Home Blog Page 758

कृषि बिल किसानों के डेथ वारंट जैसे: राज्य सभा में बिल पेश होने के बाद कांग्रेस के बाजवा ने कहा

देशभर में विवाद में फंस चुके कृषि बिल रविवार को राज्यसभा में पेश कर दिए गए।  कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बिल पेश करते हुए कहा कि इस बिल का एमएसपी से कुछ लेना देना नहीं है। हालांकि, कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने इस बिल को किसानों के लिए ‘डेथ वारंट’ जैसा करार दिया और कहा कि उनकी पार्टी इसका पुरजोर विरोध करती है। उधर, मोदी सरकार में मंत्री हरसिमरत कौर, जिन्होंने दो दिन पहले कृषि बिल के खिलाफ इस्तीफा दे दिया था, के पंजाब में गांव बदल में एक किसान ने बिल के विरोध में आत्महत्या कर ली। वहां किसान लगातार धरना भी दे रहे हैं।

उधर राज्य सभा में इस बिल को पास करवाने के लिए अल्पमत के बावजूद भाजपा और सरकार कुछ दलों से समर्थन की कोशिश कर रही है। बिल पेश करते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि इस बिल का विरोध करने के कोई मायने नहीं है। उन्होंने कहा कि एमएसपी के बिल का कुछ लेने देना नहीं क्योंकि यह दोनों अलग-अलग चीजें हैं। उन्होंने कहा कि एमएसपी आगे भी जारी रहेगी। राज्य सभा में भाजपा के पास बहुमत नहीं है, लिहाजा वह दूसरे कुछ दलों से समर्थन की कोशिश कर रही है।

इस बीच आज राज्य सभा में कांग्रेस ने यह बिल लाने के लिए सरकार को जमकर घेरा। कांग्रेस सदस्य प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि सरकार इस बिल से जिन्हें फायदा पहुंचाने की बात कह रही है, वे सड़कों पर हैं। सरकार की सहयोगी अकाली दल, जो कभी किसानों की पार्टी थी, इस बिल का जबरदस्त विरोध करते हुए अपनी मंत्री हरसिमरत कौर से इस्तीफा दिला चुकी है। ‘ऐसे में यह बिल सरकार किसके लिए ला रही है ? बताइए इसका फायदा किसे मिल रहा है?’

बाजवा ने राज्यसभा में कहा कि कांग्रेस इस बिल का विरोध करती है। उन्होंने कहा – ‘ये बिल किसानों की आत्मा पर हमला करने जैसा है। इस बिल पर सहमति किसानों के डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करने जैसा है। बाजवा ने कहा, ये बिल हिंदुस्तान और विशेष तौर से पंजाब, हरियाणा और वेस्टर्न यूपी के जमींदारों के खिलाफ है। पंजाब और हरियाणा के किसानों का मानना है कि ये बिल उनकी आत्मा पर हमला है। किसान एपीएमसी और एमएसपी में बदलाव के खिलाफ हैं।’

बता दें मोदी सरकार के संसद में लाए गए कृषि विधेयकों के ख़िलाफ़ भारत के दो कृषि प्रधान राज्यों पंजाब और हरियाणा के किसानों में जबरदस्त आक्रोश है। वे इन विधेयकों के विरोध में लगातार धरना दे रहे हैं। उधर पंजाब में बठिंडा के बादल गांव, जो पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का गांव है, में शनिवार को एक किसान ने आत्महत्या कर ली। किसान का नाम प्रीतम सिंह (60) था। प्रदर्शनकारी किसानों ने उन्हें शहीद करार दिया है। याद रहे मोदी सरकार में मंत्री हरसिमरत कौर, जिन्होंने दो दिन पहले कृषि बिल के खिलाफ इस्तीफा दे दिया था, के गांव बदल में एक किसान ने बिल के विरोध में किसान लगातार धरना भी दे रहे हैं।

आज राज्य सभा में भाजपा नेता भूपेंद्र यादव ने कहा कि कांग्रेस की सोच अब भी पुरानी है। सपा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि डिजिटल कृषि की बात कही जा रही है, लेकिन सरकार ये बताएं कि डिजिटल के फ्रॉड को कैसे रोक सकती है? कांग्रेस सदस्य केसी वेणुगोपाल ने बिल के विरोध में कहा है कि यह बहुत स्पष्ट है कि इस सरकार का मकसद हमारे किसानों को नष्ट करना और कॉर्पोरेट क्षेत्र की मदद करना है। हमारी पार्टी ने कृषि विधेयक का विरोध करने का निर्णय किया है। सरकार को विधेयकों पर पुनर्विचार करना होगा, कम से कम उन्हें इसे चुनिंदा समिति को भेजना चाहिए।

बिल पेश करते हुए राज्यसभा में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि दोनों बिल  ऐतिहासिक हैं और किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले हैं। बिल के माध्यम से किसान अपनी फसल किसी भी जगह पर मनचाही कीमत पर बेचने के लिए आजाद होंगे। इन विधेयकों से किसानों को महंगी फसलें उगाने का अवसर भी मिलेगा। याद रहे यह बिल लोकसभा में पहले ही पास हो चुका है।

व्यापारियों को त्यौहारी सीजन में रौनक लौटने की उम्मीद

कहते है कि त्यौहारी सीजन में व्यापारी और आम लोग भी प्रसन्न होते है और बाजारों में रौनक-चमक दिखने लगती है। पर इस बार कोरोना काल के कारण त्यौहारों में ना तो रौनक दिखी और ना ही बाजारों में चमक। लोगों और व्यापारियों का कहना है कि मार्च में लाँकडाउन लगने कारण अप्रैल महीनें में नवरात्रि के दिनों में बाजारों और मंदिरों में सन्नाटा रहा है। जिसके कारण धंधा पूरी तरह से चौपट रहा है।

अब आने वाली नवरात्रि में सभी को उम्मीद है, कि सब कुछ ठीक होगा। तहलका संवाददाता को व्यापारियों ने बताया कि कोरोना का संकट तो विकट है । पर काम –काज भी तो करना है । ऐसे में व्यापारी कैसे अपने काम को विराम दे सकता है। गांधी नगर मार्केट के वायापारी जगत सिंघल ने बताया कि अब बाजारों में रौनक लौट रही है। लेकिन पैसा का अभाव देखा जा रहा है। वजह साफ है, कि कोरोना काल से अब तक और  लाँकडाउन के दौरान जो लोगों की नौकरी छूटी और व्यापारियों का काम प्रभावित हुआ ।  पैसा का आदान –प्रदान कम हुआ है। इसके कारण पैसा बाजारों में कम ही देखा जा रहा है।

व्यापारी पंकज और आम लोग तरूण , भरत और आलोक का कहना है कि सरकार को कोरोना से बचाव के साथ –साथ व्यापारियों को खासकर लाल फीता शाही से आजादी मिलनी चाहिये ताकि वे अपना काम -काज और व्यापार कर सकें।क्योंकि जैसे –तैसे बाजार में ग्राहकों का आना शुरू हुआ है तो पुलिस का ठंडा तंग करता है कि सोशलडिस्टेंसिंग का पालन करों । दुकानदार पंकज का कहना है कि जब जगजाहिर की दिल्ली में व्यापारियों की दुकानें छोटी है और तंग गलियों में है ,तो ग्राहकों को कैसे आने-जाने से रोका जा सकता है। दिल्ली के व्यापारियों का कहना है नवरात्रि से लेकर दीपावली तक सरकार व्यापारियों को धंधा करने के लिये विशेष सुविधा दें। ताकि वे आत्म निर्भर की तरह अपना कोरोबार कर सकें। अन्यथा देश की अर्थव्यवस्था की तरह व्यापारियों की अर्थ व्यव्स्थाचौपट हो जायेगी।

शोपियां मुठभेड़ की जांच से जाहिर, सेना जवानों ने शक्तियों का किया दुरूपयोग, उमर बोले जांच से साफ़, सेना परिवारों के आरोपों से सहमत

कश्मीर के शोपियां में जुलाई में सेना के हाथों तीन लोगों की मौत के मामले की अभी तक की जांच में सामने आया है कि सेना ने उन्हें आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (एएफएसपीए) के तहत मिली शक्तियों का दुरुपयोग किया था। अब इसे एनकाउंटर बताकर इन तीन लोगों की मौत के मामले में इससे जुड़े जवानों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

सेना ने इस कथित एनकाउंटर पर सवाल उठने के बाद एक कोर्ट ऑफ इनक्वॉयरी बैठाई थी। कोर्ट ऑफ इनक्वॉयरी ने अपनी जांच में पाया है कि सेना के जवानों ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया। ये कथित एनकाउंटर 18 जुलाई को हुआ था जिसमें जवानों के हाथों तीन लोगों की मौत हुई थी। हालांकि, इन लोगों के परिजनों और गाँववासियों ने इस पर गंभीर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया था कि इन लोगों की हत्या की गयी है और वे आतंकी नहीं थे।

परिजनों के मुताबिक यह सभी चचेरे भाई थे और शोपियां में मजदूरी करते थे।

जांच में प्रथम दृष्टतया पाया गया कि जवानों ने इस मुठभेड़ में आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट में मिली शक्तियों का बेजा इस्तेमाल किया। जांच के बाद अब सेना ने इस ऑपरेशन में शामिल सभी जवानों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है। सेना ने कहा कि जो भी इस मामले में आरोपी हैं, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा रही है। जांच के दौरान जान गंवाने वाले युवकों के डीएनए मिलान के लिए नमूने लिए हैं, जिसकी रिपोर्ट अभी आनी है।

सेना की आंतरिक जांच, जिसके नतीजे अब सार्वजनिक किए गए हैं, में कहा गया है कि कुछ निश्चित साक्ष्य सामने आए हैं। इनसे जाहिर होता है कि जवानों ने निर्धारित नियमों का उल्लंघन किया। पुलिस फिलहाल इन तीन लोगों के किसी भी तरह के  आतंकवादी गतिविधि से जुड़ाव की जांच कर रही है।

सेना की जांच में पता चला कि जवानों ने सुप्रीम कोर्ट के स्वीकृत और सेना प्रमुख की ओर से बनाए नियमों का भी उल्लंघन किया है। रक्षा विभाग के प्रवक्ता ने कहा – ‘सेना के अधिकारियों ने ऑपरेशन अमशीपोरा को लेकर जांच पूरी कर ली है। जांच में प्रथम दृष्टया कुछ सबूत मिले हैं जिनसे पता चलता है कि इस ऑपरेशन के दौरान अफ़स्पा 1990 के तहत मिली ताक़तों का दुरुपयोग किया गया। इसके साथ ही पहली नज़र में जो लोग इसके लिए दोषी पाए गए हैं, उनके ख़िलाफ़ सेना के एक्ट के मुताबिक़ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं।’

इन तीन लोगों की पहचान इबरार (17), इम्तियाज़ (25) और अबरार अहमद (20) के रूप में की गयी थी। परिजनों ने कहा था कि तीनों मज़दूरी करते थे और वे राजौरी क्षेत्र के धार सकरी गांव से शोपियां गए थे।

इस बीच जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस मसले पर ट्वीट किया है – ‘मार डाले गए तीनों लोगों के परिवार अपनी बेगुनाही का दावा करते रहे थे। सेना की शुरू की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई से लगता है कि सेना परिवारों से सहमत है। प्रक्रिया पारदर्शी बनी रहनी चाहिए और दोषी को क़ानून का पूरी तरह सामना करना चाहिए।’

पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला का ट्वीट –
Omar Abdullah
@OmarAbdullah
The families of the three murdered men had continued to proclaim their innocence. Disciplinary action initiated by the army would suggest the army agrees with the families. The process must remain transparent & the guilty must face the full weight of the law.

जम्मू कश्मीर के लिए 1,350 करोड़ रुपये का औद्योगिक आर्थिक पैकेज

पिछले लंबे समय से गंभीर आर्थिक संकट से दो-चार केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के लिए 1,350 करोड़ रुपये के औद्योगिक आर्थिक पैकेज का ऐलान किया गया है।यह पैकेज पीएम आत्मनिर्भर कार्यक्रम के अलावा होगा।

जानकारी के मुताबिक जम्मू-कश्मीर के उद्योगों के लिए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 1,350 करोड़ रुपये के इस आर्थिक पैकेज का ऐलान शनिवार को किया। सिन्हा ने कहा – मुझे आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहे उद्योग जगत के लोगों के लिए इस  आर्थिक पैकेज की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है। यह पैकेज आत्म निर्भर भारत और जम्मू-कश्मीर प्रशासन के अपने उपायों के अलावा होगा।’

सिन्हा ने कहा कि एक साल के लिए बिजली और पानी के बिल में 50 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। साथ ही सभी उधार लेने वालों के मामले में मार्च 2021 तक स्टाम्प ड्यूटी में छूट दी गई है। अच्छे मूल्य निर्धारण और पुनर्भगतान विकल्पों के साथ पर्यटन क्षेत्र में लोगों को वित्तीय सहायता देने के लिए जम्मू-कश्मीर बैंक की तरफ से स्वास्थ्य-पर्यटन योजना लागू की जाएगी।’

उपराज्यपाल के मुताबिक क्रेडिट कार्ड स्कीम के तहत, हथकरघा और हस्तशिल्प उद्योग में काम करने वाले लोगों के लिए अधिकतम सीमा को एक लाख रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये करने का फैसला किया गया है। उन्हें सात प्रतिशत ब्याज सब्वेंशन (ब्याज छूट) भी दी जाएगी। पहली अक्टूबर से जम्मू और कश्मीर बैंक युवा और महिला उद्यमियों के लिए विशेष डेस्क भी शुरू करेगा।

सिन्हा ने कहा – ‘हमने मौजूदा वित्तीय वर्ष में छह महीने के लिए बिना किसी शर्त के, कारोबारी समुदाय के प्रत्येक उधार लेने वाले व्यक्ति को पांच प्रतिशत ब्याज देने का फैसला किया है। यह एक बड़ी राहत होगी और यहां रोजगार पैदा करने में मदद मिलेगी। हथकरघा और हस्तशिल्प उद्योग में काम करने वालों को सात प्रतिशत आर्थिक मदद (सबवेंशन) मिलेगी। क्रेडिट कार्ड योजना के तहत, हमने हथकरघा और हस्तशिल्प उद्योग में काम करने वाले लोगों के लिए अधिकतम सीमा एक लाख से 2 लाख रुपये तक बढ़ाने का फैसला किया है। उन्हें पांच प्रतिशत ब्याज सबवेंशन भी दिया जाएगा। इस योजना में तकरीबन 950 करोड़ रुपये का खर्च आएगा और यह अगले 6 महीनों के लिए इस वित्तीय वर्ष में उपलब्ध रहेगा।

आईपीएल आज से, पहला मैच मुंबई इंडियंस और सीएसके में

कोविड-19, लॉकडाउन और इनके कारण विभिन्न पबांदियों के कारण देरी से हो रहे इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) का आज से आगाज हो रहा है। शाम 7.30 से पहला मैच पिछले साल की दो फाइनलिस्ट मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपर किंग्स के बीच होगा। इस बार आईपीएल यूएई में हो रहा है। पिछली बार मुंबई की टीम चैम्पियन बनी थी। बीसीसीआई ने यूएई क्रिकेट बोर्ड से मिलकर इस बार की आईपीएल के आयोजन का जिम्मा लिया है।

यह मैच अबु धाबी के शेख जायेद स्टेडियम में भारतीय समयानुसार शाम 7.30 बजे शुरू होगा। यह पहली बार होगा कि दुनिया भर के खिलाड़ी पहली बार खेलेंगे। वहां की पिचों के मिज्जाज से भी यह खिलाड़ी परिचित नहीं हैं, जिससे लगता है कि यह टी-ट्वंटी लीग इस बार काफी रोमांचक रहेगी।

यह तीसरी बार होगा जब भारत से बाहर आईपीएल का आयोजन हो रहा है। इससे पहले 2009 में लोकसभा चुनावों के कारण आईपीएल का आयोजन दक्षिण अफ्रीका में किया गया था। वैसे 2014 में आईपीएल का पहला हाफ भी यूएई में ही खेला गया था और तब भी लोकसभा चुनाव के कारण ऐसा करना पड़ा था।

यह आईपीएल का 13वां सीजन है और 29 मार्च को लॉक डाउन के कारण जब इसे टाला गया तो पहले मई की तारीख भी निश्चित की गयी थी लेकिन लगातार लॉक डाउन और कोविड-19 महामारी के मामले बढ़ने से यह अनिश्चित काल के टाल दिया गया था।

आज के पहले मैच में आईपीएल इतिहास की दो सबसे मजबूत टीमें, मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपर किंग्स एक दूसरे के सामने होंगी। यह दोनों पिछले आईपीएल में भी फाइनल में खेली थीं। बीसीसीआई टी-20 विश्व कप स्थगित होने के बाद आईपीएल लिए रास्ता निकाल लिया और अब यह आईपीएल के 56 मैच यूएई के तीन शहर अबु धाबी, दुबई, शारजाह में खेले जायेंगे।

हालांकि, आईपीएल बिना दर्शकों के खाली स्टेडियम में खेला जाएगा। कोविड-19 के कारण ऐसा करना पड़ा है। टीवी पर ही क्रिकेट के शौकीन इसका मजा ले पाएंगे। खिलाडियों के लिए भी यह नया अनुभव होगा, क्योंकि वे हजारों की भीड़ और उसके शोर के बीच खेलने के आदी रहे हैं।

पिच जानकारों के मुताबिक यूएई में पिचें धीमी और स्पिनरों की सहायक मानी जाते हैं। उन्हें बल्लेबाजों का स्वर्ग माना जाता है। तेज गेंदबाजों को शुरू में कुछ मदद मिलती है, लेकिन बाद में गेंदबाज का कौशल ही उसे विकेट दिला सकता है। वहां गर्मी भी तेज होती है। इस बार विराट कोहली की बंगलौर की टीम को भी मजबूत माना जा रहा है, जबकि पंजाब, दिल्ली की टीमें भी काफी मजबूत मानी जाती हैं।

एनआईए ने पश्चिम बंगाल और केरल से अलकायदा के 9 संदिग्ध गिरफ्तार किये

एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) ने देश में दो जगह से अलकायदा के 9 संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। बड़ी साजिश की तैयारी कर रहे इन आतंकियों को पश्चिम बंगाल और केरल से पकड़ा गया है।

एनआईए ने शविनार तड़के इन सभी आतंकियों को पकड़ा। एनआईए पिछले कुछ समय से इनपर नजर रखे हुए थी और आज छापेमारी करके सुबह केरल और पश्चिम बंगाल से इनको पकड़ लिया। यह छापे केरल के एर्नाकुलम और पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद इलाके में मारे गए।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने इस छापेमारी में जिन लोगों को गिरफ्तार किया है उनमें से छह पश्चिम बंगाल और तीन केरल से गिरफ्तार किये गए हैं। एजंसी के अधिकारियों के मुताबिक ये सभी संदिग्ध अल-कायदा संगठन के कई आतंकियों के साथ लगातार संपर्क में थे।

जानकारी के मुताबिक खुफिया एजेंसियों को कई दिनों से इनपुट मिल रहे थे कि अलकायदा समेत कुछ आतंकवादी संगठन देश में ब्लास्ट करने का षड्यंत्र रच रहे हैं। अब एनआईए ने इस साजिश का पर्दाफाश कर दिया है। केरल के एर्नाकुलम और पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद इलाके में इन लोगों को पकड़ लिया गया।

पकड़े गए संदिग्धों के नाम मुर्शीद हसन, याकूब बिस्वास, मुशर्रफ हुसैन, नज्म-उस-शाकिब, अबू सुफियान, मैनूल मंडल, लेउ अहमद, अल मॉमून कमाल और अतितुर रहमान बताये गए हैं।

कोरोना : पिछले 16 दिन से हर रोज 1000 से ज्यादा की मौत

भारत में पिछले लगातार 16 दिन से हर रोक 1000 लोगों की मौत होने से कोविड-19 से मरने वालों की तादाद अब लगातार एक लाख की तरफ बढ़ती दिख रही है। अब तक 84,372 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि संक्रमित लोगों की कुल संख्या 52 लाख के पार चली गयी है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के आज सुबह जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण का आंकड़ा 52 लाख के पार चला गया है। इस अवधि में 96,424 नए कोरोना मामले दर्ज किए गए हैं। इससे पहले 16 सितंबर को रिकॉर्ड 97,894 संक्रमण के मामले आए थे। पिछले एक दिन में 1174 लोगों की जान गयी है। ये लगातार 16वां दिन है जब देश में एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई है।

इस निराशा के बीच बहुत अच्छी खबर ये है कि 24 घंटे में रेकॉर्ड 87,472 मरीज ठीक हुए हैं जिससे अब तक ठीक होने वाले कुल लोगों की संख्या 41.12 लाख लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के सक्रिय मामलों की संख्या की तुलना में स्वस्थ हुए लोगों की संख्या करीब चार गुना अधिक है।

अब कुल कोरोना संक्रमितों की संख्या 52.14 लाख हो गई है। इनमें से 84,372 लोगों की मौत हो चुकी है। आज के समय में एक्टिव मामलों की संख्या 10 लाख 17 हजार है। आईसीएमआर के मुताबिक, 16 सितंबर तक कोरोना वायरस के कुल 6 करोड़ 15 लाख सैंपल टेस्ट किए जा चुके हैं, जिनमें से 10 लाख सैंपल की टेस्टिंग कल की गई। पॉजिटिविटी रेट 7 प्रतिशत से कम है। कोरोना वायरस के 54 फीसदी मामले 18 साल से 44 साल की उम्र के लोगों के हैं लेकिन कोरोना वायरस से होने वाली 51 फीसदी मौतें 60 और उससे अधिक आयु के लोगों की हैं।

हरसिमरत कौर का मोदी सरकार से इस्तीफा, सरकार को बड़ा झटका, कृषि विधेयकों का विरोध

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के दो मुख्य घटक बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) एक बार फिर टकराव की स्थिति में हैं। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर ने मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। इससे मोदी सरकार को एक बड़ा झटका लगा है।

हरसिमरत अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने गयी हैं।  उन्होंने अपना इस्तीफा भेज दिया है। टकराव का कारण कृषि अध्यादेश-2020 है। उनके पति और अकाली दल सदस्य सुखबीर सिंह बादल ने भी इस मुद्दे पर कल अपने भाषण में विरोधी तेवर अख्तियार किये थे। हालांकि, अकाली दल ने कहा कि उसका बाहर से मोदी सरकार को समर्थन जारी रहेगा।
याद रहे कृषि विधेयकों को लेकर संसद से पंजाब के गांव तक मचे हंगामे में  शिरोमणि अकाली दल को कांग्रेस और मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह जमकर घेर रहे हैं। बुधवार को सुखबीर सिंह बादल ने भी लोकसभा में कृषि विधेयकों को लेकर सवाल उठाये थे। कांग्रेस और किसान संगठन केंद्रीय मंत्री हरसिरत कौर बादल को इसके लिए इस्तीफा देने के लिए कह रहे हैं।

वैसे शिरोमणि अकाली दल ने कहा कि वह जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं करेगा। उलटे यह कांग्रेस पर आक्रामक हमले की रणनीति तैयार करने की बात कर रहा था।

वैसे सुखबीर सिंह बादल कृषि विधेयकों को किसानों से धोखा बता रहे हैं।

ड्रग्स मामले में ‘मीडिया ट्रायल’ के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचीं रकुल प्रीत सिंह

सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले में ड्रग्स एंगल की जांच के दौरान अपना नाम सामने आने के बाद ‘मीडिया ट्रायल’ के खिलाफ अभिनेत्री रकुल प्रीत सिंह ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिस पर आज सुनवाई हुई। दिल्ली हाईकोर्ट ने रकुल प्रीत सिंह की उस याचिका पर वीरवार को केंद्र से जवाब मांगा जिसमें उन्होंने रिया चक्रवर्ती ड्रग मामले से उन्हें जोड़ने वाली मीडिया रिपोर्टों पर रोक लगाने की मांग की है। न्यायमूर्ति नवीन चावला ने अभिनेत्री की याचिका पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, प्रसार भारती और भारतीय प्रेस परिषद को नोटिस जारी किया और जवाब मांगा। अभिनेत्री ने हाईकोर्ट से इस मामले में उनसे संबंधित कोई भी खबर या सामग्री टीवी चैनलों और अन्य प्लेटफार्म पर प्रकाशित या प्रसारित नहीं करने का निर्देश देने की मांग की क्योंकि इससे उनकी छवि खराब हो रही है।

हाईकोर्ट ने अधिकारियों से कहा कि वे अभिनेत्री रकुल की याचिका को अभिवेदन मानें और सुनवाई की अगली तारीख 15 अक्तूबर से पहले इस पर फैसला लें। हाईकोर्ट ने कहा कि उसे उम्मीद है कि रिया चक्रवर्ती से जुड़े मामले में अभिनेत्री रकुल प्रीत सिंह से संबंधित खबरों में मीडिया संयम बरतेगा। याचिकाकर्ता से संबंधित खबरें बनाते वक्त मीडिया प्रतिष्ठान केबल टीवी नियमों, प्रोग्राम कोड तथा अन्य दिशानिर्देशों का पालन करेंगे। अभिनेत्री ने याचिका में दावा किया है कि रिया चक्रवर्ती अपना वह बयान वापस ले चुकी है जिसमें उसने कथित तौर पर याचिकाकर्ता का नाम लिया था, इसके बावजूद मीडिया में आ रही खबरों में उन्हें इस मामले से जोड़ा जा रहा है।

बता दें कि सुशांत से जुड़े ड्रग्स मामले में एनसीबी ने अब तक रिया समेत 17 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। रिया के अलावा, अन्य गिरफ्तार आरोपियों में सुशांत सिंह के निजी स्टाफ सैमुअल मिरांडा और दीपेश सावंत हैं। इसके अलावा, रिया का भाई शौविक चक्रवर्ती और छह कथित ड्रग तस्कर भी दबोचे जा चुके हैं।  रिया चक्रवर्ती और उसके भाई शौविक को शुक्रवार को 22 सितंबर तक की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। मिरांडा, सावंत, जैद विलात्रा और अब्दुल बासिर परिहार भी इस समय न्यायिक हिरासत में हैं। बता दें कि 14 जून को सुशांत सिंह राजपूत अपने बांद्रा स्थित फ्लैट पर मृत पाए गए थे।

पीएम मोदी का जन्मदिन, हालांकि खूब ट्रेंड कर रहा ‘राष्ट्रीय बेरोजगारी दिवस’ और ‘राष्ट्रीय जुमला दिवस’

इसमें कोई दो राय नहीं कि अपने समर्थकों में पीएम मोदी काफी लोकप्रिय हैं, लेकिन पहली बार उनके जन्मदिन पर भी ‘राष्ट्रीय बेरोजगारी दिवस’ और ‘राष्ट्रीय जुमला दिवस’ बहुत ज्यादा ट्रेंड कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर पिछली आधी रात 12 बजे से ही यह दोनों ट्रेंड शुरू हो गए। लोग पीएम मोदी के जन्मदिन पर उनके वादों को याद दिलाकर ‘राष्ट्रीय जुमला दिवस’ ट्रेंड करा रहे हैं साथ ही रोजगार की मांग लेकर  ‘बेरोजगारी दिवस ट्रेंड’ करा रहे हैं।

मोदी को उनके जन्मदिन पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी बधाई दी है। मोदी के संसदीय हलके वाराणसी में उनके जन्मदिन के हिसाब से 70 किलो का लडडू चढ़ाया गया है। पीएम मोदी के जन्मदिन पर ‘नरेंद्र मोदी’ और ‘हैप्पी बर्थडे मोदी’ भी सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे हैं, लेकिन इनके साथ ही ‘राष्ट्रीय जुमला दिवस’ और ‘राष्ट्रीय बेरोजगारी दिवस’ भी जबरदस्त ट्रेंड कर रहे हैं। हाल में मोदी की ‘मन की बात’ को बड़ी संख्या में डिस्लाइक मिलने को भी विरोधियों ने खूब उछाला था।

बता दें #राष्ट्रीय_बेरोजगार_दिवस देश के अलग-अलग राज्यों के अभ्यर्थियों और स्टूडेंट्स का सामूहिक विरोध-प्रदर्शन है। ये युवा देश भर में विरोधस्वरूप आज ‘राष्ट्रीय बेरोजगार दिवस’ मना रहे हैं, क्योंकि आज पीएम मोदी का जन्मदिन है। इस हैशटैग पर लोग बड़ी संख्या में कमेंट भी कर रहे हैं।

यूजर्स के कमेंट में एक @sharddha ने ट्वीट किया – ‘भर्ती निकले तो इम्तेहान नहीं, परीक्षा हो तो परिणाम नहीं, परिणाम निकले तो जॉइनिंग का नाम नहींं, आखिर क्यों युवाओं का सम्मान नहीं।’ एक अन्य यूजर @hansrajmeena ने ट्वीट किया – ‘छात्र की शक्ति को कमतर नहीं आंको। उठो युवाओं ललकार दो, कहो सरकार से रोजगार दो।’ एक और यूजर @YuvaNetaGautam ने ट्वीट किया – ‘राष्ट्रीय_बेरोजगारी_दिवस, Dear @narendramodi Ji, with Your Efforts and Hardworking attitude Makes India one Of The Highest Unemployment Youths population in the World. Thanks For establishing  this Milestone in Country #NationalUnemploymentDay Happy Birthday @PMOIndia. एक और यूजर @VinayKu19528680 ने ट्वीट किया -##राष्ट्रीय_बेरोजगारी_दिवस Happy Birthday to the creator of National Unemployment. The best ever salesman of Govt. Companies.World’s best Actor who accidentally became a politician
@PMOIndia #NationalUnemploymentDay.

यहां यह बताना बेहतर होगा कि हाल में जीडीपी के बहुत निरषाजनक आंकड़े सामने आये हैं जो – 23.9 तक लुढ़क चुके हैं। लॉकडाउन ने करोड़ों को बेरोजगार कर दिया है। बहुत बड़े पैमाने पर हुए टेस्ट के बाद भी बेरोजगारों को नौकरियां नहीं मिली हैं।

उधर कांग्रेस नेता राहुल गांधी, जिन्होंने सुबह पीएम मोदी को उनके जन्मदिन पर बधाई दी है, ने भी इनमें कुछ यूजर्स के ट्वीट्स को आधार बनाकर ट्वीट किया – ‘यही कारण है कि देश का युवा आज राष्ट्रीय बेरोजगारी दिवस मनाने पर मजबूर है। रोज़गार सम्मान है। सरकार कब तक ये सम्मान देने से पीछे हटेगी?’