जम्मू-कश्मीर : गुपकार की जीत के मायने

कश्मीर में डीडीसी चुनाव में फारूक के नेतृत्व में गठबन्धन की बड़ी जीत, जम्मू में भाजपा जीती

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 के तहत सूबे का विशेष दर्जा खत्म करने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदलने के मोदी सरकार के फैसले के बाद पहले बड़े चुनाव में कश्मीर घाटी में नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व में बने सात दलों के गुपकार गठबन्धन को बड़ी जीत मिली है। गुपकार गठबन्धन ज़िला विकास परिषद् (डीडीसी) के चुनाव में अनुच्छेद-370 खत्म करने के मोदी सरकार के फैसले के इकलौते मुद्दे के साथ जनता के सामने गया था और उसकी जीत से ज़ाहिर होता है कि घाटी के लोग राज्य का विशेष दर्जा खत्म करने के फैसले के खिलाफ और उससे आहत हैं। भाजपा को 75 जबकि गुपकार गठबन्धन को 112 सीटें और अकेले चुनाव में उतरी कांग्रेस को 26 सीटें मिलीं।

इन चुनावों के ज़रिये भाजपा भविष्य में जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा बहाल करने का प्रयोग कर रही थी। घाटी की जनता ने आतंकियों की तमाम धमकियों के बावजूद अच्छी संख्या में चुनावों में हिस्सा लेकर लोकतंत्र में भरोसा जताया है। अब यह केंद्र सरकार पर निर्भर है कि वह विधानसभा को बहाल करके लोगों को अपने प्रतिनिधि चुनने का अवसर दे; घाटी के विकास का यही सबसे बेहतर तरीका होगा।

नतीजों के बाद पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ‘तहलका’ से बातचीत में कहा- ‘भाजपा को इन नतीजों से समझ लेना चाहिए कि जनता क्या चाहती है? यह नतीजे भाजपा की हार हैं। अब उसे कश्मीर का विशेष दर्जा बिना देरी बहाल करना चाहिए और यहाँ विधानसभा चुनाव करवाने चाहिए।’

जम्मू सम्भाग में भाजपा ने 10 में से छ: ज़िला परिषदों में बहुमत हासिल किया है। हालाँकि वहाँ भी नेशनल कॉन्फ्रेंस अपना असर दिखाने में सफल रही है। इसके इतर भाजपा कश्मीर में अपना खाता खोलने और इक्का-दुक्का जीत के बावजूद प्रभावशाली प्रदर्शन नहीं कर पायी है। भाजपा के साथ दो साल पहले तक सरकार चला रही पीडीपी को भी कश्मीर के लोगों ने समर्थन नहीं दिया है। इन चुनावों में एक तरह से नेशनल कॉन्फ्रेंस बहुत ताकतवर होकर उभरी है, जिसने जीत के बाद कहा कि भविष्य में कभी उसकी सरकार बनी, तो वह प्रदेश का विशेष दर्जा खत्म करने वाले कानून को खत्म कर देगी। भाजपा को ज़्यादा मत मिलने की वजह यह रही कि जम्मू में मतदान 70 फीसदी हुआ, जबकि कश्मीर में यह महज़ 37 फीसदी मतदान हुआ। केंद्र में मंत्री भाजपा नेता अनुराग ठाकुर ने कहा- ‘लोग न गोली से डरे, न ही आतंक से; जम्मू-कश्मीर में जनतंत्र की जीत हुई है। चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन शानदार रहा है और कश्मीर में भी हमने दस्तक दे दी है।’

कांग्रेस ने इन चुनावों में सघन प्रचार तक नहीं किया था। उसके कार्यकर्ता घरों में दुबके रहे; लेकिन इसके बावजूद उसे 26 सीटें मिलने से ज़ाहिर होता है कि भविष्य में वह जम्मू में भाजपा के लिए चुनौती बन सकती है। यह माना जाता है कि अपनी पार्टी (जेकेएपी) केंद्र और भाजपा के सहयोग से बनी थी; लेकिन उसे जनता से ज़्यादा समर्थन नहीं मिला, जिससे भाजपा का कश्मीर में इस दल के ज़रिये घुसने का प्रयोग नाकाम रहा है।

भले कहने को भाजपा इन चुनावों में सबसे बड़ी इकलौती पार्टी बनी हो, लेकिन नतीजों का गहन अध्ययन बताता है कि उसकी जीत बहुत उत्साहजनक जीत नहीं है। राज्य में उप राज्यपाल प्रशासन में एक तरह से भाजपा का ही सिक्का चल रहा है। लेकिन जम्मू में जिस तरह भाजपा को बहुत आशातीत परिणाम मिले हैं, उससे ज़ाहिर होता है कि हिन्दू बहुल इस क्षेत्र में प्रशासन के कामकाज से जनता बहुत ज़्यादा खुश नहीं है। जम्मू में बढ़ते भ्रष्टाचार और जनता के काम नहीं होने की शिकायतें पिछले महीनों में बहुत तेज़ी से सामने आयी हैं।

यहाँ यह नहीं भूलना चाहिए कि भाजपा का प्रचार बहुत बड़े स्तर पर था और उसके बड़े नेता अनुराग ठाकुर और शाहनवाज़ हुसैन लम्बे समय तक कश्मीर में डेरा डाले रहे। गुपकार गठबन्धन और कांग्रेस दोनों ने आरोप लगाया था कि उन्हें प्रचार से रोका गया। इसके बावजूद गुपकार की कश्मीर में जीत बड़ी जीत मानी जाएगी। बड़ी संख्या में निर्दलीयों के जीतने के दो कारण रहे। एक तो कुछ जगह उन्हें दूसरे दलों का समर्थन था, जबकि कश्मीर में जिन लोगों ने पीडीपी से नाराज़गी होने के बावजूद नेशनल कॉन्फ्रेंस को बहुमत नहीं दिया, उन्होंने निर्दलीयों को तरजीह दी। कश्मीर में वरिष्ठ पत्रकार माज़िद जहांगीर ने ‘तहलका’ से कहा- ‘140 डीडीसी सीटों में भाजपा को कश्मीर में सिर्फ तीन सीटें मिलीं और इसका मुख्य कारण उसके पक्ष में कम मतदान करना था। गुपकार गठबन्धन के शीर्ष नेताओं को प्रचार नहीं करने दिया गया। भाजपा के दावे के बावजूद सच यह है कि अशान्त कश्मीर ने भाजपा को हराया है।’

किसको कितनी सीटें, कितने मत

दल                            सीट                             मत

भाजपा                        75                          4,87,364

नेशनल कॉन्फ्रेंस              67                          2,82,514

कांग्रेस                        26                          1,39,382

पीडीपी                       27                             55,789

निर्दलीय                      49                          1,71,420

जेकेएपी                      12                             3,8147

जेकेपीसी                      8                             43,274

माकपा                        5                               6,407

जेकेपीएम                     3                               6,754

पीडीएफ                      2                               7,273

जेकेएनपीपी                   2                             12,137

बसपा                         1                               7,397