औघट घाट
घाटे पानी सब भरे औघट भरे न कोय।
औघट घाट कबीर का भरे सो निर्मल होय।।
साधो ये देखकर मुझे बड़ा संतोष होता है कि तुम सब एक ही ब्रह्म के साधक हो। तुम्हारा एक अभिनव बिंद्रा निशानेबाजी में चीन से एक स्वर्ण पदक ले आया है। और तुम उसे माथे पर उठाए इस तरह घूम रहे हो जैसे तुम वासुदेव हो और वह कृष्ण कन्हैया। जो तुम सबको तार देने वाला अविनाशी अवतार है। एक यही अभिनव बिंद्रा है जो खेलकूद के संसार में एक अकेले स्वर्ण से तुम लोगों की डगमगाती नैया को पार लगा देगा। एक यह अभिनव और उसका जीता एक यह स्वर्ण पदक ही तुम्हारा एक ओंकार है। कितने साल हो गए तुम्हारे किसी साधक ने ओलंपिक में स्वर्ण पदक नहीं पाया था। हॉकी में पहले जीतते थे लेकिन वो तो टीम का खेल था। दस ग्यारह लोग एक साथ खेलते थे। एक ब्रह्म का साधक तो एक ही की और अकेला ही साधना करता है। इसलिए तुम लोगों ने हॉकी को ऐसे रसातल में पहुंचाया कि इस बार टीम जाने लायक ही नहीं रही। एक ब्रह्म के साधक का यही धर्म और यही साधना है। अभिनव बिंद्रा भी अकेले साधना करता था। इसलिए देखो स्वर्ण जीत लाया।
फेल्प्स को उसके मां-बाप ने घुमा-घुमा कर दुनिया को नहीं दिखाया। न राष्ट्रपति के पास ले गए न प्रधानमंत्री के पास। राष्ट्रपति बुश खुद ही अमेरिकी झंडा लहराता हुआ तैरने के तालाब पर खड़ा था।
वो लोग आकर मुझे बता रहे हैं साधो कि अमेरिका से 23 बरस का कोई फेल्प्स भी चीन में खेल रहा है। तैरता है। तुम्हारे अभिनव की तरह पूरे देश को एक अकेला ही पार नहीं लगाता। तैरने के जितने भी प्रकार और तरीके हैं सब में तैर लेता है। कहते हैं वह पानी की सबसे तेज़ मछली नहीं, पूरा का पूरा और अच्छा खासा मगरमच्छ है। वह एक नहीं दो नहीं आठ के आठ स्वर्ण पदक जीत गया। अब तक कोई खिलाड़ी ओलंपिक इतिहास में आठ स्वर्ण नहीं जीता था। उसी के देश में स्पिट्ज़ ने 36 साल पहले सात स्वर्ण पदक तैराकी में ही जीते थे। फेल्प्स उसके भी आगे निकल गया। एथेंस के पिछले ओलंपिक के छह मिला लो तो फेल्प्स के 14 स्वर्ण पदक हो जाएंगे। कई देशों ने इतने स्वर्ण पदक जीते नहीं है। बताते हैं कि देशों की गिनती में फेल्प्स अकेला ही आठवें नंबर पर आएगा। साधो वे अमेरिकी एक ब्रह्म के साधक नहीं हैं। माया में पड़े कई के पीछे भटकते फिरते हैं। तभी तो इतने दुखी रहते हैं।
फेल्प्स को उसके मां-बाप ने घुमा-घुमा कर दुनिया को नहीं दिखाया। न राष्ट्रपति के पास ले गए न प्रधानमंत्री के पास। राष्ट्रपति बुश खुद ही अमेरिकी झंडा लहराता हुआ तैरने के तालाब पर खड़ा था। फेल्प्स के मां बाप ने उसे मीडिया के सामने खड़ा कर यह भी नहीं कहा कि लो मैंने ओलंपिक का सबसे बड़ा खिलाड़ी बनाकर दुनिया को दे दिया। अब अमेरिका इसकी देखभाल करे। साधो अपने यहां मां-बाप ऐसे बर्ताव करते हैं जैसे उनके लड़के लड़की ओलंपिक में खेलने नहीं स्कूल की प्रतियोगिता में गए हैं। और उनका अपना खेल नहीं मा-बाप की दुआ और पूजा पाठ उन्हें पदक दिला देगी। अखिल कुमार, मुक्केबाज के हवलदार पिता ने तो यह भी बता दिया जेलर ने उनकी तनख्वाह तीन महीने से रोक रखी है। तभी तो साधो अपने साधक खिलाड़ी को एक ही ब्रह्म की साधना करनी पड़ती है। एक ही साधे सब सधे। साधो तुम कब जाओगे ओलंपिक में। सब एक-एक स्वर्ण पदक लाओगे पक्का।
प्रभाष जोशी