हर कीमत पर जो प्रधानमंत्री बनने को आतुर रहे

 

येन केन प्रकारेण सफल रहे | जो रह गए | जिन्होंने सोचा न था…

modiनरेंद्र मोदी: अग्रतम, व्यग्रतम

पिछले साल 15 अगस्त को जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह परंपरा के मुताबिक लाल किले से अपना भाषण देने वाले थे तो उससे एक दिन पहले भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार  नरेंद्र मोदी ने एक बयान दिया. गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस के दिन वे अहमदाबाद के लालन मैदान से बोलेंगे और देश की जनता प्रधानमंत्री और उनके भाषण की तुलना करके जान लेगी कि कौन क्या बोलता है.  Read More>>

yadavमुलायम सिंह यादव: भभकती भट्टी

‘अखिलेश को जिता कर सीएम बना दिया. अब मुझे क्या बनाओगे…मेरे दिल में भट्टी जल रही है. मेरा दिल भी कुछ चाहता है. मुझे भी कुछ दोगे कि नहीं. मैं कोई साधु-संन्यासी तो हूं नहीं…’ चौधरी चरण सिंह की जयंती के मौके पर 23 दिसंबर को लखनऊ में कार्यकर्ताओं और मीडिया के बीच जब मुलायम सिंह यादव यह अपील कर रहे थे तो उनकी बेताबी साफ झलक रही थी. उनका एक-एक शब्द दिखा रहा था कि प्रधानमंत्री बनने के लिए वे किस हद तक आतुर हैं. Read More>>

mayavatoमायावती: मायामोह

सात जुलाई, 2013. अपने ट्रेडमार्क दलित-ब्राह्मण सम्मेलनों के समापन के अवसर पर बसपा अध्यक्ष मायावती ने लखनऊ में एक बड़ी रैली आयोजित की थी. गर्मी और धूल-धक्कड़ से पस्त 50 हजार का जनसमूह इसी अवसर का साक्षी बनने के लिए उत्तर प्रदेश के कोने-कोने से लखनऊ पहुंचा था. मायावती मंच पर निर्धारित समय से थोड़ी देर से पहुंची थीं. Read More>>

lalलाल कृष्ण आडवाणी: चिरयात्री

भाजपा में हर तरफ गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की बतौर प्रधानमंत्री उम्मीदवार जय-जयकार के बीच हाल ही में दिल्ली के रामलीला मैदान में पार्टी की राष्ट्रीय परिषद आयोजित की गई थी. उसमें भी लाल कृष्ण आडवाणी ने मोदी को आगाह करने का मौका नहीं गंवाया. भाजपा के इस दिग्गज ने इस मौके पर मोदी की सराहना तो की लेकिन साथ ही साथ यह भी कहा कि पार्टी अगले लोकसभा चुनावों में जीत को लेकर अतिआत्मविश्वास से ग्रस्त हो गई दिखती है. आडवाणी ने आगाह करते हुए कहा कि 2004 में भाजपा लोकसभा चुनाव इसी वजह से हारी थी. Read More>>

lauलालू प्रसाद यादव: दौर बुरा, तौर वही

बात 1977 की है. आपातकाल के बाद आम चुनाव हुआ था. तब बिहार से एक युवा सांसद भी लोकसभा पहुंच गया था. महज 29 साल की उम्र में. उस युवा सांसद का नाम था लालू प्रसाद यादव. गोपालगंज जिले के फुलवरिया जैसे सुदूरवर्ती गांव से निकलकर, दिल्ली के संसद भवन में पहुंचने का लालू का यह सफर चमत्कृत करने वाला था. लेकिन तब मीडिया की ऐसी 24 घंटे वाली व्यापक पहुंच नहीं थी.  इसलिए लालू का एकबारगी वाला उभार भी उस तरह से चर्चा में नहीं आ सका.  Read More>>


येन केन प्रकारेण सफल रहे


jpgमोरारजी देसाई

1977 में जब मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने तो इस पद के लिए उनका तकरीबन दो दशक लंबा इंतजार खत्म हुआ था. मोरारजी पहले कांग्रेस में थे. प्रधानमंत्री पद के लिए उनका नाम तब से चलता था जब से भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद इस पद के लिए नामों की चर्चा होती थी. जब 27 मई, 1964 को नेहरू नहीं रहे तो देश के सामने सबसे बड़ा संकट था कि उनकी जगह पर किसे प्रधानमंत्री बनाया जाए.   Read More>>

charansinghचौधरी चरण सिंह

1977 में जिन दलों के सहयोग से मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने थे उनमें चौधरी चरण सिंह का लोक दल भी था. जब मोरारजी को प्रधानमंत्री बनाया गया था तो उस वक्त भी चरण सिंह इस फैसले से खुश नहीं थे. उन्हें लगता था कि प्रधानमंत्री पद के स्वाभाविक दावेदार तो वे हैं. उन्हीं की पार्टी के चुनाव चिह्न पर लोकसभा चुनाव भी लड़े गए थे. उस वक्त राजनारायण ने चरण सिंह को यह समझाया कि वे अभी मोरारजी को प्रधानमंत्री बनने दें, कुछ समय बाद उन्हें प्रधानमंत्री बना दिया जाएगा.   Read More>>

chandचंद्रशेखर

बड़ी आशाओं के साथ  जनता पार्टी सरकार 1977 में सत्ता में आई थी. पर जब यह लगने लगा कि यह व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं की भेंट चढ़ रही है तो उस वक्त सरकार चलाने वालोें को कुछ शुभचिंतकों ने सलाह दी कि इन  टकरावों को टालने का रास्ता यह है कि किसी युवा नेता को प्रधानमंत्री बना दिया जाए. उस वक्त जिन नेताओं का नाम चल रहा था उनमें चंद्रशेखर का नाम सबसे पहले था. व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के शिकार नेताओं ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया. Read More>>


जो रह गए


Arunsinghअर्जुन सिंह |1930-2011|

घटना 23 जून, 1981 की है. अर्जुन सिंह को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बने एक पखवाड़ा भी नहीं बीता था कि उन्हें इस कुर्सी पर बैठाने वाला शख्स हमेशा के लिए दृश्य से ओझल हो गया. उस दिन संजय गांधी की हवाई दुर्घटना में मृत्यु हो गई. तब सिंह 100 विधायकों के साथ तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिले. उन्होंने श्रीमती गांधी से उनके पुत्र राजीव गांधी को राजनीति में लाने का निवेदन किया. दरअसल अर्जुन सिंह जानते थे कि कांग्रेस की राजनीति गांधी परिवार के इर्द-गिर्द ही घूमेगी.  Read More>>

devilalaचौ. देवीलाल |1914-2001|

लोकसभा में महज 10 प्रतिनिधि भेजने वाले हरियाणा के नेता चौधरी देवीलाल अकेले नेता रहे जिन्होंने राष्ट्रीय राजनीति को गहरे तक प्रभावित किया. यूं तो प्रदेश से तमाम नेताओं ने समय-समय पर राजनीति में दस्तक दी है, लेकिन पूर्व उपप्रधानमंत्री स्व. देवीलाल यानी हरियाणा के ताऊ इकलौते शख्स रहे जिन्होंने एक समय में शीर्ष पद यानी प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी गंभीर दावेदारी पेश की थी.   Read More>>

basuज्योति बसु |1914-2010|

देखा जाए तो प्रधानमंत्री बनने को लेकर साम, दाम, दंड, भेद करने वाले नेताओं की जमात के बीच ज्योति बसु को शामिल करना इन मायनों में असंगत लगता है क्योंकि वे कभी भी प्रधानमंत्री बनने को लेकर लालायित नहीं दिखे. लेकिन इस कथा में उनका जिक्र न करना इसलिए भी तर्कसंगत नहीं होगा कि प्रधानमंत्री बनने के बेहद करीब पहुंच कर भी उनके साथ ऐसा नहीं हो सका. 1996 में गैरकांग्रेसी और गैरभाजपाई दलों ने संयुक्त मोर्चे का गठन किया.  Read More>>

bhabuबाबू जगजीवन राम |1908-1986|

1977 के आम चुनावों में सत्ताधारी कांग्रेस की करारी हार के बाद जनता पार्टी के नेतृत्व में पहली बार गैरकांग्रेसी सरकार बनने का रास्ता बना. तब प्रधानमंत्री पद के संभावित दावेदारों में बाबू जगजीवन राम का नाम भी था. 1952 से लगातार सांसद चुने जाने वाले जगजीवन राम पहले नेहरू और फिर इंदिरा सरकार में मंत्री रह चुके थे.  Read More>>


जिन्होंने सोचा न था


manmohanजिन्होंने सोचा न था…

भारतीय राजनीति के इतिहास में ऐसे भी व्यक्तित्व मिलते हैं जिनके प्रधानमंत्री बनने को लेकर किसी दूसरे ने तो क्या खुद उन्होंने भी शायद ही कल्पना की हो. वैसे तो पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद लाल बहादुर शास्त्री और फिर इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, वीपी सिंह, नरसिंहा राव तक की ताजपोशी में अप्रत्याशितता का थोड़ा-बहुत अंश रहा है, लेकिन 1996 के बाद प्रधानमंत्री बनने वाले तीन नाम विशेष तौर पर ऐसे हैं जिन्होंने देश और दुनिया को हैरत में डाल दिया. Read More>>