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अफगानिस्तान : काबुल से दोहा होते हुए आज 146 भारतीय लौटे स्वदेश

अफगानिस्तान में बढ़ते तालेबानियों के क़हर के बीच, वहाँ बसे भारतीयों का दूसरा जत्था आज दिल्ली पहुंच गया है।  इनमें 146 भारतीय शामिल हैं। रविवार को इन भारतियों को काबुल से विमान के जरिए दोहा पहुचाया गया था, जिसके बाद आज सुबह इनहे सुरक्षित दिल्ली लाया गया।

इससे पहले रविवार को भारतीय एयरफोर्स का विमान 135 लोगों को लेकर वतन लौटा था। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से दुनिया के तमाम देश अपने नागरिकों को सुरक्षित निकाल रहे हैं। इसी कड़ी में भारत भी वहां से लोगों को लाने में जुटा हुआ है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत 22 अगस्त को 392 लोगों को अलग अलग विमान से लेकर आया है।  इनमें 2 अफगानी नेताओं को काबुल से बाहर निकाला गया है ।  वहीं,  87 भारतीयों और दो नेपाली लोगों को भी एयर इंडिया की स्पेशल फ्लाइट से दुशांबे से लाया गया है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अभी तक 590 लोग को काबुल से भारत पहुंचाया जा चुका है।  शुरुआत में जानकारी मिली थी  कि अफगानिस्तान में करीब 400 भारतीय फंसे हैं, लेकिन यह संख्या बढ़ती जा रही है। काबुल से निकालने का सिलसिला जारी है।

 

केंद्र सरकार ने अफगानिस्तान पर 26 को सर्वदलीय बैठक बुलाई ; तालिबान की अमेरिका को 31 तक देश छोड़ने की चेतावनी

केंद्र सरकार ने 26 अगस्त को अफगानिस्तान पर चर्चा करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इस बैठक में अफगानिस्तान को लेकर सरकार अपना रुख बता सकती है और विपक्ष से सुझाव मांग सकती है। इसके अलावा अफगानिस्तान में अभी तक फंसे भारतीयों को भारत वापस लाने को लेकर भी सरकार अपनी तैयारी की जानकारी विपक्ष को दे सकती है। इस बीच तालिबान ने सोमवार को अमेरिका को चेतावनी जारी करके 31 अगस्त तक देश से चले जाने को कहा है।
यह बैठक 26 अगस्त को दोपहर 11 बजे होगी। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों के इस बैठक में शामिल होने की संभावना है। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद पैदा हुए संकट के बाद सरकार की विपक्ष से यह पहली बैठक होगी।
इस बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर संसद में सभी पार्टियों के नेताओं से यह चर्चा करेंगे। सरकार ने सभी दलों के संसद के नेताओं को इस बैठक में शामिल होने के लिए बुलाया है। बैठक में जयशंकर अफगानिस्तान को लेकर सरकार की तरफ जानकारी देंगे।
इस बीच अफगानिस्तान में एक बड़े हिस्से पर कब्ज़ा कर चुके तालिबान ने अमेरिका को चेतावनी 31 अगस्त तक देश से चले जाने को कहा है। बता दें काबुल में देश का   सबसे बड़ा एयरपोर्ट अभी तक अमेरिका के नियंत्रण में हैं। अमेरिकी सैनिक ही इस एयरपोर्ट से तमाम संचालन को देख रहे हैं।
उधर काबुल से आज और 146 लोगों को सुरक्षित भारत लाया गया है। अफगानिस्तान के लोगों को लेकर आने वाली इंडिगो की फ्लाइट नंबर 6ई-1702  में दोहा से कुछ लोग दिल्ली एयरपोर्ट उतरे जबकि विस्तारा के जहाज से भी काफी लोग भारत पहुंचे हैं। इस बीच कतर से भारत आए 2 यात्री कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। कतर से आई इस फ्लाइट में 30 यात्री मौजूद थे। उधर तालिबान और नॉर्थर्न एलायंस के बीच पंजशीर में युद्ध की स्थिति बन गयी है।
तालिबान ने स्वीकार किया है कि उसके करीब 3000 लड़ाके पंजशीर के बाहर तखर, बदख्शां और अंदराब की ओर तैनात हैं। इस बीच जर्मन सेना ने कहा है कि काबुल एयरपोर्ट के नॉर्थ गेट पर सोमवार सुबह अफगान सुरक्षा बलों और अज्ञात हमलावरों के बीच मुठभेड़ हो गई। इसमें अफगान सेना का जवान मारा गया और तीन  घायल हो गए।  बाद में अमेरिकी और जर्मन सेना भी इसमें शामिल हो गई। हमलावर कौन थे, यह  अभी पता नहीं है।
पंजशीर की तरफ जाने वाली अंद्राब घाटी में तालिबान और विरोधी फोर्स के बीच गोलबारी हुई है। इस लड़ाई में तालिबान के काफी नुकसान होने  की खबर है।  अहमद मसूद की कमान वाली नॉर्थर्न एलायंस फोर्स तालिबान का कड़ा मुकाबला कर रही है।

विशेष विमान से 168 लोग भारत पहुंचे ; काबुल एयरपोर्ट पर मची भगदड़ में 7 अफगानों की मौत  

भारत की वायुसेना के एयर इण्डिया, इंडिगो और विस्तारा एयरलाईंस के जहाजों से आज 300 के करीब लोगों को काबुल से भारत लाया जाएगा। इनमें से 168 भारतीय और अन्य लोग रविवार सुबह गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर उतरे। भारतीय वायुसेना के सी-17 ग्‍लोबमास्‍टर विमान से यह लोग भारत पहुंचे हैं। उधर काबुल एयरपोर्ट पर आज हुई भगदड़ में 7 लोगों की मौत हो  जाने की खबर है। उधर अफगानिस्तान में विरोधियों की तरफ से हमले में 30 तालिबानी मारे गए हैं।

रविवार को अभी तक आये 168 लोगों में 107 भारतीयों के अलावा अफगानिस्‍तान के सिख और हिंदू नागरिक भी शामिल हैं। इस अभियान के तहत आज करीब 300 भारतीय नागरिकों को अफगानिस्तान से भारत लाया जाएगा। उधर काबुल हवाई अड्डे के पास अफरा-तफरी में सात लोगों की मौत की खबर है। एक न्यूज एजेंसी को ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है। वहां फायरिंग हुई और उसके बाद अफरा तफरी मच गई जिससे सात लोगों की जान चली गयी। उधर अफगानिस्तान में विरोधियों की तरफ से हमले में 30 तालिबानी मारे गए हैं।

उधर रविवार सुबह जब हिंडन एयरबेस पर भारतीय वायुसेना के सी-17 ग्‍लोबमास्‍टर विमान से 168 लोगों ने लैंड किया तो उनके चेहरों पर चैन की चमक थी। उनकी  खुशी देखने लायक थी। इनमें कुछ छोटे बच्चे भी थे। आज आने वाले लोगों में वहां की सीनेटर अनारकली कौर होनरयार और नरेंद्र खालसा भी थे। दोनों ने भारत सरकार और यहाँ की जनता का धन्यवाद किया है।

अनारकली ने कहा – ‘अफ़ग़ानिस्तान में रहना बहुत मुश्किल हो गया था इसलिए मैं भारत आई हूं। मैं यहां अपनी बेटी, दामाद और उसके बच्चों के साथ आई हूं। मैं अपने घर वापस नहीं जा सकती हूं क्योंकि तालिबान ने मेरे घर को जला दिया है। मैं भारत सरकार को धन्यवाद करती हूं।’

उन्होंने कहा – ‘हमें तालिबान पर भरोसा नहीं है। कुछ दिन पहले तक मैं अपने ऑफिस में काम कर रही थी, लेकिन आज देखिए क्या हो गया। हम कैसे-कैसे बचे हैं, यह मैं अभी नहीं बता सकती, लेकिन अभी इतना समझिए कि हम किसी तरह जान बचाकर बस एक जोड़ी कपड़े में काबुल से दिल्ली पहुंचे हैं। हम इंडिया और इंडिया के लोगों से बहुत प्यार करते हैं, लेकिन अपना देश छोड़ना आसान नहीं है। हम मोदी जी और भारत सरकार का शुक्रिया करते हैं जिन्होंने हमारी मदद की। हम उन तमाम लोगों को शुक्रिया करते हैं जिनके मदद से हम दिल्ली पहुंचे हैं।’

एक और सीनेटर नरेंद्र खालसा ने कहा – ‘आप सभी लोग जानते हैं कि अफगानिस्तान में हालात बेहद खराब हैं। हमें तालिबान पर बिलकुल भी भरोसा नहीं है, इसलिए हम सभी भारत आ गए हैं। हम भारत सरकार के शुक्रगुजार है कि इस मुश्किल वक्त में उन्होंने हमारी मदद की। अफगानिस्तान हमारी जमीन है, हमारी मां है।’

एक अनुमान के मुताबिक, अफगानिस्तान में अभी भी करीब 400 भारतीय फंसे हो सकते हैं और भारत उन्हें वहां से निकालने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए भारत ने अमेरिका और अन्य मित्र राष्ट्रों से मदद मांगी है।

इस बीच काबुल अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के बाहर जुटी लोगों की भीड़ में शामिल 7 अफगानी नागरिकों की तब मौत हो गयी जब वहां भगदड़ मच गयी। ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने इस घटना की पुष्टि करते हुए बताया है कि अफगानिस्तान में जमीनी स्थितियां बहुत चुनौतीपूर्ण हैं, लेकिन ज्यादा से ज्यादा सुरक्षित तरीके से हालात को संभालने की हर संभव कोशिश की जा रही है।

उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम कल्याण सिंह का निधन, राममंदिर आंदोलन में बनाई बड़ी राजनीतिक पहचान

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राम मंदिर आंदोलन के बड़े नेता कल्याण सिंह का निधन हो गया है। वे 89 वर्ष के थे। कल्याण सिंह राज्यपाल भी रहे। विभिन्न भाजपा नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया है।
कल्याण सिंह लम्बे समय से अस्वस्थ थे और उनका इलाज चल रहा था। शनिवार देर शाम एसजीपीजीआई अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। कल्याण सिंह दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने के अलावा राज्यपाल भी रहे।
लाल कृष्ण आडवाणी के अलावा कल्याण सिंह को भाजपा को ज़मीन से फलक तक पहुंचाने का श्रेय दिया जाता है। कल्याण सिंह की खराब सेहत को देखते हुए उन्हें पहले लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन 4 जुलाई को उनकी हालत बिगड़ने पर उन्हें पीजीआई में शिफ्ट किया गया। शनिवार की शाम उन्होंने यहीं अंतिम सांस ली।
रिपोर्ट्स के मुताबिक पीजीआई में शिफ्ट होने के बाद उनका स्वास्थ्य बिगड़ता ही गया और डाक्टरों की पूरी देखभाल के बावजूद शनिवार को वे चल बसे। मुख्यमंत्री  योगी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई नेता उनका हाल जानने पीजीआई आते रहे थे। आज शाम कल्याण सिंह के निधन की खबर के बाद भाजपा समेत कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया है।
कल्याण सिंह को एक बड़े राजनीतिक नेता के रूप में पहचान 90 के दशक में भाजपा के राममंदिर आंदोलन से मिली। अयोध्या में विवादित ढांचा गिरने की जिम्मेदारी कल्याण सिंह ने ली थी और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी, 1932 को अलीगढ़ में अतरौली तहसील के मढ़ौली ग्राम के एक सामान्य किसान परिवार में हुआ। बचपन में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए। कल्याण सिंह ने विपरीत परिस्थितियों में मेहनत कर उच्च शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद अध्यापक की नौकरी की। आरआरएस से जुड़ कर गांव-गांव जाकर लोगों में जागरूकता पैदा की।
कल्याण ने 1967 में अपना पहला विधानसभा चुनाव अतरौली से जीता। वे 1967 से 1980 तक उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे। देश में 1975 में आपातकाल के दौर में 21 महीने तक जेल में रहे। साल 1977 के चुनाव में वे उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री बने। इसके बाद 1980 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कल्याण सिंह हार गये। भाजपा के गठन के बाद कल्याण सिंह को उत्तर प्रदेश का संगठन महामंत्री बनाया गया और बाद में सीएम बने।

उमस भरी गर्मी में लगातार प्रशिक्षण से 34 जवानों की तबीयत बिगड़ी, एक ने दम तोड़ा

दिल्ली-एनसीआर में शुक्रवार देर रात से भले ही जोरदार बारिश हो रही हो, बावजूद इसके उत्तर भारत के ज्यादातर इलाकों में गर्मी से लोग बेहाल हैं। उमस भरी गर्मी से हर कोई बेहाल है, तो इससे भारतीय सेना के युवा जांबाज भी अछूते नहीं हैं। पाकिस्तान सीमा से सटे पंजाब के पठानकोट में प्रशिक्षण के दौरान भारतीय सेना के जवान उमस भरी गर्मी की चपेट में आ गए। इस दौरान करीब 34 जांबाज बीमार हो गए है, जिनमें से एक ने दम तोड़ दिया।

धूप और उमस भरी गर्मी के बीच चलाए जा रहे प्रशिक्षण अभियान पर भी सवाल उठने लगे हैं। इस दौरान उनके लिए जरूरी एहतियाती उपाय अपनाने चाहिए। बाकी बीमार जांबाजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार सुबह बेहद गर्मी और उमस वाले मौसम के बीच मामून मिलिट्री स्टेशन में नौ कोर रेकी ट्रूप को सहनशक्ति का प्रशिक्षण दिया जा रहा था। प्रशिक्षण के दौरान ही 34 जवानों की तबीयत बिगड़ गई। इनमें से कुछ जवान तो बेहोश भी हो गए। बाद में सभी को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उपचार के दौरान एक जवान की मौत हो गई। तीन अन्य जवानों की हालत अब भी गंभीर है।

रिपोर्ट के अनुसार, उमस वाली गर्मी में दिए जा रहे प्रशिक्षण से जवानों की तबीयत बिगड़ी। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सहनशक्ति प्रशिक्षण 72 घंटों से चल रहा था। शनिवार को मौसम बहुत गर्म था, ऐसे में जवानों ने भारी वजन और हथियार के साथ 10 किलोमीटर की दौड़ लगाई थी। पानी की कमी और गर्मी से जवानों की तबीयत बिगड़ी।

हालांकि सेना के अधिकारी ने दावा किया कि सहनशक्ति प्रशिक्षण ट्रेनिंग का अहम हिस्सा होता है। हालांकि, अधिक गर्मी और उमस के कारण जवान इसे सहन नहीं कर पाए। मौत की वजह अधिक गर्मी ही बताया गया है। उन्होंने बताया कि फिलहाल तीन जवानों की हालत में सुधार नहीं हो रहा है। ऐसे में चिकित्सक उनके स्वास्थ्य पर नजर रखे हैं।

ओलंपिक 2020 में ऐतिहासिक जीत दर्ज कराने वाले नीरज चोपड़ा के नाम पर हो सकता है पुणे में स्टेडियम

टोक्यो ओलंपिक 2020 में भाला फेंक स्पर्धा में शानदार प्रदर्शन कर गोल्ड मेडल जीत कर नीरज चोपड़ा ने ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। नीरज भारत के ऐसे एथलीट है जिन्होंने भाला फेंक प्रतिस्पर्धा में इतिहास रचा है।

नीरज चोपड़ा की इस जीत को यादगार बनाने के लिए उनके नाम पर स्टेडियम बनने की खबर सामने आ रही है। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 23 अगस्त को पुणे का दौरा करेंगे। डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी व आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट (एएसआई) जायेंगे।

रक्षा जनसंपर्क अधिकारी द्वारा जारी की गई विज्ञप्ति में बताया गया है कि ऐसी संभावना जताई जा रही है कि आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट की यात्रा के दौरान रक्षा मंत्री सिंह परिसर में स्टेडियम का नाम बदलकर ‘नीरज चोपड़ा आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट’ रखा जा सकता है।

इस प्रतियोगिता में नीरज ने पहले थ्रो राउंड में 87.03 मीटर तक भाला फेंका था। साथ ही दूसरे थ्रो में उन्होंने 87.58 मीटर भाला फेंका जो की फाइनल स्कोर बना। 23 साल की आयु में इतिहास रचने वाले नीरज चोपड़ा भारतीय सेना में नायक सूबेदार भी है।

कई दिनों बाद दिल्ली का मौसम हुआ ख़ुशगवार, जलभराव से आम लोग परेशान

राजधानी दिल्ली में 20 अगस्त की रात से 21 अगस्त की सुबह तक हुई झमाझम बारिश से लोगों को गर्मी और उमस से तो राहत मिल गयी है, लेकिन दिन भर जगह-जगह सड़कों और गलियों में जलभराव होने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

आलम ये रहा है कि कई-कई घंटों सड़कों पर जाम लगने से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। यातायात व्यवस्था बाधित लडख़ड़ाती नज़र आ रही है। आफिस जानों वालों को कई –कई घंटे जाम का सामना करना पड़ रहा है।

सबसे चौकाने वाली बात तो यह देखने को मिली है जिनके  घर या आँफिस बेसमेंट में है वहा पर बरसाती पानी लबालब भर जाने से लोगों को मोटर लगाकर जमा पानी को निकालनें में बड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। दिल्ली के तिलक ब्रिज, आईटीओ, मधुबन चौक अक्षरधाम मंदिर के पास और मिंटों रोड़ सहित अन्य जगहों पर रेंगते वाहनों को देखा गया है।

दिल्ली में हुई झमाझम बारिश को लेकर यहां के लोग काफी खुश है उनका कहना है कि दिल्ली में पिछले एक सप्ताह से हो रही गर्मी और उमस के कारण लोगों को काफी परेशानी हो रही थी। अब राहत मिलेंगी ।

दिल्ली निवासी मीडिया सलाहकार आलोक गुसांई ने बताया कि दिल्ली –एनसीआर में लोग गर्मी और उमस से झुलस रहे थे। लेकिन इस रात भर की बारिश ने लोगों के तन और मन को शांति दी है।

 

अगवा नहीं किया था, 150 लोगों को सुरक्षित एयरपोर्ट पहुँचाया: तालिबान

अफगानिस्‍तान की राजधानी काबुल में अबसे करीब दो घंटे पहले तालिबानी भारतीयों समेत जिन 150 लोगों को अपने साथ ले गए थे, वे सुरक्षित हैं और तालिबान ने ‘पूछताछ’ के बाद उन्हें छोड़ दिया है। तालिबान ने स्पष्ट किया है कि वे इन लोगों को सुरक्षित तरीके से ले गए थे और उनका अपहरण नहीं किया गया था।

तालिबान ने सीएनएन न्यूज18 को बताया है कि उन्होंने काबुल एयरपोर्ट के पास किसी भारतीय को अगवा नहीं किया, बल्कि वे इन लोगों को दूसरे सुरक्षित रास्ते से एयरपोर्ट ले गए हैं। खबर है कि तालिबान ने इन सभी भारतीयों को अपने साथ ले जाने के बाद उनके पासपोर्ट की जांच की है। तालिबानी लड़ाके अफगानियों को देश छोड़ने से रोकने के लिए एयरपोर्ट के बाहर सभी लोगों की जांच कर रहे हैं।

अफगान मीडिया ने दो घंटे पहले दावा किया था क‍ि राजधानी काबुल स्थित  इंटरनेशनल एयरपोर्ट के बाहर तालिबानी लड़ाकों ने 150 लोगों, जिनमें ज्यादातर के भारतीय होने की बात कही गयी थी, का अज्ञात स्थान की तरफ अपहरण कर लिया है। अब तालिबान ने खुद इसे अपहरण नहीं बताते हुए कहा वे इन लोगों को सुरक्षित जगह से एयरपोर्ट ले गए थे। अब उन्हें छोड़ने का दावा भी तालिबान ने किया है।

इन लोगों में अफगानिस्‍तान में रहने वाले हिन्दू और सिख दोनों शामिल हैं। अफगानिस्तान के मीडिया ने बताया था कि एयरपोर्ट के पास पहुंचते ही तालिबान के लड़ाके वहां पहुंचे और इन लोगों को घेरकर अपने साथ ले गए। अब तालिबान के प्रवक्ता अहमदुल्ला वसीक ने कहा है कि अपहरण करने की बात गलत है और इन लोगों को वे सुरक्षित तरीके से दूसरे रास्ते से एयरपोर्ट के भीतर पहुंचा आए।

काबुल एयरपोर्ट से कई भारतीयों समेत 150 लोगों को ले गए तालिबानी

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल एयरपोर्ट से 150 लोगों को तालिबानियों के अपने साथ ले जाने की खबर है। इनमें से ज्यादातर भारतीय बताये गए हैं। इन लोगों को कहाँ और क्यों ले जाय गया है, इसकी अभी जानकारी नहीं है। इस बीच अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे और उसके खिलाफ शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों के बीच 85 और भारतीयों को काबुल से स्वदेश लाया जा रहा है। भारतीय वायु सेना के सी-130जे विमान इन भारतीयों को लेकर काबुल से उड़ान भर चुका है। चार दिन पहले ही 150 के करीब भारतीयों, जिनमें दूतावास अधिकारी/कर्मचारी, आईटीबीपी के जवान, पत्रकार और अन्य लोग थे, को भारत लाया गया था। उधर अफगानिस्तान में तालिबान के विरोध का दायरा धीरे-धीरे बढ़ रहा है।
काबुल के एयरपोर्ट पर अभी भी अमेरिकी सेना का अधिकार है और तालिबान वहां कब्ज़ा नहीं कर पाया है। अमेरिकी सेना की मदद से आज सुबह 85 और भारतीयों को काबुल से सुरक्षित निकाला गया है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कुछ दिन पहले ही अमेरिकी विदेश मंत्री से भारतीयों को निकालने में मदद की अपील की थी। यह जहाज आज दोपहर बाद हिंडन गाजियाबाद या दिल्ली पहुंचेगा।
इस बीच खबर है कि देश छोड़कर भागे राष्ट्रपति अब्दुल गनी के भाई हश्‍मत गनी अहमदजई तालिबान में शामिल हो गए हैं। उनका तालिबान की तरफ से स्वागत किए    जाने की तस्वीरें मीडिया में आ रही हैं जिसमें तालिबान के नेता खलील उर रहमान और इस्‍लामिक विद्वान मुफ्ती महमूद जाकिर गनी के साथ दिख रहे हैं। अशरफ गनी यूएई में शरण लिए हुए हैं। उनपर अफगानिस्तान से बड़े पैमाने पर संपत्ति लेकर भागने का आरोप है, हालांकि गनी ने इन आरोपों को गलत बताया है।
इस बीच 85 भारतीयों को लेकर भारतीय वायु सेना का सी-130जे विमान आज सुबह काबुल से दिल्ली के लिए रवाना हो गया है। विमान ताजिकिस्तान में ईंधन भरने के लिए रुका था। अफगानिस्तान में अभी भी 900 से ज्यादा  भारतीय फंसे हैं, जिनमें से कई ने काबुल के गुरुद्वारे में शरण ली हुई है। भारत सरकार भारतीयों की सुरक्षित वापसी के लिए कई मोर्चों पर संपर्क जुटा रही है।
उधर काबुल में अभी तक आतंक का माहौल है और वहां नागरिक देश छोड़ कर बाहर निकलने के लिए जुटे हैं। एक घटना में एक अफगान परिवार को अपने छोटे बच्चे को अमेरिकी सैनिकों को देते हुए देखा गया ताकि उसकी जान बच सके।
इस बीच अफगान झंडे के साथ एक किलोमीटर का मार्च निकालने के अलावा कई जगह अफगान नागरिक तालिबान का विरोध करते हुए देखे जा रहे हैं। पंजशीर घाटी कुछ मजबूत नेता भी तालिबान को चुनौती देने की तैयारी में लगते हैं। पंजशीर में अभी तक तालिबान का कब्ज़ा नहीं हो पाया है।

सोनिया गांधी के निमंत्रण पर जुटा विपक्ष, भाजपा के खिलाफ देशहित में साथ आने की गांधी की अपील

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार शाम अपने आवास पर विपक्ष के बड़े नेताओं के साथ बैठक कर विपक्षी एकता की तरफ एक और कदन बढ़ाया। इस मौके पर 19 विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए जिनमें सीएम ममता बनर्जी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, सीएम एमके स्टालिन, फारूक अब्दुल्ला, सीएम हेमंत सोरेन, सीएम सीएम उद्धव ठाकरे और सीताराम येचुरी जैसे दिग्गज शामिल रहे।

हाल में विपक्षी दलों के साथ कांग्रेस की यह तीसरी बैठक है जिसमें एक राहुल गांधी की नाश्ते की बैठक भी शामिल है। बैठक में सोनिया गांधी ने सभी नेताओं से देशहित में संसद और संसद के बाहर एकजुट होने की अपील की।

अगले साल उत्तर प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों में होने वाले विधानसभा के चुनावों से पहले कांग्रेस की विपक्ष को एकजुट करने की यह कोशिशें भाजपा की परेशानी बढ़ा सकती हैं। कांग्रेस की इस बैठक में बसपा और सपा के अलावा आप को भी न्योता नहीं मिला था। आप ने कहा कि उसे कांग्रेस की तरफ से न्योता ही नहीं मिला था। कांग्रेस उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी को आगे करके चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही है जिससे बसपा और सपा में बेचैनी है।

सोनिया गांधी की आज की बैठक में 19 विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए। इनमें टीएमसी, एनसीपी, डीएमके, शिवसेना, जेएमएम, भाकपा, माकपा, फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस, आरजेडी, एआईयूडीएफ, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, लोकतांत्रिक जनता दल, जनता दल सेकुलर, राष्ट्रीय लोक दल, केरल कांग्रेस (एम), वीसीके, आरएसपी और आईएयूएमएल शामिल हैं। ममता बनर्जी और शरद पवार के इस बैठक में शामिल होने को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष अब भाजपा की सामने एक मजबूत विकल्प के रूप में खड़ा होने की कोशिश करता दिख रहा है। विपक्ष के कई नेता कह चुके हैं कि कांग्रेस के बिना विपक्ष एक मजबूत विकल्प नहीं बन सकता लिहाजा कांग्रेस को आगे आना चाहिए। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अब विपक्ष के नेताओं से मिल रहे हैं।

आज की बैठक में सोनिया गांधी ने कहा – ‘यह एकता भविष्य में भी संसद से लेकर बाहर तक दिखेगी।’ सोनिया ने 2024 की सियासी लड़ाई की भी बैठक में बात की और कहा अगले लोकसभा चुनाव के लिए सभ्यी विपक्षी दलों को साझा रूप से रणनीति बनाने की सख्त ज़रुरत है। गांधी ने कहा – ‘हम सबके अपने-अपने राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं। लेकिन इन्हें परे रखकर राष्ट्रहित में हम एक साथ आ सकते हैं। कांग्रेस की तरफ से इस तरह की कोशिशों में कोई कमी नहीं मिलेगी।’

बैठक में सोनिया गांधी ने बार-बार भाजपा के खिलाफ एकजुट होने की अपील की। उन्होंने कहा ज़मीनी तौर पर हम भी मजबूत हैं और भाजपा का मुकाबला कर सकते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा – ‘संसद में विपक्ष की एकजुटता का ही नतीजा है कि सरकार को ओबीसी बिल में संशोधन करना पड़ा। विपक्ष की एकजुटता से घबराकर सरकार ने अड़ियल रवैया अपनाया जिससे मॉनसून सत्र नहीं चल पाया।’

ममता बनर्जी, एमके स्टालिन, उद्धव ठाकरे, शरद पवार जैसे नेताओं को जुटाकर सोनिया गांधी ने कांग्रेस ही नहीं विपक्ष की एकता का भी सन्देश दिया है। आज की बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राहुल गांधी भी शामिल रहे। फारूक अब्दुल्ला भी बैठक में शामिल हुए। सोनिया ने विपक्षी नेताओं से कहा – ‘आखिर  हमारा लक्ष्य 2024 का लोकसभा चुनाव है। हमें ऐसी सरकार के लिए योजना बनाकर काम करना होगा जो आजादी के आंदोलन के मूल्यों में विश्वास करती हो। पेगासस जासूसी मुद्दे पर चर्चा करने में सरकार ने इच्छा नहीं दिखाई। इसके कारण संसद का मानसून सत्र पूरी तरह से धुल गया। संसद में विपक्ष की एकता का भरोसा है, लेकिन इसके बाहर बड़ी राजनीतिक लड़ाई लड़नी होगी।’

एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने ‘तहलका’ को कि बैठक में सभी मुख्यमंत्रियों ने कहा कि विपक्ष को एकजुट होना होगा। इन मुख्यमंत्रियों ने आरोप लगाया कि गैर भाजपा राज्य सरकारों को परेशान किया जा रहा है। हमें साथ आना होगा और केंद्र सरकार का सामना करना होगा।

हाल के संसद सत्र में कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने सरकार पर कई मुद्दों को लेकर दबाव बनाया था। मानसून सत्र के दौरान संसद में पेगासस जासूसी कांड, किसान आंदोलन, महंगाई समेत दूसरों मुद्दों को लेकर विपक्ष ने सरकार को जमकर घेरा था। इन दिनों विपक्षी पार्टियों में अच्छी एकजुटता नजर आ रही है।

हाल के दिनों में राहुल गांधी विपक्षी दलों के नेताओं के साथ नाश्ते पर बैठक कर चुके हैं जिसमें 14 दल शामिल हुए थे। मकसद विपक्ष को एकजुट करने का ही था। याद रहे इस बैठक के बाद राहुल गांधी साइकिल से संसद गए थे। साथ विपक्षी दलों के नेता भी थे। इसके बाद कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने भी विपक्ष के नेताओं को डिन्नर पर आमंत्रित करके विपक्षी एकता पर चर्चा की थी। राहुल गांधी ने विपक्षी नेताओं के साथ दो बार प्रेस कांफ्रेंस भी की। देखना है आने वाले दिनों में कांग्रेस की यह कोशिशें क्या रंग लाती हैं।