जेके में पहली बार भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने

अन्य दलों के बायकाट के बीच सूबे में मुख्य मुकाबला दो राष्ट्रीय दलों में

जम्मू कश्मीर के चुनाव इतिहास में यह पहली बार हो रहा है। वहां अगले महीने से पंचायत और स्थानीय निकाय के चुनाव हैं और इसमें मुख्य मुकाबला दो राष्ट्रीय दलों कांग्रेस और भाजपा के बीच है। प्रदेश के चुनावी इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि चुनाव में मुख्य मुकाबला स्थानीय दलों में न होकर दो राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों में हो। वैसे आल जेएंडके पंचायत कौंसिल नामक संगठन भी पंचायत चुनाव में उतरने की तैयारी कर चुका है।
मुख्य राजनीतिक दल नैशनल कांफ्रेंस, पीडीपी और पीडीएफ इन चुनावों में हिस्सा नहीं ले रहे। पहले कांग्रेस के चुनाव में हिस्सा लेने को लेकर कयास लग रहे थे क्योंकि पार्टी के दो बड़े नेता सोज़ और  तारिक हमीद करा इसमें हिस्सा लेने के हक़ में नहीं थे। इसका एक कारण धारा ३५-ए को लेकर घाटी के लोगों की नाराजगी थी।  हालाँकि जेके कांग्रेस के राजनीतिक मामलों की समिति ने बैठक कर इस चुनाव में हिस्सा लेने का फ़ासिला किया।
जेके कांग्रेस अध्यक्ष जीए मीर ने गुरूवार को ”तहलका” से बातचीत में पार्टी ने चुनाव में पार्टिसिपेशन को लेकर चर्चा की है।  सेंट्रल लीडरशिप से भी हमने बात की। ”हम नहीं चाहते थे भाजपा के लिए मैदान खुला छोड़ दिया जाये। भाजपा-पीडीपी की सरकार और दो महीने पहले तक पीडीपी से भाजपा की दोस्ती और सत्ता में रहते नाकामी से लोग गुस्सा हैं”। मेरे ने दावा किया कि कांग्रेस कश्मीर और जम्मू दोनों खित्तों में जीत दर्ज करेगी।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने इस संवाददाता को बतया कि भाजपा लोगों के हाथ में सत्ता की पक्षधर रही है लिहाजा चुनाव करवाए जा रहे हैं। ”हमारे सरकार में रहते आतंकवाद पर नकेल कसने की सबसे गंभीर कोशिश हुई और उसके वाद भी केंद्र ने इस दिशा में काफी कुछ किया है। आतंकवादी अब अपनी जान बचने की कोशिश करते दीखते हैं। चुनाव में हमें बड़ी जीत मिलेगी”।
स्थानीय निकाय के चुनाव नॉन-पार्टी आधार पर हो रहे हैं जबकि पंचायत चुनाव में राजनितिक दाल हिस्सा लेंगे। स्थानीय निकाय के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है जो की चार फेज में होने हैं। कुल २ म्युनिसिपल कार्पोरेशन और ७२ म्युनिसिपल कमेटीज़ के लिए चुनाव ८ से १८ अक्टूबर के बीच होने हैं। प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी शालीन काबरा ने बताया कि चुनाव निष्पक्ष और शांति के माहौल में करवाने के लिए सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किये गए हैं। उनके मुताबिल ११४५ वार्डस में से ९० एससी और ३१ एसटी जबकि १३ इन तबकों की महिलाओं और ३२२ ओपन महिलाओं के लिए  रिज़र्व किये गए हैं।
उधर सूबे के ३१६ ब्लॉक्स की ४४९० पंचातयों के लिए चुनाव ९ चरणों में होंगे। सूबे में ३५,०९६ पंच हलके हैं। इनके चुनाव १७ नवम्बर से ११ दिसंबर के बीच होंगे। अभी तक के कार्यक्रम के मुताबिक  उसी दिन वोटों की गिनती शुरू हो जाएगी।
पंचायत चुनाव में कांग्रेस के अलावा आल जेएंडके पंचायत कौंसिल नामक संगठन भी हिस्सा ले रहा है। इस संगठन के चेयरमैन शफीक मीर २०११ का चुनाव जीत चुके हैं और पहले कांग्रेस से जुड़े थे।
उन्होंने ”तहलका” से बातचीत में कहा कि उनका संगठन मानता है कि पंचायतें हमारे गाँव में विकास की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक व्यवस्था है। ”जो इलाके पंचायत चुनाव में महरूम रहेंगे जाहिर है वहां विकास का रास्ता रुक जाएगा। हम चुनाव भी लड़ रहे हैं और जनता को जागरूक भी कर रहे हैं”।
संगठन दो साल से पंचायत चुनाव को लेकर जंग लड़ रहा था। खुद मीर अपने साथियों के साथ पीएम मोदी को दिल्ली में मिल चुके हैं। उन्होंने उम्मीद जताई की जनता उनके उम्मीदवारों को चुनेगी।
चुनाव में सुरक्षा की स्थिति क्या रहती है यह आने वाले दिनों में साफ़ होगा। वैसे सुरक्षा के तगड़े बंदोबस्त की तैयारी है। अलगाववादी भी चुनाव बॉयकाट का ऐलान कर चुके हैं। सीमा पार आतंकी समूह भी नहीं चाहते कि चुनाव हों लिहाजा सुरक्षा की बड़ी चुनौती राज्यपाल, सरकार और केंद्र के सामने रहेगी।
यदि वर्तमान सुरक्षा स्थति को देखे तो दक्षिण कश्मीर के चार जिलों में आतंकी समूहों का दबाव ज्यादा है। फिर भी सुरक्षा के इंतजाम देखते हुए वहां चुनाव शांति से हो जाने की सम्भावना है।