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कांग्रेस ने कहा कृषि बिल वापस लो, निलंबित सदस्यों का धरना जारी, सरकार-विपक्ष में तनाव

राज्य सभा में कृषि बिलों को लेकर जबरदस्त तनाव बन गया है। कांग्रेस ने मंगलवार को ऐलान किया कि जब तक बिल में किसानों के हक़ और गारंटी वाले संशोधन नहीं किये जाते उनका विरोध जारी रहेगा। उधर निलंबित किये गए 8 सांसद विरोध स्वरुप गांधी की प्रतिमा के सामने धरने पर बैठ गए हैं। इस बीच कांग्रेस ने गुरूवार से किसानों के हक़ में देशव्यापी हस्ताक्षर अभियान शुरू करने की तैयारी कर ली है। आज सुबह राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश चाय लेकर धरना दे रहे निलंबित सदस्यों के पास पहुंचे, लेकिन धरना जारी है।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्य सभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने साफ़ कर दिया है कि उनकी पार्टी और विपक्ष इसी भी सूरत में किसान विरोधी बिलों पर समझौता नहीं करेगा। सरकार को यह बिल वापस लेने होंगे या इनमें किसान समर्थक संशोधन करने होंगे। आज़ाद कल देर शाम धरने पर बैठे निलंबित विपक्षी सांसदों को समर्थन देने धरना स्थल पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का कृषि बिल किसानों को बर्बाद करने वाला है।

आज़ाद ने कहा कि राज्यसभा में जबरदस्ती यह बिल पास करवाया गया गया। कांग्रेस नेता ने कहा कि बिल पर डिवीजन मांगा गया था, लेकिन डिवीजन नहीं कराया गया,   जबकि नियम है कि अगर एक सदस्य भी डिवीजन मांगता है, तो डिवीजन करवाया जाता है। लेकिन इसे ऐसे ही पास कर दिया गया, जबकि राज्यसभा में बहुमत इस बिल के खिलाफ था।
उपसभापति के साथ कथित दुर्व्यवहार पर आजाद ने सफाई दी और कहा कि हंगामे के दौरान सांसदों ने किसी को हाथ नहीं लगाया था। आजाद ने कहा कि हंगामे के दौरान न तो उपसभापति हरिवंश नारायण को और न ही किसी मार्शल को हाथ लगाया गया। इस तरह के सारे आरोप गलत हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि हाउस को अगर एक बजे के बाद बढ़ाना था तो सदन से राय ली  जाती है लेकिन उस दिन हाउस सदन नहीं बढ़ाना चाहता था लेकिन फिर भी हाउस बढ़ा दिया गया। आजाद ने कहा कि जो सांसद नियम बता रहे थे, प्रक्रिया और परंपरा बता रहे थे, उन्हीं को सदन से निकाल दिया गया।

इस बीच कांग्रेस ने गुरुवार से किसान बिल के विरोध और किसानों के हक़ में लड़ाई लड़ने के लिए हस्ताक्षर अभियान शुरू करने की तैयारी कर ली है। किसान यूनियंस  भी देशव्यापी आंदोलन की तैयारी में हैं।

रविवार को किसानों से जुड़े बिलों पर हुए घमासान के बाद सोमवार को आठ राज्यसभा सासंदों को निलंबित कर दिया गया। इसके बाद सभी निलंबित सासंद रात भर संसद परिसर में ही धरने पर बैठे रहे। सुबह होते ही राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश चाय लेकर उनके पास पहुंचे, लेकिन धरना अब भी खत्म नहीं हुआ है। माना जा रहा है कि आज की कार्यवाही भी हंगामेदार होगी। राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि मैं राज्यसभा के सदस्यों के निलंबन से खुश नहीं हूं। सदन में उनेक आचरण पर कार्रवाई की गई है। हम किसी भी सदस्य के खिलाफ नहीं हैं।

निलंबित सदस्यों में तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन और डोला सेन, कांग्रेस के राजीव सातव, सैयद नजीर हुसैन और रिपुन बोरा, आप के संजय सिंह, माकपा के केके रागेश और इलामारम करीम शामिल हैं। आठों विपक्षी सांसद संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने धरने पर बैठे हुए हैं। निलंबित सांसदों का कहना है कि वे पूरी रात धरना देंगे और तब तक धरने पर बैठे रहेंगे, जब तक उनका निलंबन वापस नहीं ले लिया जाता।

राहुल गांधी का  किसानों को लेकर ट्वीट –

@Rahul Gandhi
2014- मोदी जी का चुनावी वादा किसानों को स्वामीनाथन कमिशन वाला MSP
2015- मोदी सरकार ने कोर्ट में कहा कि उनसे ये न हो पाएगा
2020- काले किसान क़ानून
मोदी जी की नीयत ‘साफ़’
कृषि-विरोधी नया प्रयास
किसानों को करके जड़ से साफ़
पूँजीपति ‘मित्रों’ का ख़ूब विकास।

सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई से कहा 31 अक्तूबर तक बैंक दें पैसा

कोरोना काल में यू तो हर क्षेत्र में तबाही जैसा आलम है, लेकिन सबसे ज्यादा असर प्राॅपर्टी सेे जुड़ी परियोजनाओं पर पड़ा है। बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियां जाने के बाद पहले से ही मंदी की मार झेल रहा प्राॅपर्टी का कारोबार और अधिक अंधकारमय हो गया है। पहले से ही कई बड़ी कंपनियों के प्रोजेक्ट अटके पड़े हैं, जिनमें से कुछ मामले देश की सर्वोच्च अदालत में भी जा चुके हैं। इन्हीं में से एक आम्रपाली से जुड़ा है, जिसमें अटकी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक आफ इंडिया को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि इसेक लिए जरूरी पैसे बैंक दें।
शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही आम्रपाली के सभी घर खरीदारों को 31 अक्तूबर तक बकाया रकम जमा करने के लिए कहा है। ऐसा न करने वालों का फ्लैट रद्द कर दिया जाएगा। बता दें कि ऐसे डिफॉल्टर घर खरीदारों की संख्या बहुत ही कम है। सर्वोच्च अदालत में अब इस मामले की अगली सुनवाई पांच अक्टूबर को होगी।
जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने सोमवार को आम्रपाली के उन तमाम डिफॉल्टर घर खरीदारों को बकाया रकम का भुगतान करने के लिए कहा है जिन्होंने बिल्डर-बायर्स करार के हिसाब से भुगतान नहीं किया है। सभी को 31 अक्टूबर तक का समय दिया गया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई से यह स्पष्ट करने के लिए कहा है कि आम्रपाली की रुकी पड़ी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए बैंकों द्वारा की जाने वाली फंडिंग को लेकर कोई नियम है या नहीं। इसके लिए बैंकों को पैसे मुहैया कराने को कहा है।

ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में स्थापित की दलित साहित्य अकादमी, विपक्ष बेचैन

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार देश की ऐसी पहली सरकार बन गयी है जिसने अपने राज्य में दलित साहित्य अकादमी का गठन किया है। ममता बनर्जी ने सड़क से साहित्य के शिखर तक पहुंचने वाले मशहूर दलित लेखक मनोरंजन ब्यापारी को इस 14 सदस्यीय अकादमी का अध्यक्ष बनाया है। अगले विधानसभा चुनाव से पहले ममता के इस फैसले को राजनीतिक रूप से एक बड़ा फैसला माना जा रहा है।

मनोरंजन ब्यापारी ने अध्यक्ष नियुक्त होने के बाद कहा कि आदिवासियों, पिछड़ों और समाज के हाशिए पर रहने वाले लोगों की भाषा को बढ़ावा देना ही इस अकादमी के गठन का मकसद है। बांग्ला भाषा पर दलित भाषाओं का काफी असर है। बहुत लोगों ने सरकार की इस पहल का स्वागत किया है।

खुद ममता बनर्जी का कहना है कि दलित साहित्य भी बांग्ला साहित्य का हिस्सा है। पहले राज्य में एक आदिवासी अकादमी थी लेकिन दलित साहित्य को समुचित स्वरूप में बढ़ावा देने के लिए ही सरकार ने इस अकादमी के गठन का फैसला किया।

उनके मुताबिक नई अकादमी के तहत दलित के अलावा आदिवासी, नमोशुद्र, डोम, बागदी, बाउरी और मांझी समेत अनुसूचित जनजाति में शामिल तमाम जातियों के साहित्य को बढ़ावा दिया जाएगा। साथ ही एक लाइब्रेरी भी स्थापित की जाएगी।

इससे पहले ममता हिंदी अकादेमी का भी गठन कर चुकी हैं। अब देश की पहली दलित अकादमी की घोषणा ममता ने की है। बहुत से राजनीतिक जानकार इस फैसले को सूबे में चुनाव से पहले दलितों में अपनी पैठ और मजबूत करने की ममता की कोशिश मान रहे हैं। देश में अभी तक किसी भी राज्य ने दलित अकादमी का गठन नहीं किया है।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ममता ने दलित अकादमी गठित कर जंगलमहल इलाके में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के करीब 40 प्रतिशत मतदाताओं को साधने की दूरगामी रणनीति बुनी है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में वहां भाजपा को अच्छे वोट मिले थे। निश्चित ही ममता ने इनमें अब इसमें सेंध लगा दी है।

अकेले बांकुड़ा जिले में ही विधानसभा की 12 सीटें हैं और जिले में एससी और एसटी आबादी 38.5 फीसदी है। जानकारों के मुताबिक यदि ममता ने बांकुड़ा जिले में आदिवासियो का भरोसा जीत लिया तो उसका असर पुरुलिया, पश्चिम मेदिनीपुर और झाड़ग्राम जिलों पर पड़ना तय है जहाँ विधानसभा की 32 सीटें आती हैं। उधर ममता के इस फैसले से विपक्ष, खासकर भाजपा, में जबरदस्त खलबली है। भाजपा पश्चिम बंगाल में अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रही है लेकिन ममता के फैसले उसे बेचैन कर रहे हैं।

राज्यसभा में जबरदस्त तनातनी, निलंबित 8 विपक्षी सदस्यों का सदन से बाहर जाने से इनकार

राज्य सभा में सोमवार को जबरदस्त तनातनी बनी हुई है। रविवार बाद आज सभापति वेंकैया नायडू ने विपक्ष के 8 सदस्यों को इस सत्र की शेष अवधि के लिए निलम्बित कर दिया। हालांकि, लिखे जाने तक यह सभी सदस्य सदन में बने हुए हैं और उन्होंने खुद पर हुई कार्रवाई को ज्यादती बताया है। इस बीच 11.20 मिनट पर उपसभापति ने कार्यवाही स्थगित कर दी है। उधर सभापति ने विपक्ष का उपसभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नामंजूर कर दिया है।

कल कांग्रेस सहित विपक्ष ने जबरदस्त हंगामा किया था। एक हफ्ते के लिए निलंबित होने के खिलाफ विपक्ष के 8 सांसद सदन में मौजूद हैं और लगातार हंगामा कर रहे हैं। इसके बाद उपसभापति ने बार-बार उनका नाम लेकर उन्हें सदन से बाहर जाने को कहा है। सदन में इस समय जबरदस्त नारेबाजी चल रही है।

भाजपा सदस्य ने इनकी शिकायत सभापति से की थी जिसके बाद सभापति वैंकेया नायडू ने सदन की कार्यवाही शुरू होते ही इन सांसदों के खिलाफ कार्रवाई की। निलंबित होने वाले सांसदों में डेरेक ओ ब्रायन, संजय सिंह, रिपुन बोरा, नजीर हुसैन, केके रागेश, ए करीम, राजीव साटव, डोला सेन हैं। सभापति ने इन 8 सांसदों को पूरे मॉनसून सत्र के लिए निलंबित कर दिया।

इसके बाद हंगामा शुरू हो गया। हंगामे को देखते हुए राज्यसभा की कार्यवाही 11.07 मिनट तक स्थगित कर दी। दुबारा शुरू के बाद हंगामा जारी रहा और निलंबित सदस्यों ने बाहर जाने से इंकार कर दिया। रविवार को सदन में हुई घटना पर सभापति वैंकेया नायडू ने कहा कि ये राज्यसभा के लिए सबसे खराब दिन था। कुछ सांसदों ने पेपर फेंका और माइक को तोड़ दिया। रूल बुक को फेंका गया। इस घटना से मैं बेहद दुखी हूं। उपसभापति को धमकी दी गई और उनपर आपत्तिजनक टिप्पणी की गई। इस बीच सभापति ने उपसभापति के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को भी नामंजूर कर दिया है।

मुंबई के पास इमारत ढहने से 10 की मौत

मुंबई के साथ लगते भिवंडी के धामनकर नाका इलाके में सोमवार तड़के एक तीन  मंजिला इमारत ढहने से 10 लोगों की मौत हो गयी है, जबकि कुछ लोग अभी भी मलबे में फंसे हैं। यह हादसा तड़के करीब पौने चार बजे हुआ। राहत और बचाव कार्य जारी हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक यह हादसा भिवंडी के धामनकर नाका इलाके में पटेल कंपाउंड का है। कहा गया है कि अभी भी कुछ लोग मलबे के बीच में फंसे हो सकते हैं। एनडीआरएफ, दमकल और पुलिस टीमें घटनास्थल पर अभी भी राहत कार्य में जुटी  हैं। कम से कम 20 लोगों के अभी भी वहां फंसे होने की आशंका जताई गयी है।

करीब 21 परिवार इस इमारत में रहते थे। यह इमारत 40 साल पुरानी बताई जा रही है। हादसे के बाद स्थानीय लोगों ने राहत कार्य में मदद की। दमकल विभाग भी राहत कार्य में डटा है। एनडीआरएफ की टीम ने एक बच्चे को भी मलबे से बाहर निकाला है। अभी तक 10 लोगों की जान गयी है। कई लोगों को बचाया गया है।

ये इमारत साल 1984 में बनी थी और 21 परिवार यहां रहते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस इमारत को म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने नोटिस भी दिया हुआ था और इमारत में क्षमता से ज्यादा लोग रहते थे। रात में जब यह घटना हुई तो इमारत के लोग सो रहे थे।

अयोध्या की भव्य रामलीला

Representational Image

सरयू के तट पर, भगवान राम के भव्य मंदिर निर्माण के भूमिपूजन समारोह के बाद रामनगरी में रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। अयोध्या एक बार फिर मेगा इवेंट से सज्जित होने जा रही हैं। अयोध्या में दशहरे पर भव्य रामलीला मंचन 17 से 25 अक्टूबर तक नौ दिनों के लिए किया जा रहा है। जिसका प्रसारण सोशल मीडिया, सैटेलाइट टेलीविजन, यूट्यूब चैनल और अन्य सोशल मीडिया चैनल्स पर एक फिल्म के रूप में प्रसारित किया जाएगा।

रामलीला के सभी एपिसोड 14 भाषाओं में रिकोर्डिंगं करके दिखाए जाऐंगे जिसमे हिन्दी के साथ-साथ  इंग्लिश, भोजपुरी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मराठी, पंजाबी, उर्दू, राजस्थानी, हरियाणवी, बंगला, मिथैली, व ओड़िया शामिल है। व सभी एपिसोड लक्ष्मण किला पर फिल्माए जाएंगें।

मेरी माँ फाउंडेशन के संस्थापक व रामलीला कमेटी के अध्यक्ष सुभाष मलिक ने कहा कि हमारी यहीं कोशिश है कि भगवान श्री राम की रामलीला इन अलग-अलग भाषाओं के प्रसारण के माध्यम से दुनिया के हर कोने तक पहुंचे। इस रामलीला का आनंद अपने घर बैठ कर अपनी पसंदीदा भाषा में लोग देख सकें।

रामलीला के मुख्य किरदार में कई बॉलिवुड हस्तियां भाग लेंगी। राम मे किरदार में सोनू डागर व सीता के किरदार में हरियाणवी फिल्म इंडस्ट्री का चर्चित चेहरा कविता जोशी नज़र आऐंगीं। ‘’मैं माता सीता की भूमिका निभाना अपना सौभाग्य समझती हूँ। यह मेरे जीवन के सबसे खुशी के क्षणों में से एक है, खासकर जब से हमारी रामलीला का पहली बार उसी मिट्टी पर मंचन किया जाएगा जहां राम मंदिर की आधारशिला रखी गई है,’’ कविता ने बताया। अपनी भूमिका की तैयारी में सोनू डागर ने सादा भोजन करना और फर्श पर सोना शुरू कर दिया है, “क्योंकि राम मर्यादा पुरूषोत्तम थे, जो एक साधारण जीवन जीते थे। मैं उनके जीवन को बेहतर समझने की कोशिश कर रहा हूं।”

गोरखपुर के सांसद व भोजपुरी अभिनेता रवि किशन भरत की भूमिका में नजर आंएगे। फिल्म स्टार विंदु दारा सिंह हनुमान के रूप में, फिल्म स्टार असरानी नारद मुनी के रूप में, फिल्म स्टार रज़ा मुराद अहिरावण के रूप में, उत्तर पूर्वी दिल्ली के भाजपा सांसद मनोज तिवारी अंगद की भूमिका में नज़र आऐंगे, फिल्म स्टार शाहबाज खान रावण के रूप में, फिल्म स्टार अवतार गिल सुबंहु और जनक के किरदार में, फिल्म स्टार राजेश पुरी सुतिकसं और निषादराज के रूप में, अभिनेश्री रितु शिवपुरी कैकयी के किरदार में, अभिनेता राकेश बेदी विभीषण के किरदार में, अभिनेता राकेश बेदी की बेटी सुलोचना के किरदार में नज़र आएंगे।

रामलीला में बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में राम द्वारा रावण के वध्द की कहानी को दशहरा उत्सव में दर्शाया जाता है।

अयोध्या रामलीला के प्रस्तुतकरता बॉबी बताते है कि वे पांच सालों से दिल्ली में रामलीला कर रहे थें। लेकिन उनकी इच्छा थी कि वह अयोध्या में रामलीला करें, जो कि उनकी इच्छा अब पूरी होंने जा रही है।

रामलीला भगवान राम की महाकाव्य गाथा है। नवरात्र में नौ दिनों तक चलने वाली रामलीला में मर्यादापुरूषोतम भगवान राम के जीवन के प्रत्येक घटनाओं को बड़ी खूबसूरती से दर्शाकों के सम्मुख एक ओपन स्टेज पर प्रस्तुत किया जाता है।

विपक्ष का राज्यसभा उपसभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ; छह मंत्रियों ने विपक्ष के आचरण की प्रेस कांफ्रेंस कर निंदा की

विपक्ष ने राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह के खिलाफ रविवार को सदन में कृषि बिलों पर चर्चा के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के जवाब के दौरान हुए हंगामे और इसके बाद की घटनाओं ने साफ कर दिया है कि किसान बिलों के मसले पर केंद्र सरकार और विपक्ष में गहरी रेखा खिंच गयी है। भले दोनों कृषि बिल राज्यसभा में भी पास हो गए, विपक्ष ने राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया है। इस बीच शाम को मोदी सरकार के छह मंत्रियों ने प्रेस कांफ्रेंस करके दिन में राज्यसभा में विपक्ष के इस आचरण को लोकतंत्र के खिलाफ बताया।

अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य अहमद पटेल ने कहा – ‘उन्हें (राज्यसभा के उप सभापति) को लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा करनी चाहिए, लेकिन इसके बजाय, उनके रवैये ने आज लोकतांत्रिक परंपराओं और प्रक्रियाओं को नुकसान पहुंचाया है। हरिवंश सिंह के इस रवैये को देखते हुए हमने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया।’

बता दें सदन की कार्यवाही के दौरान आज टीएमसी सांसद ने रूल बुक फाड़ दी। उनका कहना था कि सदन में सारे नियम तोड़ दिए गए हैं। इसके अलावा सदन में जबरदस्त हंगामा हुआ। अहमद पटेल ने कहा कि ‘जिस तरह से लोकतांत्रिक प्रकियाओं को अनदेखा करके इस बिल को पास किया है, वह लोकतंत्र की हत्या के सामान है। आज का दिन इतिहास के काले दिन के रूप में जाना जाएगा। आज 12 विपक्षी दलों ने राज्यसभा के उप सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया है।’

कृषि बिल के खिलाफ राज्यसभा में आज नारेबाजी भी खूब  हुई थी। टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन उपसभापति की वेल तक आ गए और फिर उपसभापति से बिल छीनने की कोशिश की। इस दौरान मार्शल ने बीच बचाव किया तो उपसभापति के सामने रखा माइक टूट गया। इसके बाद टीएमसी सांसद वहां से नारेबाजी करते हुए पीछे की ओर लौट गए।

बिल पास होने के बाद राज्यसभा की कार्रवाई को कल तक के लिए स्थगित कर दिया गया, लेकिन कांग्रेस और विपक्ष ने राज्यसभा के भीतर ही प्रदर्शन किया और धरने पर बैठ गए। उधर बाद में भाजपा अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य जेपी नड्डा ने कहा – ‘विपक्षी दल किसान विरोधी हैं, इस प्रक्रिया का साथ देने के बजाए इन लोगों ने किसानों की आजादी में रोड़ा डालने की कोशिश की। जिस तरह से विपक्ष ने इन बिल का राज्यसभा में विरोध किया और इसे पास होने से रोकने की कोशिश की, वह बहुत ही गैरजिम्मेदाराना है और यह सीधे तौर पर लोकतंत्र पर हमला है।’

छह मंत्रियों की प्रेस कांफ्रेंस
इस बीच शाम को मोदी सरकार के छह मंत्रियों ने प्रेस कांफ्रेंस करके विपक्ष के दिन में राज्यसभा में आचरण को लोकतंत्र के खिलाफ बताया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जो कृषि विधेयक आज राज्यसभा से पास हुए हैं वो ऐतिहासिक हैं। किसानों को इसके जरिए वो आजादी मिलेगी जिसका वो हकदार है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार ने कभी भी किसानों के अहित की बात नही सोची है और सरकार हमेशा उनके भले के लिए कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है। रक्षा मंत्री ने कहा कि मैं खुद एक कृषक रहा हूं और किसानों की समस्याओं को लेकर जागरुक हूं, सरकार के लिए गए कदमों की मैं सराहना करता हूं और इन कानूनों से किसानों को वो आजादी मिलेगी जिसके लिए वो इतने सालों से इंतजार कर रहे हैं।

सिंह ने कहा कि इन दोनों विधायकों के पारित होने से कृषि क्षेत्र में वृद्धि और विकास का एक नया इतिहास लिखा जाएगा। राजनाथ सिंह ने कहा कि इन दोनों विधेयकों के पारित होने से न केवल भारत की खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी, बल्कि किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में भी यह एक बड़ा प्रभावी कदम सिद्ध होगा। ‘संसद में इन दोनों विधेयकों के पारित हो जाने के बाद कृषि क्षेत्र में वृद्धि और विकास का एक नया इतिहास लिखा जाएगा।’

अनुराग कश्यप ने यौन उत्पीड़न के आरोपों को बताया बेबुनियाद

बॉलीवुड अभिनेत्री के फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप पर लगाए यौन उत्पीड़न के आरोपों पर लगता है पीड़िता ही घिर गई हैं। अनुराग कश्यप ने यौन उत्पीड़न के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। उनके समर्थन में पूर्व पत्नी के साथ ही फिल्म जगत के कई सितारे उतर आए हैं।

दरअसल, एक अभिनेत्री ने शनिवार को अनुराग पर करीब पांच साल पहले यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय से हस्तक्षेप की मांग की थी। इस पर अभिनेत्री कंगना रणौत ने ट्वीट कर कहा कि अनुराग को गिरफ्तार करो।

अनुराग ने रविवार को ट्वीट किया, क्या बात है, इतना समय ले लिया मुझे चुप करवाने की कोशिश में। चलो कोई नहीं मुझे चुप कराने की कोशिश में इतना तो झूठ बोल गए कि औरत होते हुए दूसरी औरत को सभी संग घसीट लिया। थोड़ी तो मर्यादा रखिए मैडम। बस यही कहूंगा कि जो भी आरोप हैं, सभी बेबुनियाद हैं।
अनुराग ने ट्वीट किया, मुझ पर आरोप लगाने की कोशिश में आपने मेरे दोस्तों और बच्चन परिवार को भी घसीट लिया। लेकिन तुम नाकाम रही। मैंने दो शादियां की हैं। अगर यह अपराध है तो मैं इसे स्वीकार करता हूं। मैं यह भी स्वीकार करता हूं कि मैंने बहुत प्रेम किया है। चाहे मेरी पहली पत्नी हो या दूसरी पत्नी, कोई प्रेमिका या अन्य महिला जिसके साथ मैंने काम किया। मैंने कभी भी इस तरह का व्यवहार नहीं किया है और न ही बर्दाश्त करता हूं। बाकी जो होगा देखते हैं।
वहीं, अनुराग की पहली पत्नी आरती बजाज ने कहा, अनुराग आप रॉकस्टार हो। आप पहले की ही तरह महिलाओं का सशक्तीकरण करना जारी रखो। आपने सभी महिला कलाकारों के लिए सुरक्षित माहौल बनाया है। अभिनेत्री के आरोप घटिया हथकंडा है। आप गलत के खिलाफ आवाज उठाना जारी रखो। इसके अलावा अभिनेत्री तापसी पन्नू, निर्देशक अनुभव सिन्हा, टिस्का चोपड़ा और सुरवीन चावला ने भी अनुराग का समर्थन किया है।

300 से ज्यादा कर्मियों वाली कंपनी बिना मंजूरी कर सकेगी छंटनी

कोई भी तीन सौ से ज्यादा कर्मचारियों वाली कंपनी सरकार से मंजूरी लिए बिना कर्मियों की जब चाहे छंटनी कर सकेगी। श्रम मंत्रालय ने इसके लिए नियमों में बदलाव वाला औद्योगिक संबंध संहिता-2020 विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया है।
श्रममंत्री संतोष गंगवार ने कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के विरोध के बीच पिछले साल पेश विधेयकों को वापस लेते हुए व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य परिस्थिति संहिता-2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता-2020 भी लोकसभा में पेश किए। गंगवार के मुताबिक, 29 से ज्यादा श्रम कानूनों को चार संहिता में शामिल किया गया है। उन्होंने दावा किया कि विभिन्न हितधारकों से विधेयकों को लेकर लंबी चर्चा की और करीब छह हजार से ज्यादा सुझाव मिले। इन विधेयकों को स्थायी समिति के पास भेजा था और 233 सिफारिशों में से 174 को स्वीकार किया गया है। औद्योगिक संबंध संहिता-2020 के छंटनी वाले प्रावधान पर श्रम मंत्रालय और कर्मचारी संगठनों के बीच गंभीर मतभेद की बात स्वीकारी। संगठनों के भारी विरोध के चलते 2019 के विधेयक में यह प्रावधान नहीं था।
अबागी क्या है प्रावधान
100 से कम कर्मचारी वाले औद्योगिक प्रतिष्ठान या संस्थान ही पूर्व सरकारी मंजूरी के बिना कर्मचारियों को रख और हटा सकते हैं।
विपक्ष ने कहा-पहले संगठनों से चर्चा होनी चाहिए थी
प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी और शशि थरूर ने विधेयक का विरोध किया। मनीष तिवारी ने कहा, ये विधेयक लाने से पहले श्रमिक संगठनों और संबंधित पक्षों से चर्चा करनी चाहिए थी। श्रमिकों से जुड़े कई कानून अभी भी इसके दायरे में नहीं हैं। लिहाजा आपत्तियों को दूर करने के बाद इन्हें लाया जाए। थरूर ने कहा, विधेयकों को नियमों के तहत पेश करने से दो दिन पहले सदस्यों को देना चाहिए था।

कृषि विधेयकों पर राज्यसभा में जबरदस्त हंगामा ; कार्यवाही स्थगित होने के बाद सभी बिल ध्वनिमत से पास

राज्यसभा में खेती से जुड़े बिल फार्मर्स एंड प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) बिल और फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस बिल रविवार को विपक्ष के जबर्दस्त शोर और नारेबाजी के बीच ध्वनिमत से पास हो गए। यह बिल लोक सभा में पहले ही पास हो चुके हैं। आज नाराज विपक्ष ने सदन में न केवल उपसभापति के माइक तोड़ दिए बल्कि एक सदस्य ने रूल बुक की कॉपी भी फाड़ डाली। यह सभी विपक्षी सदस्य कृषि बिलों का जबरदस्त विरोध और सरकार के इन्हें जल्दबाजी में पास करवाने का विरोध कर रहे थे और ‘तानाशाही बंद करो’ के नारे लगा रहे थे।

उपसभापति ने विपक्ष के शोर के बीच कुछ देर के लिए कार्यवाही को स्थगित कर दिया। कार्यवाही जब दोबारा शुरू हुई तो विपक्ष का शोर जारी रहा, हालांकि इस दौरान उपसभापति ने विधेयकों पर मतदान नहीं करवाया गया और इन्हें ध्वनिमत से पास कर दिया गया। इस तरह राज्य सभा में भी यह बिल पास हो गए।

विपक्ष ने इससे पहले सदन में आज का समय पूरा होने के बाद समय आगे बढ़ाने का विपक्ष ने जबरदस्त विरोध किया और आग्रह किया कि इसे अब कल पर टाल देना चाहिए और बिल पास करने की जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए। हालांकि, उपसभापति ने विपक्ष को शांत रहने और मंत्री को अपना जबाव जारी रखने के लिए कहा, जिसके बाद विपक्ष के सदस्य भड़क गए। टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन को रूल बुक फाड़ते हुए देखा गया।

एक मौके पर टीएमसी और आप के सदस्य पीठासीन उपसभापति के आसान के बिलकुल निकल चले आये और एक सदस्य कोई पुस्तिका उनके सामने लहराने लगे। विपक्ष के तमाम सदस्य अपने स्थान पर खड़े हो गए और लगातार नारे लगाते रहे। कुछ सदस्यों ने आसन के समीप पर आकर उप सभापति के माइक को भी खींचने की भी कोशिश की।
विपक्ष के चार सदस्यों ने जो संशोधन पेश किये थे, वे उनपर डिवीजन चाहते थे। लेकिन उन्हें इसकी अनुमति नहीं मिली। कुछ सदस्य प्वाईंट आफ आर्डर चाहते थे, लेकिन सभापति ने इसकी मंजूरी नहीं दी।

मत विभाजन से पहले सदन का समय आगे बढ़ाने को लेकर खूब हंगामा हुआ। नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि परंपरा रही है कि समय आम सहमति से ही आगे बढ़ाया जाता है। इसके बाद कुछ सदस्यों को वेल में आते भी देखा गया जिसपर उप सभापति ने उन्हें कोरोना के नियमों का ख्याल रखने के ताकीद की। बाद में उन्होंने रूलिंग दी कि मंत्री अपना बात जारी रखेंगे और सिर्फ उनकी बात रेकार्ड में जाएगी। इस दौरान विपक्ष के सदस्य लगातार नारेबाजी करते रहे।
बिलों पर चर्चा के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अपने जवाब में कहा कि दोनों बिल ऐतिहासिक हैं, इनसे किसानों की जिंदगी बदल जाएगी। किसान देशभर में कहीं भी अपना अनाज बेच सकेंगे। मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि बिलों की संबंध न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नहीं है।

तोमर ने कहा कि देश में खेती का योगदान पहले से कम दिखता है लेकिन सच यह है कि कोविड-19 के दौरान भी किसानों ने अपना काम बंद नहीं किया। किसानों ने कृषि की जीडीपी गिरने नहीं दी। कहा कि 2014 में सत्ता संभालने पर पीएम मोदी ने किसानों के आमदन दोगुनी करने का प्रण किया था।   इन छह सालों में सरकार ने इसपर बहुत काम किया है और अब इन बिलों के जरिये किसानों को लाभ देने की बड़ी कोशिश की गयी है।

कहा कि स्वामीनाथन समिति ने लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़कर एमएसपी घोषित करने  थी लेकिन कांग्रेस के पूर्व सरकार ने भी इसे लागू नहीं किया। पीएम मोदी ने इसपर काम किया और अब इन बिलों के जरिये यह लाभ किसानों को मिलेगा। उन्होंने 2014 के बाद मोदी सरकार की कोशिशों से कृषि उत्पाद बढ़ने के आंकड़े भी अपने जबाव में सदन में रखे।

इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने किसान बिलों का जोरदार विरोध करते हुए इसे मोदी सरकार का काला क़ानून बताया है। एक ट्वीट में राहुल ने कहा – ‘मोदी सरकार के कृषि-विरोधी ‘काले क़ानून’ से किसानों को : 1. APMC/किसान मार्केट ख़त्म होने पर MSP कैसे मिलेगा? 2. MSP की गारंटी क्यों नहीं? मोदी जी किसानों को पूँजीपतियों का ‘ग़ुलाम’ बना रहे हैं जिसे देश कभी सफल नहीं होने देगा।

राहुल गांधी का ट्वीट –
Rahul Gandhi
@RahulGandhi
मोदी सरकार के कृषि-विरोधी ‘काले क़ानून’ से किसानों को:
1. APMC/किसान मार्केट ख़त्म होने पर MSP कैसे मिलेगा?
2. MSP की गारंटी क्यों नहीं?
मोदी जी किसानों को पूँजीपतियों का ‘ग़ुलाम’ बना रहे हैं जिसे देश कभी सफल नहीं होने देगा।
#KisanVirodhiNarendraModi