Home Blog Page 586

विश्वभारती को वैश्विक धरोहर सम्मान

itagorr001p1

कविगुरु रबीन्द्रनाथ टैगोर के विश्वभारती को मिलने जा रहा है ‘वर्ल्ड हेरिटेज’ यानी ‘वैश्विक धरोहर’ का सम्मान। केंद्रीय राज्य शिक्षा मंत्री डॉक्टर सुभाष सरकार व भाजपा सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तिगत प्रयासों से विश्वभारती को ऐसा एक ऐतिहासिक सम्मान मिलने जा रहा है।

सन् 2010 में कविगुरु के 150 साल पूरा होने पर केंद्र सरकार उस समय यूनेस्को  को खत लिखकर प्रार्थना की थी; लेकिन उस समय यूनेस्को इसके लिए राज़ी नहीं हुआ। अब पश्चिम बंगाल से भाजपा सांसद डॉक्टर सुभाष सरकार ने  मंत्री बनने के बाद प्रधानमंत्री को अनुरोध किया कि यूनेस्को के साथ बातचीत शुरू करने के उनके प्रयास सफल हुए और यूनेस्को राज़ी हुआ।

डॉक्टर सुभाष सरकार ने कहा कि, “पिछले 28 सितंबर से 3 अक्टूबर तक यूनेस्को के 30 सदस्यों के विशेष प्रतिनिधि दल बीरभूम (वीरभूमि) में विश्वभारती को पर्यवेक्षण करने पहुँचे। केंद्र सरकार ने विश्वभारती को 2.93 करोड़ रुपये के अनुदान भी दिया। कविगुरु के विश्व भारती में विश्वविद्यालय, उपासना हॉल, शांतिनिकेतन, कला भवन, पाठ भवन, संगीत भवन उत्तरायण विशेष रूप से पर्यवेक्षण किया। यूनेस्को के प्रतिनिधि दल रबीन्द्रनाथ टैगोर, नंदलाल बासु, रामकिंकर बैज व बिनोद बिहारी की शिल्प कला का स्कैन करके ले गए।”

डॉक्टर सरकार ने आगे बताया की, विश्व भारती के 24 बिल्डिंग को यूनेस्को अभी ‘वैश्विक धरोहर’ घोषित करेगा। डॉक्टर सरकार ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान व विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि भाजपा बंगाल में सरकार नहीं बना पाने के बावज़ूद वह बंगाल की जनता के लिए काम करेंगे।

केजरीवाल ने आयोध्या में राम जन्म भूमि में पूजा अर्चना की

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल मंगलवार सुबह अयोध्या पहुंचे। हनुमानगढ़ी मंदिर में पूजा करने के बाद केजरीवाल राम जन्मभूमि स्थल पहुंचे और भगवान राम की पूजा-अर्चना की।

बाद में मीडिया के लोगों से बातचीत में केजरीवाल ने कहा – ‘मुझे आज भगवान राम के दर्शन करने का सौभाग्य मिला। चाहता हूं कि यह सौभाग्य हर भारतवासी को मिले। मैं बहुत छोटा सा आदमी हूं लेकिन भगवान ने मुझे बहुत कुछ दिया। मेरे पास जो क्षमता और साधन हैं, उनका मैं यहां ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को दर्शन कराने में इस्तेमाल करूंगा। यदि उत्तर प्रदेश में हमारी सरकार बनती है तो हम सभी राज्य वासियों को अयोध्या में रामजी के दर्शन कराने के लिए मुफ़्त व्यवस्था करेंगे, जैसी हम दिल्ली में कर चुके हैं।’

केजरीवाल ने कहा कि मंगलवार को दिल्ली मंत्रिमंडल की विशेष बैठक होगी जिसमें सरकार ‘मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना’ में अयोध्या को भी जोड़ दिया जाएगा और अब दिल्ली के लोग अयोध्या में राम जन्मभूमि आकर यहां के दर्शन भी कर पाएंगे। बता दें केजरीवाल दो दिवसीय दौरे पर सोमवार दोपहर ही अयोध्या पहुंच गए थे। उन्होंने सोमवार शाम सरयू तट पर मां सरयू का अभिषेक पूजन कर महाआरती उतारी। वे करीब 40 मिनट पूजन-अर्चन में रहे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वे अयोध्या आकर अभिभूत हैं। यहां की आध्यात्मिक ऊर्जा प्रभावित करती है। भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में प्रार्थना की है कि भारत दुनिया का नंबर एक देश बने। कहा कि 130 करोड़ भारतवासी मिलकर इसको संभव बना सकते हैं। ‘मेरा दिल्ली प्रदेश की सरकार चलाने का जो पांच साल का अनुभव है, उसके आधार पर यदि हम एक परिवार की तरह, टीम की तरह काम करें, बीच के भेदभाव, दीवारों को गिराकर काम करें तो निश्चित ही हम दुनिया की बड़ी शक्ति बन सकते हैं।’

सोमवार को तब राजनीतिक विवाद पैदा हो गया जब आम आदमी पार्टी के मुखिया केजरीवाल का अयोध्या में कुछ पोटरों के जरिये विरोध किया गया। आप ने केजरीवाल के स्वागत में कई जगह होर्डिंग्स लगाई थें जिनपर कुछ अज्ञात लोगों ने कालिख पोत दी। उधर रामनगरी के संतों ने भी केजरीवाल के दौरे पर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की।

झारखण्ड लोक सेवा आयोग विवादों के बावजूद युवाओं में जगी आस

राज्य में पंजीकृत बेरोज़गार युवाओं की संख्या लगभग 7.5 लाख है। जबकि अनुमान के अनुसार बेरोज़गार युवा 10 लाख से अधिक होंगे। रोज़गार के रास्ते खोलने वाले झारखण्ड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) पर युवाओं की नज़रें टिकी रहती हैं। मगर हक़ीक़त यह है कि यह रास्ता काँटों भरा बन गया है। राज्य गठन को क़रीब 20 साल हो चुके हैं और अब तक जेपीएससी सिविल सेवा के लिए केवल छ: परीक्षाओं का आयोजन कर सका है। उन पर भी विवाद ही रहा है। इसके बाद भी 19 सितंबर को एक साथ सिविल सेवा की प्रारम्भिक चार परीक्षाओं का आयोजन करके युवाओं में एक आस जगा दी है। पाँच साल बाद हुई इन परीक्षाओं से नि:सन्देह रोज़गार का रास्ता खुलता दिखा रहा है और जेपीएससी द्वारा जारी रिक्तियों के हिसाब से सिर्फ़ 252 युवाओं को नौकरी मिलेगी। भले ही 10 लाख से अधिक बेरोज़गार युवाओं में यह रिक्तियाँ ऊँट में जीरा हों; लेकिन 252 युवाओं को भी नौकरी मिल गयी, तो यह उम्मीद तो जगेगी कि भविष्य में और परीक्षाएँ भी आयोजित होंगी और जेपीएससी के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि होगी।

जेपीएससी का विवादों से पुराना रिश्ता रहा है। सिविल सेवा परीक्षा हो या कोई अन्य परीक्षा उस पर विवाद सामने आता ही है। जेपीएससी की 16 परीक्षाएँ सीबीआई के जाँच के दायरे में हैं। इनमें प्रथम, द्वितीय सिविल सेवा, मार्केटिंग सुपरवाइजर, चिकित्सक, इंजीनियर नियुक्ति, फार्मासिस्ट, व्याख्याता नियुक्ति, झारखण्ड पात्रता परीक्षा, प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति, सहकारिता पदाधिकारी, विश्वविद्यालय में डिप्टी रजिस्ट्रार के अलावा अन्य परीक्षाएँ शामिल हैं। कभी पैरवी पुत्रों की नियुक्ति, तो कभी नियम विरुद्ध नियुक्ति के कारण जेपीएससी सुर्ख़ियों में रहा।

हर परीक्षा विवादित

सन् 2000 में राज्य गठन के बाद सन् 2003 में झारखण्ड लोक सेवा आयोग द्वारा 64 पदों के लिए प्रथम सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन किया गया। उस समय डॉ. दिलीप कुमार प्रसाद अध्यक्ष थे। इसके बाद 172 पदों के लिए द्वितीय सिविल सेवा परीक्षा ली गयी, जिसमें काफ़ी विवाद हुआ। इसमें आयोग के पदाधिकारियों, राजनेताओं और शिक्षा माफिया के रिश्तेदारों की नियुक्ति के आरोप लगे। जमकर पैसे के लेन-देन, अंक (नंबर) बढ़ाने के आरोप लगे।

मामले ने तूल पकड़ा, तो फॉरेंसिक जाँच भी करायी गयी। सन् 2009 में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रज़ी ने पूरे मामले की जाँच निगरानी को सौंप दी। इस प्रकरण में अध्यक्ष, दो सदस्य और सचिव जेल भी गये। बाद में मामला झारखण्ड उच्च न्यायालय पहुँचा, जिसने नियुक्तियाँ रद्द कर दीं। फिर मामला सर्वोच्च न्यायालय पहुँच गया। नियुक्ति घोटाले की जाँच का ज़िम्मा सीबीआई को सौंपा गया। सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के आदेश पर स्टे लगा दिया और मामले की सुनवाई होने तक सभी नियुक्त लोगों को कार्य करने की अनुमति प्रदान कर दी।

इसके बाद आयोग में तीसरी सिविल सेवा परीक्षा 242 पदों के लिए आयोजित की गयी। इसमें कुछ अभ्यर्थियों ने परिणाम में गड़बड़ी की शिकायत को लेकर उच्च न्यायालय में मामला दायर किया। हालाँकि न्यायालय ने उस पर संज्ञान नहीं लिया और परीक्षा परिणाम जारी हो गया। आयोग द्वारा चतुर्थ सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन 219 पदों के लिए किया गया।

इसमें प्रारम्भिक परीक्षा में अंक की गणना और उत्तीर्ण होने के आधार स्केलिंग को लेकर विवाद उठा, जो उच्च न्यायालय पहुँच गया। हालाँकि न्यायालय ने रिजल्ट निकालने की अनुमति प्रदान कर दी; जबकि मामला अभी भी वहाँ लम्बित है। इसके बाद 277 पदों के लिए पाँचवीं सिविल सेवा की प्रारम्भिक परीक्षा में आरक्षण देने की माँग को लेकर विवाद उठा और मामला उच्च न्यायालय पहुँचा। बाद में उच्च न्यायालय ने परीक्षा परिणाम जारी करने का आदेश दिया। फिर 326 पदों के लिए छठी सिविल सेवा परीक्षा में भी पहले आरक्षण, फिर उत्तीर्ण अंकों (क्वालिफाइंग माक्र्स) को लेकर विवाद उठा। मामला फिर उच्च न्यायालय पहुँचा। 11 माह बाद उच्च न्यायालय ने 7 जून, 2021 को योग्यता सूची (मेरिट लिस्ट) ही निरस्त कर दी। अब यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में चल रहा है।

न्यायालय ने फटकारा

जेपीएससी की स्थिति का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि वह दो दशक में सिर्फ़ सिविल सेवा की छ: परीक्षाएँ आयोजित कर सका है, जबकि अन्य परीक्षाएँ कई साल से अटकी पड़ी हैं। इसे लेकर झारखण्ड उच्च न्यायालय भी नाराज़गी जता चुका है। झारखण्ड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायमूर्ति एस.एन. प्रसाद की खण्डपीठ ने पिछले दिनों एक मामले की सुनवाई के दौरान टिप्पणी की थी कि यदि जेपीएससी संवैधानिक संस्था नहीं होती, तो इसे बन्द करने का आज ही आदेश दे दिया जाता। जेपीएससी कुछ काम नहीं कर रहा है। लगता है कि सरकार हर संस्थान को ध्वस्त करना चाहती है। दरअसल उच्च न्यायालय में धनबाद के जज उत्तम आनंद की मौत के मामले की सुनवाई चल रही थी। न्यायालय ने राज्य के फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री (एफएसएल) में विभिन्न पदों पर नियुक्ति के लिए 10 साल पहले पद सृजित होने के बाद भी अब तक नियुक्ति नहीं किये जाने पर कड़ी नाराज़गी जतायी। न्यायालय ने पूछा कि सन् 2011 में पद सृजित होने के बाद भी अभी तक नियुक्तियाँ क्यों नहीं की गयीं? इन पदों पर बाह्य स्रोत (आउटसोर्सिंग) से नियुक्ति क्यों की जा रही हैं?

सफलता पर नज़र

जेपीएससी को हर साल सिविल सेवा का परीक्षा आयोजित करनी थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिसका खामियाज़ा युवाओं को उठाना पड़ा है। कई ऐसे युवा हैं, जो सिविल सेवा का सपना सँजोये तैयारी में लगे थे और उम्र गुज़र गयी। छठी सिविल सेवा परीक्षा के विवाद के बीच ही जेपीएससी ने इस बार सन् 2016 के बाद सिविल सेवा की परीक्षा का आयोजन किया। सातवीं, आठवीं, नौवीं और 10वीं सिविल सेवा के लिए प्रारम्भिक का आयोजन 17 सितंबर को हुआ, जिसमें 252 पदों के लिए 3,70,000 परीक्षार्थी में शामिल हुए। इस परीक्षा में चयनित अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा (मेन्स) में शामिल होंगे। विद्यार्थियों को उम्मीद है कि इस बार बग़ैर किसी विवाद के परीक्षा पूरी हो जाएगी। हालाँकि कहावत है पूत के पाँव पालने से ही नज़र आने लगते हैं, वैसे ही इस परीक्षा को लेकर भी विवाद शुरू हो चुका है। सातवीं, आठवीं, नौवीं और 10वीं सिविल सेवा परीक्षा के लिए विज्ञापन जारी होते ही उम्र सीमा को लेकर विवाद उठा। हालाँकि बाद में सरकार ने उम्र सीमा में संशोधन कर परीक्षा लेने की अनुमति प्रदान कर दी। काफ़ी जद्दोजहद के बाद पीटी की परीक्षा का आयोजन किया जा सका है। अब भविष्य में कोई विवाद खड़ा न हो और सफलतापूर्वक युवाओं की नियुक्ति हो जाए इस पर सभी की नज़र टिकी हुई है।

10 लाख युवाओं को उम्मीद

राज्य के रोज़गार कार्यालय में दर्ज आँकड़ों के मुताबिक, 7,22, 887 बेरोज़गार युवा हैं। इनमें केवल स्नातक पास ही 2,24,664 युवा हैं। हालाँकि जिस तरह से हर परीक्षा में छात्र आवेदन करते हैं, वह दिखाता है कि बेरोज़गारों की संख्या इनसे अधिक है। इसलिए एक अनुमान है कि 10 लाख बेरोज़गार राज्य में होंगे। जेपीएससी की परीक्षा ने इन बेरोज़गार युवाओं के सपने को फिर से जीवंत करने का काम किया है। अगर उनके पंख कतरने की कोशिश नहीं हुई और बिना विवाद के परीक्षा में शामिल हुए कुछ युवाओं को मौक़ा मिल गया, तो निश्चय ही यह एक बड़ी सफलता होगी।

 

“जेपीएससी में सुधार के लिए कई क़दम उठाये जाने की ज़रूरत है। सबसे पहले परीक्षाओं के आयोजन के लिए कैलेंडर तय किया जाना ज़रूरी है। समय पर हर साल परीक्षा नहीं होना विवाद का मुख्य कारण है। दूसरी समस्या यह है कि परीक्षा आयोजन के बीच में सरकार का हस्तक्षेप होने से भी पेंच फँसता है। जेपाएससी को स्वायत्त तरीक़े से काम करने के लिए छोड़ देना चाहिए। परीक्षा के बीच में कम-से-कम किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए; नहीं तो विवाद बढऩे की आशंका रहती है। संस्थान को इस बार पूर्व की त्रुटियों को दूर कर नयी नियमावली बना कर परीक्षा ली जा रही है। सम्भव है कि इस बार किसी तरह का विवाद नहीं होना चाहिए। समय पर हर साल परीक्षा लेने और पहले से परीक्षा का कैलेंडर तय होने से बेरोज़गार युवाओं में भरोसा जमेगा। उन्हें लगेगा कि इस बार नहीं तो अगली बार फिर परीक्षा होगी। विवाद कम हो सकता है।”

सुधीर त्रिपाठी

पूर्व मुख्य सचिव एवं पूर्व जेपीएससी अध्यक्ष

 

“राज्य गठन के 20 साल पूरे हो चुके हैं। अब तक कम-से-कम राज्य सिविल सेवा की 15 परीक्षाएँ हो जानी चाहिए थीं। जबकि केवल छ: हो पायी हैं। इसकी मुख्य वजह जेपीएससी पर क्षमता से अधिक भार है। जेपीएससी में कभी भी पूरी क्षमता के साथ सदस्य, अधिकारी और कर्मचारी नहीं रहे हैं। बीच-बीच में कई महीनों तक अध्यक्ष का पद भी ख़ाली रह जा रहा है। सदस्य तो हमेशा ही कम रह जाते हैं। अधिकारी और कर्मचारियों की घोर कमी है। जेपीएससी के ज़िम्मे कॉलेजों के प्रोफेसर की नियुक्ति, प्रमोशन समेत सारे काम डाल दिये गये हैं; जबकि इसके लिए अलग से व्यवस्था सम्भव है। इसी तरह जेपीएससी को अन्य कामों से मुक्त किया जा सकता है। दूसरा परीक्षा का कैलेंडर तय किया जाना ज़रूरी है। अगर क्षमता पूरी होगी और कैलेंडर तय होगा, अभ्यर्थियों को समय पर परीक्षा की उम्मीद होगी, तो विवाद भी कम होगा और न्यायालय में भी मामला कम जाएगा।”

रमेश शरण

शिक्षाविद् एवं पूर्व कुलपति

चीन और रूस में कोरोना का नये वैरिएंट पाये जाने से भारत में हड़कंप

चीन और रूस में फिर से कोरोना के मामले बढ़ने से इन दोनों देशों ने कई तरह की पाबंदिया लगा दी है। सैकड़ो ऊड़ानों को रद्द करने के साथ-साथ स्कूलों को भी बंद कर दिया है। जिसके चलते भारत में स्वास्थ्य महकमें में हड़कंप मचा हुआ है।

भारत में भी कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा फिर से बढ़ने लगा है। कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर दिल्ली के डाक्टरों ने चिंता व्यक्त करते हुये कहा है कि, चीन से 2020 में कोरोना फैला था। कहीं फिर से कोरोना का कहर ना बढ़ जाये। इसलिये सावधान रहने की जरूरत है।

इंडियन हार्ट फाउंडेशन के अध्यक्ष डाँ आर एन कालरा का कहना है कि, कोरोना भारत में कम जरूर हुआ है। लेकिन अभी पूरी तरह से गया नहीं है। इसलिये विशेष सावधानी बरतनी चाहिये। क्योंकि जरा-सी लापरवाही घातक साबित हो सकती है। डाँ कालरा ने आगे कहा कि, चीन में नये वैरिएंट के चलते चीन ने सावधानी बरततें हुये देश –विदेश में आने–जाने की पाबंदी लगा दी है।

मैक्स अस्पताल के हार्ट रोग विशेषज्ञ डाँ विवेका कुमार का कहना है कि, कोरोना से बचाव के तौर पर हमें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना चाहिये। और मास्क को लगाकर ही घर से निकलना चाहिये। कोरोना के लक्षण पाये जाने पर हमें तुरंत डाक्टरों से परामर्श कर उपचार करवाना चाहिये। ताकि कोरोना को समय रहते रोका जा सकें।

दिल्ली सरकार ने भी कोरोना को लेकर फिर से सावधानी के साथ –साथ डाक्टरों से अपील की है कि फिर से कोरोना जैसी बीमारी आने पर रोगियों के इलाज के लिये तैयार रहें।

बिहार में कांग्रेस का राजद से टूटा गठबंधन, लोकसभा चुनाव 2024 में सभी 40 सीटों लड़ेगी पार्टी 

बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन को बड़ा झटका लगा है | असल में राज्य में कांग्रेस ने अपने सहयोगी और महागठबंधन के सबसे बड़ा घटक दल राजद से नाता तोड़ लिया है | वहीं कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में सभी 40 सीटों पर अकेले लड़ने का ऐलान किया है | असल में राज्य में दो सीटों पर हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस और राजद ने अपने प्रत्याशी उतारे हैं | जबकि कांग्रेस एक सीट की मांग कर रही थी | लेकिन राजद ने कांग्रेस को एक भी सीट नहीं दी। जिसके बाद दोनों ही दलों के बीच रिश्ते खराब हो गए थे |
वहीं अब कांग्रेस बिहार प्रभारी भक्त चरणदास ने यह घोषणा की है कि राज्य में अब कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ेगी | उन्होंने महागठबंधन के टूटने पर लालू यादव की पार्टी आरजेडी को दोषी ठहराया | असल में लोकसभा चुनाव से पहले और बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस, राजद और वाम दलों ने महागठबंधन बनाया था | लेकिन ये गठबंधन लोकसभा चुनाव में महज एक ही सीट जीत सका | जबकि विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में सरकार बनाने में विफल रहा |
असल में राजद और कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था | क्योंकि प्रदेश की दो विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए राजद ने अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया था | जबकि कांग्रेस एक सीट मांग रही थी | लेकिन राजद ने एक भी सीट कांग्रेस को नहीं दी | वहीं कांग्रेस ने राजद के खिलाफ अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतार दिया | दरअसल, तारापुर और कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं |
बिहार कांग्रेस के प्रभारी भक्त चरणदास ने राजद पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी के साथ हुए समझौते के कारण राजद ने कांग्रेस छोड़ी है और उपचुनाव के बाद राजद और बीजेपीहाथ मिला सकते हैं | वहीं राजद ने कहा था कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष को बिहार की राजनीति की जमीनी समझ नहीं है |
बिहार की दोनों सीटों के उपचुनाव में जदयू को भाजपा और पशुपति पारस राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी का समर्थन हासिल है | जबकि महागठबंधन में राजद और कांग्रेस दोनों चुनाव लड़ रहे हैं | वहीं माना जा रहा है कि कांग्रेस और राजद के अलग होने से राज्य की सत्ताधारी जदयू और बीजेपी को फायदा मिलेगा |

पश्चिम बंगाल में शाख बचाएगी भाजपा

भाजपा की केंद्रीय कार्यकारिणी बैठक में बंगाल भाजपा को लेकर बड़ी चर्चा हुई। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बंगाल भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष से जानना चाहा कैसे बंगाल में भाजपा के काम काज आगे बढ़ाया जाए। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सांसद दिलीप घोष से कहा की, वो पश्चिम बंगाल में हर महीने में चार दिन बिताएंगे और बंगाल भाजपा को और टूटने से बचाना चाहते हैं। दिलीप घोष से जेपी नड्डा ने अनुरोध किया कि वह पार्टी के नया प्रदेश अध्यक्ष सांसद सुकान्तो मजूमदार को अपना बैटन सँभालने में गाइड करें। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सांसद दिलीप घोष ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से कहा- “बंगाल में जनता को समझने वाले, काम करने वाले कोई कार्य प्रभारी की नियुक्ति करें। नड्डा ने कहा वो ज़रूर इस बात पर गहराई से सोचेंगे। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के आदेश अनुसार अभी नया प्रदेश अध्यक्ष सांसद सुकान्तो मजूमदार को लेकर हर ज़िले में ‘सम्बर्धना सभा’ का आयोजन करूँगा और भाजपा के लोगों से उनकी खास मुलाक़ात करवाऊँगा। उसके बाद नड्डा जी चाहते हैं कि बंगाल में हर महीने चार दिन रहेंगे और भाजपा के जमीनी स्तर पर कार्यकर्ता के मनोबल बढ़ाएंगे।”

दिलीप घोष ने कहा की भाजपा एक संगठित दल है, हमारे संगठन में ऐसा ही परंपरा रहा। प्रदेश अध्यक्ष से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनने के बाद यह था दिलीप घोष का पहला राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक। उन्होंने कहा- “पहले क्या हुआ वह सोब भूलकर आगे बढ़ना चाहिए, भविष्य में क्या होना है उसके तैयारी करना है। पहले हमारे पास राज्यों में कोई शक्ति नहीं था लेकिन अब बंगाल में भाजपा के पास 18 लोकसभा वो 77 विधानसभा सदस्यों है।” उन्होंने कहा कि अभी बंगाल में भाजपा को और सींचना है, भाजपा कार्यकर्ता के साथ खड़ा होने की ज़रूरत है ताकि कार्यकर्ताओं का मनोबल न टूटे। आज से ज़िलों में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष का दौरा शुरू हुआ।

प्रदूषण के विरूद्ध अभियान को पलीता

दिल्ली में बढ़ते  प्रदूषण की रोकथाम को लेकर दिल्ली सरकार भले ही प्रदूषण के विरूद्ध–युद्ध अभियान चलाये हुये है। जिसके तहत जगह-जगह रेड लाईट पर प्रदूषण के विरूद्ध पोस्टर लेकर कुछ लड़के बैनर लेकर खड़े है जिसपर लिखा है, “रेड लाईन आँन तो गाड़ी आँफ”। लेकिन इस सबका जनता पर कोई खास असर नहीं दिख रहा है।

“रेड लाईन आँन तो गाड़ी आँफ” अभियान के बावजूद लगातार प्रदूषण बढ़ रहा है। इसपर दिल्ली की जनता का कहना है कि, सरकार दिखावे के तौर पर राजनीति कर रही है। जिस कारण सरकार प्रदूषण को कम करने में नाकाम है।

जहां एक तरफ सड़कों और कूड़ा घरों में जहां-तहां कूड़ा जलाया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ फैक्ट्रियों से जहरीला धुआं भी निकलने के साथ-साथ पराली जलाने से भी दिल्ली की हवा दूषित हो रही है।

पर्यावरण विशेषज्ञ जयदेव गिरी का कहना है कि, कारों बसों या मोटर साईकिल से जो प्रदूषण फैलता है उससे कई अधिक गुना तो पराली , सड़को में जगह –जगह कूड़े के जलाये जाने से प्रदूषण फैलता है जो शरीर के हर अंग को डैमेज करता है। इसलिये सरकार को चाहिये इन मुख्य प्रदूषणों को बंद करवाये ताकि प्रदूषण से मुक्ति मिल सकें। अन्यथा प्रदूषण के विरूध चल रहे युद्ध अभियान को पलीता लग सकता है।

एक मॉडल नेटवर्क प्लानिंग बॉडी का भी निर्माण करेगी सरकार, देखरेख करेगा वाणिज्य मंत्रालय

केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए कहा क‍ि एक मॉडल नेटवर्क प्लानिंग बॉडी निर्माण किया जाएगा और इसका कोऑर्डिनेशन वाणिज्य मंत्रालय करेगा | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को केंद्रीय कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया है |

केंद्रीय कैबिनेट ने आज डीए 3 प्रतिशत बढ़ाकर 18 से 21 प्रतिशत कर दिया गया है | इसके साथ ही गतिशक्ति योजना पर भी कैबिनेट ने बड़ा फैसला लिया है | केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए कहा क‍ि एक मॉडल नेटवर्क प्लानिंग बॉडी का निर्माण किया जाएगा और इसका कोऑर्डिनेशन वाणिज्य मंत्रालय करेगा |

कैबिनेट बैठक में केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए महंगाई भत्ते को 3 फीसदी बढ़ाने की मंजूरी दे दी गई है | इससे केंद्र के 47.14 लाख कर्मचारियों और 68.62 लाख से ज्यादा पेंशनर्स को फायदा होगा | इस फैसले से सरकार पर 9488 करोड़ रुपये का अतिरिक्‍त बोझ पड़ेगा। नया दर 1 जुलाई 2021 से लागू होगा। अनुराग ठाकुर ने कहा कि महंगाई भत्ता मौजूदा बेसिक पे/पेंशन के 28 फीसदी की मौजूदा दर से 3 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है |

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पीएम गति शक्ति –आर्थिक क्षेत्रों के लिए मल्टी- मॉडल कनेक्टिविटी के लिए नेशनल मास्टर प्लान को मंजूरी दी है | इस मास्टर प्लान की थ्री-टियर सिस्टम में मॉनिटरिंग होगी और  कैबिनेट सचिव स्‍तर के अधिकारी इसकी अध्यक्षता करेंगे | एक सचिवों एमपावर ग्रुप ऑफ सेक्रेटरीज बनेगा, इस एमपावर ग्रुप ऑफ सेक्रेटरीज में 18 मंत्रालयों के सचिव और हेड ऑफ लॉजिस्टिक डिवीजन के मेंबर कन्वेयर के रूप में काम करेंगे |

विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के नेटवर्क योजना प्रभाग के प्रमुखों के प्रतिनिधि के साथ एक मल्टी मॉडल नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप का गठन किया जाएगा | इस टीएसयू में एवियशन, मैरीन टाइम, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, रेल, रोड एंड हाइवेज, पोर्ट, इन सब विभागों के डोमेन एक्सपर्ट रहेंगे | साथ ही सब्जेक्ट मैटर एक्सपर्ट्स अर्बन एंड ट्रांसपोर्ट प्लानिंग, स्ट्रक्टचर्स जोकि रोड, ब्रिज और बिल्डिंग्स के, पावर, पाइपलाइन, जीआईएस, आईसीटी, फाइनेंस मार्केट, पीपीपी, लॉजिस्टिक्स, डेटा लॉजिस्क्टिक्स द्वारा उनके सब्जेक्ट मैटर एक्सपर्ट्स भी हिस्सा रहेंगे |

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आर्थिक क्षेत्रों से बहुस्तरीय संपर्क के लिए लगभग एक हफ्ते पहले ‘प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना’ की शुरुआत की थी | प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान रेल और सड़क सहित 16 मंत्रालयों को जोड़ने वाला एक डिजिटल मंच है | इस दौरान पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा था कि आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के साथ हम, अगले 25 वर्षों के भारत की बुनियाद रच रहे हैं | पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान, भारत के इसी आत्मबल को, आत्मविश्वास को, आत्मनिर्भरता के संकल्प तक ले जाने वाला है |

उन्होंने कहा कि ये नेशनल मास्टरप्लान, 21वीं सदी के भारत को गतिशक्ति देगा | गतिशक्ति के इस महाअभियान के केंद्र में हैं भारत के लोग, भारत की इंडस्ट्री, भारत का व्यापार जगत, भारत के मैन्यूफैक्चरर्स, भारत के किसान. ये भारत की वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों को 21वीं सदी के भारत के निर्माण के लिए नई ऊर्जा देगा, उनके रास्ते के रुकावट को समाप्त करेगा |

दिल्ली में डेंगू का स्ट्रेन -2 पाये जाने से हड़कंप

राजधानी दिल्ली में डेंगू के कहर से लोगों के बीच हाहाकार मचा हुआ है। आलम ये है कि, सरकारी और निजी अस्पतालों में डेंगू के मरीजों के लिये बिस्तरों की कमी तक पड़ने लगी है। ऐसे में स्वास्थ्य महकमें में हड़कंप मचा हुआ है।

अगर समय रहते स्थिति पर काबू नहीं पाया गया तो, आने वाले दिनों में स्थिति भयावह हो सकती है। दिल्ली के डाक्टरों का कहना है कि कोरोना अभी गया नहीं है। अब डेंगू का कहर लोगों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें पैदा कर सकता है।

बतातें चलें, राजधानी दिल्ली में गत महीनें पहले डेंगू से एक मरीज की पुष्टि होने के बाद स्वास्थ्य महकमा हरकत में आया था। लोगों को जागरूक करने के लिये जागरूकता अभियान भी चलाया है। लेकिन डेंगू के मामलों में निरन्तर बढ़ोत्तरी होती जा रही है। जो चिन्ता का विषय है।

सबसे गौर करने वाली बात तो ये है कि, गरीब मरीजों को सरकारी अस्पतालों में बिस्तर न मिलने के कारण उनको मजबूरी में एक पलंग पर 2-2 और 3-3 मरीजों के साथ इलाज कराना पड़ रहा है।

दिल्ली के लोकनायक अस्पताल के डाँ आर दास का कहना है कि, “दिल्ली में डेंगू का स्ट्रेन -2 पाया गया है।जो काफी घातक माना जाता है। आई एम ए के पूर्व संयुक्त सचिव डाँ अनिल बंसल का कहना है। बचाव के तौर पर बुखार को नजर अंदाज ना करें। अपने घरों के आस-पास मच्छरों को जमा ना होनें दें।”

कांग्रेस की 40 प्रतिशत महिलाओं के टिकट की घोषणा से उत्तर प्रदेश की सियासत में हलचल तेज

जैसे –जैसे उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही है। वैसे-वैसे उत्तर प्रदेश की सियासत में नये–नये समीकरण बनकर ऊभर रहे है। कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को देने की घोषणा की है। प्रदेश में महिलाओं के टिकट को लेकर अन्य राजनीतिक दलों में हलचल तेज हो गर्इ है।

बतातें चलें, प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने के लिये पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने रात-दिन एक किया हुआ है। इसी के तहत प्रियंका गांधी ने लखनऊ में जैसे ही घोषणा कि वह महिलाओं को 40 प्रतिशत टिकट देंगी । ताकि महिलाओं की राजनीति में भागीदारी के साथ-साथ अहम् भूमिका हो सकें। उत्तर प्रदेश कांग्रेस नेताओं का कहना है कि, कांग्रेस ने प्रदेश में लम्बे समय तक सत्ता चलायी है। उसी के आधार पर यहां की जनता आज मान रही है कि जो शासन कांग्रेस ने चलाया है। वो अन्य राजनीतिक दलों ने नहीं चलाया है।

भाजपा, सपा और बसपा के शासन काल में जनता दुखी रही है। लेकिन कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी है। जो प्रदेश में रोज़गार दें सकती है। महगांई से छुटकारा दिला सकती है। प्रदेश में बढ़ते अपराध को रोक सकती है। जबकि अन्य दलों के नेताओं का कहना है कि महिलाओं को सम्मान और पार्टी में भागीदारी सभी दल देतें है। रहा सवाल 40 प्रतिशत का तो अन्य दल इससे भी अधिक टिकट दें सकतें है।

जानकारों का कहना है कि, उत्तर प्रदेश की राजनीति का अपना अलग ही मिजाज है। यहां की जनता नेताओं के वादे और घोषणाओं पर कम विश्वास करती है। और बाकि तो आने वाले समय ही तय करेगा कि किस राजनीतिक दल पर जनता विश्वास करती है।