पड़ौसी देशों के गैर मुस्लिमों को नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत गुजरात में मिलेगी भारतीय नागरिकता

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को नागरिकता क़ानून में फेरबदल की जानकारी देने वाली केंद्र सरकार ने अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले और वर्तमान में गुजरात के दो जिलों में रह रहे हिंदुओं, सिखों, बौद्ध, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को नागरिकता कानून, 1955 के तहत भारतीय नागरिकता देने का फैसला किया है। बता दें सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को ही नागरिकता संशोधन कानून 2019 (सीएए) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अगली सुनवाई के लिए 6 दिसंबर को तारीख तय की है।

नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (सीएए) पर पहले ही देश में जबरदस्त बवाल हो चुका है। अब मोदी सरकार की तरफ से सीएए की जगह नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत नागरिकता देने का फैसला महत्वपूर्ण कहा जाएगा। याद रहे सीएए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्ध, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने का भी प्रावधान करता है।

चूंकि सीएए के नियम सरकार ने अब तक नहीं बनाए गए हैं, इसलिए इसके तहत अब तक किसी को भी नागरिकता नहीं दी सकी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक अधिसूचना के अनुसार, गुजरात के आणंद और मेहसाणा जिलों में रहने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को धारा 5, नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6 के तहत और नागरिकता नियम, 2009 के प्रावधानों के अनुसार भारत के नागरिक के रूप में पंजीकरण की अनुमति दी जाएगी या उन्हें देश के नागरिक का प्रमाण पत्र दिया जाएगा।

सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को नागरिकता संशोधन कानून 2019 (सीएए) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अगली सुनवाई के लिए 6 दिसंबर को तारीख तय की है।