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केजरीवाल की पंजाब के शहरों के लिए 10 गारंटी, बिजली-पानी 24 घंटे

तहलका ब्यूरो
विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को आम आदमी पार्टी (आप) नेता अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के शहरवासियों के लिए शनिवार को विकास के कामों से जुड़ी  10 गारंटी दीं। इनमें 24 घंटे बिजली और पानी देने का वादा भी शामिल है।

केजरीवाल, जिनके साथ पार्टी के सीएम उम्मीदवार भगवंत मान भी थे, ने जलंधर में शनिवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में 10 गारंटी को लेकर बताया कि इनमें शहरों की साफ सफाई,  सीवर गार्बेज डिस्पोजल सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, डोर स्टेप डिलीवरी ऑफ सर्विसेज,  घर बैठे सरकार से जुड़े काम दिल्ली की तर्ज पंजाब में भी शुरू करवाने, शहरी  कॉलोनियों की मार्केट में तारों के जंजाल हटाने के लिए अलग बजट, शहरों के  अस्पतालों को अच्छा करेंगे और हर मोहल्ले में मोहल्ला क्लिनिक बनाएंगे जहाँ मुफ्त इलाज होगा।

केजरीवाल ने कहा – ‘शहरों के सरकारी स्कूल इतने अच्छे करेंगे कि महंगी फीस देकर बच्चों को प्राइवेट स्कूल में भेजने की जरूरत नहीं होगी और साथ ही 24 घण्टे बिजली का इंतजाम होगा, 24 घण्टे पीने के पानी का इंतजाम किया जाएगा और व्यापारियों पर कोई नया टैक्स नहीं लगाएंगे, दिल्ली में जैसे सीटीवीवी नेटवर्क है, पंजाब में भी चप्पे चप्पे पर कैमरे लगाएंगे और मार्केटस को विकसित करके, टूटी सड़कें, नालियां गलिया ठीक की जाएंगी।’

पंजाब में आप के सीएम उम्मीदवार भगवंत मान ने इस मौके पर कहा – ‘दिल्ली में  शहरों में जो विकास केजरीवाल साहब ने करवाया है और जिस तरह पानी ,स्ट्रीट लाइट, सीवर की समस्यायों को सुधारा है, वही पंजाब में भी किया जाएगा। सिर्फ आप ही ऐसा कर  सकती है क्योंकि उसका एजेंडा के विकास का है।’

‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ का पेगासस पर बड़ा खुलासा, राहुल ने मोदी सरकार को घेरा

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले पेगासस जासूसी का भूत फिर उभर आया है। इस बार दुनिया भर में मशहूर अमेरिका के अखबार ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने सनसनीखेज खुलासा किया है कि इजराइली स्पाइवेयर पेगासस और एक मिसाइल प्रणाली भारत-इजरायल के बीच 2017 में हुए करीब दो अरब डॉलर के हथियार और  खुफिया उपकरण सौदे के केंद्र बिंदु थे। इस रिपोर्ट के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तीखा हमला किया है।

यह रिपोर्ट सामने आने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर जबरदस्त निशाना साधते हुए ट्वीट में लिखा – ‘मोदी सरकार ने हमारे लोकतंत्र की प्राथमिक संस्थाओं, राज नेताओं और जनता की जासूसी करने के लिए पेगासस ख़रीदा था। उन्होंने फ़ोन टैप करके सत्ता पक्ष, विपक्ष, सेना, न्यायपालिका सब को निशाना बनाया है। ये देशद्रोह है। मोदी सरकार ने देशद्रोह किया है।’

राहुल गांधी के अलावा कई कांग्रेस नेताओं और विपक्ष के नेताओं ने मोदी सरकार पर इस मामले को लेकट हमला किया है। अमेरिका के डेली अखबार ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ के इस खुलासे के बाद देश में पेगासस को लेकर फिर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है।

पहले जब आरोप लगे थे तो सामने आया था कि पेगासस को देशों में पत्रकारों, मानवाधिकार रक्षकों, नेताओं और अन्य लोगों की जासूसी करने के लिए कुछ सरकारों ने कथित रूप से एनएसओ समूह के पेगासस सॉफ्टवेयर को इस्तेमाल  किया था। इसके बाद भारत में भी मोदी सरकार पर लोगों की गोपनीयता में ताक-झाँक करने के आरोप लगे थे और इसपर चिंताएं जताई गयी थीं।

अब नए खुलासे के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट करके कहा – ‘मोदी सरकार ने भारत के दुश्मनों की तरह काम क्यों किया और भारतीय नागरिकों के खिलाफ युद्ध के हथियार का इस्तेमाल क्यों किया? पेगासस का इस्तेमाल कर अवैध जासूसी करना देशद्रोह की श्रेणी में आता है। कोई भी कानून से ऊपर नहीं है और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि न्याय मिले।’

शिवसेना सी राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट – ‘एक स्पाइवेयर का इस्तेमाल रक्षा उद्देश्यों के लिए नहीं बल्कि विपक्ष और पत्रकारों की जासूसी करने के लिए किया जाता है। भाजपा है तो मुमकिन है, देश को बिग बॉस का शो बना डाला है।’

सिद्धू ने अमृतसर पूर्व से दाखिल किया नामांकन पत्र, सीएम पद के हैं दावेदार

29 January 2022 Amritsar Punjab Congress party president and Congress party candidate Navjot Singh Sidhu (R) files his nomination papers for the upcoming Punjab state assembly elections, in Amritsar on Saturday. PHOTO-PRABHJOT GILL AMRITSAR

पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पद के दावेदार नवजोत सिंह सिद्धू ने शनिवार को विधानसभा चुनाव के लिए अमृतसर पूर्व सीट से अपना नामांकन दाखिल किया। इस मौके पर कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता भी उपस्थित थे। पंजाब में 20 फरवरी को मतदान होना है।

अमृतसर से चार बार सांसद रहे नवजोत सिंह सिद्धू की क्षेत्र में खासी लोकप्रियता मानी जाती है। इस बार फिर कांग्रेस ने उन्हें अमृतसर पूर्व विधानसभा सीट से टिकट दिया है। आज उन्होंने अपना नामांकन दाखिल किया।

याद रहे नवजोत सिंह सिद्धू ने 2017 में भी इसी सीट से चुनाव जीता था। इसके बाद वे कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार में उप मुख्यमंत्री बनाए गए थे। हालांकि, कुछ महीने बाद सिद्धू के कैप्टन के साथ मतभेदों के चलते सिद्धू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

पिछले साल के आखिर में  तब ताकतवर हो गए जब उन्हें पार्टी ने पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया। अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने कैप्टेन के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया। आखिर कैप्टेन को अपना पद छोड़ना पड़ेगा। बाद में जब चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बना दिया जिसके बाद सिद्धू के चन्नी के साथ भी उनके मतभेदों की बात मीडिया में कहे जाती है।

आरआरबी-एनटीपीसी परीक्षा विवाद में आज ‘बिहार बंद’, सड़कें कीं जाम

बिहार में आरआरबी-एनटीपीसी परीक्षा को लेकर शुरू हुआ विवाद अब आंदोलन का रूप ले रहा है। इसके विरोध में शुक्रवार को ‘बिहार बंद’ का आह्वान किया गया है जिसके तहत छात्र जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं। कई जगह सड़क मार्ग बंद किये हैं। कुछ जगह राजनीतिक दल भी बिहार बंद में हिस्सेदारी करते दिखे। अभी तक की ख़बरों के मुताबिक बंद शांतिपूर्ण है और किसी तरह की हिंसा कोई खबर नहीं है।

बंद के दौरान पटना में एक मार्च निकाला गया जबकि मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर और अरवल में भी ‘आइसा’ समर्थक सड़क पर उतरे। कई जगह सड़कें जाम की गयी हैं।  आरआरबी-एनटीपीसी रेलवे भर्ती परीक्षा को लेकर बवाल के बाद केंद्र सरकार ने छात्रों की मांगें मानी हैं, हालांकि,  छात्रों ने आज ‘बिहार बंद’ का आयोजन किया है।

अभी तक की रिपोर्ट्स के मुताबिक पटना, गया, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा सहित बिहार के कई बड़े शहरों में सुबह से रास्तों को जाम कर दिया गया। सड़कों पर टायर भी जलाए गए हैं। छात्रों ने नारेबाजी भी की है। छात्रों के आंदोलन को देखते हुए राजनीतिक दल सक्रिय दिख रहे हैं। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी, कांग्रेस और लेफ्ट के कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन में दिखाई दिए हैं।

उधर आरआरबी-एनटीपीसी परीक्षा को लेकर पैदा हुए विवाद के बीच छात्रों को भड़काने के आरोप में खान सर समेत कई कोचिंग संस्थानों के 6 शिक्षकों पर एफआईआर दर्ज की गयी है। दिलचस्प यह है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ लल्लन सिंह ने ही रेलवे से खान सर समेत सभी कोचिंग संस्थानों के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने की मांग की है। लल्लन सिंह ने गुस्साए छात्रों से शांति की अपील भी की है।

चन्नी या सिद्धू ! पंजाब में चुनाव से भी बड़ी है कांग्रेस की यह चिंता

राहुल गांधी के गुरुवार के दौरे के बाद पंजाब में कांग्रेस की स्थिति में कोई ख़ास बदलाव हुआ है ? हाँ, हुआ है। राहुल गांधी की कही यह बात सबसे महत्वपूर्ण है कि  जनता, पार्टी और कार्यकर्ता जिसे तय करेंगे, वहीं सीएम का चेहरा होगा। पार्टी में सभी इस फैसले का सम्मान करेंगे। कांग्रेस राजनीतिक रिस्क के बचने के लिए किसी भी चेहरे को मतदान से पहले सीएम के रूप में प्रोजेक्ट न करे, यह उसके लिए ज्यादा फायदेमंद है। नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस आलाकमान के प्रिय हैं और पार्टी उन्हें खोना नहीं चाहती। लेकिन वह एक दलित नेता के रूप में चन्नी का महत्व भी कम नहीं करना चाहती।

सिद्धू विधानसभा चुनाव में अपने हलके में सब विरोधियों के निशाने पर हैं। कैप्टेन अमरिंदर सिंह किसी सूरत में उन्हें जीतने नहीं देना चाहते। आखिर सिद्धू के कारण ही कैप्टेन की मुख्यमंत्री की कुर्सी गयी थी। उनके मन में सिद्धू के लिए राजनीतिक जहर भरा है। अकाली दल, खासकर बादल, भी सिद्धू से खूब खार खाते हैं। सिद्धू राहुल गांधी के दौरे में मंच से उनके सामने चेहरा घोषित करने को लेकर मांग कर चुके हैं।

भाजपा भी सिद्धू के प्रति तल्ख है। सब मिलकर अमृतसर सीट पर सिद्धू को ‘मज़ा’ चखाना चाहते हैं। ऐसे में कांग्रेस पूरी ताकत से उनके साथ रहना चाहती है। प्रियंका और राहुल सिद्धू का राजनीतिक महत्व समझते हैं, भले बीच-बीच में उन्होंने अपने बयानों से आलाकमान की बेचैनी भी बढ़ाई है।

सिद्धू विधानसभा चुनाव में यदि मुख्यमंत्री पद की दौड़ में बने रहते हैं और पार्टी कोई चेहरा घोषित नहीं करती तो इसका लाभ उन्हें मिलेगा। चन्नी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित होने की स्थिति में सिद्धू को अपने हलके में ‘भावी सीएम’ वाली मनोविज्ञानिक बढ़त से बंचित होना पड़ेगा। ऐसे में चुनाव उनके लिए कठिन भी हो सकता है। मनीष तिवारी, सुनील जाखड़ जैसे कद्दावर नेता पहले ही सिद्धू को लेकर अटपटे ब्यान दे चुके हैं। लिहाजा राहुल गांधी और प्रियंका गांधी चाहते हैं कि ऐसे समय में पार्टी पूरी ताकत से सिद्धू के पीछे रहे।

उधर चन्नी भी अपनी ‘सीएम’ वाली छवि के साथ चुनाव में जाना चाहते हैं। खुद उन्हें और पार्टी को भी इसका लाभ मिलेगा क्योंकि वे देश भर में अकेले दलित सीएम हैं। सिद्धू के विपरीत अपने हलके में चन्नी को समर्थन की उतनी चिंता नहीं है। पिछले छह साल बाद चन्नी के रूप में देश को दलित सीएम मिला है, और कांग्रेस इससे मिलने वाली संभावित बढ़त को गंवाना नहीं चाहती। यही कारण है कि चन्नी उसके एजेंडे में ऊपर हैं।

पंजाब में करीब 32 फीसदी दलित वोट हैं, भले उनकी जातियाँ अलग-अलग हैं। सिख धर्म में वैसे तो दलित, जट्ट सिख या अन्य सिख में भेद नहीं किया जाता, लेकिन राजनीति में यह चीजें मायने रखती हैं। कांग्रेस इस बात को समझती है। ऐसे में वह चन्नी और सिद्धू को लेकर जिस दुविधा का शिकार है, उसमें उसके लिए बीच का रास्ता ही सही है। राहुल गांधी के पंजाब दौरे से यही सन्देश मिला है कि वह शायद चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित न करे। और यदि पार्टी ने किया तो उसका फैसला चौंकाने वाला होगा। शायद यह चन्नी हों।

कुलमिलाकर दिखता है कि कांग्रेस सीएम चेहरे को लेकर दुविधा में है। लेकिन ऐसा   सिर्फ दिख रहा है, हकीकत में ऐसा नहीं है। आलाकमान की सीएम कौन हो, इससे बड़ी चिंता यह है कि उसके नेता एकजुट होकर चुनाव में जाएं। पार्टी के पांच बड़े नेता सीएम चरणजीत सिंह चन्नी, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू, चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष सुनील जाखड़, सांसद मनीष तिवारी और प्रताप सिंह बाजवा
अपना-अपना राग अलाप रहे हैं। कुछ और हैं, जो इन नेताओं के साथ हैं और एक-दूसरे के विरोध में कहने से नहीं हिचक रहे। चुनाव में इसका नुक्सान होता है।

वीकेंड कर्फ्यू की योजना फरवरी तक की थी, लेकिन व्यापारियों की चेतावनी को सरकार ने हल्के में नहीं लिया

दिल्ली में व्यापारियों की मांग पर दिल्ली सरकार ने आँड-ईवन और वीकेंड कर्फ्यू तो समाप्त कर दिया है। जिससे व्यापारियों में खुशी है। व्यापारियों का कहना है कि कोरोना के मामलें भी कम आ रहे है। ऐसे में जायज भी है कि बाजारों को खुलना चाहिये। ताकि व्यापारियों का कारोबार चल सकें और व्यापारियों के साथ जुड़े अन्य छोटे कर्मचारी है उनकी नौकरी भी बने रहे।

दिल्ली सरकार ने इन्ही बातों को भाप कर वीकेंड़ कर्फ्यू सहित अन्य पांबदियों को हटाने का फैसला लिया है। बताते चले कि दिसम्बर माह से दिल्ली सहित एनसीआर में कोरोना के मामलें बढ़ने लगे थे। इसी के मद्देनजर सरकार ने ये तामाम पाबंदियों सहित वीकेंड कर्फ्यू का निर्णय लिया था। जिसका असर ये हुआ कि दिल्ली में कोरोना के मामलों में काफी कमी आयी। क्योंकि बाजारों के बंद होने से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी किया गया।

गांधी नगर के व्यापारी संतोष कुमार का कहना है कि सरकार ने व्यापारियों की मांगों को माना है। जिसके चलते बाजारों में लगा आँड-ईवन भी समाप्त किया गया है। उनका कहना है कि गांधी नगर कपड़े का एशिया का सबसे बड़ा मार्केट होने की वजह से देश भर के गांव–शहरों से यहां से कपड़ा ले जाकर व्यापार करते है। लेकिन दिल्ली सरकार द्वारा जब आँड–ईवन से साथ वीकेंड कर्फ्यू लगाया गया। तब व्यापार पर काफी विपरीत असर पड़ा था।

वहीं अन्य व्यापारियों ने तहलका को बताया कि सरकार के फैसले के बाद भले ही व्यापारियों ने राहत की सांस ली हो लेकिन अगर कोरोना बढ़ता है तो कोरोना गाईड-लाईन का पालन नहीं होता है। तो फिर से बाजारों में पांबदी लग सकती है।

दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिकारी एस के गोयल ने बताया कि अगर व्यापारियों का दबाव न होता तो कम से कम फरवरी माह तक वीकेंड कर्फ्यू की जरूरत थी। तब तक कोरोना पर काफी हद तक काबू जा सकता था। लेकिन व्यापारियों की मांग के आगे सरकार ने फैसला बदला है और तामाम पाबंदियों पर छूट दी है।

बताते चलें व्यापारियों ने सरकार को चेतावनी भी दी थी अगर वीकेंड कर्फ्यू के साथ बाजारों को पुनः न खोला गया तो जो उनके यहां नौकरी करते है। उनको नौकरी से निकाल दिया जायेगा। इसी बात को समझकर और व्यापारियों की चेतावनी को हल्कें में न लेकर बाजारों को खोलने का निर्णय लिया गया है।

दिल्ली में वीकेंड कर्फ्यू ख़त्म; रात का जारी रहेगा,  मैरिज हाल खुलेंगे

राजधानी दिल्ली में गुरुवार को सरकार ने वीकेंड कर्फ्यू खत्म करने की घोषणा की। तीन हफ्ते पहले इसे कोविड-19 के मामले बढ़ने के कारण इसे लागू किया गया था। वीकेंड कर्फ्यू ख़त्म करने का फैसला दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की आज यहाँ हुई बैठक में किया गया। हालांकि, दिल्ली में रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक नाईट कर्फ्यू जारी रहेगा।

आज किये गए फैसलों के मुताबिक दिल्ली में कोरोना के मामले घटने के कारण ऑड-ईवन तरीके से दुकान खुलने का आदेश भी वापस ले लिया गया है। हालांकि, राज्य में नाइट कर्फ्यू रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक जारी रहेगा। बता दें मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दिल्ली में वीकेंड कर्फ्यू हटाने का प्रस्ताव उपराज्यपाल अनिल बैजल) को भेजा था।

डीडीएमए की बैठक में आज जो फैसले हुए हैं उनके मुताबिक कोरोना के कारण नाइट कर्फ्यू जारी रहेगा, वीकेंड कर्फ्यू खत्म करने का फैसला हुआ है, सख्त बंदिशें जारी रहेंगी, 50 फीसदी क्षमता के साथ मैरिज हॉल खुलेंगे, अधिकतम 200 लोगों को जाने की इसमें अनुमति होगी।

अन्य फैसलों में बार और रेस्ट्रोरेंट 50 फीसदी क्षमता के साथ खुलेंगे, दुकानों के ऑड-ईवन के तर्ज पर खुलने का फैसला खत्म हो गया है, स्कूल खोलने पर डीडीएमए की अगली बैठक में फैसला होगा, कोरोना से बचने के उपाय लगातार अपनाने का आग्रह भी जनता से किया गया है। शादी समारोह में अब 200 तक मेहमान शामिल हो सकते हैं। डीडीएमए की बैठक में यह फैसला किया गया है।

कोरोना को देखते हुए स्वास्थ्य बजट जीडीपी का 10 फीसदी किया जाए

कोरोना काल में मरीजों को बेहत्तर स्वास्थ्य सेवायें मिले । इसके लिये केन्द्र सरकार अगामी को बजट में इजाफा करना चाहिये। ये बात आज आई एम ए के पूर्व संयुक्त सचिव डाँ बंसल ने कही। डाँ अनिल बंसल का कहना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यू एच ओ) के मुताबिक भारत में जीडीपी का कम से कम दस प्रतिशत स्वास्थ्य बजट होना चाहिये। लेकिन मौजूदा समय में सरकार 2 प्रतिशत से कम ही बजट जीडीपी का दे रही है। इससे देश की स्वास्थ्य सेवायें लड़खड़ा रही है। उन्होंने कहा कि भारत की बढ़ती जनसंख्या और महगांई के अनुपात के मुताबिक देश की सरकार अस्पतालों में मरीजों को बेहत्तरीन स्वास्थ्य सेवायें नहीं मिल पा रही है।डाँ अनिल बंसल का कहना है कि कोरोना संक्रमित बीमारी है। ये बीमारी आसानी से जाने वाली नहीं है। इसलिये इस पर व्यापक तौर शोध होने की जरूरत है।उनका कहना है कि सरकार स्वास्थ्य बजट पर कम बल्कि, सियासी गुणा-भाग ज्यादा करती  है। जिसका नतीजा ये है कि कोरोना काल में मरीजों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। इसलिये सरकार को बिना समय बर्बाद किये हुये जीडीपी का 10 प्रतिशत बजट जारी करना चाहिये। जो मौजूदा समय में हेल्थ सेक्टर में संख्त जरूरत है। बजट बढ़ने से मरीजों के साथ डाँक्टरों और नर्सों के साथ पैरामेडिकल स्टाफ को भी लाभ मिलेगा।उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से मांग करते हुये कहा कि कोरोना काल चल रहा है। कोरोना के मामलें आये दिन बढ़ रहे है। साथ ही कैंसर, लीवर, किड़नी के साथ –साथ मधुमेह और उच्च रक्च चाप जैसी बीमारी तेजी से बढ़ रही है। इन सबसे बचाव के लिये गांव –गांव में स्वास्थ्य ढांचा मजबूत करने की जरूरत है। जो हेल्थ बजट में इजाफा करने से ही संभव है।

आरआरबी एनटीपीसी रिजल्ट से नाराज छात्र 28 जनवरी को करेंगे देशव्यापी आंदोलन, कांग्रेस ने किया छात्रों का खुला समर्थन

आरआरबी एनटीपीसी रिजल्ट से नाराज़ छात्रों द्वारा 28 जनवरी को बिहार बंद और देशव्यापी आंदोलन आयोजित किया जा रहा है। छात्रों द्वारा किए जा रहे इस रेल रोको आंदोलन का कांग्रेस पार्टी ने खुलकर समर्थन किया है।

कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने गुरुवार को दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय से प्रेस वार्ता कर पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि, छात्रों द्वारा किए जा रहे इस देशव्यापी आंदोलन को कांग्रेस पार्टी का पूर्ण समर्थन है किंतु यह आंदोलन बेहद शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि, हम सरकार से यह कहना चाहते है यह गांधी का देश है जो कि सत्य और अहिंसा से चलता है। और किसी भी प्रकार के आंदोलन में हिंसा की जरूरत नहीं है। जिस प्रकार किसानों ने शांतिपूर्ण तरीके आंदोलन कर सरकार पर जीत हासिल की ठीक उसी प्रकार युवा इस आंदोलन को शांतिपूर्ण तरीके से कर सरकार पर जीत हासिल कर सकते है।

सुप्रिया ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए आगे कहा की आपने देश के युवाओं के साथ वादाखिलाफी की है। उनसे रोजगार के बड़े-बड़े वादे कर उन वादों को पूरा नहीं किया है। और आज देश के युवा बेरोजगार है।

सरकार युवा और बेरोजगारी को छोड़कर हर प्रकार की बाते करती है किंतु देश में रोजगार की बातें नहीं करती। सरकार उन युवाओं से क्या कहना चाहेगी जो दिल्ली, बिहार और उत्तर प्रदेश की सरकार व रेल मंत्रालय में प्राइवेटाइजेशन के नुमाइंदों को जगाने के लिए रेलवे ट्रैकों पर बेहद ही सर्द मौसम में बैठे हुए है। किंतु अब सरकार को देश के युवाओं की आवाज़ सुननी पड़ेगी।

 

रेलवे भर्ती के नतीजे में ‘धांधली’ के विरोध में छात्र विरोध जारी, बोगी में आग लगाई

बिहार में रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) की नॉन टेक्निकल पॉपुलर कैटेगरी (एनटीपीसी) परीक्षा के नतीजे में ‘धांधली’ के विरोध में बुधवार को लगातार तीसरे दिन आक्रोशित अभ्यर्थियों का विरोध प्रदर्शन जारी रहा और उन्होंने गया में यार्ड में खड़ी एक बोगी में आग लगा दी। पटना में पुलिस ने कल प्रदर्शनकारी छात्रों पर लाठीचार्ज किया था और आंसू गैस के गोले छोड़े थे। पुलिस का कहना है कि छात्रों की पत्थरबाजी से पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। इस बीच कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने आंदोलनकारी छात्रों का समर्थन किया है।

रेलवे ने धांधली के आरोपों को लेकर जांच के लिए एक समिति बनाई है, लेकिन छात्रों का गुस्सा जारी है। इसकी आंच बिहार के बाद चुनावी राज्य उत्तर प्रदेश तक पहुँच गयी है प्रयागराज में नौकरी की मांग को लेकर छात्रों ने ट्रेन रोकने की कोशिश की।इस मुद्दे पर रेल मंत्री आज शाम प्रेस कांफ्रेंस करेंगे।

रेलवे बोर्ड ने नतीजों पर रोक लगा दी है और अगली परीक्षाएं स्थगित कर दी हैं। छात्रों का बिहार में रेलवे भर्ती बोर्ड की नॉन टेक्निकल पॉपुलर कैटेगरी (एनटीपीसी) परीक्षा परिणाम में धांधली को लेकर आंदोलन तेज हो गया है। गया में बुधवार को गुस्साए छात्राओं ने यार्ड में खड़ी एक बोगी में आग लगा दी और श्रमजीवी एक्सप्रेस पर पथराव किया।

छात्रों के गुस्से को देखते हुए रेलवे की ग्रुप डी की परीक्षा रोक दी गई है। रेलवे ने धांधली के आरोपों को लेकर जांच के लिए एक समिति बनाई है, लेकिन हंगामा अभी जारी है। छात्रों ने बिहार में गया रेलवे जक्शन के आउटर सिग्नल पर खड़ी एमटी ट्रेन के कोच में आग लगा दी है जिसका धुंआ दूर दूर तक दिखाई दिया।

परीक्षा को लेकर बिहार से शुरू हुए आंदोलन का असर चुनावी राज्य उत्तर प्रदेश तक पहुंच गया है। यूपी के प्रयागराज में छात्रों ने हंगामा किया जिसके बाद पुलिस हंगामा करने वाले छात्रों की तलाश में हॉस्टल पहुंच गई। बेरोजगारी का मुद्दा चुनावी राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है।

इसे मसले पर कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने बुद्धवार को आंदोलन कर रहे छात्रों का समर्थन किया है। राहुल गांधी ने रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) की ओर से आयोजित परीक्षा की प्रक्रिया का विरोध कर रहे युवाओं का समर्थन करते हुए कहा – ‘अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने को हर नौजवान स्वतंत्र है, जो भूल गए हैं, उन्हें याद दिला दो कि भारत लोकतंत्र है, गणतंत्र था, गणतंत्र है।’ राहुल ने ट्वीट में बिहार में एक ट्रेन रोककर राष्ट्रगान गा रहे युवाओं का एक वीडियो भी साझा किया है।

उधर उत्तर प्रदेश कांग्रेस की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट में कहा – ‘गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर अपने हक की बात कह रहे छात्र-छात्राओं के साथ डबल इंजन सरकार की पुलिस का व्यवहार देखिए। युवाओं के दमन के खिलाफ देश भर में इंकलाब होगा और भाजपा का अहंकार चूर-चूर होगा। युवा रोजगार का हक लेकर रहेंगे।’

उधर रेलवे के प्रवक्ता ने कहा – ‘रेलवे ने एक समिति भी बनाई है, जो विभिन्न रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) की ओर से आयोजित परीक्षाओं में सफल और असफल होने वाले परीक्षार्थियों की शिकायतों की जांच करेगी। दोनों पक्षों की शिकायतें और चिंताएं सुनने के बाद समिति रेल मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंपेगी।’ रेलवे ने विरोध-प्रदर्शन के बाद एनटीपीसी और लेवल-1 की परीक्षाएं भी स्थगित कर दी हैं। रेलवे ने कहा जो छात्र तोड़फोड़ में संलिप्त मिलेंगे उन्हें रेलवे में नौकरी नहीं मिलेगी।