Home Blog Page 127

भारत में कोरोना टीकाकरण कवरेज पहुंचा 185 करोड़ के पार, नए मामलों मे बीते दिन के मुकाबले 7.5 फीसदी गिरावट

देश में कोविड-19 के मामलों में लगातार गिरावट जारी है। पिछले 24 घंटों में कोरोना के केवल 796 मामले सामने आए है जो कि बीते दिन के मुकाबले करीब 7.5 फीसदी कम है। इसी के साथ पिछले 24 घंटों में कोरोना से मौतों का आंकड़ा 19 रहा।

वर्तमान में एक्टिव केसों का आंकड़ा 10,889 हैं वहीं दूसरी तरफ रिकवरी रेट 98.76 फीसदी है। सात ही बीते 24 घंटों में करीब 946 लोग ठीक हुए है और इसी के साथ ठीक होने वाले लोगों की संख्या का आंकड़ा देश में 4,25,04,329 पर पहुंच गया है।

बताते चले, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत आज सुबह 7 बजे तक देश में 185.90 करोड़ कोरोना की वैक्सीन की खुराक दी जा चुकी है। साथ ही पिछले 24 घंटे में 4,06,251 और अभी तक कुल 79.45 करोड़ कोविड-19 टेस्टिंग की जा चुकी है।

इसी के साथ देश में 12 से 14 वर्ष आयु के वर्ग के बच्चों के लिए कोरोना का टीकाकरण 16 मार्च 2022 से शुरू किया गया था। और अब तक 2.27 करोड़ से अधिक किशोरों को कोविड-19 वैक्सीन की पहली खुराक दी जा चुकी है।

साथ ही 18 से 59 वर्ष के आयु वर्ग के लिए कोरोना एहतियाती खुराक 10 अप्रैल 2022 से शुरू हुआ है। अब तक करीब 27,401 एहतियाती खुराक दी जा चुकी है।

जेएनयू हवन और नॉनवेज मामले में हिंसक झड़प

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में रविवार को हवन और नॉनवेज को लेकर कावेरी हॉस्टल में दो छात्र गुटों के बीच हुई भिड़ंत में करीब 15 छात्र घायल हो गए है। बताया जा रहा है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) छात्रों ने हवन के दौरान वाम दलों के छात्रों पर नॉनवेज खाने को लेकर बाधा डालने का आरोप लगाया है।

कावेरी हॉस्टल में रविवार को एबीवीपा द्वारा हवन का आयोजन किया गया था। इसी दौरान नॉनवेज खाने को लेकर दोनों गुटों के छात्रों के बीच जमकर मारपीटार्इ हुई साथ ही कई छात्र इसमे घायल भी हुए।

इस हिंसा को लेकर जेएनयू के छात्र संघ ने एबीवीपी के छात्रों को छात्रावास में मांस के सेवन करने से रोका और हिंसा की। वही दूसरी तरफ एबीवीपी के छात्रों ने इस आरोप को सिरे से इंकार कर दिया है और कहा कि रामनवमी पर छात्रावास में आयोजित पूजा कार्यक्रम में वामपंथी बाधा डाल रहे थे। हिंसा में दोनों पक्षों ने अपने-अपने छात्रों के घायल होने के दावे किये है।

आपको बता दे, रविवार को जेएनयू के कावेरी हॉस्टल में घटी इस घटना के विरोध में वाम छात्र संगठनों ने एसएफआई और एआर्इएसऐ ने दिल्ली पुलिस मुख्यालय पर दोपहर के 2 बजे प्रदर्शन का ऐलान किया है।

हिमाचल, गुजरात और हरियाणा विधानसभा चुनाव की तैयारी में आप पार्टी

पंजाब में आप पार्टी को मिली ऐतिहासिक जीत से अब आप पार्टी इसी साल 2022 में होने वाले गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव को लेकर कमर कस चुकी है। वहीं 2023 को होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर आप पार्टी अभी से लोगों के बीच जाकर और पार्टी कार्यालय खोलकर पार्टी का प्रचार करने में लगी है।
पार्टी के नेताओं का कहना है कि पार्टी की छवि और ईमानदारी को देखते हुए लोग पार्टी से जुड़ रहे है। जिससे पार्टी राष्ट्रीय स्तर की ओर बढ़ रही है। बताते चलें जो कांग्रेस के कद्दावर नेता है और अन्य पार्टी से रूठे नेता है वे भी आप पार्टी में शामिल होकर पार्टी का जनाधार बढ़ाने में अहम रोल निभा सकते है। सूत्रों की मानें तो चुनाव के पहले अन्य दलों के कई वरिष्ठ नेता आने वाले दिनों में आप पार्टी में शामिल होकर पार्टी का प्रचार-प्रसार कर सकते है।
आप पार्टी के नेता अरुण कुमार का कहना है कि कांग्रेस पार्टी का जनाधार धीरे-धीरे कम हो रहा है।  और भाजपा की कथनी और करनी में अंतर है साथ ही लोग महंगाई से परेशान है और युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। जबकि आप पार्टी जनता के बीच जाकर काम कर रही है और युवाओं को रोजगार दे रही है। फ्री में तमाम सुविधाये दे रही है। जिससे जनता आप पार्टी की नीतियों से प्रसन्न है। आप पार्टी के मुखिया व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आगामी 6 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश में एक जनसभा और पार्टी के  कार्यकर्ताओं को संबोधित करेगे। वहीं भाजपा के नेताओं  का कहना है कि आप पार्टी को पंजाब में जीत नहीं मिली है। बल्कि कांग्रेस की जनविरोधी नीतियों को  की हार हुई है। उनका कहना है कि भाजपा की नीतियों से जनता प्रसन्न है। तभी तो चार राज्यों में भाजपा को जीत मिली है।  

महंगाई पर राज्यसभा में कांग्रेस, टीएमसी का हंगामा, स्थगित

कांग्रेस, टीएमसी और अन्य विपक्षी सदस्यों के बढ़ती महंगाई के विरोध में शोर के बीच मंगलवार को राज्य सभा की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा। सपा की सदस्य जया बच्चन ने एक मौके पर कहा कि पता नहीं इन्हें (भाजपा) को कौन जिताकर लाया है, जनता तो नहीं लाई है। उधर बजट सत्र के विभिन्न मुद्दों और सरकार की रणनीति पर चर्चा के लिए पीएम नरेंद्र मोदी, वरिष्ठ मंत्रियों राजनाथ सिंह, अमित शाह, निर्मला सीतारमण और नितिन गडकरी सहित अन्य मंत्रियों के साथ बैठक की है।

संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण के पांचवें दिन संसद के दोनों सदनों में पेट्रोल-डीजल, एलपीजी सिलेंडर और केरोसीन के दामों में बढ़ोतरी के मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ। विपक्ष ने इस मुद्दे को उठाया और कहा कि जनता पर बोझ बढ़ गया है और गरीब आदमी का जीना मुहाल हो गया है।

आज राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष के सदस्यों ने पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दामों में बड़ी वृद्धि को लेकर जमकर हंगामा किया। हंगामे के बीच राज्य सभा की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। केरोसिन और एलपीजी की बढ़ती कीमतों के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए टीएमसी सांसद डोला सेन ने राज्यसभा में नियम 267 के तहत निलंबन नोटिस दिया।

उधर बजट सत्र के लिए विभिन्न मुद्दों और सरकार की रणनीति पर चर्चा के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने वरिष्ठ मंत्रियों राजनाथ सिंह, अमित शाह, निर्मला सीतारमण और नितिन गडकरी सहित अन्य मंत्रियों के साथ बैठक की है।

राज्य सभा में आज कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर ने एलपीजी सिलेंडर की कीमत में अचानक बढ़ोतरी के बारे में चर्चा करने के लिए लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया।

पेट्रोल-डीजल और एलपीजी गैस सिलेंडर के दाम पर ही समाजवादी पार्टी से राज्यसभा सांसद जया बच्चन ने मोदी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि ये सरकार इसी तरह करती है, अखिलेश यादव ने अपने कैंपेन में बार-बार ये ही कहा कि आप लोग सतर्क हो जाएं दाम चुनाव के बाद बढ़ने वाले हैं। इन्हें वोट करके पता नहीं कौन जीताकर लाया, जनता तो नहीं लाई होगी।

भाजपा उत्तर प्रदेश की तर्ज पर लडेगी, राजस्थान और छत्तीसगढ का चुनाव

उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव में मिली भाजपा को जीत को लेकर भाजपा के नेताओं का मानना है कि अगर उत्तर प्रदेश की तर्ज पर और रणनीति के तहत चुनाव अन्य राज्यों में लड़ा जायेगा। तो भाजपा को लगातार जीत मिलती रहेगी और जनाधार भी बढ़ता रहेगा।

भाजपा के नेताओं ने तहलका को बताया कि भाजपा 2018 में राजस्थान और छत्तीसगढ़ राज्य में चुनाव हार गई थी। वजह चुनाव का प्रबंधन सही नहीं था और न ही जो भाजपा का परम्परागत वोट  बैंक है। उसको सही तरीके से भाजपा मैनेज नहीं कर पायी थी। लेकिन पार्टी अब भली-भाँति जान गई है कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर राजस्थान और छत्तीसगढ़ में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करेगी। क्योंकि कांग्रेस का इन दोनों राज्य मेंं सत्ता-शासन है। और कांग्रेस का जनाधार दिन व दिन गिरता जा रहा है।

अन्य कोई राजनीतिक दल वहां पर भाजपा के मुकाबले में नहीं है। भाजपा आलाकमान से लेकर स्थानीय स्तर के नेता ये मानते है। अगर अभी से चुनाव की तैयारी कर ली जाये तो चुनाव में जीत हासिल की जा सकती है।बताते चलें उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशियों के समर्थन में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कई जनसभाएं की है। तो वहीं छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता रमन सिंह ने भाजपा के प्रत्याशियों के लिए वोट मांगे। जानकारों का कहना है कि छत्तीसगढ़ का उत्तर प्रदेश से पुराना नाता है । चाहे व कामगार के रूप में हो या व्यापारिक गतिविधियों के लिये हो। इस लिहाज  दोनों प्रदेशों की राजनीति का मिला जुला असर चुनाव में देखने को मिलता है। वहीं राजस्थान में यह कहावत है जो एक टर्म सरकार बना लेता है। उसको दूसरे टर्म वहां की जनता आसानी से मौका नहीं देती है। इस लिहाज से राजस्थान में कांग्रेस की जगह जनता भाजपा को मौका दे सकती है।  

एनएसई का असली खिलाड़ी कौन?

जब कोई घोटाला करके उस घोटाले की रोचक कहानी बनाकर हमारे तंत्र को गुमराह करता है, तब आम जनता के लिए रहस्य और शक दोनों गहरे हो जाते हैं। ऐसे रहस्य अनेक रहस्यों को जन्म देते हैं और परत-दर-परत खुलते हैं। जैसा कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की पूर्व सीईओ व पूर्व एमडी चित्रा रामकृष्ण की सीबीआई द्वारा गिरफ़्तारी के बाद रहस्यों की परतें खुल रही हैं। चौंकाने वाली बात यह रही कि चित्रा रामकृष्ण एक गुमनाम योगी से एक्सचेंज की गोपनीय जानकारियाँ साझा करती रही हैं। लेकिन 11 फरवरी को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की रिपोर्ट में कहा गया कि एनएसई में पायी गयी वित्तीय अनियमितताओं की जाँच के बाद शेयर बाज़ार की पूर्व मुख्य अधिकारी चित्रा रामकृष्ण ही घोटाले में लिप्त पायी गयी थीं। उसके बाद से उनके बयानों में ही तमाम ख़ुलासे से हुए हैं। इन्हीं तमाम पहलुओं पर एनएसई से जुड़े जानकारों ने ‘तहलका’ संवाददाता को बताया कि बिना सियासी खेल के इतना बड़ा खेल नहीं हो सकता। गुमनामी बाबा (अदृश्य योगी) का नाम गुमराह करने के लिए है। अगर गहराई से जाँच हो, तो इसमें सियासी लोगों के नाम सामने आ सकते हैं।

एनएसई से जुड़े कुमार राजेश ने बताया कि जिस प्रकार सेबी को चित्रा रामकृष्ण ने बताया कि योगी हिमायल पर रहता है। न ही उसका आकार है। न ही शरीर है। न कभी वह बात करता है और न कभी शोर करता है। जब वह चाहे चित्रा के सामने आसानी से उपस्थित होने की क्षमता रखता है। और तो और, चित्रा ने योगी की सलाह पर ही सीओओ पद पर आनंद सुब्रमण्यम को नियुक्त किया था। इस तरह 15 लाख सलाना वेतन पाने वाला आनंद पाँच करोड़ पाने लगा। कुमार राजेश का कहना है कि एनएसई में इतना बड़ा खेल चलता रहा और किसी को कानोंकान ख़बर ही न लगी हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। क्योंकि देश के कुल बजट से लगभग आठ गुना अधिक धनराशि वाले एनएसई में करोड़ों लोगों की पूँजी जुड़ी होती है।

बताते चलें कि बातों को तब तक गोपनीय रखा जाता है, जब तक घटना न घट जाए। घटना घट जाने पर फिर वही लीपा-पोती होती है। क्योंकि घटनाओं के माध्यम से घपलों को अंजाम दिया जाता है। ऐसा ही चित्रा ने किया है। 6 मार्च को चित्रा को गिरफ़्तार करने के बाद सीबीआई उनसे पूछताछ कर रही है। लेकिन सीबीआई को भी चित्रा लगातार गुमराह कर रही है। इसके पहले सीबीआई ने इसी मामले में 24 फरवरी को एनएसई के पूर्व ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर आनंद सुब्रमण्यम को गिरफ़्तार किया था। चित्रा ने आनंद को कथित योगी के कहने पर नियुक्ति की थी। इस सारे खेल के पीछे जो भी बड़े-बड़े मगरमच्छ हैं, फ़िलहाल उनका नाम जब तक सामने नहीं आ जाता, तब तक एनएसई की साख संदिग्ध बनी रहेगी। केवल चित्रा की गिरफ़्तारी के कोई मायने नहीं निकलते। क्योंकि यह घोटाला सालोंसाल से चलता आ रहा था। शेयर बाज़ार से जुड़े और आर्थिक मामलों के जानकार डॉ. संदीप कुमार ने बताया कि मई, 2018 से दर्ज इस मामले की सीबीआई जाँच कर रही है। मगर उसने सक्रियता तब दिखायी, जब सेबी ने चित्रा रामकृष्ण सहित इस मामले में जुड़े अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की।

संदीप का कहना है कि जब 1990 के दशक में हर्षत मेहता ने शेयर बाज़ार में बड़ा घोटाला किया था, तब देश में घोटाला को लेकर बड़ा हो-हल्ला मचा था। शेयर बाज़ार, जिसमें जनता का पैसा लगा हो, उसमें किसी प्रकार के कोई घोटाले न हो सके इसी के लिए एनएसई जैसी संस्था की स्थापना की गयी थी। इसका मुख्य उद्देश्य यही था कि पूँजी बाज़ार से जुड़े लोगों के हित सुरक्षित रहें और लोगों का भरोसा बना रहे। लेकिन 32 साल भी उसी तरह के घोटाले सामने आ रहे हैं। संदीप ने बताया कि एनएसई द्वारा प्रदान की जाने वाली को-लोकेशन सुविधा में ब्रोकर अपने सर्वर को स्टॉक एक्सचेंज परिसर के भीतर रख सकते हैं, जिससे उनकी बाज़ारों तक तेज़ी से पहुँच हो सके। इसी तरह की सुविधा का फ़ायदा उठाकर चित्रा रामकृष्ण के परिचितों ने जमकर लाभ कमाया है। इसी तरह के कथित आरोप चित्रा रामकृष्ण पर लग भी रहे हैं। 2014-15 के दौरान सेबी को एक शिकायत पर पता चला कि एनएसई के कुछ अधिकारियों की आपसी साँठ-गाँठ से शेयर बाज़ार के दलाल जमकर नियमों की धज्जियाँ उड़ाकर अनुचित लाभ उठा रहे हैं। इसके बाद ही जाँच हुई और दिसंबर, 2016 में चित्रा रामकृष्ण को एनएसई से हटना पड़ा। जाँच के बाद सेबी ने एनएसई पर 687 करोड़ का ज़ुर्माना भी लगाया था।

आर्थिक मामलों के जानकार डॉ. हरीश खन्ना का कहना है कि देश में घोटाले आये दिन सामने आते रहते हैं। कार्रवाई के नाम पर गिरफ़्तारी और पूछताछ होती है। कुछ दिनों तक मामला मीडिया में सुर्खियों में रहता है, फिर अचानक दब जाता है। इसी तरह घोटालेबाज़ अपने काम को अंजाम देते रहते हैं। जब तक इस तरह के घोटालों में संलिप्त लोगों से बड़ी वसूली नहीं की जाएगी, तब तक इस तरह के घोटाले होते रहेंगे। बड़े-बड़े घोटालेबाज़ सरकारी पैसा लूटकर रातों-रात देश छोडक़र भाग गये। जिस तरह सीबीआई की पूछताछ की जानकारी तो यह भी कहती है कि चित्रा रामकृष्ण और आनंद सुब्रमण्यम दोनों एक-दूसरे से पहचानने से इन्कार कर रहे हैं। जबकि दोनों ने कभी एक-दूसरे को 2,500 से अधिक ई-मेल किये हैं। चित्रा ने ही आनंद की तरक़्क़ी की। अब चित्रा सीबीआई से कह रही हैं कि उन्होंने तो घोटाले रुकवाने के प्रयास किये। असल में मुख्य आरोपी अभी सामने नहीं है।

एनएसई से जुड़े दस्तावेज़ और सॉफ्टवेयर से साफ होता है कि कोई तीसरा आदमी पर्दे के पीछे सारा खेल खेलता रहा। जब तक अदृश्य बाबा का पता नहीं लगता, तब तक असली खेल का पता नहीं चल सकता। लेकिन हमारा तंत्र ही ऐसा है कि सब कुछ इशारों पर होता है। सर्वविदित है कि एनएसई में करोड़ों लोगों की क़िस्मत सँवरती और बिगड़ती है। फिर भी करोड़ों लोगों से जुड़ी संस्था एनएसई में घोटाले होते रहे हैं। हैरानी है कि सरकार इससे अनजान रही है। क्या ऐसा सम्भव है?

मौज़ूदा दौर में देश की सियासतदानों का और आर्थिक मामलों से जुड़ी गतिविधियों का ऐसा गठजोड़ है कि कुछ भी हो जाता है। सियासतदान तो आसानी से अदृश्य बाबा के रूप में ग़ायब हो जाते हैं। फँस वे जाते हैं, जो सरकारी तंत्र के हिस्से के रूप में उनकी साज़िश का मोहरा होते हैं। क्योंकि हर काम में उनके हस्ताक्षर होते हैं। ऐसे में जाँच एजेंसियाँ ही ईमानदारी से जाँच करके असली दोषियों को पकडऩे के लिए दिन-रात एक करती हैं।

एनएसई की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण के कार्यकाल में जिस तरह की वित्तीय हेरा-फेरी हुई है, उसमें गिरफ़्तारी और ज़ूर्माना ही काफ़ी नहीं है, बल्कि असली आरोपी को बेनक़ाब करके उसके ख़िलाफ़ भी कार्रवाई करने की ज़रूरत है।

कांग्रेस का अस्तित्व और लोकतंत्र

चुनाव दर चुनाव कांग्रेस का लगातार पतन होता जा रहा है। साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में भाजपा ने केंद्र में सत्ता हासिल की, तो कांग्रेस का देश के नौ राज्यों में शासन था। अब पंजाब की हार के साथ, जिन राज्यों में वह सत्ता में है, उनकी संख्या घटकर सिर्फ दो रह गई है। साल 2014 के बाद से पिछले आठ साल में, कांग्रेस ने देश में हुए 45 चुनावों में से सिर्फ पांच में जीत हासिल की है। सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि पंजाब में उसकी हार हुई है जबकि एक साल से भी कम समय पहले वह वहां जीत की स्थिति में दिखती थी। इसे पार्टी आलाकमान की अंदरूनी लड़ाई कहें या लापरवाही, वह बुरी तरह हार गई और पंजाब में उसके मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, उन दोनों सीटों पर हार गए जहाँ से वो लड़े थे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू भी हार गए। इसी तरह उत्तराखंड में भी जीत की उसकी उम्मीद पर बर्फ पड़ गयी और उसके पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत तक लालकुआं सीट से चुनाव हार गए। उत्तर प्रदेश से जहां पार्टी नेता, प्रियंका गांधी वाड्रा ने ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ के आकर्षक नारे पर चुनाव लड़ा और पूरे राज्य में धुआंधार प्रचार किया, वाहन उसे दो ही सीटें मिलीं जबकि  गोवा और मणिपुर जैसे छोटे राज्यों में भी पार्टी को कोई राहत नहीं मिली। यह स्पष्ट होता जा रहा है कि नेहरू और गांधी के करिश्मे किए नाम पर वोट हासिल करने के दिन लद गए हैं और यह भी कि वंशवाद अंत के दरवाज़े पर खड़ा है।

कांग्रेस की हार पार्टी और एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छी नहीं है। देश को एक मजबूत विपक्ष की जरूरत है। हाल के चुनाव 2024 के संसदीय चुनाव के ‘सेमी-फाइनल’ के रूप में लड़े गए थे। विधानसभा चुनावों के नवीनतम परिणाम बताते हैं कि भाजपा 2024 में फिर से जीतने के लिए अच्छी तरह से तैयार है। अब इसमें कोई संदेह नहीं है कि 2024 में भाजपा को मुख्यता कांग्रेस नहीं बल्कि क्षेत्रीय दलों के गठबंधन के खिलाफ लड़ना होगा। गुजरात और हिमाचल प्रदेश में इस साल के अंत में जबकि कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और मिजोरम में 2023 के नवंबर और राजस्थान में दिसंबर में विधानभा चुनाव बड़े चुनाव से पहले विभिन्न दलों के भविष्य को पूरी तरह तय कर देंगे। छह बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह, जिनका पिछले साल निधन हो गया था, की अनुपस्थिति में इस साल के अंत में हिमाचल प्रदेश को भाजपा से वापस छीनने की कांग्रेस की उम्मीद बहुत कमजोर है। दो राज्यों में कांग्रेस अभी भी शासन में है – राजस्थान और छत्तीसगढ़ में।  वहां भी अगले साल चुनाव होने हैं। यह सबसे पुरानी पार्टी के लिए सुधार करने का सुनहरा अवसर होगा या फिर यह होगा कि 2024 के आम चुनाव तक, वह किसी भी राज्य में सत्ता में नहीं रहेगी।
निश्चित ही लोकतंत्र में सरकार को जवाबदेह बनाने के लिए एक मजबूत विपक्ष की जरूरत है। वास्तव में क्षेत्रीय दल कमर कस रहे हैं और आम आदमी पार्टी भी, लेकिन उनकी नजर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर ज्यादा है, जिसे स्वस्थ लोकतंत्र के सर्वोत्तम हितों के अनुकूल नहीं कहा जा सकता। एक दशक से भी कम पुरानी आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस के अलावा एकमात्र ऐसा राजनीतिक दल है जो दो राज्यों में सत्ता में है और इसे उस राजनीतिक समूह का एक महत्वपूर्ण घटक होना चाहिए जो 2024 में भाजपा का मुकाबला करने के लिए महत्वपूर्ण है। कांग्रेस के लिए समय आ गया है कि वह अस्तित्व के संकट को रोकने के लिए तेजी से कार्य करे और तदर्थवाद को समाप्त करके अपना घर सुधारे। उदाहरण के लिए, 2019 में राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद, सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष रही हैं और वह अभी भी हैं। पांच राज्यों में पूरी तरह से हार के बावजूद, कांग्रेस के पास अभी भी देश में लगभग 692 विधायक हैं, जबकि भाजपा के 1,373 विधायक इस बात की पुष्टि करते हैं कि उसने सब कुछ अभी नहीं खोया है। लेकिन लोकतंत्र के सर्वोत्तम हित में कांग्रेस को पुनर्जीवित करना होगा।

पीएफ पर ब्याज दर घटाकर 8.1 फीसदी की केंद्रीय न्यासी बोर्ड ने

तहलका ब्यूरो
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने माली साल 2021-22 के लिए भविष्य निधि (पीएफ) में जमा राशियों पर ब्याज की दर घटाकर अब तक की दूसरी सबसे कम 8.1 फीसदी कर दी है। इसका फैसला शनिवार को केंद्रीय न्यासी बोर्ड की गुवाहाटी में हुई बैठक में किया गया।

पिछले चार दशक में यह ब्याज दर सबसे कम है। वित्त वर्ष 2020-21 में यह दर 8.5 फीसदी थी जबकि इससे पहले सबसे कम  ब्याज दर 1977-78 में 8 फीसदी थी। बता दें ईपीएफओ के देश में करीब पांच करोड़ सदस्य हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक पीएफ के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की बैठक में 2021-22 के लिए ईपीएफ पर ब्याज दर 8.1 फीसदी रखने का फैसला किया गया। सीबीटी का यह फैसला मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय को भेजा जाएगा।

मार्च 2020 में ईपीएफओ ने 2019-20 के लिए भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर सात साल में सबसे कम 8.5 फीसदी करने का फैसला किया था, जो 2018-19 में 8.65 फीसदी थी।

International Women Day: PM Modi salutes ‘Nari Shakti’

 

Prime Minister Narendra Modi has saluted the Nari Shakti on International Women’s Day.

In a series of tweets, the Prime Minister said; “On Women’s Day, I salute our Nari Shakti and their accomplishments in diverse fields. The Government of India will keep focusing on women empowerment through its various schemes with an emphasis on dignity as well as opportunity.”

“From financial inclusion to social security, quality healthcare to housing, education to entrepreneurship, many efforts have been made to put our Nari Shakti at the forefront of India’s development journey. These efforts will continue with even greater vigour in the coming times.”

“At 6 PM this evening, I will address a programme being held in Kutch which highlights the contributions of women saints to our society.  The focus will be on different aspects of culture, the various welfare measures of the Centre and more.

मुझ पर भाजपाइयों का हमला इस बात का संकेत कि यूपी में भाजपा हार रही है : ममता

मुदित माथुर
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी गठबंधन की एक चुनाव रैली में गुरुवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल पार्टी की नेता ममता बनर्जी ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं का वाराणसी में गंगा आरती में शामिल होने के लिए दशाश्वमेध घाट जाते हुए उनपर हमला यह दर्शाता है कि सत्तारूढ़ दल भाजपा उत्तर प्रदेश चुनाव में सत्ता खो रही है। बनर्जी ने यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गढ़ वाराणसी में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव को अपना समर्थन देने के लिए आयोजित रैली में कही।

वरिष्ठ नेता ने इस मौके पर जनता से ‘योगी-राज’ हटाने की अपील की और उसे उन्होंने धार्मिक आधार पर लोगों को विभाजित करने वाला ‘गुंडा-राज’ बताया। भगवा कार्यकर्ताओं की तरफ से बुधवार को ‘ममता वापस जाओ’ के नारे लगाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा – ‘मैंने काले झंडे दिखाने वाले भाजपा के कार्यकर्ताओं को  कार से नीचे उतरकर  चुनौती दी कि वह इस तरह के कायरतापूर्ण कृत्यों से नहीं डरती हैं।’

बनर्जी ने उत्साह में भरे गठबंधन कार्यकर्ताओं के बीच कहा कि वे एक लड़ाकू हैं और ऐसी चीजों से नहीं डरतीं। उन्होंने कहा – ‘बंगाल में माकपा के कार्यकर्ताओं ने मुझे कई बार पीटा। मुझ पर गोलियां और डंडों से हमला किया, लेकिन मैं कभी नहीं झुकी।’

भाजपा पर महिलाओं का अपमान करने का आरोप लगाते हुए ममता बनर्जी ने सवाल किया कि वह वाराणसी, मथुरा, आजमगढ़, लखीमपुर या इलाहाबाद क्यों नहीं जा सकतीं? उन्होंने कहा – ‘आप सभी पश्चिम बंगाल में गंगा सागर आते हैं, वहां अपने लोगों से पूछें कि उन सभी के साथ कितना अच्छा व्यवहार किया जाता है।’

बंगाल की मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि यूपी सरकार ने एंटी रोमियो स्क्वायड के नाम पर लड़के-लड़कियों का अपमान करती है। ये भाजपा वाले कहां थे जब लोग कोविड के दौरान पैदल चलकर अपने घर जा रहे थे? ममता ने कहा – ‘हमने यूपी से गंगा सागर में तैरते शवों का सम्मानजनक अंतिम संस्कार किया। भाजपा अपने चुनावी अभियानों में मंदिर मुद्दे और हिंदू-मुस्लिम बहस को भड़काती है।’

तृणमूल नेता ने कहा, ‘मुझे जय सिया राम बोलने से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन आप (भाजपा) सीता माता के नाम का सम्मान क्यों नहीं करते? इसके बजाय, वे जय श्री राम कहते हैं जबकि यह ‘जय सिया राम’ है। बनर्जी ने मंच से दुर्गा स्तुति के कुछ भजन के अंश भी इस मौके पर सुनाये।

टीएमसी सुप्रीमो ने नोटबंदी को लेकर भाजपा सरकार पर भी हमला बोला और कहा –  ‘इन लोगों ने अच्छे दिन के नाम पर नोटबंदी की और अब वे अच्छे दिन के नाम पर खेती, रेलवे, हवाई अड्डे, बैंक और यहां तक कि जीवन बीमा भी बेच रहे हैं। उन्होंने आपके बैंक खातों में 15 लाख रुपये का वादा भी किया, क्या वे आए? बेरोजगारी बढ़ रही है, लड़के-लड़कियां नौकरी की तलाश में राज्य से बाहर जा रहे हैं।’

पश्चिम बंगाल की सीएम ने लोगों से सपा के नेतृत्व वाले गठबंधन को वोट देने की अपील की और वादा किया कि वह राज्य के अगले सीएम के रूप में अखिलेश यादव के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगी।

इस बीच समाजवादी गठबंधन ने आज वाराणसी में अपने सहयोगियों राष्ट्रीय लोक दल के जयंत चौधरी, महान दल के केशव देव मौर्य, अपना दल (कमेरावादी) के कृष्णा पटेल, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के शिवपाल यादव के ताकत दिखाते हुए मेगा शो किया। जनवादी पार्टी (समाजवादी) के संजय चौहान और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता भी इस अवसर पर उपस्थित थे।