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कभी मीसल पाव बेचते थे एबीसीडी के हीरो धर्मेश

आज आप जहाँ हैं, बड़ी बात है। आपने डांसर बनने का सपना कब देखा?

(हँसने के बाद अचानक गम्भीर होते हुए…) आज मैं जिस स्तर पर पहुँचा हूँ, यहाँ तक पहुँचने का मैंने सपना तो कभी नहीं देखा था; लेकिन मेरी रुचि डांस में बहुत अधिक थी और एक ही सोच थी कि बस डांस करते जाना है। मेरे तन से मन तक डांस ही डांस भरा हुआ था। अगर दूसरे तरीके से कहूँ तो डांस ही मेरा रास्ता था और वही मंज़िल। कोई पोजीशन मेरे लिए कभी मायने नहीं रखती थी। मैं महाराष्ट्र के ही एक परिवार से ताल्लुक रखता हूँ; लेकिन गुजरात में पला-बढ़ा हूँ। क्योंकि कई साल पहले मेरे दादा देव जी भाई वडोदरा चले गये थे। वहाँ वे एक फैक्ट्री में काम करते थे। पिता दीपक जेतलपुर में एक शर्ट पीस की दुकान चलाते थे। समय की मार पड़ी और फैक्ट्री बन्द हो गयी। पिता की दुकान भी जहाँ थी, वह जगह वैध नहीं थी; जिसके चलते दुकान भी टूट गयी। जेतलपुर स्थित एक चॉल में अब भी हमारा घर है। यह सब होने के बाद हालात ऐसे बदले कि हम देखते-ही-देखते सब तहस-नहस सा हो गया। उसके बाद दादा जी घर पर ही रहने लगे और मेरे पिता चाय की दुकान लगाने लगे। चाचा और बाकी परिजन भी खस्ताहाल थे। घर में तमाम खर्चों के अलावा मेरी स्कूल की पढ़ाई का बोझ भी था। इधर मुझे डांस का शौक तो था ही, जो दबने लगा था। लेकिन आगे जाने की इच्छा भी प्रबल थी। जब मैं छठी कक्षा में था, तब एक बार स्कूल के प्रिंसिपल ने एसेंबली में सब बच्चों से पूछा कि एक स्टेट लेवल डांस चैंपियनशिप है; तुम बच्चों में से किसी को रुचि हो तो हिस्सा ले सकते हो। मैंने उन्हें अपना नाम दे दिया। बस यहीं से मेरे अंदर की कला को फिर से नया जोश और बल मिला।

 उन दिनों आपने डांस कहीं सीखा भी?

नहीं, मैंने डांस की कोई ट्रेनिंग नहीं ली थी। ऐसे ही शौक था और मैं कहीं भी ठुमके लगाने लगता था। हाँ, गणपति यात्रा और अन्य खास अवसरों पर मैं ज़रूर डांस करता था। मैं इस मामले में संकोची नहीं था। घर में या रिश्तेदारी में कोई फरमाइश कर देता तो वहीं शौक से डांस के कुछेक स्टेप्स करके दिखा देता था। जब गुजरात में मैंने एक कंप्टीशन में हिस्सा लिया और पूरे राज्य में प्रथम स्थान पर रहा। पिता को इस बात का एहसास हो गया कि मैं कुछ कर सकता हूँ। तब उन्होंने आर्थिक स्थिति खराब होते हुए भी मुझे डांस क्लास में दािखला दिलाने का फैसला लिया। मुझे खुशी है कि मेरे पिता ने मुझ पर भरोसा किया। मेरे डांस गुरु कृष्णा को भी मुझ पर बहुत भरोसा था। वे मेरी इच्छा, लगन, कड़ी मेहनत और ईमानदारी से प्रभावित भी थे। मेरे डांस गुरु ने मुझ पर इतना अधिक विश्वास किया कि उन्होंने पहले कुछ दिन डांस की तालीम दी, फिर पूरी क्लास मेरे भरोसे छोड़ दी। यहाँ तक उन्होंने अपना बैंक अकाउंट सँभालने तक की ज़िम्मेदारी मुझे दे दी। जब कोई किसी छोटे बच्चे पर इतना भरोसा करता है, तो बच्चा भी उस भरोसे को जीतने के लिए बेहतर करने का प्रयास करता है। फिर एक दिन मेरे डांस गुरु ने कहा कि अब मैं तुमसे कोचिंग की फीस नहीं लूँगा। उन्होंने कॉस्ट्यूम के पैसे लेने बन्द कर दिये। फिर मुझे खुद की डांस क्लास शुरू करने के लिए भी प्रोत्साहित किया।

आप कितने भाई-बहन हैं? आपको कामयाब होने में कितने पापड़ बेलने पड़े?

हम तीन भाई हैं। मैं धर्मेश और दो भाई- कल्पेश तथा विक्रम। शर्ट पीस की दुकान बंद होने के बाद पिता ने चाय की दुकान तो खोल ली, मगर वह ठीक से घर चलाने लायक कमाई का ज़रिया नहीं बन सकी। ऐसे में माँ निर्मला जी ने एक दिन मुझसे कहा कि बेटा तेरी पढ़ाई बहुत अच्छी तरह चल नहीं पा रही है। तू मेरा कहना मान कोई नौकरी कर ले। पढ़ाई और डांस न भी ठीक है; लेकिन कम-से-कम तेरी नौकरी से घर चलाने में कुछ मदद तो मिलेगी। माँ की पीड़ा मैं समझता था और मैंने एक प्राइवेट कम्पनी में चपरासी की नौकरी कर ली। यह तब की बात है, जब मैं 10वीं का छात्र था। बोर्ड की परीक्षा निकट थी। ऐसे में चपरासी की नौकरी, डांस प्रैक्टिस और पढ़ाई, तीनों में सामंजस्य बैठाने में मुझे कड़ी मेहनत करनी पड़ रही थी। ऑफिस में चाय पिलाने, टेबल साफ करने, पानी देने की नौकरी से जल्दी छुट्टी नहीं मिलती थी। ऐसे में अक्सर डांस प्रैक्टिस छूट जाती। जब अपनी तकलीफ माँ को बतायी, तो उन्होंने कहा कि ऐसा काम करो, जिसमें से कुछ समय डांस के लिए निकाल सको। मैंने मीसल पाव की लारी लगा ली। दिन-भर मीसल और पाव बेचता, फिर शाम को डांस क्लास में चला जाता। लारी लगाने से ये फायदा तो हुआ कि मैं अपना बॉस हो गया; लेकिन कमाई और कम हो गयी। चपरासी की नौकरी में मुझे 800 रुपये महीने मिलते थे, जबकि मीसल-पाव की बिक्री से खास फायदा नहीं हुआ, क्योंकि मैं जहाँ लारी लगाता था, वहाँ कम ही खरीदार आते थे और बाकी जगह दुकान लगाने की जगह नहीं थी।

 फिर िफल्मी सफर कैसे शुरू हुआ?

बस काम करते-करते डांस का जुनून आगे बढ़ाता रहा। कुछेक डांस कंप्टीशन से मुझे थोड़ी-बहुत प्रसिद्धि मिली और धीरे-धीरे मुझे गुजराती और भोजपुरी िफल्मों में बैक डांसर के रूप में काम करने का मौका मिलने लगा। एक बार मेरे डांस टीचर ने बताया कि साईं बाबा पर आधारित एक सीरियल के लिए कोरियोग्राफर की ज़रूरत है। मैं वहाँ गया और मेरा चयन भी हो गया। मेहनताना भी पाँच हज़ार रुपये महीने मिलने लगा, जो मेरे लिए काफी अच्छा था। इसके बाद मैंने ‘बूगी वूगी’ में हिस्सा लिया और विजेता बना। यह पहली बार था कि मुझे पाँच लाख रुपये का इनाम मिला। इन दिनों मेरे परिवार वालों को पैसे की सख्त ज़रूरत थी; क्योंकि पिता के सिर पर बहुत सारा कर्ज़ा हो गया था। उन्होंने मेरे सपनों को अपनेसपनों से ऊपर रखा और मुझे हमेशा प्रोत्साहन के साथ-साथ हर सम्भव मदद दी। पिता जी ‘सपने सिर्फ सपने नहीं होते’ की सोच पर खरे उतरते हैं। मजबूरी में उन्होंने जिन साहूकारों से कर्ज़ लिया था, वह समय पर न लौटा पाने के चलते उन्हें साहूकारों के पैर पकडऩे पड़ते, हाथ जोडऩे पड़ते; लेकिन न तो मुझे और अन्य बच्चों को उन्होंने कभी कोई िफक्र करने दी। दरअसल, डांस जैसी कला में केवल गुणवान होने से बात नहीं बनती, बल्कि अच्छे मेकअप, चमकदार पोशाकों और बाकी एक्सेसरीज की बहुत ज़रूरत पड़ती है और इन सबमें काफी पैसे खर्च होते हैं। यही कारण है कि पिता को काफी पैसा ब्याज पर लेना पड़ा। ‘बूगी वूगी’ जीतकर मैं खुश तो था, मगर पिता जी के कन्धों पर जिस कर्ज़ का बोझ था, उसे चुकाना अब मेरी ज़िम्मेदारी थी।

उस समय आपके अन्दर जीतने का जुनून रहता था?

मैंने जीत या हार के बारे में कभी भी नहीं सोचा। एक जुनून था कि बेहतर से बेहतर करते जाना है। बस डांस करते जाना ही मेरा शुरू से ही सपना रहा और मैं डांस करता गया। मेरे लिए रास्ता भी डांस था, मंज़िल भी डांस थी। मुझे लोगों ने नकारात्मक टिप्पणियों से भी घेरा। कई बार कुछ रिश्तेदारों ने भी कहा कि तुम्हारा लुक और रंग डांस के लायक नहीं है। तुम साँवले हो। तुम मुम्बई नहीं जा पाओगे। तुम्हारे लिए कंप्टीशन जीतना बिलकुल ही नामुमकिन है। पर मैंने उनकी इन टिप्पणियों पर ज़रा भी ध्यान नहीं दिया। जब भी नकारात्मक सोच या टिप्पणियों ने मुझे घेरा, मैंने खुद को डांस में झोंक दिया। हालाँकि एक समय ऐसा भी हुआ कि अच्छे कपड़े और नॉमिनेशन फीस न होने के कारण मैं कंप्टीशन में भाग नहीं ले सका; लेकिन इन रुकावटों से मैं कभी निराश नहीं हुआ। डिमोलाइज करने वालों की भी मैंने कभी गलती नहीं मानी। सभी लोग अपनी सोच के हिसाब से ही टिप्पणियाँ कर रहे थे। मुझे अपने जुनून और मेहनत पर यकीन था। डिमोलाइड करने वालों को क्या पता था कि मैं अपने काम के प्रति कितना ज़िम्मेदार हूँ और मेरे अन्दर कितनी ज़िद है। आज मुझे जितनी उपलब्धियाँ मिली हैं, जितना सम्मान मिला है, यह सब डांस के रास्ते पर चलते रहने के चलते ही सम्भव हो सका है। एक ऐसा भी समय था, जब केवल डांस सीखने का सपना था। उसके बाद बैक डांसर बनने के सपने ने जन्म लिया; इच्छा फकत यह रहती थी कि हीरो के पीछे डांस करने का मौका मिले। आज सब कुछ है, खुद एबीसीडी और बैंजो िफल्मों में अभिनय भी कर चुका हूँ; कोरियोग्राफर के रूप में भी दुनिया-भर में पहचान बनी है। िफलहाल का सपना यह है कि दूसरे कलाकारों के सपनों को पूरा करने में भी अपना सपना मानकर कुछ मदद करूँ। डांस प्लस-4 के कलाकारों को भी यही सीख देता हूँ कि जो कुछ भी करना चाहते हो, उसमें डूब जाओ, एक जुनून पाल लो और ज़िद तथा ज़िन्दादिली के साथ उसे कायम रखते हुए उसमें जुट जाओ।

अलग-अलग खूँटों से बँधे ये लोग

जब दुनिया बनी होगी, तब शायद छिटपुट लोग ही इस पृथ्वी पर जगह-जगह बिखरे होंगे और किसी के दिल-ओ-दिमाग पर मज़हब यानी धर्म का कोई रंग-रूप हावी नहीं होगा। अगर हम दुनिया-भर में मान्य सभी मज़हबों पर नज़र डालें, तो पाएँगे कि तकरीबन हर मज़हब की नींव पडऩे की अनुमानित तारीख या कहें कि हर मज़हब की यौमे-पैदाइश भी है। इसका मतलब साफ है कि मनुष्य ने अपनी पैदाइश के बाद ही ईश्वर या अल्लाह या परमात्मा या गौड जैसी किसी शक्ति को पहचाना होगा और उसके बाद अच्छाई यानी इंसानियत के रास्ते पर चलने की कोशिश की होगी; जिसे बाद में मज़हब यानी धर्म का नाम दिया होगा।

मेरा मानना यह है कि वैसे तो पृथ्वी और मनुष्य की उम्र क्या है? इसका कोई ठोस प्रमाण न आज तक दे पाया है और न ही दे सकता है; लेकिन मनुष्य ने सबसे पहले भोजन की खोज की होगी, न कि ईश्वर या मज़हब की। क्योंकि जब इंसान या कोई भी जीव पैदा होता है, तो उसे सबसे पहले वायु के अलावा भोजन की ही ज़रूरत होती है। भोजन की खोज के बाद जीवन की अन्य ज़रूरतों ने उसकी सक्रियता को बढ़ाया होगा और तब कहीं जाकर उसे किसी अदृश्य शक्ति का एहसास हुआ होगा, जिसे उसने ईश्वर या अल्लाह या परमात्मा या गौड या दूसरे नामों से पुकारा होगा। फिर उसने मनुष्यता यानी इंसानियत की पराकाष्ठा पर चलने की कोशिश या कहें कि बनाये गये अच्छाई के दायरों को मज़हब या धर्म मानकर उस पर चलना शुरू किया होगा। यही धर्म या मज़हब अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग भाषा और रहन-सहन के तौर-तरीकों के चलते अलग-अलग नामों से चलन में आया होगा। क्योंकि हम सभी अच्छी तरह जानते हैं कि जिसे हम परम् सत्ता या परम् शक्ति कहते हैं; जिसका हम किसी-न-किसी रूप में हर रोज़ गुणगान करते हैं; जिसकी परम् सत्ता को हम स्वीकारते हैं; जिसे हम परम् आनंद का स्रोत मानते हैं और पाना चाहते हैं; वह दरअसल एक ही है। लेकिन इंसान ने उसे अपनी भाषा, संस्कृति और एहसासात के हिसाब से अलग-अलग नाम दे दिये। इसका तब तक शायद कोई फर्क नहीं पड़ा होगा, जब तक एक मज़हब को मानने वाले एक ही जगह रहे होंगे; लेकिन इंसान ने जब एक-दूसरे को खोज लिया होगा और एक-दूसरे के क्षेत्र में रहना शुरू कर दिया होगा, तब वैचारिक मतभेदों के चलते अपनी-अपनी सीमा-रेखाओं को खींचा होगा और यहीं से शुरू हुई होगी द्वेष, ईश्र्या, बहस और तकरार।

खैर, अगर हम मज़हबों की बात करें, तो इसमें कोई दोराय नहीं है कि सभी मज़हब इंसानियत के रास्ते पर ही चलने का ही हुक्म करते हैं। वहीं अगर दुनिया के बड़े पैगम्बरों, पीरों, संतों की बात करें, तो भी पाएँगे कि उन्होंने इंसानियत और भलाई के रास्ते को ही सर्वश्रेष्ठ और ईश्वर को पाने का रास्ता बताया है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि ईश्वर एक ही है। गुरु नानक देव जी ने कहा है-

एक ओंकार सतनाम, करता पुरखु निरभौ।

निरवैर, अकाल मूरत, अजूनी, सैभं गुर प्रसादि।।

संत कबीर ने भी सभी मज़हबी दीवारों को तोडक़र ईश्वर को एक ही माना है-

मैं जानू हरि दूर है हरि हृदय भरपूर।

मानुस ढुढंहै बाहिरा नियरै होकर दूर।।

इसी तरह संत रैदास ने भी कहा है-

कृस्न, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा।

वेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नहिं देखा।।

कहने की ज़रूरत नहीं कि सभी संतों ने मनुष्यता का आदर्श रूप ही पेश किया है।  लेकिन कहीं किसी मज़हब से असंतुष्ट होकर, तो कहीं लोगों को सुधारने के लिए समय-समय पर एक नयी शिक्षा ने जन्म लिया और वही एक नयी शिक्षा को धीरे-धीरे लोगों ने एक मज़हब का नाम देकर दीवारें खड़ी कर लीं और उसमें खुद को कैद कर लिया। लोगों ने संतों को तो मान्यता दी; लेकिन उनके बताये रास्तों पर नहीं चल सके। इसका परिणाम यह है कि आज दुनिया-भर के लोग अलग-अलग खूँटों से बँधे हैं और अपने को दूसरे से श्रेष्ठ और श्रेष्ठतर बताने की कोशिश में लगे हैं। यहाँ ध्यान देने की बात यह है कि हम खुद को दूसरे से श्रेष्ठतर बताने की कोशिश में हैं, श्रेष्ठतर बनाने की कोशिश में नहीं और यही हमारी सबसे बड़ी कमी है तथा यही द्वेष, ईश्र्या, बहस और तकरार की वजह है।

आज जब हम अपने घर में शादी-विवाह करते हैं; पूजा-पाठ या इबादत करते हैं; तब एक दायरा हमें कैद कर लेता है; लेकिन जब हम बाहर निकलते हैं; व्यापार-व्यहार करते हैं, तब इस दायरे से बिलकुल बाहर होते हैं। सभी में एक भाईचारा होता है; एक मानवी व्यवहार होता है। एक और चीज़ यह देखने को मिलती है कि पैसे से सभी मज़हबी दीवारें बिना किसी विरोध या ना-नुकुर के स्वत: टूट जाती हैं। यह बहुत ही अच्छी बात है। लेकिन सवाल यह है कि क्या हमेशा के लिए ये दीवारें गिरायी जा सकती हैं? क्या मनुष्य का मनुष्य से सीधा एक ही रिश्ता नहीं है कि उसे एक ही ज़मीन पर एक ही हवा, पानी और एक जैसे शरीर के साथ ईश्वर ने पैदा किया है? इतनी बात जिस दिन मनुष्य को समझ में आ जाएगी, उस दिन पूरी दुनिया में भाईचारा होगा, प्यार होगा, अमन होगा, एक-दूसरे की चिंता होगी, रक्षा की भावना होगी और मनुष्य वास्तव में मनुष्य होगा।

सुप्रीम कोर्ट : कल ५ बजे से पहले फ्लोर टेस्ट हो

महाराष्ट्र में सरकार के मसले पर शिव सेना-कांग्रेस-एनसीपी की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय की जस्टिस एनवी रमना, अशोक भूषण और संजीव खन्ना की बेंच ने  मंगलवार को फैसला सुनाया है कि २७ नवंबर को शाम ५ बजे से पहले फ्लोर टेस्ट किया जाये। प्रो-टेम स्पीकर विधायकों की शपथ करवाएं और फिर फ्लोर टेस्ट हो जिसका लाइव टेलेकास्ट हो। सीक्रेट बैलट नहीं होगा। पूरी कार्यवाही की वीडियो रेकार्डिंग के भी निर्देश सर्वोच्च अदालत ने दिए हैं।

अब सारा दारोमदार बुधवार को मुंबई की विधानसभा की कार्यवाही पर टिक गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक बुधवार को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा। याद रहे भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस को सीएम और अजित पवार (एनसीपी) को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के बाद विवाद्पैदा हो गया था। अब पहले प्रो-टेम स्पीकर पहले बनेगा फिर शपथ होगी और फिर फ्लोर टेस्ट होगा। परंपरा रही है कि सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य को प्रो-टेम स्पीकर नियुक्त किया जाता रहा है।

इससे पहले सोमवार को सभी पक्षों की सुनवाई के बाद सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि मंगलवार को सुबह १०.३० बजे फैसला सुनाया जाएगा। कोर्ट ने मंगलवार को कहा  कि  लोकतांत्रिक मूल्य स्थापित करने के लिए ही कोर्ट है। हार्स ट्रेडिंग को रोकने के लिए लोकतांत्रिक मूल्य बचे रहना जरूरी है।

इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी कि हम (शिव सेना-कांग्रेस-एनसीपी) फ्लोर टेस्ट अवश्य जीतेंगे।

वी आर १६२ – शिव सेना, कांग्रेस, एनसीपी का बड़ा शक्ति प्रदर्शन

भाजपा-अजित पवार खेमे को जबरदस्त झटका देते हुए शिव सेना-कांग्रेस-एनसीपी ने सोमवार शाम मुंबई के हयात होटल में १६२ विधायकों के साथ शक्ति प्रदर्शन किया। वहां बड़ा होर्डिंग लगा है जिसमें लिखा है – वी आर १६२ (हम १६२ हैं) । शरद पवार ने आरोप लगाया है कि अजित पवार ने गुमराह किया है। उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। जो पार्टी व्हिप का उल्लंघन करेगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। इस मौके पर विधायकों को सोनिया गांधी, शरद पवार और उद्धव ठाकरे के नाम से शपथ भी दिलाई गयी।

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र को लेकर फैसला आने से पहले तीन दलों का यह प्रदर्शन ख़ास मायने रखता है। एक तो शिव सेना-कांग्रेस-एनसीपी ने देश को अपनी दावे का प्रमाण दिखाना चाहती थी दूसरा इस शक्ति प्रदर्शन में शरद पवार को भी शामिल करके यह साफ़ करने की कोशिश की गयी है कि परदे के पीछे शरद पवार का कोइ खेल नहीं और वे पूरी तरह गठबंधन के साथ हैं।

विधायकों की इस परेड ने निश्चित ही यह जाहिर कर दिया है कि अजित पवार फिलहाल अलग-थलग पद गए लगते हैं। अब भी यदि कोइ चमत्कार नहीं होता है और सर्वोच्च न्यायालय का कल का फैसला फ्लोर टेस्ट के लिए आता है तो, भाजपा के बहुमत साबित करहुत ही मुश्किल होगा। इससे पहले शिव सेना-कांग्रेस-एनसीपी ने राज्यपाल को भी  दिन में एक पत्र सौंपकर १६२ विधायक अपने साथ होने का दावा किया था। शरद पवार ने इस मौके पर विधायकों को संबोधित करते हुए कहा कि महाराष्ट्रके लिए एक साथ आये हैं। जो लोग केंद्र में उन्होंने ऐसा दूसरे राज्यों में भी  किया था। यह उनका इतिहास है लेकिन गलत तरीके से बनाई उनकी सरकार फेल हो जाएगी। उद्धव ठाकरे ने कहा हम अब बताएँगे कि शिव सेना क्या चीज है।

याद रहे शनिवार तड़के अचानक राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और उस समय एनसीपी विधायक दल के नेता अजित पवार को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई थी। इससे दो घंटे पहले सुबह करीब पांच बजे महाराष्ट्र में लगा राष्ट्रपति शासन भी ख़त्म कर दिया गया था। इसे लेकर महाराष्ट्र ही नहीं, देश भर की राजनीनीति में उबाल आ गया था।

शनिवार को ही हिव सेना-कांग्रेस-एनसीपी सका विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में ययाचिका दायर कर राज्यपाल के फैसले को चुनौती दे दी थी। रविवार को सुनवाई  के बाद सोमवार को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई जिसमें सर्वोच्च अदालत ने फैसला मंगलवार को सुनने की बात कही है।

अब सोमवार शाम को शिव सेना-कांग्रेस-एनसीपी ने तरह १६२ विधायकों के साथ होने का दावा करते हुए और इन विधायकों की परेड करवाते हुए शक्ति प्रदर्शन किया है उसने महाराष्ट्र की राजनीति को बहुत दिलचस्प बना दिया है। दिन में एनसीपी ने वरिष्ठ नेताओं ने अजित पवार को वापस शरद पवार के साथ आने के लिए मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन वे नहीं माने।

हाँ, यह जरूर हुआ है कि अजित  उप मुख्यमंत्री के रूप में पद ग्रहण नहीं किया है जबकि मुख्यमनत्री देवेंद्र फडणवीस आज अपने दफ्तर गए और काम संभाल लिया। अब स्थिति दिलचस्प हो गयी है। कहना मुश्किल है कि क्या शिव सेना-कांग्रेस-एनसीपी की यह ताकत फ्लोर टेस्ट में भी बनी रहती है। यदि बनी रही तो भाजपा के लिए बहुत फजीहत वाली स्थिति पैदा हो जाएगी।

इन तीन दलों के नेताओं को यह भी आशंका है कि अपनी हार देखकर भाजपा विधानसभा भंग करवाने की कोशिश करवा सकती है। उधर अजित पवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले कमजोर करने की खबर भी सुर्ख़ियों में रही।

अजीत पवार के खिलाफ 70 हजार करोड़ के घोटाले की फाईल बंद की खबर का सच !

एनसीपी के लीडर अजीत पवार के खिलाफ सत्तर हजार करोड़ के सिंचाई घोटाले की फाइल बंद कर दिए जाने की खबरों को एंटी करप्शन ब्यूरो ने गलत करार दिया है।

सिंचाई घोटाले से संबंधित 9 मामलों की जांच सबूतों के अभाव के चलते बंद करने की खबर मीडिया मे तेजी से फैल गई थी।

एंटी करप्शन ब्यूरो ने इस खबर को अफवाह करार देते हुए कहा है कि सिंचाई घोटाले से जुड़े करीब 3 हजार टेंडरों की भी जांच चल रही है। एसीबी ने इसे रूटीन बताते हुए कहा जिन मामलों में पहले से जांच चल रही है वह आगे भी चलती रहेगी।

NCP चीफ शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने शरद पवार (शरद पवार के अनुसार)को बिना बताए बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना दी। इस नई सरकार में देवेंद्र फडणवीस दोबारा चीफ मिनिस्टर बने और अजित पवार डेप्युटी चीफ मिनिस्टर बने हैं। उन्होंने महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी से मिलकर दावा किया कि उनके पास सरकार बनाने के लिए जरूरत से अधिक विधायकों का सपोर्ट है।

उधर सत्ता पर काबिज की तैयारी में बैठे शिवसेना एनसीपी और कॉन्ग्रेस ने इस तरह की सरकार को गैर संवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। मामले की सुनवाई कल 26 नवंबर को है।

याद रहे कि एनफोर्समेंट डिरेक्टरेट ने कुछ समय पहले ऐंटी करप्शन ब्‍यूरो से सिंचाई घोटाले से जुड़े डॉक्यूमेंटस मंगाए थे। इस घोटाले को ईडी कुछ समय से इनवेस्टिगेट कर रहा है।

गौरतलब है कि 2012 में यह सिंचाई घोटाला सामने आया था। महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के रिजीम में 35 हजार करोड़ करोड़ की गड़बड़ियां सामने आईं थीं। इसी साल ‘जनमंच’ नामक एनजीओ ने हाईकोर्ट के नागपुर खंडपीठ में एक जनहित याचिका दायर कर सिंचाई परियोजनाओं में 70 हजार करोड़ के घोटाले का आरोप लगाते हुए मामले की जांच सीबीआई द्वारा कराने की मांग की।

अजित पवार आरोप थे कि उन्होंने अपने डेप्युटी चीफ मिनिस्टरी के दौरान सिंचाई से जुड़े हर तरह के प्रॉजेक्ट्स और उनके बढ़ते हुए बजट को मंजूरी दी थी जिसके चलते वह शक के दायरे में आ गए थे। सिंचाई घोटाले के अलाव पवार महाराष्‍ट्र को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले में भी आरोपी हैं।

महाराष्ट्र में सिंचाई परियोजनाओं के घोटाले और भ्रष्टाचार को लेकर तत्कालीन सरकार के खिलाफ ऐसी लहर चली कि सूबे की सत्ता ही बदल गयी।

महाराष्ट्र में रातोंरात ‘तख्तापलट’ क्यों?

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में भाजपा ने रातोंरात क्यों सरकार बनाई। ऐसा नहीं है कि वो इससे पहले चुपचाप बैठे सिर्फ वेट एंड वॉच की स्थिति में थे। बल्कि पहले ही आरएसएस से लेकर केंद्रीय मंत्री और नागपुर से सांसद नितिन गडकरी इशारा कर चुके थे कि राजनीति और क्रिकेट में कुछ भी संभव है। दरअसल असली लड़ाई तो आर्थिक राजधानी पर कब्जा जमाना है।

क्या किसी दूसरे राज्य में ऐसा संभव हो पाता कि रातोंरात जो करीब एक लाख करोड़ रुपये के दो बड़े घोटालों में आरोपी है, उसको उप मुख्यमंत्री का पद देकर लोगों के उठने से पहले शपथ भी दिला दी गई। जिस नेता पर जेल जाने की तलवार लटकी हो, उसे शान से लाल बत्ती का ऑफर मिल गया। इसके पीछे जाने के लिए आपको थोड़ा-सा देश के आर्थिक व्यापार और कारोबार पर नजर दौड़ानी होगी। सबसे ज्यादा कंपनियां महाराष्ट्र में पंजीकृत हैं। इतना ही नहीं, टैक्स देने वाले राज्यों में महाराष्ट्र सबसे ऊपर है और वह एक लाख करोड़ रुपये से अधिक टैक्स देता है।

देश के सबसे समृद्ध माने जाने वाले राज्य गुजरात से इनकम टैक्स कलेक्शन की बात करें तो यह मात्र 4.5 फीसदी ही है, जबकि इस मामले में महाराष्ट्र अव्वल है। यह कर देश के आयकर में जमा होने वाली रकम का 38 फीसदी से अधिक है। इस मामले में दिल्ली दूसरे नंबर पर है जिसका हिस्सा करीब 14 फीसदी है। उसके बार कर्नाटक और तमिलनाडु का नंबर आता है।

किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए महाराष्ट्र इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि अधिकतर कॉर्पोरेट घरानों के कार्यालय के मुख्यालय यहीं पर हैं। यह कहना गलत भी नहीं है कि कॉर्पोरेट घराने ही तय करते हैं कि अगली बार किसकी सरकार बननी है। इसके लिए महज चंदा ही विकल्प नहीं होता, बल्कि इनको राज्यों में ठेके दिलवाने का सिलसिला भी जुड़ा होता है।

मोदी सरकार से अडानी और अंबानी घराने के रिश्तों से सभी वाकिफ़ हैं। अगर सरकार बदलती है तो इनके नीति निर्धारण में परिवर्तन के साथ ही अन्य समाज कल्याण से जुड़ी योजना और परियाजनाएं इनके कारोबार को प्रभावित कर सकती हैं। ऐसे में इनके कारोबार पर किसी भी तरह का ‘ब्रेक’ न लगे, उसके लिए जरूरी है कि विपरीत सोच वाले की सरकार न बने। अन्यथा आगे चलकर रोड़े अटकाने का सिलसिला तो शुरू हो ही सकता है।

इसलिए शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के शब्दों में कहें तो यह फर्जिकल स्ट्राइक रातोंरात यूं ही नहीं की गई, बल्कि इसकी बिसात कई दिनों से बिछ रही थी। अगर इनकी सरकार नहीं बनी तो इनके चहेतों व बुलेट ट्रेन जैसे ड्रीम प्रोजेक्ट पर साया मंडरा सकता है। इसका इशारा शिवसेना, कांगेस और एनसीपी की ओर से पहले ही किया जा चुका है। किसानों का कर्जमाफ करने के साथ ही उनके लिए कल्याणकारी योजनाएं लागू करने से कॉर्पोरेट घरानों के लिए चिंता यूं ही नहीं है। अब तो शक्ति परीक्षण के बाद ही तय होगा कि किसकी शक्ति हावी है, जो महाराष्ट्र पर काबिज होगा।

दिल्ली पुलिस ने गुवाहाटी में ३ आतंकी पकड़े  

दिल्ली पुलिस ने सोमवार को गुवाहाटी में आईईडी के साथ तीन आतंकियों को पकड़ा  है। इसके बाद पूरे दिल्ली में अलर्ट जारी कर दिया गया है। आशंका है कि यह आतंकी दिल्ली और अन्य राज्यों में किसी बड़ी वारदात की फिराक में थे। उनसे कड़ी पूछताछ की जा रही है।

जानकारी के मुताबिक दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने इन तीन आतंकवादियों को आईईडी के साथ गिरफ्तार किया। दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के डीसीपी प्रमोद कुशवाहा ने कहा – ‘राजधानी में एक आतंकी हमले को नाकाम किया गया है।  आईईडी विस्फोटक के साथ तीन आतंकी गिरफ्तार किए गए हैं।”

तीन आतंकियों के पकडे जाने के बाद दिल्ली पुलिस ने इसे एक बड़ी आतंकी साजिश को नाकाम करने का दावा किया है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इन तीन संदिग्धों को गुवाहाटी से गिरफ्तार किया। तीनों संदिग्ध आतंकियों के आईएस से जुड़े होए आशंका जताई गयी है। उनके पास से बड़ी मात्रा में विस्फोटक भी मिले हैं। आशंका है कि पकड़े गए संदिग्ध दिल्ली, असम सहित कई राज्यों में हमले की तैयारी कर रहे थे।

सिंधिया ने बदल दिया ट्विटर बायो, राजनीतिक गलियारों में हड़कंप

कांग्रेस जब महाराष्ट्र की सियासी उठापटक में फंसी हुई है तो मध्य प्रदेश में उसके बड़े नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्विटर पर अपना बायो बदलकर सियासी गलियारों में भूकंप ला दिया है। सिंधिया, जो कुछ दिन पहले पीएम मोदी से मिले थे, ने अपने ट्विटर अकाउंट से खुद के कांग्रेसी होने का परिचय हटाकर अब खुद को सिर्फ ‘जनसेवक और क्रिकेट प्रेमी’ लिख दिया है। वैसे सिंधिया ने सफाई दी है कि उन्हें हैरानी है कि इस मामले को इस तरह तूल दिया जा रहा है।

सिंधिया के इस परिचय फेरबदल पर हंगामा इसलिए भी ज्यादा मचा है क्योंकि कहा गया है कि मध्य प्रदेश में उनके समर्थक विधायकों (जिनमें कुछ मंत्री भी हैं) ने भी अपना परिचय बदला है, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है। सिंधिया ने पहले ट्विटर प्रोफाइल में खुद के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व सांसद लिखा हुआ था। सिंधिया को लेकर कहा जाता रहा है कि वे पार्टी से कुछ मुद्दों पर नाराज हैं।

हालांकि इस बाबत ख़बरें आने के बाद सिंधिया ने सफाई देते हुए सभी अफवाहों को निराधार करार दिया है। सिंधिया ने कहा – ‘मुझे नहीं पता इसे इतना क्यों तूल दिया जा रहा है। मैंने एक महीने पहले ही इसे बदल दिया था क्योंकि लोग बोल रहे थे कि यह काफी लंबा है।” मध्य प्रदेश में कुछ विधायकों के कथित तौर पर गायब होने के सवाल पर सिंधिया ने कहा, सब बेकार की बात है। जो गायब है उसका नाम बताएं, मैं उससे आपकी बात कराउंगा।

यहाँ, यह गौरतलब है कि पिछले महीने सिंधिया ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को कुछ पत्र लिखकर बाढ़ प्रभावित किसानों की मदद और खस्ताहाल सड़कों के लिए जल्द काम करने का मुद्दा उठाया था। इसके बाद एक और पत्र में सिंधिया ने दतिया के लोगों की समस्याओं को सीएम कमलनाथ के सामने उठाया था। माना जाता है कि इन पत्रों पर कोइ कार्रवाई न होने और इसका जवाब तक नहींए से सिंधिया बहुत नाराज हैं।

दिल्ली के प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की सरकारों को कड़ी फटकार

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को हरियाणा और पंजाब सरकार के मुख्य सचिवों की जमकर क्लास लगाई। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि लोगों की ज़िंदगी नर्क बन गयी है। आदेश के बावजूद पराली जलाने के मामले लगातार बढ़े हैं, लिहाजा क्यों न सरकारों पर जुर्माना लगाया जाए। सर्वोच्च अदालत ने १० दिन के भीतर इसपर कुछ करने के निर्देश दिए हैं।

सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब के मुख्य सचिव से पूछा कि पराली जलाने को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? आप जनता के साथ ये कैसे कर सकते हैं? कैसे उन्हें मरने के लिए छोड़ रहे हैं? और उन्हें मरने दें। हमें बताएं कि हमारे आदेश के बाद भी पराली जलाए जाने की घटनाएं क्यों बढ़ रही हैं? स्टबल बर्निंग क्यों बढ़ गई? आप इसकी जांच क्यों नहीं करा रहे हैं क्या ये आपकी असफलता नहीं है?

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अदालत ने सुनवाई के दौरान पराली जलाने को लेकर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली सरकार की जमकर खिंचाई की। कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए सरकारों में कोई इच्छा शक्ति नहीं दिखाई देती। कोर्ट ने सीपीसीबी से राजधानी में चल रही फैक्ट्रियों की प्रकृति के बारे में विवरण दर्ज करने को कहा है।

सर्वोच्च अदालत ने पंजाब के मुख्य सचिव से कहा कि हम इस प्रदूषण के लिए राज्य की हर मशीनरी को ज़िम्मेदार ठहराएंगे। आप इस तरह लोगों को मरने नहीं दे सकते। दिल्ली का दम घुट रहा है। क्योंकि आप उपायों को लागू करने में सक्षम नहीं हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि दिल्ली-एनसीआर में लोगों को प्रदूषण से मर जाना चाहिए और कैंसर की बीमारी से पीड़ित हो जाना चाहिए।
अदालत ने हरियाणा सरकार से भी पूछा कि राज्य में पराली जलाए जाने की घटनाएं क्यों बढ़ी है? हरियाणा सरकार ने पहले पराली जलाए जाने की घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए अच्छा काम किया था, लेकिन अब यह बढ़ गया है। पंजाब और हरियाणा कुछ नहीं कर रहे हैं।

सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता को सर्वोच्च अदालत ने कहा, “लोगों को गैस चैंबर में रहने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है? उन सभी को एक बार में मारना बेहतर है, एक बार में १५ बैग में विस्फोटक लाएं और सभी को खत्म कर दें। लोगों को यह सब क्यों भुगतना चाहिए? इस स्थिति में भी दिल्ली में चल रहे आरोप-प्रत्यारोप के दौर को देख मैं हैरान हूं।”

याद रहे दिल्ली में पिछले लंबे समय से राजधानी दिल्ली में लोगों की जिंदगी दूभर हो गयी है। बार-बार के प्रदूषण से उन्हें सांस लेने में तो दिक्कत आ ही रही है, इससे वे कई रोगों से भी घिर रहे हैं।

महाराष्ट्र पर राहुल ने ‘विरोध स्वरुप’ लोकसभा में नहीं दिया भाषण

जहां महाराष्ट्र का मसला सोमवार को संसद में गूंजा वहीं दो महिला सांसदों के साथ कथित धक्कामुक्की को लेकर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के ऑफिस जाकर बाकायदा नाराजगी जताई। उधर राहुल गांघी ने लोक सभा में महाराष्ट्र की घटनाओं पर विरोध स्वरुप अपना भाषण न देने की बात कही। कुलमिलाकर संसद के शीतकालीन सत्र के छठे दिन खूब हंगामा हुआ और राज्यसभा और लोकसभा दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। इससे पहले महाराष्ट्र के मुद्दे पर कांग्रेस और विपक्ष के सदस्यों ने ने महात्मा गांधी की मूर्ति के सामने विरोध प्रदर्शन किया।

उधर हंगामे के बाद लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई। कांग्रेस ने लोकसभा में भी हंगामा किया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि मैं आज यहां सवाल पूछने आया था, लेकिन सवाल पूछने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि महाराष्ट्र में लोकतंत्र की हत्या हुई है। ‘मेरे सवाल पूछने का कोई मतलब नहीं है’।

लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र मुद्दे पर सदन में हंगामे के दौरान मार्शल ने पार्टी की दो महिला सांसदों के साथ ‘धक्कामुक्की’ की। सांसदों के साथ कथित धक्कामुक्की पर सोनिया गांधी ने लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला के सामने नाराजगी जताई। रिपोर्ट्स के मुताबिक गांधी स्पीकर के ऑफिस पहुंची और शिकायत दर्ज कराने के तुरंत बाद लौट गईं।

चौधरी ने संसद भवन परिसर में कहा कि वह इंतजार कर रहे हैं कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला जिम्मेदार मार्शलों के खिलाफ क्या कार्रवाई करते हैं। ‘ऐसा सदन में हमने कभी नहीं अनुभव नहीं किया। हमारी दो महिला सांसदों ज्योति मणि और राम्या हरिदास के साथ मार्शलों ने सदन में धक्कामुक्की की।’ इन सदस्यों ने कहा कि सीसीटीवी फ़ुटेज देख सकते हैं हमने कोई हाथापाई नहीं की बल्कि हमारे साथ सिक्योरिटी ने हाथापाई की। ”मैंने और टीएन प्रतापन ने एक साथ लिखित शिकायत की है”। हंगामे की वजह से लोकसभा की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी गई है।