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मॉब लिंचिंग के खिलाफ कार्रवाई राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी : राजनाथ सिंह

देश में भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या करने की घटनाएं अफवाह फैलने, फेक न्यूज और अपुष्ट खबरों के फैलने के कारण घटती हैं। ऐसे में राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि वे प्रभावी कार्रवाई करें क्योंकि कानून और व्यवस्था राज्यों का विषय है। यह बात केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने लोक सभा में कही।

राजनाथ ने कहा ऐसे मामले दुर्भाग्यपूर्ण हैं और केंद्र भी ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिये प्रभावी कार्रवाई कर रहा है। उन्होंने ये भी बताया कि मॉब लिंचिंग पर रोकथाम के लिए सोशल मीडिया सेवा प्रदाताओं से भी फर्जी समाचार पर रोक लगाने की व्यवस्था करने को कहा गया है।

लोकसभा में आज शून्यकाल के दौरान कांग्रेस के के. सी. वेणुगोपाल ने भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या करने के बढ़ते मामलों और असहमति के स्वर को दबाने का विषय उठाया और सरकार से जुड़े लोगों पर ऐसी घटनाओं का समर्थन करने का आरोप लगाया।

इस पर राजनाथ सिंह ने कहा कि यह सचाई है कि कई प्रदेशों में मॉब लिंचिंग की घटनाएं घटी हैं। इसमें कई लोगों की जानें भी गई है। लेकिन ऐसी बात नहीं है कि इस तरह की घटनाएं विगत कुछ वर्षों में ही हुई हैं। पहले भी ऐसी घटनाएं हुई हैं। लेकिन ऐसी घटनाएं चिंता का विषय हैं।

उन्होंने कहा कि मॉब लिंचिंग में लोग मारे गए हैं, हत्या हुई और लोग घायल हुए हैं, जो किसी भी सरकार के लिये सही नहीं है।

“हम ऐसी घटनाओं की पूरी तरह से निंदा करते हैं।’’ गृह मंत्री ने कहा कि ऐसी घटनाएं अफवाह फैलने, फेक न्यूज और अपुष्ट खबरों के फैलने के कारण घटती हैं। ऐसे में राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि वे प्रभावी कार्रवाई करें क्योंकि कानून और व्यवस्था राज्यों का विषय है।

सिंह ने कहा कि ऐसे मामलों में केंद्र सरकार भी चुप नहीं है। इससे पहले भी साल 2016 में परामर्श जारी किया था और जुलाई के पहले सप्ताह में भी परामर्श जारी किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘ सोशल मीडिया पर फेक न्यूज के बारे में हमने सोशल मीडिया सेवा प्रदाताओं से अपनी प्रणाली में फर्जी समाचार पर रोक लगाने की व्यवस्था करने को कहा है।’’ उन्होंने कहा कि हम ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के बारे में संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से सीधे सम्पर्क में रहते हैं और जो भी अपराधी है, उन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

सिंह के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया।

इससे पहले भीड़ द्वारा हत्या के विषय को उठाते हुए वेणुगोपाल ने कहा कि संविधान में सभी को समान अधिकार दिया गया है। लेकिन राजनीतिक विरोधियों पर हमले हो रहे हैं, असहमति के स्वर को दबाने का प्रयास हो रहा है। उन्होंने मॉब लिंचिंग पर रोक लगाने के लिये कानून बनाने की मांग की ।

कांग्रेस सदस्य ने कहा कि बातचीत और चर्चा स्वस्थ लोकतंत्र की पहचान है। हाल ही में केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज को भी सोशल मीडिया पर आलोचना की स्थिति का सामना करना पड़ा।

वेणुगोपाल ने ये भीआरोप लगाया कि मदर टेरेसा से जुड़ी मिशनरिज आफ चैरिटी को भी निशाना बनाया जा रहा है और इसमें सरकार से जुड़ी एजेंसियां शामिल हैं।

ऐ भाई जरा देख के चलो… चले गए कवि नीरज

मानव कवि बन जाता है
तब मानव कवि बन जाता है!
जब उसको संसार रुलाता,
वह अपनों के समीप जाता,
पर जब वे भी ठुकरा देते
वह निज मन के सम्मुख आता,
पर उसकी दुर्बलता पर जब मन भी उसका मुस्काता है!
तब मानव कवि बन जाता है!
– गोपालदास “नीरज”

प्रख्यात हिंदी कवि गोपाल दास नीरज नहीं रहे। लंबी बीमारी के बाद गुरुवार शाम वे इस नश्वर संसार को अलविदा कह गए। लेकिन वे मरे नहीं हैं, अपने शब्दों में हमेशा ज़िंदा रहेंगे।

नीरज ९३ साल के थे। पिछले मंगलवार तबबयत ज्यादा खराब होने के बाद उन्हें आगरा के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वे वेंटिलेटर पर थे और गंभीर होने के बाद उन्हें दिल्ली ”एम्स” में भर्ती किया गया जहाँ उन्होंने इस संसार को अलविदा कह दिया। लंबे समय से नीरज की सेहत खराब चल रही थी।

लिखे जो ख़त तुझे, वो तेरी याद में, हज़ारों रंग के, नज़ारे बन गए जैसे सदाबहार गीत रचने वाले नीरव ने आज मदहोश हुआ जाए रे, मेरा मन मेरा मन मेरा मन, बिना ही बात मुस्कुराए रे, मेरा मन मेरा मन मेरा मन जैसा गीत भी लिखा। और शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाब, उसमें फिर मिलायी जाये, थोड़ी सी शराब, होगा यूं नशा जो तैयार, हाँ…होगा यूं नशा जो तैयार, वो प्यार है भी नीरज ने ही लिखा।

उनका पूरा नाम था गोपाल दास नीरज। देश का तीसरा बड़ा सम्मान ‘पद्मभूषण’ उनके रचनाकर्म के लिए उन्हें साल 2007 में मिला। इससे पहले उन्हें 1991 में ‘पद्मश्री’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उत्तर प्रदेश का ‘यश भारती’ पुरस्कार भी उन्हें मिला।

नीरज का जीवन भी गज़ब का रहा। क्या नहीं देखा उन्होंने जीवन में। सुख-दुःख सब देखे। पुरावली (इटावा) में जन्में नीरज ने पान और बीड़ी बेची और रिक्शा तक चलाया। धर्म समाज कॉलेज में नौकरी के लिए जब अलीगढ़ आये तब तक एक कवि के रूप में जाने जाने लगे थे। अलीगढ़ उनका स्थाई ठिकाना बन गया। फिर शोहरत का जीवन शुरू हो गया।

मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर बहस शुक्रवार को

मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर शुक्रवार को चर्चा और मतदान होगा। इस सरकार के चार साल से अधिक के शासनकाल में पहली बार अविश्वास का प्रस्ताव लाया गया है। सदन में भाजपा के पास जो बहुमत है उसे देखते हुए इस प्रस्ताव के गिर जाने की संभावना है। देश के इतिहास में आज तक 26 बार सरकार के खिलाफ अविश्वास के प्रस्ताव लाए गए लेकिन केवल दो बाद सरकार गिरी।

पहला अविश्वास का प्रस्ताव 1963 में तत्कालीक प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के खिलाफ आया था। यह प्रस्ताव जेवी कृपलानी ने रखा था। उस समय कृपलानी ने किसान मज़दूर प्रजा पार्टी शुरू की थी। यह बाद में सोशलिस्ट पार्टी के साथ मिल गई और इस का नाम प्रजा सोशलिस्ट पार्टी हो गया। कृपलानी के प्रस्ताव पर इसके हक में 62 वोट पड़े और 347 सांसदों ने प्रस्ताव के विरोध में वोट डाले।

नेहरू के बाद लालबहादुर शास्त्री के तीन साल के छोटे से समय में विपक्ष तीन बार अविश्वास प्रस्ताव लाया, लेकिन सफलता कभी नहीं मिली। शास्त्री की मृत्यु के बाद के दो साल इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री रहीं। उन दो सालों में उनके खिलाफ दो अविश्वास के प्रस्ताव आए।

यदि रिकार्ड की बात करें तो सबसे ज़्यादा 15 अविश्वास के प्रस्ताव इंदिरा गांधी के खिलाफ आए। सरकार के खिलाफ सबसे ज़्यादा प्रस्ताव मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद ज्योर्तिमय बासु लाए। उनके ये प्रस्ताव इंदिरा सरकार के खिलाफ थे।

अविश्वास  प्रस्ताव पहली बार 1978 में जनता पार्टी की सरकार के खिलाफ सफल हुआ। उस समय मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री थे। उनके खिलाफ दो बार यह प्रस्ताव आया। 1978 में आए प्रस्ताव पर सरकार गिर गई थी।
नरसिंह राव की सरकार के खिलाफ भी तीन बार अविश्वास के प्रस्ताव आए। अटल बिहारी वाजपेयी ने भी दो बाद इसका सामना किया। पहली बार सरकार गिरी पर दूसरी बार बच गए। 2008 में मनमोहन सिंह सरकार के खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव नाकाम रहा था।

पीठ के फैसले के बावजूद ठप्प है कामकाज, दिल्ली सरकार ने बताया न्यायलय को

दिल्ली में प्रशासन के संबंध में संविधान पीठ के फैसले के बावजूद उसका कामकाज ठप्प पड़ा हुआ है और राज्य सरकार अधिकारियों के तबादले या नियुक्ति के आदेश भी नहीं दे पा रही। ये बताया अरविन्द केजरीवाल सरकार ने न्यायलय को।

न्यायमूर्ति ए . के . सीकरी और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने जवाब में कहा कि न्यायालय को स्थिति का ज्ञान है और चूंकि वह नियमित पीठ नहीं है , वह 26 जुलाई को मामले की सुनवाई करेगी।

दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता पी . चिदंबरम ने कहा, “सरकार का कामकाज पूरी तरह ठप्प है। संविधान पीठ के फैसले और उसमें सभी पहलुओं पर स्पष्टीकरण के बावजूद हम अधिकारियों की नियुक्ति नहीं कर सकते, उनका तबादला नहीं कर सकते। इन मुद्दों को जल्दी सुलझाने की जरूरत है।”

दिल्ली सरकार की ओर से ही पेश हुई वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि अधिकारी इस संबंध में हलफनामा दायर करने के इच्छुक नहीं थे , इसलिए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने हलफनामा दायर किया है।

जयसिंह ने कहा , ‘‘ मैं सिर्फ मामला स्पष्ट करना चाहती थी। ’’

भाषा रिपोर्ट के मुताबिक़ प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासन को लेकर विस्तृत दिशा – निर्देश तय किये थे।

उत्तरकाशी बस हादसे में 14 की मौत

उत्‍तराखंड के चंबा-उत्तरकाशी हाइवे पर गुरुवार को राज्य सड़क परिवहन निगम की एक बस के गहरी खाई में गिर जाने से कम से कम 14 लोगों की मौत हो गयी है। इस बस में 30 के करीब यात्री सवार थे। किरगनी के पास यह बस 250 मीटर गहरी खाई में गिर गयी।

हादसे में 16 लोग घायल हो गए हैं जिनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई गयी है । यह हादसा सूर्यधार के पास हुआ जब चालाक के नियंत्रण खो देने से बस करीब 250 मीटर गहरी खाई में गिर गई। प्रशासन और पुलिस अधिकारी सूचना मिलते ही घटनास्‍थल पर पहुंच गए और राहत कार्य शुरू कर दिए गए। हादसे ही जानकारी मिलने पर कांदेखाल और चम्बा थाना पुलिस के कर्मी मौके पर पहुंच गए और राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया गया। जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी और अग्निशमन विभाग की टीमें भी घटना स्थल के लिए रवाना हो गईं ।

मिली जानकारी के मुताबिक सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की टीमें बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं और आठ घायल यात्रियों को खाई से निकाल कर अस्पतालों में भेजा जा रहा है। चम्बा पुलिस लाइन हेलीपैड पर हेलिकॉप्टर पहुंच चुका है। मुख्‍यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस घटना पर दुख जताते हुए ट्वीट कर कहा की ”चंबा-उत्तरकाशी मार्ग पर रोडवेज बस के दुर्घटनाग्रस्त होने की दुखद सूचना मिली है। हादसे में मृतकों के परिजनों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं। घायलों को तत्काल उपचार के निर्देश दिए हैं। गंभीर रूप से घायलों को हेलीकॉप्टर से एम्स लाने के निर्देश दिए हैं।”

सरकार ने मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रूपये की आर्थिक मदद तुरंत उपलब्ध करने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने बताया कि राहत और बचाव कार्य के लिए प्रशासन के टीमें घटनास्थल पर मौजूद हैं। घटना की जांच के निर्देश दे दिए गए हैं।

दंतेवाड़ा मुठभेड़ में ७ नक्सली ढेर

पुलिस और सीआरपीएफ ने संयुक्त कार्रवाई ने साझी कार्रवाई कर गुरूवार सुबह छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में ७ नक्सलियों को ढेर कर दिया। यह नक्सली उस समय ढेर किये गए जब सुरक्षाबलों ने एक मुठभेड़ के दौरान गुरुवार सुबह उन्हें मार गिराया।

मिली जानकारी के मुताबिक जो सात नक्सली माये गए उनमें तीन महिलाएं और चार पुरुष शामिल हैं। यह मुठभेड़ छत्तीसगढ़ में बीजापुर और दंतेवाड़ा जिले की सीमा पर हुई। सूचना मिले पर पुलिस और सीआरपीएफ ने संयुक्त कार्रवाई की। जबरदस्त गोलीबारी के बीच ७ नक्सलियों को ढेर कर दिया गया। मौके से पुलिस को भारी मात्रा में नक्सलियों के हथियार भी मिले हैं।

अभी तक किसी सुरक्षा बल के घायल होने की खबर नहीं है। जानकारी के मुताबिक मुठभेड़ की यह वारदात दंतेवाड़ा में तिमेनार की पहाड़ियों के पीछे गंगालूर थाना क्षेत्र में हुई है। दंतेवाड़ा एसटीएफ और सीआरपीएफ की संयुक्त कार्रवाई में गुरुवार तड़के ६ बजे ये मुठभेड़ हुई।

दंतेवाड़ा के नक्सल ऑपरेशन अधिकारियों ने इस मुठभेड़ और इसमें सात नक्सलियों के मरने की पुष्टि की है। मारे गए नक्सलियों के पास से आईएनएसएस राइफल, दो थ्री नॉट थ्री राइफल, एक 12 बोर राइफल और कुछ अन्य हथियार बरामद हुए हैं। नक्सलियों से मुठभेड़ के बाद इलाके में अलर्ट जारी किया गया है।

काँगड़ा में मिग २१ दुर्घटनाग्रस्त

हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा जिले में बुधवार दोपहर एक मिग – २१ दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर है। यह मिग – २१ मेहरा पाली के पास हादसे का शिकार हो गया है। अभी इसके पायलट का कुछ पता नहीं चल पाया है की वो कहाँ है।

यह मिग २१ इंडियन एयरफोर्स का है।

काँगड़ा के पुलिस अधिकारीयों के मुताबिक हादसे से पहले पठानकोट के एयर फाॅर्स बेस से उड़ा था और बाद में इसका स्टेशन से संपर्क टूट गया। अभी तक हादसे के बारे में कोइ और जानकारी नहीं मिल पाई है। काँगड़ा की पुलिस प्रमुख संतोष पटियाल ने हादसे की पुषिट की और कहा कि अधिकारी हादसा स्थल पर पहुँच रहे हैं। जिसके बाद ही ज्यादा जानकारी पता चल पाएगी।

लोगों ने बताया की उन्होंने खेतों में जलता हुआ मलवा देखा है।

जवाली के एसडीएम ने बताया की मिग में कितने लोग सवार थे इसकी जानकारी अभी नहीं मिल पाई है। एसडीएम बलवान चाँद के मुताबिक इंडियन एयरफोर्स के दो हेलीकॉप्टर मौके पर पहुँच गए हैं।

मनाली में बादल फटा, वाहन बहे, राजमार्ग बंद

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के प्रसिद्द पर्यटन स्थल मनाली में बुधवार सुबह ब्राण गाँव के पास बादल फटने भारी तबाही की खबर है। मिली जानकारी के मुताबिक बादल फटने के बाद आई बाढ़ से सड़क के किनारे खड़े कई वाहन तेज बहाव में बह गए हैं। यह घटना बुधवार सुबह करीब ३-४ बजे की है।

प्रदेश भर में पिछले कुछ दिन से लगातार बारिश जारी है। बुधवार को ब्राण क्षेत्र में बादल फटने से सड़क किनारे खड़े वाहन इसकी चपेट में आ गए। हालांकि अभी तक कितने वाहन इसकी चपेट में आए हैं इसकी संख्या का पता नहीं चल पाया है। कुछ वाहन मलबे में फंसे हुए दिखाई दे रहे हैं।

हादसे में किसी भी व्यक्ति के हताहत होने की जानकारी नहीं है। नाले का जलस्तर बढ़ने और तेज बहाव के कारण कुल्लू-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात के लिए अवरुद्ध हो गया है, जिस कारण इस घटनास्थल के दोनों ओर वाहनों की लंबी-लंबी लाइनें लगी हुई हैं। लोक निर्माण विभाग और प्रशासनिक टीम मार्ग को बहाल करने में जुट गई हैं। एक अधिकारी ने फोन पर तहलका को बताया कि फिलहाल, नाले के साथ के मकानों को खाली करवाया गया है और लोगों को सुरक्षित जगह ले जाया गया है। उन्होंने कहा कि कुछ घरों को भी नुक्सान पहुंचा है।

ग्रेटर नोएडा में दो इमारतें गिरीं, ५० लोग दबे, तीन शव मिले

ग्रेटर नॉएडा (वेस्ट) के थाना बिसरख इलाके के शाहबेरी गांव में मंगलवार देर रात एक निर्माणाधीन छह मंजिला इमारत साथ लगती चार मंजिला इमारत पर गिर गई। इस हादसे में ५० लोगों के दबने का आशंका है। अब तक तीन शव निकाले जा चुके हैं। राहत और बचाव कार्य जारी हैं और दबे लोगों का जीवन बचाने की पूरी कोशिश की जा रही है। इस मामले में बुधवार सुबह बिल्डर समेत तीन लोगों को गिरफ्तार करने की सूचना है।

मिली जानकारी के मुताबिक इन दोनों इमारतानो में एक दर्जन से ज्यादा परिवार रह रहे थे। छोंकी इमारत का निर्माण चल रहा था उसमें बड़ी संख्या में मजदूर भी थे। अभी तक की ख़बरों के मुताबिक कमसे काम ५० लोगों के दबे होने की आशंका है। प्रशासन ने अभी इसकी पुष्टि नहीं की है की कितने लोग मलबे में दबे हो सकते हैं । हादसे के बाद पुलिस और प्रशासन की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुट गईं।

मलबे के पत्रों को तोड़कर भीतर घुसने का रास्ता बनाया गया है ताकि ज़िंदा लोगों को बचाया जा सके। यह हादसा मंगलवार रात करीब ९.३० का है। गली संकरी गली होने के कारण एनडीआरएफ की टीम और ऐम्बुलेंस को घटना स्थल तक पहुंचने में परेशानी आई। पहले 6 मंजिल की इमारत ढही जो कि एक निर्माणाधीन इमारत पर जा गिरी। इस इमारत के हर फ्लोर पर पांच फ्लैट थे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोकल प्रशासन को रहात कार्यों के निर्देश दिए हैं। आरोप है कि इसी जमीन पर अवैध बिल्डिंग का निर्माण सुरक्षा नियमों को ताक पर रखकर किया जा रहा था। इमारत में घटिया निर्माण सामग्री लगाई गई और मानकों का उल्लंघन किया गया था जिसके चलते बिल्डिंग भरभराकर गिर गई। हादसे के वक्त बिल्डिंग में कई मजदूर मौजूद थे।

इमारतों के गिरते ही के वहां भगदड़ मच गई। आसपास के लोग भी मौके पर पहुंचे और दबे हुए लोगों की निकालने की कोशिश की। बताया जा रहा है कि मलबे में काफी लोग दबे हुए हैं। इसमें कई लोगों की मौत की आशंका भी जताई जा रही है।

सरकारी अधिकारीयों ने कहा कि अभी यह कहना मुश्किल है कि कितने लोग मलबे में हो सकते हैं। आसपास के लोगों से बातचीत के आधार पर माना जा रहा है कि कमसे काम ५० लोग दबे हो सकते हैं। एनडीआरएफ की टीम बचाव काम में जुटी है।

शारीरिक संबंध बनाने के लिए दोनों की मर्ज़ी ज़रूरी: कोर्ट

शादी का यह मतलब नहीं है कि कोई महिला अपने पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए हमेशा राजी हो। और ये भी ज़रूरी नहीं कि बलात्कार करने के लिए शारीरिक बल का इस्तेमाल किया ही गया हो।

ये कहा है दिल्ली हाई कोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने। इस न्याय पीठ ने ये भी कहा कि शादी जैसे रिश्ते में पुरुष और महिला दोनों को शारीरिक संबंध के लिए ‘ना’ कहने का अधिकार है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक़ अदालत उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिसमें वैवाहिक बलात्कार को अपराध बनाने की मांग की गई है।

पीठ ने कहा, ‘शादी का यह मतलब नहीं है कि शारीरिक संबंध बनाने के लिए महिला हर समय तैयार , इच्छुक और राजी हो। पुरुष को यह साबित करना होगा कि महिला ने सहमति दी है।’

अदालत ने एनजीओ मेन वेलफेयर ट्रस्ट की इस दलील को खारिज कर दिया कि पति-पत्नी के बीच यौन हिंसा में बल का इस्तेमाल या बल की धमकी इस अपराध के होने में महत्वपूर्ण कारक है।

एनजीओ वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध बनाने वाली याचिका का विरोध कर रहा है। उच्च न्यायालय ने कहा , ‘यह कहना गलत है कि बलात्कार के लिए शारीरिक बल का इस्तेमाल जरूरी है। यह जरूरी नहीं है कि बलात्कार में चोटें आई हो। आज बलात्कार की परिभाषा पूरी तरह अलग है।’