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उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता विपक्ष चुने गए अखिलेश यादव

समाजवादी पार्टी विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को नेता विपक्ष चुना गया है। वे योगी सरकार के समक्ष सवाल करते नज़र आऐंगे।

अखिलेश यादव मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे थे और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद व केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को चुनावी मात दी थी।

बताते चले, हाल ही में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) ने 125 सीटों पर जीत हासिल की थी। इनमें से 111 सीटों पर सपा, 8 सीटों पर राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) व 6 अन्य ने जीती थी।

योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस अवसर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी उपस्थित थे।

भव्य शपथ ग्रहण समारोह पर यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि, समाजवादी पार्टी द्वारा बनाया गया लखनऊ का इकाना स्टेडियम में नई सरकार के शपथ लेने को लेकर बधार्इ।

दिल्ली बजट में सिसोदिया का ऐलान पांच साल में 20 लाख रोजगार करेंगे पैदा

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री व वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया 75,800 करोड़ रुपये का दिल्ली का आठवां बजट (2022-23) पेश किया। रेड टैब में दिल्ली का बजट लेकर संसद पहुंचे मनीष सिसोदिया ने रोजगार से संबंधित कई बड़े ऐलान भी किए।

बजट पेश करते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि, “बीतों सात सालों में आप पार्टी ने जो बजट पेश किए थे उनमें स्कूल में सुधार हुआ, बिजली के बिल ज़ीरो आए, मेट्रो का विस्तार हुआ, स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश, सुविधा फेस-लेस हुई जिसमें लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ते। और आज के बजट में युवाओं के लिए रोजगार दिया गया है इसलिए इसका नाम रोजगार बजट है।“

बजट की खास बात यह है कि अगले पांच साल में 20 लाख रोजगार पैदा करने का लक्ष्य रखा गया है। जिसमें वर्किंग पापुलेशन को 33 फीसदी से बढ़ाकर 45 फीसदी तक किया जाएगा।

आपको बता दे, फिलहाल दिल्ली में 55.87 लाख लोग ऐसे है जिनके पास रोजगार है जबकि आबादी 1.68 करोड़ है। यह दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले बहुत कम है। यदि हम लंदन की बात करे तो 58 फीसदी, न्यूयॉर्क में 52 फीसदी, सिंगापुर में 67 फीसदी, दिल्ली में 33 फीसदी लोगों के पास रोजगार है।

वित्त मंत्री ने आगे कहा कि, कोरोना के दौरान महिलाओं की नौकरियां सबसे ज्यादा गर्इ है और रोजगार बाजार में 2.0 विशेष तौर पर महिलाओं पर ध्यान दिया जा रहा है। आने वाले पांच सालों में बीस लाख रोजगार पैदा करने का लक्ष्य मुश्किल है लेकिन यह नामुमकिन नहीं है, यह लक्ष्य केजरीवाल मॉडल ऑफ गवर्नेंस से संभव है।

तीनों एमसीडी जोन एक हुए, अब चुनाव की तारीख पर नजर 

समय-समय की बात है और सत्ता-सत्ता की बात है। 2011 में कांग्रेस के शासन काल में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को तीन भागों नॉर्थ दिल्ली, साउथ दिल्ली और ईस्ट दिल्ली में बांट दिया गया था।  134 की जगह 272 वार्डों में चुनाव कराये गये थे।
अब भाजपा की सरकार है 2022 में तीनों भागों को एक करके एक एमसीडी कर दी गर्इ है। संसद से बिल पास हो जाने के बाद अब लोगों की नजर इस बात पर टिकी है। कि दिल्ली एमसीडी के चुनाव कब होंगे?
बताते चलें एमसीडी का कार्यकाल 16 मई तक है। इस लिहाज से तो चुनाव अप्रैल माह और मध्य मई तक हो जाने चाहिये। फिलहाल चुनाव की तारीख को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। जानकारों का कहना है कि एमसीडी के चुनाव में योगी के राजतिलक की झलक को एमसीडी के चुनाव में देखी जा सकती है। इस लिहाज से तो साफ कहा जा सकता है कि चुनाव अप्रैल माह में अगर भाजपा चुनाव करवाती है। तो भाजपा को चुनाव में फायदा हो सकता है।
यदि चुनाव देर से होते है। तो आप पार्टी ने चुनाव में देरी को लेकर जो भाजपा पर आरोप लगाये है। उसका सीधा लाभ आप पार्टी को मिल सकता है। ऐसे में भाजपा असमंजस में है। कि चुनाव में देरी करें या न करें। लेकिन चुनाव में देरी को लेकर भाजपा का कहना है कि चुनाव कराना, चुनाव आयोग का काम है।
कांग्रेस के नेता अमरीश गौतम का कहना है कि चुनाव देरी से रहे है। इसमें भाजपा और आप पार्टी की मिली भगत है। उनका कहना है कि आज से 10 साल पहले कांग्रेस ने तीनों मे एमसीडी को इस लिये बांटा था। ताकि काम का बोझ कम हो लोगों को काम को लेकर हो रही दिक्कत को कम किया जा सकें। एक एमसीडी होने की वजह से काम करवाने में लोगों को दिक्कत  होती थी। लेकिन मौजूदा सरकार ने फिर से तीनों जोनों को एक कर दिया है।अब फिर से जनता को एमसीडी के कामों को लेकर परेशानी होगी।   

छत्तीसगढ़: पिता ने 10 किमी बेटी का शव कंधे पर ढोया,  वीडियो वायरल हुआ तो जांच के आदेश  

छत्तीसगढ़ सरकार ने एक पिता के मृत बच्ची के शव को कंधे पर ले जाने वाले वायरल हुए वीडियो की घटना के जांच आदेश दिए हैं। यह घटना सरगुजा जिले की है। अब राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने आदेश जारी कर इस घटना की जाँच करने  को कहा है। इस बच्ची की लखनपुर गांव के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में शुक्रवार की सुबह मौत हो गई थी।

रिपोर्ट्स के मुताबिक बच्ची की मौत के बाद पिता बेटी के शव को 10 किलोमीटर तक कंधे पर उठकर ले गया क्योंकि 2 घंटे तक उन्हें शव वाहन नहीं मिल पाया। जब तक वाहन आया वह शव को ले जा चुके थे। पिता के बेटी के शव को कंधे पर ले जाने वाला वीडियो वायरल हो गया जिसके बाद सरकार ने जाँच के आदेश दिए हैं।

यह परिवार अमदला गांव का रहना वाला है। पिता ईश्वर दास अपनी बीमार बेटी सुरेखा को सुबह तड़के लखनपुर सीएचसी लाए थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक उसका ऑक्सीजन लेवल काफी कम था और वह पिछले कुछ दिन से तेज बुखार से पीड़ित थी। अस्पताल में उसका उपचार शुरू कर दिया गया था, लेकिन हालत बिगड़ने के बाद सुबह साढ़े सात बजे के करीब उसकी मौत हो गई।

वीडियो वायरल होने के बाद शुक्रवार को जिला मुख्यालय अंबिकापुर में मौजूद स्वास्थ्य मंत्री सिंह देव ने जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को मामले की जांच करने के आदेश दिए। मंत्री ने कहा उन्होंने वीडियो देखा है और यह परेशान करने वाला है।  मंत्री ने कहा – ‘वहां तैनात लोग यदि अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में सक्षम नहीं हैं, उन्हें हटा दिया जाना चाहिए।’

योगी मंत्रिमंडल: सरकार के कई फैसलों का विरोध बना कारण, दिनेश शर्मा को मौका न मिलना

उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार हो चुका है। लेकिन इस बार मंत्रिमंडल विस्तार में डॉ दिनेश शर्मा को जगह नहीं मिली है। जबकि 2017 में योगी सरकार में डॉ दिनेश शर्मा को उप मुख्यमंत्री बनाया गया था। जबकि 2022 के विधानसभा के चुनाव में डॉ शर्मा चुनाव भी जीते है। वहीं केशव मोर्या 2022 का विधानसभा चुनाव हार गये है। लेकिन इस बार योगी सरकार में उनको फिर उपमुख्यमंत्री बनाया गया है।
बताते चलें 2017 में उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा और केशव मौर्य को मुख्यमंत्री बनाया गया था। ऐसा क्या हुआ कि जीते हुए विधायक को उपमुख्यमंत्री पद तो छोड़ो किसी अन्य पद से भी नहीं नवाजा गया है। जबकि हारे हुए विधायक केशव मोर्या को उपमुख्यमंत्री पद से ज्यो का त्यों नवाजा गया है।
जातीय समीकरण को दूसरी बार बनी योगी सरकार में साधा गया है। जो सियासत में होता भी है। क्योंकि ब्राह्मण नेता डॉ दिनेश शर्मा की जगह बृजेश पाठक को मौका दिया है। ताकि ब्राह्मण समाज में कोई गलत मैसेज न जाये और साथ ही विरोधियों को कोई मौका न मिल सकें। 
वहीं जानकारों का कहना है कि दिनेश शर्मा बड़े ही मिलनसार नेता है। वो लखनऊ के लम्बे समय तक मेयर भी रहे है। ऐसे में उनको मंत्रिमंडल में जगह न मिलने का करण एक है। वो है प्रदेश सरकार के कई फैसलों पर अपनी राय में विरोध व्यक्त कर देते थे। जिससे मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच तनाव का कारण बन जाता था।इस बार योगी बार सरकार के नाम पर चुनाव लडा गया और योगी को जीत मिली है।
ऐसे में योगी का इस बार काफी दबदबा देखा जा रहा है। उनके मुताबिक मंत्रीमंडल में किसको लेना है और किस को नहीं लेना है। यानि मंत्रीमंडल में योगी की जमकर चली है। सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में भाजपा-विधायक को किसी अन्य विभागों में जगह देकर उनका सम्मानित किया जा सकता है।

फिर बुन्देलखंड से मनोहर लाल कोरी को राज्य मंत्री पद दिया गया

उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड से फिर मनोहर लाल कोरी को राज्य मंत्री बनाया गया है। जबकि इस बार बुंदेलखंड के लोगों को और साथ में विधायकों को बड़ी उम्मीद थी कि एक या दो  नये मंत्री और  बनाये जायेगे। लेकिन इस बार भी निराशा हाथ लगी है।
बताते चलें बुंदेलखंड  में 2017 में भाजपा ने 19 में से 19 विधानसभा सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी। जब कि 2022 में बुंदेलखंड की 19 में 16 सीटों पर भाजपा को जीत ही हासिल हुई है। बुंदेलखंड की राजनीति के जानकार राजेन्द्र कुमार का कहना है कि सियासत में वादा करना अलग होता है। और काम करना अलग होता है। अब चुनाव हो चुके है।
भाजपा सरकार भी पूर्ण बहुमत में है।सो किसको मंत्री बनाना है और किसको नहीं । इसलिये मंत्री मंत्रिमंडल विस्तार में बुंदेलखंड से दूसरा कोई मंत्री नहीं बनाया है।राजेन्द्र कुमार का कहना है कि भाजपा आलाकमान से लेकर संगठन भली भाँति जानता है। कि बुंदेलखंड के लोगों का और यहां की राजनीति का अपना अलग ही मिजाज है। ऐसे में अगर भाजपा 2024 के लोकसभा के चुनाव तक किसी  एक को या तो किसी बोर्ड का चेयरमैन बना सकती है। या पार्टी में  कोई जिम्मेदार पद से सम्मानित किया जायेगा।

सीएम योगी ने 52 मंत्रियों के साथ ली शपथ

योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस अवसर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष  जेपी नड्डा भी उपस्थित थे।

योगी सरकार में दो लोगों को उप मुख्यमंत्री बनाया गया है। इनमें पिछली सरकार में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या शामिल हैं। जबकि दूसरे नेता बृजेश पाठक हैं। पिछली बार दिनेश शर्मा भी उपमुख्यमंत्री थे लेकिन उन्हें इस बार जगह नहीं दी गयी है।

शपथ ग्रह समारोह उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अटल बिहारी वाजपेयी इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम (एकना स्टेडियम) में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही योगी ने नया इतिहास रच दिया है। योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह समेत देशभर के कई बड़े नेता और उद्योगपति मौजूद रहे। उनके अलावा भाजपा शासित 12 राज्यों के मुख्यमंत्री भी उपस्थित थे।

सीएम योगी के साथ 52 और नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली। इनमें 16 कैबिनेट मंत्री, 14 स्वतंत्र प्रभार और 20 राज्य मंत्री हैं।
कैबिनेट मंत्री : सूर्य प्रताप शाही, सुरेश कुमार खन्ना, स्वतंत्र देव सिंह, बेबी रानी मौर्य, लक्ष्मी नारायण चौधरी, जयवीर सिंह, धर्मपाल सिंह, नंद गोपाल गुप्ता नंदी, भूपेंद्र सिंह चौधरी, अनिल राजभर, जितिन प्रसाद, राकेश सचान, अरविंद कुमार शर्मा,  योगेंद्र उपाध्याय, आशीष पटेल, संजय निषाद।

 
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) :  नितिन अग्रवाल, कपिलदेव अग्रवाल, रवीन्द्र जायसवाल, संदीप सिंह, गुलाब देवी, गिरीश चंद्र यादव, धर्मवीर प्रजापति, असीम अरुण, जेपीएस राठौर, दयाशंकर सिंह, नरेंद्र कश्यप, दिनेश प्रताप सिंह, अरुण कुमार सक्सेना, दयाशंकर मिश्र दयालु।
 

राज्य मंत्री :  मयंकेश्वर सिंह, दिनेश खटिक, संजीव गौड़, बलदेव सिंह ओलख, अजीत पाल, जसवंत सैनी, रामकेश निषाद, मनोहर लाल मन्नू कोरी, संजय गंगवार, बृजेश सिंह, केपी मलिक, सुरेश राही, सोमेंद्र तोमर, अनूप प्रधान, प्रतिभा शुक्ला, राकेश राठौर, रजनी तिवारी, सतीश शर्मा, दानिश आजाद अंसारी, विजय लक्ष्मी गौतम।

कलकत्ता हाईकोर्ट का आदेश, बीरभूम हत्याकांड की जांच सीबीआई करेगी

राजनीति में हलचल मचाने वाले पश्चिम बंगाल के बीरभूम हत्याकांड मामले को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को घटना के सीबीआई से जाँच के आदेश दिए हैं। इस घटना में घरों के भीतर आठ लोगों को ज़िंदा जला दिया गया था।

जानकारी के मुताबिक कलकत्ता हाईकोर्ट में शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई हुई  जिसमें हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार की केंद्रीय एजेंसी को जांच नहीं सौंपने के अनुरोध को खारिज करने के बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मामले को सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया है।

याद रहे बीरभूम में मंगलवार को भीड़ ने आठ लोगों को जिंदा जला दिया था। यह घटना टीएमसी के एक कार्यकर्ता की हत्या के बाद हुई थी। इसके अलाव इस  कोर्ट में भी ले जाने की कवायद भी हुई है।

एमसीडी चुनाव में कम हो सकती है वॉर्डों की संख्या

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में 272 वॉर्ड है। अब एमसीडी के एकीकरण के बाद यह संख्या 250 हो जाएगी। किंतु दिल्ली के तीनों निकायों के लिए केंद्र सरकार विधेयक पेश करने को तैयार है साथ ही वॉर्डों को सीमित करने की संभावना पर विचार भी चल रहा है। एमसीडी चुनाव को लेकर जो भी अटकलों का दौर चल रहा हो, लेकिन इसके पीछे सियासी दांव-पेंच साफ देखें जा सकते है।
जानकारों का कहना है कि जब से आप पार्टी का उदय हुआ है। तब से आप पार्टी को लेकर कांग्रेस और भाजपा में इस बात की होड़ लगी है। कि आप पार्टी को कैसे चुनाव में कमजोर किया जाये। आप पार्टी के बढ़ते जनाधार और एमसीडी में आप पार्टी की जीत की संभावना को देखते हुए सीटों के कम करने पर सियासत की जा रही है।
एमसीडी की राजनीति को लेकर के. डी. सुरेश का कहना है कि एमसीडी का दिल्ली की सियासत में अहम भूमिका है। क्योंकि जो निगम का पार्षद होता है वो कई मामलों में विधायक से कहीं ज्यादा लोकल स्तर पर ज्यादा काम कराने में हस्तक्षेप कर सकता है। सो पार्षद का दिल्ली में बड़ा ही महत्व है। बताते है कि एमसीडी में जो भी सीटों को कम करने के बीच जातीय समीकरणों को साधने का प्रयास किया जायेगा। कुछ इस तरह से सियासी ताना-बाना चुना जायेगा जिससे एक पार्टी को विशेष रूप से सियासी लाभ मिल सकें।
फिलहाल सीटों के कम होने या ज्यादा होने से राजनीतिक दलों पर क्या असर पड़ता है। लेकिन इतना तो जरूर है कि आप पार्टी से ही कांग्रेस और भाजपा का मुकाबला होगा। फिलहाल राजनीतिक दलों की नजरें अब एमसीडी चुनाव की तारीख पर है कि कब चुनाव की तारीख का ऐलान होता है।

इमरान खान सरकार के खिलाफ आज आएगा अविश्वास प्रस्ताव

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के राजनीतिक भाग्य का आज फैसला होगा जब वहां की नेशनल असेंबली में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश होगा। इस घटनाक्रम से पाकिस्तान में जबरदस्त राजनीतिक हलचल है। सेना, जो पाकिस्तान की राजनीति में बराबर का दखल रखती है, भी इस घटनाक्रम पर नज़र रखे हुए है।

पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में सदन की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू होगी जिसके बाद सदन के अध्यक्ष असद कैसर आज के एजेंडे पर कार्यवाही शुरू करेंगे। गुरुवार रात नेशनल असेंबली का सत्र का 15 सूत्री एजेंडे जारी किया गया है उसमें इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी शामिल है।

कुल 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में, इमरान खान को सरकार बचाने के लिए 172 सदस्यों के समर्थन की ज़रुरत रहेगी। एक दिन पहले ही इमरान खान ने एक बयान में कहा था कि वो किसी भी परिस्थिति में इस्तीफा नहीं देंगे। लेकिन यदि अविश्वास प्रस्ताव में वे हार जाते हैं तो उन्हें कायदे से इस्तीफा देना पड़ेगा।

इमरान खान की कुर्सी के लिए इसलिए ख़तरा महसूस किया जा रहा है क्योंकि हाल में उनकी पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) में कुछ असंतुष्ट सांसदों ने खुलकर उनके खिलाफ आवाज़ उठाई है। यह भी रिपोर्ट्स हाल में सामने आई हैं कि सेना भी उनसे बहुत ज्यादा ‘खुश नहीं’ है।

सरकार के गठबंधन में सहयोगी यदि अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष का साथ देते हैं तो इमरान खान को दिक्कत पैदा हो सकती है। कुछ सहयोगी विपक्ष का साथ देने की बात कह चुके हैं। और भी दिलचस्प यह है कि पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश ने कल ही कहा है कि इमरान खान के खिलाफ अविश्वास की कार्यवाही के दौरान सदस्यों के  डाले वोटों की गिनती नहीं करना ‘अवमानना’ होगा। उनका यह ब्यान संसद सदस्यों के दलबदल के संदर्भ में है।

इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और भुट्टो/ज़रदारी की पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की तरफ से आया है। इन विपक्षी दलों के करीब  100 सांसदों ने आठ मार्च को नेशनल असेंबली सचिवालय में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था।

इस नोटिस में इन दलों के सांसदों का आरोप है कि पाकिस्तान की सत्तारूढ़ पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेता इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार देश में आर्थिक संकट और बढ़ती महंगाई के लिए जिम्मेदार है। उनका आरोप है कि इमरान खान सरकार देश के मुद्दों पर काबू करने में नाकाम साबित हुई है और जनता में नाराजगी है।