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जम्मू कश्मीर परिसीमन सिफारिशों को सर्वोच्च न्यायालय में दी चुनौती

विवाद के बाद जम्मू-कश्मीर के लिए हाल में सरकार को संतुति के लिए भेजी गयी नई परिसीमन प्रक्रिया का मामला सर्वोच्च न्यायालय में पहुंच गया है। सर्वोच्च अदालत में एक याचिका के जरिये परिसीमन प्रक्रिया को चुनौती देते हुए इसकी अधिसूचना पर रोक लगाने की मांग की गई है।

जानकारी के मुताबिक यह याचिका जम्मू-कश्मीर के कुछ निवासियों की तरफ से दायर की गयी है। इसमें केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में परिसीमन करने के लिए परिसीमन आयोग के गठन की अधिसूचना को असंवैधानिक बताया गया है। याचिका में इसे समानता के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए कहा गया है कि केंद्र सरकार ने  भारत के चुनाव आयोग शक्तियों को कमोवेश पूरी तरह अपने अधीन कर लिया है।

इस याचिका, जिसे जम्मू-कश्मीर के दो निवासियों अब्दुल गनी खान और डा. मोहम्मद अयूब मट्टू ने दायर किया है, में यूटी जम्मू-कश्मीर में विधान सभा में सीटों की संख्या 83 से बढ़ाकर 90 करने का विरोध किया करते हुए कहा गया है कि मार्च 2020 की अधिसूचना जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश और असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड राज्यों में परिसीमन करने के लिए परिसीमन आयोग का गठन करना अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन है।

याचिका में यह भी दलील दी गई है कि परिसीमन की ये कवायद केंद्र सरकार के  जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के अनुच्छेद 81, 82, 170, 330 और 332 और धारा 63 के खिलाफ है। इसमें सवाल उठाया गया है कि भारत के संविधान की धारा 170 में प्रावधान के अनुसार, देश में अगला परिसीमन 2026 के बाद किया जाएगा, फिर जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश को क्यों परिसीमन के लिए चुना गया है?

याद रहे परिसीमन आयोग ने हाल में सरकार को भेजी अपनी रिपोर्ट और सिफारिशों में यूटी जम्मू और कश्मीर में विधानसभा की सीटों की संख्या 83 से बढ़ाकर 90 और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) की 24 सीटों सहित 107 से बढ़ाकर 114 करने को कहा है।

पेट्रोल 100 रूपये लीटर के पार, लगातार सातवें दिन बढ़ी कीमतें

आठ दिन में मंगलवार को लगातार सातवीं बार तेल विपणन कंपनियों की तरफ से  पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने से देश की जनता में बेचैनी फैल रही है। आज फिर पेट्रोल की कीमतों में 80 पैसे और डीजल की कीमतों में 70 पैसे प्रति लीटर की बढ़ौतरी की गयी है। पेट्रोल की कीमतें 100 रूपये लीटर के पार चली गयी हैं।

पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में इस बढ़ोतरी से लोगों पर पड़ रहे बोझ के खिलाफ विपक्ष आज संसद में हंगामा कर सकता है। बढ़ौतरी के बाद दिल्ली में पेट्रोल का मंगलवार का रेट 100.21 रुपये और डीजल की कीमत 91.47 हो गई है।

पिछले सात दिन की बढ़ोतरी से पेट्रोल-डीजल देश में 4.80 रुपये प्रति लीटर महंगा हो चुका है। लोगों में इन कीमतों के बढ़ने से बेचैनी फ़ैल रही है। उनकी जेब पर बोझ बढ़ रहा है और सबसे बड़ी बात यह है कि पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें बढ़ने किए बाद दूसरी चीजों के मूल्यों पर भी इसका गहरा असर पड़ना शुरू हो गया है।

हिमाचल, गुजरात और हरियाणा विधानसभा चुनाव की तैयारी में आप पार्टी

पंजाब में आप पार्टी को मिली ऐतिहासिक जीत से अब आप पार्टी इसी साल 2022 में होने वाले गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव को लेकर कमर कस चुकी है। वहीं 2023 को होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर आप पार्टी अभी से लोगों के बीच जाकर और पार्टी कार्यालय खोलकर पार्टी का प्रचार और प्रचार करने में लगी है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि पार्टी की क्षवि और ईमानदारी को देखते हुए लोग पार्टी से जुड़ रहे है। जिससे पार्टी राष्ट्रीय स्तर की ओर बढ़ रही है। बताते चलें जो कांग्रेस के कद्दावर नेता है और अन्य पार्टी से रूठे नेता है वे भी आप पार्टी में शामिल होकर पार्टी का जनाधार बढ़ाने में अहम रोल निभा सकते है। सूत्रों की मानें तो चुनाव के पहले  अन्य दलों के कई वरिष्ठ नेता आने वाले दिनों में आप पार्टी में शामिल होकर पार्टी का प्रचार -प्रसार कर सकते है।आप पार्टी के नेता अरुण कुमार का कहना है कि कांग्रेस पार्टी का जनाधार धीरे -धीरे कम हो रहा है । और भाजपा की कथनी और करनी में अंतर है साथ ही लोग महंगाई से परेशान है और युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। जबकि आप पार्टी जनता के बीच जाकर काम कर रही है और युवाओं को रोजगार दे रही है। फ्री में तमाम सुविधाये दे रही है। जिससे जनता आप पार्टी की नीतियों से प्रसन्न है। आप पार्टी के मुखिया व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आगामी 6 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश में एक जनसभा और पार्टी के  कार्यकर्ताओं को संबोधित करेगे। वहीं भाजपा के नेताओं  का कहना है कि आप पार्टी को पंजाब में जीत नहीं मिली है। बल्कि कांग्रेस की जनविरोधी नीतियों को  की हार हुई है। उनका कहना है कि भाजपा की नीतियों से जनता प्रसन्न है। तभी तो चार राज्यों में भाजपा को जीत मिली है।

केंद्र की नीतियों के खिलाफ आज लगातार दूसरे दिन भी भारत बंद

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के भारत बंद का आज (मंगलवार) दूसरा दिन है और केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ हजारों श्रमिक राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर हैं। इस बंद का कामकाज पर व्यापक असर पड़ा है और आम लोगों को भी कई जगह दिक्कत झेलनी पड़ी है। कांग्रेस ने भी इस बंद को समर्थन दिया है

पहले दिन की तरह आज भी सार्वजानिक क्षेत्र के कई बैंकों में कामकाज ठप है।      दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के पहले दिन पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में सोमवार को सार्वजानिक क्षेत्र के कई बैंकों में कामकाज प्रभावित रहे।सार्वजनिक परिवहन सेवाएं भी ठप रहीं। बैंक आज भी बंद हैं।

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का संयुक्त मंच श्रमिकों, किसानों और लोगों को प्रभावित करने वाली सरकारी नीतियों के विरोध में यह बंद कर रहा है। इस देशव्यापी हड़ताल का आह्वान 48 घंटे के लिए किया गया है। बंद को अखिल भारतीय असंगठित कामगार और कर्मचारी कांग्रेस ने भी समर्थन दिया है।

इस बीच कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि पार्टी के नेता राहुल गांधी बंद में शामिल वर्गों की मांगों के पक्ष में अपनी बात रखते रहे हैं। कई राज्यों में बंद का व्यापक असर दिखा है। बता दें इमरजेंसी सेवाओं को बंद से बाहर रखा गया है।

पंजाब में भगवंत मान सरकार की घर-घर राशन के लिए ‘डोर स्टेप डिलीवरी’ योजना

पंजाब में बड़े बहुमत से सत्ता में आने वाली मान सरकार ने लोकलुभावन वादों पर काम करना शुरू कर दिया है। अब सोमवार को पंजाब सरकार ने घर-घर राशन पहुंचाने के लिए ‘डोर स्टेप डिलीवरी’ की घोषणा की है। इसके तहत पंजाब सरकार के अधिकारी फोन करके तय समय पर लोगों के घर राशन पहुंचाएंगे।

अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने भी यह योजना दिल्ली में शुरू की थी, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे लागू नहीं होने दिया था। देखना होगा कि पंजाब सरकार के इस फैसले को लेकर केंद्र सरकार का क्या रुख रहता है।

‘डोर स्टेप डिलीवरी’ में अधिकारी को उस घर के सदस्यों पंजीकृत नंबर पर फोन करके उनसे वक्त लेना होगा कि वे कब उनके राशन पहुंचाने आएं। इसके बाद उनकी तरफ से तय समय पर सरकार के अधिकारी वहां राशन पहुंचाएंगे।

याद रहे इसके अलावा आप ने चुनाव में जनता को 300 यूनिट तक बिजली प्रति महीने मुफ्त देने का वादा किया है। भगवंत मान ने पहली अप्रैल से पंजाब की हर महिला को एक हजार रुपये देने का वादा भी कर चुके हैं। सरकार भ्रष्टाचार को रोकने के लिए पहले ही शिकायत करने के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी कर चुकी है, जिसमें लोगों ने शिकायतें करनी शुरू भी कर दी हैं।

तो, मायावती भी चली परिवारवाद की राजनीति करने

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बसपा को मिली करारी हार से बसपा सुप्रीमो मायावती काफी चिंतित है। उन्होंने तमाम सियासी कयासों को विराम देते हुए पार्टी में सक्रियता के साथ पार्टी में बड़े फेरबदल के तहत कुछ पदाधिकारियों को हटाया है तो कुछ को अहम जिम्मेदारी दी है। इस अहम जिम्मेदारी ने उन्होंने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी का राष्ट्रीय समन्यवक बनाया है।

आकाश आनंद को जिम्मेदारी सौंपते हुये मायावती ने ये सियासी अंदाज में बता दिया है। कि वे आगामी लोकसभा चुनाव में सक्रियता के साथ पार्टी को आगे बढ़ाने में काम करेगी। बसपा सूत्रों की माने तो पार्टी भले ही कमजोर हुई है। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में करारी हार और खिसकते जनाधार को लेकर पार्टी पर भाजपा से मिले होने के आरोप लगने लगे थे। क्योंकि चुनावी बेला पर मायावती ने खुद सपा को हराने की लोगों से अपील की है। जिससे अपरोक्ष रूप से बसपा पर ये आरोप लगना लगा था  बसपा अपनी हार को देखते हुये भाजपा को जिताने के लिये प्रयास कर रही है।

वहीं बसपा सुप्रीमो अभी तक कांग्रेस और सपा पर परिवारवाद को राजनीति में लाने के लिये आरोप लगाती रही है। साथ ही परिवार की पार्टी कहती रही है। वहीं अब खुद अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी का राष्ट्रीय समन्वयक बनाकर ये बता दिया है। कि सियासत में सब चलता है। मौका मिलते ही अपने लाभ के लिये सियासी दल सारे सिद्दांतों को तांक पर ऱख देते है।

सपा और कांग्रेस का कहना कि मायावती की सियासत उत्तर प्रदेश में सिमट गयी है। वे आरोप-प्रत्यारोप  की राजनीति कर अपने भतीजे को आगे लाने के लिये ही राजनीति करती है। अब खुद परिवारवाद को बढ़ावा दे रही है। जो कल तक दूसरे दलों पर ये आरोप लगाने से नहीं चूकती थीं। कि परिवारवाद का राजनीति में कोई स्थान नहीं है। और अब खुद परिवार के साथ पार्टी को चलाने लगी है।

 

पुलिस को विशेष अधिकार देने वाला विधेयक आज संसद में पेश करेंगे शाह

लोकसभा में दोषियों और अन्य आरोपियों की पहचान और जांच के मद्देनजर रिकॉर्ड के संरक्षण को लेकर “आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक- 2022” को सोमवार (यानी आज) को लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह पेश करेंगे।  इसके अंतर्गत किसी अपराध के मामले में गिरफ्तार और दोषसिद्ध अपराधियों का रिकॉर्ड रखने के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग की अनुमति का प्रस्ताव है।

यह बिल दोषियों और अन्य आरोपियों की पहचान और जांच के मद्देनजर रिकॉर्ड के संरक्षण को लेकर है.

इस बिल के पास होने के बाद पुलिस को विशेष अधिकार मिल जाएंगे। आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, 2022, के पास होने के बाद वर्तमान ‘कैदियों की पहचान अधिनियम, 1920’ निरस्त हो जाएगा।

विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, किसी भी निवारक निरोध कानून के तहत दोषी ठहराए गए, गिरफ्तार या हिरासत में लिए गए किसी भी व्यक्ति को पुलिस अधिकारी या जेल अधिकारी को माप प्रदान करने की ज़रुरत होगी।

इस विधेयक में किसी अपराध के मामले में गिरफ्तार और दोषसिद्ध अपराधियों का रिकॉर्ड रखने के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग की अनुमति देने का प्रस्ताव भी है।

गोवा: प्रमोद सावंत ने लगातार दूसरी बार सीएम पद की शपथ ली, शपथ ग्रहण समारोह में पीएम मोदी रहे उपस्थित

गोवा के श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्टेडियम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता प्रमोद सावंत ने आज लगातार दूसरी बार सीएम पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई दिग्गज नेता रहे शामिल।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्टेडियम में सभी नेताओं के साथ करीब 10 हजार लोग उपस्थित रहे।  सीएम पद की शपथ लेने से ठीक पहले प्रमोद सावंत ने पूजा-अर्चना की जिसकी तस्वीरें उन्होंने अपने ट्विटर अकांउट पर शेयर की है। और कैप्शन में लिखा की, “गोवा के लोगों की सेवा के लिए भगवान से प्रार्थना की।“

आपको बता दे, गोवा की सभी 40 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुए थे जिसमें से 20 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी जीत दर्ज कराई थी। साथ ही कांग्रेस ने 11 सीटें व निर्दलीयों ने 3 सीटें, आम आदमी पार्टी (आप) ने दो, जीएफपी ने एक सीट, आरजीपी ने एक सीट व महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी ने दो सीटों पर कब्जा किया था। हालांकि एमजीपी के दो विधायकों समेत तीन निर्दलीय विधायकों ने भाजपा को समर्थन दिया है।

आज होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में 48 वर्षीय प्रमोद सावंत सीएम पद की शपथ लेंगे। वे उत्तरी गोवा के सैंकलिम से विधायक हैं। और मनोहर पर्रिकर नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके है। सावंत के साथ भाजपा के अन्य 8 विधायक मंत्री पद की शपथ लेंगे। जिसमें विश्वजीत राणे (भाजपा विधायक), रवि नायक, मौविन गोडिन्हो, सुभाष शिरोडकर, रोहन खुंटे, अतानासियो मोनसेरेट, नीलेश कबराल और गोविंद गौड़े शामिल है।

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के दो दिन के भारत बंद का मिला जुला असर

श्रमिकों, किसानों और आम लोगों को प्रभावित करने वाली केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ सोमवार और मंगलवार के ‘भारत बंद’ का मिला जुला असर देश में दिख रहा है। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने भी बंद को समर्थन दिया है। बंद का आह्वान केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने किया है। इधर राजधानी दिल्ली में बंद का कोई ख़ास असर देखने को नहीं मिला है।

बंद को लेकर केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल को सफल बताते हुए दावा किया है कि विभिन्न ट्रेड यूनियनों और आम जनता से बंद को समर्थन का दावा किया है। मंच ने कहा है कि केंद्र सरकार की नीतियां श्रमिकों, किसानों और आम लोगों की विरोधी हैं और उन्हें मुश्किल ज़िंदगी जीने को मजबूर होना पड़ रहा है।

यह बंद दो दिन के लिए बुलाया गया है और पहले दिन इसका असर देश के ज्यादातर हिस्सों में साफ दिख रहा है। बंद को अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ का भी समर्थन मिल रहा है। हाल में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद केंद्र सरकार के खिलाफ यह देश में यह पहला बंद है। उधर किसान भी अपने आंदोलन को दोबारा शुरू करने की तैयारी में दिख रहे हैं।

बंद में बैंक कर्मचारी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की सरकार की योजना के साथ-साथ बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक 2021 के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए हिस्सा ले रहे हैं। बैंक यूनियन भविष्य निधि संगठन पर कम ब्याज दर, ईंधन की बढ़ती कीमतों का भी विरोध कर रहे रहे हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक केरल में भारत बंद का व्यापक असर है और वहां सड़कें सुनसान हैं। भारत बंद के दौरान आपातकालीन सेवाओं को हड़ताल से बाहर रखा गया है। पश्चिम बंगाल में, भले ही ट्रेड यूनियनों को सड़कों पर विरोध करते देखा जा सकता है, लेकिन राज्य सरकार ने सभी कार्यालयों को खुले रहने और कर्मचारियों को ड्यूटी पर आने के लिए कहा है। राजधानी दिल्ली में बंद का कोई ख़ास असर देखने को नहीं मिला है।

फिर से टूटती नजर आ रही है सपा की परिवारिक सुलह

समाजवादी पार्टी  की पारिवारिक सुलह लगता है, ज्यादा दिनों तक चलने वाली नहीं है। अर्थात् फिर से टूटती नजर आ रही है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के पूर्व ही तत्कालीन मुख्य अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव  के बीच इस कदर तीखें शब्दों के बाण चलें कि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव की महामहर में शिवपाल यादव ने अपनी अलग से पार्टी बनाकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के बैनर तलें चुनाव लड़ा और कई सीटों पर समाजवादी पार्टी का  जमकर विरोध भी किया।

यदि बात की जाए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तो इस पारिवारिक लड़ाई का भाजपा ने जमकर सियासी लाभ उठाया। जैसे-तैसे समाजवादी के संस्थापक व पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच सुलह भी करा दी थी। सुलह का लाभ बस पार्टी को ये मिला कि 2022 के विधानसभा चुनाव में शिवपाल यादव और अखिलेश यादव  ने  एक साथचुनाव लड़ा और एक दूसरे के खिलाफ कोई बयानबाजी नहीं की है। जिसके चलते पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ा और सीटे भी मिली। लेकिन सपा राज्य में सरकार बनाने में नाकाम रही।

चुनाव में हार के कारण पारिवारिक सुलह फिर से विरोध के रास्ते पर चलती दिख रही है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि अगर पार्टी में पारिवारिक लड़ाई और मनमुटाव चलता रहा तो आने वाले 2024 लोकसभा के चुनाव में पार्टी को नुकसान हो सकता है। वर्ष 2017 की तरह सपा की पारिवारिक लड़ाई का सियासी लाभ भाजपा लें सकती है।

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता ने बताया कि, अगर पार्टी परिवार वाद और पारिवारिक लड़ाई में यूं ही फंसी रही तो आने वाले दिनों में लोगों का पार्टी से जुड़ाव कम होगा और  कुछ पार्टी के नेता पार्टी छोड़कर अन्य दल में जाने से परहेज नहीं करेगें।