Home Blog Page 612

चुनाव आयोग ने तीन लोकसभा, तीस विधानसभा सीटों पर 30 अक्टूबर को चुनाव की घोषणा की, 2 को नतीजे

चुनाव आयोग ने देश भर में खाली पड़ी लोकसभा और विधानसभा की सीटों के लिए उपचुनाव की घोषणा कर दी है। आयोग ने 3 लोकसभा और 30 विधानसभा सीटों पर 30 अक्टूबर को इन चुनावों के लिए मतदान की तारीख तय की है जबकि वोटों की गिनती 2 नवंबर को होगी।

आयोग की घोषणा के मुताबिक चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया की पहली अक्टूबर से शुरू होकर 8 अक्टूबर तक चलेगी। तीन लोकसभा सीटों पर उपचुनाव दादरा और नागर हवेली, दमन और दीव, मध्य प्रदेश के खंडवा लोकसभा सीट और हिमाचल प्रदेश की मंडी क्षेत्र शामिल हैं।

जिन 14 राज्यों की कुल 30 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा की गयी है उनमें आंध्र प्रदेश की 1, असम की 5, बिहार की 2, हरियाणा की 1, हिमाचल प्रदेश की 3, कर्नाटक की 2, मध्यप्रदेश की 3, महाराष्ट्र की 1, मेघालय की 3, मिज़ोरम की 1, नगालैंड की 1 और राजस्थान की 2, तेलंगाना की एक और पश्चिम बंगाल की 4 विधानसभा सीटें शामिल हैं।

अगले साल होने वाले पांच विधानसभा चुनावों से पहले इन उपचुनावों के नतीजों पर सभी की नजर रहेगी। चुनाव आयोग भी इसके बाद इन राज्यों के विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुट जाएगा। यह उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में होने हैं।

राहुल की उपस्थिति में कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवाणी कांग्रेस में शामिल हुए

राहुल गांधी की राज्यों में युवा नेताओं, खासकर भाजपा-आरएसएस विचारधारा के कट्टर विरोधी नेताओं की टीम तैयार करने की योजना के तहत दो युवा नेता कन्हैया कुमार और गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी आज कांग्रेस में शामिल हो गए। दोनों ने राहुल गांधी की उपस्थिति पार्टी की सदस्यता का फ़ार्म भरा। कांग्रेस में शामिल होने के बाद कन्हैया कुमार ने कहा वे देश की सबसे लोकतांत्रिक पार्टी में शामिल हो रहे हैं । उन्होंने कहा कि कांग्रेस है तो ही देश में लोकतंत्र बचेगा। उन्होंने राहुल गांधी के नेतृत्व की भी सराहना की और कांग्रेस को बड़ा जहाज बताया।

कन्हैया कुमार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष रहे हैं, जबकि मेवाणी पिछड़े वर्ग के नेता हैं। राहुल गांधी दोनों को कांग्रेस में लेकर आये हैं। दोनों आंदोलन से जुड़े  रहे हैं लिहाजा संभावना यही है कि राहुल गांधी के मोदी सरकार के खिलाफ शीघ्र प्रस्तावित देशव्यापी आंदोलन का दोनों अहम हिस्सा हो सकते हैं। यह माना जाता है कि जाने माने रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी कांग्रेस की भविष्य की योजनाओं को लेकर राहुल गांधी का सहयोग कर रहे हैं।

कांग्रेस में शामिल होने के बाद कन्हैया कुमार ने कहा वे देश की सबसे लोकतांत्रिक पार्टी में शामिल हो रहे हैं । उन्होंने कहा कि कांग्रेस है तो देश में लोकतंत्र बचेगा। कहा कि कांग्रेस वह पार्टी है जो गांधी  परम्परा को जीवित रखे हुए हैं। कहा – ‘जो कह रहे हैं विपक्ष कमजोर हो गया है तो वे सही कह रहे हैं क्योंकि जब विपक्ष कमजोर हो जाता है तो सत्ता तानाशाह हो जाती है।’ कहा यह वैचारिक संघर्ष है और कांग्रेस ही इसे गति  दे सकती है।

दोनों को कांग्रेस में शामिल करने के लिए पार्टी ने खासतौर पर शहीद भगत सिंह की जयंती को चुना। कन्हैया कुमार अभी तक भाकपा में थे और बिहार में पार्टी टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी  दलित नेता हैं और उनके कुछ सहयोगी भी कांग्रेस में आए हैं।

कांग्रेस में शामिल होने से पहले कन्हैया और जिग्नेश ने राहुल गांधी के साथ दिल्ली के आईटीओ पर स्थित शहीदी पार्क में भगत सिंह की मूर्ति पर माल्यार्पण किया। युवा कांग्रेस के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में वहां उपस्थित रहे। बाद में  दोनों को कांग्रेस का पट्टा पहनाकर कांग्रेस दफ्तर में पार्टी में शामिल किया गया। इस मौके पर पार्टी संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, प्रमुख प्रवक्ता सुरजेवाला, गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल भी उपस्थित थे।

राहुल गांधी बिहार में कन्हैया कुमार जबकि गुजरात में जिग्नेश को कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बना सकते हैं। राहुल गांधी की युवाओं को पार्टी से जोड़ने की योजना के तहत आने वाले समय में कुछ और युवा नेता कांग्रेस में शामिल होंगे। यह देखा जा रहा है कि राहुल भाजपा और संघ (आरएसएस) की विचारधारा से नैतिक दूरी रखने वाले नेताओं को कांग्रेस में तरजीह दे रहे हैं।

हाल के महीनों में ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, सुष्मिता देव जैसे युवा नेता कांग्रेस छोड़कर जा चुके हैं। इन सभी को राहुल गांधी का करीबी माना जाता था। उनके दलबदलकर भाजपा या अन्य दलों में जाने से राहुल को झटका लगा है क्योंकि यह उनके बहुत करीबी नेताओं में शामिल थे और उनकी इनर टीम का हिस्सा थे।

किसानों का भारत बंद शुरू; कांग्रेस, विपक्ष और दर्जनों संगठनों ने दिया समर्थन

संयुक्त किसान मोर्चा का मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ भारत बंद शुरू हो गया है। कल से ही इसे दिल्ली से लेकर केरल तक समर्थन मिलता दिख रहा है और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस सहित लगभग पूरे विपक्ष के अलावा कई गैर राजनीतिक, कर्मचारी और अन्य संगठनों ने इसे समर्थन का ऐलान किया है। कई जगह सड़क और रेल मार्ग बंद हैं और दुकानें भी किसानों के समर्थन में बंद रखी गयी हैं। फिलहाल किसी अप्रिय  घटना की अभी कोई जानकारी नहीं है।

अभी तक की जानकारी के मुताबिक देश के कई हिस्सों में बंद है। वहां यातायात पर बंद का असर दिख रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता भाकियू के राकेश टिकैत ने आज सुबह देश के लोगों का आह्वान किया है कि वे इस बंद को समर्थन दें। उन्होंने कहा कि बंद शाम 4 बजे तक चलेगा और जनता दोपहर के बाद ही बाहर जाएं ताकि उन्हें किसी तरह की परेशानी न झेलनी पड़े।

इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा ने नागरिकों से किसान-विरोधी मोदी सरकार के खिलाफ ऐतिहासिक भारत बंद में शामिल होने की अपील करते हुए कहा है कि समाज के विभिन्न वर्गों ने भारत बंद को समर्थन देने का संकल्प किया है। किसान संगठन तीव्र लामबंदी के प्रयास कर रहे हैं।

टिकैत ने आज के बंद को व्यापक समर्थन मिलने का दावा करते हुए कहा कि इससे जाहिर होता है कि आम जनता किसानों के साथ और मोदी सरकार के खिलाफ है। उन्होंने दावा किया कि कई उत्तर भारतीय राज्यों में काले झंडे के विरोध का सामना कर रहे भाजपा नेताओं के अलावा, केंद्रीय मंत्रियों को भी स्थानीय काले झंडे के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने एक ब्यान में कि किसानों का विरोध हमारी अर्थव्यवस्था पर कॉर्पोरेट कब्जे को रोकने, राष्ट्रीय संपत्ति की रक्षा, भारतीय संघ को बचाने, लोकतंत्र को बचाने और भारत की एकता की रक्षा के लिए एक राष्ट्रीय आंदोलन का केंद्र बन चुका है। एसकेएम ने बंद के दिन मजदूरों, व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों, व्यवसायियों, छात्रों, युवाओं और महिलाओं के सभी संगठनों और सभी सामाजिक आंदोलनों से किसानों के साथ एकजुटता दिखाने की विशेष रूप से अपील की।

मोर्चा ने कहा – ‘हम सभी राजनीतिक दलों और राज्य सरकारों का भी आह्वान करते हैं, जिनमें से कई ने हमारे पहले के आह्वान का समर्थन किया है और आंदोलन का समर्थन करने वाले प्रस्ताव पारित किए हैं, इस भारत बंद को अपना समर्थन दें और लोकतंत्र और संघीय सिद्धान्तों की रक्षा के लिए किसानों के साथ खड़े हों। हमारी स्थापित नीति का पालन करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ मंच साझा नहीं करेंगे।’
अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (एआईबीओसी) ने 27 सितंबर को एसकेएम   के भारत बंद को समर्थन देते हुए भारत सरकार से विरोध कर रहे किसानों के साथ उनकी मांगों पर बातचीत फिर से शुरू करने और 2020 के किसान-विरोधी कानूनों को रद्द करने का भी आग्रह किया है।

पंजाब में 15 मंत्रियों ने शपथ ली, इनमें सात नए, दो महिलाएं भी  

पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व में बनी सरकार का रविवार शाम विस्तार किया गया जिसमें 15 मंत्रियों ने राजभवन में हुए शपथ ग्रहण समारोह में राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित से शपथ ग्रहण की। इसमें दो महिलाओं को भी जगह दी गयी है। कैप्टन मंत्रिमंडल के मंत्रियों बलबीर सिद्धू, राणा गुरमीत सोढी, गुरप्रीत सिंह कांगड़, साधु सिंह धर्मसोत और सुंदर शाम अरोड़ा को बाहर कर दिया गया है। मुख्यमंत्री सहित पंजाब में अब मंत्रियों की संख्या 18 हो गयी है।

सुखजिंदर सिंह रंधावा और ओपी सोनी ने मुख्यमंत्री चन्नी के साथ पहले ही शपथ ले ली थी। अब सरकार में चरणजीत सिंह चन्नी मुख्यमंत्री, सुखजिंदर सिंह रंधावा और ओपी सोनी (दोनों उपमुख्यमंत्री) के अलावा ब्रह्म मोहिंदरा, तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, मनप्रीत सिंह बादल, विजय इंदर सिंगला, अरुणा चौधरी, सुखबिंदर सिंह सरकारिया, रजिया सुल्ताना, भारत भूषण आशु पहले भी मंत्री रहे हैं।

मंत्रिमंडल में नए चेहरों में डॉ. राजकुमार वेरका जो अनुसूचित जाति के कद्दावर नेता हैं, संगत सिंह गिलजियां, अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग जो राहुल गांधी के करीबी और युवा कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, परगट सिंह जो हॉकी टीम के पूर्व कप्तान हैं,  काका रणदीप, गुरकीरत सिंह कोटली जो पूर्व सीएम बेअंत सिंह के परिवार से हैं और राणा गुरजीत सिंह जिनका छह विधायकों ने विरोध किया को मंत्री बनाया गया है।

मंत्रिमंडल के 15 सदस्यों में सात नए मंत्री हैं। मंत्रिमंडल पर नज़र डालने से यह साफ हो जाता है कि केंद्रीय नेतृत्व ने संतुलन बनाने की सफल कोशिश की है। मंत्रिमंडल में कैप्टन अमरिंदर के विरोधियों को भी शामिल किया गया है तो उन लोगों को भी जगह दी गई है जो उनके नजदीक थे। संतुलन कायम रखने के लिहाज से ही दलितों को सरकार में शामिल किया गया है तो जाटों और ओबीसी को भी। एक मुसलमान को भी मंत्री बनाया गया है। सरकार में दो महिला मंत्री हैं।

योगी मंत्रिमंडल में जितिन प्रसाद सहित सात नए मंत्री, चार लोगों का विधान परिषद के लिए चयन

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल का रविवार को दूसरी बार विस्तार किया गया। आज 7 नए मंत्रियों ने राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से राजभवन में हुए समारोह में शपथ ली। कांग्रेस से दलबदल कर भाजपा में आए जितिन प्रसाद ने सबसे पहले शपथ ली जिन्हें केबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। अन्य 6 राज्यमंत्री होंगे, जिनमें 3 ओबीसी, दो दलित, एक अनुसूचित जनजाति से हैं। इस बीच भाजपा ने जितिन प्रसाद, संजय निषाद, गोपाल अंजान और वीरेंद्र गुर्जर को विधान परिषद् के लिए पार्टी उम्मीदवार बनाया है, जिनका चुना जाना निश्चित है।

जिन मंत्रियों ने शपथ ली उनमें जितिन प्रसाद पूर्व कांग्रेस नेता हैं। वह केबिनेट मंत्री बने हैं और ब्राह्मण हैं। तीन महीने पहले ही कांग्रेस से दलबदल कर भाजपा में आए हैं। पिछले दो लोकसभा और एक विधानसभा चुनाव वे हार गए थे। कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार में वे दो बार राज्यमंत्री बनाए गए थे। उनके आलावा छत्रपाल गंगवार कुर्मी है और ये बरेली के बहेड़ी से विधायक हैं। पलटू राम दलित हैं और  बलरामपुर से पहली बार जीते हैं।

संगीता बिंद ओबीसी हैं और पहली बार विधानसभा पहुँची हैं। गाजीपुर सदर सीट से वे जीती थीं। संजीव कुमार अनुसूचित जाति से हैं और सोनभद्र के ओबरा सीट से विधायक हैं। अनुसूचित जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष भी हैं।

उनके अलावा शपथ लेने वालों में दिनेश खटीक भी शामिल हैं जो सोनकर दलित हैं और मेरठ के हस्तिनापुर सीट से विधायक हैं। धर्मवीर प्रजापति ओबीसी हैं और हाथरस क्षेत्र से हैं, हालांकि वे विधान परिषद के सदस्य हैं। माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं।

शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री योगी भी उपस्थित थे। जिन लोगों को मंत्री बनाया गया है उन्हें काम करने का ज्यादा अवसर इसलिए नहीं मिल पायेगा क्योंकि कुछ महीने में ही उत्तर प्रदेश में चुनाव होने हैं। लिहाजा इस विस्तार को पूरी तरह चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।

इस बीच भाजपा ने मंत्रिमंडल विस्तार से पहले 4 एमएलसी के नाम भी तय किये।  इनमें जितिन प्रसाद, संजय निषाद, गोपाल अंजान और वीरेंद्र गुर्जर के नाम शामिल हैं। जितिन प्रसाद को आज मंत्री बनाया गया है।

उत्तर प्रदेश और पंजाब में आज मंत्रिमंडल का विस्तार होगा

पंजाब में कांग्रेस की तरफ से नया मुख्यमंत्री बनने के बाद आज शाम वहां मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा। उधर पंजाब की ही तरह उत्तर प्रदेश में भी आज मंत्रिमंडल का विस्तार होने वाला है। माना जाता है कि पंजाब में कांग्रेस के अनुसूचित जाति का मुख्यमंत्री बनाये जाने के असर को देखते हुए उत्तर प्रदेश में भाजपा इन वर्गों से मंत्री बना सकती है।

यूपी में चार महीने बाद चुनाव होने हैं। लिहाजा भाजपा इसे ध्यान में रखते हुए केबिनेट विस्तार कर रही है। कहा जा रहा है कि कुछ महीने पहले कांग्रेस से भाजपा में दलबदल कर आए जितिन प्रसाद समेत सात मंत्रियों को जगह मिल सकती है। इनमें पलटू राम, संजय गौड़, संगीता बिंद, दिनेश खटिक, धर्मवीर प्रजापति और छत्रपाल गंगवार के नाम चर्चा में हैं।

यूपी में मंत्रिमंडल विस्तार काफी समय से प्रतीक्षित है। अब इसमें अनुसूचित को ज्यादा जगह देने की भाजपा की कोशिश है। माना जाता है कि पंजाब में कांग्रेस के अनुसूचित जाति का मुख्यमंत्री बनाये जाने के असर को देखते हुए उत्तर प्रदेश में भाजपा इन वर्गों से मंत्री बना सकती है।

याद रहे जुलाई में केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में भी चुनाव के कारण यूपी को प्रमुखता दी गई थी और यूपी से बनाए सात मंत्रियों में चार ओबीसी, दो दलित थे। इस समय यूपी से मोदी सरकार में 15 मंत्री हैं, जो एक रेकॉर्ड है।

उधर पंजाब की कांग्रेस सरकार में भी आज मंत्रिमंडल विस्तार शाम 4.30 बजे होगा। पंजाब में नए मंत्रिमंडल विस्तार के लिए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने शनिवार को राज्यपाल से मुलाकात की थी। करीब 15 मंत्रियों की शपथ होगी। पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के पांच समर्थक मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है।

जानकारी के मुताबिक परगट सिंह, राजकुमार वेरका, गुरकीरत सिंह कोटली, संगत सिंह गिलजियान, अमरिंदर सिंह राजा वारिंग, कुलजीत नागरा और राणा गुरजीत सिंह को केबिनेट में शामिल किए जाने की संभावना है। उधर अमरिंदर सिंह के नजदीकी गुरप्रीत सिंह कांगड़, राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी  और साधु सिंह धर्मसोत मंत्रिमंडल से बाहर हो सकते हैं।

पुरानी केबिनेट के मंत्री ब्रह्म महिंदरा, मनप्रीत बादल, तृप्त राजिंदर बाजवा, सुखविंदर सिंह सरकारिया, अरुणा चौधरी, रजिया सुल्तान, विजेंद्र सिंगला और भारत भूषण आशू फिर मंत्री बनाए जा सकते हैं। यह भी चर्चा है कि अरुणा चौधरी को मंत्री नहीं बनाया गया तो वे विधानसभा की अध्यक्ष बनाई जा सकती हैं। हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष पद को लेकर कांग्रेस काफी सतर्क दिखती है, ताकि ‘संकट की किसी स्थिति’ में चीजों को संभाला जा सके।

जो देश आतंकवाद को औजार की तरह इस्तेमाल कर रहे, कल यह उन पर भी भारी पड़ सकता है: यूएनजीए में मोदी

संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना किसी देश का नाम लिए (पाकिस्तान और चीन) चेतावनी दी कि जो देश आज आतंकवाद को एक औजार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं, कल को यह उन पर भी भारी पड़ सकता है। पीएम ने कहा कि हमें सतर्क रहना होगा कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल कोई देश अपने हितों के लिए न कर सके। मोदी ने इस मौके पर संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर कहा कि इसे खुद में सुधार करना होगा क्योंकि कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

मोदी, जो आज ही अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी से न्यूयॉर्क पहुंचे, ने यूएनजीए में अपने भाषण की शुरुआत में ही कहा – ‘अध्यक्ष पद संभालने के लिए अब्दुल्ला जी को बधाई। यह विकासशील देशों के लिए गौरव की बात है। पिछले डेढ़ साल से हम 100 साल बाद आई सबसे बड़ी महामारी का सामना कर रहे हैं। ऐसी महामारी में जीवन गंवाने वालों को श्रद्धांजलि देता हूं।’

पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र को लेकर कहा कि भारत के महान दार्शनिक चाणक्य ने सदियों पहले कहा था कि जब सही समय पर सही काम नहीं किया जाता तो समय ही उस काम की सफलता को नाकाम कर देता है। पीएम ने कहा – ‘इसलिए, संयुक्त राष्ट्र को खुद में सुधार करना होगा। कई सवाल खड़े हो रहे हैं। इन सवालों को कोविड, आतंकवाद और अफगान संकट ने और गहरा कर दिया है।’

इस मौके पर मोदी ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना उसपर निशाना साधा। उन्होंने कहा – ‘आतंकवाद को टूल की तरह इस्तेमाल करने वाले देशों पर यह भारी पड़ सकता है। हमें सतर्क रहना होगा कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल कोई देश अपने हितों के लिए न कर सके। वहां की महिलाओं और बच्चों को संभालना है। हमें अपना दायित्व निभाना होगा।’

पीएम ने अपने भाषण में कोविड-19 का जिक्र भी किया और कहा कि भारत एक ही दिन में करोड़ों डोज लगाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म दे रहा है। पीएम ने कहा – ‘भारत सीमित संशाधनों के बावजूद वैक्सीन डेवलपमेंट में जी जान से जुटा है। भारत ने पहली डीएनए वैक्सीन डेवलप कर ली है। इसे 12 साल से ऊपर के सभी लोगों को लगा सकते हैं। एक और आरएनए वैक्सीन तैयार की जा रही है। नेजल वैक्सीन भी तैयार की जा रही है। भारत ने दुनिया के जरूरतमंदों को फिर वैक्सीन देना शुरू कर दी है। मैं आज दुनिया के वैक्सीन मैन्युफैक्चरर्स से कहना चाहता हूं। कम मेक वैक्सीन इन इंडिया।’

मोदी ने कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि डेमोक्रेसी विद टेक्नोलॉजी। भारतीय मूल के डॉक्टर या प्रोफेशनल्स किसी भी देश में रहें हमारे मूल्य उन्हें मानवता की सेवा करने का लक्ष्य देते रहते हैं। महामारी ने दुनिया को यह भी सबक दिया है कि वैश्विक व्यवस्था को और विकेंद्रित किया जाए। हमारा वैक्सीन प्रयास इसी भावना से प्रेरित है। ग्लोबल चेन वैक्सीनेशन जरूरी है।

पीएम ने लोकतंत्र पर भी अपने भाषण में बात कही – ‘मैं उस देश से आता हूं जिसे मदर ऑफ डेमोक्रेसी कहते हैं। 15 अगस्त को भारत ने अपनी आजादी की 75वें वर्ष में प्रवेश किया है। हमारी विविधता पहचान है। यहां अलग-अलग भाषाएं और संस्कृति हैं। यह भारत के लोकतंत्र की ताकत है कि एक चायवाला चौथी बार इस सत्र को संबोधित कर रहा है।’

मोदी ने हिंद-प्रशांत में खुले व्यापार की वकालत की और कहा – ‘हमारे समंदर हमारी साझी विरासत हैं। इन्हें विस्तार और ताकत के जोर से कब्जा करने से बचाना होगा। दुनिया को एक सुर में आवाज उठानी होगी। सुरक्षा परिषद में भारत की अध्यक्षता के दौर में भारत की पहल इस बारे में इशारा करती है। मैं अपने अनुभव से कह रहा है कि यस डेमोक्रेसी केन डिलीवर।’

अमरिंदर की अब रिटायरमेंट की उम्र, वे युवा नेताओं का मार्गदर्शन करें : बिट्टू; चन्नी को सीएम बनाना सही : जाखड़

पंजाब में अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री पद गंवाने के बाद अकेले पड़ रहे हैं। खासकर अमरिंदर सिंह के राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के खिलाफ ब्यान के बाद उनके अपने करीबी भी उनके कन्नी काटने लगे हैं। उनके करीबी रहे लुधियाना के सांसद रवनीत सिंह बिट्‌टू ने शनिवार को कैप्टन पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि अमरिंदर सिंह अब 80 साल के हो चुके हैं और रिटायरमेंट की इस उम्र में उन्हें युवा नेताओं का मार्गदर्शन करना चाहिए। उधर वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़, जिन्हें नाराज बताया जा रहा था उन्होंने चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने के फैसले को सही करार दिया है। जाखड़ चंडीगढ़ से राहुल-प्रियंका गांधी के साथ ही विमान से दिल्ली गए थे।

सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने तो अमरिंदर सिंह को एक तरह से राजनीति से संन्यास लेने जैसी ही सलाह दे दी है। भले कैप्टन के बागी तेवर बरकरार हैं और उनके भाजपा में जाने के कयास भी लग रहे हैं, आलाकमान के उनके  बनने से उनके सहयोगी भी उनसे कटने लगे हैं। इनमें बिट्टू भी एक हैं, जिन्हें खुद मुख्यमंत्री पद की दौड़ में माना जाता  रहा है।

बिट्टू ने शनिवार को कहा – ‘अमरिंदर अब 80 साल के हो चुके हैं। रिटायरमेंट की उम्र में उन्हें अब हमारे जैसा नेताओं का मार्गदर्शन करना चाहिए। कैप्टन जब पार्टी के प्रधान और मुख्यमंत्री बने थे तो राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष और प्रियंका गांधी महासचिव थीं। उन्होंने ही कैप्टन को यह अवसर दिए।’ बिट्टू ने कहा कि 45 साल तक कैप्टेन गांधी परिवार के नेतृत्व में ही कांग्रेस में रहे। उन्हें सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के बारे में ऐसे बात नहीं कहनी चाहिए।

यही नहीं बिट्‌टू ने कहा – ‘जब कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब प्रदेश कांग्रेस पार्टी के प्रधान और मुख्यमंत्री रहे तो सब उनके साथ थे। अब जिसके पास सत्ता है, पार्टी के नेता वहीं जाएंगे। कैप्टन से गुजारिश है कि इस तरह की बयानबाजी में कुछ नहीं रखा। गुस्सा आता है, लेकिन उसे शांत और ठंडा रखना चाहिए। कैप्टन से मिलकर हम इस पर बात करेंगे।’

उधर पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़, जिनके बारे में मीडिया में यह कयास लगाए जा रहे थे कि वे मुख्यमंत्री न बनाए जाने के कारण नाराज हैं, ने आज कहा कि चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने के आलाकमान के फैसले को सही कहा है। उन्होंने कहा – ‘यह राहुल गांधी का फैसला है और उन्होंने सिख परम्पराओं को पूर्ण सम्मान देते हुए यह फैसला किया है जिसका व्यापक स्वागत भी हुआ है। उन्होंने कहा – ‘विपक्षी जब इसपर टिप्पणियां कर रहे थे तो वे पेड़ों की गिनती करते हुए जंगल को मिस कर रहे थे।’

कैप्टेन के राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पर टिप्पणी करने के बाद कांग्रेस के नेता पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ सक्रिय हो गए हैं। यहाँ तक की दिल्ली में राष्ट्रीय नेता भी  अमरिंदर सिंह को लेकर तल्ख़ शब्दों का इस्तेमाल करने लगे हैं। इससे जाहिर होता है कि अमरिंदर सिंह के प्रति दिल्ली में भी सहानुभति रखने वाला कोई नेता नहीं रह गया।

दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में हमला, गोलीबारी में 3 बदमाश मारे गए

राजधानी दिल्ली के रोहिणी के एक कोर्ट में शुक्रवार को हुई गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गयी जबकि एक गंभीर रूप से घायल हुआ है। मारे गए लोग बदमाश और गैंगस्टर हैं। यह घटना अदालत के भीतर हुई जिसके बाद जज का रक्तचाप कम हो जाने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा।

घटना न्यायमूर्ति गगनदीप की कोर्ट नम्बर 207 की है जहाँ बदमाशों ने भीतर घुसकर गोलीबारी शुरू कर दी। बदमाशों के निशाने पर कोर्ट में पेशी पर आया गैंगस्टर जितेंद्र गोगी था। बदमाशों की गोलीबारी में गोगी की मौत हो गयी।

डीएसपी रोहिणी प्रणव तयाल ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि हमलावर वकीलों के ड्रेस में आए थे। अदालत में घुसकर उन्होंने गोलीबारी शुरू कर दी। इस गोलीबारी में गैंगस्टर गोगी की मौत हो गयी। इस बीच पुलिस ने भी जवाबी गोलीबारी की जिसमें दो बदमाशों के मारे जाने की सूचना है। एक व्यक्ति घायल हुआ है।

बता दें दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में नामी गैंगस्टर जितेंद्र गोगी की पेशी थी। उसे कई गोलियां मारी गईं। याद रहे गोगी पर मर्डर, एक्सटॉर्शन, पुलिस पर हमला करने जैसे कई मामले थे। उसे पिछले साल पुलिस ने गुरुग्राम से किया था।

इस बीच इस सारी घटना का दौरान न्यायमूर्ति गगनदीप की तबीयत बिगड़ गयी। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया है। बताया गया है कि उनका रक्तचाप काम हो जाने से उनकी तबीयत खराब हुई।

काँग्रेस की मांग: कोरोना से हुई मृत्यु पर परिवार को मुआवज़े मे दिए जाए 5 लाख रूपये

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कोरोना महामारी के दौरान मरने वालों के परिजनों को मुआवजे के रूप में देने वाली राशि को तय करने को कहा था। और यह राशि केंद्र सरकार ने 50 हजार रुपये मुआवजे के रूप में तय की है।

केंद्र सरकार द्वारा तय की गई 50 हजार की राशि की कांग्रेस पार्टी ने निंदा की है और कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि, सरकार ने तो यह तक कह डाला की इस आपदा के दौरान ऑक्सीजन की कमी से किसी की भी मृत्यु नहीं हुई है।

महामारी के दौरान देश में लगे लॉकडाउन में 14 करोड़ नौकरियां नष्ट हुई है। लोगों का वेतन कटा है, भविष्य निधि (ईपीएफ) से लोगों ने 66 हज़ार करोड़ रूपये लोगों ने निकाले है। व हमारे देश में किसी भी आपदा के दौरान 4 लाख रुपये मुआवजा देना हमारी गाइडलाइन में अंकित है।

किंतु सरकार लिखे हुए कानून को नहीं मानती और जब महामारी के दौरान लोगों की नौकरियां छूट गर्इ व आम आदमी बेहद परेशान व हताश उस समय केवल 50 हज़ार राशि देने का ऐलान किया है। जो कि बेहद कम है।

पिछले वर्ष सरकार ने 4 लाख करोड़ रुपये र्इधन एक्साइज ड्यूटी पर कमाए थे। यदि सरकार साढ़े चार लाख परिवारों को मात्र 5 लाख रुपये मृतक के परिवार को देती है जोकि मात्र 22 हजार करोड़ रुपये है और कुल जमा राशि का सिर्फ साढ़े पांच प्रतिशत है। ऐसे में 5 लाख रुपये की राशि सरकार बड़े ही आराम से दे सकती है।

और ऐसे में 50 हजार रुपये का मज़ाक सरकार लोगों के साथ कर रही है वे बेहद गलत है और कांग्रेस पार्टी कम से कम 50 हजार की बजाय 5 लाख की राशि मृतकों के परिवारों को देने की मांग करती है।