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तमिलनाड हेलीकॉप्टर हादसे में गंभीर रूप से घायल ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का भी निधन

तमिलडाडु में सीडीएस बिपिन रावत हेलीकॉप्टर हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का भी निधन हो गया है। इस हादसे में 14 लोगों में से बिपिन रावत सहित 13 लोगों की पहले ही मौत हो गयी थी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद,  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित कई नेताओं ने ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के निधन पर शोक जताया है।

ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह की मृत्यु की खबर आते ही देश में शोक की लहर दौड़ गई है। मृत्यु पर राष्ट्रपति कोविंद ने ट्विटर पर पोस्ट किया – ”यह जानकर दुख हुआ कि ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने जीवन के लिए एक बहादुरी भरी लड़ाई लड़ने के बाद अंतिम सांस ली। हेलिकॉप्टर दुर्घटना में बुरी तरह घायल होने के बावजूद उन्होंने वीरता और अदम्य साहस का परिचय दिया। राष्ट्र उनका आभारी है। उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं।’

उधर पीएम मोदी ने ट्वीट में कहा – ‘ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने गर्व और वीरता के साथ देश की सेवा की। उनके निधन से बेहद आहत हूं। राष्ट्र के लिए उनकी सेवा को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा। उनके परिवार तथा मित्रों के लिए संवेदनाएं। ओम शांति।’

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के निधन पर कहा कि उनकी मृत्यु  से बहुत दुख पहुंचा। राष्ट्र उनकी सेवा को याद रखेगा। उनके परिवार को मेरी तरफ हार्दिक संवेदना। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के निधन के बारे में जानकर गहरा दुख हुआ। ‘ईश्वर वीर की आत्मा को शांति दें और उनके परिवार को शक्ति प्रदान करें। मै गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं. ओम शांति शांति शांति।’

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा – ‘ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के निधन के बारे में जानने के बाद बड़ा दुख हुआ। वे एक सच्चे योद्धा थे, जो अंतिम सांस तक लड़ते रहे। मेरे विचार और गहरी संवेदनाएं उनके परिवार और दोस्तों के साथ हैं। दुख की इस घड़ी में हम परिवार के साथ मजबूती से खड़े हैं।’

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी कहा – ‘वरुण सिंह एक फाइटर थे। उनकी बहादुरी हमारे जवानों को प्रेरित करती रहेगी। मेरी संवेदनाएं परिजनों के साथ है।  उनके दुख में पूरा देश भागीदार है।’

बड़े ही सोच समझ कर बयान बाजी कर रहे है उ. प्र के नेता

उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर राजनीतिक समीकरण क्या बनते और बिगड़ते है। ये तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन उत्तर प्रदेश में की सियासत के खिलाडियों का कहना है कि इस बार बसपा और कांग्रेस तो केवल अपने खोये हुये जनाधार को पाने के लिये प्रयास कर रही है। और प्रदेश में असली मुकाबला सपा और भाजपा के बीच में ही है।

बताते चलें, इस बार सपा के मुखिया अखिलेश यादव बड़ी ही सोची समझी राजनीति के तहत जनसभायें कर रहे है। जनसभाओं में उन चेहरों को ही आगे ला रहे है। जो साफ –सुथरी छवि के नेता है। जो कभी विवादों में नहीं रहे है।

इस बार चुनाव में एक संगठन ऐसा भी है जो दलित, पिछड़ों के साथ मुस्लिमों को दो साल से जोड़ने में लगा है। अगर ये संगठन एकता के साथ चुनाव में एक पार्टी के साथ खड़ा हो गया तो चुनाव के परिणाम चौंकाने वाले साबित होगे।

जबकि भाजपा भी पुनः सरकार वापसी के लिये रात–दिन एक किये हुये है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि भाजपा ने जो वादे किये है वो पूरे किये है। भाजपा पूरे चुनावी रंग में है। भाजपा का मानना है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा के अलावा कोई दूसरी पार्टी ही नहीं है। जो भाजपा को चुनावी मुकाबल कर सकें। क्योंकि दूसरे राजनीतिक दल तो जातीय गुणा-भाग में लगे है।

भाजपा ही एक ऐसी पार्टी है जो विकास को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने बताया कि जैसे ही चुनाव की तारीख घोषित होगी वैसे अन्य राजनीतिक दलों के नेता भाजपा का दामन थाम सकतें है। सबसे गौर करने वाली बात तो ये है बसपा की ओर से अभी तक कोई जनसभा की शुरूआत तक नहीं हुई है।फिलहाल उत्तर प्रदेश के बड़े–बड़े नेता सोच समझ कर ही वयानबाजी कर रहे है। ताकि कोई वयान सियासी माहौल न बिगाड़ दें।

राहुल गांधी ने लोकसभा में एसआईटी रिपोर्ट का हवाला दे लखीमपुर मामले में स्थान नोटिस दिया

सरकार के कुछ मांगें मान लेने के बाद और कुछ पर भरोसा मिलने से किसानों का आंदोलन स्थगित होने के बाद अब दो महीने पहले उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों को कथित तौर पर एक केंद्रीय मंत्री के बेटे द्वारा गाड़ी से कुचलकर मार देने की घटना बड़ा मुद्दा बनती जा रही है। लोकसभा में बुधवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जोरशोर से उठाया और आज सुबह एसआईटी की रिपोर्ट पर चर्चा के लिए लोकसभा में कार्य स्थगन नोटिस दिया है।

बता दें इस मामले की जांच कर रही एसआईटी ने एक रिपोर्ट में लखीमपुर खीरी के न्यायिक दंडाधिकारी से कहा है कि किसानों को 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा द्वारा संचालित एक एसयूवी गाड़ी से प्रदर्शनकारी किसानों को ‘हत्या करने के इरादे से कुचला गया था और यह लापरवाही से हुई मौत नहीं थी। निश्चित ही यह रिपोर्ट केंद्रीय मंत्री और उनके बेटे के साथ-साथ भाजपा के लिए भी बड़ा झटका है।

विपक्ष, खासकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस रिपोर्ट को लेकर बुधवार को बड़ा हमला बोला। एसआईटी की रिपोर्ट जिसमें इस घटना को एक ‘सुनियोजित साजिश’ बताया गया है, के आधार ने पर राहुल गांधी ने अपने नोटिस में कहा कि स्पेशल इन्वेस्टिगेटिव टीम (एसआईटी) की रिपोर्ट आने के बाद केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी को मोदी मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाना चाहिए।

कांग्रेस सांसद ने लोकसभा में दिए स्थगन नोटिस में लिखा – ‘यूपी पुलिस की एसआईटी रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि लखीमपुर में किसानों का नरसंहार एक पूर्व नियोजित साजिश थी, न कि कोई लापरवाही। सरकार को गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा को तुरंत बर्खास्त करना चाहिए और पीड़ितों के परिवारों को न्याय दिलाना सुनिश्चित करना चाहिए।’

याद रहे राहुल गांधी और उनकी बहन पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी को पीड़ित परिवारों से मिलने के लिए लखीमपुर खीरी जाते हुए यूपी सरकार और उसके प्रशासन की तरफ से बहुत दिक्क़तें झेलनी पड़ी थीं। प्रियंका को एक दिन से ज्यादा हिरासत में   रखा गया था जबकि राहुल गांधी को लख़नऊ एयरपोर्ट पर ही कई घंटे रोक कर रखा गया था। हालांकि, तमाम बाधाओं के बावजूद दोनों कांग्रेस नेता पीड़ित परिवारों से मिलने में सफल रहे थे।

अब मामले की जांच कर रही एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ”आशीष मिश्रा और अन्य के खिलाफ रैश ड्राइविंग के आरोपों को संशोधित किया जाना चाहिए, और  हत्या के प्रयास के आरोप और स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के आरोप शामिल किए जाने चाहिए।” बता दें मंत्री पुत्र आशीष मिश्रा पर पहले से ही हत्या और साजिश के आरोप हैं और उनपर मामला चल रहा है।

सभी राज्यों में निर्वाचन आयोग का चुनावी समीक्षा दौरा

वर्ष 2022 में देश के कर्इ राज्यों-केंद्रशासित प्रदेशों में विधानसभा चुनाव होने है। लेकिन उत्तर प्रदेश और पंजाब समेत अन्य पांच राज्य ऐसे है जिनमें वर्ष की शुरूआत यानि फरवरी-मार्च में मतदान होगें। इन सात राज्यों में मतदान और मतगणना की तारीखे तय होकर जनवरी में घोषित की जाऐंगी।

चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश और पंजाब समेत पांच राज्यों में चुनाव आयोग तैयारियों और समीक्षा का दौरा 15 दिसम्बर से शुरू करेगा। चुनाव आयोग दौरे की शुरूआत पंजाब से शुरू करेगी जो कि दो दिवसीय दौरा होगा।

मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा, चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त अनूप चन्द्र पांडे के चुनाव आयुक्त के अन्य अधिकारी भी पंजाब का दौरा करेंगे।

सूत्रों के अनुसार, चुनाव आयोग यूपी का दौरा दिसंबर महीने के अंत में करेगा और उत्तर प्रदेश के तमाम अधिकारियों से मिलकर चुनाव तैयारियों की समीक्षा करेगें। उत्तर प्रदेश में कई सात से अधिक चरणों में मतदान की संभावना है। यूपी में विधानसभा की 403 सीटें, पंजाब में 117 सीटें, गोवा में 40 सीटें, मणिपुर में 60 सीटें और उत्तराखंड में 70 विधानसभा की सीटें हैं। सभी सीटों पर 15 मार्च से पहले चुनाव खत्म होके की संभावना है।

चुनाव आयोग अपने दौरे के दौरान पंजाब के वरिष्ठ प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों से मुलाकात करेगा। चुनाव आयोग सभी 5 राज्यों का बारी-बारी से चुनावी दौरा करेगा जिसके बाद तैयारियों की समीक्षा कर तारीखों का ऐलान किया जाएगा।

चारधाम परियोजना को मिली सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी ऑन वेदर राजमार्ग परियोजना में सड़क की चौड़ाई बढ़ाने और डबल लेन हाईवे बनाने की अनुमति दे दी है। इस अनुमति के बाद से भारतीय सेना किसी भी मौसम में चीन से सटी सीमाओं पर पहुंचने में सक्षम होगी। जिससे भारत की पहुंच चीन तक और भी आसान हो जाएगी।

कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि, अदालत न्यायिक समीक्षा में सेना के सुरक्षा संसाधनों को तय नहीं कर सकती। हाल के दिनों में सीमाओं पर सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौतियां सामने आई है। हाईवे निर्माण के लिए सड़क की चौड़ाई बढ़ाने में रक्षा मंत्रालय की कोई दुर्भावना नहीं है। साथ ही पर्यावरण के हित में सभी उपचारात्मक उपाय सुनिश्चित करने के लिए पूर्व सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज  जस्टिस एके सीकरी के नेतृत्व में एक निरीक्षण समिति को भी गठित किया गया है।

आपको बता दें, 11 नवंबर को चारधाम परियोजना पर सड़क की चौड़ाई को बढ़ाने वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और याचिकाकर्ता की दलीलों को विस्तार से सुनने के बाद फैसले को सुरक्षित रखा था। जिसके बाद करीब 900 किलोमीटर की चारधाम ऑल वेदर राजमार्ग परियोजना में सड़क की चौड़ाई को बढ़ाने या न बढ़ाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट को फैसला करना था।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सियासत तेज

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर हलचल दिन व दिन तेज होती जा रही है। आज वाणारसी में श्री काशी विश्वनाथ धाम मंदिर के नवनिर्मित काँरिडोर का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा करने के साथ ही सियासी गर्मी बढ़ गयी है। उत्तर प्रदेश में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्ड़ा ने कहा कि हम गन्ना की बात करते है। तो सामाजवादी पार्टी (सपा) जिन्ना की बात करते है।

बताते चलें, उत्तर प्रदेश की सियासत पूरी तरह से धार्मिक और जातीय समीकरण पर टिकी है। भले ही कोई भी राजनीति दल महंगाई और बेरोजगारी जैसे गंभीर मुद्दों की बात करे। लेकिन चुनाव आते–आते पूरी सियासत जातीय–धार्मिक समीकरण में सिमट जायेगी।

भाजपा के नेताओं का कहना है कि भाजपा ने जो कहा कि वह पूरा किया है। चाहे राम मंदिर हो या काशी विश्वनाथ का मंदिर हो सदियों पुराने सपने को साकार किया है। उत्तर प्रदेश के राजनीति जानकारों ने तहलका संवाददाता से बात की तो उन्होंने बताया कि ये बात तो सत्य है कि प्रदेश की सियासत जातीय–धार्मिक समीकरण पर ही टिकी है। क्योंकि जब देश में चुनाव पूरे रंग में रंगा होगा तब ये मंदिर-मस्जिद का मामला तूल पकड़ेगा।  ऐसे में जब समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस सहित अन्य छोटे दल मंदिर या मस्जिद की बात करेगें। तो निश्चित तौर पर वोटो का धुव्रीकरण होगा।

भाजपा अन्य राजनीतिक दलों की तुलना में हिन्दु धुव्रीकरण पर बल देगा। चुनाव आते–आते जिन्ना और गन्ना वाले मामलें पर तूल दिया जायेगा। बताते चलें, आज उत्तर प्रदेश में भले ही विधायक के टिकट पाने के लिये एक दूसरे दलों में आने–जाने वालों की होड़ सी लगी है। लेकिन जानकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में अगर मुकाबला होगा तो समाजवादी पार्टी और भाजपा के बीच ही होगा।

अंदेशा और संदेशा के बीच ओमिक्रोन

ओमिक्रोन को लेकर अंदेशा और संदेशा के बरकरार के बीच अगर कोई रास्ता है तो वो है सावधानी बरतनें का। देश में भले ही इने–गिने ही मामलें कोरोना के नये स्वरूप ओमिक्रोन के सामने आ रहे है। फिर हड़कंप का आलम तो ये है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) हर रोज सावधनी बरतनें के साथ–साथ ओमिक्रोन के बढ़ते मामलों को लेकर चिंता व्यक्त कर रहा है।

ओमिक्रोन को लेकर डाँक्टरों का कहना है कि कई बार तो ऐसा होता है कि मामलें शुरूआती दौर में कम आते है और मरने वाले भी कम होते है। लेकिन जैसे ही मामलें बढ़ने लगते है तो, अचानक से बढ़ते है। जिसके कारण बाद में बढ़ते मामलों को कंट्रोल करना मुश्किल ही होता है।

एम्स के डाँ केशव कुमार का कहना है कि ओमिक्रोन को लेकर अंदेशा और संदेशा इस बात को लेकर व्यक्त किया जा रहा है कि मामलें बढ़ेगे या घटेगें और कितना भयानक रूप लेगा पर, ऐसे में अगर हमें सही मामलें कोरोना के नये स्वरूप को रोकना है तो सावधानी के साथ हमें उन पहलुओं पर नजर रखनी होगी जिसके कारण ओमिक्रोन जैसी संक्रमित बीमारी को रोका जा सकता है।

भारत में अभी ओमिक्रोन वायरस को लेकर विशेषज्ञ सिर्फ चिंता ही व्यक्त कर रहे है और सावधान रहने की सलाह दें रहे है। लेकिन देश के कोई भी सेक्टर और बाजार नहीं देखने को मिल रहा है जहां पर लोग खुलेआम कोरोना विरोधी अभियान की धज्जियां न उड़ाई जा रही हो। देश के अधिकतर राज्यों में लोगों ने तो मास्क पहना ही छोड़ दिया है।

सामाजिक कार्यकर्ता अमरीश गौतम का कहना है कि एक ओर तो केन्द्र सरकार सरकारी और प्राईवेट संस्थानों को खोलने में लगी है।वहीं ओमिक्रोन के नाम पर सतर्क नहीं की बात करती है। ऐसे में कोरोना जैसी बीमारी को काबू पाना मुश्किल होगा।

 

जनरल रावत, पत्नी को दिल्ली में नम आंखों से अंतिम विदाई  

तमिलनाड के नीलगिरी में हुए हेलिकॉप्टर हादसे में पत्नी और 11 अन्य के साथ जान गंवाने वाले देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत शुक्रवार शाम पंचतत्व में विलीन हो गए। बराड़ स्क्वायर में रावत को नम आंखों के बीच अंतिम विदाई दी गई। उनकी बेटियों ने अंतिम संस्कार की सभी रस्में पूरी कीं।

रावत और उनकी पत्नी की पार्थिव देह को एक ही चिता पर रखकर अंतिम क्रियायें निभाई गईं। बेटियों कृतिका रावत और तारिणी रावत ने अपने माता-पिता की देह को मुखाग्नि दी। सैन्य सम्मान के साथ हुए अंतिम संस्कार के दौरान 17 तोपों की सलामी दी गई। श्रद्धांजलि के बाद जनरल रावत की बेटियों ने रीति के मुताबिक अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में हिस्सा लिया।

दोनों की पार्थिव देह को अंतिम विदाई के लिए घाट पर बनी चिता तक ले जाया गया।  जनरल रावत और पत्नी मधुलिका को एक ही चिता पर लिटाया गया। इससे पहले   पार्थिव देह को सेना के तीनों अंगों के मिलिट्री बैंड के साथ धौलाकुआं के बरार स्कावयर के लिए रवाना किया गया जहाँ उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। श्रद्धांजलि देने वालों में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई नेता उपस्थित थे।

दोपहर को 11 से 2  बजे तक जनरल रावत और उनकी पत्नी ही पार्थिव देह उनके सरकारी आवास 3 कामराज मार्ग में अंतिम दर्शन के लिए रखी गईं। जनरल रावत की यूनिट 5/11 गोरखा राइफल्स ने अंतिम संस्कार की सारे व्यवस्था का जिम्मा संभाला।

मच्छरों के प्रकोप से परेशान लोग

एक तो कोरोना का कहर दूसरी ओर डेंगू का प्रकोप वहीं सरकार की लापरवाही के चलते दिल्ली में मच्छरों का आतंक है। जिससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आलम ये है कि दिल्ली के पिछड़ो इलाकों में ही नहीं बल्कि पाँश इलाकों में भी मच्छरों का कहर लोगों के अंदर डर पैदा कर रहा है कि कहीं मच्छरों के काटने से उन्हें डेंगू जैसी बीमारी न हो जाये।

दिल्ली के वरिष्ठ डाँ पवन शर्मा का कहना है कि इस बार डेंगू का प्रकोप सबसे ज्यादा रहा है। कई लोगों की जान भी डेंगू के कारण गयी है। इसलिये सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वे मच्छर मार दवा का छिड़काव करवाये ताकि मच्छर न पनप पाये।

उनका कहना है कि मच्छर के प्रकोप से डेंगू के अलावा मलेरिया जैसी बीमारी बढ़ रही है। मच्छरों के बढ़ते प्रकोप की रोकथाम को लेकर एनडीएमसी इलाके में रहने वाले राकेश ने बताया कि मच्छरों का आतंक इस कदर है कि कनॉट प्लेस, रफी मार्ग सहित संसद मार्ग में भी मच्छरों के चलते यहां पर लोगों को परेशानी हो रही है।

बतातें चलें, मच्छर मार दवा का छिड़काव व मच्छर विरोधी धुआं का प्रयोग तो होता है। अगर लगातार नियमित तौर पर होता रहे तो निश्चित तौर पर मच्छर नहीं पनप पायेगे। मलेरिया विभाग के पूर्व अधिकारी आर एन तुली ने बताया कि सरकारी सिस्टम इस कदर स्वास्थ्य मामलें में लचर है कि वो तब ही जागता है जब कोई बीमारी भयंकर रूप धारण कर लेती है। इसलिये संबंधित विभाग को समय–समय पर जांच पड़ताल करनी चाहिये। ताकि कोई बीमारी पैर न पसार सकें।

किसान आंदोलन स्थगित; 11 को विजय दिवस मनाएंगे, एक महीने बाद समीक्षा करेगा मोर्चा

आखिर एक साल से जारी किसान आंदोलन स्थगित हो गया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने अब से कुछ देर पहले इसे लेकर घोषणा की। एमएसपी पर कमेटी बनाने के अलावा तीन कृषि कानूनों पर बातचीत से पहले सरकार किसान संगठनों से बात करेगी। किसान 11 दिसंबर से दिल्ली की सीमा से वापस घरों को लौट जाएंगे। किसान अब इसे लेकर उस दिन ‘विजय दिवस’ मनाएंगे। सरकार किसानों की ज्यादातर मांगें मान ली हैं या उनपर भरोसा दिलाया है। इनमें किसानों के खिलाफ मामले वापस लेना और मुआबजा देना भी शामिल हैं।

एक प्रेस कांफ्रेंस में इसके घोषणा करते हुए किसान नेताओं ने साफ़ कहा कि आंदोलन वापस नहीं लिया गया है और एक महीने बाद सरकार के किये वादों की समीक्षा की जाएगी। यदि किसानों को लगा कि सरकार मांगों पैट टालमटौल कर रही है तो आंदोलन की अगली रूपरेखा तय की जाएगी। एमएसपी पर सरकार ने कमेटी बनाने के अलावा खरीद का भी भरोसा किसानों को दिया है।

प्रेस कांफ्रेंस में किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी, बलबीर सिंह राजेवाल, राकेश टिकैत, हन्नान मुल्ला, कक्का आदि उपस्थित थे। इन सभी ने कि आंदोलन ख़त्म नहीं बल्कि स्थगित किया गया है। किसान नेता बलवीर राजेवाल ने कहा – ‘हम सरकार को झुकाकर वापस जा रहे हैं और 15 जनवरी को किसान मोर्चा की फिर बैठक होगी, जिसमें आगे की रणनीति पर चर्चा होगी। किसान वापसी के ऐलान के बाद 11 दिसंबर से दिल्ली बॉर्डर से किसान लौटेंगे।’ राजेवाल ने कहा कि किसान आंदोलन को स्थगित किया गया है और हर महीने एसकेएम की बैठक होगी। यदि सरकार दाएं-बाएं होती हैं तो फिर से आंदोलन करने का फैसला लिया जा सकता है।

मोर्चा नेताओं ने बताया – ‘दिल्ली बॉर्डर से किसान 11 दिसंबर से हटने शुरू करेंगे।  उसके बाद 13 दिसंबर को अमृतसर में हरमिंदर साहिब पर मत्था टेकेंगे। वहीं, 15 दिसंबर से पंजाब के टोल प्लाजा पर डटे हुए किसान भी हट जाएंगे।’ उधर दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने भी घर लौटने की तैयारी शुरू कर दी है।

इससे पहले किसान मोर्चा ने  सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा की और आंदोलन को स्थगित करने का फैसला किया। किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने भी बताया था कि मांगों पर सरकार की ओर से जो पहले प्रस्ताव भेजा गया था, वो मंजूर नहीं था, इसलिए बुधवार को सरकार की ओर से नया प्रस्ताव भेजा गया था, जिस पर बैठक में सहमति बन गई है।