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कोरोना लहर में ना पड़े बल्कि कोरोना गाइड लाइन का पालन करें

कोरोना के मामले भले ही कम हो रहे हो ऐसे में जरा सी लापरवाही घातक हो सकती है। डाक्टरों का मानना है कि, जिन्हें कोरोना हो चुका है। वे हार्ट , किडनी, लीवर सहित आँखों की जांच करवाते रहे। क्योंकि कोरोना के कुछ रोगी ऐसे भी है जिनको हार्ट और किडनी की बीमारी तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रही है।

इंडियन हार्ट फाउंडेशन के अध्यक्ष डाँ आर एन कालरा का कहना है कि कोरोना के रोगियों को स्वास्थ्य सम्बंधी परेशानी बढ़ी है। मैक्स अस्पताल के कैथ लैब के डायरेक्टर डाँ विवेका कुमार का कहना है कि, मधुमेह रोगी, उच्च रक्त चाप से पीड़ित मरीजों को अपने हार्ट की जांच समय –समय पर करवाते रहना चाहिये। क्योंकि कोरोना से शरीर में कमजोरी आने से मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

आई एम ए के पूर्व संयुक्त सचिव डाँ अनिल बंसल ने कहा कि, दूसरी और तीसरी लहर कोरोना को लेकर लोगों के मन में डर और भय है। उसको लेकर डरें नहीं , बल्कि कोरोना को लेकर सावधानी बरतें और कोरोना गाइड लाईन का पालन करें।

चूंकि, तमाम अध्यनों से पता चला है कि कोरोना कि कोरोना के रोगियों को शारीरिक दिक्कत के साथ अंगों के डैमेज होने के मामले सामने आ रहे है। जो चिन्ता का विषय है। ऐसे में लगातार बुखार आने और खांसी-जुकाम के साथ बैचेनी हो तो उसे नजरअंदाज ना करें। डाक्टरों से परामर्श करें । ताकि कोरोना से समय रहते लड़ा जा सकें।

कोविड प्रोटोकॉल न मानने पर यूएई ने इंडिगो उड़ानों पर लगाई हफ्ते भर की रोक

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने इंडिगो की सभी उड़ानों के संचालन पर एक हफ्ते की रोक लगा दी। दरअसल, कई यात्रियों के डिपार्चर एयरपोर्ट पर अनिवार्य आरटी-पीसीआर टेस्ट के नियम का पालन न करने पर यह प्रतिबंध लगाया गया है। इंडिगो ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि परिचालन संबंधी मुद्दों के कारण संयुक्त अरब अमीरात के लिए इंडिगो की सभी उड़ानें 24 अगस्त 2021 तक रद्द रहेंगी। यह निलंबन मंगलवार से प्रभावी हो चुका है।

इंडिगो की ओर से जारी बयान में कहा गया कि हमने अपने सभी यात्रियों को इस बारे में सूचित कर दिया है। एक बार परिचालन दोबारा शुरू होने के बाद यात्रियों को दूसरी फ्लाइट में टिकट दिए जाने या रिफंड के साथ मदद की जाएगी। यूएई सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक हर यात्री को उड़ान के लिए निर्धारित समय से 48 घंटे पहले आरटी-पीसीआर टेस्ट निगेटिव और छह घंटे पहले एयरपोर्ट पर रैपिड पीसीआर टेस्ट में निगेटिव रिपोर्ट प्राप्त करना अनिवार्य है। रैपिड पीसीआर टेस्ट के निर्देश पांच अगस्त से लागू हुए हैं।

इसके साथ ही यात्रियों को यात्रा के लिए यूएई के अधिकारियों से अनुमोदन पत्र की भी आवश्यकता होती है। हवाई अड्डे पर एयरलाइन चेक-इन कर्मचारियों को यात्रियों को अनुमति देने से पहले परीक्षण रिपोर्ट की जांच करने की आवश्यकता होती है। इसके बाद यूएई पहुंचने पर भी दस्तावेजों की जांच की जाती है। अचानक फ्लाइट कैंसिल की जानकारी मिलने पर यात्रियों ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर की।

बता दें कि जून के मुकाबले जुलाई माह में देशभर में 61 फीसदी अधिक यानी 50.07 लाख घरेलू यात्रियों ने हवाई यात्रा की। यह संख्या जून में 31.13 लाख थी। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने बताया कि मई में 21.15 लाख लोगों ने और 57.25 लाख लोगों ने अप्रैल के दौरान हवाई यात्रा की थी। सबसे ज्यादा लोगों ने इंडिगो से जुलाई में 29.32 लाख यानी 58.6 फीसदी यात्रियों ने हवाई यात्रा की और स्पाइसजेट के माध्यम से 4.56 लाख लोगों ने सफर किया।

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों के बाद हुई हिंसा की जांच सीबीआई को सौंपी जाएगी

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों के बाद हुई हिंसा पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) के सदस्यों द्वारा जांच का फैसला सुनाया है जो कि केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपा गया है।

भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल की राज्य सरकार पर आरोप लगाया था कि तृणमूल कांग्रेस ने जीत के बाद राज्य में बीजेपी के कार्यकर्ताओं और महिला सदस्यों पर कई हमले किए गए है।

इन हमलों में भाजपा के कार्यकर्ताओं के घरों में तोड़फोड़, हत्याएं, दुकानों व ऑफिस में लूटमार की गई है। और यह घटना खासतौर पर मतगणना के दिन हुई, जब राज्य की पुलिस का नियंत्रण पूर्ण रूप से चुनाव आयोग के हाथों में था।

हालांकि, इस मामले में जुलाई में हुई हिंसा के आरोपों को ममता बनर्जी की सरकार ने सिरे से खारिज किया है। हाई कोर्ट का कहना है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष ने समिति को गठित किया है और उसकी रिपोर्ट के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि राज्य में चुनावो के बाद हिंसा हुई हैं।

अहमद मसूद का तालिबान के खिलाफ जंग का ऐलान, सालेह ने खुद को राष्ट्रपति घोषित किया

तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद वहां कई घटनाक्रम देखने को मिल रहे रहे हैं। उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने संविधानी के तहत खुद को अफगानिस्तान का राष्ट्रपति घोषित कर दिया है जबकि नॉर्दन अलायंस के नेता अहमद मसूद ने कहा है कि तालिबान के खिलाफ लड़ाई लड़ी जाएगी। अफगानिस्तान में कई जगह तालिबान का जबरदस्त विरोध देखने को मिल रहा है जबकि तालिबानी गोलीबारी में कुछ लोगों की जान जाने की भी रिपोर्ट्स हैं। उधर पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के यूएई में शरण लेने की पुष्टि हुई है। काबुल के गुरुद्वारा में बड़ी संख्या में हिन्दुओं और सिखों ने पनाह ली हुई है और भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई है। तालिबान प्रमुख मुल्ला बरादर काबुल आ गया है जबकि तालिबान के कई बड़े नेताओं ने पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई मुलाकात से मुलाकात की है।

तालिबान के अफगानिस्तान में कब्जे के बावजूद वहां उनका विरोध आने वाले समय में दिख सकता है। पंजशीर घाटी पर अभी तक तालिबान का कब्ज़ा नहीं हुआ है। उस इलाके से ताल्लुक रखने वाले अफगानिस्तान के उप-राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने खुद को देश के संविधान के तहत राष्ट्रपति घोषित कर दिया है। उनके अलावा नॉर्दन अलायंस के नेता अहमद मसूद ने भी तालिबान के खिलाफ जंग का ऐलान किया है। वे पूर्व कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे हैं। उनके अलावा मजार-ए-शरीफ के ताकतवर नेता मार्शल अब्दुल रशीद दोस्तम और अता मोहम्मद नूर भी तालिबान के खिलाफ ख़म ठोकने की तैयारी कर रहे हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक अफगानिस्तान में कई जगह तालिबान का जबरदस्त विरोध देखने को मिल रहा है जबकि तालिबानी गोलीबारी में कुछ लोगों की जान जाने की भी रिपोर्ट्स हैं। एक वीडियो में महिलाओं को तालिबान का विरोध करते हुए देखा जा रहा है।

उधर अफगानिस्तान में अभी सैकड़ों भारतीय फंसे हैं। करीब 300 हिंदू और सिख काबुल के करते परवन गुरुद्वारे में शरण लिये हुए हैं। करते परवन गुरुद्वारे में अन्य के साथ फंसे गुरुद्वारा के प्रधान गुरनाम सिंह समिति के सदस्य तलविंदर सिंह चावला ने एक भारतीय चैनल से बातचीत में कहा – ‘मैं भारत सरकार से अपील करता हूं कि हमें यहां से तुरंत निकाला जाए। यह हमारे और हमारे के समुदाय के लिए अच्छा होगा कि हम तुरंत भारत चले जायें। करते परवन गुरुद्वारे में बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 250-300 सिख और हिंदू फंसे हैं। हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि हमें यहां से तुरंत निकाला जाए।’

चावला ने कहा कि इस समय जलालाबाद प्रांत में लोग तालिबान के विरोध में सड़क पर उतर आए हैं, जिससे स्थिति और भी खराब हो गई है। तालिबान प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए फायरिंग कर रहा है। फिलहाल, राजधानी काबुल में युद्ध जैसी स्थिति तो नहीं दिख रही है, लेकिन जल्द ही हालात खराब होने की संभावना है। रिपोर्ट्स के मुताबिक तालिबान के एक समूह ने हाल में करते परवन गुरुद्वारे का दौरा किया था और लोगों को सुरक्षा का भरोसा दिलाया था।
इस बीच साफ़ हो गया है कि अफगानिस्तान से भागे राष्ट्रपति अशरफ गनी यूएई में हैं। संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्रालय ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा – ‘यूएई का विदेश मामलों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग मंत्रालय इस बात की पुष्टि कर सकता है कि यूएई ने मानवीय आधार पर राष्ट्रपति अशरफ गनी और उनके परिवार का देश में स्वागत किया है।’

ताजिकिस्तान में अफगानिस्तान के राजदूत मोहम्मद जहीर अगबर ने बड़ा दावा करते आरोप लगाया है कि ‘राष्ट्रपति अशरफ गनी जब अफगानिस्तान से भागे थे, तो वह अपने साथ 16.9 करोड़ डॉलर (12.67 अरब रुपये) ले गए थे। गनी को गिरफ्तार किया जाना चाहिए और अफगान राष्ट्र की संपत्ति को बहाल किया जाना चाहिए।’ गनी ने, हालांकि, इसे गलत बताते हुए कहा है कि वे सिर्फ एक जोड़ी कपड़ों में अपने देश से गए और उनके जाने का कारण देश में खून खराबा रोकना था।

उधर अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने खुद को अफगानिस्तान का राष्ट्रपति घोषित कर दिया है। सालेह ने ट्वीट में लिखा – ‘अफगानिस्तान के संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति, पलायन, इस्तीफा या मृत्यु में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति बन जाता है। मैं वर्तमान में अपने देश के अंदर हूं और और वैध केयरटेकर प्रेसिडेंट हूं। मैं सभी नेताओं से उनके समर्थन और आम सहमति के लिए संपर्क कर रहा हूं।’

इस बीच तालिबान प्रमुख मुल्ला बरादर काबुल आ गया है जबकि तालिबान के कई बड़े नेताओं ने पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई मुलाकात से मुलाकात की है। इसे काफी अहम घटना माना जा रहा है। उधर तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि ‘अफगानिस्तान अब मुक्त हो गया है और समूह कोई बदला नहीं लेना चाहता है।  काबुल में दूतावासों की सुरक्षा हमारे लिए महत्वपूर्ण है। हम सभी देशों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि हमारे बल सभी दूतावासों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और सहायता एजेंसियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मौजूद हैं।’

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से द्विपक्षीय व्यापार को भारी नुकसान

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से ही भारत में ड्राई फ्रूट्स के दामो में उछाल आया है। भारत को अफगान से मिलने वाले उत्पादों में सूखे किशमिश, अखरोट, बादाम, अंजीर, पाइन नट, पिस्ता, सूखे खुबानी व खुबानी, चेरी, तरबूज, औषधीय जड़ी-बूटियों और ताजे फल शामिल है।

भारत दक्षिण एशिया में अफगानिस्तान के उत्पादों का सबसे बड़ा बाजार है। भारत और अफगानिस्तान के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2020-21 में 1.4 बिलियन अमरीकी डालर था, जबकि 2019-20 में 1.52 बिलियन अमरीकी डालर था।

भारत से निर्यात 826 मिलियन अमरीकी डालर था और 2020-21 में आयात 510 मिलियन अमरीकी डालर था। अफगानिस्तान में राजनीतिक स्थिति की अनिश्चितता के कारण बाजारों में कीमतें बढ़ी है। जिससे भारत को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

चूंकि अफगानिस्तान में स्थिति नियंत्रण से बाहर है। और यह एक भूमि से घिरा देश है और हवाई मार्ग निर्यात का मुख्य माध्यम है जो कि अब बाधित हो गया है। अनिश्चितता कम होने के बाद ही व्यापार फिर से शुरू होगा।

किसानों ने गलत जानकारी देने पर मौसम विभाग के खिलाफ कोर्ट जाने की दी चेतावनी

मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र के किसान संगठन के नेता ने भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की मौसम संबंधी गलत भविष्यवाणी करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि इससे हाल के दिनों में फसलों को नुकसान हुआ है और विभाग के खिलाफ अदालत में जाने की चेतावनी दी है।

इस बीच, मौसम विभाग का कहना हैकि किसानों को गुमराह किया गया होगा, क्योंकि एक निजी मौसम सेवा ने आईएमडी के पूर्वानुमान के विपरीत इस साल मानसून जल्द आने की भविष्यवाणी की थी। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को यह जांचना चाहिए कि जानकारी क्या वास्तविक स्रोत से उनके पास आ रही हैद्ध भारतीय किसान संघ, मालवा प्रांत के प्रवक्ता भरत सिंह बैस ने बुधवार को एक एजेंसी से बातचीत में दावा किया कि ज्यादातर मामलों में आईएमडी द्वारा जारी मौसम की भविष्यवाणी असफल रही है।  इससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि वे आईएमडी के गलत पूर्वानुमानों के खिलाफ अदालत में जाने की योजना बना रहे हैं और इस संबंध में अंतिम फैसला जल्द ही किया जाएगा।

उज्जैन के किसान नेता बैस ने कहा कि कई बार किसान आईएमडी के मौसम पूर्वानुमान के अनुसार बुवाई के लिए खुद को तैयार करते हैं, लेकिन गलत पूर्वानुमानों के कारण उन्हें नुकसान झेलना पड़ा है।

किसानों का कहना है कि मौसम विभाग पर कैसे भरोसा किया जाए। अमेरिका व अन्यत्र मौसम का पूर्वानुमान सटीक होता है और उसी के अनुसार किसान तैयारी करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत में सरकार भारी खर्च कर रही है, लेकिन मौसम के पूर्वानुमान गलत साबित हो रहे हैं।

वहीं, भोपाल मौसम केंद्र के वैज्ञानिकों का कहना है कि किसानों को निजी एजेंसियों व सरकारी एजेंसियों के पूर्वानुमानों से भ्रम हो गया। उन्होंने कहा कि इन आरोपों में कोई सचाई नहीं है। कई जिलों में स्वयंभू मौसमविद पैदा हो गए हैं, वे ऐसे मौसम भविष्यवाणी करते हैं, मानो वे भारतीय मौसम विभाग के प्रतिनिधि हों। उनके कारण भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है।

बैस ने कहा कि मौसम विभाग के गलत पूर्वानुमान के कारण मध्य प्रदेश में किसानों को हुए नुकसान का वह आंकड़ा एकत्र कर रहे हैं और पिछले दो-तीन सालों के गलत पूर्वानुमानों का डाटा भी जुटाया जा रहा है। उन्होंने कहा, आंकड़े जमा करने के बाद हम अगले माह एक बैठक में इस मामले में अदालत में जाने के बारे में फैसला करेंगे। वर्तमान में वह और उसके सहयोगी संगठनात्मक चुनावों में व्यस्त हैं। बैस ने कहा कि उन्होंने भारतीय मौसम केंद्र के गलत पूर्वानुमानों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया था।

राजस्थान उच्च न्यायालय: विवाहित महिला का दूसरे पुरुष के साथ लिव-इन संबंध में रहना अवैध

राजस्थान उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक आदेश जारी किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि, विवाहित महिला का किसी दूसरे पुरुष के साथ लिव-इन संबंध में रहना अवैध है। यह आदेश न्यायमूर्ति सतीश कुमार शर्मा की एकल न्यायाधीश पीठ ने याचिकाकर्ताओं की अनुरोध याचिका को खारिज करते हुए सुनाया।

यह याचिका 30 वर्षीय विवाहित महिला व 27 वर्षीय अविवाहित पुरूष के द्वारा संयुक्त रूप से दायर की गई थी। याचिका में उन्होंने कहा था कि, उन्हें प्रतिवादियों द्वारा उनके लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के कारण लगातार धमकियां दी जा रही है और उनकी जान को बेहद खतरा है।

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा था कि, दोनों याचिकाकर्ता वयस्क हैं और सहमति से लिव-इन रिलेशनशिप में है। याचिका में कहा गया है कि महिला शादीशुदा है लेकिन पति द्वारा शारीरिक शोषण और क्रूरता के कारण उसे अलग रहने के लिए मजबूर किया गया है।

प्रतिवादियों के वकील ने सुनवाई के दौरान कहा था कि, दो याचिकाकर्ताओं के बीच संबंध अवैध, असामाजिक और कानून के खिलाफ भी है और कहा था कि वे सुरक्षा पाने के हकदार नहीं थें।

दोनों पक्षों के दस्तावेजों की जांच के बाद जस्टिस शर्मा ने यह साफ कहा कि, याचिकाकर्ता पहले से ही शादीशुदा है और उनका तलाक नहीं हुआ है। और किसी दूसरे पुरुष के साथ लिव-इन में रहना अवैध संबंधों की श्रेणी में आता है।

पत्नी की मौत के मामले में दिल्ली के कोर्ट ने थरूर को बरी किया  

दिल्‍ली की एक अदालत ने कांग्रेस नेता शशि थरूर को बड़ी राहत देते हुए उन्हें उनकी पत्नी सुनंदा पुष्‍कर की मौत से जुड़े मामले में बरी कर दिया है। याद रहे सुनंदा पुष्कर का शव 17 जनवरी, 2014 को दिल्‍ली के एक नामी होटल में संदिग्ध हालात में  मिला था। दिल्‍ली पुलिस ने इस मामले में शशि थरूर को मुख्‍य आरोपी बनाया था।
बता दें इस मामले में थरूर फिलहाल जमानत पर चल रहे थे। दिल्‍ली पुलिस ने उनके खिलाफ भादंसं की धारा 498ए और 306 के तहत चार्जशीट दायर की थी। अदालत  का फैसला आने के बाद थरूर ने अदालत का शुक्रिया अदा किया और कहा – ‘ये साढ़े 7 साल मेरे लिए किसी टॉर्चर से कम नहीं रहे।’ याद रहे दिल्ली की विशेष अदालत में थरूर के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश पिछले महीने पांचवीं बार टल गया था।
थरूर के लिए अदालत में लड़ रहे वरिष्ठ वकील विकास पाहवा ने मामले में अपने मुवक्किल को आरोप मुक्त करने की मांग करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष ने उनके मुवक्किल के खिलाफ मानसिक या शारीरिक प्रताड़ना का आरोप नहीं लगाया है। पाहवा ने यह भी तर्क दिया कि पुलिस जांच पर चार साल बिताने के बाद भी सुनंदा पुष्कर की मौत के कारण का पता नहीं लगा सकी। पाहवा ने कहा कि कांग्रेस नेता थरूर के खिलाफ सबूत नहीं मिले इसलिए कोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों को पूरी तरह से बरी कर दिया है।
सुनंदा पुष्कर 17 जनवरी, 2014 की रात चाणक्यपुरी स्थित लीला पैलेस होटल के कमरे में मृत मिली थीं। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में सांसद और कांग्रेस नेता शशि थरूर से लंबी पूछताछ की थी और जांच के आधार पर पुलिस ने अदालत को बताया था कि पति थरूर के साथ पुष्कर के रिश्ते ठीक नहीं चल रहे थे, इसलिए वो मानसिक रूप से परेशान थीं। थरूर के ऊपर मानसिक उत्पीड़न करने और हत्या के लिए उकसाने का आरोप लगा था। थरूर ने कई बार खुद पर लगे आरोपों को खारिज किया था।
थरूर और सुनंदा का विवाह 22 अगस्त, 2010 को हुआ था। जब पुष्कर होटल में   मृत मिली थीं, उस समय उनके घर की मरम्मत का काम चल रहा था। अब आज के फैसले के बाद थरूर ने राहत की सांस ली है।

सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम की नौ जजों के नाम की सिफारिश, भविष्य में महिला चीफ जस्टिस बनने की दिख रही है संभावना

सर्वोच्च न्यायालय की कॉलेजियम ने सर्वोच्च अदालत में न्यायाधीश पद के लिए जिन नौ जजों के नाम की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी है, उनमें तीन महिला न्यायाधीश के नाम शामिल हैं। इससे भविष्य में देश की सर्वोच्च अदालत को पहली महिला प्रधान न्यायाधीश मिलने की संभावना बनी है, हालांकि इसके लिए भी देश को  छह साल (2027 तक) का इंतजार करना पड़ेगा।
वैसे सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम के नौ जजों की नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार को भेजी सिफारिश में तीन महिला जजों के नाम शामिल करने से पहली महिला चीफ जस्टिस बनने की संभावना मजबूत हुई है। बता दें न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन के 12 अगस्त को सेवानिवृत्त होने के बाद 18 अगस्त को (आज) न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा भी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इस तरह सर्वोच्च न्यायालय में जजों के 10 पद खाली हो जाएंगे।
याद रहे पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नवंबर 2019 में सेवानिवृत्त होने के बाद कॉलेजियम ने केंद्र सरकार को नियुक्ति के लिए किसी भी नाम की सिफारिश नहीं भेजी थी। अब यह सिफारिश होने से 9 पद भरने की प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है। बस केंद्र की मंजूरी का इन्तजार रहेगा।
कॉलेजियम ने केंद्र सरकार को जजों की नियुक्ति के लिए जो नाम भेजे हैं उनमें  कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना का नाम भी शामिल है। प्रोमोशन के बाद 2027 में उनके देश की पहली महिला चीफ जस्टिस बनने पूरी संभावना है। उनके अलावा तेलंगना हाईकोर्ट की हिमा कोहली और गुजरात हाईकोर्ट की बेला त्रिवेदी के साथ-साथ कॉलेजियम ने कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस अभय श्रीनिवास, गुजरात के विक्रम नाथ, सिक्किम के जितेंद्र कुमार माहेश्वरी, केरल के सीटी रविकुमार और एमएम सुंदरेश के नामों की सिफारिश की हैं।
सर्वोच्च न्यायालय में वर्तमान में सिर्फ एक महिला जज इंदिरा बनर्जी हैं, हालांकि जस्टिस बनर्जी भी सितंबर 2022 में सेवानिवृत्त हो जाएंगी। आज तक सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ आठ महिला जज ही नियुक्ति हुई हैं। केंद्र सरकार कॉलेजियम की भेजी सिफारिश की पूरी सूचि पर मुहर लगा देती है तो सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या 33 हो जाएगी।

ओडिशा अगले 10 साल तक हॉकी को करेगा स्पांसर

देश के राष्ट्रीय खेल हॉकी के महिला और पुरुष राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ियों ने मंगलवार को ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मुलाकात की। इस दौरान कलिंगा स्टेडियम में राज्य के मुख्यमंत्री ने सभी खिलाड़ियों को सम्मानित किया और ओलंपिक में उनके प्रदर्शन के लिए बधाई दी। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इस मौके पर बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि ओडिशा राज्य अगले 10 साल तक भारतीय हॉकी को स्पॉन्सर करता रहेगा। इससे पहले एक वक्त ऐसा आया था कि हॉकी पर कोई पैसा ही नहीं लगाना चाह रहा था।
बता दें कि पिछले दिनों टोक्यो ओलंपिक 2020 में दोनों हॉकी की टीमों ने ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। पुरुष टीम ने टोक्यो ओलंपिक में 41 साल बाद भारत के लिए कांस्य पदक जीता। वहीं इतिहास में महिला टीम पहली बार सेमीफाइनल तक पहुंची। महिला टीम भले ही पदक न जीत सकी हों, पर दिल जीत लिया।
नवीन पटनायक की पहल पर ओडिशा राज्य भारतीय हॉकी टीम को 2018 से स्पॉन्सर कर रही है। भारतीय टीम को फिर से खड़ा करने में उनका अहम योगदान रहा है। इससे पहले मंगलवार को भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीमों का भुवनेश्वर हवाई अड्डे पर जोरदार स्वागत किया गया इस दौरान वहां प्रदेश के खेलमंत्री टी के बहेड़ा और भारतीय पुरुष हॉकी टीम के पूर्व कप्तान दिलीप टिर्की भी मौजूद रहे।
टोक्यो ओलंपिक में झंडा गाड़ चुके जांबाजों का स्वागत करने के लिए पूरे शहर में पोस्टर, बैनर और होर्डिंग लगाए गए। परंपरागत तरीके से शंखनाद, फूलमालाओं और टीका लगाकर खिलाड़ियों का स्वागत किया गया। इसके अलावा ओडिशा के पारंपरिक और लोक नृत्य समूहों ने कार्यक्रम भी पेश किए गए। खिलाड़ियों का सम्मान और हौसलाअफजाई आगे टीम को नए मुकाम पर पहुंचा सकती है।