फिल्म पान सिंह तोमर का उनका यह डायलाॅग हमेशा याद किया जाएगा-बीहड़ में तो बागी, डकैत पार्लियामेंट में रहते हैं। इसके अलावा ‘शराफत की दुनिया का किस्सा ही खतम, अब जैसी दुनिया वैसे हम।’ एक और उनकी जुबां से बोला गया डायलाॅग- ‘एक बात सुन लेओ पण्डित, तुमसे गोली-वोली न चल्लई, मंतर फूंक के मार देओ स्साले।’
सोशल मीडिया में अपने चहेते कलाकार को कुछ यूं याद किया। पत्रकार शकील अख्तर लिखते हैं-कुछ एक्टर ऐसे होते हैं कि लगते हैं बड़े बदमाश हैं। चरित्र में इतना घुसकर एक्टिंग करते हैं कि लगता है कि हिलाकर रख देंगे। इन्हें न देखना ही अच्छा है। अनुराग वत्स ने लिखा-तुम्हारा लंच बाॅक्स मिस करूंगा।
अरमान आसिफ इकबाल लिखते हैं-‘वह इंतजार चला गया। ऐसा लग रहा है कोई अपना चला गया। एक पिक्चर खत्म होती थी तो दूसरी फिल्म का इंतजार रहता था। सोचते थे अगली बार क्या नया लाने वाले हैं।’ एक अन्य कलाकार प्रेमी लिखते हैं-भरोसा नहीं हो पा रहा…इरफान।
एन राम ने फेसबुक में लिखा-‘बाॅलीवुड ने अपना सबसे कीमती हीरा खो दिया। उनके कद का अभिनेता नहीं देखा। उन्होंने बताया कि शारीरिक भाव-भंगिमाओं से भी अभिनय किया जा सकता है।’ जेब अख्तर ने लिखा-‘बंदा चला गया, जिद्दी था, खुद को मनवाकर ही गया।’

ट्रक से टकरायी रोडवेज बस, 27 घायल

अयोध्या में एक रोडवेज बस दुर्घटनाग्रस्त हो गयी है। इस बस में सवार लोगों में 27 लोग घायल हुए हैं, जिनमें कई की हालत गम्भीर बतायी जा रही है। यह बस प्रयागराज से 25 छात्र-छात्राओं को लेकर कुशीनगर जा रही थी। अयोध्या में यह दुर्घटनाग्रस्त हो गयी। बस में सवार पुलिसकर्मी और ड्राइवर सहित सभी 25 छात्र-छात्राएँ घायल हुए हैं।
सूत्रों के मुताबिक, बस की दुर्घटना तड़के क़रीब चार बजे हुई थी। यह दुर्घटना बस के एक ट्रक में टकराने से हुई है। कुछ छात्रों के मुताबिक, बस ड्राइवर को नींद की झपकी आ रही थी। तड़के सुल्तानपुर में कुछ देर बस रुकी भी थी। लेकिन दोबारा चलकर जब अयोघ्या में पहुँचे, तो आगे जा रहे ट्रक को ओवरटेक करते समय बस का पिछला हिस्सा ट्रक से टकरा गया, जिससे बस बुरी तरह दुर्घटनाग्रस्ट हो गयी।
बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर उत्तर प्रदेश के उन छात्र-छात्राओं को उनके गृह स्थान लाया जा रहा है, जो दूर-दराज के महाविद्यालयों-विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। लॉकडाउन के चलते हॉस्टल आदि में फँसे छात्र-छात्राओं को उत्तर प्रदेश सरकार उनके घर तक सुरक्षित पहुँचाने का प्रयास कर रही है। अयोध्या में रोडवेज बस की दुर्घटना की ख़बर पाते ही, अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज झा और वरिष्ठ पुलिस आधिकारी मौक़े पर पहुँचे और घायलों के इलाज का प्रबन्ध कराया। इनमें से कुछ छात्र-छात्राएँ तो सुरक्षित हैं, मगर कुछ का इलाज चल रहा है। बताया जा रहा है कि इन छात्र-छात्राओं को गहरी चोटें आयी हैं। इनमें से गम्भीर रूप से घायल 11 छात्र-छात्राओं को ज़िला अस्पताल रेफर कर दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, बस ड्राइवर और दो छात्राओं की हालत बेहद नाज़ुक बनी हुई है। बस ड्राइवर का घुटना टूट गया है। फ़िलहाल सामान्य घायल छात्र-छात्राओं को दूसरी बस से कुशीनगर भेज दिया गया है।