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भारत में कोविड-19 मामले 37 लाख के पार

कोविड-19 मरीजों की अब तक की कुल संख्या देश में 37 लाख के पार चली गयी है। रोजाना के मामले भी रेकॉर्ड तोड़ रहे हैं जबकि अब तक मरने वालों की संख्या  66,333 हो चुकी है।

स्वास्थ्य मंत्रालय रोज सुबह 24 घंटे के मामलों की जानकारी देता है। इसके मुताबिक देश भर में अब तक 37,69,524 लोग संक्रमित हुए हैं। आज सुबह तक 24 घंटे में देश में कोरोना के 78,357 नए मामले सामने आए और 1045 लोगों की जान चली गयी। देश में अब तक 29,019,09 मरीज ठीक होकर घर गए हैं जबकि आज की तारीख में सक्रिय मामलों की संख्या 8,01,282 है।

देश में कोरोना से अब तक 66,333 लोगों की जान जा चुकी है। आईसीएमआर के मुताबिक पहली सितंबर तक टेस्ट किए गए सैंपल की कुल संख्या 4,43,37,201 है, जिसमें 10,12,367 सैंपल का टेस्ट मंगलवार को हुआ था। भारत की कोविड19 रिकवरी 27 लाख से ज्यादा है। रिकवरी रेट 76.28 फीसदी हो गया है। एक्टिव केस कुल कोविड मामलों का करीब 21.90 फीसदी है जबकि रिकवरी एक्टिव केस का करीब 3.5 गुना हैं।

उधर गोवा के मुख्यमंत्री के अलावा भाजपा के उत्तर प्रदेश उपाध्यक्ष विधायक पंकज सिंह भी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। पंकज सिंह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे हैं। दोनों ने खुद इसकी जानकारी दी है।

मध्यप्रदेश उपचुनाव में भाजपा राम के सहारे तो कांग्रेस विकास के सहारे चुनाव मैदान में

मध्यप्रदेश विधानसभा के उपचुनाव को लेकर फिलहाल अभी कोई तारीख व अधिसूचना जारी नहीं हुई है।लेकिन मध्यप्रदेश पूरे चुनावी रंग में रंगने लगा है। उपचुनाव 27 सीटों पर होना है। मध्यप्रदेश के नेताओं ने तहलका संवाददाता को बताया कि इस बार चुनाव परिणाम चौकानें वाले होगे। जिस प्रकार प्रदेश की राजनीति में उठापटक का दौर चल रहा है । एक पार्टी से दूसरी पार्टी में नेताओं का आना –जाना लगा है। सरकार भी जोड-तोड कर बनाई गई है।इससे इस बार जनता का रूख सियासतदाँनों को उलझाकर ऱखा है। चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है।

बताते चले इस बार अभी से भाजपा राम मंदिर के सहारे चुनाव मैदान में जा रही है। इसी क्रम में भाजपा ने सुरखी विधान सभा में राम शिला के साथ क्षेत्र का दौरा किया । भाजपा के नेताओं का कहना है कि राम मंदिर को लेकर भाजपा ने जो जनता से वादा किया था उसका निर्माण कार्य जारी है । यानि राम मंदिर बनना है। मध्य –प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में भाजपा राम के सहारे चुनाव मैदान में होगी। वैसे भाजपा के नेताओं का कहना है कि भाजपा ने प्रदेश में विकास के काम किये है। जब से कांग्रेस का दामन छोड ज्योतरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल हुये है । तब से भाजपा मजबूत हुई है। जिसका भाजपा को लाभ मिलेगा।

वहीं  कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि भाजपा अपने प्रचार –प्रसार में कितनी ही दावे करें। पर देश में भाजपा के शासन काल में कोरोना महामारी में उसकी पोल खुल गयी है। प्रदेश में  मार्च –अप्रैल में जब कोरोना बढने लगा था । उसी समय भाजपा आला कमान कांग्रेस की चुनी हुई सरकार को गिराने में लगी थी  । जिससे जनता में भाजपा की नीतियों का विरोध है और यहां की जनता होने वाले उपचुनाव में भाजपा को जनता सबक सिखाएंगी ।क्योंकि कोरोना महामारी को रोकने में प्रदेश सरकार पूरी तरह से असफल रही है । सरकार कोई काम करने से बचने के लिये कोरोना बीमारी के होने का भय दिखा कर काम नहीं कर रही है । जिससे जनता परेशान है। प्रदेश के युवा नेता रमेश शर्मा का कहना है, कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिहं कह चुके है कि ज्योतरादित्य सिधिंया के भाजपा में जाने से कांग्रेस कमजोर नहीं बल्कि मजबूत हुई है। उनका कहना है कि भाजपा इस बार राम मंदिर के सहारे चुनाव मैदान में जा रही है, तो जाये । पर जनता तो कांग्रेस के साथ ही जायेगी ।मध्य- प्रदेश के लोगों का कहना है कि इस बार का उपचुनाव जरूर फंसा हुआ है। क्योंकि कोरोना काल में जिस प्रकार जनता परेशान हो रही है उस पर ना तो केन्द्र सरकार और ना ही प्रदेश सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही लोगों के सामने रोजगार और रोजी –रोटी का संकट है। मध्य –प्रदेश की राजनीति के जानकार राजेश शर्मा का कहना है कि मध्य –प्रदेश भोगोलिक स्थिति से तो बडा है पर आर्थिक स्थिति से कमजोर है । तो ऐसे में यहां की जनता चाहती है कि अब लोगों की आर्थिक स्थिति सुधरें। रहा सवाल कौन नेता किस पार्टी में जा रहा है और आ रहा है तो इससे कोई विशेष असर नहीं पडता है । क्योंकि ये तो राजनीति का अंग है । मौजूदा दौर में प्रदेश की राजनीति जरूर गरम है पर मतदाता मौका को देख नरम बना हुआ है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद डाक्टर कफील जेल से रिहा

इलाहाबाद हाई कोर्ट के मंगलवार के आदेश के बाद जेल में बंद उत्तर प्रदेश के डाक्टर कफील खान को रिहा कर दिया गया है। उनके खिलाफ सरकार ने जो राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगाया था, उसे हाई कोर्ट ने मंगलवार के अपने फैसले में निरस्त कर दिया था। कफील को सीएए के खिलाफ आंदोलन के दौरान भड़काऊ भाषण का आरोप लगाकर जेल में डाल दिया गया था।

कफील को कोर्ट के आदेश के कुछ घंटे के बाद बुधवार आधी रात जेल से रिहा किया गया। मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनपर एनएसए लगाकर जेल में डालने और उनकी हिरासत और बाद में उसकी अवधि को बढ़ाने को गैरकानूनी बताते हुए उन्हें तुरंत रिहा करने के आदेश दिए थे।

कफील के वकील के मुताबिक मथुरा जेल प्रशासन ने रात करीब 11 बजे उन्हें सूचित किया कि कफील को रिहा किया जा रहा है। रात करीब 12 बजे उन्हें रिहा कर दिया गया। वकील ने कोर्ट में बताया था कि कफील के खिलाफ लगाए गए आरोप सीडी में अपलोड किए गए थे, लेकिन जेल में उन्हें ऐसी कोई सुविधा नहीं दी गई, जिससे कि वो सीडी देखी जा सके। न ही उन्हें आरोप की कोई तहरीर दी गई।  ऐसे में कफील खान को इसका पता ही नहीं चला कि उनके खिलाफ बुनियादी आरोप क्या हैं।

कल जब कोर्ट के आदेश के बाद भी जेल प्रशासन ने उन्हें रिहा नहीं किया था तो उनके परिवार ने कहा था कि वो इलाहाबाद कोर्ट में जेल के खिलाफ कोर्ट की अवमानना की याचिका दाखिल करेंगे। परिवार ने अभी भी कफील को फिर किसी आरोप में फंसाने की साजिश की आशंका जताई है।

कफील की रिहाई पर मां नुज़हत परवीन ने खुशी जताए है। कफील ने जेल से रिहा होने के बाद कहा हमारे धर्मग्रंथों में लिखा है कि शासक को राज धर्म का पालन करना चाहिए, लेकिन उनके मामले में ऐसा नहीं हुआ। उलटे उन्हें बेबजह प्रताड़ित किया गया और उनके खिलाफ निराधार आरोप लगये गए।

रिहाई के बाद कफील ने अदालत का भी शुक्रिया अदा किया और कहा कि वह उन तमाम शुभचिंतकों के भी हमेशा आभारी रहेंगे जिन्होंने उनकी रिहाई के लिए आवाज उठाई। हालांकि, उन्होंने यह भी आशंका जताई है कि सरकार उन्हें फिर किसी मामले में फंसा सकती है। कफील के मुताबिक वो अब बिहार और असम के बाढ़ ग्रस्त इलाकों में जाकर पीड़ित लोगों की मदद करना चाहते हैं।

भाजपा के मंडल और जिला अध्यक्षों में सिफारिशी नेताओं को मौका , कार्यकर्ताओं में नाराजगी

आगामी दिल्ली नगर निगम के चुनाव को लेकर भाजपा ने भले ही अभी से चुनावी तैयारी कर दी हो , पर पार्टी में अब सब कुछ ठीक नहीं चल कहा है।  तहलका संवाददाता को भाजपा के असंतुष्ट कार्यकर्ताओं ने बताया कि पार्टी प्रदेश इकाई में भाई –भतीजा वाद को महत्व दिया जा रहा है।

ताजा ,ताजा मामला ये है कि अभी हाल ही में प्रदेश नेतृत्व ने जिला और मंडल अध्यक्षों के नामों की घोषणा की थी । ताकि नये पदाधिकारी पार्टी में जी –जान से मेहनत कर दिल्ली नगर निगम के चुनाव में मेहनत करें । लेकिन नये नामों की घोषणा के बाद से ही जमीनी कार्यकर्ताओं में ये आवाज उठ रही है कि प्रदेश अध्यक्ष ने नये पदाधिकारियों को लेकर कोई विशेष मेहनत नहीं की है बस उन नामों पर मुहर लगाई है । जिसके नामों पर पार्टी के पदाधिकारियों ने सिफारिश की है, या तेज तर्रार निगम पार्षदों के कहने पर पदों का वितरण किया है।जमीनी नेताओं का कहना है कि,  दिल्ली नगर निगम के चुनाव 2022 में है । अगर कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और सम्मान ना किया गया तो पार्टी को दिल्ली नगर के चुनाव में चौंका लगानें में  दिक्कत होगी।भाजपा के कार्यकर्ताओं का कहना है कि इसी साल दिल्ली विधानसभा के चुनाव में भाजपा बुरी तरह से चुनाव हार गई थी, हार के बाद मंथन बैठक में ये बात उभर कर सामने आयी थी कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को 5 साल तक लगातार कोसने से कुछ नही होगा, भाजपा को जमीनी स्तर पर काम करना होगा और जमीनी स्तर के नेताओं को पार्टी में अहम् जिम्मेदारी देनी होगी।  जब दिल्ली प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष पद पर आदेश गुप्ता को बैठाया गया था तब दिल्ली के भाजपा के कार्यकर्ताओं को साफ संदेश गया था कि अब जमीनी नेताओं को अवसर मिलेगा पर नया कुछ नहीं हुआ बल्कि पुराने ढर्रे पर ही मंडल अध्यक्षों और जिला अध्यक्षों को जिम्मेदारी सौंपी गई। यानि सिफारिशी नेताओं को पार्टी में जगह दी गई।  जमीनी नेता जगदीश का कहना है कि सन् 1993 के बाद से भाजपा दिल्ली में सरकार बनाने में इस लिये असफल रही है जब चुनाव आते है तब पार्टी जमीनी नेताओं की उपेक्षा कर उन नेताओं को महत्व देती है जिनका पार्टी में कभी कोई अहम् रोल नहीं रहा है। जिसके कारण पार्टी चुनाव हार जाती है। पार्टी को स्थानीय स्तर पर  और लोगों के बीच जाकर काम करने वाले राकेश कुमार का कहना है कि मंडल और जिला अध्यक्षों के नामों पर  पार्टी ने नेता गौर करें तो ये बात सामने आयेगी कि दूसरे राजनीतिक दलों पर भाई- भतीजा बाद का आरोप लगाने पार्टी भी उसी रास्ते पर जिसका वह विरोध करती है। अगर यही हाल रहा तो दिल्ली नगर निगम के चुनाव में दिक्कत हो सकती है।

प्रणब दा पंचतत्व में विलीन

पूर्व राष्ट्रपति और देश की राजनीति की एक अज़ीम हस्ती भारत रत्न प्रणब मुखर्जी मंगलवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। उनका सोमवार को सेना के अस्पताल में निधन हो गया था, जहाँ वे करीब 20 दिन से इलाज के लिए भर्ती थे। उनकी हालत दिन प्रतिदिन खराब होती गयी। आज उनके आवास पर देश के तमाम बड़े नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

प्रणब दा का अंतिम संस्कार लोधी रोड स्थित शवदाह गृह में तमाम नियमों का पालन करते हुए करीब 2 बजे हुआ। इस अवसर पर उनके कई निकट परिजन और परिवार के करीबी उपस्थित थे। मुखर्जी (84) को इससे पहले गार्ड आफ ऑनर से सैन्य विदाई दी गयी। उनकी इसी महीने ब्रेन सर्जरी हुई थी जबकि वो कोरोनावायरस से भी पीड़ित पाए गए थे।

उनके निधन के बाद केंद्र सरकार और कई राज्य सरकारों ने सात दिनों के आधिकारिक शोक दिवस की घोषणा की है। बांग्लादेश सरकार ने भी एक दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया है। प्रणब मुखर्जी के पार्थिव शरीर को आज सुबह 10 राजाजी मार्ग, दिल्ली स्थित उनके आावास पर लाया गया जहां राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत तमाम बड़ी हस्तियों ने उन्हें अंतिम विदाई दी।

रक्षा मंत्रालय ने सोमवार शाम एक बयान जारी कर अंतिम संस्कार के दौरान  कोविड-19 प्रोटोकॉल के चलते पूर्व राष्ट्रपति के पार्थिव शरीर को गन कैरिज के बजाय हर्स वैन यानी शव वाहन में ले जाने की बात कही थी। अंतिम संस्कार लोधी रोड के शवदाहगृह पर किया गया। उनके सम्मान में 31 अगस्त से 6 सितंबर तक राजकीय शोक रहेगा। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को देशभर में नियमित रूप से जिन भवनों पर फहराया जाता है, वहां इसे आधा झुकाकर रखा जाएगा और कहीं भी आधिकारिक तौर पर कोई जश्न का कार्यक्रम नहीं होगा।

कश्मीर में सीआरपीएफ में पहली महिला आईजी बनीं चारू सिन्हा

आतंकवाद से लंबे समय से जूझ रहे कश्मीर में पहली बार महिला आईपीएस अधिकारी को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल श्रीनगर सेक्टर के महानिरीक्षक (आईजी) के पद पर नियुक्त किया गया है। जहां उनकी तैनाती की गई है, वो इलाका जम्मू-कश्मीर में सबसे ज़्यादा आतंक प्रभावित क्षेत्रों में से एक है।
आईपीएस अधिकारी चारू सिन्हा को अप्रैल 2018 में सीआरपीएफ बिहार सेक्टर की आईजी नियुक्त किया गया था। इससे पहले वह तेलंगाना पुलिस में निदेशक एसीबी के पद पर तैनात थीं।
सीआरपीएफ-श्रीनगर सेक्टर ब्रेन निशात क्षेत्र में है। इसने 2005 में काम करना शुरू कर दिया था। सीआरपीएफ के श्रीनगर सेक्टर में प्रदेश के तीन जिले बडगाम, गांदरबल और श्रीनगर आते हैं, जिनमे बडगाम सर्वाधिक आतंकवाद प्रभावित इलाकों में से एक है। साथ ही लद्दाख भी सीआरपीएफ के इसी सेक्टर में आता है। इसमें दो रेंज, 22 कार्यकारी इकाइयां और तीन महिला कंपनियां शामिल हैं। इन इलाकों में आतंकियों के खिलाफ होने वाले सभी ऑपरेशन में चारू सिन्हा हेड करेंगी।
1996 बैच की तेलंगाना कैडर की तेजतर्रार आईपीएस अधिकारी चारू सिन्हा इससे पहले बतौर आईजी, सीआरपीएफ बिहार में काम कर चुकी हैं। इस दौरान उन्होंने नक्सलियों के खिलाफ बेहतरीन तरीके से अपनी ड्यूटी निभाई। उनके नेतृत्व में कई  नक्सल विरोधी अभियान चलाए गए। बाद में उन्हें सीआरपीएफ, जम्मू में बतौर आईजी स्थानांतरित कर दिया गया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कफील खान को जमानत दी, एनएसए गलत, रिहा होंगे

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी (एनआरसी) आंदोलन के दौरान कथित भड़काऊ भाषण देने के आरोपी जेल में बंद डॉ. कफील खान को हाईकोर्ट से जमानत मिल गयी है और उन्हें रिहा करने के आदेश दिए गए हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कफील पर यूपी सरकार के लगाए गए एनएसए को भी गलत बताते हुए इसे हटा दिया है। यही नहीं अदालत ने उन्हें जेल में डालने को भी गलत बताया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि कफील को जेल में डालना भी बुरा था। अदालत ने उन्हें तुरंत रिहा करने के भी आदेश दिए हैं। उन्हें कथित रूप से सीएए के विरोध के बीच 13 दिसंबर, 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में जनवरी में मुंबई से गिरफ्तार किया गया था।

मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने कफील खान की मां नुजहत परवीन की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर यह फैसला मंगलवार को दिया। याद रहे 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से कफील खान की मां की अर्ज़ी पर 15 दिन में फैसला लेने को कहा है। कफील अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों के दौरान भड़काऊ बयान देने के आरोप में एनएसए के तहत जेल में बंद हैं। उनके ऊपर तीन बार एनएसए बढ़ाया गया है।

बता दें कफील की पत्नी ने ट्विटर पर अपने पति की रिहाई को लेकर 4 अगस्त को एक मुहिम चलाई थी, जिसे लोगों का काफी समर्थन मिला था। कफील की पत्नी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कफील के समर्थन में गुहार भी लगाई थी।

दूरदराज क्षेत्र के डॉक्टरों को पीजी दाखिले में विशेष आरक्षण दे सकते हैं राज्य : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में दूरदराज के इलाकों में काम करने वाले डॉक्टरों को पीजी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए विशेष आरक्षण देने को मंजूरी दे दी। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने फैसले में कहा कि राज्यों के पास आरक्षण संबंधी विशेष प्रावधान बनाने के लिए विधायी अधिकार है।
संविधान पीठ ने कहा, भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) का नियम मनमाना व असंवैधानिक है। एमसीआई संवैधानिक संस्था है और आरक्षण संबंधी प्रावधान बनाने का उसे कोई अधिकार नहीं है, जबकि राज्य सरकार संविधान और राज्य सूची के तहत ऐसा करने को अधिकृत है। ऐसे में एमसीआई राज्यों की ओर से तय आरक्षण पर पाबंदी नहीं लगा सकती है।
शीर्ष अदालत ने कहा, अगर कोई प्रदेश ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में सेवा करने वाले डॉक्टरों के लिए आरक्षण तय करते हैं, तो वह विधायी अधिकार है। पीठ ने यह फैसला तमिलनाडु मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन तथा अन्य की याचिका पर दिया।

अर्थव्यवस्था का बैठा भट्ठा ; माइनस 23.9 फीसदी पहुंची जीडीपी दर, 40 साल में सबसे कमजोर

पांच ट्रिलियन इकॉनमी हासिल करने के दावों के बीच देश की अर्थव्यवस्था को लेकर सोमवार शाम बहुत चिंताजनक खबर आई है। इससे जाहिर होता है कि आने वाले दिन बहुत मुश्किल भरे हो सकते हैं। कोरोना से पहले ही अर्थव्यवस्था को लेकर चिंताएं जताई जा रही थीं और कोविड-19 के बाद तो यह रसातल में पहुंचती दिख रही है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने चालू माली साल (वर्ष 2020-21) की पहली तिमाही (क्यू1) के जो जीडीपी आंकड़े कुछ देर पहले जारी किये हैं उनसे जाहिर होता है कि इस वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी विकास दर माइनस 23.9 फीसदी रही है।

जो आंकड़े सामने आये हैं वे अभी तक के अनुमानों से भी बहुत खराब हैं। देश में पहली बार जीडीपी की डर माइनस में गयी है। यह पिछले 40 सालों का अर्थव्यवस्था का सबसे कमजोर आंकड़ा है। इससे यह भी जाहिर होता है कि अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में आने वाले दिन बहुत चिंता वाले हो सकते हैं। अभी तक के आंकड़ों के मुताबिक होटल इंडस्ट्री पर सबसे बड़ी मार पड़ी है।

एनएसओ के आंकड़े बताते हैं कि इस साल की पहली तिमाही में विकास दर माइनस 23.9 फीसदी रही है। यह पिछले 40 साल में अब तक की सबसे खराब जीडीपी दर है। यदि इसी तिमाही में पिछले साल की बात करें तो उस समय यह दर उससे कहीं कम है। रेटिंग एजेंसियां पहले से इसकी आशंका जाता रही थीं लेकिन यह उनके अनुमानों से भी कम है।

याद रहे साल 2019-20 की अंतिम तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की दर 3.1 फीसदी थी। एनएसओ के मुताबिक जीवीए में 22.8 फीसदी की गिरावट आई है। वैसे तो अर्थव्यवस्था को लेकर आर्थिक जानकार पहले से गहरी चिंता जता रहे थे, लेकिन आंकड़ों को देखने से लगता है कि कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन के कारण औद्योगिक उत्पादन में बड़ी कमी आई है। रोजगार के आंकड़ों में भी खासी  गिरावट देखने को मिली है।

वैसे तो जुलाई से अनलॉक शुरू होने के बाद मजदूर, दुकानदार, कर्मचारी और अन्य काम पर लौटने शुरू हुए हैं और व्यापार को भी कुछ गति मिली है, लेकिन अर्थव्यवस्था को पटरी पर आने में अभी बहुत वक्त लगेगा। इस दौरान करोड़ों लोगों की नौकरियां चली गयी हैं और अभी तक ऐसे संकेत नहीं मिलते हैं कि जल्दी ही वे दोबारा रोजगार पा सकेंगे।

सोमवार शाम जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 40 साल में देश की जीडीपी अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गयी है। आंकड़ों के मुताबिक 2020-21 की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) में जीडीपी की दर माइनस में चली गयी है। एनएसओ के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से जुलाई की तिमाही के दौरान भारत का राजकोषीय घाटा 8.21 लाख करोड़ रुपये रहा। इस अवधि में 2019-20 में यह 5.47 लाख करोड़ रुपये था।

आंकड़ों के मुताबिक पहली तिमाही में कुल राजकोषीय घाटा बजट अनुमान के 103.1 फीसदी तक पहुंच गया है। वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक इस तिमाही में 8 कोर इंडस्ट्रीज का कम्बाइंड इंडेक्स 119.9 रहा। इसमें पिछले साल के मुकाबले 9.6 एएसडी की कमी आई है। मंत्रालय के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020-21 के क्यू1 में इन आठ कोर इंडस्ट्रीज की विकास दर माइनस 20.5 फीसदी रही।

एनएसओ के आंकड़े बताते हैं कि होटल और पर्यटन क्षेत्र की कमर टूट गयी है। माली साल 2020-21 की पहली तिमाही में होटल इंडस्ट्री की ग्रोथ रेट – 47 फीसदी रही। एनएसओ के मुताबिक, पहली तिमाही में इंडस्ट्रियल सेक्टर में जीडीपी विकास दर  माइनस 38.1 फीसदी रही। सर्विसेज सेक्टर में आर्थिक विकीस की दर – 20.6 फीसदी दर्ज की गई। निर्माण क्षेत्र में जीडीपी की दर माइनस 39.3 फीसदी रही। कृषि ही एक ऐसा क्षत्र रहा है जिसमें सकल घरेलू उत्पाद की दर कुछ सकारात्मक 3.4 फीसदी  रहा।

वैसे तो आरबीआई ही नहीं अन्य कई रेटिंग एजंसियां जीडीपी में बड़ी गिरावट की आशंका पहले ही जता चुकी थीं, हालांकि, आंकड़े उनके अनुमानों से बुरे आये हैं। आरबीआई ने चालू माली साल में जीडीपी विकास दर नेगेटिव रहने की आशंका जताई थी। उद्योग मंडल फिक्की ने जुलाई में कहा था कि चालू वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था 4.5 फीसदी नीचे जाएगी।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज सुबह ही मोदी सरकार यह आरोप लगाया था कि अर्थवयवस्था को खराब तरीके से संभाला जा रहा है। एक वीडियो जारी कर राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाया कि भाजपा की सरकार ने देश के असंगठित अर्थव्यवस्था पर आक्रमण किया है और यह गुलाम बनाने की कोशिश की जा रही है।

गांधी ने वीडियो सीरीज के इस हिस्से में कहा – ”यदि हम 2008 की मंदी को देखें तो जब पूरी दुनिया खासकर अमेरिका, यूरोप, जापान में भारी मंदी थी। वहां बैंक बंद हो रहे थे, कंपनियां बंद हो रही थीं, लेकिन हिंदुस्तान को कुछ नहीं हुआ। इसकी वजह यह थी कि यहां की असंगठित क्षेत्र मजबूत था। उस समय यूपीए की सरकार थी।” तब के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ अपनी बातचीत का उल्लेख करते हुए गांधी ने कहा – ”मनमोहन सिंह जी ने बताया था कि जिस दिन तक हिंदुस्तान की असंठित अर्थव्यवस्था मजबूत रहेगी, उस दिन तक मंदी इसे छू भी नहीं सकती है।”

कुल मिलकर आज जारी आंकड़ों ने देश में चिंता पैदा की है। निश्चित ही अभी तक खराब आर्थिक स्थिति से मन करती रही मोदी सरकार के लिए आने वाले दिन बहुत चुनौती भरे हो सकते हैं।

प्रणब मुखर्जी का निधन

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन हो गया है।  वे 84 साल के थे। वे 2012 से 2017 तक देश के राष्ट्रपति रहे।

वे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे। वे पिछले कुछ दिन से कोमा में थे लेकिन वेंटिलेटर सपोर्ट में होने के बावजूद आज शाम उनका निधन हो गया। उनकी ब्रेन कैंसर की सर्जरी हुई थी साथ ही उन्हें टेस्ट में कोरोना पॉजिटव भी पाया गया था।