Home Blog Page 705

नए संसद भवन का निर्माण कार्य शुरू

नए संसद भवन का निर्माण कार्य शुक्रवार को शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 दिसंबर को इस परियोजना की आधारशिला रखी थी।

बताया जा रहा है नया संसद भवन त्रिकोणीय आकार का होगा. साल 2022 तक, देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर इसका निर्माण पूरा होने की उम्मीद है।

इस सप्ताह की शुरुआत में 14 सदस्यीय धरोहर समिति ने नए संसद भवन के निर्माण को मंजूरी दे दी थी. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने  भी संसद भवन के निर्माण कार्य के लिये हरी झंडी‘ दे दी है।

भवन का निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के द्वारा किया जा रहा है। इस परियोजना पर 971 करोड़ रुपये की लागत लगाये जाने का अनुमान है।

नए भवन का निर्माण पुराने संसद के सामने किया जाएगा. नए संसद भवन में लोकसभा और राज्यसभा के बड़े कक्ष होंगे, जहाँ लोकसभा के लिये 888 और राज्यसभा के लिये 384 सीटों की व्यवस्था की जायेगी।

संयुक्त सत्र बुलाने के लिये लोकसभा कक्ष में 1,272 सीटों की होगी। साल 2022 का मानसून सत्र नए भवन में होने की संभावना करना है।

नए भवन के निर्माण के बाद पुराने भवन को संग्रहालय में तब्दील कर दिया जाएगा। पुराने संसद भवन का निर्माण 94 साल पहले लगभग 83 लाख रुपये में किया गया था।

किसानों-सरकार के बीच 2 बजे बैठक, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दोनों में यह पहली बैठक

किसानों और सरकार के बीच 8वें  दौर की बातचीत दिल्ली के विज्ञान भवन में 2 बजे शुरू होगी। सुप्रीम कोर्ट के किसान आंदोलन को लेकर दायर याचिका पर 12 जनवरी के फैसले के बाद दोनों के बीच यह पहली बैठक है। किसानों ने साफ़ किया है कि तीनों कृषि कानूनों को खत्म करने और एमएसपी को कानूनी बनाने से कम वो किसी बात पर समझौता नहीं करेंगे।

वार्ता से पहले भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा – ‘कानून संसद लेकर आई है और ये वहीं खत्म होंगे। कानून वापस लेने पड़ेंगे और एमएसपी पर कानून लाना पड़ेगा।’

किसानों का केंद्र के कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन का आज 51वां दिन है। आज की बैठक को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बातचीत दिल्ली में 2 बजे होगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आज दोपहर 2 बजे किसानों और सरकार के बीच 8वें दौर की बैठक होगी। कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट की अस्थाई रोक के आदेश के बाद यह दोनों के बीच पहली बैठक है।

बैठक से पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि भारत सरकार उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करती है और उच्चतम न्यायालय की बनाई समिति जब सरकार को बुलाएगी तो हम अपना पक्ष समिति के सामने रखेंगे। आज वार्ता की तारीख़ तय थी इसलिए किसानों के साथ हमारी वार्ता जारी है।

उधर केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री, कैलाश चौधरी ने कहा कि किसान यूनियन के नेता सुप्रीम कोर्ट से भी बड़े हो रहे हैं। चौधरी ने कहा – ‘मंत्री जी (तोमर) ने लगातार सात दौर की वार्ता की। गृहमंत्री लगातार उनके संपर्क में हैं। प्रधानमंत्री ने भी आश्वासन दिया है। कोर्ट ने कानूनों पर रोक लगा दी है। उन्हें (किसानों को) जिद छोड़ देनी चाहिए।’

अदालतों में वर्चुअल के बजाय सामान्य सुनवाई के लिए वकीलों का सीजेआई को पत्र

कोरोना महामारी के दौर ने लोगों की ज़िंदगी और काम करने के तौर तरीकों को बदलकर रख दिया है। कोई भी तबका इससे अछूता नहीं है। अब हालात सामान्य हो रहे हैं साथ ही कल से टीकाकरण की शुरुआत भी हो रही है। देशबन्दी से न्याय की उम्मीद में कोर्ट पहुंचने वालों का इंतज़ार और बढ़ा दिया है। इससे वकील तबका भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
10 महीने बीत चुके सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये ही सुनवाई हो रही है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट के 500 से अधिक वकीलों ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे को पत्र लिखा है, जिसमें सर्वोच्च अदालत में कोरोना से पहले की तरह सुनवाई शुरू करने की अपील की गई है।
पत्र में वकीलों का कहना है कि सुनवाई का वर्चुअल तरीका असफल और निष्प्रभावी है। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट में पहले की तरह कामकाज शुरू हो और सुनवाई की पुरानी व्यवस्था तत्काल बहाल की जाए। कोरोना के चलते देशभर में अचानक लगाये गए लॉकडाउन की वजह से अदालतों में पिछले साल मार्च से वर्चुअल तरीके से सुनवाई हो रही है।
सीजेआई बोबडे को लिखे पत्र में वकील कुलदीप राय, अंकुर जैन और अनुज ने कहा, वर्तमान में सुनवाई का वर्चुअल तरीका फेल हो गया है। वर्चुअल तरीके से हो रही सुनवाई में कई तरह की परेशानियां आ रही हैं। शाखा सही समय पर फोन का जवाब नहीन देती हैं, जिसकी वजह से महत्वपूर्ण मामले लंबित हो जाते हैं। नेटवर्क कनेक्टिविटी के मुद्दों और रजिस्ट्री का उचित प्रबंधन नहीं होने जैसी तमाम खामियां हैं।
पत्र में लिखा गया है कि वर्चुअल सुनवाई के कारण देश के कई नागरिक, विशेष रूप से युवा वकील, पिछले 10 महीनों में महामारी और सुप्रीम कोर्ट के वर्चुअल कामकाज के बीच कठिन दौर से गुजर रहे हैं। किराये के मकानों में रह रहे बहुत से वकीलों को दिल्ली छोड़ना पड़ा है। इसके फायदे कम, नुकसान ज़्यादा हुए हैं।  सिस्टम प्रभावी तरीके से न्याय वितरण व्यवस्था के मकसद को पूरा करने में विफल रहा है।

मान ने सुप्रीम कोर्ट की बनाई समिति से अपना नाम वापस लिया, कानूनों का समर्थन करने पर हुआ है विवाद

विवाद के बाद भारतीय किसान युनियन के नेता भूपेंद्र सिंह मान ने उस समिति से अपना नाम वापस लेने का ऐलान किया है जिसे दो दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन पर चर्चा के लिए गठित किया था।

‘तहलका’ को मिली किसान यूनियन की एक प्रेस रिलीज के मुताबिक मान को कहा है कि वो सुप्रीम कोर्ट के उन्हें चार सदस्यों की समिति का सदस्य बनाने के लिए आभारी हैं, जिसे किसानों के मसले पर बात करनी है। लेकिन वो खुद किसान होते हुए समिति को लेकर व्यक्त हो रही प्रतिक्रियायों को देखते हुए खुद को इस समिति से अलग करना छाते हैं। मान ने कहा कि वे किसानों के लिए काम करते रहेंगे।

उन्होंने कहा कि समिति के सदस्य के रूप में वेअपना नाम वापस लेने के लिए तैयार हैं क्योंकि वे पंजाब और देश के किसानों के मुद्दों से कोई समझौता नहीं चाहते। मान ने कहा – ‘मैं खुद को समिति से अलग को अलग कर रहा हूँ।

याद रहे सुप्रीम कोर्ट ने उनके अलावा प्रमोद जोशी, अशोक गुलाटी और अनिल धनवंत को समिति में शामिल किया है।  सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी को एक बड़े अंतरिम फैसले में मोदी सरकार के तीनों कृषि कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी साथ ही इस मसले पर चर्चा के लिए सर्वोच्च अदालत ने कमिटी का गठन किया था। इसके बाद समिति के चारों सदस्यों को लेकर विवाद [पैदा हो गया था क्योंकि सभी मोदी सरकार के कृषि कानूनों का समर्थन करते रहे हैं।

बलात्कार के आरोप के मामले में घिरे महाराष्ट्र के मंत्री धनंजय मुंडे की परेशानियां बढ़ीं !

बलात्कार के आरोपों के चलते कठिनाइयों का सामना कर रहे महाराष्ट्र के मंत्री धनंजय मुंडे को और अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। पता चला है कि धनंजय मुंडे के खिलाफ आरोप लगाने वाली महिला को मुंबई पुलिस एक-दो दिन में जवाब तलब करेगी। उसके बाद, निर्णय लिया जाएगा कि आगे क्या करना है।

राज्य के सामाजिक न्याय मंत्री धनंजय मुंडे के एक फेसबुक पोस्ट से राज्य में खलबली मच गई । धनंजय मुंडे ने बलात्कार के आरोप के बाद फेसबुक पर पोस्ट किया कि “आरोपी रेनू शर्मा करुणा शर्मा की बहन है। महत्वपूर्ण बात यह है कि करुणा शर्मा के साथ हमारे संबंध अच्छे थे, उनसे हमारे दो बच्चे हैं, हम उनकी परवरिश कर रहे हैं और हमारे परिवार को सब कुछ पता है।”

धनंजय मुंडे के इस फेसबुक पोस्ट के बाद बीजेपी ने उन पर हमला बोला है। बीजेपी नेता और पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने उनके इस्तीफे की मांग की। इतना ही नहीं, सोमैया ने सीधे मुख्यमंत्री पर भी हमला किया। किरीट सोमैया ने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री बंगले को छिपाते हैं, तो उनके मंत्री अपनी पत्नी को छुपाते हैं।

जैसा कि धनंजय मुंडे पर बलात्कार का सीधा आरोप लगाया गया है, राजनीतिक हलकों का ध्यान अब मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की भूमिका पर केंद्रित है कि वह किस तरह की कार्रवाई करेंगे?

उद्धव ठाकरे का स्वभाव कूल माना जाता रहा है

सवाल यह है कि क्या एक सभ्य और सुसंस्कृत राजनेता के रूप में जाने जाने वाले मुख्यमंत्री अब धनंजय मुंडे के खिलाफ कार्रवाई करेंगे? एक महिला द्वारा सीधे लगाए गए गंभीर आरोप, पुलिस में दर्ज की गई शिकायत मुख्यमंत्री पर नैतिक और कानूनी दबाव बना सकती है। इसलिए, यह देखना महत्वपूर्ण है कि मुख्यमंत्री स्टैंड क्या होगा? मुख्यमंत्री ठाकरेके साथ साथ धनंजय मुंडे की पार्टी एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार की प्रतिक्रिया को देखना महत्वपूर्ण है। शरद पवार के शब्दों को न केवल एनसीपी में बल्कि महाविकास आघाडी में भी तवज्जो दी जाती है।अगर शरद पवार सख्त रुख अपनाते हैं, तो मुख्यमंत्री धनंजय मुंडे के मंत्रिपद को भी नहीं बचा पाएंगे। धनंजय मुंडे को पद छोड़ना पड़ सकता है।यदि कोई निर्णय होता है, तो जांच का सामना भी करना होगा।

दरअसल शरद पवार की नाराजगी धनंजय मंडे को लेकर उस वक्त की है जब महा विकास आघाडी सरकार के गठन होने से पहले अजीत पवार ने अलसुबह देवेंद्र फडणवीस के साथ शपथ लेकर महाराष्ट्र में हलचल मचा दी थी।उस समय एनसीपी के कुछ विधायक अजीत पवार के साथ देखे गए थे। लेकिन सुबह शपथ ग्रहण के बाद एनसीपी के एक और वरिष्ठ नेता धनंजय मुंडे पूरे दिन गायब रहे। माना जाता है कि उस वक्त शरद पवार मुंडे से काफी नाराज थे।

फिलहाल अध्यक्ष शरद पवार ने आज अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी। उन्होंने कहा कि मुंडे के खिलाफ आरोप गंभीर थे और वह एक पार्टी के रूप में तत्काल निरणय लेंगे।

धनंजय मुंडे के खिलाफ बलात्कार के आरोप पर शरद पवार ने आज अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि धनंजय मुंडे मुझसे मिले और मुझे उनके खिलाफ लगे आरोपों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उसके कुछ लोगों के साथ करीबी रिश्ते थे। कुछ शिकायतें पुलिस थाने में दर्ज कराई गईं। धनंजय मुंडे ने को अंदेशा था कि इस तरह से कुछ होगा इसलिए उन्होंने हाईकोर्ट से पहले इस मामले में आदेश मांगा था।

हालांकि, आरोप गंभीर हैं और एक पार्टी के रूप में तत्काल विचार करने की आवश्यकता है। मैं इस बारे में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से बात करूंगा। वह उन्हें धनंजय मुंडे के मामले की विस्तृत जानकारी देंगे। उनके विचार जानने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

इस बीच इस मामले में शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि किसी के पारिवारिक मुद्दों का राजनीतिकरण न करें, शरद पवार इस संबंध में सही निर्णय लेंगे। शिवसेना सांसद ने कहा कि इस घटना से महाविकास अआघाडी सरकार को कोई खतरा नहीं है। साथ ही उनका कहना था कि इस मामले को तूल देनने के बजाय अगर किसानों के कानूनों को वापस ले लिया जाता है, तो केंद्र सरकार की छवि उज्जवल होगी, सरकार को समन्वय दिखाना चाहिए और किसानों के हित में एक कदम वापस लेना चाहिए।

महामारी का दूसरा वर्ष ‘और भी कठिन हो सकता है’: डब्ल्यू.एच.ओ

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कोरोना महामारी का दूसरा वर्ष पहले की तुलना में ज्यादा कठिन हो सकता है। खासतौर पर उत्तरी गोलार्ध में ये महामारी ज्यादा मुशकिले पैदा कर सकती है।

डब्ल्यूएचओ के शीर्ष आपात अधीकारी डॉ माइक रयान ने सोशल मीडिया पर एक कार्यक्रम के दौरान कहा, “हम इसके दूसरे वर्ष में जा रहे हैं, यह ट्रांसमिशन डायनेमिक्स और कुछ मुद्दों को देखते हुए और भी कठिन हो सकता है।

“महामारी शुरू होने के बाद से दुनिया भर में मरने वालों की संख्या दो मिलियन के करीब पहुंच रही है, जिसमें 91.5 मिलियन लोग संक्रमित हैं। डब्ल्यूएचओ के एपिडिमिओलोजिकल अपडेट के अनुसार  दो सप्ताह से कम मामलों की रिपोर्ट के बाद, पिछले सप्ताह कुछ पांच मिलियन नए मामले दर्ज किए गए थे, जब छुट्टियों के दौरान सोशल डिस्टन्सिंग में लापरवाही की गई, और लोग – और वायरस – एक साथ आए।”

“उत्तरी गोलार्ध में विशेषकर यूरोप और उत्तरी अमेरिका में – ठंड, और सोशल डिस्टन्सिंग में लापरवाही और अन्य कई कारणों से,  कई देशों में टांसमिशन में बढोतरी हुई है, ” डॉ रयान ने कहा।

ट्रम्प के खिलाफ अमेरिका के निचले सदन में महाभियोग प्रस्ताव पास

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ देश के निचले सदन प्रतिनिधि सभा में महाभियोग प्रस्ताव पास हो गया है। अब इस पर सीनेट में चर्चा होगी और वहां भी पास हो जाता है तो ट्रम्प महाभियोग के चलते राष्ट्रपति पद से हटा दिए जाएंगे। प्रस्ताव पास करने के लिए दो तिहाई वोटों की जरूरत होगी।

दिलचस्प यह भी है कि ट्रम्प की ही रिपब्लिकन पार्टी के 10 सांसदों ने उनके खिलाफ वोट दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ निचले सदन में 232 वोट पड़े जबकि उनके पक्ष में 197 वोट पड़े। निचले सदन की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने सदन में इसकी घोषणा की। एक ही कार्यकाल में दो बार महाभियोग झेलने वाले ट्रम्प अमेरिका के पहले राष्ट्रपति हैं।

हाल में कैपिटल हिल में जैसी हिंसा हुई उसके लिए ट्रम्प की बड़े पैमाने पर निंदा हुई है। अब महाभियोग का प्रस्ताव सीनेट में लाया जाएगा। ट्रम्प के लिए सबसे बड़ा झटका यह रहा कि उनके अपनी ही पार्टी रिपब्लिकन के 10 सांसदों ने उनके खिलाफ जाकर वोट दिया।

इसके बाद राष्ट्रपति निर्वाचित जो बाइडन ने एक ट्वीट करके कहा – ‘उम्मीद है ट्रम्प संबैधानिक जिम्मेवारी निभाएंगे।’ यदि ट्रम्प को इम्पीच कर दिया जाता है तो निश्चित ही इससे रिपब्लिकन पार्टी को बड़ा झटका लगेगा।

राम सेतु पर शोध को मिली मंजूरी : संस्कृति व पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल

दिल्ली में आज संस्कृति व पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने प्रेसवार्ता को संबोधित किया जिसमें उन्होंने रामसेतु को पुराणिक और पुरातात्वक धरोहर बताते हुए कहा कि राम सेतु की उम्र के बारे में रिसर्च कर जानकारी प्राप्त करने के लिए गोवा के ओसियन सांइस सेंटर को मंजूरी दे दी गई है। जिसमें नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओशनोग्राफी के वैज्ञानिक इसमे मौजूद पत्थरों के विषय पर खोज करेंगे।

यह अंडरवाटर रिसर्च प्रॉजेक्ट इस वर्ष शुरू किया जाएगा जिसमें पानी में 40 मीटर नीचे जाकर सतह से सैंपल लिए जाऐंगे। जिससे की राम सेतु से जुड़े सभी सवालों कि यह कब, कैसे, कहा, तथा उस समय इसके आस-पास किसी गांव के होने ना होने का पता भी चल सकेगा।

ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) बोर्ड ने भी इसे मंजूरी दे दी है। इस आधुनिक तकनीक से पुल से संबंधित सभी जरूरी सवालों को पता लगाने में मदद मिलेगी। यह पुल लगभग 48 किलोमीटर लंबा व भारत और श्रीलंका को के बीच स्थित है। इसकी गहराई करीब 30 फीट है।

यह वहीं राम सेतु है जिसके बारे में हम रामायण में पढ़ते या सुनते है। राम सेतु के द्वारा भगवान राम रावण की लंका तक पहुंचे थे और माता सीता को उसकी कैद से छुड़ा कर लाए थे। इस सेतु को बनाने में वानर सेना ने पत्थरों पर राम नाम लिख कर सेतु बनाया था जिसमें कोरल और सिलिका पत्थरों का उपयोग किया गया था।

आपकों बता दें, 2005 में यूपीए 1 के कार्यकाल के दौरान सेतुसमुद्रम शिप चैनल प्रॉजेक्ट की घोषणा की गई थी। जिसपर काफी विवाद भी हुआ था और मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा था। जहाजों की आवाजाही के लिए पुल की चट्टानों को तोड़ने की आवश्यकता भी पड़ी जिससे गहराई बढ़ सकें और जहाज आसानी से आ जा सकें। लेकिन 2007 में इस निर्माण कार्य पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी और यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में आनिर्णित है।

पटना में ‘इंडिगो’ के स्टेशन मैनेजर की हत्या, जांच एसआईटी करेगी, विपक्ष का नीतीश पर बड़ा हमला

बिहार की राजधानी पटना में देश की सबसे बड़ी एयरलाईंस इंडिगो के स्टेशन मैनेजर रुपेश की हत्या की जांच एसआईटी को सौंप दी गयी है। विपक्ष ने जदयू-भाजपा सरकार पर इस घटना को लेकर जबरदस्त हमला किया है और इसे ‘जंगलराज’ बताया है। विपक्ष के हमले के बाद अब से कुछ देर पहले  कुमार ने डीजीपी से पूरे मामले की जानकारी माँगी है।

पटना एयरपोर्ट पर इंडिगो एयरलाइंस के स्टेशन प्रबंधक रुपेश कुमार सिंह (40) की शास्त्रीनगर थाना क्षेत्र में अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। पुलिस ने हत्यारे को पकड़ने के लिए जांच टीम गठित कर दी है, हालांकि अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है। पुलिस ने बुधवार को बताया कि सिंह मंगलवार की रात रुपेश जब अपने पुनाईचक स्थित कुसुमविला अपार्टमेंट में प्रवेश कर रहे थे तभी अपराधियों ने उनपर गोलियों की बौछार कर दी।

लहूलुहान रुपेश को आनन फानन अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। रुपेश को छह गोली लगी हैं। पुलिस ने बताया कि घटना के वक्त अपार्टमेंट का सीसीटीवी बंद था। इससे यह भी शक होता है कि हत्यारे पूरी तैयारी से आये थे। पटना के वरिष्ठ एसपी उपेंद्र शर्मा के मुताबिक अब तक हत्या के कारणों का पता नहीं चला है। विपक्ष के हमले के बाद अब से कुछ देर पहले  कुमार ने डीजीपी से पूरे मामले की जानकारी माँगी है।

पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। घटना की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है। इस मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। रुपेश कुमार सिंह का शव सारण जिले में उनके पैतृक गांव भेज दिया गया है। पुलिस आसपास लगे सीसीटीवी को खंगाल रही है।

उधर विपक्ष ने नीतीश सरकार पर इस घटना को लेकर जबरदस्त हमला किया है। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इसे ‘असली जंगलराज’ करार दिया है। तेजस्वी ने कहा – ‘नीतीश बाबू चुक गए हैं। अब यह उनके बस में नहीं रहा। हम इस घटना की कड़ी निंदा करते हैं। बिहार में अपराधी ही सरकार चला रहे हैं।’

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ का स्पेशल मैरेज ऐक्ट में संशोधन कर 30 दिन के नोटिस की शर्त ख़त्म करने का आदेश  

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बुधवार को एक बड़े फैसले में स्पेशल मैरेज ऐक्ट में बड़ा संशोधन किया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि विशेष विवाह क़ानून के तहत विवाह करने वाले जोड़े को 30 दिन के पूर्व नोटिस की जरूरत नहीं होगी और वह फ़ौरन शादी कर सकते हैं। फोटो नोटिस बोर्ड पर लगाने की पाबंदी भी कोर्ट ने ख़त्म कर दी है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कोर्ट ने इस क़ानून को निजता का उल्लंघन बताते हुए फैसला एक दंपती की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया।  साफिया सुल्ताना नाम की लड़की ने धर्मांतरण कर एक हिंदू लड़के से शादी की थी। लड़की के परिजन शादी के खिलाफ थे, लिहाजा उन्होंने लड़की को अपने घर पर अवैध तरीके से बंदी बनाकर रखा। लड़के के पिता ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर न्याय की गुहार लगाई थी।

इसके बाद अदालत ने लड़की और उसके पिता को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था। कोर्ट में लड़की के पिता ने कहा कि वह पहले इस शादी के खिलाफ थे, लेकिन अब उन्हें इस पर कोई आपत्ति नहीं है। सुनवाई के दौरान लड़की ने अदालत के सामने अपनी समस्या रखते हुए कहा कि उसने स्पेशल मैरेज ऐक्ट के तहत शादी इसलिए नहीं कि क्योंकि इस कानून में एक प्रावधान है कि शादी के बाद 30 दिन का एक नोटिस जारी किया जाएगा। इसके तहत अगर किसी को विवाह से आपत्ति है तो वह ऑब्जेक्शन कर सकता है।

कोर्ट में लड़की ने बताया कि इस प्रावधान के कारण लोग अक्सर मंदिर या मस्जिद में शादी कर लेते हैं। कोर्ट ने लड़की की बात को संज्ञान लिया और स्पेशल मैरेज ऐक्ट की धारा 6 और 7 में संशोधन करते हुए फैसला सुनाया कि अब इस तरह के नियम की आवश्यकता नहीं है। ये नियम व्यक्ति की निजता के अधिकार का हनन है। न्यायमूर्ति विवेक चौधरी ने कहा कि अगर स्पेशल मैरेज ऐक्ट के तहत शादी करने वाला जोड़ा इच्छुक नहीं है तो इस तरह के नोटिस की बाध्यता नहीं की जा सकती। इस संबंध में आदेश की प्रति रजिस्ट्रार और अन्य न्यायिक अधिकारियों को भेजा गया है।