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नहीं बनना चाहते यूपीए के नये अध्यक्ष 80 के शरद पवार !

कांग्रेस पार्टी की नेतृत्व वाली यूपीए के नये अध्यक्ष के तौर पर शरद पवार के नाम को लेकर जारी अटकलों पर खुद एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने यह कहकर कि इस बाबत मीडिया गलत खबर फैला रही है, रोक लगा दी है।

पवार के 80 वें वर्षगांठ के ऐन कुछ दिन पहले अचानक देश के सियासी हलकों में इसकी चर्चा होने लगी थी कि सोनिया गांधी इस पद से इस्तीफा दे सकती हैं और एनसीपी चीफ शरद पवार को नया अध्यक्ष बनाया जा सकता है।

पवार ने कहा कि अगले कुछ दिनों में किसानों के आंदोलन उग्र होने की संभावना है और उन्होंने केंद्र सरकार से किसानो की सहिष्णुता का अंत नहीं होने देने की अपील की।

इसके पहले शिवसेना के संजय राउत ने गुरुवार को कहा था कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार में देश का नेतृत्व करने के सारे गुण हैं। राउत ने कहा कि पवार के पास बहुत अनुभव है और उन्हें देश के मुद्दों का ज्ञान है तथा वह जनता की नब्ज जानते हैं। उन्होंने कहा, ‘उनके पास राष्ट्र का नेतृत्व करने की पूरी काबिलियत है।’

कांग्रेस को ही मिटाने का एक बड़ा प्लान – निरुपम

इन खबरों के चलते ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय निरुपम बिफर उठे।उन्होंने ट्विटर पर इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी जताई है। निरुपम ने कहा है कि दिल्ली से मुंबई तक राहुल गांधी के खिलाफ जो अभियान चल रहा है, उसी का हिस्सा है, शरद पवार को यूपीए का चेयरमैन बनाने का शिगूफा। उसी अभियान के तहत 23 हस्ताक्षर वाली चिट्ठी लिखी गई थी। फिर राहुल जी के नेतृत्व में कनसिस्टेंसी की कमी ढूंढ़ी गई है। एक बड़ा प्लान है,कांग्रेस को ही मिटाने का।

राजनीति में कुछ भी संभव है – संजय राउत

शरद पवार के खंडन पर संजय राउत का कहना था, ‘अगर शरद पवार यूपीए के अध्यक्ष बन जाते हैं, तो यह हमारे लिए खुशी की बात है। लेकिन मुझे ऐसी कोई संभावना नहीं दिख रही है। शरद पवार ने भी इस खबर का खंडन किया है। शरद पवार महाराष्ट्र और देश के एक महान नेता हैं। हम सभी उनके नेतृत्व में काम कर रहे हैं। अगर शरद पवार ने खुद यह कहा है, तो इस पर चर्चा करना उचित नहीं है।’ हालांकि उन्होंने इस संभावना से इंकार नहीं करते हुए कहा कि राजनीति में कुछ भी संभव है। किसी को नहीं मालूम कि आगे क्या होगा? और अगर ऐसा कोई प्रस्ताव आता है, तो हम इसका समर्थन करेंगे।

इस बीच एनसीपी के मुख्य प्रवक्ता महेश तपासे ने कहा कि एनसीपी स्पष्ट करना चाहती है कि यूपीए के सहयोगियों के साथ इस संदर्भ में कोई चर्चा नहीं हुई है। तपासे ने कहा कि ऐसा लगता है कि मीडिया में चल रही इस तरह की खबरों को जानबूझ कर फैलाया गया है ताकि लोगों का ध्यान किसान आंदोलन से हटाया जा सके।

यूपी के पांच शहर देश में सबसे ज्यादा प्रदूषित

उत्तर भारत में ठंड बढ़ने के साथ ही प्रदूषण का स्तर भी बढ़ने लगा है। सबसे ज्यादा असर यूपी के शहरों में देखने को मिल रहा है। पिछले दिनों जहां दिल्ली-एनसीआर के शहर ज्यादा प्रदूषित रहे। वहीं, शुक्रवार को जारी आंकड़ाें के मुताबिक, शीर्ष सात शहर यूपी के सबसे ज्यादा प्रदूषित पाए गए। इनमें कानपुर पहले तो आगरा दूसरे नंबर पर रहा।

राज्य सरकार और सुप्रीम कोर्ट की सीधी निगरानी में तमाम उपाय अपनाने के बावजूद देश में कानपुर सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर रहा। इसके बाद ताजनगरी आगरा रहा। कानपुर में जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 390 दर्ज किया गया, वहीं ताजनगरी आगरा में एक्यूआई 355 रहा।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जारी सूची के मुताबिक, शुक्रवार को कानपुर देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा, जहां का एक्यूआई दिल्ली-एनसीआर के शहरों से भी अधिक रहा। हालांकि, ताजनगरी की हवा में जहरीली गैसों में कमी दर्ज की गई है, पर धूल कणों की मात्रा सामान्य से 6 गुना तक ज्यादा रही। कानपुर और आगरा के बाद एनसीआर के शहर गाजियाबाद, बुलंदशहर और ग्रेटर नोएडा रहे जहां का एक्यूआई 300 से 400 के बीच रहा। वाराणसी और लखनऊ भी इस श्रेणी में रहे जहां का एक्यूआई क्रमश 313 और 312 रिकॉर्ड किया गया।

अब सरकारी कर्मचारी नहीं पहन सकेंगे जीन्स टी-शर्ट, महाराष्ट्र का नया ड्रेस कोड

महाराष्ट्र में अब सरकारी कर्मचारी दफ्तरों में अपने मनमाफिक कपड़े पहन कर नहीं आ सकेंगे। इस बाबत ड्रेस कोड अब सरकारी कर्मचारियों पर भी लागू कर दिया गया है।

राज्य सरकार ने कार्यालयों में कर्मचारी क्या और कैसे कपड़े पहनेंगे, इस बारे में निर्देश जारी किए हैं। सरकार का मानना है कि सरकारी दफ्तर में काम करने वाले अधिकारियों का ड्रेस कोड ऐसा होना चाहिए जिससे उनकी छवि अच्छी बने।

सरकार की ओर से सभी सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अच्छा व्यवहार करें और एक अच्छा व्यक्तित्व बनाए रखें। यदि अधिकारी और कर्मचारियों का ड्रेस कोड अशोभनीय और अस्वच्छ है, तो इससे उनके संपूर्ण प्रदर्शन पर अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है।

ड्रेस कोड के अनुसार सरकारी कर्मचारी

1) रंगीन नक्काशी / चित्रों वाले गहरे रंग के कपड़े न पहनें। साथ ही, सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को कार्यालय में जींस टी-शर्ट नहीं पहननी चाहिए।

2) खादी को बढ़ावा देने के लिए, सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को सप्ताह में एक बार (शुक्रवार) खादी पहननी चाहिए।

3) महिला अधिकारियों और कर्मचारियों को कार्यालय में सैंडल, जूते का उपयोग करना चाहिए और पुरुष अधिकारियों और कर्मचारियों को जूते, सैंडल का उपयोग करना चाहिए।

4) कार्यालय में चप्पल का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए

5) सभी अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा पहनी जाने वाली पोशाक साफ-सुथरी होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, महिला कर्मचारियों को साड़ी, सलवार / चूड़ीदार कुर्ता, ट्राउजर पैंट और कुर्ता या शर्ट पहननी चाहिए, साथ ही आवश्यकता पड़ने पर दुपट्टा भी। पुरुष कर्मचारियों को शर्ट, पैंट / पतलून पहननी चाहिए।

6) इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि पहनी गई पोशाख साफ और सुव्यवस्थित हो।

किसान आंदोलन पर अन्ना की सरकार को चेतावनी मांगें न मानीं तो करेंगे जनआंदोलन

वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर किसानों की मांगें पूरी नहीं हुई तो वह केंद्र सरकार के खिलाफ किसानों के समर्थन में जनआंदोलन शुरू कर देंगे।

अन्ना ने कहा, ‘लोकपाल आंदोलन ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार को हिला कर रख दिया था। मैं किसानों के विरोध प्रदर्शनों को उसी तरह देख रहा हूं।अगर सरकार किसानों की मांगों को नहीं मानती, तो मैं एक बार फिर ‘जन आंदोलन’ के लिए बैठूंगा, जो लोकपाल आंदोलन के समान होगा।’

देश में किसानों की अहम भूमिका का जिक्र करते हुए अन्ना का कहना था कि ऐसे किसी भी देश में किसान के खिलाफ कानून को मंजूरी नहीं दी जा सकती है, जो कृषि पर निर्भर है। अगर सरकार ऐसा करती है, तो इसके खिलाफ आंदोलन जरूरी है।

गौरतलब है कि भारत बंद के दिन, अन्ना ने अपने गांव रालेगण-सिद्धि में किसानों के समर्थन में एक दिन का उपवास भी किया था।

मिश्रितपैथी के खिलाफ आईएमए का विरोध -प्रदर्शन

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आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी करने की अनुमति मिलने के बाद से देश भर के एलोपैथ डाक्टरों में सरकार के इस फैसले से रोष है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के तत्वावधान में आज डाक्टर्स सुबह 6 बजे से ओपीडी सेवायें बंद कर विरोध प्रदर्शन कर रहे है। प्रदर्शन कारी डाक्टरों का कहना है, कि सरकार आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी करने की अनुमति दे दी है। सरकार मिश्रितपैथी को जन्म दे रही है। इससे चिकित्सा के क्षेत्र में खतरा पैदा हो जायेगा।

आईएमए के अध्यक्ष डाँ राजन शर्मा व डीएमसी के उपाध्यक्ष डाँ नरेश चावला ने तहलका संवाददाता को बताया कि कोरोनाकाल चल रहा है। कोरोना रोगियों किसी भी प्रकार की परेशानी हो उसके लिये कोविड-19 से जुड़ी सेवायें सुचारू रहेगी। लेकिन सामान्य रोगियों के लिये सरकारी और निजी सेवायें वाधित रखी है।डाँ नरेश चावला का कहना है कि एलोपैथ ,आयुर्वेद और होम्योपैथ चिकित्सा प्रणाली में इलाज करने और पढ़ने में जमीन –आसमान का अंतर है। ऐसे में एलोपैथ की तरह अन्य पैथियों के पढ़े छात्र और डाँक्टर्स कैसे इलाज कर सकते है।ईएनटी रोग विशेषज्ञ डाँ महेन्द्र तनेजा का कहना है कि सरकार ने तामाम पहलुओं को समझें बिना ही मिश्रितपैथी को बढ़ावा दे रही है। इससे डाँक्टरों को रोगियों का इलाज करने में दिक्कत होगी और रोगी को कराने में, उनका कहना है कि सरकार को इस मामले पुनः विचार करने की आवश्यकता है।

हज-2021 के लिए अब कर सकेंगे 10 जनवरी तक आवेदन

हज-2021 के लिए किए जाने वाले आवेदन की अंतिम तिथि अब बढ़कर 10 जनवरी हो गई है। अल्संख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने हज यात्रा 2021 के लिए बैठक आयोजित की। इस दौरान देशभर के  अलग-अलग हज रवानगी केंद्रों पर प्रति यात्री खर्च भी कम करने पर चर्चा की गई।

हज कमेटी की बैठक की अध्यक्षता नकवी ने की। बैठक के बाद उन्होंने बताया कि 10 दिसंबर को हज के लिए आवेदन करने की अंतिम थी, जिसे बढ़ाकर 10 जनवरी 2021 कर दिया गया है। नकवी ने बताया कि अब तक करीब 40 हजार आवेदन मिल चुके हैं। इनमें से 500 अधिक आवेदन मेहरम (पुरुष सहयात्री) के बगैर यात्रा करने वाली महिलाओं के हैं। पिछले साल ऐसी 2100 महिलाओं ने हज यात्रा के लिए आवेदन किया था। इस साल की यात्रा के लिए भी ऐसे सभी आवेदन मान्य रहेंगे। इस वर्ग की महिलाओं को लॉटरी सिस्टम से बाहर रखा जाएगा।

हज यात्रा के लिए इस बार ऑनलाइन, ऑफलाइन और हज मोबाइल एप के जरिये आवेदन की सुविधा दी गई है। मंत्री ने बताया कि सऊदी अरब से चर्चा करने और फीडबैक मिलने के बाद अलग-अलग हज केंद्रों से प्रति यात्री अनुमानित खर्च कम कर दिया गया है। अहमदाबाद और मुंबई से प्रति यात्री हज यात्रा के लिए अब अनुमानित खर्च 3.30 लाख रुपये, बंगलूरू, लखनऊ, दिल्ली और हैदराबाद से 3.30 लाख रुपये, कोच्चि और श्रीनगर से 3.60 लाख रुपये, कोलकाता से 3.70 लाख रुपये तथा गुवाहाटी से 4 लाख रुपये प्रति यात्री तय किया गया है। यात्रा के दौरान कोविड-19 के अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन करना जरूरी होगा।

‘केंद्र करे सर्जिकल स्ट्राइक’, किसान आंदोलन को चीन-पाकिस्तान के साथ जोड़ने पर भड़के संजय राउत

शिवसेना सांसद संजय राउत ने केंद्रीय राज्य मंत्री और भाजपा नेता रावसाहेब दानवे के किसान आंदोलन को चीन-पाकिस्तान के साथ जोड़ने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए सरकार से सबूत की मांग की है। इतना ही नहीं, राउत ने केंद्र से सर्जिकल स्ट्राइक की भी मांग की है।

केंद्रीय राज्य मंत्री और भाजपा नेता रावसाहेब दानवे ने दावा किया है कि किसान आंदोलन एक विदेशी साजिश है और इसके पीछे चीन और पाकिस्तान है। दानवे ने यह भी कहा था कि यह किसानों का आंदोलन नहीं है। इस पर राउत ने कहा कि यदि कोई केंद्रीय मंत्री ऐसी जानकारी देता है, तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को तुरंत चीन और पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक शुरू कर देना चाहिए।

अगर बाहरी ताकतें हमारे देश में अस्थिरता और अशांति पैदा कर रही हैं, तो एक देशभक्त दल के तौर पर, शिवसेना इस बयान को बहुत गंभीरता से ले रही है।

राउत ने कहा, ‘रक्षा मंत्री, गृह मंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और तीनों सेनाओं के प्रमुखों को गंभीरता से सोचना चाहिए और तुरंत चीन-पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक शुरू करना चाहिए।’

राउत ने कहा, ‘सारा देश चिंतित है कि लाखों किसान सिंघू सीमा पर लड़ रहे हैं। अगर सरकार वास्तव में कोई समाधान निकालना चाहती है, तो वह आगे बढ़ेगी। लेकिन ज्यादातर समय, सरकार इस मुद्दे को लटकाए रखना चाहती है। महाराष्ट्र, पंजाब और अन्य सभी किसानों की समस्याएं समान हैं। अगर सरकार कानून और कृषि कानून में कुछ बदलाव चाहती है, तो इसकी शुरुआत भाजपा शासित राज्यों से होनी चाहिए। वहां प्रयोग करें, देखें कि क्या होता है, और फिर अन्य राज्य इसे स्वीकार करेंगे। शायद पंजाब भी इसे स्वीकार कर ले।’
रावसाहेब दानवे ने क्या कहा था
किसानों का आंदोलन नहीं है। इसके पीछे चीन और पाकिस्तान का हाथ है। इससे पहले देश में , मुस्लिम समुदाय का गुमराह किया गया और बताया गया कि मुसलमानों को सीएए और एनआरसी के कारण देश छोड़ना पड़ेगा। क्या कोई मुस्लिम बाहर गया है? अब किसानों से कहा जा रहा है कि सरकार आपको नुकसान में डाल रही है। यह एक विदेशी साजिश है। हमारे देश के किसानों को इस बारे में सोचना चाहिए।

नए संसद भवन का शिल्यान्यास किया पीएम मोदी ने

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को नई दिल्ली में नए संसद भवन का विधिपूर्वक शिलान्यास और भूमि पूजन  सर्वधर्म प्रार्थना के साथ किया। करीब 971 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला नया संसद भवन आने वाले सौ सालों की जरूरतों के हिसाब से बनाया गया है। यह संसद भवन अक्टूबर 2022 तक पूरा होगा और संभावना है कि उस साल का शीतकालीन सत्र नए संसद भवन में होगा।

नया संसद भवन अत्याधुनिक, तकनीकी सुविधाओं से युक्त होगा और इसमें सोलर सिस्टम से ऊर्जा बचत भी होगी। नई लोकसभा मौजूदा आकार से तीन गुना बड़ी होगी और राज्यसभा के आकार में भी वृद्धि की गई है। ये नया संसद भवन न केवल पुराने भवन से बड़ा होगा, बल्कि इसका आकार भी गोल न होकर त्रिभुजाकार होगा। भवन को अक्टूबर 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य है ताकि देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर इसी भवन में सत्र का आयोजन हो। नए संसद भवन में लोकसभा का आकार मौजूदा से तीन गुना होगा।

पुराने संसद भवन की तुलना में इसमें ज्यादा कमेटी रूम और पार्टी दफ्तर होंगे।  इसमें राज्यसभा का भी आकार बढ़ेगा। कुल 64,500 वर्गमीटर क्षेत्र में नए संसद भवन का निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लि. की ओर से कराया जाएगा। नए संसद भवन की डिजाइन एचसीपी डिजाइन प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने तैयार की है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, टाटा ट्रस्ट के अध्यक्ष रतन टाटा, केंद्रीय मंत्री एचएस पुरी, राज्य सभा के उप सभापति हरिवंश सहित कई केंद्रीय मंत्री, बड़ी संख्या में सांसद और कई देशों के राजदूत इस ऐतिहासिक अवसर के गवाह बने।

वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भूमि पूजन कार्यक्रम आरंभ हुआ और इसके संपन्न होने के बाद शुभ मुहुर्त में प्रधानमंत्री ने परम्परागत विधि विधान और भूमि पूजन करने के साथ ही नये संसद भवन की आधारशिला रखी। नए संसद भवन के शिलान्यास समारोह में विभिन्न धर्मगुरुओं ने ‘सर्व धर्म प्रार्थना’ की।

राहुल गांधी सहित विपक्षी नेता किसान मुद्दों पर राष्ट्रपति से मिले, ज्ञापन सौंपा

कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित विपक्ष के कुछ नेता आज शाम किसानों के आंदोलन के मद्देनजर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिले। विपक्षी नेताओं ने एक ज्ञापन भी राष्‍ट्रपति को सौंपा है जिसमें कहा गया है कि सरकार बिना पर्याप्‍त चर्चा के ये कानून लाई है, लिहाजा इन्‍हें वापस लिया जाए। राष्ट्रपति से मिले विपक्षी प्रतिनिधिमंडल में गांधी के अलावा राकांपा प्रमुख शरद पवार, माकपा नेता सीताराम येचुरी, भाकपा महासचिव डी राजा आदि शामिल थे।

किसानों के मसले पर ट्वीटर पर लगातार सक्रिय राहुल गांधी बुद्धवार को अन्य विपक्षी नेताओं का नेतृत्व करते दिखे। वह विपक्षी नेताओं के उस प्रतिनिधिमंडल का हिस्‍सा थे जिसने राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। बैठक के बाद राहुल ने कहा – ‘हमने राष्‍ट्रपति को बताया कि यह बेहद जरूरी है कि ये किसान विरोधी कानून वापस लिए जाएं। एक ज्ञापन भी राष्‍ट्रपति को सौंपा। सरकार बिना पर्याप्‍त चर्चा के ये कानून लाई है, ऐसे में इन्‍हें वापस लिया जाए।’

राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने कहा – ‘किसान ने इस देश की नींव रखी है और वो दिनभर इस देश के लिए काम करते हैं। ये बिल किसान विरोधी हैं। प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि ये बिल किसानों के हित में हैं। अगर किसानों के हित में है, तो फिर किसान सड़कों पर क्यों हैं? इन बिलों का उद्देश्य हिंदुस्तान की कृषि व्यवस्था को प्रधानमंत्री के मित्रों के हवाले करने का है। किसान इस बात को बहुत अच्छी तरह से समझ गए हैं।’

राहुल गांधी ने कहा – ‘किसान की शक्ति के सामने कोई नहीं टिक सकता। भाजपा सरकार को गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि किसान डर जाएंगे, पीछे हट जाएंगे। बिलों के रद्द होने तक किसान न डरेगा और न ही पीछे हटेगा।’

पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, टीआर बालू, भाकपा के महासचिव डी राजा और येचुरी शामिल रहे। येचुरी ने इस मौके पर कहा कि हमने राष्ट्रपति को ज्ञापन दिया है। ‘हमने कृषि कानूनों और बिजली संशोधन बिल को वापस लेने के लिए कहा है।’

इस बीच राहुल गांधी ने आज नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत के मंगलवार के एक विवादित ब्यान जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘देश में कुछ ज्‍यादा ही लोकतंत्र है, जिसके कारण यहां कड़े सुधारों को लागू करना कठिन होता है’ को लेकर राहुल ने आज हमला बोला। गांधी ने उनका ब्यान लेते हुए ट्विटर पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में सुधार, चोरी के जैसा है। गांधी ने ट्वीट किमें कहा – ‘श्रीमान मोदी के कार्यकाल में सुधार, चोरी के जैसा है। इसलिए वे लोकतंत्र से छुटकारा पाना चाहते हैं।’

किसानों ने सरकार के प्रस्ताव खारिज किए, 14 दिसंबर को देशव्यापी प्रदर्शन

मोदी सरकार को बड़ा झटका देते हुए आंदोलनकारी किसानों ने शाम को भेजे सरकार के प्रस्ताव ठुकराते हुए आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया है। किसान  नेताओं ने अब से कुछ देर पहले एक प्रेस कांफ्रेंस में इसका ऐलान किया। उन्होंने साफ़ कहा कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने से कम किसी चीज पर समझौता नहीं होगा। साथ ही 14 दिसंबर को देशव्यापी प्रदर्शन किया जाएगा। किसान नेताओं ने यह भी ऐलान किया है कि भाजपा से जुड़े मंत्रियों का घेराव किया जाएगा।

कृषि कानूनों को लेकर सरकार की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव को किसान संगठनों ने खारिज कर दिया है। किसान संगठनों ने कहा कि हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा। किसान नेताओं ने कहा कि दोबारा प्रस्ताव आएगा तो हम उसपर विचार करेंगे। कहा कि पूरे देश में आंदोलन तेज करेंगे और 14 दिसंबर को पूरे देश में धरना प्रदर्शन होगा। भाजपा के मंत्रियों का घेराव करेंगे और 12 दिसंबर तक जयपुर-दिल्ली हाईवे सील रहेगा। दिल्ली की सड़कों को जाम करेंगे और 12 दिसंबर तक टोल प्लाजा को फ्री करेंगे। कानून रद्द किए जाने तक जंग जारी रहेगी। इसके अलावा उन्होंने सभी जियो उत्पादों का बायकाट करने का भी फैसला किया है।

शाम को किसान संगठनों के एक प्रतिनिधि समूह को सरकार की ओर से एक मसौदा प्रस्ताव 13 कृषक संगठन नेताओं को भेजा गया जिनमें बीकेयू (एकता उगराहन) के जोगिंदर सिंह उगराहन भी शामिल हैं। यह संगठन करीब 40 आंदोलनकारी संगठनों में से सबसे बड़े संगठनों में शामिल है। प्रस्ताव मिलने के बाद किसान संगठनों ने बैठक की और बाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर किसान संगठनों ने आगे के रुख की जानकारी दी। गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार की रात 13 संगठन नेताओं से मुलाकात के बाद कहा था कि सरकार किसानों द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण मुद्दों पर एक मसौदा प्रस्ताव भेजेगी। किसान नेता कृषि कानूनों को वापस लेने पर जोर दे रहे हैं।

सरकार और कृषि संगठन के नेताओं के बीच छठे दौर की वार्ता बुधवार की सुबह भी प्रस्तावित थी, जिसे रद्द कर दिया गया था। मसौदा प्रस्ताव कृषि मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने भेजा। दिन भर सरकार की तरफ से किसान नेताओं के आंदोलन को किसी भी तरह ख़त्म करवाने की योजनाओं पर काम चलता रहा। शाम को एक प्रस्ताव सरकार की तरफ से किसानों को भेजा गया। इस प्रस्ताव पर किसान नेताओं ने चर्चा की और घोषणा की कि उन्हें यह प्रस्ताव किसी भी सूरत में पसंद नहीं हैं।

किसान नेताओं ने साफ़ कर दिया है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने से कम किसी चीज पर समझौता नहीं होगा। साथ ही 14 दिसंबर को देशव्यापी प्रदर्शन किया जाएगा। किसान नेताओं ने यह भी ऐलान किया है कि भाजपा से जुड़े मंत्रियों का घेराव किया जाएगा। किसानों का यह फैसला मोदी सरकार के लिए बड़ा झटका है क्योंकि पिछले दो दिन से खुद गृह मंत्री अमित शाह इसमें सक्रियता दिखा रहे हैं।

अब संभावना यही है कि किसान आंदोलन तेज होगा। केंद्र सरकार से प्रस्ताव मिलने के बाद किसान नेताओं ने इस पर विचार किया,  जिसके बाद किसान नेताओं की बैठक हुई और इस बैठक में ये फैसला लिया गया कि सरकार का ये प्रस्ताव किसानों को मंजूर नहीं है। सरकार ने एमएसपी पर लिखित में देने का आश्वासन दिया था, लेकिन किसानों के नेताओं ने सरकार के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया।

केंद्र सरकार कृषि कानून में 5 संशोधन करने का प्रस्ताव रखा था। सरकार किसानों को ये गारंटी देने के लिए तैयार थी कि एमएसपी खत्म नहीं होगा और एमएसपी पर  किसानों के मुताबिक कुछ बदलाव संभव हैं। सरकार ने मंडी सिस्टम बेहतर करने का भी भरोसा दिया था। सरकार ने ये भी कहा था कि किसानों को कोर्ट जाने का अधिकार मिलेगा। सरकार कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कानून में संशोधन और निजी कंपनियों पर कुछ टैक्स लगाने की भी बात को सहमत थी।

आज बॉलीवुड अभिनेत्री गुल पनाग भी किसानों के समर्थन में सिंघु बॉर्डर पहुचीं और उन्होंने किसानों हौसला बढ़ाया। पनाग एक सेना अधिकारी की बेटी हैं।