राजधानी दिल्ली के आदर्श नगर इलाके में 18 साल के एक लड़के की लड़की के परिजनों ने सिर्फ इसलिए हत्या कर दी क्योंकि वह उससे बात करता था। रिपोर्ट्स के मुताबिक तीन दिन पहले इस लड़के की पीट-पीटकर हत्या कर दी गयी। पुलिस ने इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया है।
जानकारी के मुताबिक राहुल राजपूत नाम के लड़के की बुधवार रात पीट-पीटकर जान ले ली गयी। पुलिस की अभी तक की जाँच में सामने आया है कि एक लड़की से उसकी दोस्ती थी जिसके बाद उसे लड़की के परिजनों ने बहुत ज्यादा पीट दिया। लड़की अलग धर्म की थी, जिससे उसके परिजन नाराज थे। लड़की के कुछ रिश्तेदार राहुल से मिले और उसके ऊपर लाठी-डंडों से हमला कर दिया। बेहोशी की हालत में उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया।
मामला दो धर्मों के बीच होने के कारण वहां अब अतिरिक्त पुलिस तैनात की गयी है। राकेश की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बताया गया है कि तिल्ली फटने से उसकी मौत हुई है। पुलिस जांच में सामने आया है कि राहुल की पड़ौस में रहने वाली एक लड़की से दोस्ती थी। जहांगीरपुरी की इस लड़की के घरवालों को यह पसंद नहीं था।
पुलिस का कहना है कि जिन लोगों ने राहुल पर हमला किया, उनमें लड़की का भाई मोहम्मद राज (20), रिश्तेदार मानवर हुसैन (20) और उसके तीन नाबालिग दोस्त शामिल हैं। तीनों पुलिस हिरासत में हैं। राहुल सेकंड ईयर की पढ़ाई कर रहा था साथ ही अंग्रेजी की ट्यूशन भी देता था।
राहुल के पिता संजय राजपूत के मुताबिक, एक दिन पहले लड़की ने राहुल से मुलाकात की थी। उन्होंने यह भी कहा कि लड़की राहुल का कोरोना टेस्ट कराने साथ में गई थी। बेटे की मूत से दुखी संजय ने कहा – ‘अगर उस लड़की के परिवार को कोई दिक्कत थी मेरे बेटे को थप्पड़ मार लेते या हमें बताते। लेकिन उसे मारने से क्या होगा। मैं चाहता हूं कि जिन लोगों ने मेरे बेटे को मारा, वो जेल से कभी रिहा न हों।’
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अमेरिकी कवयित्री लुईस ग्लुक को 2020 का साहित्य नोबेल
अमेरिकी कवयित्री लुईस ग्लुक को 2020 के साहित्य नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है। उनकी शानदार काव्य शैली के लिए उन्हें यह पुरस्कार दिया गया है जो व्यक्तिगत अस्तित्व को वैश्विक पहचान दिलाती है।
बता दें यह पुरस्कार कुछ कारणों से पिछले तीन साल से नहीं दिया जा रहा था और अब इसे दिया गया है। साल 2018 में यह पुरस्कार तब टाल दिया गया था जब स्वीडिश एकेडमी को लेकर यौन शोषण के आरोपों ने दुनिया भर में तहलका मचा दिया था। इसके बाद इसके सदस्यों को सामूहिक रूप से इस्तीफ़ा देने को मजबूर होना पड़ा था।
अब ग्लुक ने साहित्य में 2020 का नोबेल पुरस्कार जीता है। स्वीडिश एकेडमी ने गुरुवार को बताया कि नोबेल पुरस्कार के तहत स्वर्ण पदक, एक करोड़ स्वीडिश क्रोना (तकरीबन 8.20 करोड़ रूपये) की राशि दी जाती है। स्वीडिश क्रोना स्वीडन की मुद्रा है।
याद रहे यह पुरस्कार स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल के नाम पर दिया जाता है। स्टॉकहोम में स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेस के पैनल ने विजेताओं की घोषणा की।
रामविलास पासवान का कल पटना में अंतिम संस्कार, नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान, जिनका गुरुवार रात निधन हो गया था, को विभिन्न नेताओं ने शुक्रवार को उनके दिल्ली स्थित आवास पर श्रद्धांजलि दी। इनमें प्रधानम्नत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित कई नेताओं ने श्रद्धांजलि दी। उनकी देह को आज पटना ले जाय जाएगा, जहाँ शनिवार को उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
पासवान के निधन के बाद राष्ट्रपति भवन, संसद भवन पर राष्ट्र ध्वज को आधा झुका दिया गया है। पासवान 74 वर्ष के थे और पिछले कुछ दिनों से काफी बीमार थे। उन्हें देश के बड़े दलित नेताओं में एक माना जाता है। उनके निधन की खबर आते ही कई नेताओं ने शोक जताया जिनमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम मोदी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित कई नेता शामिल हैं।
उनके बेटे चिराग पासवान ने कल शाम ट्वीट करके उनके निधन की जानकारी दी थी। पासवान के निधन की सूचना के बाद सियासी गलियारे में शोक की लहर है। उनके सम्मान में शुक्रवार को राजकीय शोक की घोषणा की गई है और इस दौरान तिरंगा आधा झुका रहेगा।
पासवान का पार्थिव शरीर सुबह दिल्ली स्थित उनके आवास पर पहुंच गया। पीएम मोदी ने उनके आवास पर पहुंचकर दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि अर्पित की और दुखी परिवार को ढांढस बंधाया। उनके साथ भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी थे। मोदी ने उनके बेटे चिराग पासवान के कंधे पर हाथ रखकर ढांढस बंधाया। इस दौरान रामविलास पासवान की पत्नी भी वहां पर मौजूद थीं।
बता दें पासवान पिछले तीन दशक में कमोवेश हरेक सरकार में मंत्री रहे। उन्हें राजनीति का मौसम विज्ञानी भी माना जाता था। इस बार भी उनकी पार्टी एलजेपी बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा-जेडीयू गठबंधन के साथ चुनाव नहीं लड़ रही जिसके बाद कई कयास लगाए जा रहे हैं।
तब्लीगी जमात मामला -हाल के समय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हुआ सबसे ज्यादा दुरुपयोग : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाल के दिनों में बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का ‘सबसे अधिक दुरुपयोग’ हुआ है। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामा सुब्रमणियन की पीठ ने तब्लीगी जमात के मामले में मीडिया की रिपोर्टिंग पर जमीयत उलेमा ए हिंद और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह तल्ख टिप्पणी की। इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया कि कोविड-19 के दौरान हुए तब्लीगी जमात के कार्यक्रम पर मीडिया का एक वर्ग सांप्रदायिक विद्वेष फैला रहा था।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस मुद्दे पर केन्द्र के ‘कपटपूर्ण’ हलफनामे के लिए उसकी खिंचाई की। कोर्ट ने कहा कि हाल के दिनों में बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का ‘सर्वाधिक दुरुपयोग’ हुआ है। पीठ ने यह टिप्पणी तब की जब तब्लीगी जमात की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि याचिकाकर्ता बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन करने की कोशिश कर रहे हैं। इस पर पीठ ने कहा, ‘वे अपने हफनामे में कुछ भी कहने के लिए स्वतंत्र हैं, जैसे की आप जो चाहें वह तर्क देने के लिए स्वतंत्र है।’
पीठ इस बात से नाराज हो गई कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव के बजाय एक अतिरिक्त सचिव ने हलफनामा दाखिल किया जिसमें तब्लीगी जमात मामले में मीडिया रिपोर्टिंग के संबंध में ‘गैरजरूरी’ और ‘अतर्कसंगत’ बातें लिखी हैं। पीठ ने कहा, ‘आप कोर्ट के साथ ऐसा सुलूक नहीं कर सकते जिस तरह से आप इस मामले में कर रहे हैं।’
शीर्ष अदालत ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव को इस तरह के मामलों में मीडिया रिपोर्टिंग को रोकने के लिए पूर्व में उठाए गए कदमों का विस्तृत ब्योरा देने का निर्देश दिया है।
अदालत ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से यह सुनिश्चित करने को कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव नया हलफनामा दायर करें। अदालत ने मंत्रालय के सचिव से इस तरह के मामलों में अभिप्रेरित रिपोर्टिंग को रोकने के लिए पूर्व में उठाए गए कदमों का विस्तृत ब्यौरा देने को कहा। अब मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।
दरअसल, अदालत में दायर की गई याचिकाओं में तब्लीगी जमात के खिलाफ फर्जी खबर प्रसारित करने और दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन स्थित मरकज की घटना को सांप्रदायिक रूप देने के साथ ही मुस्लिम समुदाय का चरित्र हनन किए जाने का आरोप लगाकर टीवी न्यूज चैनलों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।
टीआरपी घोटाले का खुलासा किया मुंबई पुलिस ने, रिपब्लिक टीवी का भी नाम आया मामले में सामने
टीवी चैनलों की तरफ से टीआरपी बढ़ाने के लिए कई कुछ किया जाता है, लेकिन मुंबई पुलिस ने गुरूवार को खुलासा किया है कि उसने एक फ़र्ज़ी टीआरपी रैकेट का पर्दाफाश किया है। मुंबई पुलिस ने एक प्रेस कांफ्रेंस में तीन चैनलों रिपब्लिक भारत, बॉक्स सिनेमा और वक्त मराठी पर गंभीर आरोप लगाए हैं और कहा है कि ये टीवी चैनल कथित रूप से पैसा देकर टीआरपी मैनेज करने का काम कर रहे थे। पुलिस ने कहा कि रिपब्लिक टीवी चैनल के डायरेक्टर के खिलाफ कार्रवाई और उसके खातों की जांच हो सकती है। इस घोटाले में पुलिस ने 4 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस के मुताबिक इस मामले में भादंसं की धाराओं 409, 420 के तहत मामला दर्ज किया गया है। उधर रिपब्लिक टीवी ने कहा है कि वह मुंबई पुलिस के खिलाफ कदम उठाएगा, क्योंकि यह आरोप झूठे हैं।
पुलिस कमिश्नर ने न्यूज चैनलों पर चल रहे टीआरपी के एक बड़े खेल का खुलासा किया है। पुलिस ने कहा कि न्यूज चैनलों पर सुशांत के नाम पर प्रोपेगैंडा चलाया जा रहा था, साथ ही फॉल्स टीआरपी का रैकेट भी चल रहा है। चैनलों को खुफ़िआ डाटा बेचा गया। पुलिस ने कहा है कि चाहे कोइ कितना भी बड़ा होगा उसे क़ानून के सामने लाया जाएगा।
मुंबई पुलिस ने कहा कि पैसा देकर फॉल्स टीआरपी कराया जाता था। इस मामले में मुंबई पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार भी किया है। मुंबई पुलिस का कहना है कि रिपब्लिक टीवी पैसा देकर टीआरपी खरीदता है। पुलिस ने दावा किया कि कुछ अनपढ़ लोगों के घर भी अंग्रेजी चैनल चलते थे। मुंबई पुलिस ने बताया कि हमें ऐसी सूचना मिली कि पुलिस के खिलाफ फेक प्रोपेगैंडा चलाया जा रहा है।
प्रेस कांफ्रेंस में पुलिस के मुताबिक रिपब्लिक टीवी पैसा देकर टीआरपी बढ़ाता है. चैनल के डायरेक्टर के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। चैनल के खातों की जांच हो सकती है। पुलिस ने बताया कि उसने टीआरपी को कैलकुलेट करने वाली एजेंसी बीएआरसी (बार्क) से जुड़ी हंसा नाम की एक एजेंसी पर शिकंजा कसा। देश भर में 3000 से ज्यादा पैरामीटर्स, मुंबई में तकरीबन 2000 पैरामीटर्स के मेंटेनेंस का जिम्मा बार्क से जुड़ी एजेंसी हंसा को दिया गया था जो टीआरपी के साथ छेड़छाड़ कर रही थी।
मुंबई पुलिस के मुताबिक जिन घरों में ये कॉन्फिडेंशियल पैरामीटर्स लगाए गए थे उस डेटा को किसी चैनल के साथ शेयर कर उनके साथ टीआरपी को छेड़छाड़ किया गया। इन घरों में एक खास चैनल को ही लगाकर रखने के लिए कहा गया था जिसके बदले में उन्हें पैसे दिए जाते थे। इस मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया और अदालत में पेश किया गया।
पुलिस के मुताबिक गिरफ्तार किए गए शख्स के बैंक अकाउंट से तकरीबन 10 लाख और 8 लाख नगद बरामद किए गए हैं। तीन चैनलों की जानकारी मिली जिनमें से दो छोटे चैनल हैं। पुलिस ने बताया कि ये डेटा को कॉम्प्रमाइज और पैसा देकर टीआरपी को मैन्युपुलेट करने का काम कर रहे थे।
मुंबई पुलिस के मुताबिक विशेष चैनल को ऑन करने के लिए कहा जाता था। अनपढ़ लोगों के घरों में इंग्लिश के चैनल को ऑन करने की भी डील की गई थी। महीना फिक्स था। लोगों के घरों में पैसा देते थे। बीस लाख रुपये एक अकाउंट से सीज किए गए। एक आदमी से 8 लाख कैश बैंक लॉकर से रिकवरी हुई है।
इस घोटाले में पुलिस ने 4 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस के मुताबिक इस मामले में भादंसं की धाराओं 409, 420 के तहत मामला दर्ज किया गया है। उधर रिपब्लिक टीवी ने कहा है कि वह मुंबई पुलिस के खिलाफ कदम उठाएगा, क्योंकि यह आरोप झूठे हैं।
कोलकाता में भाजपा का प्रदर्शन
विधानसभा चुनाव को देखते भाजपा पश्चिम बंगाल में फिर सक्रिय हुई है। लोकसभा चुनाव बांछित नतीजे न मिलने से निराश भाजपा की नजर अब विधानसभा चुनाव पर है। गुरूवार को भाजपा ने राजधानी कोलकाता में ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन का आयोजन किया है। अभी तक की ख़बरों के मुताबिक भाजपा कार्यकर्ता वहां प्रदर्शन कर रहे हैं।
भाजपा का आरोप है कि पश्चिम बंगाल में उसके कार्यकर्ताओं की हत्याएं की जा रही हैं। इसके लिए वह टीएमसी के लोगों को जिम्मेवार बता रही है। हालांकि, टीएमसी इन आरोपों को मनघड़ंत बता चुकी है। अब भाजपा आज सड़कों पर उतरी है। उसका प्रदर्शन कोलकाता में चल रहा है जहाँ उसने पुलिस के लगाए बेरिकेड तोड़ने की कोशिश की जिसके बाद पुलिस ने भीड़ तितर-बितर करने के लिए वॉटर केनन और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। भाजपा का आरोप है कि उसके लोगों पर पुलिस ने लाठी चार्ज भी किया है।
भाजपा के इस प्रदर्शन के नेतृत्व कैलाश विजयवर्गीय कर रहे हैं। भाजपा के प्रदर्शन को देखते हुए विद्यागसागर सेतु और हावड़ा ब्रिज पूरी तरह से बंद कर दिए गए हैं। इसके बाद वहां ट्रैफिक बंद हो गया है। ममता बनर्जी ने कोरोना इ कारण भाजपा को इस प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी थी। इसके बावजूद भाजपा प्रदर्शन कर रही है और पुलिस प्रदर्शनकारियों को हटाने की कोशिश कर रही है।
उधर विजयवर्गीय ने आरोप लगाया है कि पश्चिम बंगाल सरकार भाजपा से डरती है और उसे शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने से रोक रही है जो उसका बुनियादी लोकतांत्रिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि सीएम कह रही थीं कि भाजपा को लोकसभा चुनाव में कुछ नहीं मिलेगा लेकिन पार्टी ने 18 सीटें जीतीं। ‘हम विधानसभा चुनाव भी दो तिहाई बहुमत से जीतेंगे”।
वायुसेना दिवस पर हिंडन एयरफोर्स स्टेशन में रोमांचक प्रदर्शन, देखते रह गए वायुसेना शक्ति को लोग
गाजियाबाद के हिंडन एयरफोर्स स्टेशन में गुरुवार को वायुसेना का 88वां दिवस शानदार तरीके से मनाया गया। आकाश मिसाइल, ध्रुव हेलिकॉप्टर, मिराज-2000, जगुआर, तेजस, सुखोई-30 एमकेआई, रोहिणी रडार सिस्टम, अपाचे हेलिकॉप्टर और सी-130जे सुपर हरक्यूलिस परिवहन विमान इस मौके पर शामिल हुए जबकि रफाल की उड़ान ने लोगों को सबसे ज्यादा रोमांचित किया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक एयर शो में सारंग हेलिकॉप्टर ने डॉल्फिन लीप का प्रदर्शन कर वहां उपस्थित लोगों का मन मोह लिया। इससे पहले रफाल और तेजस ने उड़ान भरी। रफाल को हाल में वायुसेना बेड़े में शामिल किया गया है। हिंडन एयरबेस पर उपस्थित लोगों को वायुसेना के जांबाजों ने अपने करतबों से रोमांचित कर दिया।
विंटेज विमान टाइगर मोथ के करतब भी कमाल रहे। इस मौके पर एयर चीफ एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने कहा कि वह राष्ट्र को आश्वस्त करना चाहते हैं कि भारतीय वायु सेना विकसित होगी और देश की संप्रभुता और हितों की रक्षा के लिए सभी परिस्थितियों में कभी भी तैयार रहेगी।
आज काफी कार्यक्रम हुए। ट्राई कलर फार्मेशन में उतरते आकाशगंगा पैराजम्पर्स टीम के सदस्यों ने लोगों को मन मोह लिया। इस मौके पर आकाश गंगा टीम के जांबाज ने पैराजंपिंग की। समारोह में उन सभी विमानों को दिखाया गया को वायुसेना की ताकत और गुरूर हैं। इनमें रफाल, एयरबोर्न अर्ली वार्निंग सिस्टम, चिनूक हेलिकॉप्टर, मिग-29, आकाश मिसाइल, ध्रुव हेलिकॉप्टर, मिराज-2000, जगुआर, तेजस, सुखोई-30 एमकेआई, रोहिणी रडार सिस्टम, अपाचे हेलिकॉप्टर और सी-130जे सुपर हरक्यूलिस परिवहन विमान शामिल हैं।
हिंडन एयरफोर्स स्टेशन में परेड ग्राउंड पर वायुसैनिकों ने कदमताल करते हुए सामंजस्य का परिचय दिया। आकाश में रफाल, तेजस और सुखोई ने अपना पराक्रम दिखाया। समारोह में चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल विपिन रावत, वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया, नेवी और थल सेना प्रमुख भी मौजूद रहे। नेवी चीफ एडमिरल कर्मवीर सिंह ने वायुसेना दिवस समारोह में वायुसैनिकों को सलामी दी। वहीं, आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने भी सलामी दी।
बिहार में टापते रह गए गुप्तेश्वर पांडेय, बक्सर से परशुराम चतुर्वेदी को मिला टिकट
गुप्तेश्वर पांडे फिर टापते रह गए। मुख्यमंत्री और जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में विवादित रहीं पूर्व मंत्री मंजू वर्मा को तो विधानसभा का टिकट दे दिया, बेचारे पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय टिकट का इंतजार करते रह गए। उधर इस बार जिस तरह रामविलास पासवान की एलजेपी ने एनडीए से अलग जाकर अपने बूते चुनाव लड़ने की तैयारी की है, उससे भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को झटका लगा है और उसकी चुनावी संभावनाओं पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने पिछले कल अपनी सभी 115 सीटों के उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी, लेकिन इसमें कहीं भी गुप्तेश्वर पांडेय का नाम नहीं है। पांडेय डीजीपी का पद छोड़कर हाल में जेडीयू में शामिल हुए थे। सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में बिहार पुलिस की जांच के दौरान उनकी सक्रियता और रिया चक्रवर्ती पर उनका ‘औकात’ वाला कमेंट काफी चर्चा में रहे थे।
अब रिया जमानत के बाद रिहा हो गयी हैं और सुशांत मामले में भी कोई ऐसी ठोस चीज सामने नहीं आई है जिसमें बिहार पुलिस वाली थ्यूरी को ताकत मिली। ऐसे में पांडे को टिकट न मिलने का एक कारण यह भी बताया जा रहा है। वैसे पांडेय ने एक मौके पर यह भी कहा था कि उन्हें कई जगह से टिकट देने की मांग कुछ हलकों से है। अब पांडे टापते रह गए हैं और नीतीश कुमार ने लगता है उन्हें भुला दिया है।
उधर नीतीश ने 115 उम्मीदवारों की लिस्ट में पूर्व मंत्री मंजू वर्मा को चेरिया बरियारपुर विधानसभा सीट से टिकट देकर सबको चौंका दिया है। मंजू वही नेता हैं जो पिछले साल पूरे देश को हिला देने वाले मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड के वक्त नीतीश सरकार में समाज कल्याण विभाग मंत्री थीं। आरोप है कि उन्हीं की नाक के नीचे बालिका गृह कांड होता रहा और वह आंखें मूंदे रहीं। इस कांड के सामने आने के बाद नीतीश कुमार की काफी किरकिरी हुई जिसके बाद मंजू वर्मा पर इस्तीफे का दबाव बना। हालांकि दबाव के बावजूद कई दिनों के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया था। उन्हें पार्टी से भी निलंबित किया गया था।
गुप्तेश्वर पांडेय बक्सर से टिकट की उम्मीद कर रहे थे। पांडेय को बक्सर के अलावा वाल्मीकि नगर लोकसभा उप चुनाव से आस थी लेकिन वहां भी नीतीश कुमार की जेडीयू ने दिवंगत सांसद बैद्यनाथ महतो के बेटे सुनील कुमार को उम्मीदवार बनाने का ऐलान कर दिया है। एनडीए में बक्सर सीट बीजेपी को मिली और बीजेपी ने इस सीट से बुधवार की शाम परशुराम चतुर्वेदी को टिकट देने का ऐलान कर दिया है।
पांडेय के साथ ऐसा दूसरी बार हुआ क्योंकि 2009 के लोकसभा चुनाव में भी पांडेय ने भाजपा टिकट पर बक्सर लोकसभा सीट लड़ने के लिए वीआरएस लिया था लेकिन टिकट नहीं मिला। बाद में नीतीश कुमार की सरकार ने उनकी वीआरएस वापसी की अर्जी स्वीकार कर ली जिसके वो नौकरी में लौट गए।
देखा जाए तो सुशांत मामले में बिहार पुलिस की सक्रियता का चेहरा गुप्तेश्वर पांडेय थे और इसी दौरान उन्होंने एक बार रिया चक्रवर्ती की ‘औकात’ तक पूछ ली थी। शिवसेना तो नपछले से ही पांडेय को निशाना बना रही है और कह रही है कि चु नावी लाभ के लिए पांडेय ने ये सब किया। लेकिन अब पांडये का मामला यह है कि ‘न खुदा ही मिला, न बिसाल-ए-सनम’।
उधर गठबंधन के मामले में जैसी राजनीति हुई है और जिस तरह भाजपा का नाम इसके पीछे माना जा रहा है उससे खुद भाजपा की जबरदस्त किरकिरी हुई है। लोगों में उसके गठबंधन को लेकर शंकाएं खड़ी हुई हैं जिसका उसे चुनाव में बड़ा नुक्सान पड़ सकता है। बीच में यह भी चर्चा रही कि एलजेपी भाजपा में विलय कर सकती है। अब जैसी आशंकाएं बनी हैं उसमें एक यह है कि जेडीयू भाजपा के उम्मीदवारों को पूरी ताकत से चुनाव में समर्थन न करे। ऐसा ही भाजपा भी कर सकती है। इससे एनडीए के जीतने की संभावनाएं क्षीण होंगी।
इस तरह इस चुनाव में महाराष्ट्र वाला दोहराव हो सकता है जब 2019 में भाजपा और शिव सेना ने सहयोगी होते हुए भी गुपचुप तरीके से चुनाव में एक दूसरे को धोखा दिया था। नतीजों के बाद शिव सेना ने भाजपा से किनारा कर लिया था और एनसीपी और कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाई थी। फिलहाल भाजपा के लिए बिहार में संकट की घड़ी है और यह चुनाव उसके लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
पूर्व राज्यपाल, पूर्व सीबीआई निदेशक अश्वनी कुमार ने शिमला में खुदकुशी की, सुसाइड नोट भी मिला घर से
नागालैंड के पूर्व राज्यपाल, पूर्व सीबीआई निदेशक और हिमाचल के डीजीपी रहे अश्वनी कुमार (70) ने बुधवार शाम शिमला स्थित अपने आवास में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। उनका शव शिमला स्थित ब्राक हास्ट में उनके आवास में लटका मिला है।
अभी तक यह पता नहीं चला है कि अश्वनी कुमार ने यह कदम क्यों उठाया।
जानकारी के मुताबिक एसपी शिमला मोहित चावला की अगुवाई में पुलिस टीम घटनास्थल पर मौजूद है और मामले में जांच कर रही है। पुलिस को घटनास्थल से सुसाइड नोट भी मिला है। इसमें लिखा गया है कि जिंदगी से तंग आकर अगली यात्रा पर निकल रहा हूं।
सिरमौर जिला में जन्में अश्विनी कुमार वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी थे। उनकी आत्महत्या की खबर मिलते ही शिमला के एसपी मोहित चावला टीम के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस टीम आत्महत्या के कारणों की जांच कर रही है। सुसाइड नोट बरामद होने के बाद इसे आत्महत्या ही माना जा रहा है, फिर भी पुलिस हर पहलू की जांच करेगी। अश्विनी कुमार जैसा व्यक्ति आखिर क्यों जीवन से तंग आ गया या उनके जीवन में तनाव के क्या कारण रहे, इसका खुलासा जांच के बाद ही हो पायेगा।
वैसे उनकी खुदकुशी से हर कोई स्तब्ध है। अश्वनी कुमार अपने जीवन में बड़े पदों पर रहे। हिमाचल के डीजीपी, सीबीआई के निदेशक रहने के बाद वे नागालैंड के राज्यपाल भी बने।
अश्विनी कुमार ने अपने करियर में सफलता के कई आयाम हासिल किए। उनका जन्म सिरमौर के नाहन में हुआ था और अगस्त 2008 से नवंबर 2010 के बीच वह सीबीआई के निदेशक रहे। मार्च 2013 में उन्हें नगालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था, हालांकि वर्ष 2014 में उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था। इसके बाद वह शिमला में एक निजी विश्वविद्यालय के वीसी रहे। उन्होंने कई विषयों में मास्टर डिग्री हासिल की थी।










