किसान आंदोलन स्थगित; 11 को विजय दिवस मनाएंगे, एक महीने बाद समीक्षा करेगा मोर्चा

आखिर एक साल से जारी किसान आंदोलन स्थगित हो गया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने अब से कुछ देर पहले इसे लेकर घोषणा की। एमएसपी पर कमेटी बनाने के अलावा तीन कृषि कानूनों पर बातचीत से पहले सरकार किसान संगठनों से बात करेगी। किसान 11 दिसंबर से दिल्ली की सीमा से वापस घरों को लौट जाएंगे। किसान अब इसे लेकर उस दिन ‘विजय दिवस’ मनाएंगे। सरकार किसानों की ज्यादातर मांगें मान ली हैं या उनपर भरोसा दिलाया है। इनमें किसानों के खिलाफ मामले वापस लेना और मुआबजा देना भी शामिल हैं।

एक प्रेस कांफ्रेंस में इसके घोषणा करते हुए किसान नेताओं ने साफ़ कहा कि आंदोलन वापस नहीं लिया गया है और एक महीने बाद सरकार के किये वादों की समीक्षा की जाएगी। यदि किसानों को लगा कि सरकार मांगों पैट टालमटौल कर रही है तो आंदोलन की अगली रूपरेखा तय की जाएगी। एमएसपी पर सरकार ने कमेटी बनाने के अलावा खरीद का भी भरोसा किसानों को दिया है।

प्रेस कांफ्रेंस में किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी, बलबीर सिंह राजेवाल, राकेश टिकैत, हन्नान मुल्ला, कक्का आदि उपस्थित थे। इन सभी ने कि आंदोलन ख़त्म नहीं बल्कि स्थगित किया गया है। किसान नेता बलवीर राजेवाल ने कहा – ‘हम सरकार को झुकाकर वापस जा रहे हैं और 15 जनवरी को किसान मोर्चा की फिर बैठक होगी, जिसमें आगे की रणनीति पर चर्चा होगी। किसान वापसी के ऐलान के बाद 11 दिसंबर से दिल्ली बॉर्डर से किसान लौटेंगे।’ राजेवाल ने कहा कि किसान आंदोलन को स्थगित किया गया है और हर महीने एसकेएम की बैठक होगी। यदि सरकार दाएं-बाएं होती हैं तो फिर से आंदोलन करने का फैसला लिया जा सकता है।

मोर्चा नेताओं ने बताया – ‘दिल्ली बॉर्डर से किसान 11 दिसंबर से हटने शुरू करेंगे।  उसके बाद 13 दिसंबर को अमृतसर में हरमिंदर साहिब पर मत्था टेकेंगे। वहीं, 15 दिसंबर से पंजाब के टोल प्लाजा पर डटे हुए किसान भी हट जाएंगे।’ उधर दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने भी घर लौटने की तैयारी शुरू कर दी है।

इससे पहले किसान मोर्चा ने  सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा की और आंदोलन को स्थगित करने का फैसला किया। किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने भी बताया था कि मांगों पर सरकार की ओर से जो पहले प्रस्ताव भेजा गया था, वो मंजूर नहीं था, इसलिए बुधवार को सरकार की ओर से नया प्रस्ताव भेजा गया था, जिस पर बैठक में सहमति बन गई है।