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कर्नाटक के तुमकुर सड़क हादसे में 8 लोगों की मौत

एक बड़े सड़क हादसे में कर्नाटक के तुमकुर में शनिवार को 8 लोगों की मौत हो गई जबकि 20 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर है। यह हादसा बस के पलटने से हुआ।

रिपोर्ट्स के मुताबिक हादसा पावागड़ा के पास तब हुआ जब एक यात्री बस पलट गयी। हादसे के समय बस में 50 से अधिक लोग सवार थे। चालक के बस पर से नियंत्रण खो देने के बाद यह सड़क पर पलट गयी। हादसे में 8 लोगों की जान चली गयी जबकि गंभीर घायलों को पास के सरकारी अस्पताल में दाखिल कराया गया।

घायलों में छात्र भी शामिल हैं। कुछ घायलों की हालत काफी गंभीर बताई गयी है।
हादसे की जानकारी मिलते ही पुलिस और प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंची। बचाव अभियान शुरू किया गया। कुछ घायलों को बैंगलोर अस्पताल में भर्ती किया गया है।

हादसे पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने दुख जताया है। एक ट्वीट में नायडू ने कहा – ‘कर्नाटक के तुमकुर में एक बस दुर्घटना में लोगों की मौत के बारे में सुनकर गहरा दुख हुआ। शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना।’

गुजरात में अलग-अलग घटनाओं में 11 लोगों की डूबने से मौत

गुजरात में धुलेती उत्सव के बाद अलग-अलग घटनाओं में 11 लोगों की डूबकर मौत हो गई है। प्रदेश में धुलेती त्यौहार होली के एक दिन बाद मनाया जाता है जो रंगों का ही त्यौहार है।

पुलिस के मुताबिक बड़ा हादसा देवभूमि द्वारका में हुआ जहाँ धुलेती मनाने के बाद त्रिवेणी नदी में नहाने उतरे पांच किशोर डूब गए। उनकी मौत पानी की गहराई का सही अंदाजा नहीं लगा पाना रहा। पुलिस के मुताबिक भानवड़ और खंभालिया कस्बों के दमकल कर्मियों ने स्थानीय गोताखोरों के साथ मिलकर शव बाहर निकाले।

उधर एक अन्य घटना में खेड़ा जिले के वासो तालुका के जारोल गांव के पास धुलेती मनाने के बाद दो किशोर झील में डूब गए। तीसरी घटना महीसागर जिले में वानकबोरी बांध के पास महीसागर की है जहाँ नदी में डूबने से चार अज्ञात युवकों की मौत हो गई।

पुलिस के मुताबिक एक मेले में भाग लेने के बाद बांध के पास ये युवक स्नान करने के लिए नदी में उतरे। लेकिन डूब गए। इसकी जानकारी स्थानीय लोगों ने पुलिस को दी जिसके बाद गोताखोरों ने एक घंटे के मशक्कत के बाद शव बाहर निकाले।

भाजपा, कांग्रेस ने राज्यसभा और उपचुनाव के लिए किए अपने उम्मीदवार घोषित

भाजपा और कांग्रेस ने राज्यसभा के होने वाले चुनावों के लिए अपने-अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। इसके अलावा लोकसभा और विधानसभा के कुछ उपचुनावों के लिए भी भाजपा ने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की है।

भाजपा ने असम, हिमाचल प्रदेश, नगालैंड और त्रिपुरा की एक-एक सीट से अपने राज्यसभा उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं। इनमें पी मार्गेरिटा, सिकंदर कुमार, एस फांगनोन कोन्याक और माणिक साहा शामिल हैं।

उधर कांग्रेस ने राज्यसभा चुनाव के लिए रिपुन बोरा को असम और जेबी मैथर को केरल से उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दोनों की उम्मीदवारी को स्वीकृति प्रदान की। रिपुन बोरा असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुके हैं और फिलहाल राज्यसभा सदस्य हैं। मैथर केरल महिला कांग्रेस की अध्यक्ष हैं। वह पहले युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव रह चुकी हैं। इन सीटों के लिए 31 मार्च को मतदान होना है।

उधर भाजपा ने पश्चिम बंगाल में आसनसोल लोकसभा उपचुनाव के लिए अग्निमित्र पॉल को और बिहार से बोचहां विधानसभा उपचुनाव के लिए बेबी कुमारी को उम्मीदवार बनाया है। पॉल तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार और भाजपा के पूर्व नेता शत्रुघ्न सिन्हा के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी।

पंजाब में आज एक महिला सहित 10 मंत्रियों ने ली शपथ

पंजाब में बड़े बहुमत से सत्ता में आई आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार के मंत्रिमंडल का आज गठन हो गया। कुल 10 मंत्रियों ने आज शपथ ली जिनमें एक महिला हैं। राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने मंत्रियों को शपथ दिलाई। मंत्रिमंडल में मंत्रियों की संख्या अब मुख्यमंत्री सहित 11 हो गयी है। मुख्य्मंत्री के रूप में भगवंत सिंह मान ने शनिवार को खटकड़ कलां में शपथ ली थी।  क़ानून के मुताबिक पंजाब में अधिकतम 17 मंत्री बनाये जा सकते हैं।

अपने मंत्रिमंडल में मान ने क्षेत्रीय संतुलन बनाने की कोशिश की है। हालांकि, पार्टी के मुख्य आधार मालवा को उन्होंने तरजीह दी है। आज मंत्री पद की शपथ लेने वाले 10 विधायकों में पांच मालवा, चार माझा और एक दोआबा से हैं। कोटकपूरा से लगातार दूसरी बार विधायक बने कुलतार सिंह संधवां विधानसभा अध्यक्ष बनाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री मान ने एक ट्वीट में मंत्रिमंडल का एलान किया था। मान ने एक ट्वीट में कहा था – ‘मंत्रिमंडल में फिलहाल 10 मंत्री बनाए जाएंगे, जो आज शपथ ग्रहण करेंगे।’ मान के 10 मंत्रियों में पिछली विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे दिड़बा हलके से दूसरी बार जीते हरपाल सिंह चीमा भी हैं। मलोट से विधायक और पहले पार्टी सांसद रहे साधु सिंह की पुत्री बलजीत कौर को भी मंत्री बनाया गया है। उन्होंने तीन माह पहले ही नौकरी छोड़ राजनीति ज्वाइन की थी।

अन्य  विधायकों जो मंत्री बने हैं, में हरभजन सिंह भी हैं जो जंडियाला से जीते हैं। साल 2012 में पीसीएस परीक्षा पास करके ईटीओ बने और 2017 में वीआरएस ले लिया। पिछले विधानसभा चुनाव में वे हार गए थे। एक और विधायक विजय सिंगला, जिन्होंने मानसा से गायक सिद्धू मूसेवाला को 63 हजार से ज्‍यादा मतों से हराया था भी मंत्री बने हैं।

मंत्री बने भोआ से विधायक लालचंद पेशे से सोशल वर्कर और आप की पंजाब यूथ विंग के अध्‍यक्ष हैं। बरनाला से दूसरी बार विधायक बने गुरमीत सिंह मीत हेयर भी मंत्री बनने वालों की सूचि में हैं। किसान और अजनाला से विधायक कुलदीप सिंह धालीवाल भी मंत्री बने हैं।

पट्टी से विधायक लालजीत सिंह भुल्‍लर भी मंत्री बने हैं जो बादल परिवार के रिश्तेदार हैं। होशियारपुर से विधायक ब्रह्म शंकर जिंपा, सबसे कम उम्र के हरजोत सिंह बैंस भी मंत्री बनाए गए हैं। कुलतार सिंह संधवां, जो कोटकपूरा से जीते हैं, विधानसभा अध्यक्ष बनेंगे। मान ने कई बड़े नामों को छोड़ कर यह सूची बनाई है।

भाजपा उत्तर प्रदेश की तर्ज पर लडेगी, राजस्थान और छत्तीसगढ का चुनाव

उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव में मिली भाजपा को जीत को लेकर भाजपा के नेताओं का मानना है कि अगर  उत्तर प्रदेश की तर्ज पर और रणनीति के तहत चुनाव अन्य राज्यों में लड़ा जायेगा। तो भाजपा को लगातार जीत मिलती रहेगी और जनाधार भी बढ़ता रहेगा।

भाजपा के नेताओं ने तहलका को बताया कि भाजपा  2018 में राजस्थान और छत्तीसगढ़ राज्य में चुनाव हार गई थी। वजह चुनाव का प्रबंधन सही नहीं था और न ही जो भाजपा का परम्परागत वोट  बैंक है। उसको सही तरीके से  भाजपा मैनेज नहीं कर पायी थी। लेकिन पार्टी अब भली-भाँति जान गई है कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर राजस्थान और छत्तीसगढ़ में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करेगी। क्योंकि कांग्रेस का इन दोनों राज्य मेंं सत्ता-शासन है। और कांग्रेस का जनाधार दिन व दिन गिरता जा रहा है। अन्य कोई राजनीतिक दल वहां पर भाजपा के मुकाबले में नहीं है।

भाजपा आलाकमान से लेकर स्थानीय स्तर के नेता ये मानते है। अगर अभी से चुनाव की तैयारी कर ली जाये तो चुनाव में जीत हासिल की जा सकती है।बताते चलें उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशियों के समर्थन में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कई जनसभाएं की है। तो वहीं छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता रमन सिंह ने भाजपा के प्रत्याशियों के लिए वोट मांगे।

जानकारों का कहना है कि छत्तीसगढ़ का उत्तर प्रदेश से पुराना नाता है । चाहे व कामगार के रूप में हो या व्यापारिक गतिविधियों के लिये हो। इस लिहाज  दोनों प्रदेशों की राजनीति का मिला जुला असर चुनाव में देखने को मिलता है। वहीं राजस्थान में यह कहावत है जो एक टर्म सरकार बना लेता है। उसको दूसरे टर्म वहां की जनता आसानी से मौका नहीं देती है। इस लिहाज से राजस्थान में कांग्रेस की जगह जनता भाजपा को मौका दे सकती है।  

ओमिक्रॉन वेरिएंट भारत ने दूसरे देशों के मुकाबले बेहतर तरीके से निपटा : स्वास्थ्य मंत्रालय

केंद्र सरकार ने गुरुवार को कहा कि कोरोनावायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट को भारत ने दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले बेहतर तरीके से निपटा। सरकार ने कहा कि   संक्रमण के मामले पिछली लहरों के मुकाबले छह गुना अधिक थे लेकिन भारत इसके प्रसार को रोकने में सफल रहा।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह दावा करते हुए कहा कि भारत की इस कोशिश का यह नतीजा निकला कि ‘इससे अस्पतालों में कम संख्या में मरीज भर्ती हुए और पहले के मुकाबले कम मौतें हुईं। अभी 15 मार्च को खत्म हुए हफ्ते में औसतन 3,536 मामले आए और संक्रमण के वैश्विक मामलों में भारत का योगदान केवल 0.21 फीसदी रहा।’ मंत्रालय के मुताबिक कई देशों में अब भी मामले बढ़ रहे हैं जो पिछली लहरों के मुकाबले अधिक हैं।

एक वेबिनार में मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा – ‘भारत में न केवल मामले बहुत कम आए बल्कि निरंतर प्रयासों से जल्द ही मामलों में गिरावट आनी शुरू हो गयी। भारत अन्य देशों के मुकाबले ओमीक्रोन से अच्छी तरह से निपटा। भारत में तेजी से चल रहे टीकाकरण अभियान के साथ ही रोकथाम के प्रभावी उपायों और मामलों की जल्द पहचान किए जाने के कारण कोरोना वायरस की तीसरी लहर के दौरान अस्पतालों में कम संख्या में मरीज भर्ती हुए और कम मौतें हुईं।’

उन्होंने बताया कि 31 दिसंबर 2021 तक भारत में 90.8 फीसदी आबादी को कोरोना वायरस रोधी टीके की पहली खुराक दे दी गयी और 65.4 प्रतिशत को दूसरी खुराक दे दी गयी जो जिंदगियों को बचाने में अहम साबित हुई।

‘द कश्मीर फाइल्स’ के बहाने पुराने घाव कुरेदने की हो रही है कोशिश: महबूबा

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष और जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने गुरुवार को आरोप लगाया कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म के बहाने सूबे में पुराने घावों को भरने और दोनों समुदायों के बीच माहौल खुशगवार करने की जगह केंद्र जानबूझकर दोनों के बीच दूरियां बनाने की कोशिश कर रहा है।’

जम्मू कश्मीर की वरिष्ठ नेता ने कहा – ‘केंद्र जिस आक्रामक तरीके से द कश्मीर फाइल्स फिल्म का प्रचार कर रहा है और कश्मीरी पंडितों के दर्द को हथियार बना रहा है, उससे उसकी गलत मंशा सामने आती है।’

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पुराने घावों को भरने और दोनों समुदायों के बीच अनुकूल माहौल बनाने के बजाय केंद्र जानबूझकर उन्हें अलग करने की साजिश हो रही है।’  एक ट्वीट में महबूबा मुफ्ती ने कहा – ‘जिस तरह भारत सरकार आक्रामक रूप से कश्मीर फाइल्स को बढ़ावा दे रही है और कश्मीरी पंडितों के दर्द को हथियार बना रही है, इससे उनकी मंशा स्पष्ट होती है।’

विवेक अग्निहोत्री द्वारा लिखित और निर्देशित तथा जी स्टूडियो द्वारा निर्मित यह फिल्म 1990 के दशक में घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन को दर्शाती है. इसमें अनुपम खेर, दर्शन कुमार, मिथुन चक्रवर्ती और पल्लवी जोशी ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है.

महबूबा मुफ्ती का ट्वीट –

@MehboobaMufti
The manner in which GOI is aggressively promoting Kashmir Files & is weaponising  pain of Kashmiri Pandits makes their ill intention obvious. Instead of healing old wounds  & creating a conducive atmosphere between the two communities, they are deliberately tearing them apart.

सियासी आरोप चल रहा है, बुरा न मानों होली है

जैसे-जैसे गर्मी का पारा दिल्ली में बढ़ता जा रहा है। वैसे-वैसे दिल्ली में सियासी पारा तेजी से कम होता जा रहा है। वजह साफ है कि दिल्ली में एमसीडी के चुनाव को फिलहाल टाला जा चुका है। जब तक चुनाव को लेकर नई तारीख का ऐलान नहीं होता है। तब तक सियासी दल यहीं कयास लगाते रहेंगे, देखो कब चुनाव का ऐलान होता है।
चुनाव की तारीख को टाले जाने के बाद से सबसे ज्यादा दिक्कत उन प्रत्याशियों को है। जिनका टिकट लगभग तय हो चुका था। अब नये सिरे से टिकट की कवायद होगी। इसमें अब किसको टिकट मिलता है और किसको नहीं मिलता इस बात को लेकर काफी असमंजस की स्थिति बनी हुई है।ऐसे में आरोप -प्रत्यारोप की राजनीति दिल्ली में बहुत ही कम हो रही है।दिल्ली की सियासत के जानकार अमन सेठ का कहना है कि जो उम्मीद थी कि चुनाव होली के आस -पास एमसीडी के चुनावी रंगा होगा। लेकिन ऐसा न हो सका।
जिसके कारण स्थानीय नेताओं के चेहरे पर उदासी और मायूसी आसानी से देखी जा सकती है।उनका कहना है कि कई बार चुनाव स्थगित होने या चुनाव की तारीख को आगे बढ़ाये जाने से नये-नये समीकरण बनने -बिगड़ने लगते है। जिसका नतीजा ये होता है। कि फिर से चुनावी माहौल नेताओं के साथ जनता के बीच बनाना मुश्किल होता है।क्योंकि जाने टाले जाने को लेकर सियासी दल एक -दूसरे पर आरोप लगाते रहेगे। इसलिये इन दिनों तो होली मिलन की बहार है। होली मिलन में जो भी आरोप बाजी हो रही है। उसको नेता ये कह कर टाल रहे है कि बुरा न मानों होली है।

निर्णायक मोड़ पर कांग्रेस !

पांच राज्यों में हार के बाद देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के भीतर उथल-पुथल का दौर शुरू हो गया है। हार की समीक्षा के लिए जहाँ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पांच नेताओं को जिम्मा सौंपा है, वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद की आज एक बहुत महत्वपूर्ण बैठक पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ हो रही है जिसमें वे पार्टी नेताओं (जी-23) की बैठक में सामने आई ‘भावनाओं’ के बारे में उन्हें बताएँगे। इन नेताओं ने कहा है कि पार्टी नहीं टूटने दी जाएगी, हालांकि, यह काफी कमजोर हो गयी है।

पिछले कई साल से जिस तरह कांग्रेस ने चुनाव हारे हैं, उससे कार्यकर्ताओं में निराशा है। साल 2019  में लोकसभा चुनाव लगातार दूसरी बार हारने के बाद अध्यक्ष पद से राहुल गांधी ने इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद सोनिया गांधी कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में पार्टी का जिम्मा खराब स्वास्थ्य के बावजूद ढो रही हैं। यह गंभीरता से महसूस किया जा रहा है कि पार्टी कायापलट करने का समय आ गया है। और उसे एक और  ‘कामराज योजना’ की सख्त ज़रुरत है।

आज आज़ाद की सोनिया गांधी से बैठक बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह पहली बार है जब जी-23 के नेताओं की भावनाओं को आधिकारिक रूप से आज़ाद पार्टी नेता (सोनिया गांधी) के सामने रखेंगे। अभी तक यह नेता अपनी बैठकों की जानकारी मीडिया के  जरिये ही सामने लाते रहे हैं। जाहिर है आर-पार की लड़ाई शुरू हो गयी है।

‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक जी-23 के नेताओं के निशाने पर वास्तव में गांधी परिवार नहीं अपितु परिवार के करीबी नेता हैं। जी-23 नेता चाहते हैं कि इन नेताओं से मुक्ति पाई जाए क्योंकि कांग्रेस की वर्तमान हालत के लिए यही जिम्मेवार हैं। इन नेताओं का मानना है कि गांधी परिवार पार्टी के लिए ज़रूरी है क्योंकि उसकी देशव्यापी अपील है, लेकिन राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के नजदीकी कुछ नेता उन्हें सही सलाह नहीं दे रहे। इससे पार्टी का बंटाधार हो रहा है, क्योंकि आज पार्टी में उनके फैसले ही निर्णायक हैं।

सोनिया गांधी ने जिन नेताओं को पांच राज्यों में हार की समीक्षा का जिम्मा सौंपा है, जी-23 नेताओं का मानना कि इस कवायद से पार्टी को संकट से बाहर निकालने में कोई मदद नहीं मिलेगी। पार्टी की रणनीति बड़े पैमाने पर तय किये जाने की ज़रुरत है। इन नेताओं को राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष बनने पर भी कोई ऐतराज नहीं लेकिन वे उनके आसपास के नेताओं से उन्हें मुक्ति दिलाने की मांग कर रहे हैं। जैसा कि इस गुट के नेता  सिब्बल कहते हैं – ‘मुझे सबकी कांग्रेस चाहिए, एक परिवार की नहीं।’

पांच राज्य के नतीजों पर पिछली रात जी -23 नेताओं की बैठक में पार्टी को विभाजित करने से साफ़ इनकार किया गया और कहा कि गांधी परिवार के वफादारों को प्रमुख पदों से हटाने की उनकी प्रमुख मांग है। बैठक में महसूस किया गया कि ‘पार्टी बहुत कमजोर हो गई है’ और विभाजन अपरिहार्य लगता है। अब इन भावनाओं को सोनिया गांधी से साझा करने के लिए गुलाम नबी आजाद उनसे मिलने वाले हैं।

इससे पहले सोनिया गांधी ने पिछले कल पांच राज्यों में हार के बाद स्थिति की समीक्षा के लिए पांच वरिष्ठ नेताओं राज्यसभा सदस्य रजनी पाटिल, जयराम रमेश, अजय माकन, जितेंद्र सिंह और अविनाश पांडे को जिम्‍मेदारी सौंपी थी। गांधी इसके बाद मिलने वाली रिपोर्ट के आधार पर आगे पार्टी के कोई फैसला करेंगी लेकिन आज गुलाम नबी आज़ाद के साथ उनकी बैठक कहीं ज्यादा अहम है जिसमें कुछ ठोस अगर सामने आता है तो सामूहिक रूप से पार्टी को पुनर्जीवित करने की गंभीर कोशिश शुरू की जा सकती है।

होली पर हुड़दंग न मचाये, आँखों और त्वचा का रखें ध्यान

होली का पर्व खुशियों और रंगों का त्यौहार है। होली खेलते समय कैमिकल रंगो से बचने के लिये अपनी त्वचा और आँखों का विशेष ध्यान रखें। अन्यथा ये कैमिकल युक्त रंग आपके स्वास्थ्य के लिये घातक हो सकते है।
एम्स के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ जयदीप का कहना है कि होली पर लोग नशा (भांग) का सेवन करते है। उस दौरान लोग होली के रंग में इस कदर मस्त होते है। कि उनको ये भी पता नहीं होता है कि कैमिकल युक्त रंग उनकी आँखों में जा रहा है या चोटिल शरीर के हिस्से में कहीं रंग लग रहा है।जिससे उनको काफी नुकसान होता है। डॉ जयदीप का कहना है कि होली के पर्व पर हुडदंग न मचाये बल्कि गुलाल लगाकर होली मनाये।
नैत्र रोग विशेषज्ञ डॉ जतिन वर्मा का कहना है कि अगर आंकडों पर गौर किया जाये जो कोरोना काल के पहले के है। तो उससे ये पता चलता है कि होली खेलते समय कैमिकल युक्त रंग का आँखों में जाने से आँखों में लालिमा, सूजन और संक्रमण के मामलें सबसे ज्यादा सामने आये है। कई लोगों को तो आँखों के माइनर ऑपरेशन तक हुये है। ऐसे में बचाव के तौर पर हमें सावधान रहना चाहिये। डॉ जतिन का कहना है कि होली के दौरान कुछ लोग गुब्बारे में पानी भर कर फेंकते जो आँखों से साथ सिर पर लग सकता है। ऐसे  में हमें बचना चाहिये।
बताते चलें होली का पर्व वर्ष-वर्ष का पर्व है। सो बच्चों से लेकर युवा और महिलायें इस पर्व को बढ़े हर्षोल्लास के साथ मनाते है। हार्ट रोग विशेषज्ञ डाँ आर एन कालरा का कहना है कि हार्ट रोगी भांग का सेवन न करें क्योंकि भांग के सेवन से उनका उच्च रक्त चाप बढ़ जाता है। जिससे हार्ट अटैक का खतरा रहता है।