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राजस्थान में राज्यपाल के सत्र नहीं बुलाने के विरोध में राजभवन परिसर में धरने पर बैठे कांग्रेस विधायक, गहलोत बोले बहुमत है  

राजस्थान में राजनीति अब सरकार बनाम राज्यपाल हो गयी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बहुमत का दावा करते हुए अपने समर्थक विधायकों को राजभवन ले गए हैं और उन्होंने राज्यपाल कलराज मिश्र से मिलकर एक बार विधानसभा का सत्र बुलाने का आग्रह किया है ताकि वे अपना बहुमत साबित कर सकें। हालांकि, राज्यपाल ने राजस्थान विधानसभा के स्पीकर का मामला सुप्रीम कोर्ट में होने का हवाला देते हुए अभी इसपर सहमति नहीं जताई है। इसके बाद तमाम विधायक राजभवन में ही जम गए हैं। गहलोत ने चेतावनी दी है कि ‘यदि जनता राजभवन का घेराव करती है, तो इसके लिए वो जिम्मेदार नहीं होंगे’।

गहलोत गुट का दावा है कि उनके पास 109 विधायक हैं। कितने विधायक राजभवन गए हैं इसकी अभी पूरी जानकारी नहीं है, लेकिन राजभवन जाते कांग्रेस के दो विधायकों ने विक्टरी का ‘वी’ चिन्ह बनाया, जिससे जाहिर होता है कि गहलोत के पास बहुमत है। हालांकि, राज्यपाल के विधानसभा का सत्र बुलाने को लेकर अभी फैसला न करने और कानूनी राय लेने की बात कहने के बाद सभी विधायक राजभवन में ही ‘जम’ गए हैं।

अभी तक की जानकारी के मुताबिक वहां विधायकों की तरफ ‘लोकतंत्र बचाओ’ के नारे भी लगे हैं। सुबह ही राजस्थान हाई कोर्ट का फैसला आया था, जिसमें स्पीकर को नोटिस से जुड़े किसी भी फैसले को लेने से रोक दिया गया है। राज्य में अब सियासी हलचल तेज हो गई है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकार बचाने की कवायद तेज कर दी है।

गहलोत ने इसके बाद विधानसभा सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल कलराज मिश्रा से मुलाकात की। उनकी बात नहीं मानने पर गहलोत समर्थक तमाम कांग्रेस विधायक राजभवन में धरने पर बैठ गए हैं।

राज्यपाल से  मिलने के बाद गहलोत ने आरोप लगाया ”राज्यपाल ऊपरी दबाव के कारण विधानसभा सत्र नहीं बुला रहे हैं”। गहलोत ने कहा – ”राज्यपाल हमारे संवैधानिक प्रमुख हैं। मैं यह कहने में संकोच नहीं करता कि वह ऊपर से कुछ दबाव के बिना विधानसभा सत्र रोक नहीं सकते थे। उन्होंने कल फैसला क्यों नहीं किया। हमने उनसे (राज्यपाल) जल्द ही फिर से निर्णय लेने का अनुरोध किया है और लोग इंतजार कर रहे हैं। मुझे यकीन है कि राज्यपाल किसी दबाव में नहीं आएंगे वह कोई निर्णय लेंगे। हमें उम्मीद है कि विधानसभा सत्र जल्द शुरू होगा। इसलिए हम यहां विरोध में बैठे हैं। वह हमें पत्र दें फिर हम उसके बाद आगे की कार्रवाई करेंगे”।

राजस्थान सरकार में मंत्री और कांग्रेस नेता रघु शर्मा का कहना है कि राज्यपाल अगर कोरोना वायरस के कारण विधानसभा सत्र आयोजित नहीं कर रहे हैं, तो हम सभी 200 विधायकों का कोरोना टेस्ट कराने को तैयार हैं। राज्यपाल से मुलाकात के पहले कांग्रेस विधायक दल ने जयपुर के फेयरमोंट होटल में एक बैठक की थी। इस बैठक में कांग्रेस नेता अजय माकन और रणदीप सिंह सुरजेवाला भी मौजूद थे।

इस बीच राजस्थान भाजपा नेता जीसी कटारिया ने कहा कि जिस तरह से गहलोत ने राजभवन में विरोध प्रदर्शन किया और जिस तरह के नारे लगाए गए, मुझे लगता है कि कोई अन्य मुख्यमंत्री इस तरह निंदनीय कुछ नहीं कर सकता।

अशोक गहलोत विधायकों की राजभवन में परेड करवाएंगे, शक्ति परीक्षण की तैयारी

राजस्थान की राजनीति में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अब क़ानून से दूर अपना पूरा फोकस राजनीति पर कर दिया है। गहलोत कुछ देर पहले अपने समर्थक सभी विधायकों को राज्यपाल से मिलाने के लिए निकल गए हैं। गहलोत खेमे ने दावा किया है कि उनके पास बहुत से ज्यादा विधायक हैं। गहलोत समर्थक एक विधायक की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया है।

गहलोत अपना बहुमत साबित करके फिलहाल अपनी सरकार को खतरे बे बाहर निकालने की कोशिश में हैं। कुछ देर पहले होटल से उनके समर्थक विधायकों को लेकर बसें राज भवन के लिए निकल गयी हैं। अभी तक की ख़बरों के मुताबिक गहलोत के पास 102 से 106 विधायकों के बीच समर्थन है।

उनके समर्थक एक विधायक की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया है। गहलोत समर्थक विधायकों की परेड राज्यपाल के सामने करवाकर उनसे विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर बहुमत सिद्ध करने की मांग कर सकते हैं। गहलोत पहले भी राज्यपाल को तीन बार मिले हैं और उन्होंने ज़ुबानी तौर पर विधानसभा सत्र की बात कह चुके हैं। मंत्रिमंडल ने गहलोत को इसके लिए अधिकृत किया था।

राजस्थान हाई कोर्ट ने स्पीकर नोटिस मामले में यथास्थिति बनाए रखने को कहा, अयोग्यता की कार्रवाही नहीं होगी, मामला सुप्रीम कोर्ट में

राजस्थान हाई कोर्ट ने शुक्रवार को सचिन पायलट गुट को बड़ी राहत देते हुए शुक्रवार को स्पीकर के नोटिस को लेकर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है।  इस तरह बागी 19 विधायकों पर अयोग्यता की कार्यवाही नहीं होगी। इससे पहले हाई कोर्ट ने केंद्र को भी इस मामले में पार्टी बनाने की याचिका को स्वीकार कर लिया। अब लगता है इस मामले का सारा परिदृश्य सुप्रीम कोर्ट में बदल गया है।

हाई कोर्ट को आज स्पीकर के 19 विधायकों को नोटिस जारी करने के फैसले को सचिन गुट की तरफ से चुनौती के मामले में कहा कि यथास्थिति बनी रहेगी। गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि यह फैसला उसके अधीन रहेगा। इस बीच मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा का विशेष अधिवेशन बुलाकर अपना बहुमत सिद्ध करने की तैयारी कर ली है। संभावना है कि सोमवार को कोई बिल लाकर यह काम हो सकता है।

 याद रहे राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी के नोटिस के खिलाफ सचिन पायलट गुट के विधायक पृथ्वीराज मीणा की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट में दायर याचिका पर तीन दिन लगातार मैराथन सुनवाई हुई थी। मुख्‍य न्‍यायाधीश इंद्रजीत माहंती और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने मंगलवार को सुनवाई पूरी कर ली थी और 24 जुलाई फैसले की तारीख तय की थी लेकिन गुरुवार को कॉजलिस्ट में मामला फैसले के लिए लिस्ट नहीं हुआ था, जिससे संभावना बन गयी थी कि अदालत शायद शुक्रवार को फैसला न सुनाए।

याद रहे बुधवार को सचिन पायलट गुट की ओर से एक प्रार्थना पत्र हाई कोर्ट में दायर किया गया था जिसमें कहा गया है कि मामले में शेड्यूल 10 के 2-1-ए को चुनौती दी गई है। ऐसे में याचिका में केंद्र सरकार को भी पार्टी बनाया जाए। पार्टी नहीं बनाने से याचिकाकर्ता के हित प्रभावित होंगे, ऐसे में हो सकता है कि अदालत शुक्रवार को इस प्रार्थना पत्र पर ही सुनवाई करे।

इससे पहले गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट फैसले पर रोक लगाने की स्पीकर की मांग को स्वीकार नहीं किया था। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि इस मामले में राजस्थान हाई कोर्ट का जो भी फैसला आएगा वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अधीन रहेगा। अर्थात हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद भी लागू नहीं होगा। ऐसे में फैसले से कोई भी पक्ष सीधे तौर पर प्रभावित नहीं होगा, लेकिन फैसला किसके पक्ष में आता है और किसके खिलाफ यह जरूर साफ़ हो जाएगा।

पलायन मजदूरों के घरों में बढे रहे पारिवारिक कलह बजह बेरोजगारी  

कहते है कि मुशीबत अकेले नहीं आती है। बल्कि झुण्ड में आती है । ऐसा ही हाल आज कल देश – दुनिया का है। देश एक ओर कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है । वही लाँकडाउन के दौरान जो शहरों से गांवों की ओर पलायन हुआ है । गांवों में मजदूर आ तो गये , लेकिन अब वो गांवों में आकर पूरी तरह से बेरोजगार हो गये है । ऐसे में मानसिक तनाव के कारण या परिवारिक विवाद की वजह से उनके घरों में घरेलू -कलैश व पारिकवारिक हिंसा के मामले तेजी से बढ रहे है। उत्तर – प्रदेश, मध्य- प्रदेश, बिहार और राजस्थान में सबसे ज्यादा मजदूर अपने घरों में कोरोना के डर से या कंम्पनियों के बंद होने की वजह से आ गये थे। मजदूरों का कहना है कि अब वे अपनी रिस्क पर शहरों में रोजगार के लिये जाना चाहते है । ताकि काम कर सकें। उनकी सरकार से एक ही मांग है कि वे मजदूरों के लिये साधन मुहैया करा दें, ताकि फिर से काम तलाश कर रोजी –रोटी शुरू कर सकें।उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के पुगंरी गांव के रहने वाले ग्यादीन ने बताया कि अब तो कोरोना का कहर पूरे देश में फैल रहा है, तो ऐसे में अब वो शहर में रह कर काम करना चाहते है। जहां पर अपनी रोजी –रोटी कमा सकें। उनका कहना है, कि हरियाणा में काम सही चल रहा था लेकिन कोरोना के डर से और कंपनी के बंद होने के भय से वे वहां से भागकर आ गये । अब उनका परिवार में आये दिन कलह होता रहता है। वजह साफ है, कि रोजगार ना होने के कारण आर्थिक तंगी के कारण पैसों को लेकर परिवार व दोस्तों से झगडा । ऐसे ही तमाम मामले अब बुन्देलखण्ड में हर रोज गृह कलह के सामने आ रहे है।

मध्य प्रदेश के छत्तरपुर जिले के बमीठा के रहने वाले ब्रजेन्द्र पटेल का कहना है कि दिल्ली से अपने जिले में कोरोना से डर कर काम-धंधा छोड कर आ गये थे लेकिन अब तो यहां पर  भी कोरोना का कहर सितम ठहा रहा है । उनका कहना है कि जिससे डरकर आये तो वो यहां पर भी आ गया है। तो ऐसे में अब वे दिल्ली जाकर ही काम करना चाहते है। उनका कहना है कि घर में फालतू होने पर उनके घर में झगडा आम बात हो रही है। उनको डर लगा रहता है कि घर में महिलाओं के झगडे इस कदर बढ जाते है, कि कई बार लगता है कि पुलिस को बुलाने तक की नौबत आ जाती है। बिहार निवासी जयरंजन का कहना है कि बिहार में शराब बंदी होने के कारण यहां पर शराब की बिक्री नहीं है। ऐसे में जो पलायन होकर आये दिल्ली , हरियाणा, महाराष्ट्र से आये मजदूरों को शराब की लत  होने की वजह से वे बिहार बार्डर, उत्तर –प्रदेश से शराब लाकर जम कर पी रहे है। घर – गांव में आकर पूरी तरह से बेरोजगार है। जो पैसा कमाकर लाये थे। अब उसको शराब में उडा रहे है।जिसके कारण पुरूष और महिलाओं में झगडा आम बात हो रही है। जयरंजन ने केन्द्र और बिहार सरकार से अपील की है कि कोरोना के कहर को रोकने के साथ-साथ पलायन होकर गांवों में आये मजदूरों के रोजगार पर ध्यान दें ताकि मजदूरों को काम के साथ उनके घरों में हो रही हिंसा को रोका जा सकें।

झारखंड में मास्क नहीं पहना तो एक लाख रुपये जुर्माना

देश में कोरोना वायरस का कहर अब उन राज्यों में फैलने लगा है, जहां संक्रमण के मामले कम थे। झारखंड सरकार ने कोरोना वायरस के बनाए नियमों की अनदेखी करने वाले लोगों पर सख्ती बरतना शुरू कर दिया है। सरकार ने कहा है कि नियमों की अनदेखी करने वाले और मास्क नहीं पहनने वाले लोगों को एक लाख रुपये जुर्माना और दो साल की कैद हो सकती है।
झारखंड कैबिनेट ने वीरवार को ‘संक्रामक रोग अध्यादेश 2020’ पारित कर दिया है। इसमें कहा गया है कि राज्य के भीतर सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने और मास्क नहीं पहनने पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके अलावा, अध्यादेश में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति नियमों का उल्लंघन करता है या फिर मास्क नहीं पहनता है तो उसे दो साल कैद की सजा हो सकती है।
झारखंड में वीरवार को उल्लंघनकर्ताओं को रोकने के लिए सड़कों पर चेकिंग की कोई खास व्यवस्था नहीं नहीं देखी गई। झारखंड की राजधानी रांची में लोग बिना मास्क घूमते देखे गए।
बता दें पिछले दिनों प्रवासी मजूदरों के लौटने और लोगों की लापरवाही बरतने की वजह से राज्य में मरीजों की संख्या में अप्रत्याशित रूप से बढ़े हूं। इसीलिए सरकार को कुछ बड़े निर्णय लेने पड़े हैं, इनमें से एक निर्णय यह है कि अब राज्य के बैंकेट हॉल का प्रयोग आइसोलेशन वार्ड के तौर पर किया जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, झारखंड में कुल मरीजों की संख्या 6458 हो गई है। इसमें से 64 लोगों की इस वायरस से मौत हुई है, जबकि 3024 मरीज इलाज के बाद ठीक हुए हैं।

राजस्थान मामले में हाई कोर्ट के फैसले पर रोक नहीं, सुप्रीम कोर्ट में अब सोमवार को सुनवाई

राजस्थान की राजनीतिक लड़ाई अब क़ानून के मामले में बदल गयी लगती है।  विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के सचिन पायलट गुट के विधायकों को नोटिस जारी करने के फैसले को दी चुनौती को लेकर राजस्थान हाई कोर्ट में हुई सुनवाई पर कल फैसला आएगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इसपर रोक लगाने से मना कर दिया है। हाई कोर्ट का फैसला, हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के अधीन होगा अर्थात उसपर अमल तब तक नहीं होगा जब तक इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता। स्पीकर की याचिका पर अब सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि इस मामले में जो मुद्दे उसके सामने आये हैं उन्हें तय करने में वक्त लगेगा। यह एक तरह का संबैधानिक मसला बन गया है। स्पीकर की याचिका पर अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट के अधीन होगा, अर्थात उसका फैसला तभी लागू होगा जब सुप्रीम कोर्ट इसपर कोई  अंतिम फैसला करेगा।

वर्तमान हालत में अब देखना होगा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत क्या फैसला करते हैं। हो सकता हैं वे विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर बहुमत साबित करें। सुप्रीम कोर्ट में आजकी सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कल हाई कोर्ट जो भी फैसला दे लेकिन उसपर अमल हमारे फैसले के बाद होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह इस पूरे मामले को कानून के तहत सुनेगा। राजस्थान हाई कोर्ट कल बागी गुट की अपील पर अपना फैसला सुनाएगा।

राजस्थान संकट पर सुप्रीम कोर्ट ने संतुलन बनाते हुए कहा है कि हम हाईकोर्ट को आदेश पर रोक नहीं लगा सकते, हालांकि हाइकोर्ट के किसी आदेश पर अभी अमल नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई सोमवार को होगी। अदालत का कहना है कि पहले हाई कोर्ट अपना फैसला दे दे, उसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट फिर इस मामले को सुनेगा।

स्पीकर के वकील कपिल सिब्बल ने सुनवाई के दौरान आशंका जताई कि राजस्थान सरकार को अस्थिर करने की कोशिश हो सकती है, इसलिए मामले को हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए। राजस्थान के सियासी संकट पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर विस्तृत सुनवाई की जरुरत है, इस पर जल्दबाजी में फैसला नहीं हो सकता।

पायलट गुट के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि हाई कोर्ट में सारे तथ्यों पर बहस हुई है अब फैसले पर रोक नहीं लगनी चाहिए, जबकि कपिल सिब्बल की मांग है कि हाई कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाई जाए। सुप्रीम कोर्ट ने जब सवाल किया कि आखिर विधायकों को नोटिस किस आधार पर दिया गया, तो स्पीकर का पक्ष रख रहे कपिल सिब्बल ने कहा कि पायलट गुट के विधायकों की गतिविधियां पार्टी विरोधी लग रही हैं इसलिए नोटिस दिया गया।

कुछ देर पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि विधायकों को जनता ने चुनकर भेजा है और अगर इनको कोई असंतोष है तो उसको सुना जाना चाहिए। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि स्पीकर के पास संवैधानिक अधिकार हैं और वो विधायकों को नोटिस भेज सकते हैं।

आज की सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि मान लीजिए किसी नेता का किसी पर भरोसा नहीं, तो क्या आवाज उठाने पर उसे अयोग्य करार दिया जाएगा। पार्टी में रहते हुए वे अयोग्य नहीं हो सकते, फिर ये यह एक उपकरण बन जाएगा और कोई भी आवाज नहीं उठा सकेगा। लोकतंत्र में असंतोष की आवाज इस तरह बंद नहीं हो सकती। कपिल सिब्बल ने कहा कि सिर्फ विधायक दल की बैठक में न आने का सवाल नहीं है, इन विधायकों की गतिविधयां पार्टी विरोधी लग रही हैं।

अदालत ने पूछा कि क्या कांग्रेस ने विधायकों को पार्टी से निकाला है तो कपिल सिब्बल ने कहा कि अभी विधायक पार्टी में ही हैं, लेकिन बार-बार पार्टी बैठकों में नहीं आने के बाद जब व्हिप जारी किया गया तो इसका भी विधायकों ने उल्लंघन किया है। उन्होंने हेमाराम चौधरी का नाम लेते हुए कहा कि विधायक पार्टी बैठक में तो आए नहीं और सीधा मीडिया में चले गए। ये पूरी तरह गलत है।

देश में कोविड-19 से एक ही दिन में 1129 की मौत, कुल संक्रमित 12 लाख के पार

भारत में कोविड-19 के अब तक के सबसे बड़े आंकड़े में पिछले 24 घंटों में देश में 1,129 लोगों की जान चली गयी और रेकॉर्ड 45,720 नए मामले सामने आये हैं। इस तरह देश में अब तक संक्रमितों की कुल संख्या 12 लाख के पार चली गयी है।
देश में कोविड-19 के एक दिन में सर्वाधिक 45,720 नए मामले सामने आने के बाद गुरुवार को देश में संक्रमितों की कुल संख्या 12 लाख के को पार कर गई। वहीं 1,129 और लोगों की मौत के बाद मृतक संख्या बढ़कर 29,861 हो गई।
स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक भारत में तीन दिन के ही भीतर कोविड-19 के मामले 11 लाख से सीधे 12 लाख से आगे निकल गए हैं। मंत्रालय के सुबह आठ बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक देश में अब केविड-19 के कुल  12,38,635 मामले हो गए हैं जिनमें से 7,82,606 लोग स्वस्थ हो चुके हैं। इनमें विदेशी नागरिक भी शामिल हैं।
देश में आजकी तारीख में 4,26,167 लोगों का कोरोना वायरस का इलाज चल रहा है। देश में कोविड-19 के मरीजों के ठीक होने की दर अभी 63.18 प्रतिशत है।  पिछले 24 घंटे में जिन 1,129 लोगों की मौत हुई है, उनमें से सबसे अधिक 518 तमिलनाडु से, जबकि महाराष्ट्र के 280, आंध्र प्रदेश के 65, कर्नाटक के 55, पश्चिम बंगाल के 39, उत्तर प्रदेश के 34, दिल्ली के 29, गुजरात के 28, मध्य प्रदेश के 14, जम्मू-कश्मीर के 10, तेलंगाना और झारखंड के 9-9, हरियाणा में 8, असम, पंजाब और राजस्थान के 6-6, ओडिशा के 5, गोवा और उत्तराखंड में दो-दो, केरल, पुडुचेरी, त्रिपुरा और चंडीगढ़ में एक-एक व्यक्ति की जान गयी है।

राजस्थान की राजनीतिक जंग सुप्रीम कोर्ट पहुंची

राजस्थान की सियासी जंग सर्वोच्च न्यायालय में पहुंच गई है। राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी ने सर्वोच्च अदालत में याचिका (एसएलपी) दाखिल कर राजस्थान हाईकोर्ट के स्पीकर को विधायकों को नोटिस जारी करने के मामले में दिए गए निर्देश पर सवाल उठाए गए हैं। इसके बाद सचिन पायलट गुट ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपील की है कि उनका पक्ष भी जरूर सुना जाए। सुप्रीम कोर्ट स्पीकर की अर्जी पर कल (गुरूवार को) सुनवाई करेगा।

स्पीकर की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में यह गुहार भी लगाई गयी है कि राजस्थान हाई कोर्ट के 24 जुलाई को आने वाले फैसले पर रोक के आदेश जारी किये जाएं। सुप्रीम कोर्ट में स्पीकर की तरफ से यह एसएलपी आज सुबह ही दायर कर दी गई थी जिसे मंजूर भी कर लिया गया।

सुप्रीम कोर्ट में स्पीकर का पक्ष वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल रख रहे हैं। इस मामले में कोर्ट से यह गुजारिश की गई थी कि वो इस मामले में आज ही अपना निर्णायक फैसला दे, हालांकि, इसपर कल सुनवाई होगी।

इससे पहले स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि ”स्पीकर को कारण बताओ नोटिस भेजने का पूरा अधिकार है। मैंने अपने वकील से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि 10वीं अनुसूची के तहत स्पीकर की तरफ से नोटिस जारी करने पर अदालत हस्तक्षेप नहीं कर सकती। स्पीकर के आदेश जारी के करने के अधिकार पर रोक नहीं लगाई जा सकती है।

गैंगस्टर विकास दुबे कांड में सुप्रीम कोर्ट बनाएगा नया न्यायिक आयोग

कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे और उसके साथियों की पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने की अदालत की निगरानी में जांच की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि वह एक नए न्यायिक आयोग का गठन करेगा।
शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने जांच टीम का नाम सौंप दिया है। इसमें पूर्व न्यायाधीश के रूप में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बीएस चौहान और पूर्व डीजीपी के तौर पर केएल गुप्ता का नाम प्रस्तावित किया गया है।
यूपी सरकार की ओर से कहा है कि पूर्व न्यायाधीश चौहान इस समिति का हिस्सा बनने की सहमति दी। वहीं, सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पैनल उन परिस्थितियों की भी जांच करेगा जिनके तहत गैंगस्टर विकास दुबे को जमानत पर रिहा किया गया था।
दूसरी तरफ, कोर्ट ने यूपी सरकार को कड़े शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा है कि यूपी पुलिस मुठभेड़ का सहारा न लें। पिछली सुनवाई के दौरान भी कोर्ट ने ऐसी टिप्पणी की थी जिससे मुख्यमंत्री योगी भी घेरे में आ सकते हैं। कोर्ट ने कहा था कि जांच में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के उन बयानों को भी शामिल करें जिसमें दोनों ने संकेत दिया था कि विकास दुबे जैसों को निपटा दिया जाएगा।

गाजियाबाद में बदमाशों की गोली से घायल पत्रकार की मौत पर राहुल, प्रियंका, ममता की संवेदना, कहा यूपी में हो गया गुंडाराज

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में बदमाशों की गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हो गए पत्रकार विक्रम जोशी की मौत हो गयी है। घायल जोशी का गाजियाबाद के नेहरू नगर स्थित यशोदा अस्पताल में इलाज चल रहा था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के आलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पत्रकार की मौत पर संवेदना और आक्रोश जताते हुए आरोप लगाया है कि देश भर में डर का माहौल बना दिया गया है।

जोशी को बीते सोमवार की रात बदमाशों ने इसलिए गोली मार दी थी कि क्योंकि उन्होंने भांजी से छेड़छाड़ और अभद्र कमेंट करने वाले युवकों की शिकायत पुलिस से की थी। परिजनों ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने विक्रम की शिकायत को लेकर लापरवाही बरती। इस मामले में गाजियाबाद पुलिस ने अब तक 9 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

गोली लगने से गंभीर घायल जोशी की हालत नाजुक बनी हुई थी और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। जोशी ने अस्पताल में उपचार के दौरान आज सुबह करीब चार बजे दम तोड़ दिया। शिकायत के बाद इस मामले में लापरवाही बरतने वाले चौकी इंचार्ज राघवेंद्र को सस्पेंड किया जा चुका है।

इस बीच पत्रकार विक्रम जोशी की मृत्यु होने पर कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संवेदना और यूपी की लचर  क़ानून व्यवस्था स्थिति पर आक्रोश जताया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में कहा – ”अपनी भांजी के साथ छेड़छाड़ का विरोध करने पर पत्रकार विक्रम जोशी की हत्या कर दी गयी। शोकग्रस्त परिवार को मेरी सांत्वना। वादा था राम राज का, दे दिया गुंडाराज।”

कांग्रेस ने भी एक ट्वीट कर कहा – ”भाजपा ने यूपी के साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार किया है। वरना भला अपराध को इस स्तर पर कौन पहुंचने देता है। जो हितैषी होता है, वो तो बिलकुल नहीं। बेटी बचाओ का नारा कहीं पीछे छूट गया; अपराध खत्म करने के दावे धराशायी हो गए। ऐसा यूपी तो नहीं चाहिए था किसी को !”

उधर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा – ”एक निडर पत्रकार विक्रम जोशी के परिवार के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। अपनी भांजी से छेड़छाड़ करने वालों पर एफआईआर दर्ज कराने के लिए उन्हें यूपी में गोली मार दी गई थी। देश में भय का माहौल हो गया है। आवाजों को दबाया जा रहा है और मीडिया को नहीं बख्शा जा रहा है।”

बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा कि पूरे यूपी में हत्या और महिला असुरक्षा सहित जिस तरह से हर प्रकार के गंभीर अपराधों की बाढ़ लगातार जारी है उससे स्पष्ट है कि यूपी में कानून का नहीं बल्कि जंगलराज चल रहा है अर्थात् यूपी में कोरोना वायरस से ज्यादा अपराधियों का क्राइम वायरस हावी है। जनता त्रस्त है। सरकार इस ओर ध्यान दे।