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मौत की इमारतें

गुरुग्राम में इमारत ढहने से साबित हुआ कि यहाँ के सरकारी भवन भी असुरक्षित हैं

हाउसिंग सेक्टर किस ओर जा रहा है? ये केवल निजी बिल्डर नहीं हैं, जो लोगों को बहका रहे हैं और उनके जीवन भर की बचत से जोड़ी पूँजी को ठग रहे हैं। अब सरकार की अपनी नवरत्न कम्पनी एनबीसीसी कमोवेश इसी तरह से ख़राब साबित हुई है। गुरुग्राम (गुडग़ाँव) में 18 मंज़िला चिन्टेल्स पैराडाइसो इमारत के एक हिस्से के गिरने से दो लोगों की मौत के बाद अब गुरुग्राम में एनबीसीसी की ग्रीन व्यू सोसायटी को असुरक्षित घोषित करने की बारी है।

इस घटना के बाद सैकड़ों मकान मालिक 20 फरवरी को अनशन पर बैठे और विरोध मार्च निकाला, जिसमें चिन्टेल्स पारदीसो हाउसिंग सोसायटी के निवासियों के लिए न्याय की माँग की गयी। वहाँ 10 फरवरी को एक इमारत की कई छतें गिर गयी थीं, जिसमें दो महिलाओं की मौत हो गयी थी। महिलाओं की मौत के अलावा कई अन्य लोग मलबे के नीचे फँस गये थे। जब 18 मंज़िला चिन्टेल्स पारदीसो इमारत की छठी मंज़िल के अपार्टमेंट का फ़र्श बैठ गया और मलबा ठीक बाद की मंज़िलों से लेकर इमारत की पहली मंज़िल तक फैल गया, उसमें चार लोग फँस गये। यह पहली और दूसरी मंज़िल पर रहने वाले दो परिवारों के सदस्य थे।

एनबीसीसी भवन भी असुरक्षित

हालाँकि चिन्टेल्स पारदीसो पर पूरा ध्यान केंद्रित किया गया था। उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने हाल में सेक्टर-37 (डी) में एनबीसीसी-ग्रीन व्यू के निवासियों को 01 मार्च तक ख़ाली करने का निर्देश दिया था, जिसमें कहा गया कि आवासीय परिसर अब रहने के लिए सुरक्षित नहीं है। उन्होंने यह भी निर्देश दिया एनबीसीसी के डेवलपर को निवासियों को वैकल्पिक आवास प्रदान करना चाहिए, जब तक वे भवन की मरम्मत और परिवहन, स्थानांतरण और किराये की लागत वहन नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि यह सामने आया है कि ग़लती एनबीसीसी और ठेकेदार की है। उन्होंने कहा कि भवन की संरचना के सम्बन्ध में आईआईटी दिल्ली द्वारा दी गयी रिपोर्ट को निवासियों के साथ साझा किया जाएगा। केंद्रीय विद्युत अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई) और आईआईटी रुडक़ी के चार सदस्यों वाली दूसरी विशेषज्ञ समिति भी जल्द ही अपनी रिपोर्ट देगी।

डीसी ने ख़ुलासा किया कि उन्होंने नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी), जो भारत सरकार का एक उद्यम है; को निर्देश दिया है कि वह उन सभी घर ख़रीदारों को पैसा वापस करें, जो समाज में नहीं रहना चाहते हैं; ताकि वे नयी सम्पत्ति ख़ुरीद सकें। ज़िला नगर योजनाकार और अन्य विशेषज्ञों की रिपोर्ट के अनुसार, भवन निवासियों के लिए सुरक्षित नहीं है। आवासीय परिसर में फ़िलहाल 140 परिवार रहते हैं। एनबीसीसी-ग्रीन व्यू अपार्टमेंट ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष आर. मोहंती ने कहा कि एनबीसीसी-ग्रीन व्यू हाउसिंग कॉम्प्लेक्स मई, 2017 में पूरा हो गया था और इमारत में दरारें अगले ही साल से दिखायी देने लगीं। उन्होंने कहा कि वह पिछले चार साल से फ्लैट्स की संरचनात्मक सुरक्षा के मुद्दों को उठा रहे हैं; लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ। यह चौंकाने वाली बात है कि 700-800 फ्लैट वाली सोसायटी चार से पाँच साल में कैसे बिगड़ सकती है?

एनबीसीसी-ग्रीन व्यू अपार्टमेंट ऑनर्स एसोसिएशन के महासचिव रणधीर सिंह ने कहा कि वह मरम्मत किये गये अपार्टमेंट नहीं लेना चाहते हैं और डेवलपर से मिलने वाले रिफंड के साथ नयी सम्पत्तियों का विकल्प चुनेंगे। एनबीसीसी के अध्यक्ष और प्रबन्ध निदेशक पी.के. गुप्ता ने कहा कि निगम पूरी  ज़िम्मेदारी लेगा; क्योंकि फ्लैटों का निर्माण उनके द्वारा किया गया है।

चिन्टेल्स पारदीसो की हालत

इस मामले में ज़िला टाउन एंड कंट्री प्लानर ने चिन्टेल्स पारदीसो-ई, एफ, जी, और एच में चार और टॉवरों को रहने के लिए अनुपयुक्त घोषित किया है। इसने उन परिवारों को स्थानांतरित करने के लिए सेक्टर-109 में चिन्टेल्स पारदीसो के चार टॉवरों में 40 अपार्टमेंट की मरम्मत और नवीनीकरण शुरू कर दिया है, जिनके अपार्टमेंट टॉवर-डी में कई छतें गिरने से क्षतिग्रस्त हो गये थे। अब निवासियों ने केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) से गहन जाँच की माँग की है और अधिकारियों से दु:खद घटना के लिए  ज़िम्मेदार डेवलपर और अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने का आग्रह किया है। उन्होंने चिन्टेल्स इंडिया लिमिटेड के प्रमोटरों और निदेशकों और अपार्टमेंट के लिए अधिभोग प्रमाण-पत्र जारी करने वाले सरकारी अधिकारियों की तत्काल गिरफ़्तारी की भी माँग की है।

चिंटेल्स पैराडाइसो सोसायटी की रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश हुड्डा ने आरोप लगाया कि पुलिस प्राथमिकी में धाराओं के साथ नरमी बरत रही है। उन पर हत्या का मामला दर्ज की जाए और स्वतंत्र जाँच हो। हालाँकि यह पता चला है कि पुलिस अभी भी शहर और विभाग द्वारा संरचनात्मक ऑडिट रिपोर्ट जारी करने की प्रतीक्षा कर रही है, जो दुर्घटना के कारणों का ख़ुलासा करेगी। इसके बाद ही क़ानून के अनुसार कार्रवाई करेगी। इसने क्षतिग्रस्त संरचना से नमूने एकत्र किये हैं और उन्हें मधुबन में फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में भेज दिया है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने निर्माण के दौरान डिजाइन या कारीगरी में दोषों का पता लगाने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली द्वारा गुरुग्राम के सेक्टर-109 में चिंटेल पारदीसो ग्रुप हाउसिंग सोसायटी के प्रभावित टॉवर का संरचनात्मक ऑडिट करने का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आसपास की कुछ अन्य ग्रुप हाउसिंग सोसायटीज में भी प्रारम्भिक चरण में संरचनात्मक क्षति के लक्षण दिखाये थे और नगर और ग्राम नियोजन विभाग को रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन या किसी अन्य से प्राप्त शिकायतों के आधार पर इन भवनों की पहचान करने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन को इस टॉवर के सभी प्रभावित परिवारों को वैकल्पिक अस्थायी आवास उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है; क्योंकि वह वहाँ रहने से डरते हैं।

मुख्यमंत्री ने आदेश दिया कि टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग को चिनटेल्स इंडिया लिमिटेड के सभी निदेशकों, चिंटेल्स एक्सपोट्र्स प्राइवेट लिमिटेड, आवासीय टॉवर का निर्माण करने वाले स्ट्रक्करल इंजीनियरों, आर्किटेक्ट्स और ठेकेदारों, जिन्होंने छठी मंज़िल पर अतिरिक्त निर्माण कार्य किया; के ख़िलाफ़ कार्रवाई करे। पुलिस को तत्काल प्रभाव से प्राथमिकी दर्ज करने को कहा गया है। यह भी पता चला कि सरकार ने अब सैद्धांतिक रूप से निर्णय किया है कि नगर और ग्राम आयोजना विभाग के बिल्डरों की तरफ़ से नियुक्त स्ट्रक्चरल इंजीनियरों के अलावा सरकारी संस्थानों या उनके पैनल में शामिल स्ट्रक्चरल इंजीनियरों से स्ट्रक्चरल ऑडिट भी कराया जाना चाहिए। यह सब व्यवसाय प्रमाण-पत्र देने से पहले किया जाना चाहिए।

सम्बन्धित विभाग की उदासीनता

ऐसे ही एक घटनाक्रम में हरियाणा हाउसिंग बोर्ड को अपने कामकाज में लापरवाही करने के लिए फटकार लगाते हुए, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने मुख्य प्रशासक को तलब किया। उन्हें एक मामले में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए कहा गया था, जिसमें एक पूर्व सैनिक ने देश के लिए किये गये अनुकरणीय बलिदानों के लिए आभार के प्रतीक के रूप में जारी एक योजना में आवास इकाई के आवंटन के लिए लगभग सात साल पहले आवश्यक राशि जमा की थी। बाद में बताया गया कि क्षेत्र में फ्लैट बनाने की कोई योजना नहीं थी। मामले को और बदतर बनाते हुए हाउसिंग बोर्ड ने ज़ोर देकर कहा कि याचिकाकर्ता-पूर्व सैनिक को जमा राशि के 10 फ़ीसदी की ही अनुमति दी जाएगी, जिसके बाद उच्च न्यायालय को कहना पड़ा कि वह बोर्ड के इस स्टैंड पर स्तब्ध है। न्यायमूर्ति तेजिंदर सिंह ढींडसा और न्यायमूर्ति ललित बत्रा की खण्डपीठ ने कहा कि यह एक अकेला मामला नहीं है, बल्कि इसी तरह की शिकायतों को उठाने वाली जनहित याचिकाओं का एक समूह अदालत के समक्ष लम्बित था।

राज पाल सिंह गहलौत द्वारा हाउसिंग बोर्ड और एक अन्य प्रतिवादी के ख़िलाफ़ वकील विवेक खत्री के माध्यम से याचिका दायर के बाद मामला उच्च न्यायालय के संज्ञान में लाया गया। मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने पाया कि कुछ भी नहीं हुआ और याचिकाकर्ता न्याय पाने के लिए भटक रहा था। यहाँ तक कि प्रतिवादियों को एक क़ानूनी नोटिस भी दिया, जिसमें जमा राशि की वापसी की माँग की गयी थी। मामले की पृष्ठभूमि में जाने पर पीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता दिसंबर, 2014 में फ़रीदाबाद के सेक्टर-65 में एक फ्लैट के आवंटन के लिए ड्रॉ में सफल रहा और मार्च, 2015 में 4,89,270 रुपये जमा किये। पीठ ने याचिका में स्पष्ट कथनों पर भी ध्यान दिया कि याचिकाकर्ता पूर्व सैनिक ने धन जुटाने के लिए ऋण के लिए आवेदन किया था और ऋण चुकाने के लिए नियमित ईएमआई का भुगतान कर रहा था। अदालत ने कहा कि यह हाउसिंग बोर्ड है, जिसने इस मामले में लापरवाही की है। जहाँ तक सेक्टर-65, फ़रीदाबाद का सम्बन्ध है, अब तक इस परियोजना को ज़मीन पर उतारने की कोई योजना नहीं है।

जोखिम भरा क्षेत्र

विशेषज्ञों के अनुसार, गुरुग्राम दिल्ली की तुलना में अधिक जोखिम में है। क्योंकि दिल्ली तीन सक्रिय भूकम्पीय फॉल्ट लाइनों की रेंज में पड़ता है। गुरुग्राम रेंज-7 पर बैठता है, जिससे यह एनसीआर में सबसे जोखिम भरा क्षेत्र बन जाता है। यदि इनमें से कोई भी सक्रिय हो जाता है, तो यह 7.5 तीव्रता तक के भूकम्प का कारण बन सकता है। साल 2015 में जब बार-बार झटकों ने गगनचुंबी इमारतों में रहने वालों में दहशत पैदा कर दी थी, तब प्रशासन ने सुरक्षा ऑडिट का आदेश दिया था। योजना कभी भी अमल में नहीं आयी। हालाँकि यह निर्णय किया गया कि प्रत्येक बिल्डर भूकम्प सुरक्षा प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करेगा, यह सुनिश्चित करते हुए कि भवन आपदा प्रबन्धन जनादेश के अनुसार बनाया जा रहा है।

हालाँकि यह कभी नहीं हुआ। यह 2020 की बात है, जब दिल्ली एनसीआर में तीन महीने में 17 भूकम्प आये थे। पूरा शहर भूकम्पीय क्षेत्र-4 के अंतर्गत आता है। कई सामान्य फॉल्ट गुरुग्राम से होकर गुज़रते हैं।

इस ज़िले में प्रमुख विशेषताओं में सोहना फॉल्ट, मुरादाबाद फॉल्ट, दिल्ली-मुरादाबाद फॉल्ट, दिल्ली-हरिद्वार फॉल्ट, दिल्ली के पास अरावली और जलोढ़ का जंक्शन शामिल हैं। सिस्मिक जोन-4 में होने के कारण सन् 2020 में इस सम्बन्ध में अनिवार्य रूप से किसी स्ट्रक्चरल इंजीनियर से परामर्श करने की एडवाइजरी जारी की गयी थी; लेकिन हुआ कुछ नहीं।

इयान चक्रवात से अमेरिका के फ्लोरिडा में भयंकर तबाही, 8.50 करोड़ लोग प्रभावित

तहलका ब्यूरो
अमेरिका में इयान चक्रवात ने भारी तबाही की है। इससे पहले क्यूबा में जबरदस्त तबाही करके अमेरिका पहुंचे इस तूफ़ान ने फ्लोरिडा में धावा बोला और बड़ी संख्या में पेड़ों को ज़मीन से उखाड़ दिया और सड़कों को जलमग्न कर दिया। करोड़ों लोग इससे प्रभावित हुए हैं और कई जगह लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने को मजबूर होना पड़ा है।

तूफान के टकराने के बाद फ्लोरिडा प्रायद्वीप में बाढ़ के हालात बन गए हैं। विनाशकारी तूफान का भयानक मंजर देखने को मिला है। दक्षिण-पश्चिमी तट पर मॉन्स्टर-4 श्रेणी के रूप में चक्रवात इयान ने शक्तिशाली हवाओं और मूसलाधार बारिश के साथ दस्तक दी। वहां सड़कें जलमग्न हो गई और कई कारें उसमें बह गईं।

अमेरिका के राष्ट्रीय चक्रवात केंद्र (एनएचसी) ने कहा कि इयान 240 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से फ्लोरिडा तट से टकराया। तूफान ने जब दस्तक दी, उससे पहले ही वहां बारिश हो रही थी। तूफान से पूरे फ्लोरिडा और दक्षिण-पूर्वी राज्यों जॉर्जिया और दक्षिण कैरोलिना में करोड़ों लोगों के प्रभावित होने की आशंका है।

उधर नेशनल वेदर सर्विस (एनडब्ल्यूएस) के निदेशक केन ग्राहम ने कहा कि यह तूफान विशालकाय बनने जा रहा है, जिसके बारे में हम आने वाले कई सालों तक बात करेंगे। उन्होंने इसे ऐतिहासिक घटना बताया है।

भयंकर चक्रवात के चलते टाम्पा और ऑरलैंडो के हवाई अड्डों से सभी वाणिज्यिक उड़ानें बंद कर दी गई हैं। वहां 8.50 लाख घरों में बिजली गुल है। अधिकारियों ने चेतावनी जारी करके कहा है कि दो फीट तक (61 सेंटीमीटर) बारिश की संभावना है।

देरी से सामने आई एक खबर के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के नजदीक बसे कुरुंग कुमे जिले में बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) के 19 श्रमिक दो हफ्ते से लापता हैं। यह इलाका चीन से लगती एलएसी (नियंत्रण रेखा) के नजदीक है। असम के इन मजदूरों को खोजने के लिए बड़ा अभियान शुरू किया गया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक यह मजदूर दो हफ्ते पहले सीमा सड़क निर्माण स्थल दामिन सर्कल से लापता हो गए थे। यह स्थल राजधानी ईटानगर से करीब 300 किमी दूर लेकिन चीन के साथ नियंत्रण रेखा के पास है। कुछ ख़बरों के मुताबिक इलाके में इलाके की कुमेई नदी में एक मजदूर का शव मिला है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक घटना की जांच को लेकर कुछ टीम इलाके में भेजी गयी हैं। इन मजदूरों के ठेकेदार की तरफ से एक गुमशुदगी रिपोर्ट दायर की गयी है जिसमें कहा गया है कि असम से आए ये 19 प्रवासी मजदूर 5 जुलाई को दामिन सर्कल में बीआरओ के सड़क निर्माण स्थल पर बनाए श्रमिक शिविर से कथित तौर पर लापता हो गए थे।

रिपोर्ट्स के मुताबिक ठेकेदार ने उन्हें कथित तौर पर ईद-उल-अजहा त्यौहार में अपने घर असम जाने के लिए छुट्टी देने से इनकार कर दिया था। पुलिस के मुताबिक एफआईआर 13 जुलाई को दर्ज कराई गई है।

यासीन मलिक को उम्र कैद

कश्मीर में और सिकुड़ गयी अलगाववादी राजनीति की गली

रियाज़ वानी
जब दिल्ली की एनआईए अदालत 25 मई को जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक को दी जाने वाली सजा पर विचार कर रही थी, कश्मीर में मलिक के गृह क्षेत्र मैसूमा सहित श्रीनगर के कुछ हिस्सों में नाराजगी पसर रही थी और बाजार तुरंत बंद हो गए। टेरर फंडिंग मामले में अदालत के मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाये जाने के बाद विरोध प्रदर्शन जारी रहे। अगले दिन, हालांकि, क्रोध कुछ कम हो गया क्योंकि आजीवन कारावास को आम तौर पर मौत की सजा के मुकाबले कम माना जाता है और इसे उच्च न्यायालयों में भी चुनौती दी जा सकती है। यह सम्भावना रहती है कि हो सकता है कि वहां यह सजा कम हो जाए।

मलिक कश्मीर के शीर्ष अलगाववादी नेताओं में से एक रहे हैं। उन्हें मीरवाइज उमर फारूक और सैयद अली गिलानी के साथ अलगाववादी तिकड़ी के नेताओं में गिना जाता है। गिलानी का पिछले साल सितंबर में निधन हो गया था। वह पूरी घाटी में एक व्यापक लोकप्रियता वाले अलगाववादी नेता रहे।

लेकिन अन्य दो नेताओं के विपरीत, मलिक को 1989 में उग्रवादी संघर्ष के मुख्य कर्ताधर्ताओं में एक माना जाता है और तब से वह आजादी के अभियान के केंद्र में रहे हैं। मलिक ने अपने सहयोगियों जावेद मीर, अशफाक मजीद वानी और अब्दुल हमीद शेख के साथ 1989 में कश्मीर में सशस्त्र अभियान शुरू किया था। इनमें से आखिरी दो की मौत हो चुकी है।

इसमें कोई दो राय नहीं कि मलिक कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य में हमेशा प्रासंगिक रहेंगे। उनको आजीवन कारावास केवल कश्मीरी अलगाववादी आकांक्षाओं के प्रतीक के रूप में उनके कद को ही बढ़ाएगा। इस प्रकार उनकी उम्र कैद कश्मीरियों के बीच शिकायत का एक स्थायी स्रोत रहेगा और आज़ादी की उनकी भावना के लिए ईंधन का काम ही करेगा।

यहाँ यह बताना भी प्रासंगिक है कि मलिक अलगाववादी आंदोलन का सबसे प्रमुख धर्मनिरपेक्ष चेहरा रहे हैं और अतीत में पश्चिम को भी स्वीकार्य रहे हैं। इसलिए, नई दिल्ली के लिए उनपर धार्मिक लेबल लगाना और उसे एक ऐसे व्यक्ति के रूप में पेश करना कठिन होगा जो एक इस्लामिक राज्य बनाना चाहता है।

जहां तक कश्मीर में आतंकी अभियान का सवाल है, उसकी परवाह (मलिक को उम्र कैद) किए बिना उसके जारी रहने की आशंका है। किसी भी मामले में, मलिक ने 1994 में हथियार छोड़ दिए थे और शांतिपूर्ण राजनीतिक संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए गांधीवादी अहिंसक तरीकों का पालन करने का फैसला किया था।

एक उग्रवादी संगठन से, जेकेएलएफ एक राजनीतिक संगठन बन गया। यद्यपि, हुर्रियत की तरह, मलिक चुनावी राजनीति से दूर रहे। उनके इस फैसले से उन्हें अक्सर उन उग्रवादियों से आलोचना झेलनी पड़ी, जिन्होंने गांधीवादी सिद्धांतों का पालन करने के लिए उन्हें (मलिक) पर ताने कसे थे।

पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी नेताओं के समूह के बीच मलिक कश्मीर में एकमात्र प्रमुख स्वतंत्रता-समर्थक नेता हैं। वह क्रमश: मीरवाइज और दिवंगत गिलानी के नेतृत्व वाले हुर्रियत गठबंधन का हिस्सा भी नहीं हैं। लेकिन 2016 में लोकप्रिय हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी की हत्या के बाद अचानक तीनों को एक सामान्य कारण के लिए साथ आने को मजबूर होना पड़ा।

साल 2020 में, कश्मीर में स्थानीय प्रेस को एक पत्र जारी किया गया था, जिसमें मलिक ने उन कारणों का जिक्र किया था जिसके चलते उन्हें बंदूक उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा था। उस पत्र में उन्होंने लिखा था – ‘मैंने 1987 (विधानसभा) के चुनाव में इस उम्मीद के साथ सक्रिय रूप से भाग लिया कि चुनावी प्रक्रिया से कश्मीर विवाद का समाधान हो जाएगा। लेकिन गिरफ्तारी शुरू हो गई और मुझे मतगणना हॉल से गिरफ्तार कर लिया गया।’

मलिक ने इस पत्र में इसके बाद लिखा – ‘मुझे एक पूछताछ केंद्र भेजा गया, यातना दी गई जिससे मुझे रक्त से सम्बंधित संक्रमण हो गया। मैं पुलिस अस्पताल में था जहां मुझे क्षतिग्रस्त हृदय वाल्व का पता चला था। मुझे और सैकड़ों सदस्यों को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया गया था। जेल से छूटने के बाद हमें यकीन हो गया कि यहां अहिंसक लोकतांत्रिक राजनीतिक आंदोलन के लिए कोई जगह नहीं है।’

साल 1994 में हथियार छोड़ने के अपने फैसले के बारे में लिखते हुए मलिक ने इस पत्र में कहा था कि ऐसा करना आसान नहीं था। उन्होंने पत्र में लिखा – ‘यह वास्तव में एक सबसे खतरनाक और अलोकप्रिय निर्णय था। कई लोगों ने मुझे देशद्रोही घोषित कर दिया। जब कुछ उग्रवादियों ने मुझे अगवा कर लिया तो मैं चमत्कारिक रूप से अपनी जान बचाने में सफल रहा। मेरे कई सहयोगियों ने अपनी जान गंवाई लेकिन मैं और जेकेएलएफ के सदस्य अपने फैसले पर अडिग रहे और सभी बाधाओं के खिलाफ अहिंसक संघर्ष का रास्ता अपनाया।’

लेकिन अब नई योजना में जहां केंद्र ने घाटी के मुख्यधारा के राजनीतिक नेतृत्व जैसे फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को छोड़ दिया है, जो दोनों जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री हैं, मलिक और मीरवाइज जैसे अलगाववादी नेताओं को पूरी तरह से दूर किया जा रहा है। कश्मीर से निपटने के लिए नई रणनीति के निकट और दीर्घकालिक राजनीतिक नतीजों का अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी। लेकिन एक बात तय है : इस नई रणनीति के बाद अलगाववादी राजनीतिक नेताओं के लिए घाटी में जगह और सिकुड़ गयी है।

कपिल सिब्बल का कांग्रेस से इस्तीफा, अब सपा की मदद से जाएंगे राज्यसभा  

तहलका ब्यूरो
कांग्रेस में जी-23 के बड़े नेताओं में से एक कपिल सिब्बल ने कांग्रेस छोड़ दी है। इसका खुलासा बुधवार को उन्होंने खुद किया। सिब्बल अब समाजवादी पार्टी के सहयोग से निर्दलीय के तौर पर राज्य सभा जाएंगे। उन्होंने आज राज्यसभा के लिए आज नामांकन दाखिल कर दिया जिसमें अखिलेश यादव भी उपस्थित रहे।

जानकारी के मुताबिक कपिल सिब्बल ने आज मीडिया के लोगों को बताया कि उन्होंने 16 मई को ही कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। सिब्बल ने कहा – ‘संसद में एक स्वतंत्र आवाज होना जरूरी है। अगर एक स्वतंत्र आवाज बोलती है तो लोगों को पता चलेगा कि ये किसी राजनीतिक दल से नहीं है।’

वरिष्ठ नेता और वकील ने कहा कि वे कांग्रेस के नेता थे लेकिन अब नहीं हैं। उन्होंने कहा – ‘मैं कांग्रेस की सदस्यता से 16 (मई) तारीख को इस्तीफा दे चुका हूं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का आभार व्यक्त करता हूं। साल 2024 चुनाव को लेकर हम सब एक साथ आ रहे हैं। केंद्र सरकार की कमियों को उजागर करेंगे। सब एक साथ मिलकर जनता के बीच बात रखेंगे।’

इससे पहले सिब्बल ने लखनऊ में सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात की थी।   बताया जा रहा है कि सिब्बल को राज्यसभा भेजने के लिए सपा के सहयोग वास्तव में में आजम खान की बड़ी भूमिका रही है। सिब्बल ने ही खान का मामला सर्वोच्च न्यायालय में लड़ा था।

उन्होंने आज राज्यसभा के लिए   आज नामांकन दाखिल कर दिया जिसमें अखिलेश यादव भी उपस्थित रहे। जहाँ तक उत्तर प्रदेश की बात है सपा के पास सिब्बल को एक सीट देने के अलावा भी दो राज्यसभा सीटें हैं। वहां पार्टी किसे टिकट देगी  मुश्किल है लेकिन यह तय है कि इनमें से एक मुस्लिम होगा। डिंपल यादव, जावेद अली खान जैसे नाम पार्टी के बीच चर्चा में हैं।

कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम पर सीबीआई की छापेमारी

सीबीआई ने मंगलवार को पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम के सांसद बेटे कार्ति चिदंबरम के मुंबई, चेन्नई, ओडिशा और तमिलनाडु के शिवगंगा स्थित परिसरों पर छापे मारे हैं। सीबीआई ने यह छापेमारी कार्ति चिदंबरम के खिलाफ कथित तौर पर चीन के 250 नागरिकों को वीजा दिलवाने के लिए 50 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में की है। उनके खिलाफ कथित विदेशी लेन-देन का मामला दर्ज किया है जिसके तहत यह छापेमारी की गयी है।

जानकारी के मुताबिक सीबीआई अधिकारियों ने आज सुबह चेन्नई और देश के अन्य शहरों में स्थित कार्ति चिदंबरम के नौ ठिकानों पर छापेमारी की। यह छापे चेन्नई, मुम्बई, तमिलनाडु, पंजाब, ओडिशा में कुल 9 जगह मारे गए हैं।

सीबीआई ने उनके दिल्ली स्थित आवास से भी सुबह कुछ दस्तावेज लिए हैं। सीबीआई ने चेन्नई और मुंबई में तीन-तीन जबकि कर्नाटक, पंजाब, ओडिशा में एक-एक जगह छापेमारी की।

जांच एजेंसी की तरफ से कार्ति पर आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर पैसे लेकर करीब 250 चीनियों को गलत तरीके से वीजा इश्यू करवाया। मामला पंजाब में एक बिजली परियोजना से जुड़ा है, जिसमें वीजा जारी कराए गए थे। सीबीआई ने इसमें नया मामला दर्ज किया है। सीबीआई ने कार्ति चिदंबरम के खिलाफ 2010-14 के बीच हुए कथित विदेशी लेन-देन को लेकर एक नया मामला दर्ज किया है और इसी के तहत छापेमारी की गई है।

छत्तीसगढ़ के सुदूर स्कूलों के छात्र छात्राओं को आईटीबीपी के जवानों की कोचिंग

कोंडागांव, छत्तीसगढ़। वामपंथ उग्रवाद से लड़ने के अलावा, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) ने छत्तीसगढ़ में स्कूली छात्रों के लिए कोचिंग की शुरुआत की  है। छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले के सुदूर ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के बच्चों की शिक्षा में जवान योगदान दे रहे हैंI
29वीं बटालियन ITBP के जवान कोंडागांव के दूरदराज के इलाकों में मुंजमेटा, फरसागांव, झारा और धौडाई गांवों में कई जगहों पर करीब 200 छात्रों के लिए कोचिंग कक्षाएं संचालित कर रहे हैं। पर्वतीय प्रशिक्षित बल आईटीबीपी के जवान छात्रों को एकलव्य और नवोदय स्कूलों में प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने की तैयारियों में मदद कर रहे हैं।
पिछले कुछ हफ्तों से लगभग 200 स्थानीय आदिवासी छात्रों को कोचिंग प्रदान की जा रही है। इन क्षेत्रों के लोग इन कोचिंग कक्षाओं में अपने बच्चों को भेज रहे हैं ।
आईटीबीपी इन छात्रों को जरूरत पड़ने पर अध्ययन सामग्री भी उपलब्ध करा रही है।
राज्य में वामपंथ उग्रवाद से लड़ने के लिए आईटीबीपी को 2009 से छत्तीसगढ़ में तैनात किया गया है। बल ने पिछले वर्षों में कई सिविक एक्शन कार्यक्रम आयोजित किए हैं। आईटीबीपी ने छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ वर्षों में तीरंदाजी, हॉकी, जूडो और एथलेटिक्स में सैकड़ों स्थानीय छात्रों को प्रशिक्षित कर उन्हें राज्य और राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है I

मथुरा में यमुना एक्सप्रेस वे पर हादसा, 7 की मौत,  दो घायल  

उत्तर प्रदेश के मथुरा में यमुना एक्सप्रेस वे पर हुए हादसे में सात लोगों की मौत हो गयी है। इस हादसे में दो लोग घायल हुए हैं जिन्हें अस्पताल में भर्ती किया  गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर दुःख जताया है।

जानकारी के मुताबिक हादसा एक कार और एक अज्ञात वाहन की टक्कर होने से हुआ। टक्कर मारने के बाद अज्ञात वाहन का चालाक गाड़ी लेकर फरार हो गया।
कार में लोग सवार थे।

यह लोग कार में आगरा से नोएडा जा रहे थे जब थाना नौहझील क्षेत्र में माइल स्टोन 68 पर हादसा हो गया। सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची और मृतकों की शिनाख्त की।  

इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर दुख जताया है। एक ट्वीट पीएमओ ने  लिखा – उत्तर प्रदेश के मथुरा में हुई सड़क दुर्घटना हृदयविदारक है। हादसे में जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया हैउनके प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।

मथुरा में यमुना एक्सप्रेस वे पर हादसा, 7 की मौत, दो घायल

 

तहलका ब्यूरो
उत्तर प्रदेश के मथुरा में यमुना एक्सप्रेस वे पर हुए हादसे में सात लोगों की मौत हो गयी है। इस हादसे में दो लोग घायल हुए हैं जिन्हें अस्पताल में भर्ती किया  गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर दुःख जताया है।

जानकारी के मुताबिक हादसा एक कार और एक अज्ञात वाहन की टक्कर होने से हुआ। टक्कर मारने के बाद अज्ञात वाहन का चालाक गाड़ी लेकर फरार हो गया।
कार में लोग सवार थे।

यह लोग कार में आगरा से नोएडा जा रहे थे जब थाना नौहझील क्षेत्र में माइल स्टोन 68 पर हादसा हो गया। सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची और मृतकों की शिनाख्त की।  

इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर दुख जताया है। एक ट्वीट पीएमओ ने  लिखा – उत्तर प्रदेश के मथुरा में हुई सड़क दुर्घटना हृदयविदारक है। हादसे में जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया हैउनके प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।

चीन के तीन यात्री अंतरिक्ष स्टेशन पर रेकार्ड छह महीने बिताकर धरती पर लौटे

चीन के यात्रियों ने अंतरिक्ष स्टेशन पर 6 महीने रहने का रेकॉर्ड बना दिया है। उसके तीन यात्री अंतरिक्ष स्टेशन में छह महीने रहने के बाद शनिवार सुबह धरती पर वापस लौट आये। उनके अंतरिक्ष यान शेनझोउ-13 ने केवल आठ घंटे में पृथ्वी पर वापसी की।

चीन की ‘ग्लोबल टाइम्स’ अखबार के मुताबिक यह सभी यात्री स्वस्थ हैं। यह तीन अंतरिक्ष यात्री चीन के नए अंतरिक्ष स्टेशन पर रेकॉर्ड छह महीने बिताने के बाद शनिवार सुबह स्थानीय समयानुसार 9.56 बजे सफलतापूर्वक धरती पर वापस उतर गए। अखबार ने बताया कि शेनझोउ-13 मानवयुक्त अंतरिक्ष यान मिशन पूरी तरह से सफल रहा है।

अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक अंतरिक्ष यात्रियों ने तियानगोंग अंतरिक्ष स्टेशन पर छह महीने का समय बिताया। इस मिशन के यात्रियों ने शेनझोउ-12 के 92 दिनों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने के अलावा, इस मिशन ने देश के मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन इतिहास में कई और रिकॉर्ड भी बनाए हैं।

उधर शेनझोउ अंतरिक्ष यान को बनाने वाली ‘चाइना अकेडमी ऑफ स्पेसक्राफ्ट टेक्नोलॉजी’ (सीएएसटी) के एक बयान में कहा गया है कि शेनझोउ-13 मिशन ने पहली बार आपातकालीन मिशन तंत्र की खोज की।

रिपोर्ट्स के मुताबिक शेनझोउ-13 और लॉन्ग मार्च-2एफ वाई13 के प्रक्षेपण के ठीक बाद शेनझोउ-14 मानवयुक्त अंतरिक्ष यान और लॉन्ग मार्च-2एफ वाई14 रॉकेट को प्रक्षेपण के लिए तैयार रखा गया था, ताकि अंतरिक्ष यान को पृथ्वी पर लौटने से रोकने वाली कोई भी खराबी होने पर शेनझोउ-13 के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए बचाव कार्य किया जा सके।