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पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन करने को तैयार : सुप्रीम कोर्ट

सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमणा ने गुरुवार को कहा कि पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए अदालत एक विशेषज्ञ समिति का गठन करने के लिए तैयार है। सर्वोच्च अदालत अगले हफ्ते इसे लेकर आदेश जारी हो सकता है।  सर्वोच्च अदालत के इस फैसले को केंद्र सरकार को झटका माना जा रहा है।

इस मामले की सुनवाई के दौरान गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाने का फैसला किया है। प्रधान न्‍यायाधीश एनवी रमना ने खुली अदालत में कहा कि इस संबंध में अगले हफ्ते आदेश जारी हो सकता है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि कुछ विशेषज्ञों ने निजी कारणों से समिति का हिस्‍सा बन पाने में असमर्थता जताई है, जिसके कारण आदेश जारी करने में विलम्ब हुआ।

आज प्रधान न्यायाधीश  ने वरिष्ठ वकील सीयू सिंह को ओपन कोर्ट में बताया कि सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते पेगासस मामले में एक आदेश पारित करेगा। कहा कि  सर्वोच्च अदालत पेगासस स्नूपगेट की जांच के लिए एक समिति के गठन को तैयार है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अदालत पेगासस जासूसी मामले में विशेषज्ञों की एक समिति बनाने पर विचार कर रही है।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कुछ तकनीकी विशेषज्ञों से न्यायालय ने तकनीकी विशेषज्ञ समिति का हिस्सा बनने का अनुरोध किया है। वह व्यक्तिगत रूप से टीम का हिस्सा होने से मना करने में कठिनाई व्यक्त कर रहे हैं इसलिए तकनीकी विशेषज्ञ समिति के गठन में समय लग रहा है। ‘हम अगले सप्ताह तक तकनीकी विशेषज्ञ टीम के सदस्यों को अंतिम रूप दे पाएंगे और आदेश पारित करेंगे।’

याद रहे सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में 13 सितंबर को अपना अंतरिम आदेश सुरक्षित रख लिया था। उस समय पेगासस मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यापक जनहित को देखते हुए हलफनामा दायर नहीं करना चाहती। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का तर्क था कि यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है और इस मामले में डिटेल में हलफनामा के जरिये डिबेट नहीं हो सकता है। इस मामले को ज्यूडिशियल और पब्लिक डिबेट में नहीं लाया जाना चाहिए क्योंकि मामला व्यापक जनहित और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है।

अलग राह पर हैं अमरिंदर सिंह; किसके साथ जाएंगे, यही सवाल

नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ विधानसभा चुनाव में मजबूत उम्मीदवार उतारने की बात सार्वजनिक रूप से कहकर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर बेआबरू हुए कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने साफ़ कर दिया है कि उनकी राह अब कांग्रेस से अलग होगी। अब बड़ा सवाल यही है कि वे जाएंगे किसके साथ और कब जाएंगे? कांग्रेस अपनी तरफ से उन्हें पार्टी से बाहर शायद न करे। संभावनाएं कई हैं, लेकिन अमरिंदर सिंह ‘सेफ’ खेलना चाहते हैं। उनके निशाने पर कांग्रेस से भी ज्यादा नवजोत सिंह सिद्धू हैं।

कैप्टेन जानते हैं कि सिद्धू न होते तो वे आज भी मुख्यमंत्री होते। राहुल-प्रियंका गांधी को ‘अपने बच्चों जैसा’, लेकिन ‘राजनीतिक रूप से अपरिपक्व’ बताकर कैप्टेन ने भाजपा की भाषा बोली है, हालांकि यह पक्का नहीं कि वे करेंगे क्या। पंजाब के किसानों की भाजपा के प्रति बड़ी नाराजगी के बीच एक ही रास्ता है कि कैप्टेन भाजपा के साथ चले जाएँ – यह कि मोदी सरकार विवादित तीन कृषि कानूनों को वापस ले ले या ठन्डे बस्ते में डाल दे। किसान इसे स्वीकार करेंगे या नहीं, यह बाद की बात है।

लेकिन एक और पक्ष भी है। पंजाब की जनता में इस बात को लेकर कोई गुस्सा नहीं है कि अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया है। चुनाव के वादे पूरे न करने और श्री गुरु ग्रन्थ साहिब की बेअदबी पर कार्रवाई न होने के कारण जनता में पहले से ही कैप्टेन के प्रति गुस्सा है। कांग्रेस की आंतरिक रिपोर्ट भी यही कहती है कि अमरिंदर उसे अगला चुनाव नहीं जिता सकते थे। दूसरी बात यह है कि उनके अपने प्रभाव क्षेत्र के लोग ही कह रहे हैं कि अमरिंदर ने तो खुद ही 2017 के विधानसभा चुनाव में उसे अपना आखिरी चुनाव बताया था।

सबसे अहम बात यह है कि जिन नवजोत सिद्धू से वे टक्कर ले रहे हैं, वे भी उनकी ही तरह जट्ट सिख हैं। और तो और अमरिंदर सिंह खुद भी सिद्धू ही हैं। लिहाजा जट्ट सिख भी इसे अच्छा नहीं मान रहे कि अपने ही समुदाय के एक ऐसे युवा नेता की वे मुखालफत कर रहे हैं, जिसमें काफी आगे जाने की क्षमता है और जिसमें जोश और जज़्बा है। अमरिंदर के सिद्धू के खिलाफ वाले अभी तक के बयानों का सिद्धू को नहीं, खुद अमरिंदर को नुक्सान हुआ है। यही नहीं एक और कद्दावर जट्ट सिख नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा, जिन्हें अब उप मुख्यमंत्री बना दिया गया है और सरकार में जिनकी नंबर दो की हैसियत है, भी सिद्धू के साथ खड़े हैं।

अमरिंदर 80 साल के आसपास हैं और लोग मानते हैं कि उन्हें सिद्धू को अपने उत्तराधिकारी के रूप में समर्थन देना चाहिए था, लेकिन कर वे इससे उलट रहे हैं। सिद्धू की पंजाब में ज़मीनी पकड़ से कोई इंकार नहीं कर सकता। अमृतसर से वे तीन बार सांसद रहे हैं। अब विधायक हैं। पंजाब में सिख और गैर सिख दोनों में वे बराबर लोकप्रिय हैं। पंजाब से बाहर भी सिद्धू की लोकप्रियता है। ऐसे में अमरिंदर की अपनी ही पार्टी के युवा नेता को चुनाव में हराने की ‘कसम’ का जनता में सही सन्देश नहीं गया है। सिद्धू के विरोध में डूब चुके अमरिंदर इतने अनुभवी होने के बावजूद कैसे इस ज़मीनी हकीकत को नजरअंदाज कर रहे हैं, यह आश्चर्य की बात है।

कहा जाता है कि अमरिंदर यह टोह लेने की कोशिश कर रहे हैं कि कितने विधायक हकीकत में उनके साथ आ सकते हैं। चरणजीत सिंह चन्नी को कांग्रेस ने जिस तरह मुख्यमंत्री बनाकर तुरुप का पत्ता चला है, उससे कांग्रेस विधायक दल में  किसी बड़े विघटन की संभावना नहीं दिखती। अमरिंदर सिर्फ एक ही तरीके से कांग्रेस सरकार के लिए समस्या बन सकते हैं और वह यह है कि कांग्रेस के 20 से ज्यादा विधायक राजा अमरिंदर के साथ चले जाएं। पंजाब की राजनीति पर नजर रखने वाले जानकार इसकी संभावना न के बराबर मानते हैं। ज़मीनी हकीकत आज भी यह है कि चुनाव की दृष्टि से कांग्रेस अभी भी अन्य दलों के मुकाबले बेहतर स्थिति में है।

अमरिंदर कांग्रेस को अपनी तरफ से झटका देने की कोशिश कर ज़रूर रहे होंगे। अपने पद से महरूम होने का जिम्मेवार वे कांग्रेस में राहुल-प्रियंका-सिद्धू की तिकड़ी को मानते हैं। सोनिया गांधी के प्रति उनकी नाराजगी सिर्फ इतनी है कि वे युवा टोली से उनकी कुर्सी बचा नहीं पाईं। वे भाजपा के संपर्क में हैं, इसकी चर्चा कई दिन से है। भाजपा को अमरिंदर सिंह का साथ आना बहुत मुफीद होगा। भाजपा राष्ट्रीय स्तर पर इसे कांग्रेस के नेतृत्व, खासकर राहुल गांधी-प्रियंका गांधी के खिलाफ बगावत, के रूप में पेश करेगी। भले अमरिंदर की नाराजगी के कारण और हों।

यह भी हो सकता है कि कुछ विधायक साथ आएं तो अमरिंदर अपना कोई अलग गुट पंजाब में बना लें और चुनाव का इन्तजार करें। आम आदमी पार्टी (आप) भी चाहेगी कि अमरिंदर सिंह जैसा कद्दावर नेता उसके साथ आ जाए। लेकिन आप अमरिंदर   का शायद अंतिम विकल्प ही होगा, क्योंकि आप का नेतृत्व वरिष्ठता में अमरिंदर से कहीं ‘जूनियर’ है। लिहाजा भाजपा उनका सबसे संभावित ठिकाना हो सकता है, पेंच सिर्फ किसानों के आंदोलन और नाराजगी का है !

डीटीसी बसों में यत्रियों को सभी सीटों पर बैठकर सफर करने पर रोक, गैर डीटीसी और मैट्रो में कोई रोक नहीं; यात्री परेशान

अजीब विडम्बना है कि एक ओर तो दिल्ली मैट्रो में सभी सीटों पर सवारियों के बैठने की अनुमति है और मैट्रो में खड़े होकर यात्रा करने पर भी कोई रोक नहीं है। लेकिन दिल्ली प्रशासन ना जाने क्यों दिल्ली परिवहन (डीटीसी) की बसों में खड़े होकर यात्रियों को यात्रा करने की अनुमति नहीं दें रहा है। जिससे डीटीसी बसों में चलने वाले दैनिक यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

बतातें चलें डीटीसी और मैट्रो में कोरोना काल जब पीक पर दिल्ली में चल रहा था। तब सभी सीटों पर बैठकर यात्रियों को यात्रा करने पर रोक थी। अब दिल्ली में कोरोना के मामलें बहुत ही कम आ रहे है। उसके बादजूद डीटीसी बसों में खड़े होकर यात्रियों को खड़े होकर यात्रा करना मना है।

सबसे गंभीर बात तो ये है कि डीटीसी में सीटों पर बैठकर यात्रा करने की अनुमति है। जबकि गैर डीटीसी में कोई रोक नहीं है उसमें ठूंस-ठूंस कर सवारी बस वालें जम कर दाम कमा रहे है।

डीटीसी बसों में दैनिक यात्रा करने वाले दिनेश सिंह का कहना है कि डीटीसी का उनके पास मासिक पास है।इस लिहाज से वो बस में ही यात्रा करना चाहते है। क्योंकि दिल्ली मैट्रो में किराया मंहगा है। इसी तरह अन्य यात्रियों ने तहलका संवाददाता को बताया कि सरकार को इस मामले पर गंभीरता से विचार करना चाहिये ताकि यात्रियों को कोई परेशानी ना हो। क्योंकि दैनिक पास और मासिक पास होने के बावाजूद भी कई घंटों यात्रियों को परेशानी होती है।

एयर मार्शल विवेक राम चौधरी अगले वायुसेनाध्यक्ष होंगे, 30 सितम्बर को करेंगे पद ग्रहण

एयर मार्शल विवेक राम चौधरी अगले वायुसेना अध्यक्ष होंगे। रक्षा मंत्रालय ने नए वायुसेना अध्यक्ष पद पर चौधरी की तैनाती का ऐलान अब से कुछ देर पहले किया है। वे एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया का स्थान लेंगे जो 30 सितंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

रक्षा मंत्रालय की तरफ से  जारी सूचना के मुताबिक एयर मार्शल वीआर चौधरी को देश को अगला वायुसेना प्रमुख बनाने का फैसला किया है। चौधरी वर्तमान में उप वायुसेना प्रमुख हैं।

इस समय वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया 30 सितंबर को सेवानिवृत हो रहे हैं।  एयर मार्शल विवेक राम चौधरी ने इसी साल पहली जुलाई को उप वायुसेना प्रमुख का पदभार ग्रहण किया था।

बता दें एयर मार्शल चौधरी को 29 दिसंबर, 1982 को वायु सेना की लड़ाकू विंग में शामिल किया गया था। चौधरी को विभिन्न प्रकार के लड़ाकू और प्रशिक्षण विमानों पर 3800 घंटे से अधिक का उड़ान का अनुभव है।

इसके अलावा चौधरी राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन के छात्र भी रहे हैं। उप वायुसेना प्रमुख बनाए जाने से पहले, वह पश्चिमी वायु कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ थे।

उधमपुर के पास सेना हेलीकॉप्टर के हादसे में दो पॉयलट की मौत

जम्मू के उधमपुर जिले के पटनीटॉप के पास सेना के एक हेलीकॉप्टर हादसे में दो पॉयलट की मौत हो गयी है। चीता हेलीकॉप्टर सुबह हादसे का शिकार हो गया था। घायल दोनों पॉयलट को अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।

जानकारी के मुताबिक यह हादसा जम्मू के उधमपुर जिले के पटनीटॉप इलाके में शिवगढ़ धार में हुआ। हेलीकाप्टर में दो ही लोग सवार थे। खराब मौसम के कारण यह हादसा हुआ। घटना में पायलट और को-पायलट घायल हो गए थे जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया। लेकिन वहां इलाज के दौरान दोनों की मौत हो गई।

सेना की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि घायल पायलटों को नजदीकी  अस्पताल ले जाया गया था जहां उनकी मौत हो गई। हादसे की जो तस्वीरें सामने आई थीं उनसे साफ़ लग रहा था कि दोनों पायलट गंभीर घायल हैं। पुलिस टीम जानकारी मिलते ही मौके पर पहुँची।

उधमपुर के डीआईजी उधमपुर सुलेमान चौधरी ने बताया – ‘हमें जानकारी मिली थी कि हेलीकॉप्टर की क्रैश लैंडिंग हुई है। बचाव कार्य के लिए तुरंत पुलिस टीम को रवाना किया गया। घने कोहरे के चलते यह हादसा हुआ। हालांकि, अभी यह कहना मुश्किल है कि यह क्रैश लैंडिंग थी या फिर हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ।’

तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा की ‘मौत’ और बरादर हैं बंदी, ब्रिटेन की पत्रिका का दावा

अफगानिस्तान से आ रही ख़बरें बहुत चिंता पैदा करने वाली हैं। ब्रिटेन की एक पत्रिका में दावा किया गया है कि तालिबान और उसके सहयोगी समूहों में ही सत्ता में ज्यादा ताकत हासिल करने के लिए खूनी संघर्ष छिड़ गया है। रिपोर्ट पर भरोसा किया जाए तो इस जंग में तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा की मौत हो गई है। हाल में उप प्रधानमंत्री मुल्ला बरादर को लेकर भी मीडिया में आई ख़बरें बताती हैं कि वे घायल हैं और उन्हें बंधक बनाया हुआ है। हालांकि, आधिकारिक रूप से इनकी पुष्टि नहीं हुई है।

पाकिस्तान समर्थक हक्कानी धड़ा सत्ता में ज्यादा ताकत हासिल करना चाहता है। उसके तालिबान के नेताओं के साथ जबरदस्त मतभेद और जंग शुरू हो चुकी है। यह भी बता दें कि इस गुट का नेता खलील हक्कानी संयुक्त राष्ट्र की आतंकियों की सूची में शामिल है। फिलहाल वह अफ़ग़ानिस्तान में हाल में बनी तालिबान की सरकार में  शरणार्थियों से जुड़े महकमे का वजीर बनाया गया है।

पत्रिका की रिपोर्ट से जाहिर होता है कि हक्कानी गुट बरादर से बहुत खफा है कि क्योंकि वह तालिबान सरकार में गैर-तालिबानी नेताओं और अल्पलसंख्यकों को प्रतिनिधित्व देने की वकालत कर रहे हैं। उनकी इस कोशिश का मकसद दुनिया में तालिबान का उदार चेहरा दिखाना है। बरादर चाहते हैं कि कुछ देश तो तालिबान सरकार को मान्यता दें।

ब्रिटेन की एक पत्रिका के दावे के मुताबिक सत्ता में ताकत की इस जंग में तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा की मौत हो चुकी है। यही नहीं उप प्रधानमंत्री मुल्ला बरादर बंधक बनाकर रखे गए हैं। कुछ अन्य मीडिया रिपोर्ट्स में तो यह भी दावा किया गया था कि बरादर अफगानिस्तान छोड़कर कहीं और चले गए हैं और वे घायल हैं। हाल में उनका एक वीडियो सामने आया था जिसमें वे संगीनों के साए में एक ब्यान पढ़ते हुए दिखाई दिए थे।

पत्रिका की अफगानिस्तान को लेकर छपी एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सितंबर में तालिबान के धड़ों की एक बैठक के दौरान तो हक्कानी गुट के नेता खली-उर-रहमान हक्कानी ने बरादर पर हमला करके उसे अपने घूंसों से घायल कर दिया था। फिलहाल बरादर कहाँ है इसे लेकर अलग-अलग रिपोर्ट्स हैं। यह भी दावा किया गया है कि उसने कंधार में आदिवासी कबीलों के नेताओं से गुपचुप मुलाकात की है ताकि उनका समर्थन हासिल किया जा सके।

ब्रिटेन की पत्रिका में अखुंदजादा को लेकर कहा गया है कि वह काफी समय से नहीं दिखा है। न ही उसकी तरफ से कोई वीडियो संदेश जारी किया गया है। लिहाजा उसकी मौत हो जाने का अनुमान व्यक्त किया गया है।

दिलीप घोष की छुट्टी, सांसद सुकांता मजूमदार बंगाल भाजपा अध्यक्ष बने

बंगाल विधानसभा चुनाव में टीएमसी से मिली करारी हार के बाद जिस तरह पार्टी के विधायक और सांसद धड़ाधड़ भाजपा को छोड़ रहे हैं उससे पार पाने का भाजपा को कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है। हालांकि, उसने इस भगदड़ के बीच संगठन में उलटफेर करते हुए प्रदेश अध्यक्ष पद से दिलीप घोष की छुट्टी कर दी है। उनकी जगह बलूरघाट से सांसद सुकांता मजूमदार को प्रदेश अध्यक्ष मनोनीत किया गया है।

चार दिन पहले ही पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने भाजपा को अंगूठा दिखाते हुए  टीएमसी का दामन थाम लिया था और पार्टी में शामिल होते ही भाजपा पर हमला करते हुए ममता बनर्जी की जमकर तारीफ़ कर दी थी। बंगाल विधानसभा चुनाव में हार के बाद से भाजपा में भगदड़ मची हुई है और नेता टीएमसी में ही भविष्य देखते हुए उसमें जाने को लालायित दिख रहे हैं।

मुकुल रॉय और बाबुल सुप्रियो समेत कई बड़े नेताओं के टीएमसी में जाने से भाजपा के सामने आने वाले समय में अपनी ज़मीन बचाए रखने का संकट पैदा होने जैसी स्थिति बन गयी है। पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने के बाद नाराजगी दूर करने के लिए दिलीप घोष को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर दिल्ली भेज दिया है। अब जबकि पार्टी को तीन सीटों भवानीपुर, समसेरगंज और जंगीपुर में उपचुनाव की सत्तारूढ़ टीएमसी से बड़ी चुनौती है, बड़े नेताओं के  पार्टी छोड़कर जाने से भाजपा नेतृत्व परेशान है। इन उपचुनावों में सीएम ममता बनर्जी भी मैदान में हैं और भाजपा की उन्हें हारने की हसरत किसी भी सूरत में पूरी होती नहीं दिख रही।

चार महीने पहले भाजपा ने विधानसभा चुनाव में 77 सीटें जीती थीं लेकिन अब यह संख्या घटकर 71 रह गई है। सांसद भी कम होकर 17 रह गए हैं। बड़े नेताओं की बात करें तो बाबुल सुप्रियो से पहले मुकुल रॉय, तनमय घोष, बिस्वजीत दास और सौमन रॉय पार्टी को झटका देकर टीएमसी में जा चुके हैं।

नए अध्यक्ष सुकांता मजूमदार 2019 के लोकसभा चुनाव में बलूरघाट से पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए थे। वे इस समय सिक्किम में पार्टी प्रभारी और उत्तर बंगा क्षेत्र के सह-संयोजक हैं, हालांकि, अब यह पद वे छोड़ देंगे। तमाम चुनौतियों के बीच मजूमदार की राह उतनी आसान नहीं है। खासकर, पार्टी नेताओं को टीएमसी में जाने से रोकने की चुनौती को देखते हुए।

अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध हालात में मौत, पुलिस को आत्महत्या का शक

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध हालात में मौत हो गयी है। पुलिस ने प्रारंभिक जांच में उनकी मौत की पीछे आत्महत्या की आशंका जताई है।  उनका शव संदिग्ध हालात में प्रयागराज के बाघंबरी मठ में अब से कुछ देर पहले मिला है। फारेंसिक की टीम मौके पर पहुँची है और साक्ष्यों की जांच कर रही है। बताया गया है कि एक सुसाइड नॉट मिला है जिसमें कथित तौर पर शिष्य आनद गिरी का नाम का जिक्र है।

जानकारी के मुताबिक महंत नरेंद्र गिरी का शव सोमवार शाम प्रयागराज के बाघंबरी मठ में संदिग्ध हालात में मिला है। वे अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष थे, जिसके तहत 13 अखाड़े आते हैं। पुलिस ने अभी तक की जांच के आधार पर इसे आत्महत्या बताया है। उधर फारेंसिक की टीम मौके पर पहुँची है और साक्ष्यों की जांच कर रही है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि इस मामले की जांच करवाई जाएगी। मठ के संतों ने महंत नरेंद्र गिरी की मौत को हत्या बताते हुए इसकी जांच की मांग की है। हालांकि, फिलहाल पुलिस ने अभी तक की जांच में इस मौत में आत्महत्या होने की शंका जताई है।

बताया गया है कि एक सुसाइड नॉट मिला है जिसमें कथित तौर पर शिष्य आनद गिरी का नाम का जिक्र है। अभी तक पुलिस ने इस बारे में कुछ नहीं कहा है।

रूस की पर्म स्टेट यूनिवर्सिटी में भयंकर गोलीबारी, 8 की मौत  

रूस में एक यूनिवर्सिटी में सोमवार को एक व्यक्ति (कुछ रिपोर्ट्स में छात्र) की तरफ से की गयी अंधाधुंध फायरिंग में 8 लोगों की जान चली गयी जबकि 14 लोग घायल हो गए। इनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई गयी है। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक हमलावर को मार गिराया गया है, हालांकि कुछ में कहा गया है कि उसे पकड़ लिया  गया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक यह घटना रूस में पर्म स्टेट यूनिवर्सिटी की है। वहां एक व्यक्ति  ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। गोलीबारी इतनी भयंकर थी कि कई लोगों को जान बचाने के लिए ईमारत से कूदते हुए देखा गया। बताया गया है कि गोली से बचने के लिए कई छात्रों और शिक्षकों ने कमरे को बंद करके जान बचाई।

पर्म स्टेट यूनिवर्सिटी की प्रेस सर्विस के अनुसार, हमलावर ने एक गैर-घातक बंदूक का इस्तेमाल किया। घटना होते ही विश्वविद्यालय के छात्रों और कर्मचारियों ने खुद को कमरों में बंद कर लिया और विश्वविद्यालय ने उन लोगों से परिसर छोड़ने का आग्रह किया जो ऐसा करने की स्थिति में थे। पहले रूस के गृह मंत्रालय ने बताया था कि बंदूकधारी काबू पा ल‍िया गया है जबकि कुछ रिपोर्ट्स में उसके मारे जाने की बात कही गयी है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक घटना के बाद जांच समिति ने हत्या के आरोप के साथ जांच शुरू कर दी है। सरकारी समाचार एजेंसी ‘तास’ ने स्रोत के हवाले से कहा कि कुछ छात्र एक इमारत की खिड़कियों से बाहर कूद गए। घायलों को गोलीबारी और इमारत से भागने की कोशिश में चोटें आई हैं।

सीएम बनते ही चन्नी का किसानों के बकाया बिल माफ़ करने का ऐलान ; बोले, यह पंजाबी जनता की सरकार

पंजाब में नया मुख्यमंत्री बनाते ही कांग्रेस चुनाव मोड में आ गयी है। नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी पहली प्रेस कांफ्रेंस में किसानों के बकाया बिल माफ़ करने का ऐलान किया। किसानों पर फोकस रखते हुए चन्नी ने केंद्र के तीनों कृषि कानूनों को किसान विरोधी बताया। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की भी तारीफ़ की और कहा कि कांग्रेस नेत्तृव ने आज गरीब पृष्ठभूमि के ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री के पद पर बिठाया है जिसके सर पर कभी छत भी नहीं होती थी।

चन्नी ने आज सुबह मुख्यमंत्री कार्यालय जाकर अपना पदभार संभाला। बाद में चन्नी ने प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया, जिसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के अलावा वरिष्ठ कांग्रेस नेता भी उपस्थित थे। उन्होंने पंजाब में किसानों के सभी बकाया बिल माफ करने का एलान करते हुए कहा – ‘अगर किसानों और खेती करने वालों को किसी तरह की आंच भी आई तो मैं अपनी गर्दन कलम करवाने के लिए तैयार हूँगा।’

कांग्रेस सरकार के नए मुखिया ने कहा – ‘अगर किसानी टूटती है तो पंजाब टूट जाएगा। किसानी है तभी देश है। पंजाब सरकार हर तरीके से किसानों के साथ खड़ी है। हम किसानों के लिए सब कुछ देने को तैयार हैं। बिना किसी लालच के साथ हम किसानों के साथ खड़े हुए हैं। किसानी डूबी तो हिंदुस्तान डूबेगा।’ चन्नी ने मांग की कि तीनों कृषि कानून वापस लिए जाएं।

उन्होंने साफ किया कि पंजाब में अगर कोई माफिया है तो उसका फैसला जल्दी हो जाएगा। उन्होंने कहा – ‘किसी भी गरीब का कनेक्शन इस लिए नहीं कटेगा कि वो बिल नहीं भरता है। अगर कटा है तो उसके सारे बिल माफ करके उसका कनेक्शन बहाल किया जाएगा। ये पंजाब के लोगों की सरकार है, आम आदमी की सरकार है। मुझे पंजाब के लोगों के लिए बहुत सारे फैसले करने हैं।’

मुख्यमंत्री ने खुद को आम आदमी बताया और कहा – ‘मैं पंजाब आलाकमान का भी शुक्रगुजार हूँ। हमारी आलाकमान सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत पूरी पार्टी का धन्यवाद।’ चन्नी ने कहा कि वे कट्टर कांग्रेसी परिवार से हैं। खुद को मुख्यमंत्री बनाए जाने को चन्नी ने चमकौर साहिब की धरती की कृपा बताया। उन्होंने कहा – ‘मैं गरीबों को नुमाइंदा हूं। अब पंजाब के लोगों को आगे लेकर जाना है। कांग्रेस को मजबूत करना है।’

चन्नी ने इस मौके पर कहा कि जिसके घर में छत नहीं थी, आज वो सीएम बना है। उन्होंने कहा – ‘कांग्रेस ने एक गरीब को इतना बड़ा पद दिया है। राहुल गांधी गरीब लोगों के साथ खड़े हैं। मैं पंजाब के हर आम आदमी की तरफ से राहुल गांधी जी का और कांग्रेस का धन्यवाद करता हूं।’

इस मौके पर चन्नी ने पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की भी तारीफ़ की। चन्नी ने कहा – ‘कैप्टन अमरिंदर सिंह बहुत अच्छे इंसान है। उन्हें पानी का रखवाला भी कहते हैं। जो मुद्दे रह गए हैं, उनका समाधान निकाला जाएगा और उन्हें पूरा किया जाएगा। किसी के साथ कुछ गलत नहीं होगा। सब कुछ संविधान के मुताबिक होगा।’

चन्नी ने हड़ताल पर गए सरकारी कर्मचारियों से काम पर लौटने की अपील की और कहा कि कर्मचारियों के सभी मसले हल होंगे। कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जाएगा।