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शिरडी साईं मंदिर में दर्शन के लिए ड्रेस कोड ‘अनिवार्य’

महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित प्रसिद्ध शिरडी में साईं बाबा मंदिर में भी अब ड्रेस कोड का नियम लागू कर दिया गया है। दरअसल, शिरडी साईं ट्रस्ट को कई सारे श्रद्धालुओं की ओर से शिकायतें मिली थीं कि कुछ भक्त आपत्तिजनक ड्रेस पहनकर पूजा अर्चना के लिए पहुंच रहे हैं।

इसके बाद ट्रस्ट को लगा कि इसके लिए भारतीय परिधान का नियम बनाना चाहिए। हालांकि ट्रस्ट की ओर से कहा गया है कि भक्तों के लिए ड्रेस कोड अनिवार्य नहीं किया गया है, पर उनसे ऐसी ही अपेक्षा की गई है। भक्तों से उम्मीद जताई गई है कि वे शालीन तरीके से भारतीय संस्कृति वाले परिधान में आएं।

मंदिर के ट्रस्टियों ने महज अपील कहा है। मंदिर में ड्रेस को लेकर शिकायतें मिलने के बाद मंदिर प्रांगण में मराठी, हिंदी और अंग्रेजी में बैनर लगाए गए हैं कि लोग भारतीय परिधान में ही दर्शन करने आएं। वहीं, मंदिर प्रबंधकों का कहना है कि मंदिर पवित्र स्थल है, इसलिए हमने श्रद्धालुओं से शालीन पोशाक में या भारतीय संस्कृति वाले परिधान में आने की गुजारिश की है।

बैठक में किसानों ने कृषि कानूनों को ‘डेथ वारंट’ बताते हुए सरकार के समिति के प्रस्ताव को ठुकराया, 3 दिसंबर को चौथे दौर की बैठक

आंदोलनकारी किसानों के साथ बैठक बेनतीजा होती लग रही है। सरकार के तीन मंत्रियों ने एक समिति बनाने का सुझाव रखा जिसमें कृषि विशेषज्ञों, किसानों के अलावा सरकार के भी प्रतिनिधि होंगे। लेकिन जानकारी के मुताबिक किसानों ने इस समिति के सुझाव पर कहा है कि उन्हें समिति में कोई दिलचस्पी नहीं और उन्होंने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है। अलवत्ता उन्होंने मोदी सरकार के कृषि कानूनों को ‘डेथ वारंट’ बताते हुए साफ़ कर दिया है कि आंदोलन जारी रहेगा। साथ ही उन्होंने तीनों कृषि क़ानून वापस लेने और एमएसपी को कानूनी मान्यता देने की मांग पर जोर दिया है। बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा तीन दौर की बातचीत हुयी है और चौथे की 3 दिसंबर को होगी।

‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक मंत्रियों ने किसान प्रतिनिधियों से समिति में शामिल करने के लिए 4-5 नाम मांगे लेकिन किसानों ने समिति के प्रस्ताव को बहुत उत्साह के साथ स्वीकार नहीं किया और इसे खारिज कर दिया है। सरकार ने यह तक कहा कि समिति हर रोज बैठक करके बात कर सकती है। लेकिन किसानों ने मोदी सरकार के कृषि कानूनों को ‘डेथ वारंट’ जैसा बताया है। किसान नेताओं ने बैठक में साफ़ कर दिया है कि उनकी मांगों के हिसाब से नतीजे आने तक आंदोलन रोका नहीं जाएगा।

सरकार की तरफ से पहले इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बात करने वाले थे लेकिन इस मसले पर अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर हुई भाजपा नेताओं की बैठक में कृषि मंत्री के नेतृत्व में बात करने का फैसला हुआ।

भाजपा नेताओं की राय थी कि वरिष्ठ नेताओं को बैठक में भेजने से कहीं यह संदेश न जाए कि सरकार दबाव में हैं, लिहाजा कृषि मंत्री तोमर के साथ दो और मंत्रियों पियूष गोयल और राज्य मंत्री सोमप्रकाश की टीम बनाई गयी। इसका एक और कारण भविष्य में किसी संभावित बैठक के लिए वरिष्ठ मंत्रियों की ऑप्शन बनाये रखना था। सुबह नड्डा के घर हुई इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह दोनों शामिल हुए थे।

अभी तक की जानकारी के मुताबिक सरकार के मंत्रियों ने मामले को खींचने की कोशिश की और समिति बनाने पर जोर दिया लेकिन किसान नेता इसपर बिलकुल सहमत नहीं हुए और उन्होंने कहा कि समिति बनाने का समय तो कब का गुजर चुका है। अब तो फैसला करने का समय है। क़ानून वापस करने और एमएसपी को कानूनी दर्जा देने का समय है।

जेके के बालाकोट सेक्टर में पाकिस्तानी गोलीबारी में बीएसएफ जवान शहीद

जम्मू कश्मीर में बालाकोट सेक्टर में मंगलवार दोपहर पाकिस्तानी गोलीबारी में एक जवान शहीद हो गया। पिछले काफी समय से पाकिस्तान की तरफ से लगातार युद्ध  विराम का उल्लंघन किया जा रहा है।

जानकारी के मुताबिक मंगलवार को बालाकोट सेक्टर में पाकिस्तान की तरफ से गोलीबारी की गयी जिसका भारतीय सेना ने मुहंतोड़ जवाब दिया है। हालांकि, पाकिस्तानी गोलीबारी में बीएसएफ का एक जवान शहीद हो गया है।

हाल के समय में पाकिस्तानी गोलीबारी में भारतीय सेना और सुरक्षा बलों के करीब 15 जवान और नागरिक शहीद हो चुके हैं। अब मंगलवार को फिर पाकिस्तान ने युद्धविराम का उल्लंघन किया और गोलीबारी की।

यह माना जाता है कि सर्दियों में पाकिस्तानी गोलीबारी का मकसद आतंकवादियों की घुसपैठ करवाना भी रहता है। हाल के दिनों में भारतीय सुरक्षा बलों ने इस तरह की घुसपैठ के कई प्रयास असफल करते हुए कई आतंकिओं को मौत के घाट उतारा है।

कांग्रेस छोड़ चुकीं उर्मिला मातोंडकर शिव सेना में शामिल, पार्टी बना सकती है उन्हें विधान परिषद की सदस्य

फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर मंगलवार को शिव सेना में शामिल हो गईं। उर्मिला ने 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था लेकिन हार गयी थीं। बाद में उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी। आज उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में शिवसेना की सदस्यता हासिल कर ली।

उर्मिला के शिव सेना में जाने की अटकलें कुछ दिन से लग रही थीं। उनसे पहले कांग्रेस की ही एक महिला नेता प्रियंका चतुर्वेदी भी कुछ महीने पहले शिव सेना में शामिल हो गयी थीं जो अब राज्य सभा सदस्य हैं। पता चला है कि शिव सेना उर्मिला मातोंडकर को विधान परिषद् में राज्यपाल कोटे से नामित करवा सकती है।

वैसे उर्मिला का राजनीतिक अनुभव बहुत पुराना नहीं है लेकिन वे कांग्रेस के साथ काफी समय से जुड़ी रही हैं। उन्होंने 2019 में कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा था और बाद में पार्टी छोड़ दी थी।

मांतोंडकर ने यह लोकसभा चुनाव मुंबई उत्तरी सीट से कांग्रेस टिकट पर लड़ा था। हार के बाद उर्मिला ने कांग्रेस की मुंबई इकाई के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाए थे। बाद में उर्मिला ने कांग्रेस छोड़ दी थी। हाल में उन्होंने मुंबई की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से करने के लिए सह फिल्म नेत्री कंगना रणौत की कड़ी निंदा की थी।

रिपोर्ट्स के मुताबिक अब शिवसेना उर्मिला को विधान परिषद में ‘एडजस्ट’ कर सकती है। पार्टी ने राज्यपाल बीएस कोश्यारी के पास मांतोंडकर का नाम विधान परिषद में राज्यपाल कोटे से नामित करने की सिफारिश की है। वैसे महाराष्ट्र विधान परिषद् के लिए महाविकास अघाडी ने कुल 12 नाम भेजे हैं, जिनमें एक उर्मिला का भी है।

शहला पर पिता ने ‘देशद्रोही’ होने का लगाया आरोप, बेटी बोली ‘भ्रष्ट हैं’ वो

जेएनयू की छात्र नेता और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट की महासचिव रहीं शहला  रशीद के पिता अब्दुल रशीद शोरा ने उनपर ‘जान से मारने की धमकी’ का आरोप लगाया है। यही नहीं उन्होंने अपनी बेटी के कथित तौर पर ‘देश के खिलाफ गतिविधियों में शामिल’ होने का भी आरोप लगाया है और कहा है कि उनकी बेटी को कथित तौर पर ‘विदेशों से फंडिंग मिलती है’। जवाब में रशीद ने पिता को भ्रष्ट बताते हुए उनपर उनकी मां के ‘उत्पीड़न’ और अन्य गंभीर आरोप लगाए हैं।

शहला रशीद पर उनके पिता के आरोपों के बाद यह मामला गरमा गया है। पिता के आरोपों के बाद शहला ने पिता पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने अपने पिता को ‘भ्रष्ट’ कहा है और एक वीडियो में पिता के लगये आरोपों को ‘पुराना मामला’ बताया है।

शहला ने अपने ट्वीट में लिखा है – ‘मेरे पिता ने मेरी मां बहन और मुझ पर गंभीर आरोप लगाए हैं तो मैं ये साफ कर दूं कि वो पत्नी को पीटने वाले, दूसरों को गालियां देने वाले इंसान हैं।’ शहला ने पिता को भ्रष्ट बताते हुए उनके आरोपों के बाद उन पर कार्रवाई करने का फैसला करने की भी बात कही है।

शहला रशीद ने आगे कहा – ‘ये कोई सियासी मामला नहीं है। ये हमारा पारिवारिक मामला है। जब से माननीय अदालत ने उनके हमारे घर में दाखिल होने पर रोक लगाई है तभी से वो ऐसी हरकतें करते हुए कानूनी प्रक्रिया को भरमाने की कोशिश कर रहे हैं।’

उधर रशीद के पिता अब्दुल रशीद शोरा ने आरोप लगाया है कि उनकी बेटी कथित तौर पर ‘देश के खिलाफ गतिविधियों में शामिल लोगों के साथ मिलकर एक पार्टी बना चुकी है और उसको देश के खिलाफ गतिविधियों में शामिल होने के लिए 3 करोड़ रुपए के रकम की भी पेशकश की गई’। जम्मू-कश्मीर के एक न्यूज पोर्टल ‘न्यूज वायर’ पर एक वीडियो में यह आरोप लगाए हैं। शोरा के आरोप के मुताबिक ‘उनकी बेटी देश के खिलाफ गतिविधियों में शामिल है’ और ‘मेरे घर में राष्ट्र विरोधी गतिविधियां चल रही हैं’। अब्दुल रशीद ने शहला राशिद के खिलाफ जांच की मांग की है और इसके लिए जम्मू और कश्मीर के पुलिस प्रमुख (डीजीपी) को एक लिखित शिकायत की है।

शहला राशिद का ट्वीट –
Shehla Rashid
@Shehla_Rashid
1) Many of you must have come across a video of my biological father making wild allegations against me and my mum & sis. To keep it short and straight, he’s a wife-beater and an abusive, depraved man. We finally decided to act against him, and this stunt is a reaction to that.

हरियाणा में निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने खट्टर सरकार से वापस लिया समर्थन, किसान आंदोलन के साथ गए

हरियाणा में सरकार का समर्थन कर रहे निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने किसानों के मुद्दे पर खट्टर सरकार के रवैये का विरोध करते हुए उससे अपना समर्थन वापस ले लिया है। हरियाणा के चरखी दादरी से विधायक सांगवान भाजपा-जेजेपी सरकार का अभी तक समर्थन कर रहे थे। सांगवान हाल में सरकार से समर्थन वापस लेने वाले बलराज कुंडू के बाद दूसरे विधायक हैं।

अभी तक हरियाणा विधानसभा में भाजपा के 40, कांग्रेस के 31, जेजेपी के 10, निर्दलीय 7 और एक-एक विधायक एचएलपी और आईएनएलडी का है। वहां कुल 90 सदस्य हैं, जिसमें बहुमत के लिए 46 की संख्या जरूरी चाहिए होती है। लिहाजा सरकार के लिए कोई तात्कालिक खतरा सांगवान के फैसले के बाद नहीं दिखता।

हालांकि, सांगवान का जो समर्थन वापसी का पत्र सामने आया है वो ‘माननीय अध्यक्ष महोदय, हरियाणा सरकार’ को कहकर संबोधित किया गया है, न कि विधानसभा विधानसभा अध्यक्ष को। हाँ, सोमबीर सांगवान ने सोमवार को ही हरयाणा पशुधन विकास बोर्ड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।

समर्थन वापसी पर सांगवान ने कहा है कि खट्टर सरकार के साथ के साथ नहीं चल सकते।  सांगवान हाल में सरकार से समर्थन वापस लेने वाले बलराज कुंडू के बाद दूसरे विधायक हैं। उन्होंने खट्टर सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था।

जानकारी मिली है कि सांगवान किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं और वे इस समय दिल्ली में हैं। एक दिन पहले ही खाप के साथ सर्वजातीय बैठक में सांगवान ने यह फैसला किया था।

दिल्ली में आज 32 किसान संगठनों की सरकार से बातचीत, आंदोलन को लेकर उसके बाद ही करेंगे कोई फैसला

हरियाणा-दिल्ली सीमा के सिंघु बार्डर पर अपनी मांगों को लेकर आंदोलन में जुटे हजारों किसानों की आज 3 बजे सरकार से बातचीत होगी। दो दिन पहले ही मन की बात में पीएम मोदी साफ़ कर चुके हैं कि क़ानून किसी सूरत में वापस नहीं लिए जाएंगे। सरकार की तरफ से बातचीत करने वाली टीम की अगुवाई गृह मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे जबकि किसानों का प्रतिनिधित्व उनके 32 संगठनों और किसान संयुक्त मोर्चा के 36 नेता करेंगे। किसानों ने साफ़ कर दिया है कि आंदोलन तभी ख़त्म होगा जब उनकी मांगें मान ली जाएंगी।

सिंघु बार्डर, जहां किसान आंदोलन पर डटे हैं, उन्होंने वहां अपना अस्थाई स्टेज भी बना लिया है। ज्यादातर किसान संगठनों में मुद्दों को लेकर एक राय है। किसानों के 32 संगठनों के नेताओं के अलावा किसान संयुक्त मोर्चा के 4 प्रतिनिधि भी सरकार के साथ बैठक में हिस्सा लेंगे। यह बैठक दिल्ली में विज्ञान भवन में होगी। जबरदस्त ठंड   के बावजूद किसान आंदोलन ख़त्म करने को तैयार नहीं हैं। उनके ज्यादातर प्रतिनिधि यह मान कर चल रहे हैं कि अभी नहीं तो कभी नहीं। उनका कहना है कि अपनी मांगों को मनवाने का यह सबसे बेहतर समय है क्योंकि केंद्र सरकार दबाव में है।

अब से कुछ देर पहले दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर उच्च स्तरीय बैठक शुरू हुई है जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी शामिल हैं। इसमें शाम को होने वाली बैठक को लेकर बातचीत का मसौदा तैयार किया जाएगा क्योंकि पीएम मोदी दो दिन पहले ही यह साफ़ कर चुके हैं कि 3 कृषि क़ानून किसी सूरत में वापस नहीं लिए जाएंगे।

सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के नेताओं को कोविड-19 महामारी और सर्दी का हवाला देते हुए 3 दिसंबर की जगह आज बातचीत का न्योता दिया है। कृषि कानून के खिलाफ जारी प्रदर्शन को देखते हुए केंद्र सरकार ने किसानों से बातचीत का यह न्योता दिया है।

सरकार की तरफ से कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने 32 किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों को पत्र लिख कर आज की बैठक के लिए आमंत्रित किया है। अग्रवाल ने जिन संगठनों को पत्र लिखा है उनमें क्रांतिकारी किसान यूनियन, जम्मुहारी किसान सभा, भारतीाय किसान सभा (दकुदा), कुल हिंद किसान सभा और पंजाब किसान यूनियन शामिल हैं।

उधर दिल्ली की दो सीमाओं पर धरने पर बैठे किसानों का समर्थन करने के लिए पंजाब से और भी किसान दिल्ली के लिए निकल पड़े हैं। किसान संगठनों ने कहा कि अमृतसर क्षेत्र से और भी किसान जो कि गुरु पर्व के लिए रुक गए थे, वो आज आंदोलनस्थल पर पहुंच जाएंगे। प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली में प्रवेश के पांचों रास्ते ब्लॉक करने की धमकी दी हुई है।

किसानों का सिंघु और टीकरी बॉर्डर दोनों जगह शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन जारी है। वहां पंजाब और हरियाणा के किसान लगातार छठे दिन जमा हैं। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से और किसानों के पहुंचने से गाजीपुर सीमा पर प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ गई है। आज की बैठक मैं किसानों की समस्या का हल निकल आएगा इसे लेकर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। किसानों की क़ानून वापस लेने की मांग ऐसी मांग है किसपर कभी सहमत नहीं होगी।

एड्स रोगी अपना रोग ना छिपाये, बल्कि उपचार करवायें

विश्व एड्स दिवस के अवसर पर आज देश भर में कार्यक्रमों का आयोजन किया गया और लोगों को जागरूक किया गया। डाँक्टरों ने बताया कि इस साल कोरोना महामारी के चलते तामाम रोगों की जांच प्रभावित हुई है। लोगों ने इलाज कराने में लापरवाही बरती है।

एम्स के डाँ आलोक कुमार का कहना है कि एड्स एच.आई.वी संक्रमित रोगियों से भेदभावपूर्ण व्यवहार ना करें। देश में एड्स रोग के उपचार को लेकर शासन –प्रशासन सतर्क है। समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से एड्स रोगियों को इलाज के लिये प्रेरित करते रहते है।

इंडियन हार्ट फांउडेशन के चेयरमैन डाँ आर एन कालरा का कहना है कि एड्स रोगी अपनी बीमारी छिपाये नहीं बल्कि समय रहते उपचार करवाये ताकि रोग का सही उपचार हो सकें। उनका कहना है कि एड्स एक दूसरे को छूने से नहीं होता है। साथ खाना खाने से नहीं होता है। उनका कहना है कि कोरोना काल में एड्स रोगियों को अपने स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि लापरवाही घातक हो सकती है। डाँ कालरा का कहना है कि अगर एड्स रोगी अपना इलाज पूरा लेते रहे और परहेज करता रहे है। तो आम लोगों की तरह सामान्य जीवन यापन कर सकता है।

बंगाल में विधानसभा चुनाव में ममता की पार्टी टीएमसी को समर्थन का गोरखा जनमुक्ति मोर्चा का ऐलान

पश्चिम बंगाल में हाल में एक मंत्री के पार्टी छोड़ने के बावजूद अगले साल होने वाले चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी पार्टी टीएमसी को ताकत देने में जुटी हुई हैं। अब सोमवार को गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम, गिरी गुट ) ने भाजपा पर जबरदस्त हमला करते हुए विधानसभा चुनाव में टीएमसी को समर्थन देने का ऐलान किया है।

ममता बनर्जी को जनता से किये वादे पूरे करने वाला नेता बताते हुए गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के नेता रोशन गिरी ने कहा कि प्रदेश की जनता भी चाहती है और हम   मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सत्ता में वापस लेकर आएंगे। गिरी ने आरोप लगाया कि भाजपा ने 2009 से 2020 तक गुट को धोखा दिया और अपने किसी भी वादे पर खरी नहीं उतरी।

रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने कहा कि ममता भाजपा से अलग हैं और वो अपने वादे पूरे करती हैं। गिरी ने कहा – ‘हमने यह तय किया है कि हम भाजपा को हराएंगे। उसने हमें धोखा दिया। भाजपा ने 2009 से 2020 तक हमारी एक भी मांग पूरी नहीं की। हम उत्तर बंगाल में ममता बनर्जी का समर्थन करेंगे। हम उन्हें तीसरी बार सीएम के रूप में देखना चाहते हैं। वह अपने वादे पूरे करती हैं।’

गिरी ने दार्जिलिंग इलाके में एक रैली में कहा – ‘भाजपा सरकारों ने लगातार तीन लोकसभा चुनावों से पहले गोरखाओं को आश्वासन दिया था कि पहाड़ियों में राजनीतिक संकट हल हो जाएगा, लेकिन कुछ भी नहीं किया गया। वास्तव में वे एक स्थायी राजनीतिक समाधान खोजने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं रखते हैं।’

गोरखा जनमुक्ति मोर्चा नेता ने कहा कि गोरखाओं के आने पर केंद्र त्रिपक्षीय वार्ता को एक पूर्वापेक्षा क्यों बनाता है? तेलंगाना, झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड के निर्माण के लिए त्रिपक्षीय वार्ता की आवश्यकता नहीं थी। उन्होंने कहा – ‘भाजपा के कारण गोरखाओं को 15 साल का नुकसान हुआ। अक्टूबर में गोरखा नेता बिमल गुरुंग के नेतृत्व वाले जीजेएम ने एनडीए छोड़ दिया और टीएमसी के साथ गठबंधन कर लिया, उन्होंने कहा कि भाजपा पहाड़ियों के लिए “एक स्थायी समाधान खोजने में विफल रही।’

गोरखा जनमुक्ति मोर्चा नेता ने साफ़ कहा कि वे गोरखालैंड की अपनी मांग नहीं छोड़ रहे हैं और 2024 के लोकसभा चुनाव में उस पार्टी को समर्थन देंगे जो अलग राज्य की हमारी मांग को मानेगी।

राहुल गांधी ने किसानों का समर्थन करते हुए देशवासियों से पूछा, सत्य और असत्य की लड़ाई में आप किसके साथ खड़े हैं?

किसानों को लेकर लगातार मोदी सरकार पर हमला कर रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को केंद्र सरकार पर एक और हमला करते हुए देशवासियों से पूछा कि सत्य और असत्य की लड़ाई में आप किसके साथ खड़े हैं ? अन्नदाता किसान या पीएम के पूंजीपति मित्र? उधर किसानों का आंदोलन लगातार जारी है और वे पूरी ताकत से सिंघु बार्डर पर जमे हुए हैं।

किसान एक तरफ मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लगातार सड़क पर आंदोलन कर रहे हैं। सोमवार को एक बार फिर आंदोलनकारी किसानों के समर्थन में आवाज उठाते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर हमला बोला। राहुल ने  कहा कि ये कानून किसान विरोधी हैं और केंद्र सरकार ने इन कानूनों को किसानों के हित के लिए नहीं अपने कुछ उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के इरादे से बनाया है। ट्वीट में आगे राहुल गांधी ने देशवासियों से पूछा – ‘सत्य और असत्य की लड़ाई में आप किसके साथ खड़े हैं ? अन्नदाता किसान या पीएम के पूंजीपति मित्र ?

एक अन्य वीडियो में कांग्रेस नेता  कहा – ‘किसने आपसे कृषि बिल की मांग की थी।  नाराज किसानों का केंद्र से सवाल ? अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से स्पीक अप फॉर फार्मर्स (#SpeakUpForFarmers) हैशटैग के साथ एक वीडियो जारी कर जनता और कांग्रेस कार्यकर्ताओं का राहुल गांधी ने आह्वान किया कि इन किसानों की मदद के लिए आएं, इन्हें खाना खिलाएं और इनके साथ खड़ा होना चाहिए।

राहुल ने वीडियो में आगे कहा – ‘देश भक्ति देश की शक्ति की रक्षा होती है, देश की शक्ति किसान हैं। सवाल उठता है कि आज किसान सड़कों पर क्यों है, हजारों किलोमीटर से चलकर क्यों आ रहा है? ट्रैफिक क्यों रोक रहा है? नरेंद्र मोदी जी कहते हैं कि ये तीन कानून किसान के हित में हैं। अगर ये कानून किसान के हित में हैं तो किसान इतना गुस्सा क्यों है? किसान खुश क्यों नहीं है?’
इसी वीडियो में कांग्रेस नेता ने आगे कहा – ‘भाईयों-बहनों ये कानून नरेंद्र मोदी के दो-तीन मित्रों के लिए हैं। ये कानून किसान से चोरी करने के कानून है और इसलिए हम सबको मिलकर हिंदुस्तान की शक्ति के साथ खड़ा होना पड़ेगा, किसान के साथ खड़ा होना पड़ेगा। जहां भी ये किसान भाई हैं, वहां जनता को, कांग्रेस कार्यकर्ताओं को निकलकर इनकी मदद करनी चाहिए। इनको भोजन देने चाहिए उनके साथ खड़ा होना चाहिए।’

उधर किसानों का आंदोलन लगातार जारी है और वे पूरी ताकत से सिंघु बार्डर पर जमे हुए हैं। किसानों ने साफ़ कर दिया है कि जब तक मोदी सरकार इन तीन किसान विरोधी कानूनों को वापस नहीं लेती, तब तक उनका आंदोलन चलता रहेगा।

राहुल गांधी का ट्वीट –
Rahul Gandhi
@RahulGandhi
देश का किसान काले कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ ठंड में, अपना घर-खेत छोड़कर दिल्ली तक आ पहुँचा है।
सत्य और असत्य की लड़ाई में आप किसके साथ खड़े हैं-
अन्नदाता किसान
या
PM के पूँजीपति मित्र?
#SpeakUpForFarmers