कोरोना का कहर कहें या डर कि जनता सामान को जमा करने में लगी है

जैसे –जैसे कोरोना का कहर देश में लोगों के बीच डर बढा रहा है, वैसे- वैसे लोगों में इस बात की चिंता हो रही है। कि अगर कोरोना के बढने का सिलसिला ऐसी ही जारी रहा ,तो देश में मंहगाई बढ सकती है और आवश्यक खाद्य वस्तुओं का टोटा पड सकता है।लोगों के बीच ये बात आम हो चुकी है कि कोरोना कहर और चीनी युद्ध होने की संभावना को लेकर देश में तमाम चीजों की दिकक्त हो सकती है। ऐसे में अब लोगों ने बाजारों से सामान लेकर में घर में जमा करना शुरू कर दिया है।वहीं व्यापारियों ने भी जमा खोरी शुरू कर दी है।इस समय देश के गांवों में ब्रांडेड कंपनियों के सामान और खाद्य पदार्थो का टोटा देखा जा सकता है। तहलका संवाददाता ने उत्तर –प्रदेश, मध्य-प्रदेश और दिल्ली के व्यापारियों से बात की तो उन्होंने बताया कि सरकार के तमाम दावे कर रही है । कि किसी प्रकार की कोई दिक्कत जनता को नहीं होगी । फिर भी जनता सामानों को जमा करने में लगी है। दालों के दामों में बढोत्तरी को लेकर लोगों में ये संदेश साफ गया है कि कोरोना का कहर रूक नहीं रहा है और कहीं फिर से कोई व्यापक स्तर पर लाँकडाउन लागू ना हो जाये। मौजूदा दौर में हालात ये है कि कोई कुछ भी कहे पर आम जन मानस अंदर से हिला है और डरा भी है कि कहीं कोई कोरोना के कारण संकट ना आ जाये ।इस बारे में व्यापारी सुरेश गुप्ता का कहना है कि सरकार की नीतियों में स्पष्टता का अभाव है जिसके कारण देश में चारों ओर असमंजस का वातावरण है कि कहीं कोई महगांई की मार जनता को परेशान में ना डाल दें इसके कारण जनता सामानों को जमा कर रही है। कहीं कोई दो महीनें के लिये तो कोई चार महीनों के लिये । दिल्ली के थोक व्यापारी राकेश यादव का कहना है कि सरकार की नीतियों को लेकर जनता और व्यापारी दोनों ही गुमराह है, क्योंकि सरकार कहती है कि नवम्बर तक  गरीब जनता को अनाज फ्री दिया जायेगा। ऐसे में जनता का एक तबका ये समझता है कि देश में कोरोना का संकट है, तो ऐसे में मध्यम वर्गीय तबका अपने आप को असुरक्षित मानकर अपनी हैसियत के मुताबिक सामान को जमा कर रही है। सबसे चौकानें वाली बात ये सामने आयी है कि रेलों के ना चलने से सामानों का संकट गहराता जा रहा है। व्यापारी कौशल दास का कहना है कि अगर रेलों को अब ना चलाया गया तो वो दिन दूर नहीं जब गांवों में बडी और ब्रांडिड कंपनियों का सामान ना के बराबर देखने को मिलेगा। अभी भी नामी –गिरामी कंपनियों का सामान बाजारों से गायब है। जो एक मंहगांई का कारण बन सकती है।