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किसान आंदोलन के चलते देश का व्यापारी सरकार से नाराज

कृषि कानून के विरोध में किसानों के आंदोलन के चलते देश के व्यापारियों का गुस्सा सरकार के विरोध में बढ़ता ही जा रहा है। दिल्ली के व्यापारियों ने तहलका संवाददाता को बताया कि वैसे ही देश, अभी कोरोना काल से जूझ रहा है। देश की अर्थ व्यवस्था चरमरायी हुई है। व्यापारियों के व्यापार लड़खड़ाये हुये है। सरकार को ना जाने क्या सूझा, कि वो कृषि कानून बिल लेकर आ गयी जिससे देश का किसान आंदोलन करने को मजबूर है।

चाँदनी चौक और सदर बाजार के व्यापारी राकेश अग्रवाल और संतोष चावला का कहना है कि दिल्ली की सीमाओँ पर एक राज्य से दूसरे राज्य में वाहनों के आवागमन ना हो पाने के कारण उनका व्यापार टूट रहा है। बाजारों में ग्राहकों की कमी है। खरीददारी कम हो रही है। बाजार में पैसे की कमी देखी जा रही है। लोग बाजारों में आने-जाने में कतरा रहे है। पंजाब,हिमाचल, उत्तर –प्रदेश सहित अन्य राज्यों से बड़े वाहन आ –जा नहीं पा रहे है। जिसके कारण गर्म कपड़ो का व्यापार कम हुआ है।

कश्मीरी गेट के आँटो पार्टस के व्यापारी धीर कुमार ने बताया कि आँटो पार्टस का व्यापार यहां से देश भर में होता है। जब से किसान आंदोलन शुरू हुआ है। तब से व्यापार आधा रह गया है। व्यापारियों ने सरकार से अपील की है। किसानों की मांगों पर तुरन्त ध्यान दें ताकि देश में सुचारू और सामान्य काम-काज स्थापित हो सकें।अन्यथा देश की अर्थ व्यवस्था चौपट हो जायेगी।

एक साथ दो मोर्चों पर जंग के लिए सेना तैयार

पिछले सात महीने से पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर चीन के साथ जारी तनाव के बीच भारत ने महत्वपूर्ण रणनीतिक फैसला लिया है। इसके तहत अब सुरक्षा बलों को 10 दिन के बजाय 15 दिन की जंग के लिए हथियारों और गोला बारूद रखने का अधिकार दे दिया गया है। इस कदम को चीन और पाकिस्तान के साथ दो मोर्चों पर एक साथ युद्ध की आशंकाओं को देखते हुए तैयारी माना जा रहा है।
हथियारों के भंडारण और आपातकालीन खरीद की वित्तीय शक्तियों का इस्तेमाल कर सुरक्षाबल कुछ महीनों में 50,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि की  खरीदारी करेंगे। इससे देसी और विदेशी कंपनियों से रक्षा उपकरण और गोला बारूद खरीदा जाएगा। रक्षा बलों के लिए भंडारण की सीमा बढ़ाने का निर्णय कुछ समय पहले लिया गया था।
बता दें कि इससे पहले सेनाओं को 40 दिन की लड़ाई के लिए भंडारण की अनुमति थी, लेकिन युद्ध के बदलते तरीकों और भंडारण में दिक्कतों के चलते इसे कम करके 10 दिन कर दिया गया था। पिछली एनडीए सरकार के समय के बदलाव कर सेना को रक्षा खरीद से जुड़े कई अधिकार दिए गए थे। पहले जहां 100 करोड़ तक के हथियारों की खरीद के सेना प्रमुखों को अधिकार थे, उसे बढ़ाकर 500 करोड़ कर दिया था।

…तो क्या देश में घोषित आपातकाल है ? – उद्धव ठाकरे का बीजेपी पर पलटवार

विपक्षी पार्टी बीजेपी द्वारा आघाडी सरकार पर राज्य में अघोषित आपातकाल जैसे हालात बनाए जाने के आरोप पर, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पलट कर जवाब देते हुए विपक्ष से सवाल किया कि यदि राज्य में अघोषित आपातकाल जैसी स्थिति है तो क्या देश में घोषित आपातकाल है ?

उद्धव ने पूछा,’ दिल्ली में किसान ठंड में आंदोलन कर रहे हैं। उन पर ठंडे पानी के फव्वारे बरसाए जा रहे हैं क्या यह सद्भावना है? उन्होंने कहा कि जनता में कोई नाराजगी नहीं है लेकिन विपक्ष के साथ विपक्ष शब्द लगा हुआ है इसलिए उन्हें इस तरह से व्यवहार करना पड़ रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे विरोधी पिछले एक साल से सिर्फ सरकार गिराने का मुहूर्त निकाल रहे हैं लेकिन अब तक वह मुहूर्त नहीं निकला है। वे सिर्फ सरकार गिराने की मुहूर्त निकालने की बात करते हैं इसलिए उन्हें यह नहीं दिखाई देता कि सरकार ने क्या काम किए हैं।

प्रवीण दरेकर के बाबत लगे आरोपों पर ठाकरे ने कहा कि हमारी सरकार में से किसी ने भी विधान परिषद के नेताप्रतिपक्ष प्रवीण दरेकर की गिरफ्तारी की बात नहीं की। क्या देवेंद्र फडणवीस हमें कुछ सुझाने की कोशिश कर रहे हैं? देवेंद्र फडणवीस को यह भी नहीं पता है कि उनकी पार्टी में उन्हें किसकी जरूरत है और किसकी नहीं। उद्धव ठाकरे ने तंज कसते हुए यह भी कहा कि अगर फडणवीस के पास प्रवीण दरेकर की गिरफ्तारी के बारे में कोई सबूत है, तो उन्हें देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि उपमुख्यमंत्री अजीत पवार कह चुके हैं कि यह सरकार करोना संकट, प्रकृति तूफान, बेमौसम बारिश जैसे कई संकटों से बाहर निकलने का रास्ता तलाश रही है ।

मराठा आरक्षण के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि मराठा आरक्षण या कोई अन्य आरक्षण देते समय किसी के भी अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जाएगा। उद्धव ठाकरे ने यह भी स्पष्ट किया कि जब ओबीसी के आरक्षण की बात आएगी तब उनके अधिकारों को कोई नहीं छीन पाएगा। उनका अधिकार उन्हें मिलेगा। विपक्ष बेवजह ही इस मुद्दे को तूल दे रही है।

देवेंद्र फडणवीस द्वारा करोना संक्रमण काल में हुए भ्रष्टाचार के आरोप के बारे में बोलते हुए ठाकरे ने कहा कि हम उस संकट से बाहर निकलने का प्रयास कर रहे हैं। ठाकरे ने कहा कि जब हम करोना से जूझ रहे थे उस दौरान विपक्ष ने सिर्फ आरोपों की राजनीति की है।

उद्धव ने कहा है कि करोना के दौरान राज्य की तिजोरी पर काफी भार पड़ा है और केंद्र ने अभी तक राज्य को 28 हजार करोड़ नहीं दिए हैं।

महाराष्ट्र में अघोषित आपातकाल – फडणविस विपक्ष द्वारा अधिवेशन की पूर्व संध्या पर चाय पार्टी का बहिष्कार

महाविकास आघाड़ी सरकार पर अहंकारी होने का आरोप लगाते हुए महाराष्ट्र विधानमंडल के शीतकालीन अधिवेशन की पूर्व संध्या पर विपक्ष ने चाय पान का बहिष्कार किया। सोमवार 13 दिसंबर से दो दिवसीय शीतकालीन अधिवेशन की शुरुआत हो रही है।

नेता प्रतिपक्ष, देवेंद्र फडणवीस ने राज्य सरकार पर चर्चा से घबराने ,दूर भागने और तुगलकी फैसले लेने का आरोप लगाया। फडणवीस का कहना था कि शीतकालीन सत्र कम से कम दो सप्ताह का होना चाहिए था लेकिन सरकार ने सिर्फ दो दिन के अधिवेशन आयोजित किया है। सरकार किसानों, गरीबों, महिलाओं की समस्याओं पर संवाद नहीं करती है। इसलिए हमने सरकार के चाय पान का बहिष्कार किया है।

फडणवीस ने कहा कि राज्य में अघोषित आपातकाल जैसा माहौल है। आप सरकार के खिलाफ बोलेंगे तो आप को जेल में डाल दिया जाएगा या फिर किसी मामले में फंसा दिया जाएगा। अरनब गोस्वामी और कंगना के मामले में सरकार को करारा जवाब मिला है। अरनब गोस्वामी और कंगना से हम भले ही सहमत न हो लेकिन उनके साथ जिस तरह से व्यवहार किया गया वह गलत है। दोनों मामलों में अदालत के फैसले के बावजूद सरकार सरकार सुधरने के बजाय सत्ता का अहंकार दिखा रही ऐसी अहंकारी सरकार दुनिया में कहीं भी नहीं चलती है।

नेताप्रतिपक्ष ने कहा, ‘हम इस अहंकार का सही जवाब देंगे। हम किसी भी संघर्ष के लिए पीछे नहीं हटेंगे। हम लोगों के लिए लोगों और सरकार के सवालों के जवाब देंगे। यह सरकार घमंडी है, इस सरकार का फैसला तुगलकी है।

फडणवीस ने यह भी कहा है कि भले ही अधिवेशन दो दिनों का है और सरकार ने हमें समय कम दिया है बावजूद इसके हम सरकार से जो भी समय मिलेगा उसमें जवाब मांगेंगे।

‘सरकार में जनता की समस्याओं के समाधान के प्रति आत्मीयता नहीं नजरआती। सरकार में शामिल तीनों पार्टियों का व्यवहार अशोभनीय है और सरकार में कोई निर्णय लेने की क्षमता नहीं है।’ फडणवीस का कहना था।

फडणवीस ने आरोप लगाया कि सरकार ने किसानों के साथ छलावा किया है। आपदा के कारण विदर्भ के कुछ इलाकों में हुए फसलों के नुकसान के लिए किसानों की कोई मदद नहीं की गयी। जहां पर पैसे दिए गए हैं वहां बहुत कम मदद दी गयी है। जिसके चलते किसानों में भारी आक्रोश है।

‘देश में सबसे अधिक महाराष्ट्र में लगभग 48 हजार लोगों की कोरोना से मौत हुई है। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सरकार विफल रही है। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सरकार और मनपा में भ्रष्टाचार हुआ है।’ करोना के बाबत फडणवीस का आरोप था।

मराठा आरक्षण पर फडणवीस ने कहा कि सरकार की ढुलमुल नीति के कारण सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण पर रोक लगायी है। अधिवेशन में सरकार को मराठा और ओबीसी आरक्षण पर अपनी भूमिका स्पष्ट करनी चाहिए।

महिला सुरक्षा के बारे में फडणवीस ने राज्य सरकार को फेल बतायाऔर राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति को लचर है। ‘अब सरकार महिला अत्याचार से जुड़ा विधेयक सत्र में पेश करने वाली है। हम अपेक्षा करते हैं कि इस विधेयक पर चर्चा के लिए सरकार पर्याप्त समय देगी।’, उन्होंने कहा।

लॉकडाउन में बढ़े बिजली बिलों में उपभोक्ताओं को राहत दिलाने के लिए सदन में आवाज उठाने की बात फडणवीस ने कही।

फडणवीस ने कहा,’ हम विधानमंडल के कामकाज सलाहकार समति की बैठक में भी चाह रहे थे कि शीतकालीन सत्र नागपुर में आयोजित हो लेकिन सरकार ने कोरोना का कारण बता दिया। हमने बजट अधिवेशन नागपुर में आयोजित करने की मांग की। उसके लिए भी सरकार तैयार नहीं हुई।’

कृषि कानून वापस हो, नहीं तो गली –गली में होगा आंदोलन: किसान नेता

किसानों का कहना है की अगर सरकार ने कृषि कानून को वापस नहीं लिया तो 14 दिसम्बर के बाद से ये आंदोलन देश की गली –गली में होगा, चाहे इसके लिये कुछ भी करना पड़े। किसान नेता सरदार परम सिंह ने तहलका संवाददाता को बताया कि सरकार किसानों के आंदोलन को सियासी आंदोलन बताकर देश वासियों को गुमराह कर रही है। जबकि सरकार सब कुछ जानती है कि किसानों का ये आंदोलन जायज है। फिर भी सरकार अमीरों और पूंजीपतियों के लिये काम कर रही है। उन्होंने बताया कि सरकार सोच रही है कि किसानों को दिल्ली में नहीं घुसने दिया जायेगा । राज्यों की सीमाओं में ही रोक दिया जायेगा। पर ऐसा नहीं होगा। किसानों की कई योजनायें ऐसी है जिससे सरकार टकराकर चकनाचूर हो जायेगी। अब किसान गांव- गांव , शहर,शहर की गलियों में आंदोलन करेगा जिसमें जनमानस का भी साथ मिलेगा।

किसान हरिश्चन्द्र का कहना है कि जब देश का अन्नदाता जाग जायेगा तो सरकार को उखाड़ फेकेंगा। किसान देश को अन्ऩ देता है, कठिन श्रम करता है। फिर भी सरकार उसके श्रम को नजरअंदाज कर रही है। उनका कहना है कि जब गली-गली में आंदोलन गूंजेगा। तब देश की सरकार कांप ऊठेगी। कृषि कानून बिल वापस लेने को मजबूर होगी।

अमित शाह के घर के बाहर धरना देने जा रहे चड्डा सहित आप के कई विधायक हिरासत में लिए

पुलिस के इजाजत न देने के बावजूद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल के आवास पर धरना देने जा रहे आम आदमी पार्टी (आप)  के नेता राघव चड्ढा सहित कई विधायकों को दिल्ली पुलिस ने रविवार सुबह हिरासत में ले लिया। आप विधायक, नगर निगम में घोटाले का आरोप लगाते हुए इसकी जांच सीबीआई से करवाने की मांग को लेकर शाह के आवास के बाहर धरने पर बैठना चाह रहे थे।

हिरासत में लिए गए लोगों में विधायक राघव चड्ढा, ऋतुराज, कुलदीप कुमार और संजीव झा शामिल हैं। आप ने एक ट्वीट में कहा कि दिल्ली पुलिस ने विधायक आतिशी को भी गिरफ्तार किया है। आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर तस्वीरें शेयर करते हुए आप ने आरोप लगाया कि पुलिस ने आप नेता को घसीटा और उन्हें गिरफ्तार किया।

उधर चड्ढा साथी विधायकों के साथ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के आवास के बाहर धरना देना चाहते थे। उनका आरोप है कि भाजपा ने एमसीडी फंड के 2457 करोड़ रूपये की राशि का गलत तरीके से उपयोग किया है। उनकी मांग घोटाले की जांच  सीबीआई से करवाने की है। इस मांग पर जोर देने के लिए ही उन्होंने शाह के आवास के बाहर शांतिपूर्ण प्रदर्शन की मंजूरी दिल्ली पुलिस से माँगी थी। हालांकि, पुलिस ने कोरोना का हवाला देते हुए इससे मन कर दिया था।

टीआरपी रेटिंग स्कैम के मामले में रिपब्लिक टीवी के सीईओ को पुलिस ने गिरफ्तार किया  

टीआरपी रेटिंग स्कैम के मामले में रिपब्लिक टीवी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विकास खानचंदानी को मुंबई पुलिस ने रविवार सुबह गिरफ्तार कर लिया। उनके साथ अब तक इस मामले में 13 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक विकास को रविवार को उनके घर से गिरफ्तार किया गया। बता दें मुंबई पुलिस की अपराध आसूचना इकाई (सीआईयू) कथित टेलीविजन रेटिंग पॉइंट (टीआरपी) घोटाले की जांच कर रही है। अपराध शाखा इससे पहले इस मामले में रिपब्लिक टीवी के वितरण प्रमुख समेत 12 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। मुंबई पुलिस ने एक प्रेस कांफ्रेंस करके अक्टूबर में टीआरपी रेटिंग के फर्जीवाड़े में रिपब्लिक टीवी और दो अन्य क्षेत्रीय चैनलों के शामिल होने का आरोप लगाया था।

उधर रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी ने गिरफ्तारी को अवैध करार देते हुए मुंबई पुलिस पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है। मीडिया रिपोर्ट्स में अर्णब को उद्धत करते हुए कहा गया है कि जब यह मामला ट्राई के तहत आता है तो फिर मुंबई पुलिस उनके सीईओ को कैसे गिरफ्तार कर सकती है। अर्णब पहले ही टीआरपी स्कैम में मुंबई पुलिस की जांच रोकने के लिए हाई कोर्ट में अर्जी लगा चुके हैं और सुप्रीम कोर्ट से इस मामले का संज्ञान लेने की अपील की है।

याद रहे मुंबई पुलिस ने इस मामले में 6 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज की थी और हंसा रिसर्च के अधिकारी नितिन देवकर की शिकायत के बाद जांच शुरू की थी। मुंबई पुलिस ने कथित टीआरपी घोटाले में नवबंर में यहां की एक अदालत में आरोप-पत्र दाखिल किया था।

जनसंख्या नियंत्रण कानून पर मोदी सरकार की सुप्रीम कोर्ट में ना

देश में बढ़ती जनसंख्या के मद्देनजर इसे नियंत्रित करने के कानून की मांग समय-समय पर उठती रही है। राजनीतिक दल भी जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की मांग उठाते रहे है। जनसंख्या नियंत्रण की एक जनहित याचिका पर जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि परिवार नियोजन के लिए लोगों को मजबूर नहीं किया जा सकता है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, वह परिवार नियोजन में ‘अनैच्छिक तरीकों’ के इस्तेमाल के खिलाफ है और दंपती पर अधिकतम दो बच्चे करने का दबाव नहीं डाल सकते। इस तरीके से मोदी सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने पर एक तरह से मना कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर सरकार ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय अनुभव से साफ है कि बच्चा पैदा करने की अधिकतम संख्या जबरन तय करने का प्रतिकूल असर पड़ता है। यह जनसांख्यिकीय विकृति की ओर ले जाता है। इसलिए पति-पत्नी पर दो बच्चे पैदा करने का दबाव नहीं डाल सकते।

भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की जनहित याचिका पर जवाब देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा, सार्वजनिक स्वास्थ्य राज्य का विषय है। राज्य को स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार प्रक्रिया का नेतृत्व करना चाहिए ताकि आम व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी खतरों से बचाया जा सके। राज्यों को निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार विभिन्न योजनाओं को लागू करने का अधिकार प्राप्त है। याचिका में दो बच्चों के मानक को सख्ती से लागू करने की मांग की गई थी।

वहीं, सांसद साध्वी बोली-क्षत्रिय ज्यादा बच्चे पैदा करें
अपने विवादित बयानों में अक्सर चर्चा में रहने वाली भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा फिर सुर्खियों में हैं। जनसंख्या नियंत्रण को लेकर भोपाल में साध्वी प्रज्ञा ने कहा है कि यह उन लोगों पर लागू होना चाहिए जो राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल रहते हैं। राष्ट्र की रक्षा क्षत्रिय करते हैं, उन्हें अधिक संख्या में बच्चे पैदा करना चाहिए।

किसान नेता 14 को अनशन करेंगे, देश भर में कलेक्टरों के दफ्तरों पर धरना; तेज होगा आंदोलन : पन्नू

आंदोलनकारी किसानों ने ऐलान किया कि उनका आंदोलन जारी रहेगा और 14 को मोदी सरकार के कृषि क़ानून के खिलाफ अनशन किया जाएगा और देश भर में कलेक्टरों के दफ्तरों के सामने धरना दिया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया है कि उनमें फूट डालने की कोशिश की गयी थी लेकिन सफल नहीं हुई।

किसान नेताओं ने ऐलान किया कि उनकी आज की बैठक में आंदोलन को और तेज करने का फैसला किया गया है।

सिंघू बार्डर पर प्रेस कांफ्रेंस में किसान नेताओं ने कहा कि यूनियन के नेता 14 दिसंबर को अनशन पर बैठेंगे। उन्होंने कहा कि यदि सरकार बातचीत करना चाहती है तो हम तैयार हैं। लेकिन साथ ही कहा कि उनकी मांग तीनों कानूनों को वापस लेने की है। किसान नेता कमलप्रीत पन्नू ने कहा – सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले। हमें संशोधन मंजूर नहीं हैं। हम सरकार से बातचीत से इनकार नहीं करते हैं। आज हमारी बैठक हुई है जिसमें हमने आंदोलन को और तेज करने का फैसला किया है।

किसान नेता ने कहा कि सरकार चाहती है कि इसे लटका दिया जाए, लेकिन हमारे लोग गाँवों से चल पड़े हैं। लोग आ न सके इसके लिए बैरिकेड लगाए गए, वो भी तोड़ दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि अभी हमारा धरना दिल्ली के 4 प्वाइंट पर चल रहा है।  उन्होंने कहा – ‘कल राजस्थान बॉर्डर से हजारों किसान ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे और दिल्ली-जयपुर हाइवे बंद करेंगे जबकि 14 दिसंबर को सारे देश के डीसी ऑफिस में प्रोटेस्ट करेंगे।  हमारे प्रतिनिधि 14 दिसंबर को सुबह 8 से 5 बजे तक अनशन पर बैठेंगे’।

इस बीच आंदोलन के 17वें दिन किसान संगठनों ने कई प्रदेशों में टोल प्लाजा फ्री करवा दिए। कई जगह तो टोल प्लाज़ा सरकार ने खुले रखे। लगातार 17 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डालकर बैठे किसानों ने अपने आंदोलन को और तेज कर दिया है। इसके लिए किसानों ने शुक्रवार रात से ही कई जगहों पर टोल प्लाजा पर कब्जा कर उन्हें टोल फ्री कराना शुरू कर दिया है।

किसानों ने ग्रेटर नोएडा में ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे और एनएच-91 को टोल फ्री कर दिया गया। किसान नेता गौरव टिकैत ने ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे पर प्रदर्शन कर रहे किसानों का नेतृत्व किया। दिल्ली-आगरा नेशनल हाईवे जिला पलवल के तुमसरा टोल प्लाजा की दो लेन बंद करके किसान धरने पर बैठकर नारेबाजी कर रहे हैं। किसान नेता दोपहर बाद दो बजे तक यहां धरना प्रदर्शन करेंगे। करनाल में किसानों ने शुक्रवार देर रात से ही बस्तारा टोल प्लाजा को बंद कर दिया है।

आंदोलनकारियों ने अंबाला के शंभू टोल प्लाजा को भी किसानों ने आज फ्री करा दिया। दिल्ली-आगरा हाईवे पर स्थित टोल प्लाजा को फ्री कराए जाने के बाद किसान वहां धरना देकर बैठ गए हैं। गाजियााद के दुहाई टोल प्लाजा को भी फ्री करा दिया है। पुलिस ने किसानों जेवर टोल प्लाजा पर नहीं आने दिया। किसान नीचे सर्विस लेन से ही पुलिस के सामने अपनी मांगें रखकर वापस चले गए हैं। शाहजहांपुर जिले की पुवायां तहसील क्षेत्र में बंडा रोड पर सबली कटेली टाेल प्लाजा पर शनिवार को भारतीय किसान यूनियन के अलग-अलग संगठनों ने एकजुट होकर कब्जा कर लिया। कब्जे के बाद किसानों ने हर आने-जाने वाले वाहन के लिए टोल फ्री कर दिया।

गाजियाबाद जिले के डासना टोल पर सामान्य दिनों की तरह टोल वसूला जा रहा है। मथुरा में यमुना एक्सप्रेस-वे के मांट टोल को किसानों ने आधे घंटे के लिए टोल फ्री कराया था और एक्सप्रेस-वे के बाजना कट पर बने टोल को करीब एक घंटे से फ्री कर रखा है।

उधर वर्तमान किसान आंदोलन से चिंतित हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने किसान आंदोलन के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ से मुलाकात की है। बता दें कि हरियाणा में भाजपा सरकार के साथ बने रहने पर जेजेपी को राजनीतिक नुक्सान की आशंका जताई जा रही है। यह आरोप लगाए जा रहे हैं कि किसानों की चिंता न करते हुए जेजेपी सत्ता से चिपकी रहना चाहती है।

इस बीच अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने किसानों के आंदोलन को बदनाम करने के प्रयासों की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि असल में सरकार किसानों की मुक्त समस्या तीन खेती के कानून और बिजली बिल 2020 की वापसी को हल नहीं करना चाहती। अपने जिद्दी रवैये को छिपाने के लिए वह इस तरह के कदम उठा रही है। पहले केन्द्र सरकार ने दावा किया कि किसानों का यह आंदोलन राजनीतिक दलों से प्रोत्साहित है।

शिवसेना की नजर में हाथी की चाल और वजीर का रुआब वाले हैं पवार

आज शरद पवार का 80 वां जन्मदिन है। इस मौके पर शिवसेना ने उनके कार्यों और स्वभाव का उल्लेख करते हुए शरद पवार की प्रशंसा की।

‘सामना’ ने अपने एडिटोरियल में पवार को हाथी की चाल और वजीर का रुआब वाले तौर पर बताया है। एक नजर… कोविड काल में निसर्ग चक्रवाती तूफान के दौरान उन्होंने गांवों में जाकर किसानों का दुख-दर्द समझा। इसलिए श्री पवार ८० वर्ष के हो गए हैं, इस पर कोई विश्वास करेगा? आज शिवसेनाप्रमुख रहते तो उन्होंने पितृतुल्य होने के नाते ‘शरद बाबू’ को ढेरों आशीर्वाद दिया होता। परंतु आज पवार को आशीर्वाद दे सकें, ऐसे ‘हाथ’ नहीं हैं और पवार झुककर प्रणाम करें, ऐसे ‘पांव’ नजर नहीं आते। पवार खुद ही ‘सह्याद्रि’ बनकर देश के नेता बने हैं। ५० वर्ष से अधिक समय से पवार संसदीय राजनीति में हैं। वे सभी चुनावों में अजेय हैं। पवार को जनता ने खुले हाथों से आशीर्वाद दिया है। अर्थात ये आशीर्वाद जिनके संदर्भ में सफल हुए, ऐसे गिने-चुने भाग्यशाली लोगों में शरद पवार शामिल हैं। महाराष्ट्र की कांग्रेस पार्टी में कई बड़े नेता विगत ७० वर्षों में तैयार हुए, परंतु यशवंतराव चव्हाण के कद का नेता तैयार नहीं हुआ। आज भी लोग यशवंतराव को ही याद करते हैं। चव्हाण ने ही पवार को बनाया है। चव्हाण के बाद उनके समकक्ष नेता के रूप में पवार की ओर देखना चाहिए। यशवंतराव में ‘हिम्मत’ छोड़ दें तो सभी गुण थे। पवार के राजनीतिक सफर में साहस की मात्रा कई बार अधिक ही नजर आई। यशवंतराव की तरह ही लोगों को जुटाने व संभालने का शौक पवार को है। उस शौक को कोई जोड़-तोड़ की राजनीति कहता होगा तो पवार कई वर्षों से ये जोड़-तोड़ कर रहे हैं। राज्य की ‘ठाकरे सरकार’ यह हाल के दौर की सबसे बड़ी जोड़-तोड़ है। १९६२ के आसपास युवानेता के रूप में उनका उदय हुआ। पुलोद के मुख्यमंत्री विरोधी पक्ष नेता कांग्रेस छोड़े व पुन: राजीव गांधी की उपस्थिति में संभाजी नगर में शामिल हुए पवार को हमने देखा। शरद पवार लोकसभा में विपक्ष के नेता थे। पवार की चतुराई से वाजपेयी की सरकार एक मत से गिर गई। परंतु संसद के उस नेता को विश्वास में लिए बगैर सोनिया गांधी राष्ट्रपति के पास सरकार बनाने का दावा पेश करने गईं और व्याकुलता के साथ वैचारिक मुद्दों पर कांग्रेस पुन: छोड़नेवाले, राष्ट्रवादी कांग्रेस की स्थापना करके पुन: कांग्रेस की ही बराबरी में निजी शान की राजनीति करनेवाले शरद पवार को देश ने देखा।

दिल्ली को पवार की क्षमता से हमेशा ही डर लगता रहा है। पवार की हाथी की चाल और वजीर का रुआब उत्तर की ‘जी हुजूरी’ नेताओं के लिए परेशानियों भरी साबित हुई होती। उस पर पवार विश्वास लायक नेता नहीं हैं, ऐसा दुष्प्रचार हमेशा जारी रखा गया। रक्षा मंत्री, कृषि मंत्री की हैसियत से केंद्र में पवार द्वारा किए गए कार्य दमदार ही थे। पवार पर हमेशा संदेह करने में जिन्होंने खुद को धन्य माना वे बरसाती केंचुओं की तरह राजनीति से अदृश्य हो गए। वे अपना जिला भी नहीं संभाल सके। दुनिया की तमाम आधुनिकता को समाहित कर चुका शक्तिशाली ऐसा कल का औद्योगिक महाराष्ट्र हो, ऐसा सपना पवार ने देखा। उसी ध्येय से वे काम करते रहे। पवार उद्योगपतियों की मदद करते हैं, ऐसा आरोप लगाया जाता है। उद्योगपति नहीं होंगे तो राज्य की प्रगति वैâसे होगी? इसका उत्तर कोई भी नहीं देता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुंबई में आते हैं और उद्योगपतियों से मिलते हैं, ‘उत्तर प्रदेश चलो।’ ऐसा निमंत्रण देते हैं तो किसलिए? श्री पवार ने उद्योगपतियों को बड़ा बनाया। उसी तरह किसान और सहकार क्षेत्र को भी बल दिया। निजीकरण का पवार जोरदार समर्थन करते रहे। निजी क्षेत्र से उन्होंने ‘लवासा’ जैसे सौंदर्य स्थल का निर्माण किया। पर्यटन उद्योग को बल दिया। इससे रोजगार व राजस्व निर्माण किया। तब व्यक्ति द्वेष से ग्रसित राजनीतिज्ञों ने इस प्रकल्प को ही रद्द करके महाराष्ट्र का नुकसान किया। ‘लवासा’ जैसी परियोजनाएं अन्य राज्यों में निर्माण हुई होती तो महाराष्ट्र के नेता उसका गुणगान किए होते। परंतु देश के राजनीतिज्ञों ने कई वर्षों तक सिर्फ ‘पवार विरोध’ की ही राजनीति की। महाराष्ट्र में पवार विरोधियों को समय-समय पर महत्वपूर्ण पद बांटे गए। पवार विरोध पर कांग्रेस पार्टी की तीन पीढ़ियां जीती रहीं। इसे कैसा लक्षण माना जाए? इसे भी पवार की ताकत ही कहनी चाहिए। देश का प्रधानमंत्री बनने की क्षमता रखनेवाले पवार आज विपक्ष के इकलौते सबसे शक्तिमान नेता हैं।

पवार 80 वर्ष के हो रहे हैं। इसी समय मोदी को प्रचंड बहुमत होने के बाद भी लोगों के मन में असंतोष है। किसान, मेहनतकश दिल्ली को घेरा डालकर १५ दिनों से बैठे हैं। कांग्रेस पार्टी का अस्तित्व कमजोर हो गया है। लोगों को आकर्षित करें, ऐसा नेतृत्व अब शेष नहीं बचा है। ऐसे समय में महाराष्ट्र में भाजपा का बेलगाम घोड़ा रोककर शिवसेना, कांग्रेस के साथ महाआघाड़ी की सरकार स्थापित करनेवाले उस सरकार का नेतृत्व समझदारी के साथ उद्धव ठाकरे को सौंपनेवाले शरद पवार देश के बड़े वर्ग को आकर्षित करते हैं।

वास्तविक अर्थ में लोकप्रिय संगठन, कुशल, राज्य व देश की समस्या उत्तम ढंग से जतन करनेवाले मोदी से लेकर क्लिंटन तक संबंध रखनेवाले सुस्वभावी, स्नेह और वचन का पालन करनेवाले हाथी की चाल और वजीर का रुआब रखनेवाले शरद पवार का आनेवाला जीवन गंगा-यमुना की विशालता और हिमालय की ऊंचाई को छूनेवाला हो, यही शुभकामना!