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दिल्ली में 10वीं, 12वीं के लिए 18 से खुलेंगे स्कूल, अभिवावकों की मंजूरी लेनी होगी आवश्यक  

राजधानी दिल्ली में इसी महीने स्‍कूल खोल दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को 18 जनवरी से काफी शर्तों के साथ 10वीं और 12वीं जमात के छात्रों के लिए स्‍कूल खोलने की मंजूरी दी है। हालांकि, साथ ही कहा है कि इसके लिए पेरेंट्स की मंजूरी होनी चाहिए।

दिल्ली सरकार के आज जारी सर्कुलर में कहा गया है कि सरकारी और निजी स्‍कूल खुलेंगे लेकिन सिर्फ कक्षा 10 और 12 के छात्रों के लिए। उसके लिए भी पेरेंट्स की मंजूरी जरूरी होगी। एक स्‍टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) जारी किया गया है जिसका पालन सभी स्‍कूलों को करना होगा। कौन बच्‍चे स्‍कूल आ रहे हैं, इसका रिकॉर्ड रखना होगा यकीन इसे हाजिरी के‍ लिए इस्‍तेमाल नहीं किया जाएगा।

इस एसओपी के मुताबिक, स्‍कूल परिसर में कोरोना के लक्षण वाले किसी बच्‍चे या स्‍टाफ सदस्य को आने की इजाजत नहीं होगी। प्रवेश द्वार पर थर्मल स्‍क्रीनिंग अनिवार्य होगी। स्‍कूल के एंट्रेस, क्‍लासरूम, लैब्‍स और पब्लिक यूटिलिटी वाली जगहों पर हैंड सैनिटाइजेशन का इंतजाम अनिवार्य है। केवल कंटेनमेंट जोन के बाहर केू स्‍कूल ही खुलेंगे। इसके अलावा, कंटेनमेंट जोन में रहने वाला कोई भी शख्‍स स्‍कूल नहीं आ सकेगा। क्‍लासेज और लैब्‍स में इंतजाम इस तरह से करना होगा कि कोविड की गाइडलाइन टूटने न पाए। स्‍टाफ को भी टाइम टेबल के हिसाब से बुलाया जा सकता है।

सीबीएसई की अधिसूचना के मुताबिक, प्रैक्टिकल्‍स/प्रॉजेक्ट्स/इंटरनल असेंसमेंट्स वगैरह पहली मार्च से थ्यूरी परीक्षा के अंतिम दिन तक होंगे। ऐसे में स्‍कूलों को सलाह दी गई है कि बोर्ड परीक्षाओं से पहले ही ये असेंसमेंट करा लें। प्री-बोर्ड एग्‍जाम 20 मार्च से 15 अप्रैल के बीच कराए जा सकते हैं। इंटरनल ग्रेड्स का असेसमेंट भी बोर्ड परीक्षाओं की शुरुआत से पहले हो जाए। दिल्ली में सीबीएसई परीक्षाओं और प्रैक्टिकल के मद्देनजर यह अनुमति प्रैक्टिकल, प्रॉजेक्‍ट, काउंसिलिंग आदि के लिए दी जा रही है।

पंजाब की कांग्रेस सरकार ने कहा, मुफ्त में लगाएंगे लोगों को वैक्सीन

बंगाल सरकार के बाद अब बुधवार को पंजाब की कांग्रेस सरकार ने घोषणा की है कि राज्य के सभी नागरिकों को कोरोना वैक्सीन मुफ्त में दी जाएगी। पंजाब सरकार ने पहले दौर से ही सभी आम और खास नागरिकों को वैक्सीन की खुराक देने का ऐलान किया है। उधर दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने कहा है कि यदि केंद्र सरकार मुफ्त में वैक्सीन नहीं देती है तो वह भी दिल्ली के लोगों को मुफ्त में वैक्सीन देगी।

केंद्र ने देश के सभी नागरिकों को मुफ्त वैक्सीन देने का ऐलान नहीं किया है। उसने पहले दौर के लिए जिन 3 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने का फैसला किया है, उनमें  स्वास्थ्यकर्मी, सुरक्षाबल और 50 साल से अधिक उम्र के ऐसे लोग शामिल हैं, जो कोरोना से ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं।

पंजाब सरकार के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिद्धू ने आज कहा कि सूबे में सभी लोगों को कोरोना का टीका लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य में कोरोना वैक्सीन की 2.40 लाख डोज आ चुकी हैं। ये न सिर्फ सरकारी कर्मचारियों को लगाए जाएंगे, बल्कि सरकारी अस्पतालों में जो भी लोग आएंगे, उन्हें भी वैक्सीन लगाई जाएगी।

उधर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज कहा कि अगर केंद्र सरकार कोरोना की वैक्सीन फ्री में उपलब्ध नहीं कराएगी तो दिल्ली सरकार लोगों को मुफ्त में टीका लगाएगी। केजरीवाल ने कहा कि उन्हें खुशी है कि 16 जनवरी से दिल्ली में वैक्सीन लगनी शुरू हो जाएगी। ‘मैंने केंद्र सरकार से अपील की थी कि पूरे देश में सभी लोगों को मुफ्त में वैक्सीन दी जाए। हम देखते हैं कि वो इस पर क्या फैसला लेते हैं। अगर केंद्र सरकार मुफ्त में नहीं करती है तो जरूरत पड़ने पर हम लोग दिल्ली के लिए ये वैक्सीन मुफ्त में उपलब्ध करवाएंगे।’

हमारी मांग तीनों क़ानून रद्द करने की, आंदोलन ख़त्म नहीं होगा : टिकैत

सर्वोच्च न्यायालय के मंगलवार को तीन कृषि कानूनों पर अगले आदेश तक रोक के फैसले के बाद पहली प्रतिक्रिया में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने साफ़ किया है कि किसानों की मांग तीनों कानूनों को रद्द करने की है और वो इससे कम में कुछ नहीं मानेंगे। उन्होंने कहा कि हमारा आंदोलन जारी रहेगा। टिकैत ने कहा कि हमारी मांग कमिटी बनाने की नहीं थी।
टिकैत ने अब से कुछ देर पहले कहा कि माननीय सुप्रीमकोर्ट ने किसानों के प्रति जो सकारात्मक रुख दिखाया है, उसके लिये हम सर्वोच्च अदालत का आभार व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों की मांग कानून को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने की है। जब तक यह मांग पूरी नही होती तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
टिकैत ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का परीक्षण कर कल संयुक्त मोर्चा आगे की रणनीति की घोषणा करेगा। टिकैत ने कहा कि हमारी मांग कमिटी बनाने की नहीं थी। उन्होंने कहा कि हम कमिटी के पास संभवता नहीं जायेंगे।
उधर सिंघू बार्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की कानूनों पर रोक का कोई फायदा नहीं है क्योंकि यह सरकार का एक तरीका है कि हमारा आंदोलन बंद हो जाए। यह सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है यह सरकार का काम था, संसद का काम था और संसद इसे वापस ले। जब तक संसद में ये वापस नहीं होंगे हमारा संघर्ष जारी रहेगा।

सुप्रीम कोर्ट की मोदी सरकार के कृषि कानूनों पर अगले आदेश तक रोक, कमिटी भी गठित

किसान आंदोलन पर सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक बड़े अंतरिम फैसले में मोदी सरकार के तीनों कृषि कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। साथ ही इस मसले पर चर्चा के लिए सर्वोच्च अदालत ने चार सदस्यीय कमिटी का गठन कर दिया है जिसमें भूपेंद्र सिंह मान, प्रमोद जोशी, अशोक गुलाटी और अनिल धनवंत को शामिल किया है।

किसान दोपहर बाद इस मसले पर बैठक करके अपनी राय रखेंगे। हालांकि, अब लग रहा है कि वे अपना आंदोलन स्थगित कर सकते हैं। उधर कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, जो भोपाल में हैं, इस फैसले के बाद दिल्ली वापस लौट रहे हैं। इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है।

सर्वोच्च अदालत ने आज कहा कि किन प्रावधानों को हटाया जाए, इसपर कमिटी काम करेगी। शक्तियों का इस्तेमाल करके हमें कानूनों को निलंबित करना होगा।अभी तक सरकार का यही रुख रहा है कि वह कानूनों को किसी भी सूरत में वापस  नहीं लेगी। देश की सबसे बड़ी अदालत ने मंगलवार को कहा कि कमिटी अपने लिए बना रहे हैं।

यह कमिटी यह तय करेगी कि कानूनों में से क्या चीजें हटाई जानी चाहियें। कमिटी की रिपोर्ट के बाद इसपर आदेश देंगे। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि कमिटी के समक्ष कोई भी जा सकता है। समस्या को बेहतर तरीके से हल करने की हम कोशिश कर रहे हैं।

कल ही ऐसा माना जा रहा था कि सुप्रीम कोर्ट इस मसले पर एक कमिटी बना सकता है जो इसका हल तलाशने की कोशिश करेगी। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने यह अंतरिम फैसला सुनाया।

प्रधान न्यायधीश ने कहा कि हम आंदोलन से प्रभावित लोगों के जीवन, संपत्ति से चिंतित हैं। हम चाहते हैं कि ज़मीनी हकीकत जानने के लिए कमिटी बने। अदालत ने कहा कमिटी बनाने से हमें कोई नहीं रोक सकता।

इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन पर कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि आपने इस मामले को सही से हैंडल नहीं किया। कोर्ट ने सरकार से कहा था कि आप कानून के अमल पर रोक लगाइए अन्यथा हम लगा देंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी कहा था कि कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध का शीघ्र हल निकलना चाहिए। कोर्ट ने सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत को प्रोत्साहित भी किया था। ऐसे में इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि आज सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले में एक कमिटी बनाने का निर्देश दे सकता है जो इस मसले का हल निकाल सके।

इस बीच केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। सरकार ने इसमें कहा है कि कृषि कानूनों को जल्दी में पास नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह जाहिर करने की कोशिश की गई कि कानून जल्दी में पास किया गया है, जबकि ऐसा नहीं है। सरकार ने कहा कि इन कानूनों के लिए दो दशक से बात चल रही थी। ये ‘किसान मित्र’ कानून हैं। केंद्र ने कहा कि देश भर के किसान इस कानून से खुश हैं, क्योंकि उन्हें ज्यादा विकल्प दिया गया है और उनका कोई अधिकार नहीं लिया गया है। किसानों के साथ लगातार गतिरोध खत्म करने की कोशिश की गई है।

उधर दिल्ली के सिंघु बॉर्डर सहित अलग-अलग जगहों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को 48वां दिन है। किसानों का रुख बेहद साफ है, वे किसी भी हालत में पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। किसान अब भी तीनों नए कृषि कानून को वापस कराने पर अड़े हुए हैं। किसान नेताओं का कहना है कि जब तक कानून वापस नहीं होता, वे मुड़कर पीछे नहीं देखेंगे।

सातवें दौर की बातचीत के समय भी किसानों के इस रुख के कारण सरकार और किसान संगठनों के बीच नोकझोंक की भी बात सामने आई थी। किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने हमसे बातचीत में आरोप लगाया कि सरकार इस आंदोलन को कमजोर करने के अलग-अलग हथकंडे अपना रही है, लेकिन हम उनके मंसूबों को कामयाब नहीं होने देंगे। हम यहां शांतिपूर्ण तरीके से अपना आंदोलन कर रहे हैं। अपनी लड़ाई जीतकर आगे जाएंगे। किसान पूरी तरह एकजुट हो चुके हैं और उनका आंदोलन यहीं नहीं रुकेगा।

कोरोना, बर्ड फ्लू की तरह सर्दी में बी-पी का रखें ध्यान

कोरोना और बर्ड फ्लू के कहर के साथ- साथ इस कड़कड़ाती सर्दी में हाई बी -पी, ना हो सकें उस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। ये जानकारी कार्डियोलाँजिस्ट 2021 के सेमिनार में इंडियन हार्ट फाउंडेशन के चेयरमैन डाँ आर एन कालरा ने दी। उन्होंने बताया कि सर्दी के मौसम में हार्ट अटैक की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है।क्योंकि सर्दी के मौसम में हार्ट आर्टरी सिकुड़ने से शरीर में रक्त का संचार सही तरीके से नहीं हो पाता है। जिससे हार्ट को ज्यादा मेहनत करनी होती । जो हार्ट अटैक का कारण बनता है।

मैक्स अस्पताल के कैथ लैब के डायरेक्टर डाँ विवेका कुमार ने बताया कि खान पान में तलीय पदार्थो का सेवन करने से कोलेस्टाँल बढ़ता है। सर्दियों में रक्त में जमने की शिकायतें ज्यादा आती है। जिससे क्लाँट बनने का खतरा ज्यादा रहता है। इसके कारण हार्ट अटैक की शिकायतें आती है। डाँ विवेका कुमार का कहना है कि देश में कोरोना के साथ बर्ड फ्लू का कहर लोगों को डरा रहा है। ऐसे में मटन और चिकन खाने के शौकीन हो सकें तो इन दिनों मीट का सेवन कम करें और करें तो अच्छी तरह से पका हुआ मीट खायेँ।  संक्रमित एरिया में जाने से बचें। मुंह में मास्क लगाकर रखें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। अफवाहों पर ध्यान ना दें।

आखिरी टेस्ट से पहले भारत के लिए संकट; जडेजा बाहर हुए, बुमराह की चोट समस्या बनी

ऋषभ पंत, पुजारा, आर आश्विन और हनुमा बिहारी की जिम्मेदाराना बल्लेबाजी के चलते भारत ने तीसरा क्रिकेट टेस्ट ऑस्ट्रेलिया के कहते में जाने से बचा लिया था, चौथे टेस्ट से पहले भारत के सामने खिलाड़ियों की फिटनेस बड़ा संकट लेकर आई है। रविंद्र जडेजा कल बाहर हो गए जबकि जसप्रीत बुमराह को लेकर खबर यह है कि की चोट शायद उन्हें भी अगले टेस्ट से बाहर कर दे। ऐसे में भारत के सामने गेंदबाजी की बड़ी समस्या का खतरा बन गया है।

रविंद्र जडेजा बॉर्डर-गावस्कर टेस्ट सीरीज से बाहर हो चुके हैं। वह चौथे टेस्ट में टीम इंडिया का हिस्सा नहीं होंगे जिसकी जानकारी भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने कल दी थी। बता दें तीसरे टेस्ट के तीसरे दिन बल्लेबाजी करते हुए जडेजा के बाएं अंगूठे में चोट लग गयी थी।

भारत के लिए चिंता यह है कि टेस्ट सीरीज के दौरान चोट के चलते उमेश यादव, केएल राहुल और मोहम्मद शमी बाहर हो चुके हैं और भुवनेश्वर कुमार और ईशांत शर्मा चोट के चलते ऑस्ट्रेलिया दौरे पर ही नहीं जा सके थे। अब जडेजा अंगूठे में फ्रेक्चर के कारण चौथे टेस्ट से बाहर हो गये हैं।

ऑलराउंडर जडेजा अब भारत लौटने से पहले सिडनी में एक हाथ विशेषज्ञ से परामर्श करेंगे। जडेजा ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथे और अंतिम टेस्ट मैच के लिए उपलब्ध नहीं होंगे जो 15 से 19 जनवरी को गाबा में खेला जाना है।

दोनों टीमें सीरीज में 1-1 की बराबरी पर हैं, लिहाजा आखिरी टेस्ट ही सीरीज का फैसला करेगा। अब खबर यह आ रही है कि तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह की चोट भी परेशान कर रही है और उनके अगले टेस्ट से बाहर होने का बड़ा खतरा बना हुआ है।

किसान आंदोलन पर कल अपना फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट

किसान आंदोलन पर सर्वोच्च न्यायालय मंगलवार को अपना फैसला सुनाएगा। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने सोमवार की सुनवाई के दौरान कहा कि हम कृषि विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाना चाहते हैं और कमेटी की रिपोर्ट आने तक नए कानून के लागू होने पर रोक लगाना चाहते हैं। सर्वोच्च अदालत ने कमेटी के लिए किसानों और सरकार से नाम मांगे हैं।

सर्वोच्च अदालत ने आज की सुनवाई में कहा कि हमारे लिए लोगों का हित जरूरी है।  कमेटी ही बताएगी कि कानून लोगों के हित में हैं या नहीं। अब अदालत मंगलवार को इस मामले में फैसला सुनाएगी। सर्वोच्च अदालत कल ही कमेटी को लेकर भी कोई फैसला कर सकती है।

आज की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अदालत में कहा गया कि वह सरकार के हाथ बांध रही है। सरकार ने कहा ‘हमें ये भरोसा मिलना चाहिए कि किसान कमेटी के सामने बातचीत करने आएंगे।’ उधर किसान संगठन की ओर से दुष्यंत दवे ने कहा कि हमारे 400 संगठन हैं, ऐसे में कमेटी के सामने जाना है या नहीं हमें ये फैसला करना होगा। इसपर अदालत ने कहा कि ऐसा माहौल न बनाएं कि आप सरकार के पास जाएंगे और कमेटी के पास नहीं। सरकार की ओर से कहा गया है कि किसानों को कमेटी में आने का भरोसा देना चाहिए। उधर किसान महापंचायत ने कहा कि उन्हें दिल्ली नहीं आने दिया जा रहा है।  वो कमेटी के सुझाव का स्वागत करते हैं और प्रदर्शन को शांतिपूर्ण ढंग से ही जारी रखेंगे।

आज की सुनवाई में प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि प्रदर्शन जैसे चल रहा है, चलता रहे।  हम बस ये अपील करेंगे कि सड़क की जगह किसी और स्थान पर बैठें। अगर किसी की जान जाती है या संपत्ति को नुकसान होता है, तो जिम्मेदारी कौन लेगा? जस्टिस बोबडे ने किसान संगठन के वकील से कहा कि आप प्रदर्शन में बैठे बुजुर्गों और महिलाओं को मेरा संदेश हैं, और कहें कि चीफ जस्टिस चाहते हैं कि आप घर चले जाएं।

कोरोना से बचाव के लिए देश में टीकाकरण की शुरूआत 16 जनवरी से : 200 रुपये होगी कोविशील्ड की कीमत

कोरोना से बचाव के लिए देश में टीकाकरण की शुरूआत संभवत: 16 जनवरी से हो सकती है। भारत के सीरम इंस्‍टीट्यूट को वैक्‍सीन खरीदी का ऑर्डर आज मिलने की संभावना है।  कोरोना के बचाव के लिए स्‍वीकृत ऑक्‍सफोर्ड वैक्‍सीन – कोविशील्ड की कीमत 200 रुपये प्रति वायल रखी गई है।

बताया जा रहा है कोविशील्‍ड की कुछ मिलियन डोज हर सप्‍ताह सप्‍लाई की जाएंगी। पहले दौर में एक करोड़, 10 लाख डोज की सप्‍लाई की जा सकती है।

टीकाकरण के शुरूआती चरण में ये वैकसीन 3 करोड़ हेल्थ वर्कर और फ्रंटलाइन वर्करों को लगायी जाएगी, जो निशुल्क होगी। हेल्थ वर्कर और फ्रंटलाइन वर्करों के अलावा अन्य को टीका मुफ्त मिलेगा या नहीं, इस पर अभी स्पष्टता नहीं है।

भारत में ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने जिन दो टीकों के उपयोग की मंजूरी दी है उनमे कोविशील्ड (Covishield) और कोवैक्सीन (Covaxin) शामिल है।

केंद्रीय मंत्री नाईक की पत्नी और पीए की सड़क हादसे में मौत

केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नाईक सोमवार रात को सड़क हादसे में घायल हो गए, जबकि उनकी पत्नी विजया व पीए दीपक की मौके पर ही मौत हो गई। हादसा कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के अकोला में कार के पलटने से हुआ। कार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। गोवा की राजधानी पणजी के अस्पताल में भर्ती नाईक की हालत खतरे से बाहर है।
बताया गया कि नाईक, पत्नी और निजी सहायक दीपक, विश्वासपात्र साई किरण, गनमैन व ड्राइवर के साथ यल्लापुर से गोकर्ण जा रहे थे। अंकोला तालुका में होसाकंबी गांव के पास ड्राइवर नियंत्रण खो बैठा और कार पलट गई। कर की हालत देखकर नहीं लगब्रह कि कोई बचा होगा। मगर गनीमत रही कि केंद्रीय मंत्री बच गए।
हादसे में मारी गईं केंद्रीय मंत्री की पत्नी की मौत पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री येद्दियुरप्पा ने शोक व्यक्त किया है। साथ ही मंत्री के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है।

सरकार ने कोरोना के 6 करोड़ टीके का दिया ऑर्डर

सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के लिए सरकार ने सीरम इंस्टीट्यूट व भारत बायोटेक से छह करोड़ खुराक खरीदने का ऑर्डर दिया है। पहले चरण में देश के तीन करोड़ कोरोना योद्धाओं को 16 जनवरी से टीके लगाने के लिए  1300 करोड़ रुपये खर्च होंगे। सीरम से खरीदे जाने वाले कोविशील्ड के हर टीके की कीमत जीएसटी समेत 210 रुपये होगी। जीएसटी 5 फीसदी लगेगा।
भारत बायोटेक से पहली खेप में खरीदे जाने वाले 55 लाख कोवाक्सिन टीके के लिए 162 करोड़ रुपये चुकाने होंगे।
सीरम के कोविशील्ड टीके की 1.1 करोड़ खुराक के लिए 231 करोड़ रुपये दिए गए।
अगले चरण के लिए अप्रैल में कंपनी से 4.5 करोड़ टीके की दूसरी खेप मंगाई जाएगी। इसके लिए कुल 1176 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। टीके का वितरण मंगलवार से शुरू हो गया है। इनका निर्माण पुणे में किया जा रहा है। पुणे से देश के अलग अलग 60 जगहों पर इनकी विशेष विमानों से आपूर्ति की जाएगी। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड ने स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कोविशील्ड का ऑर्डर जारी किया है।